अयोध्या के अपने दरबार में राजा राम दर्शन दे रहे हैं। 5 जून को प्राण-प्रतिष्ठा के बाद अपने दिव्य स्वरूप को भव्यता देने के लिए हर दिन वह नई पोशाक पहनते हैं। यह कपड़े दिल्ली की एक खास वर्कशॉप में तैयार होते हैं। दिन, मौसम और त्योहार के हिसाब से रंग और फैब्रिक तय होता है। 365 दिन राजा राम क्या पहनेंगे, ये ट्रस्ट के पदाधिकारी तय करते हैं, मगर उसको डिजाइन मनीष त्रिपाठी करते हैं। 22 जनवरी, 2024 से हर दिन एक फ्लाइट से रामलला और अब राजा राम के कपड़े अयोध्या लाए जा रहे हैं। प्रभु राम के कपड़े तैयार करते हुए क्या भाव रहता है? कैसे इन कपड़ों का फैब्रिक तय होता है? इन सवालों के साथ दैनिक भास्कर ने ड्रेस डिजाइनर मनीष त्रिपाठी से बात की। पढ़िए पूरा इंटरव्यू… सवाल : राजा राम के कपड़े तैयार करते हुए क्या भाव रहता है?
जवाब : 22 जनवरी, 2024 को रामलला गर्भगृह में बैठे। तब मेरे सामने चैलेंज था कि लोग क्या सूरत मन में सजाए अयोध्या आएंगे। वैसा ही ड्रेस दिखना चाहिए। इसमें परंपरा, संस्कृति और मर्यादा…ये सब दिखनी चाहिए। अब 5 जून को राजा राम अपने दरबार में विराजमान हो चुके हैं। तो उनकी राजसी आभा को ध्यान में रखते हुए कपड़े डिजाइन किए हैं। सवाल : कैसे विचार आया कि रामलला और अब राजा राम के कपड़े तैयार करने हैं?
जवाब : ये 2021 की बात है। मैं उस वक्त अयोध्या आया था। तब तक रामलला अपने छोटे से मंदिर में थे। मैंने देखा, भगवान ने साधारण पोलिएस्टर की कपड़े पहने थे। मेरे मन में सवाल उठे कि हम खुद मौसम के हिसाब से तरह-तरह के कपड़े पहनते हैं, मगर भगवान के लिए क्या व्यवस्था है? यहीं से मेरे मन में भाव जागा कि क्यों न भगवान के लिए मैं कपड़े तैयार कर दूं। सवाल : कपड़े तैयार करने का मौका कैसे मिला?
जवाब : इसके लिए प्रयास करना पड़ा। मैं CM योगी आदित्यनाथ से मिला, अपनी बात रखी। उन्होंने पूछा- कहां बनाएंगे? कैसे और किस कपड़े से बनाएंगे? मैंने उन्हें पूरा ब्लू प्रिंट बताया। ये भी कहा कि कपड़ा उत्तर प्रदेश खादी बोर्ड से लेंगे। इसके बाद मैं श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट के संपर्क में आया। 22 जनवरी, 2024 को प्राण प्रतिष्ठा से लेकर आज तक मैं कपड़े तैयार करके भेज रहा हूं। सवाल : कपड़ों के डिजाइन के लिए क्या कोई खास तैयारी की थी?
जवाब : बिल्कुल, ये तो राजा राम हैं। उनकी ड्रेस बनाने के लिए 2 महीने का समय लगा। मैं लगातार जयपुर के मूर्तिकार सत्यनारायण पांडेय और ट्रस्ट के पदाधिकारियों के संपर्क में था। प्रभु की छवि, उनकी दिव्यता, सौम्यता, करुणा और सुंदरता सब दिखना चाहिए। जाहिर है कि कपड़े के रंग, कढ़ाई सब कुछ ऐसा हो कि जब पहने तो लगे कि साक्षात भगवान प्रकट हो गए हैं। यह सब प्रभु की कृपा से तय हुआ। सवाल : किस राज्य के टेक्सटाइल का इस्तेमाल किया?
जवाब : हम हमेशा दो या दो से ज्यादा राज्यों की परंपरागत टेक्सटाइल को मिलाकर कपड़े बनाते हैं। जैसे ओडिशा का संभलपुरी सिल्क, असम की मुगा सिल्क, कश्मीर की पशमीना, मध्य प्रदेश की चंदेरी से तैयार करते हैं। त्रिपुरा और मेघालय की बुनाई का पैटर्न लिया है। राजस्थान की डाइंग टेक्नीक लगाते हैं। इससे भारत की सांस्कृतिक विविधता भी जुड़ती है और लोकल कारीगरों को मंच भी मिलता है। सवाल : रामलला के कपड़े कहां बनाए जाते हैं और कैसे भेजे जाते हैं?
जवाब : दिल्ली के हमारे वर्कशॉप में भगवान के कपड़े तैयार किए जाते हैं। वहां काम करने के भी सख्त नियम हैं। सभी कारीगर और मैं खुद नंगे पांव ही काम करते हैं। कोई व्यक्ति मांसाहारी नहीं है। वर्कशॉप के अंदर कैमरा प्रतिबंधित है, हम खुद इसका ख्याल रखते हैं कि कोई वीडियो वगैरह बाहर नहीं जाना चाहिए। हर रोज फ्लाइट से अयोध्या रामलला और राजा राम के कपड़े भेजे जाते हैं। सवाल : आप एक साथ महीने भर के कपड़े भी भेज सकते हैं?
जवाब : नहीं…ये सही है कि हम भेज सकते हैं, मगर हर दिन एक नई सोच और एक नई भक्ति के साथ भगवान के कपड़े की सिलाई, कढ़ाई होती है, इसलिए ऐसा ही चला आ रहा है। सवाल : कैसे तय करते हैं कि भगवान गर्मी या सावन के महीने में क्या पहनेंगे?
जवाब : ये सही है कि कपड़ों को बनाते वक्त मौसम और आने वाले त्योहार का असर दिखता है। गर्मियों में मखमल और सूती कपड़े का इस्तेमाल होता है। सावन में हल्के, ठंडे रंग और फैब्रिक तय किए जाते हैं। हमारी टीम पहले से उस सीजन के अनुसार डिजाइन की तैयारी करती है। सवाल : एक ड्रेस डिजाइनर के रूप में करते हैं या एक साधक के रूप में?
जवाब : यह सिर्फ डिजाइन नहीं…सेवा है। जब रामलला छोटे से मंदिर में थे, तब से लेकर अब तक मेरा यही मानना रहा है कि भगवान ने मुझे चुना है कि मैं उनके कपड़े तैयार कर सकूं। यह मेरा सौभाग्य है, एक साधना है। मैं खुद को केवल एक माध्यम ही मानता हूं। सवाल : क्या इससे भारतीय हैंडलूम और टेक्सटाइल को भी फायदा हो रहा?
जवाब : फायदा तो बहुत होता है, जब भगवान राम के कपड़े ओडिशा या कश्मीर की शिल्प परंपरा से तैयार होते हैं, तो वह शिल्प विश्व स्तर पर पहुंचता है। मेरा सपना है कि लोग केवल पहनने के लिए नहीं, बल्कि समझने और अपनाने के लिए भारतीय टेक्सटाइल की ओर लौट आएं। सवाल : क्या किसी नए मंदिर में बैठे प्रभु के कपड़े तैयार करने की भी सोच रहे हैं?
जवाब : ये सब काज प्रभु की कृपा से हो रहे हैं। जैसे-जैसे प्रभु चाहते हैं, वैसे-वैसे काम होता जाता है। रोज एक नया चिंतन, एक नई ऊर्जा मिलती है। कपड़े बनाना मेरे लिए कोई पेशा नहीं, बल्कि भगवान से जुड़ने का जरिया है। ———————————- यह भी पढ़ें :
40 साल पुराने मकराना पत्थर से तैयार हुआ राम दरबार:मूर्तिकार बोले- 2 घंटे की पूजा के बाद 10 घंटे मूर्ति बनाता, 7 महीने लगे ‘राजा राम…जिनकी आंखों में करुणा है, चेहरे पर हल्की मुस्कान है, हाथों में आशीर्वाद है। 7 महीने की मेहनत के बाद प्राकट्य स्वरूप बनकर तैयार हो गया।’ ये कहना है जयपुर के मूर्तिकार सत्यनारायण पांडेय का। आपको राम के स्वरूप की प्रेरणा कहां से मिली? इस पर वह मुस्कुराते हुए कहते हैं- मैं अपने घर (जयपुर) से 500Km दूर एक छोटी रामजी की मूर्ति लेकर आ गया। पढ़िए पूरी खबर… अयोध्या के अपने दरबार में राजा राम दर्शन दे रहे हैं। 5 जून को प्राण-प्रतिष्ठा के बाद अपने दिव्य स्वरूप को भव्यता देने के लिए हर दिन वह नई पोशाक पहनते हैं। यह कपड़े दिल्ली की एक खास वर्कशॉप में तैयार होते हैं। दिन, मौसम और त्योहार के हिसाब से रंग और फैब्रिक तय होता है। 365 दिन राजा राम क्या पहनेंगे, ये ट्रस्ट के पदाधिकारी तय करते हैं, मगर उसको डिजाइन मनीष त्रिपाठी करते हैं। 22 जनवरी, 2024 से हर दिन एक फ्लाइट से रामलला और अब राजा राम के कपड़े अयोध्या लाए जा रहे हैं। प्रभु राम के कपड़े तैयार करते हुए क्या भाव रहता है? कैसे इन कपड़ों का फैब्रिक तय होता है? इन सवालों के साथ दैनिक भास्कर ने ड्रेस डिजाइनर मनीष त्रिपाठी से बात की। पढ़िए पूरा इंटरव्यू… सवाल : राजा राम के कपड़े तैयार करते हुए क्या भाव रहता है?
जवाब : 22 जनवरी, 2024 को रामलला गर्भगृह में बैठे। तब मेरे सामने चैलेंज था कि लोग क्या सूरत मन में सजाए अयोध्या आएंगे। वैसा ही ड्रेस दिखना चाहिए। इसमें परंपरा, संस्कृति और मर्यादा…ये सब दिखनी चाहिए। अब 5 जून को राजा राम अपने दरबार में विराजमान हो चुके हैं। तो उनकी राजसी आभा को ध्यान में रखते हुए कपड़े डिजाइन किए हैं। सवाल : कैसे विचार आया कि रामलला और अब राजा राम के कपड़े तैयार करने हैं?
जवाब : ये 2021 की बात है। मैं उस वक्त अयोध्या आया था। तब तक रामलला अपने छोटे से मंदिर में थे। मैंने देखा, भगवान ने साधारण पोलिएस्टर की कपड़े पहने थे। मेरे मन में सवाल उठे कि हम खुद मौसम के हिसाब से तरह-तरह के कपड़े पहनते हैं, मगर भगवान के लिए क्या व्यवस्था है? यहीं से मेरे मन में भाव जागा कि क्यों न भगवान के लिए मैं कपड़े तैयार कर दूं। सवाल : कपड़े तैयार करने का मौका कैसे मिला?
जवाब : इसके लिए प्रयास करना पड़ा। मैं CM योगी आदित्यनाथ से मिला, अपनी बात रखी। उन्होंने पूछा- कहां बनाएंगे? कैसे और किस कपड़े से बनाएंगे? मैंने उन्हें पूरा ब्लू प्रिंट बताया। ये भी कहा कि कपड़ा उत्तर प्रदेश खादी बोर्ड से लेंगे। इसके बाद मैं श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट के संपर्क में आया। 22 जनवरी, 2024 को प्राण प्रतिष्ठा से लेकर आज तक मैं कपड़े तैयार करके भेज रहा हूं। सवाल : कपड़ों के डिजाइन के लिए क्या कोई खास तैयारी की थी?
जवाब : बिल्कुल, ये तो राजा राम हैं। उनकी ड्रेस बनाने के लिए 2 महीने का समय लगा। मैं लगातार जयपुर के मूर्तिकार सत्यनारायण पांडेय और ट्रस्ट के पदाधिकारियों के संपर्क में था। प्रभु की छवि, उनकी दिव्यता, सौम्यता, करुणा और सुंदरता सब दिखना चाहिए। जाहिर है कि कपड़े के रंग, कढ़ाई सब कुछ ऐसा हो कि जब पहने तो लगे कि साक्षात भगवान प्रकट हो गए हैं। यह सब प्रभु की कृपा से तय हुआ। सवाल : किस राज्य के टेक्सटाइल का इस्तेमाल किया?
जवाब : हम हमेशा दो या दो से ज्यादा राज्यों की परंपरागत टेक्सटाइल को मिलाकर कपड़े बनाते हैं। जैसे ओडिशा का संभलपुरी सिल्क, असम की मुगा सिल्क, कश्मीर की पशमीना, मध्य प्रदेश की चंदेरी से तैयार करते हैं। त्रिपुरा और मेघालय की बुनाई का पैटर्न लिया है। राजस्थान की डाइंग टेक्नीक लगाते हैं। इससे भारत की सांस्कृतिक विविधता भी जुड़ती है और लोकल कारीगरों को मंच भी मिलता है। सवाल : रामलला के कपड़े कहां बनाए जाते हैं और कैसे भेजे जाते हैं?
जवाब : दिल्ली के हमारे वर्कशॉप में भगवान के कपड़े तैयार किए जाते हैं। वहां काम करने के भी सख्त नियम हैं। सभी कारीगर और मैं खुद नंगे पांव ही काम करते हैं। कोई व्यक्ति मांसाहारी नहीं है। वर्कशॉप के अंदर कैमरा प्रतिबंधित है, हम खुद इसका ख्याल रखते हैं कि कोई वीडियो वगैरह बाहर नहीं जाना चाहिए। हर रोज फ्लाइट से अयोध्या रामलला और राजा राम के कपड़े भेजे जाते हैं। सवाल : आप एक साथ महीने भर के कपड़े भी भेज सकते हैं?
जवाब : नहीं…ये सही है कि हम भेज सकते हैं, मगर हर दिन एक नई सोच और एक नई भक्ति के साथ भगवान के कपड़े की सिलाई, कढ़ाई होती है, इसलिए ऐसा ही चला आ रहा है। सवाल : कैसे तय करते हैं कि भगवान गर्मी या सावन के महीने में क्या पहनेंगे?
जवाब : ये सही है कि कपड़ों को बनाते वक्त मौसम और आने वाले त्योहार का असर दिखता है। गर्मियों में मखमल और सूती कपड़े का इस्तेमाल होता है। सावन में हल्के, ठंडे रंग और फैब्रिक तय किए जाते हैं। हमारी टीम पहले से उस सीजन के अनुसार डिजाइन की तैयारी करती है। सवाल : एक ड्रेस डिजाइनर के रूप में करते हैं या एक साधक के रूप में?
जवाब : यह सिर्फ डिजाइन नहीं…सेवा है। जब रामलला छोटे से मंदिर में थे, तब से लेकर अब तक मेरा यही मानना रहा है कि भगवान ने मुझे चुना है कि मैं उनके कपड़े तैयार कर सकूं। यह मेरा सौभाग्य है, एक साधना है। मैं खुद को केवल एक माध्यम ही मानता हूं। सवाल : क्या इससे भारतीय हैंडलूम और टेक्सटाइल को भी फायदा हो रहा?
जवाब : फायदा तो बहुत होता है, जब भगवान राम के कपड़े ओडिशा या कश्मीर की शिल्प परंपरा से तैयार होते हैं, तो वह शिल्प विश्व स्तर पर पहुंचता है। मेरा सपना है कि लोग केवल पहनने के लिए नहीं, बल्कि समझने और अपनाने के लिए भारतीय टेक्सटाइल की ओर लौट आएं। सवाल : क्या किसी नए मंदिर में बैठे प्रभु के कपड़े तैयार करने की भी सोच रहे हैं?
जवाब : ये सब काज प्रभु की कृपा से हो रहे हैं। जैसे-जैसे प्रभु चाहते हैं, वैसे-वैसे काम होता जाता है। रोज एक नया चिंतन, एक नई ऊर्जा मिलती है। कपड़े बनाना मेरे लिए कोई पेशा नहीं, बल्कि भगवान से जुड़ने का जरिया है। ———————————- यह भी पढ़ें :
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अयोध्या में राजा राम हर दिन पहनते हैं नई ड्रेस:फ्लाइट से आती है पोशाक; दिन-मौसम के हिसाब से तय होता है रंग और फैब्रिक
