बकरीद से पहले VHP का बयान- ‘कमरा बंद करने से कुर्बानी…’, कर दी यह बड़ी मांग

बकरीद से पहले VHP का बयान- ‘कमरा बंद करने से कुर्बानी…’, कर दी यह बड़ी मांग

<p style=”text-align: justify;”><strong>VHP on Bakrid 2025:</strong> बकरीद पर जानवरों की कुर्बानी का विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है. विश्व हिंदू परिषद ने इस बारे में बजडा बयान दिया है. परिषद की ओर से कहा गया है कि इस्लाम धर्म में कुर्बानी कहीं भी जरूरी नहीं बताई गई है. पवित्र धर्म ग्रंथ कुरान में भी इसका कोई जिक्र नहीं है. कुर्बानी करना ना तो संवैधानिक अधिकार है, न धार्मिक और ना ही मौलिक.</p>
<p style=”text-align: justify;”>वीएचपी का कहना है कि यह सिर्फ और सिर्फ जीव हत्या है, जिस पर रोक लगनी ही चाहिए. धर्म के नाम पर जानवरों की हत्या पूरी तरह से गलत है और इस पर तत्काल प्रभाव से पाबंदी लगनी चाहिए.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’हिन्दू धर्म में भी बंद हुईं कुप्रथाएं’- VHP प्रवक्ता</strong><br />विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता अमितोष परीक ने इस बारे में कहा है कि कुर्बानी के नाम पर बकरीद के मौके पर जानवरों की हत्या बरसों से चली आ रही गलत परंपरा है. जिस तरह सती प्रथा, बाल विवाह जैसी कुप्रथाएं बंद कराई गई हैं, उसी तरह धर्म के नाम पर जानवरों की हत्या के मामले में भी सख्ती बरतनी चाहिए और इस पर पूरी तरह रोक लगनी चाहिए.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’कुर्बानी से अल्लाह नहीं हो सकता खुश’- VHP</strong><br />उनके मुताबिक, जानवरों को भी अपना जीवन जीने का हक है. ऐसे में उनकी हत्या नहीं की जानी चाहिए. अमितोष परीक ने कहा है कि जीव की हत्या होने से अल्लाह कभी खुश नहीं हो सकता, क्योंकि ईश्वर को क्रूर नहीं बल्कि दयालु किस्म के लोग पसंद होते हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट भी बता चुके हैं असंवैधानिक'</strong><br />विश्व हिंदू परिषद प्रवक्ता अमितोष परीक के मुताबिक, इस्लामिक धर्म ग्रंथ कुरान में किसी भी जगह बकरीद के मौके पर जानवरों की कुर्बानी को जरूरी नहीं बताया गया है. बरसों से चली आ रही गलत परंपरा को आगे जारी रखने के लिए इसे धार्मिक रंग दिया जाता है. यह पूरी तरह संविधान और धर्म के खिलाफ है.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>सुप्रीम कोर्ट 1997 में ही इसे साफ भी कर चुका है. देश के दर्जन भर से ज्यादा राज्यों के हाई कोर्ट भी अलग-अलग समय पर यह बता चुके हैं कि बकरीद के मौके पर जानवरों की कुर्बानी कतई संवैधानिक और धार्मिक अधिकार नहीं है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>PETA पर वीएचपी ने खड़े किए सवाल</strong><br />वीएचपी प्रवक्ता अमितोष परीक का कहना है कि अगर हिंदुओं से हर साल होली और दिवाली के मौके पर त्योहार को इको फ्रेंडली मनाने की अपेक्षा की जाती है तो इस्लाम धर्म को मानने वालों से जानवरों की हत्या रोकने को क्यों नहीं कहा जाता? इस बारे में जानवरों के संरक्षण के लिए काम करने वाली PETA संस्था की चुप्पी भी कतई सही नहीं है. उसे भी इस बारे में आवाज उठानी चाहिए.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’कमरा बंद करने से हत्या का पाप कम नहीं हो जाता'</strong><br />विश्व हिन्दू परिषद का कहना है कि हिंदुओं को जब प्रदूषण और रंग का हवाला देकर त्योहार इको फ्रेंडली तरीके से मनाने की नसीहत दी जाती है तो वह इसे धर्म से नहीं जोड़ता. इसी तरह मुसलमानों को भी धर्म से जोड़ने के बजाय इसे सामाजिक दृष्टि से देखना चाहिए और खुद ही पहल करते हुए इसे बंद करना चाहिए.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>अमितोष परीक का कहना है कि कुर्बानी चाहे खुले में हो या फिर बंद कमरे या फ्लैट में, वह हत्या ही कहलाएगा. कमरा बंद कर लेने से हत्या का पाप कम नहीं हो जाता. खुले में कुर्बानी पर तो इस्लामिक देशों में भी रोक हैं.</p> <p style=”text-align: justify;”><strong>VHP on Bakrid 2025:</strong> बकरीद पर जानवरों की कुर्बानी का विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है. विश्व हिंदू परिषद ने इस बारे में बजडा बयान दिया है. परिषद की ओर से कहा गया है कि इस्लाम धर्म में कुर्बानी कहीं भी जरूरी नहीं बताई गई है. पवित्र धर्म ग्रंथ कुरान में भी इसका कोई जिक्र नहीं है. कुर्बानी करना ना तो संवैधानिक अधिकार है, न धार्मिक और ना ही मौलिक.</p>
<p style=”text-align: justify;”>वीएचपी का कहना है कि यह सिर्फ और सिर्फ जीव हत्या है, जिस पर रोक लगनी ही चाहिए. धर्म के नाम पर जानवरों की हत्या पूरी तरह से गलत है और इस पर तत्काल प्रभाव से पाबंदी लगनी चाहिए.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’हिन्दू धर्म में भी बंद हुईं कुप्रथाएं’- VHP प्रवक्ता</strong><br />विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता अमितोष परीक ने इस बारे में कहा है कि कुर्बानी के नाम पर बकरीद के मौके पर जानवरों की हत्या बरसों से चली आ रही गलत परंपरा है. जिस तरह सती प्रथा, बाल विवाह जैसी कुप्रथाएं बंद कराई गई हैं, उसी तरह धर्म के नाम पर जानवरों की हत्या के मामले में भी सख्ती बरतनी चाहिए और इस पर पूरी तरह रोक लगनी चाहिए.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’कुर्बानी से अल्लाह नहीं हो सकता खुश’- VHP</strong><br />उनके मुताबिक, जानवरों को भी अपना जीवन जीने का हक है. ऐसे में उनकी हत्या नहीं की जानी चाहिए. अमितोष परीक ने कहा है कि जीव की हत्या होने से अल्लाह कभी खुश नहीं हो सकता, क्योंकि ईश्वर को क्रूर नहीं बल्कि दयालु किस्म के लोग पसंद होते हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट भी बता चुके हैं असंवैधानिक'</strong><br />विश्व हिंदू परिषद प्रवक्ता अमितोष परीक के मुताबिक, इस्लामिक धर्म ग्रंथ कुरान में किसी भी जगह बकरीद के मौके पर जानवरों की कुर्बानी को जरूरी नहीं बताया गया है. बरसों से चली आ रही गलत परंपरा को आगे जारी रखने के लिए इसे धार्मिक रंग दिया जाता है. यह पूरी तरह संविधान और धर्म के खिलाफ है.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>सुप्रीम कोर्ट 1997 में ही इसे साफ भी कर चुका है. देश के दर्जन भर से ज्यादा राज्यों के हाई कोर्ट भी अलग-अलग समय पर यह बता चुके हैं कि बकरीद के मौके पर जानवरों की कुर्बानी कतई संवैधानिक और धार्मिक अधिकार नहीं है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>PETA पर वीएचपी ने खड़े किए सवाल</strong><br />वीएचपी प्रवक्ता अमितोष परीक का कहना है कि अगर हिंदुओं से हर साल होली और दिवाली के मौके पर त्योहार को इको फ्रेंडली मनाने की अपेक्षा की जाती है तो इस्लाम धर्म को मानने वालों से जानवरों की हत्या रोकने को क्यों नहीं कहा जाता? इस बारे में जानवरों के संरक्षण के लिए काम करने वाली PETA संस्था की चुप्पी भी कतई सही नहीं है. उसे भी इस बारे में आवाज उठानी चाहिए.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’कमरा बंद करने से हत्या का पाप कम नहीं हो जाता'</strong><br />विश्व हिन्दू परिषद का कहना है कि हिंदुओं को जब प्रदूषण और रंग का हवाला देकर त्योहार इको फ्रेंडली तरीके से मनाने की नसीहत दी जाती है तो वह इसे धर्म से नहीं जोड़ता. इसी तरह मुसलमानों को भी धर्म से जोड़ने के बजाय इसे सामाजिक दृष्टि से देखना चाहिए और खुद ही पहल करते हुए इसे बंद करना चाहिए.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>अमितोष परीक का कहना है कि कुर्बानी चाहे खुले में हो या फिर बंद कमरे या फ्लैट में, वह हत्या ही कहलाएगा. कमरा बंद कर लेने से हत्या का पाप कम नहीं हो जाता. खुले में कुर्बानी पर तो इस्लामिक देशों में भी रोक हैं.</p>  राजस्थान यूपी गजब है! कोतवाली में मनाया बीजेपी का नेता का बर्थडे, फेसबुक पर लिखा- आभार…धन्यवाद…साधुवाद