गोरखपुर में सिर्फ 25 लीटर दूध से 40 क्विंटल पनीर तैयार किया जा रहा था। फैक्ट्री के हिसाब की बुक्स को देखने पर सामने आया कि हर महीने नकली पनीर बेचकर 42 लाख रुपए की कमाई हो रही थी। पनीर को बनाने में वो सब कुछ इस्तेमाल हो रहा था, जिसे आप जानने के बाद खा नहीं सकते। इसमें पोस्टर कलर, फैब्रिक व्हाइटनर, डिटर्जेंट, पाम ऑयल, सैकरीन की मिक्सिंग की जाती थी। तैयार पनीर को कुशीनगर, महराजगंज, संतकबीरनगर और देवरिया में सप्लाई किया जा रहा था। खाद्य सुरक्षा एवं औषधि विभाग ने इस फैक्ट्री को 21 मई को सील कर दिया। 250Kg नकली पनीर नष्ट किया। इस फैक्ट्री में पनीर कैसे और कब से तैयार किया जा रहा था? फैक्ट्री मालिक खालिद क्या कहता है? फैक्ट्री में बनने वाले पनीर को लेकर गांव के लोग क्या सोचते हैं? यह समझने के लिए दैनिक भास्कर डिजिटल ऐप टीम गोरखपुर से 26Km दूर बरईपुर गांव में हालात समझे। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… गांव में दाखिल होने के बाद सामने आया कि लोग फैक्ट्री बंद होने से खुश हैं। उन्होंने बताया- फैक्ट्री गांव के बाहर है। उसके करीब का खेत पूरा तालाब बना हुआ है। यहां सफेद रंग का पानी इकट्ठा होता है, जो फैक्ट्री से निकलता है। इतनी बदबू आती है कि निकला दूभर है। शिकायत पहले भी हुई, लेकिन अब जाकर कार्रवाई हुई। हम लोगों को पहले से पता था कि फैक्ट्री में नकली पनीर बनता था, इसलिए कोई खरीदता नहीं था। गांव के लोगों ने फैक्ट्री में अंदर रखे पनीर को पकड़वाने में टीम की मदद भी की। गांव के गोलू भारती ने कहा- यहां पहले एक डेयरी हुआ करती थी, लेकिन वह चली नहीं। इसलिए 1 साल से खालिद नकली पनीर बनाने लगा था। फैक्ट्री से थोड़ी दूर पर रहने वाले छकौड़ू भारती ने कहा- फैक्ट्री हमेशा के लिए बंद करवा देनी चाहिए। मो. खालिद हर बार अधिकारियों से सेटिंग करके बच जाता था। पनीर की सप्लाई दूर-दूर तक कर रहा था, लेकिन हम लोगों ने फैक्ट्री में दूध जाते हुए नहीं देखा। तब पनीर कैसे बनाते थे? इसीलिए गांव के लोग इस फैक्ट्री से दूर ही रहते थे। उन्होंने बताया- 2 मई को भी खाद्य सुरक्षा की टीम ने फैक्ट्री आई थी। तब खालिद ने फैक्ट्री पर अनमोल नाम लिखा था, लेकिन बाद में उसे हटा लिया। उस समय भी बड़े पैमाने पर पनीर नष्ट कराया गया था। टिन के कटे डिब्बे में पनीर रखा देखा गया था। उसमें बड़ी संख्या में मक्खियां मरी पड़ी थीं। लेकिन, फैक्ट्री उसके बाद भी चलती रही थी। गांववाले बोले- पहले फैक्ट्री 24 घंटे चलती थी, अब बंद पड़ी
गांव के बाहर फैक्ट्री बंद मिली। लोगों ने बताया कि पहले यहां 24 घंटे काम होता था। अब फैक्ट्री सूनी पड़ी है। 2 दिन पहले तक यहां पनीर बनता था। लोगों ने बताया- डिटर्जेंट, रीठा, सोयाबीन को मशीन में पीसकर उसमें केमिकल मिलाए जाते थे। फिर उसे बॉयलर में उबाला जाता था। उसमें रिफाइन, व्हाइटनर, पोस्टर कलर, सैकरीन मिलाते थे। एक बार में 800 लीटर घोल तैयार किया जाता था, उसी से पनीर बनाते थे। जब खाद्य सुरक्षा विभाग के अधिकारी फैक्ट्री पहुंचे, तो यहां 2 बोरी मिल्क पाउडर मिला था। 500 किलोग्राम सोयाबीन, कई केमिकल, डिटर्जेंट, फैब्रिक व्हाइटनर, पोस्टर कलर (पेंट), 300 किलो पाम आयल, सैकरीन, रीठा बरामद हुआ। इसे भी नष्ट करा दिया गया। यहां से मिले सैकरीन के पैकेट पर लिखा था कि ये खाने योग्य नहीं है। हरियाणा से बुलाए गए कारीगर
नकली पनीर बनाने का चलन हरियाणा में ज्यादा है। गोरखपुर में भी धीरे-धीरे यह धंधा पांव पसार रहा है। खाद्य विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, फैक्ट्री मालिक खालिद ने भी पनीर बनाने के लिए हरियाणा से कारीगर बुलाए थे। सहायक आयुक्त खाद्य सुरक्षा डॉ. सुधीर कुमार सिंह ने कहा- खालिद हर रोज 4 लाख रुपए के मिल्क पाउडर की सप्लाई लेता था। इस फैक्ट्री के अंदर एक बड़ी मशीन लगी मिली। पनीर बनाने के लिए तैयार घोल को 4-6 घंटे जलाया जाता था। इसके बाद स्वाद और सुगंध के लिए केमिकल डाले जाते थे। इस बॉयलर में 800 लीटर सफेद घोल मिला था। पूछताछ में सामने आया कि खालिद फैक्ट्री में हर दिन 40 क्विंटल पनीर तैयार करता था। हर दिन शाम को कुशीनगर, देवरिया, संतकबीरनगर, महराजगंज की छोटी-छोटी दुकानों पर भेजा जाता था। कस्टमर भी तय थे, जो स्ट्रीट फूड बेचते हैं। खालिद 160 रुपए किलो के भाव से पनीर बेच रहा था। इसको तैयार करने में 125 रुपए की कास्ट आ रही थी, वह प्रति किलो 35 रुपए कमा रहा था। इस कैलकुलेशन से वह हर रोज 1.40 लाख रुपए कमा रहा था। गोरखपुर की खोया-मंडी में भी खालिद थोड़ा तैयार माल भेजता था, लेकिन यहां खपत कम मिली है। फैक्ट्री में मिले केमिकल और सामान के 10 नमूने इकट्ठे किए गए थे। उन्हें लैब में जांच के लिए भेजा गया है। रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। फिल्मी स्टाइल में पड़ा था छापा
आयकर छापे पर बनी ‘रेड’ और ‘रेड 2’ मूवी की तरह यहां भी छापा मारा गया। खाद्य सुरक्षा विभाग के 16 अधिकारियों को यह नहीं पता था कि उन्हें कहां कार्रवाई के लिए जाना है? सहायक आयुक्त खाद्य सुरक्षा डॉ. सुधीर कुमार सिंह ने इस कार्रवाई को गोपनीय रखा था। उन्होंने सभी अधिकारियों को बुलाया और वाहन से अपने टारगेट पर चल दिए। जांच के दौरान जब इतने बड़े पैमाने पर मिलावटी पनीर मिला तो सभी दंग रह गए। फैक्ट्री मालिक बोले- हमारे खिलाफ साजिश है
इस मामले में हमने खालिद से भी सवाल किए। उन्होंने कहा- मेरा बिजनेस सही चलने लगा था। मेरा विरोध करने वाले भी बहुत से लोग हैं, यह उनकी साजिश है। हमने केमिकल के बारे में पूछा? उन्होंने कहा- यहां मजदूर रहते हैं, वह डिटर्जेंट, खाने का ऑयल यह सब इस्तेमाल करते हैं। जो टीम आई थी, उसको इसी पर आपत्ति थी। नकली और असली पनीर की पहचान कैसे करें अब 4 सवालों में जरूरी फैक्ट जानिए सवाल- असली पनीर और नकली पनीर की कीमतों में कितना फर्क होता है?
जवाब- असली और नकली पनीर की कीमतों में काफी अंतर होता है। दूध से बने शुद्ध पनीर का मार्केट रेट 400 से 450 रुपए प्रति किलो के करीब होता है। क्योंकि एक किलो असली पनीर बनाने के लिए करीब 5 किलो दूध की जरूरत पड़ती है। मिलावटी या आर्टिफिशियल पनीर का मार्केट रेट 150 से 250 प्रति किलो के बीच होता है। इसे फुटकर विक्रेता या दुकानदार असली पनीर की कीमत में बेच देते हैं। सवाल- नकली पनीर की सबसे ज्यादा सप्लाई कब होती है?
जवाब- शादी का सीजन आते ही मिलावटखोर सबसे ज्यादा सक्रिय होते हैं, क्योंकि ऐसे समय में दूध, मावा और पनीर की खपत बढ़ जाती है। जबकि दूध का उत्पादन तो उसी मात्रा में हो रहा है। ऐसे में मिलावटखोर नकली पनीर बनाना शुरू कर देते हैं। नकली पनीर की सबसे बड़ी पहचान ये हैं कि इसे तलने के बाद कोई स्वाद नहीं आता है। सवाल- पनीर खरीदते समय किन बातों का ध्यान रखें?
जवाब- पनीर खरीदते समय दुकानदार से बतौर सैंपल थोड़ा पनीर जरूर मांगें। इसके बाद इन पॉइंट्स का ध्यान रखें। सवाल- पैकेज्ड पनीर खरीदते समय किन बातों का ध्यान रखें?
जवाब- पैकेज्ड पनीर खरीदते समय हमेशा उसकी मैन्युफैक्चरिंग डेट और एक्सपायरी डेट जरूर चेक करें। इसके अलावा पनीर को स्टोर करने के लिए सही व्यवस्था की गई है या नहीं, इसका ध्यान रखें। ————————- यह खबर भी पढ़ें : डोमिनोज में पिज्जा, बर्गर किंग के मेयोनीज में बैक्टीरिया, लखनऊ के 12 ब्रांडेड रेस्टोरेंट से सैंपल लिए, कस्टमर बोले- विश्वासघात हुआ स्वाद के लिए मशहूर लखनऊ में भी खाने-पीने की चीजों (डिशेस) में मिलावट होने लगी है। खराब और बासी डिशेस परोसी जा रही हैं। यह हाल छोटे रेस्त्रां का नहीं, बल्कि ब्रांडेड रेस्त्रां और फूड आउटलेट्स का है। इनमें दस्तरख्वान, KFC, छप्पन भोग, McDonald’s, Haldiram’s, डोमिनोज समेत 12 रेस्त्रां और फूड आउटलेट्स शामिल हैं। पूरी खबर पढ़िए…. गोरखपुर में सिर्फ 25 लीटर दूध से 40 क्विंटल पनीर तैयार किया जा रहा था। फैक्ट्री के हिसाब की बुक्स को देखने पर सामने आया कि हर महीने नकली पनीर बेचकर 42 लाख रुपए की कमाई हो रही थी। पनीर को बनाने में वो सब कुछ इस्तेमाल हो रहा था, जिसे आप जानने के बाद खा नहीं सकते। इसमें पोस्टर कलर, फैब्रिक व्हाइटनर, डिटर्जेंट, पाम ऑयल, सैकरीन की मिक्सिंग की जाती थी। तैयार पनीर को कुशीनगर, महराजगंज, संतकबीरनगर और देवरिया में सप्लाई किया जा रहा था। खाद्य सुरक्षा एवं औषधि विभाग ने इस फैक्ट्री को 21 मई को सील कर दिया। 250Kg नकली पनीर नष्ट किया। इस फैक्ट्री में पनीर कैसे और कब से तैयार किया जा रहा था? फैक्ट्री मालिक खालिद क्या कहता है? फैक्ट्री में बनने वाले पनीर को लेकर गांव के लोग क्या सोचते हैं? यह समझने के लिए दैनिक भास्कर डिजिटल ऐप टीम गोरखपुर से 26Km दूर बरईपुर गांव में हालात समझे। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… गांव में दाखिल होने के बाद सामने आया कि लोग फैक्ट्री बंद होने से खुश हैं। उन्होंने बताया- फैक्ट्री गांव के बाहर है। उसके करीब का खेत पूरा तालाब बना हुआ है। यहां सफेद रंग का पानी इकट्ठा होता है, जो फैक्ट्री से निकलता है। इतनी बदबू आती है कि निकला दूभर है। शिकायत पहले भी हुई, लेकिन अब जाकर कार्रवाई हुई। हम लोगों को पहले से पता था कि फैक्ट्री में नकली पनीर बनता था, इसलिए कोई खरीदता नहीं था। गांव के लोगों ने फैक्ट्री में अंदर रखे पनीर को पकड़वाने में टीम की मदद भी की। गांव के गोलू भारती ने कहा- यहां पहले एक डेयरी हुआ करती थी, लेकिन वह चली नहीं। इसलिए 1 साल से खालिद नकली पनीर बनाने लगा था। फैक्ट्री से थोड़ी दूर पर रहने वाले छकौड़ू भारती ने कहा- फैक्ट्री हमेशा के लिए बंद करवा देनी चाहिए। मो. खालिद हर बार अधिकारियों से सेटिंग करके बच जाता था। पनीर की सप्लाई दूर-दूर तक कर रहा था, लेकिन हम लोगों ने फैक्ट्री में दूध जाते हुए नहीं देखा। तब पनीर कैसे बनाते थे? इसीलिए गांव के लोग इस फैक्ट्री से दूर ही रहते थे। उन्होंने बताया- 2 मई को भी खाद्य सुरक्षा की टीम ने फैक्ट्री आई थी। तब खालिद ने फैक्ट्री पर अनमोल नाम लिखा था, लेकिन बाद में उसे हटा लिया। उस समय भी बड़े पैमाने पर पनीर नष्ट कराया गया था। टिन के कटे डिब्बे में पनीर रखा देखा गया था। उसमें बड़ी संख्या में मक्खियां मरी पड़ी थीं। लेकिन, फैक्ट्री उसके बाद भी चलती रही थी। गांववाले बोले- पहले फैक्ट्री 24 घंटे चलती थी, अब बंद पड़ी
गांव के बाहर फैक्ट्री बंद मिली। लोगों ने बताया कि पहले यहां 24 घंटे काम होता था। अब फैक्ट्री सूनी पड़ी है। 2 दिन पहले तक यहां पनीर बनता था। लोगों ने बताया- डिटर्जेंट, रीठा, सोयाबीन को मशीन में पीसकर उसमें केमिकल मिलाए जाते थे। फिर उसे बॉयलर में उबाला जाता था। उसमें रिफाइन, व्हाइटनर, पोस्टर कलर, सैकरीन मिलाते थे। एक बार में 800 लीटर घोल तैयार किया जाता था, उसी से पनीर बनाते थे। जब खाद्य सुरक्षा विभाग के अधिकारी फैक्ट्री पहुंचे, तो यहां 2 बोरी मिल्क पाउडर मिला था। 500 किलोग्राम सोयाबीन, कई केमिकल, डिटर्जेंट, फैब्रिक व्हाइटनर, पोस्टर कलर (पेंट), 300 किलो पाम आयल, सैकरीन, रीठा बरामद हुआ। इसे भी नष्ट करा दिया गया। यहां से मिले सैकरीन के पैकेट पर लिखा था कि ये खाने योग्य नहीं है। हरियाणा से बुलाए गए कारीगर
नकली पनीर बनाने का चलन हरियाणा में ज्यादा है। गोरखपुर में भी धीरे-धीरे यह धंधा पांव पसार रहा है। खाद्य विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, फैक्ट्री मालिक खालिद ने भी पनीर बनाने के लिए हरियाणा से कारीगर बुलाए थे। सहायक आयुक्त खाद्य सुरक्षा डॉ. सुधीर कुमार सिंह ने कहा- खालिद हर रोज 4 लाख रुपए के मिल्क पाउडर की सप्लाई लेता था। इस फैक्ट्री के अंदर एक बड़ी मशीन लगी मिली। पनीर बनाने के लिए तैयार घोल को 4-6 घंटे जलाया जाता था। इसके बाद स्वाद और सुगंध के लिए केमिकल डाले जाते थे। इस बॉयलर में 800 लीटर सफेद घोल मिला था। पूछताछ में सामने आया कि खालिद फैक्ट्री में हर दिन 40 क्विंटल पनीर तैयार करता था। हर दिन शाम को कुशीनगर, देवरिया, संतकबीरनगर, महराजगंज की छोटी-छोटी दुकानों पर भेजा जाता था। कस्टमर भी तय थे, जो स्ट्रीट फूड बेचते हैं। खालिद 160 रुपए किलो के भाव से पनीर बेच रहा था। इसको तैयार करने में 125 रुपए की कास्ट आ रही थी, वह प्रति किलो 35 रुपए कमा रहा था। इस कैलकुलेशन से वह हर रोज 1.40 लाख रुपए कमा रहा था। गोरखपुर की खोया-मंडी में भी खालिद थोड़ा तैयार माल भेजता था, लेकिन यहां खपत कम मिली है। फैक्ट्री में मिले केमिकल और सामान के 10 नमूने इकट्ठे किए गए थे। उन्हें लैब में जांच के लिए भेजा गया है। रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। फिल्मी स्टाइल में पड़ा था छापा
आयकर छापे पर बनी ‘रेड’ और ‘रेड 2’ मूवी की तरह यहां भी छापा मारा गया। खाद्य सुरक्षा विभाग के 16 अधिकारियों को यह नहीं पता था कि उन्हें कहां कार्रवाई के लिए जाना है? सहायक आयुक्त खाद्य सुरक्षा डॉ. सुधीर कुमार सिंह ने इस कार्रवाई को गोपनीय रखा था। उन्होंने सभी अधिकारियों को बुलाया और वाहन से अपने टारगेट पर चल दिए। जांच के दौरान जब इतने बड़े पैमाने पर मिलावटी पनीर मिला तो सभी दंग रह गए। फैक्ट्री मालिक बोले- हमारे खिलाफ साजिश है
इस मामले में हमने खालिद से भी सवाल किए। उन्होंने कहा- मेरा बिजनेस सही चलने लगा था। मेरा विरोध करने वाले भी बहुत से लोग हैं, यह उनकी साजिश है। हमने केमिकल के बारे में पूछा? उन्होंने कहा- यहां मजदूर रहते हैं, वह डिटर्जेंट, खाने का ऑयल यह सब इस्तेमाल करते हैं। जो टीम आई थी, उसको इसी पर आपत्ति थी। नकली और असली पनीर की पहचान कैसे करें अब 4 सवालों में जरूरी फैक्ट जानिए सवाल- असली पनीर और नकली पनीर की कीमतों में कितना फर्क होता है?
जवाब- असली और नकली पनीर की कीमतों में काफी अंतर होता है। दूध से बने शुद्ध पनीर का मार्केट रेट 400 से 450 रुपए प्रति किलो के करीब होता है। क्योंकि एक किलो असली पनीर बनाने के लिए करीब 5 किलो दूध की जरूरत पड़ती है। मिलावटी या आर्टिफिशियल पनीर का मार्केट रेट 150 से 250 प्रति किलो के बीच होता है। इसे फुटकर विक्रेता या दुकानदार असली पनीर की कीमत में बेच देते हैं। सवाल- नकली पनीर की सबसे ज्यादा सप्लाई कब होती है?
जवाब- शादी का सीजन आते ही मिलावटखोर सबसे ज्यादा सक्रिय होते हैं, क्योंकि ऐसे समय में दूध, मावा और पनीर की खपत बढ़ जाती है। जबकि दूध का उत्पादन तो उसी मात्रा में हो रहा है। ऐसे में मिलावटखोर नकली पनीर बनाना शुरू कर देते हैं। नकली पनीर की सबसे बड़ी पहचान ये हैं कि इसे तलने के बाद कोई स्वाद नहीं आता है। सवाल- पनीर खरीदते समय किन बातों का ध्यान रखें?
जवाब- पनीर खरीदते समय दुकानदार से बतौर सैंपल थोड़ा पनीर जरूर मांगें। इसके बाद इन पॉइंट्स का ध्यान रखें। सवाल- पैकेज्ड पनीर खरीदते समय किन बातों का ध्यान रखें?
जवाब- पैकेज्ड पनीर खरीदते समय हमेशा उसकी मैन्युफैक्चरिंग डेट और एक्सपायरी डेट जरूर चेक करें। इसके अलावा पनीर को स्टोर करने के लिए सही व्यवस्था की गई है या नहीं, इसका ध्यान रखें। ————————- यह खबर भी पढ़ें : डोमिनोज में पिज्जा, बर्गर किंग के मेयोनीज में बैक्टीरिया, लखनऊ के 12 ब्रांडेड रेस्टोरेंट से सैंपल लिए, कस्टमर बोले- विश्वासघात हुआ स्वाद के लिए मशहूर लखनऊ में भी खाने-पीने की चीजों (डिशेस) में मिलावट होने लगी है। खराब और बासी डिशेस परोसी जा रही हैं। यह हाल छोटे रेस्त्रां का नहीं, बल्कि ब्रांडेड रेस्त्रां और फूड आउटलेट्स का है। इनमें दस्तरख्वान, KFC, छप्पन भोग, McDonald’s, Haldiram’s, डोमिनोज समेत 12 रेस्त्रां और फूड आउटलेट्स शामिल हैं। पूरी खबर पढ़िए…. उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
पेंट, एसिड से बना कर रहे थे नकली पनीर:25 लीटर दूध से तैयार करते थे 40 क्विंटल माल, 1 दिन का मुनाफा 1.40 लाख रुपए
