फतेहाबाद जिले के हंसेवाला गांव निवासी नायब सूबेदार मनजीत सिंह का शव तीन दिन बाद फतेहाबाद की काजल हेड से भाखड़ा नहर में बरामद हो गया है। यहां लगे जाल में आधी रात को शव अटक गया। जिसके बाद शव को बाहर निकल कर पोस्टमार्टम के लिए हिसार के नागरिक अस्पताल ले जाया गया है। फौजी मनजीत सिंह हिसार के उकलाना क्षेत्र के कुंदनपुरा हेड से नहर में डूब गया था। जिसके चलते उकलाना पुलिस इस मामले की आगामी कार्रवाई में जुटी है। बताया जा रहा है कि मनजीत अपने दोस्त को बचाने के प्रयास में नहर में बह गया था। नायब सूबेदार तैनात के पद पर था तैनात बता दें कि हंसेवाला गांव निवासी 26 वर्षीय मनजीत खेल कोटे से कुछ वर्ष पहले सेना में भर्ती हुआ था और अब वह 338 मीडियम बटालियन आरटी जम्मू कश्मीर में बतौर नायब सूबेदार तैनात था। वीरवार सुबह 5 बजे वह छुट्टी लेकर गांव में अपने घर पहुंचा था और दोपहर 1 बजे वह अपने दोस्तों के साथ घूमने के लिए निकल गया था। उसके बाद से वह वापस नहीं लौटा था। परिजन जब उसकी तलाश के लिए इधर उधर जाने लगे तो उन्हें उकलाना के कुंदनपुरा हेड के पास मनजीत की चप्पलें पड़ी मिली। जिसके बाद उन्हें पता चला कि वह नहर में बह गया है। जिसके बाद से लगातार उसकी तलाश की जा रही थी। नहर में जाल लगाकर ढूंढा जा रहा था। परिजनों का रो-रोककर बुरा हाल है। दोस्त को बचाने के चक्कर में डूबा फौजी मनजीत के चचेरे भाई राममेहर गिल ने बताया कि तीनों दोस्तों में एक दोस्त डूब रहा था। जिसे बचाने के लिए मनजीत ने नहर में छलांग लगा दी। मनजीत ने उसे तो बचा लिया, लेकिन खुद नहीं बच पाया और तेज बहाव में बह गया। उसने बताया कि मनजीत बॉक्सर था और काफी मेडल जीतकर लाया था। उसके परिवार में बड़ा भाई खेती करता है। जबकि पिता का देहांत हो गया है। मनजीत की मां सुमन और चाची सुषमा ने बताया कि मनजीत बेहद मिलनसार स्वभाव का था और देश की सेवा का जज्बा मन में होने के चलते ही वह सेना में भर्ती हुआ था। अब वह एक हफ्ते के लिए छुट्टी लेकर घर में रहने आया था, लेकिन इस घटना ने उसे सभी से दूर कर दिया। फतेहाबाद जिले के हंसेवाला गांव निवासी नायब सूबेदार मनजीत सिंह का शव तीन दिन बाद फतेहाबाद की काजल हेड से भाखड़ा नहर में बरामद हो गया है। यहां लगे जाल में आधी रात को शव अटक गया। जिसके बाद शव को बाहर निकल कर पोस्टमार्टम के लिए हिसार के नागरिक अस्पताल ले जाया गया है। फौजी मनजीत सिंह हिसार के उकलाना क्षेत्र के कुंदनपुरा हेड से नहर में डूब गया था। जिसके चलते उकलाना पुलिस इस मामले की आगामी कार्रवाई में जुटी है। बताया जा रहा है कि मनजीत अपने दोस्त को बचाने के प्रयास में नहर में बह गया था। नायब सूबेदार तैनात के पद पर था तैनात बता दें कि हंसेवाला गांव निवासी 26 वर्षीय मनजीत खेल कोटे से कुछ वर्ष पहले सेना में भर्ती हुआ था और अब वह 338 मीडियम बटालियन आरटी जम्मू कश्मीर में बतौर नायब सूबेदार तैनात था। वीरवार सुबह 5 बजे वह छुट्टी लेकर गांव में अपने घर पहुंचा था और दोपहर 1 बजे वह अपने दोस्तों के साथ घूमने के लिए निकल गया था। उसके बाद से वह वापस नहीं लौटा था। परिजन जब उसकी तलाश के लिए इधर उधर जाने लगे तो उन्हें उकलाना के कुंदनपुरा हेड के पास मनजीत की चप्पलें पड़ी मिली। जिसके बाद उन्हें पता चला कि वह नहर में बह गया है। जिसके बाद से लगातार उसकी तलाश की जा रही थी। नहर में जाल लगाकर ढूंढा जा रहा था। परिजनों का रो-रोककर बुरा हाल है। दोस्त को बचाने के चक्कर में डूबा फौजी मनजीत के चचेरे भाई राममेहर गिल ने बताया कि तीनों दोस्तों में एक दोस्त डूब रहा था। जिसे बचाने के लिए मनजीत ने नहर में छलांग लगा दी। मनजीत ने उसे तो बचा लिया, लेकिन खुद नहीं बच पाया और तेज बहाव में बह गया। उसने बताया कि मनजीत बॉक्सर था और काफी मेडल जीतकर लाया था। उसके परिवार में बड़ा भाई खेती करता है। जबकि पिता का देहांत हो गया है। मनजीत की मां सुमन और चाची सुषमा ने बताया कि मनजीत बेहद मिलनसार स्वभाव का था और देश की सेवा का जज्बा मन में होने के चलते ही वह सेना में भर्ती हुआ था। अब वह एक हफ्ते के लिए छुट्टी लेकर घर में रहने आया था, लेकिन इस घटना ने उसे सभी से दूर कर दिया। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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हरियाणा के सिरसा में इंटरनेट बंद:डेरा मुखी के निधन से छिड़ा गद्दी विवाद, कल रस्म पगड़ी, सरकार ने सुरक्षा का हवाला दिया
हरियाणा के सिरसा में इंटरनेट बंद:डेरा मुखी के निधन से छिड़ा गद्दी विवाद, कल रस्म पगड़ी, सरकार ने सुरक्षा का हवाला दिया हरियाणा के सिरसा में इंटरनेट बंद कर दिया गया है। इंटरनेट आज बुधवार शाम 5 बजे से कल गुरुवार की रात 12 बजे तक बंद रहेगा। इस दौरान बल्क SMS भेजने पर भी रोक रहेगी। हालांकि ब्रॉडबैंड और लीजलाइन का इंटरनेट चलता रहेगा। इसके अलावा कॉल भी हो सकेगी। यहां कुछ दिन पहले डेरा जगमालवाली में डेरा प्रमुख महाराज बहादुर चंद वकील का निधन हुआ था। जिसके बाद 2 पक्षों में गद्दी का विवाद छिड़ा हुआ है। सिरसा में ही कल डेरा प्रमुख की रस्म पगड़ी है। गद्दी को लेकर विवाद और न बढ़े, इसे देखते हुए सरकार ने यह कार्रवाई की है। इस बारे में एडिशनल चीफ सेक्रेटरी अनुराग रस्तोगी ने सिरसा के DC को चिट्ठी लिख नेट बंद करने के आदेश दिए हैं। इस आदेश में हवाला दिया गया है कि सिरसा जिले में शांति व्यवस्था कायम रखने व सार्वजनिक व्यवस्था में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी को रोकने के लिए यह कदम उठाया गया है। बता दें कि डेरा जगमालवाली के संत वकील साहब का 1 अगस्त को निधन हो गया था। जिस दिन डेरा प्रमुख को डेरा लाया गया, उसी दिन से ही गद्दी को लेकर विवाद हो गया था और 2 पक्षों में फायरिंग भी हुई। तब से लेकर आज तक गद्दी पर फैसला नहीं हो पाया है। सूफी सिंगर बीरेंद्र सिंह और भतीजे में चल रही गद्दी की लड़ाई
डेरा प्रमुख महाराज बहादुर चंद वकील के निधन के बाद डेरे के मुख्य सेवक सूफी गायक महात्मा बीरेंद्र सिंह गद्दी पर वसीयत के आधार पर अपना दावा ठोक रहे हैं। वहीं, डेरामुखी के भतीजे अमर सिंह वसीयत और उनकी मौत को संदिग्ध मान रहे हैं। ये दोनों पक्ष आमने-सामने हैं। भतीजे का दावा: मौत की जानकारी छिपाई
डेरा मुखी के भतीजे अमर सिंह का दावा है कि डेरा प्रमुख वकील साहब की मौत 21 जुलाई को हो चुकी थी। मौत के बाद डेरे और संगत को गुमराह किया गया कि महाराज की हालत स्थिर है। गद्दी हथियाने के चक्कर में जानबूझकर मौत को छिपाया गया और 1 अगस्त को उनकी मौत दिखाकर तुरंत डेरे में अंतिम संस्कार की योजना बनाई गई। बीरेंद्र सिंह और उसके साथियों ने मिलकर यह सब किया। मुख्य सेवक बोले- डेढ़ साल पहले की वसीयत
वहीं, दूसरे पक्ष में महात्मा बीरेंद्र सिंह से जुड़े शमशेर सिंह लहरी ने कहा कि डेरा प्रमुख ने बिना किसी के दबाव में डेरे की वसीयत डेढ़ साल पहले ही महात्मा बीरेंद्र सिंह सिंह के नाम की थी। वसीयत के अनुसार महात्मा बीरेंद्र ही डेरे के उत्तराधिकारी हैं। मगर पहला पक्ष इनको उत्तराधिकारी मानने को तैयार नहीं है। महात्मा बीरेंद्र सिंह ने कहा- मैं गद्दी पर नहीं बैठूंगा
वहीं, अब तक विवाद में खामोश रहे महात्मा बीरेंद्र सिंह ने प्रेस कान्फ्रेंस कर अपनी बात रखी। महात्मा बीरेंद्र सिंह ने कहा कि जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती या सच्चाई सामने नहीं आती, वह डेरे की गद्दी पर नहीं बैठेंगे। महात्मा ने कहा, ‘महाराज जी का बेटा (चंद सिंह) 3 साल पहले महाराज जी के पास आया और बोला कि मेरे हार्ट की बाइपास सर्जरी होनी है, मुझे 1 लाख रुपए उधार दे दो। मेरी फसल आएगी तो मैं फसल बेचकर आपको दे दूंगा। महाराज जी ने कहा कि यह परमार्थ का पैसा है। यहां से मैं 1 लाख रुपए नहीं दे सकता। तू किसी रिश्तेदार से ले ले। आप देखो, महाराज जी के लड़के के पास गाड़ी नहीं है, वह स्कूटर या बाइक से चलता है। महाराज जी परमार्थ का एक पैसा किसी को नहीं देते थे। मेरे बैंक खातों की जांच की जा सकती है। महाराज जी दिसंबर 2022 से बीमार हुए हैं, तब से अब तक मेरे खातों की जांच करवा ली जाए। डेरा का मैनेजमेंट, ट्रस्ट यही चाहता है कि किसी भी स्तर की कोई जांच करवा ली जाए। मैं संगत से अपील करता हूं कि आप कल के कार्यक्रम में आएं, शांति बनाकर रखें, कोई गद्दी पर नहीं बैठ रहा है। जब तक दूध का दूध पानी का पानी नहीं हो जाता, तब तक न तो मैं कोई सत्संग करूंगा, न ही गद्दी पर बैठूंगा। डेरे का काम मैनेजमेंट देखती रहेगी।’ प्रशासन ने दोनों पक्षों से की शांति की अपील
डेरे जगमालवाली में टकराव को देखते हुए प्रशासन ने दोनों पक्षों से बातचीत की है। पुलिस ने महात्मा बीरेंद्र सिंह और भतीजे अमर सिंह के अलावा जगमालवाली ग्राम पंचायत से भी बातचीत की है। प्रशासन ने कहा है कि किसी भी कीमत पर शांति भंग नहीं होने दी जाएगी। अगर किसी पक्ष का नाम हिंसा में आया तो सख्त कार्रवाई की जाएगी। सिरसा डेरे की गद्दी का विवाद क्या, पॉइंट्स में समझिए 1. डेरा मुखी का निधन, 2 पक्ष आमने-सामने
सिरसा में डेरा जगमालवाली के प्रमुख महाराज बहादुर चंद वकील साहब की एक अगस्त को मौत हो गई थी। इसके बाद गद्दी को लेकर डेरे में 2 पक्ष आमने-सामने हो गए थे। यहां गोलियां भी चलीं। तनावपूर्ण माहौल के चलते डेरे में पुलिस फोर्स तैनात की गई। परिवार के लोगों ने 2 अगस्त (शुक्रवार) को मस्ताना शाह बलोचिस्तानी आश्रम जगमालवाली में डेरा प्रमुख को समाधि दी गई। इस दौरान परिवार के लोग और डेरे से जुड़े लोग मौजूद रहे। 2. महात्मा ने खुद को डेरामुखी घोषित किया
इसके बाद सूफी गायक और महात्मा बीरेंद्र सिंह ने खुद को डेरा जगमालवाली का नया प्रमुख घोषित किया। सूफी गायकी में बीरेंद्र सिंह के साथी और डेरे के अनुयायी शमशेर लहरी ने दावा किया कि महाराज जी ने चोला छोड़ने से डेढ़ साल पहले ही अपनी वसीयत महात्मा बीरेंद्र सिंह के नाम बिना किसी दबाव में लिख दी थी। इसमें बीरेंद्र सिंह को संगत की सेवा करने का हुकुम दिया गया था। वसीयत लिखे जाने के बाद उसे महाराजजी की मौजूदगी में वकील की ओर से बाकायदा पढ़ा गया था और उसकी पूरी वीडियोग्राफी करवाई गई थी। जल्द ही महात्मा बीरेंद्र सिंह संगत के बीच आएंगे। महाराज बहादुर चंद वकील साहब जी ने जो हुकुम दिया, सबको उनकी पालना करनी है। 3. भतीजे ने महात्मा को डेरामुखी मानने से इनकार किया
महाराज बहादुर चंद वकील साहब के भतीजे अमर सिंह और कुछ लोगों ने बीरेंद्र सिंह को नया डेरा प्रमुख मानने से इनकार कर दिया है। अमर सिंह ने कहा कि बीरेंद्र सिंह, बलकौर सिंह, शमशेर लहरी और नंदलाल ग्रोवर ही 1 अगस्त को डेरे की गद्दी हथियाने के चक्कर में महाराज जी का जल्दबाजी में संस्कार करना चाहते थे। महाराज जी की मौत संदिग्ध है और इसकी CBI जांच होनी चाहिए। अमर सिंह ने दावा किया है कि उनके पास सारे मेडिकल सबूत हैं, जिनसे साबित होता है कि महाराज जी की मौत 11 दिन पहले यानि 21 जुलाई को ही हो गई थी। हम हाईकोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं। 60 साल पहले बना था बलूचिस्तानी आश्रम
सिरसा के जगमालवाली स्थित मस्ताना शाह बलूचिस्तानी आश्रम की शुरुआत 1964-65 में हुई। यहां बाबा सज्जन सिंह रूहल ने संत गुरबख्श सिंह मैनेजर साहिब को अपनी कई एकड़ जमीन दान में देकर डेरा बनाने का अनुरोध किया। इसके बाद संत गुरबख्श सिंह मैनेजर साहिब ने यहां मस्ताना शाह बलूचिस्तानी आश्रम की स्थापना की। पहले यह छोटा सा आश्रम था लेकिन उसके बाद तकरीबन 100-100 फीट का सचखंड बनाया गया। इसकी खासियत यह है कि इसमें कोई स्तंभ नहीं बना हुआ। सरकार की ओर से जारी इंटरनेट बंद करने के आदेश…
झज्जर में मजदूर की हत्या:मामले में राजस्थान निवासी एक आरोपी काबू, कोर्ट में पेश कर भेजा जेल
झज्जर में मजदूर की हत्या:मामले में राजस्थान निवासी एक आरोपी काबू, कोर्ट में पेश कर भेजा जेल हरियाणा के झज्जर जिले में पुलिस की टीम ने उत्तर प्रदेश निवासी एक व्यक्ति की हत्या करने के मामले में राजस्थान निवासी एक व्यक्ति को गिरफ्तार करने में कामयाबी हासिल की। 3 महीने पहले ही आया था थाना प्रबंधक बेरी निरीक्षक अमित कुमार ने बताया कि रामेश्वर निवासी रामनगर उत्तर प्रदेश ने शिकायत देते हुए बताया कि मृतक रविंद्र मेरा भाई है, जो मेहनत मजदूरी करने के लिए करीब 3 महीने पहले गांव दुबल्धन झज्जर आया हुआ था। जिससे मेरी फोन पर बातचीत होती रहती थी, कल मुझे सूचना मिली कि मेरे भाई रविंद्र की गांव दुबल्धन में हत्या कर दी गई है। लोगों से पूछताछ पर खुलासा सूचना पर मैं अपने गांव के व्यक्तियों के साथ गांव दुबल्धन पहुंचा, जहां पर मैंने व मेरे साथ आए हुए लोगों ने अपने तौर पर पूछताछ की, तो पता चला कि मेरे भाई रविंद्र की 22 फरवरी 2022 को दौलत राम व अन्य व्यक्तियों ने हत्या कर दी है। जिस शिकायत पर कार्रवाई करते हुए आरोपियों के खिलाफ थाना बेरी में आपराधिक मामला दर्ज किया गया। न्यायिक हिरासत में भेजा आरोपी थाना बेरी में तैनात उप निरीक्षक आजाद की पुलिस टीम द्वारा एक आरोपी को गिरफ्तार किया गया। पकड़े गए आरोपी की पहचान दौलत राम निवासी ककराना राजस्थान के तौर पर की गई। पकड़े गए आरोपी के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उसे अदालत झज्जर में पेश किया गया। अदालत के आदेश अनुसार आरोपी को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
बेटे की हार पर फूटा पूर्व कांग्रेस मंत्री का गुस्सा:अजय बोले-हमने अपने दम पर प्रचारक बुलाए, मैं फैक्ट फाइंडिंग कमेटी को सब बताऊंगा
बेटे की हार पर फूटा पूर्व कांग्रेस मंत्री का गुस्सा:अजय बोले-हमने अपने दम पर प्रचारक बुलाए, मैं फैक्ट फाइंडिंग कमेटी को सब बताऊंगा हरियाणा विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद कांग्रेस में घमासान मच गया है। कांग्रेस OBC सेल के राष्ट्रीय चेयरमैन और पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अजय यादव लगातार पार्टी नेताओं पर सवाल उठा रहे हैं। उन्होंने कहा- फैक्ट फाइंडिंग कमेटी को आने दीजिए। हम जरूर बताएंगे कि चुनाव में क्या-क्या हुआ। कैप्टन ने विधानसभा चुनाव में मिली हार के कई अलग-अलग कारण गिनाएं। इनमें EVM, फिरोजपुर-झिरका सीट से चुनाव जीते नूंह हिंसा के आरोपी मामन खान के अलावा सीनियर नेताओं द्वारा खुद को दरकिनार करने जैसे कारण गिनाएं। दरअसल, कैप्टन अजय यादव के बेटे और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के दामाद चिरंजीव राव रेवाड़ी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे थे। उन्हें बीजेपी प्रत्याशी लक्ष्मण सिंह यादव ने 28 हजार से ज्यादा वोटों से हरा दिया। बेटे की हार के बाद कैप्टन अजय यादव का गुस्सा लगातार सीनियर नेताओं पर फूट रहा है। कैप्टन में कहीं 5 बड़ी बातें 1. कैंपेन कमेटी ने हमसे संपर्क नहीं किया
कैप्टन अजय यादव ने कहा कि हम लोगों से पूरे चुनाव में कैंपेन कमेटी के किसी भी सदस्य ने संपर्क नहीं किया। किस तरीके से रणनीति बनाना है, किस तरह से लोगों के बीच पहुंचना है। हमें कुछ नहीं बताया गया। हमने तो अपने दम पर अपने हिसाब से प्रचार करने के लिए लोगों को अपने क्षेत्र में बुलाया। 2. सीएम कौन, इसमें व्यस्त रहे नेता
हमारे नेता सीएम कौन, सीएम कौन में व्यस्त थे। पीसीसी प्रेसिडेंट खुद चुनाव लड़ रहे थे। प्रभारी बीमार हो गए थे। प्रभारी अगर बीमार थे तो उनको अपनी जगह सीनियर्स को कह कर किसी और को प्रभारी बनवाना चाहिए था। ताकि वह चुनावों के ठीक पहले तमाम जरूरत को पूरा कर पाते। हमारी बात सुनने के लिए कोई फ्रंट फुट पर उपलब्ध नहीं था। 3. मुख्यमंत्री का फैसला विधायक दल की बैठक में होता है
जब चुनाव होते हैं तो सबसे बड़ा लक्ष्य जीतने का होता है। उस वक्त मुख्यमंत्री बनने की बातें मीडिया में आती हैं तो वह पार्टी के लिए कोई अच्छे संकेत नही हैं। पहले बहुमत तो आने दीजिए। उसके बाद ही आप क्लेम करें। कौन मुख्यमंत्री होगा। इसका फैसला विधायक दल की बैठक में होता है। इसके बाद हाईकमान जिसे चाहे उसका नाम मुख्यमंत्री के लिए मनोनीत कर सकता है 4. मामन खान के बयान का असर पड़ा
मामन खान ने जो बयान दिया वो दुर्भाग्यपूर्ण था। उन्हें जनता से इस बात को लेकर माफी मांगनी चाहिए। उनकी जीत में कोई शंका नहीं थी, लेकिन उनके बयान का असर बाकी जगह पड़ा। ये बात मैं पहले भी कह सकता था, लेकिन चुनाव के बीच इस तरह की बात कहना मैंने ठीक नहीं समझा। 5. संगठन में बदलाव की जरूरत
संगठन में आज बदलाव की जरूरत है। आज तक हमारे जिला अध्यक्ष नहीं बन पाए ना ही ब्लॉक अध्यक्ष बन पाए। ये आत्मचिंतन की बात है। इस चुनाव में हमारी सबसे बड़ी कमजोरी हमारा संगठन नहीं होना ही था। कैप्टन खुद और बेटे चिरंजीव रह चुके विधायक
बता दें कि रेवाड़ी विधानसभा सीट से कैप्टन अजय यादव लगातार 6 बार चुनाव जीते। कैप्टन ने 1991 में हुए उप चुनाव में पहली बार जीत दर्ज की थी। इसके बाद वह इस सीट पर 2014 तक विधायक रहे। हालांकि 2014 के चुनाव में हार के बाद कैप्टन अजय यादव ने 2019 में अपने बेटे चिरंजीव राव को चुनाव लड़ाया। उस चुनाव में चिरंजीव राव ने जीत दर्ज की थी। लेकिन इस बार चिरंजीव राव चुनाव हार गए।