हरियाणा के गुरुग्राम में सोहना चुंगी के पास स्थित ओवरहोम सोसाइटी में बीटेक के एक छात्र ने चौथी मंजिल से कूदकर जान दे दी। उसको पास के निजी अस्पताल ले जाया गया, जहां से डॉक्टरों ने जांच के बाद उसे मृत घोषित कर दिया। छात्र का नाम दिपांशु (19) है और वह नजदीक की मंगलम यूनिवर्सिटी में बीटेक कर रहा था। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल भेज दिया है। आत्महत्या के कारण का अभी खुलासा नहीं हुआ है। छात्र दिपांशु के पिता भास्कर बल्लभ ने बताया कि उसका 19 वर्षीय बेटा सोहना के समीप केआर मंगलम यूनिवर्सिटी में बीटेक सेकेंड ईयर में पढ़ रहा था। वे चुंगी-1 के समीप ओवर होम सोसाइटी के ई टावर में किराए पर रहता था। बीती रात को उसकी बेटे से बात हुई थी। छात्र शराब का आदी था। सुबह के समय उसने सोसाइटी के टावर की चौथी मंजिल से छलांग लगा दी। छात्र के जमीन पर गिरने की आवाज सुनकर आसपास के लोग बाहर आ गए। लोगों ने दिपांशु काे पास के अस्पताल में भर्ती कराया। वहां पर डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची और छानबीन शुरू की। छात्र के परिजनों को भी इसकी सूचना दी गई। साथ ही पुलिस ने फोरेंसिक टीम को मौके पर बुलाया। पुलिस के एसआई नरेश ने बताया कि सोसाइटी के टावर में लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली रही है। घटना के बाद से परिजन सदमे में हैं। पुलिस उनसे भी छात्र के बारे में अन्य जानकारी ले रही है। फिलहाल पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम करा शव को परिजनों को सौंप दिया है। हरियाणा के गुरुग्राम में सोहना चुंगी के पास स्थित ओवरहोम सोसाइटी में बीटेक के एक छात्र ने चौथी मंजिल से कूदकर जान दे दी। उसको पास के निजी अस्पताल ले जाया गया, जहां से डॉक्टरों ने जांच के बाद उसे मृत घोषित कर दिया। छात्र का नाम दिपांशु (19) है और वह नजदीक की मंगलम यूनिवर्सिटी में बीटेक कर रहा था। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल भेज दिया है। आत्महत्या के कारण का अभी खुलासा नहीं हुआ है। छात्र दिपांशु के पिता भास्कर बल्लभ ने बताया कि उसका 19 वर्षीय बेटा सोहना के समीप केआर मंगलम यूनिवर्सिटी में बीटेक सेकेंड ईयर में पढ़ रहा था। वे चुंगी-1 के समीप ओवर होम सोसाइटी के ई टावर में किराए पर रहता था। बीती रात को उसकी बेटे से बात हुई थी। छात्र शराब का आदी था। सुबह के समय उसने सोसाइटी के टावर की चौथी मंजिल से छलांग लगा दी। छात्र के जमीन पर गिरने की आवाज सुनकर आसपास के लोग बाहर आ गए। लोगों ने दिपांशु काे पास के अस्पताल में भर्ती कराया। वहां पर डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची और छानबीन शुरू की। छात्र के परिजनों को भी इसकी सूचना दी गई। साथ ही पुलिस ने फोरेंसिक टीम को मौके पर बुलाया। पुलिस के एसआई नरेश ने बताया कि सोसाइटी के टावर में लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली रही है। घटना के बाद से परिजन सदमे में हैं। पुलिस उनसे भी छात्र के बारे में अन्य जानकारी ले रही है। फिलहाल पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम करा शव को परिजनों को सौंप दिया है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
Related Posts
हरियाणा में दिनदहाड़े गनपॉइंट पर लूट:PNB की मित्र शाखा में घुसे नकाबपोश बदमाश; फायरिंग कर कैश लूट भागे
हरियाणा में दिनदहाड़े गनपॉइंट पर लूट:PNB की मित्र शाखा में घुसे नकाबपोश बदमाश; फायरिंग कर कैश लूट भागे हरियाणा के पानीपत शहर में आज दिनदहाड़े लूट की गई। यहां शहर के धूप सिंह नगर में पंजाब नेशनल बैंक (PNB) की मित्र शाखा में सुबह साढ़े 10 बजे 4 बदमाश घुसे। उन्होंने नकाब पहने हुए थे।बदमाशों ने गनपॉइंट पर लूट की वारदात को अंजाम दिया। बताया जा रहा है कि बदमाश 4 लाख रुपए लूट कर ले गए हैं। शुरूआती जानकारी के मुताबिक, बदमाशों ने पहले ही पूरी रेकी कर रखी थी। जैसे ही मित्र शाखा खुली तो वह अंदर घुस गए। उन्होंने अंदर आकर कर्मचारियों को गनपॉइंट पर ले लिया। इस दौरान कर्मचारियों ने बदमाशों को रोकने की कोशिश की तो बदमाशों ने जमीन पर एक फायर कर दिया। इसके बाद कर्मचारी डर कर किनारे हो गए। वारदात को अंजाम देने के बाद बदमाश वहां से फरार हो गए। बताया जा रहा है कि बाहर आकर उन्होंने गनपॉइंट पर 2 बाइक भी लूटीं और उन्हीं पर बैठकर भाग निकले। वारदात का पता चलते ही पुलिस मौके पर पहुंच गई है। शहर को सील कर आसपास के CCTV खंगाले जा रहे हैं। हम इस खबर को अपडेट कर रहे हैं….
सैलजा के गांव से लेकर बूथ में कांग्रेस हारी:उकलाना के गांव प्रभुवाला में कांग्रेस पिछड़ी, हलके से 28092 मतों से जीती
सैलजा के गांव से लेकर बूथ में कांग्रेस हारी:उकलाना के गांव प्रभुवाला में कांग्रेस पिछड़ी, हलके से 28092 मतों से जीती हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस नेताओं के बीच गुटबाजी देखने को मिली। यह गुटबाजी अंत तक चलती रही। इसका खामियासा कांग्रेस को भुगतना भी पड़ा। कांग्रेस नेता राहुल गांधी, कुमारी सैलजा और भूपेंद्र हुड्डा के बीच दूरियां कम करवाते नजर आए, मगर वोटिंग वाले दिनों तक गुटबाजी दिखी। जिस कारण कांग्रेस को सत्ता सुख से दूर रहना पड़ा। टिकट आवंटन के कारण कांग्रेस विशेषकर भूपेंद्र सिंह हुड्डा से नाराज हुई सैलजा का असर उनके पैतृक गांव से लेकर उनके बूथ तक दिखने को मिला। जहां कांग्रेस का सफाया हो गया। कुमारी सैलजा के उकलाना हलके के गांव प्रभुवाला में भाजपा कैंडिडेट अनूप धानक को 1889 वोट मिले, जबकि कांग्रेस के नरेश सेलवाल को 906 वोट मिले। भाजपा को कांग्रेस प्रत्याशी से 983 वोट अधिक मिले। सैलजा के गांव में कांग्रेस बुरी तरह हारी। सैलजा के गांव में कांग्रेस 2009 से लगातार जीत रही है। सैलजा के बूथ से भी हारी कांग्रेस
सैलजा ने हिसार के अर्बन एस्टेट में अपना निवास बनाया हुआ है। वह अर्बन एस्टेट टू के NYPS स्कूल के बूथ नंबर 111 पर मतदान करती हैं। इस बूथ पर कुमारी सैलजा कांग्रेस प्रत्याशी रामनिवास राड़ा के साथ मतदान करने पहुंची थी, मगर सैलजा के इस बूथ पर कांग्रेस बुरी तरह हारी। यहां तक कि हिसार में तीसरे स्थान पर रहे भाजपा उम्मीदवार डॉ. कमल गुप्ता को कांग्रेस उम्मीदवार से ज्यादा वोट मिले हैं। इस बूथ पर निर्दलीय प्रत्याशी सावित्री जिंदल की जीत हुई। इस बूथ पर 615 मतदताओं ने वोट दिए। इसमें से कांग्रेस प्रत्याशी को 58 वोट मिले, जबकि भाजपा के कमल गुप्ता को 64 और सावित्री जिंदल को सबसे ज्यादा 348 वोट मिले। उकलाना में कांग्रेस 28092 मतों से जीती
जहां एक ओर कांग्रेस सांसद कुमारी सैलजा के गांव में कांग्रेस बुरी तरह हारी, वहीं उकलाना सीट से कांग्रेस प्रत्याशी नरेश सेलवाल ने 28092 मतों से जीत हासिल की। सेलवाल ने भाजपा प्रत्याशी अनूप धानक का तीसरी बार विधायक बनने का सपना तोड़ दिया। दूसरी बार विधायक बने नरेश सेलवाल ने 78448 वोट हासिल किए, जबकि अनूप धानक को 50536 वोट मिले। सैलजा के समर्थकों की कटी थी टिकट
दरअसल, कुमारी सैलजा उकलाना, नारनौंद, बरवाला और हांसी में अपने समर्थकों के लिए टिकट मांग रही थी और लगातार लॉबिंग कर रही थी। मगर कांग्रेस ने उनके करीबियों व समर्थकों की टिकट काट दी थी, जिससे सैलजा ने चुनाव प्रचार से दूरी बना ली थी। इसका असर वोटिंग पर देखने को मिला। कांग्रेस नारनौंद और उकलाना छोड़कर बाकि जगहों से हार गई। नारनौंद में जीत के लिए कांग्रेस को पूरा जोर लगाना पड़ा, जबकि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने बड़े मार्जिन से नारनौंद और उकलाना से बढ़त हासिल की थी।
हरियाणा से 3 मंत्री बनाने के पीछे विधानसभा चुनाव:जीटी रोड बेल्ट समेत 2 इलाके साधे, 50 विस सीटों पर नजर; नॉन जाट पॉलिटिक्स पर अडिग
हरियाणा से 3 मंत्री बनाने के पीछे विधानसभा चुनाव:जीटी रोड बेल्ट समेत 2 इलाके साधे, 50 विस सीटों पर नजर; नॉन जाट पॉलिटिक्स पर अडिग भाजपा ने मोदी 3.0 सरकार में हरियाणा के 5 लोकसभा सांसदों में से 3 को मंत्री बनाकर सबको चौंका दिया। लोकसभा चुनाव में BJP राज्य की 10 में से 5 सीटें हार गई और 5 ही जीत पाई। इसके बावजूद केंद्रीय कैबिनेट में करनाल के सांसद मनोहर लाल खट्टर, गुरुग्राम के राव इंद्रजीत सिंह और फरीदाबाद के सांसद कृष्णपाल गुर्जर को जगह दी गई। ऐसे में सब जानना चाहते हैं कि आखिर BJP और नरेंद्र मोदी की क्या राजनीति है, जो हरियाणा में पार्टी की सीटें घटने के बावजूद पिछली टर्म के मुकाबले मंत्रियों की संख्या 2 से बढ़ाकर 3 कर दी गई। इसकी सबसे बड़ी वजह 5 महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव हैं। 3 सांसदों को केंद्रीय कैबिनेट में शामिल कर भाजपा ने हरियाणा के पंजाबी, अहीर व गुर्जर समुदाय के साथ-साथ जीटी रोड और अहीरवाल बेल्ट को साधते हुए 90 सीटों वाली विधानसभा में 46 के बहुमत वाले आंकड़े के जुगाड़ की कोशिश की है। पहले जानिए, हरियाणा से 3 मंत्री क्यों बनाए? 1. विधानसभा चुनाव की मजबूरी
भाजपा लोकसभा चुनाव में हरियाणा की 10 में से 5 सीटें ही जीत पाई। 2019 में पार्टी ने क्लीन स्वीप किया था। अब 5 महीने बाद, राज्य विधानसभा के चुनाव होने हैं। लोकसभा चुनाव के नतीजों को विधानसभा चुनाव से पहले का ट्रेलर माना जा रहा है और इससे भाजपा डरी हुई है। लोकसभा चुनाव नतीजों का अगर विधानसभा सीटवाइज एनालिसिस करें तो राज्य की 90 सीटों में से 46 पर कांग्रेस और 44 पर BJP आगे रही। ऐसे में भाजपा नेतृत्व विधानसभा चुनाव को लेकर कोई रिस्क नहीं लेना चाहता। 2. क्षेत्रीय संतुलन साधा, नॉन जाट राजनीति बरकरार
मोदी 3.0 में BJP ने हरियाणा को लेकर क्षेत्रीय संतुलन बनाने की कोशिश की है। खट्टर के जरिए जीटी रोड बेल्ट और राव इंद्रजीत के जरिए दक्षिण हरियाणा को साधने का प्रयास किया गया है। 2014 और 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को इन्हीं दोनों बेल्ट से राज्य में सबसे ज्यादा सीटें मिली। इसके साथ ही BJP ने एक तरह से ये भी क्लियर कर दिया कि वह हरियाणा में अपनी नॉन-जाट की राजनीति के सहारे ही आगे बढ़ेगी। जाट बिरादरी से आने वाले BJP सांसद चौधरी धर्मबीर भी इस बार मंत्रिपद के दावेदार थे लेकिन लगातार तीसरी बार जीतने के बावजूद उन्हें मिनिस्टर नहीं बनाया गया। हरियाणा में गैरजाट की राजनीति की शुरुआत भाजपा ने 2014 में ही पंजाबी समुदाय के मनोहर लाल खट्टर को सीएम बनाकर कर दी थी। 2019 में भी खट्टर ही सीएम बने। 3. ओवर कॉन्फिडेंस से तौबा हरियाणा में BJP साढ़े 9 साल से सत्ता में है। लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी ओवर-कॉन्फिडेंस का शिकार थी और सभी 10 लोकसभा सीटें जीत लेने का दम भर रही थी। मगर, चुनाव नतीजे आए तो रोहतक और सिरसा सीट बड़े अंतर से हार गई। गुरुग्राम में राव इंद्रजीत और कुरुक्षेत्र में नवीन जिंदल आखिर तक करीबी मुकाबले में फंसे नजर आए। पांच सीटें पार्टी के हाथ से निकल गईं। जब रिजल्ट की समीक्षा की गई तो पता चला कि पार्टी ने अपने गढ़ रहे जीटी रोड बेल्ट और अहीरवाल जैसे इलाकों को कुछ समय में तरजीह देना बंद कर दिया था। यही कारण है कि भाजपा अब राज्य में लगातार तीसरी बार सरकार बनाने के लिए अपने गढ़ को सुरक्षित कर लेने की कोशिश करती दिख रही है। 4. मोदी मैजिक दिखाने की तैयारी
लोकसभा चुनाव में भाजपा इस बार अपने बूते बहुमत के लिए जरूरी 272 सीटें नहीं जीत पाई और 240 पर सिमट गई। ऐसे में न केवल केंद्र में JDU और TDP से गठबंधन मजबूरी बन गया बल्कि नरेंद्र मोदी की साख भी दांव पर लग गई। मोदी ने पूरे चुनाव प्रचार के दौरान अपने नाम पर वोट मांगे थे। अगर भाजपा 5 महीने बाद होने वाले हरियाणा विधानसभा चुनाव में जीत जाती है तो फिर से माहौल बन सकेगा कि भले ही भाजपा को लोकसभा में बहुमत नहीं मिला लेकिन हिंदी बेल्ट में मोदी मैजिक बरकरार है। इससे गठबंधन में मोदी और पार्टी की पोजिशन मजबूत होगी। NDA में शामिल बाकी दलों के बीच यह संदेश पहुंच जाएगा कि अगर BJP का साथ छोड़ा तो आगे की राह मुश्किल हो सकती है। जानिए, कैसे 3 मंत्री बनाकर BJP हरियाणा विधानसभा में बहुमत का जुगाड़ करने की कोशिश करती नजर आई… 1. मनोहर लाल खट्टर के जरिये जीटी रोड बेल्ट की 30 सीटों पर आंख मनोहर लाल खट्टर पंजाबी समुदाय से आते हैं। उनकी करनाल लोकसभा सीट हरियाणा की जीटी रोड बेल्ट में आती है। इस बेल्ट में अंबाला, करनाल, पानीपत, कुरुक्षेत्र, यमुनानगर, पंचकूला और कैथल जिलों की तकरीबन 30 विधानसभा सीटें आती हैं। यहां पंजाबी वोटरों के अलावा जनरल कैटेगरी का वोट-बैंक है जो अमूमन BJP के साथ रहता है। खट्टर को केंद्रीय मंत्री बनाने की यही बड़ी वजह है। अगर यह दांव कामयाब रहा तो पार्टी जीटी रोड बेल्ट में बढ़त मिलने की उम्मीद लगा सकती है। इसके अलावा रोहतक, रेवाड़ी, फरीदाबाद और गुरुग्राम के पंजाबी वोटरों में भी अच्छा संदेश जा सकता है। 2. राव इंद्रजीत से अहीरवाल बेल्ट की 11 सीटों पर पकड़ बनाए रखने की कोशिश राव इंद्रजीत दक्षिण हरियाणा के बड़े नेता हैं। दक्षिण हरियाणा के अंदर आने वाली अहीरवाल बेल्ट में 14 विधानसभा सीटें हैं। इनमें 3 मुस्लिम बाहुल्य नूंह जिले की सीटें हैं, जहां कांग्रेस का दबदबा है। इन्हें छोड़ भी दें तो 2014 में भाजपा ने अहीरवाल बेल्ट की बची हुई सभी 11 सीटें जीतकर राज्य में पूर्ण बहुमत से सरकार बनाई थी। 2019 में भाजपा को अहीरवाल बेल्ट की 11 में से 8 सीटें मिली और तब 40 विधायक होने के कारण जजपा के 10 विधायकों की मदद से सरकार बनानी पड़ी। इस लोकसभा चुनाव में गुरुग्राम सीट पर कांग्रेस की ओर से पंजाबी समुदाय से ताल्लुक रखने वाले राजबब्बर को उतारने के बाद यहां राव इंद्रजीत को जीतने में पसीने छूट गए। ऐसे में भाजपा ने लगातार दूसरी बार राव इंद्रजीत को मंत्री बनाकर अहीरवाल बेल्ट को अपने साथ जोड़े रखने की कोशिश की है। 3. कृष्णपाल गुर्जर के जरिए हरियाणा के अलावा यूपी-राजस्थान पर भी फोकस
फरीदाबाद के सांसद कृष्णपाल गुर्जर की गिनती अपने समुदाय के बड़े नेताओं में होती है। फरीदाबाद जिले की 4 विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जहां गुर्जर समुदाय का वोट डिसाइडिंग फैक्टर है। इसके अलावा सोहना, रेवाड़ी, नांगल चौधरी और गुरुग्राम विधानसभा सीट पर भी गुर्जर वोटबैंक का अच्छा-खासा असर है। यही नहीं, फरीदाबाद से सटे वेस्ट यूपी के गाजियाबाद व नोएडा और राजस्थान से सटे इलाके भी गुर्जर बाहुल्य हैं। ऐसे में BJP ने कृष्णपाल गुर्जर को ड्रॉप करने का रिस्क न लेते हुए लगातार तीसरी बार उन्हें मंत्री बनाया है। अंत में.. 2019 के मुकाबले इस बार क्या अंतर
2019 की मोदी सरकार में BJP ने हरियाणा से 2 मंत्री बनाए थे। इनमें गुरुग्राम के सांसद राव इंद्रजीत और फरीदाबाद के सांसद कृष्णपाल गुर्जर शामिल थे। इस बार इन दोनों के अलावा पहली बार सांसद बने मनोहर लाल खट्टर को भी केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह दी गई है। खास बात यह है कि BJP ने 2019 में हरियाणा की सभी 10 सीटें और 2014 में 10 में से 7 लोकसभा सीटें जीती थीं। इस बार सीटें घटने के बावजूद मंत्रियों की संख्या बढ़ गई है। मनोहर लाल खट्टर को PM नरेंद्र मोदी से करीबी का फायदा भी मिला। ये खबरें भी पढ़ें… शूटर रहे राव तीसरी बार मोदी कैबिनेट में:मोदी के PM फेस बनने के 10 दिन बाद छोड़ी कांग्रेस, पिता से मिलने चप्पल में पहुंची थीं इंदिरा मोदी को बाइक पर घुमाने वाले खट्टर बने मंत्री:दिल्ली का दुकानदार पहले CM और अब केंद्रीय मंत्री बना, गरीबी के कारण नहीं बन पाए डॉक्टर हरियाणा के कृष्णपाल लगातार तीसरी बार मंत्री बने:सियासत की शुरुआत कॉलेज से, मोदी का करीबी होने पर मिला 2014 में टिकट; बेटा भी पॉलिटिक्स में हिमाचल के नड्डा दूसरी बार बने केंद्रीय मंत्री:अनुराग के पिता से मतभेद के बाद छोड़ा हिमाचल, मोदी घर आते-जाते रहे, शाह के करीबी