‘… तो जुर्माना भी लगाया जा सकता है’, सेना में गुर्जर रेजिमेंट की मांग वाली याचिका दिल्ली HC में खारिज

‘… तो जुर्माना भी लगाया जा सकता है’, सेना में गुर्जर रेजिमेंट की मांग वाली याचिका दिल्ली HC में खारिज

<p style=”text-align: justify;”><strong>Gurjar Regiment In Indian Army:</strong> दिल्ली हाई कोर्ट ने भारतीय सेना में गुर्जर रेजीमेंट के गठन की मांग करने वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया. दिल्ली हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल कर केंद्र सरकार को भारतीय सेना में गुर्जर रेजीमेंट के गठन करने के निर्देश देने की मांग की गई थी.</p>
<p style=”text-align: justify;”>दिल्ली हाई कोर्ट में जस्टिस डीके उपाध्यय और जस्टिस तुषार राव गेंदला की बेंच ने इस याचिका को पूरी तरीके से आधारहीन बताते हुए सुनवाई करने से इनकार कर दिया. दरअसल दिल्ली हाई कोर्ट में रोहन बसोया नाम के व्यक्ति ने यह जनहित दायर की थी.</p>
<p style=”text-align: justify;”>दिल्ली हाई कोर्ट में दाखिल याचिका में यह दावा किया गया कि समृद्ध सैन्य विरासत के गुर्जर को जाट, सिख, गोरखा और डोगरा जैसे अन्य समुदायों की तरह समर्पित रेजीमेंट नहीं दी गई.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>दिल्ली हाई कोर्ट ने की अहम टिप्पणी&nbsp;</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>दिल्ली हाई कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस ने कड़े सवाल उठाए और याचिककर्ता के वकील से पूछा कि आपकी याचिका पर सुनवाई का क्या आधार है. आपके पास कोई कानून संविधान या विधान के तहत अधिकार होना चाहिए.</p>
<p style=”text-align: justify;”>दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि ऐसा कौन सा कानून है, जो आपको इस तरह के रेजीमेंट बनाने का अधिकार देता है. वह अधिकार कहां है, वहीं दिल्ली हाई कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई के दौरान यह भी पूछा कि भारत के संविधान का कौन सा प्रावधान या कोई अन्य अधिनियम किसी विशेष समुदाय को रेजीमेंट बनाने का अधिकार देता है. हालांकि दिल्ली हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील को सलाह देते हुए कहा कि ऐसी याचिका दाखिल करने से पहले गहराई से रिसर्च करने की बेहद आवश्यकता है.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>दिल्ली HC में दाखिल याचिका में कहा गया&nbsp;</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>दिल्ली हाई कोर्ट में दाखिल याचिका में कहा गया था कि भारतीय सेवा ने ऐतिहासिक रूप से जातीय आधार पर रेजिमेंट बनाए रखी है जो विभिन्न समुदायों के राष्ट्रीय रक्षा में योगदान को हमेशा मान्यता देती है. हालांकि गुर्जर समुदाय को इस प्रणाली से बाहर रखा गया है जिससे प्रतिनिधित्व में असंतुलन पैदा होता है और और या उनके संवैधानिक अधिकारों विशेष रूप से संविधान के आर्टिकल 14 और आर्टिकल 16 का उल्लंघन करता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>याचिका में यह भी कहा गया कि गुर्जर रेजीमेंट की स्थापना से समान मौका मिलेगा सेना में भर्ती बढ़ेगी और राष्ट्रीय सुरक्षा मजबूत होगी. याचिका में यह भी तर्क दिया गया कि जम्मू कश्मीर, राजस्थान,हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब जैसे सीमावर्ती इलाकों में गुर्जर समुदाय की मजबूत उपस्थिति को देखते हुए गुर्जर रेजीमेंट की स्थापना विद्रोह विरोधी और सीमा सुरक्षा अभियानों में रणनीतिक सैन्य हितों को पूरा करेगी. वहीं कोर्ट में दाखिल याचिका में यह भी कहा गया कि गुर्जर रेजीमेंट की मांग पहले भी कई बार उठाई जा चुकी है लेकिन सरकार ने इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>कोर्ट ने याचिकाकर्ता को दी चेतावनी&nbsp;</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>दिल्ली हाई कोर्ट ने याचिककर्ता के वकील को चेतावनी दी की ऐसी याचिका दायर करने से पहले कानूनी मूल आधारों का गहन अध्ययन जरूरी है. कोर्ट ने यह भी संकेत दिया कि यदि याचिका को आगे बढ़ाया गया तो याचिकाकर्ता पर जुर्माना भी लगाया जा सकता था. हालांकि इस चेतावनी के बाद याचिकाकर्ता ने दिल्ली हाई कोर्ट से अपनी याचिका वापस ले ली.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>इसे भी पढ़ें: <a href=”https://www.abplive.com/states/delhi-ncr/mcd-ward-committee-election-voting-on-june-2-bjp-aap-ivp-candidates-filed-nomination-delhi-nagar-nigam-ann-2952175″>MCD News: एमसीडी वार्ड समिति चुनाव के लिए 2 जून को होगा मतदान, कांग्रेस को छोड़ सभी दलों ने भरे पर्चे</a></strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>&nbsp;</p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Gurjar Regiment In Indian Army:</strong> दिल्ली हाई कोर्ट ने भारतीय सेना में गुर्जर रेजीमेंट के गठन की मांग करने वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया. दिल्ली हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल कर केंद्र सरकार को भारतीय सेना में गुर्जर रेजीमेंट के गठन करने के निर्देश देने की मांग की गई थी.</p>
<p style=”text-align: justify;”>दिल्ली हाई कोर्ट में जस्टिस डीके उपाध्यय और जस्टिस तुषार राव गेंदला की बेंच ने इस याचिका को पूरी तरीके से आधारहीन बताते हुए सुनवाई करने से इनकार कर दिया. दरअसल दिल्ली हाई कोर्ट में रोहन बसोया नाम के व्यक्ति ने यह जनहित दायर की थी.</p>
<p style=”text-align: justify;”>दिल्ली हाई कोर्ट में दाखिल याचिका में यह दावा किया गया कि समृद्ध सैन्य विरासत के गुर्जर को जाट, सिख, गोरखा और डोगरा जैसे अन्य समुदायों की तरह समर्पित रेजीमेंट नहीं दी गई.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>दिल्ली हाई कोर्ट ने की अहम टिप्पणी&nbsp;</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>दिल्ली हाई कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस ने कड़े सवाल उठाए और याचिककर्ता के वकील से पूछा कि आपकी याचिका पर सुनवाई का क्या आधार है. आपके पास कोई कानून संविधान या विधान के तहत अधिकार होना चाहिए.</p>
<p style=”text-align: justify;”>दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि ऐसा कौन सा कानून है, जो आपको इस तरह के रेजीमेंट बनाने का अधिकार देता है. वह अधिकार कहां है, वहीं दिल्ली हाई कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई के दौरान यह भी पूछा कि भारत के संविधान का कौन सा प्रावधान या कोई अन्य अधिनियम किसी विशेष समुदाय को रेजीमेंट बनाने का अधिकार देता है. हालांकि दिल्ली हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील को सलाह देते हुए कहा कि ऐसी याचिका दाखिल करने से पहले गहराई से रिसर्च करने की बेहद आवश्यकता है.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>दिल्ली HC में दाखिल याचिका में कहा गया&nbsp;</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>दिल्ली हाई कोर्ट में दाखिल याचिका में कहा गया था कि भारतीय सेवा ने ऐतिहासिक रूप से जातीय आधार पर रेजिमेंट बनाए रखी है जो विभिन्न समुदायों के राष्ट्रीय रक्षा में योगदान को हमेशा मान्यता देती है. हालांकि गुर्जर समुदाय को इस प्रणाली से बाहर रखा गया है जिससे प्रतिनिधित्व में असंतुलन पैदा होता है और और या उनके संवैधानिक अधिकारों विशेष रूप से संविधान के आर्टिकल 14 और आर्टिकल 16 का उल्लंघन करता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>याचिका में यह भी कहा गया कि गुर्जर रेजीमेंट की स्थापना से समान मौका मिलेगा सेना में भर्ती बढ़ेगी और राष्ट्रीय सुरक्षा मजबूत होगी. याचिका में यह भी तर्क दिया गया कि जम्मू कश्मीर, राजस्थान,हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब जैसे सीमावर्ती इलाकों में गुर्जर समुदाय की मजबूत उपस्थिति को देखते हुए गुर्जर रेजीमेंट की स्थापना विद्रोह विरोधी और सीमा सुरक्षा अभियानों में रणनीतिक सैन्य हितों को पूरा करेगी. वहीं कोर्ट में दाखिल याचिका में यह भी कहा गया कि गुर्जर रेजीमेंट की मांग पहले भी कई बार उठाई जा चुकी है लेकिन सरकार ने इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>कोर्ट ने याचिकाकर्ता को दी चेतावनी&nbsp;</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>दिल्ली हाई कोर्ट ने याचिककर्ता के वकील को चेतावनी दी की ऐसी याचिका दायर करने से पहले कानूनी मूल आधारों का गहन अध्ययन जरूरी है. कोर्ट ने यह भी संकेत दिया कि यदि याचिका को आगे बढ़ाया गया तो याचिकाकर्ता पर जुर्माना भी लगाया जा सकता था. हालांकि इस चेतावनी के बाद याचिकाकर्ता ने दिल्ली हाई कोर्ट से अपनी याचिका वापस ले ली.</p>
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