किन्नौर का लिप्पा गांव बौद्ध धर्म का महत्वपूर्ण केंद्र:108 दरचोक लगाकर मनाया परंपरागत उत्सव, शांति के लिए की प्रार्थना

किन्नौर का लिप्पा गांव बौद्ध धर्म का महत्वपूर्ण केंद्र:108 दरचोक लगाकर मनाया परंपरागत उत्सव, शांति के लिए की प्रार्थना

हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में स्थित लिप्पा गांव में बौद्ध परंपरा का विशेष उत्सव मनाया गया। समुद्र तल से 2483 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस गांव में गांव की खुशहाली और शांति के लिए 108 पंचरंगी दरचोक लगाए गए। डॉ. अजीत कुमार नेगी के मार्गदर्शन में आयोजित कार्यक्रम में सभी ग्रामवासियों ने उत्साह से भाग लिया। लिप्पा गांव के जयपाल नेगी ने कहा कि लिप्पा गांव अपनी अनूठी संस्कृति और बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए प्रसिद्ध है। बौद्ध स्मारक और विहार मौजूद यहां कई महत्वपूर्ण बौद्ध स्मारक और विहार मौजूद हैं। गांव में नमज्ञल छोसतेन और रंङकर छोसतेन जैसे प्रमुख स्मारक हैं। रंङकर छोसतेन का निर्माण पेजर खड्ड में आने वाली बाढ़ से बचाव के लिए किया गया था। गांव में गलधन छौ-स्कोर, काङयुर, तांङयुर और दाकचोनपा जैसे बौद्ध विहार भी स्थित हैं। डकमरसंडप ध्यान केंद्र की स्थापना लिप्पा ने बौद्ध धर्म को कई महान विद्वान दिए हैं। इनमें सोनम ज्ञलछन रोपा लामा, जिन्होंने 19वीं शताब्दी में डकमरसंडप ध्यान केंद्र की स्थापना की, और बौद्ध व्याकरण के विद्वान पंडित देवा राम लामा प्रमुख हैं। आज भी, देवा राम के वंशज कल्जड़ नीमा लामा बौद्ध जंत्री प्रकाशित करते हैं। शिक्षाओं से परिचित कराना उद्देश्य कार्यक्रम में लगाए गए पांच रंगों के दरचोक पंचतत्वों का प्रतीक हैं। इन धार्मिक ध्वजों का उद्देश्य नई पीढ़ी को बौद्ध धर्म की शिक्षाओं से परिचित कराना है। गांव के प्रवेश द्वार पर स्थित कंकणी को नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा का प्रतीक माना जाता है। हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में स्थित लिप्पा गांव में बौद्ध परंपरा का विशेष उत्सव मनाया गया। समुद्र तल से 2483 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस गांव में गांव की खुशहाली और शांति के लिए 108 पंचरंगी दरचोक लगाए गए। डॉ. अजीत कुमार नेगी के मार्गदर्शन में आयोजित कार्यक्रम में सभी ग्रामवासियों ने उत्साह से भाग लिया। लिप्पा गांव के जयपाल नेगी ने कहा कि लिप्पा गांव अपनी अनूठी संस्कृति और बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए प्रसिद्ध है। बौद्ध स्मारक और विहार मौजूद यहां कई महत्वपूर्ण बौद्ध स्मारक और विहार मौजूद हैं। गांव में नमज्ञल छोसतेन और रंङकर छोसतेन जैसे प्रमुख स्मारक हैं। रंङकर छोसतेन का निर्माण पेजर खड्ड में आने वाली बाढ़ से बचाव के लिए किया गया था। गांव में गलधन छौ-स्कोर, काङयुर, तांङयुर और दाकचोनपा जैसे बौद्ध विहार भी स्थित हैं। डकमरसंडप ध्यान केंद्र की स्थापना लिप्पा ने बौद्ध धर्म को कई महान विद्वान दिए हैं। इनमें सोनम ज्ञलछन रोपा लामा, जिन्होंने 19वीं शताब्दी में डकमरसंडप ध्यान केंद्र की स्थापना की, और बौद्ध व्याकरण के विद्वान पंडित देवा राम लामा प्रमुख हैं। आज भी, देवा राम के वंशज कल्जड़ नीमा लामा बौद्ध जंत्री प्रकाशित करते हैं। शिक्षाओं से परिचित कराना उद्देश्य कार्यक्रम में लगाए गए पांच रंगों के दरचोक पंचतत्वों का प्रतीक हैं। इन धार्मिक ध्वजों का उद्देश्य नई पीढ़ी को बौद्ध धर्म की शिक्षाओं से परिचित कराना है। गांव के प्रवेश द्वार पर स्थित कंकणी को नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा का प्रतीक माना जाता है।   हिमाचल | दैनिक भास्कर