हरियाणा के करनाल के रांवर गांव की एक महिला ने अपने पति प्रेमपाल के अपहरण का आरोप लगाया है। महिला ने बताया कि 14 जून को उसके पति को बंदूक की नोक पर ड्यूटी से अगवा कर लिया गया। मामला रांवर गांव के नरेंद्र हत्याकांड से जुड़ा है और मामला कोर्ट में विचाराधीन है। इस मामले में प्रेमपाल गवाह है। आरोप है कि इस मामले के आरोपी उस पर केस वापस लेने का दबाव बना रहे थे। महिला पूरे मामले पर कार्रवाई की मांग को लेकर एसपी करनाल के दफ्तर में शिकायत लेकर पहुंची। पुलिस कप्तान को दी शिकायत रविवार को SP को गुहार लगाने पहुंची प्रेमपाल की पत्नी ने बताया कि उसका पति प्रेम 14 जून को काम पर गया हुआ था। मेरा पति नहर पर सिक्योरिटी गार्ड का काम करता है। शाम को मेरी बेटी नहर पर खाना लेकर गई थी, लेकिन मेरा पति मेरी बेटी को वहां पर नहीं मिला। वहीं पर कुछ बच्चे मौजूद थे, जिन्होंने मेरी बेटी को बताया कि उसके पापा को पिस्तौल की नोंक पर एक गाड़ी में लेकर गए है, अब वह पुलिस वाले थे या कोई ओर इसका पता नहीं। जिसके बाद मेरी बेटी घर पर पहुंची और उसने पूरी बात बताई। जिसके बाद पूरे परिवार की चिंता बढ़ गई और तलाश भी शुरू कर दी। महिला ने बताया कि उसका पति प्रेमपाल नरेंद्र के मर्डर केस का गवाह है। यह मामला कोर्ट में चल रहा है और आरोपी बार बार राजीनामा करने का दबाव बना रहे है। नरेंद्र हत्याकांड से जुड़ा मामला यह मामला रांवर गांव के नरेंद्र की हत्या से जुड़ा हुआ है। जिसमें प्रेमपाल गवाह है। 20 अप्रैल 2021 को शुभम और उसके साथियों ने नरेंद्र, उसके भाई प्रेम और पिता सिंधुराम पर लाठी-डंडों और ईंटों से हमला किया था, जिससे वे गंभीर रूप से घायल हो गए थे। नरेंद्र की 22 मई को अस्पताल में मौत हो गई थी। पुलिस ने इस मामले में कुल नौ आरोपियों को गिरफ्तार किया था। हमले के पीछे की वजह एक पुरानी रंजिश बताई जा रही थी, जिसमें मृतक के परिवार की लड़की के साथ छेड़छाड़ हुई थी। बीती 22 मई को भी हुआ था झगड़ा महिलाओं ने बताया कि बीती 22 मई को बच्चों का आपस में झगड़ा हुआ था और एक प्राइवेट अस्पताल के प्रबंधक ने फर्जी मेडिकल तैयार कर दिया। जिसमें दूसरे पक्ष के घायलों की चोटे ज्यादा दिखाई गई थी। जिसके बाद पुलिस ने हमारे बच्चों के ऊपर ज्यादा धाराएं लगा दी। इस घटना के बाद से ही हमारे बच्चे भी गायब है, उनका पता नहीं वे कहां है? और 14 जून की रात काे प्रेम पाल को भी उठा लिया गया है। हमने CIA और मधुबन थाना में भी गए थे लेकिन वहां पर प्रेमपाल नहीं मिला। प्रेमपाल के साथ कुछ गलत नहीं हो जाए। पुलिस भी हमारी कोई मदद नहीं कर रही। हम बार-बार चक्कर काट रहे है। कुछ छह बच्चे लापता है, जो नाबालिग है। महिलाओं का आरोप है कि आरोपी पार्टी के बड़े अफसरों के साथ लिंक है, जिस वजह से हमारे उपर प्रेशर बनाया जा रहा है। न्याय की लगाई गुहार महिला का कहना है कि उसके पति पर बार-बार केस वापस लेने का दबाव बनाया जा रहा था। अब जब प्रेमपाल को गायब कर दिया गया है, तो उन्हें डर है कि उसके पति के साथ कुछ बुरा न हो जाए। उन्होंने करनाल पुलिस कप्तान दीपक सहारन से न्याय की मांग की है। हरियाणा के करनाल के रांवर गांव की एक महिला ने अपने पति प्रेमपाल के अपहरण का आरोप लगाया है। महिला ने बताया कि 14 जून को उसके पति को बंदूक की नोक पर ड्यूटी से अगवा कर लिया गया। मामला रांवर गांव के नरेंद्र हत्याकांड से जुड़ा है और मामला कोर्ट में विचाराधीन है। इस मामले में प्रेमपाल गवाह है। आरोप है कि इस मामले के आरोपी उस पर केस वापस लेने का दबाव बना रहे थे। महिला पूरे मामले पर कार्रवाई की मांग को लेकर एसपी करनाल के दफ्तर में शिकायत लेकर पहुंची। पुलिस कप्तान को दी शिकायत रविवार को SP को गुहार लगाने पहुंची प्रेमपाल की पत्नी ने बताया कि उसका पति प्रेम 14 जून को काम पर गया हुआ था। मेरा पति नहर पर सिक्योरिटी गार्ड का काम करता है। शाम को मेरी बेटी नहर पर खाना लेकर गई थी, लेकिन मेरा पति मेरी बेटी को वहां पर नहीं मिला। वहीं पर कुछ बच्चे मौजूद थे, जिन्होंने मेरी बेटी को बताया कि उसके पापा को पिस्तौल की नोंक पर एक गाड़ी में लेकर गए है, अब वह पुलिस वाले थे या कोई ओर इसका पता नहीं। जिसके बाद मेरी बेटी घर पर पहुंची और उसने पूरी बात बताई। जिसके बाद पूरे परिवार की चिंता बढ़ गई और तलाश भी शुरू कर दी। महिला ने बताया कि उसका पति प्रेमपाल नरेंद्र के मर्डर केस का गवाह है। यह मामला कोर्ट में चल रहा है और आरोपी बार बार राजीनामा करने का दबाव बना रहे है। नरेंद्र हत्याकांड से जुड़ा मामला यह मामला रांवर गांव के नरेंद्र की हत्या से जुड़ा हुआ है। जिसमें प्रेमपाल गवाह है। 20 अप्रैल 2021 को शुभम और उसके साथियों ने नरेंद्र, उसके भाई प्रेम और पिता सिंधुराम पर लाठी-डंडों और ईंटों से हमला किया था, जिससे वे गंभीर रूप से घायल हो गए थे। नरेंद्र की 22 मई को अस्पताल में मौत हो गई थी। पुलिस ने इस मामले में कुल नौ आरोपियों को गिरफ्तार किया था। हमले के पीछे की वजह एक पुरानी रंजिश बताई जा रही थी, जिसमें मृतक के परिवार की लड़की के साथ छेड़छाड़ हुई थी। बीती 22 मई को भी हुआ था झगड़ा महिलाओं ने बताया कि बीती 22 मई को बच्चों का आपस में झगड़ा हुआ था और एक प्राइवेट अस्पताल के प्रबंधक ने फर्जी मेडिकल तैयार कर दिया। जिसमें दूसरे पक्ष के घायलों की चोटे ज्यादा दिखाई गई थी। जिसके बाद पुलिस ने हमारे बच्चों के ऊपर ज्यादा धाराएं लगा दी। इस घटना के बाद से ही हमारे बच्चे भी गायब है, उनका पता नहीं वे कहां है? और 14 जून की रात काे प्रेम पाल को भी उठा लिया गया है। हमने CIA और मधुबन थाना में भी गए थे लेकिन वहां पर प्रेमपाल नहीं मिला। प्रेमपाल के साथ कुछ गलत नहीं हो जाए। पुलिस भी हमारी कोई मदद नहीं कर रही। हम बार-बार चक्कर काट रहे है। कुछ छह बच्चे लापता है, जो नाबालिग है। महिलाओं का आरोप है कि आरोपी पार्टी के बड़े अफसरों के साथ लिंक है, जिस वजह से हमारे उपर प्रेशर बनाया जा रहा है। न्याय की लगाई गुहार महिला का कहना है कि उसके पति पर बार-बार केस वापस लेने का दबाव बनाया जा रहा था। अब जब प्रेमपाल को गायब कर दिया गया है, तो उन्हें डर है कि उसके पति के साथ कुछ बुरा न हो जाए। उन्होंने करनाल पुलिस कप्तान दीपक सहारन से न्याय की मांग की है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
Related Posts
करनाल जिले में सुबह 8 बजे शुरू होगी मतगणना:हरविंद्र कल्याण, सुमिता सिंह और शमशेर सिंह गोगी बड़े चेहरे; पहला रुझान 9 बजे आएगा
करनाल जिले में सुबह 8 बजे शुरू होगी मतगणना:हरविंद्र कल्याण, सुमिता सिंह और शमशेर सिंह गोगी बड़े चेहरे; पहला रुझान 9 बजे आएगा करनाल जिले की पांचों विधानसभा सीटों पर आज सुबह 8 बजे से मतगणना होगी। इसके लिए करनाल विधानसभा के लिए डीएवी सीनियर सेकेंडरी स्कूल का मुख्य हॉल, घरौंडा विधानसभा के लिए डीएवी पीजी कॉलेज करनाल, इंद्री विधानसभा के लिए एसडी सीनियर सेकेंडरी स्कूल करनाल, नीलोखेड़ी विधानसभा के लिए एसडी मॉडल स्कूल करनाल का लाइब्रेरी हॉल और असंध विधानसभा के लिए एसडी मॉडल स्कूल करनाल के ऑडिटोरियम को मतगणना केंद्र बनाया गया है। सबसे पहले पोस्टल बैलेट की गिनती होगी। पहला रुझान सुबह 9 बजे तक आ जाएगा। जिले की पांच सीटों के लिए 5 अक्टूबर को मतदान हुआ था। जिसमें जिले में कुल 65.67% मतदान हुआ था। विधानसभा सीटवाइज देखा जाए तो सबसे ज्यादा 71.91 फीसदी मतदान घरौंडा सीट पर हुआ था जबकि सबसे कम 56.37 फीसदी मतदान करनाल सीट पर हुआ था।
हरियाणा में हार पर कांग्रेस में घमासान:कैप्टन बोले- राज बब्बर की जगह मैं लड़ता तो राव इंद्रजीत को 1 लाख वोटों से हराता
हरियाणा में हार पर कांग्रेस में घमासान:कैप्टन बोले- राज बब्बर की जगह मैं लड़ता तो राव इंद्रजीत को 1 लाख वोटों से हराता हरियाणा की गुरुग्राम लोकसभा सीट से कांग्रेस की हार के बाद पूर्व मंत्री व कांग्रेस OBC मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष कैप्टन अजय यादव ने पार्टी पर हमला बोला है। यहां से उम्मीदवार रहे राज बब्बर को बीच में लेते हुए कैप्टन ने कहा है कि अगर उन्हें टिकट दी जाती तो भाजपा उम्मीदवार राव इंद्रजीत सिंह को कम से कम एक लाख वोटों से हराते। कैप्टन ने बुधवार को कहा है कि भाजपा उम्मीदवार का गुरुग्राम सीट के ग्रामीण क्षेत्रों में अच्छा प्रभाव था। वहीं, उन्होंने वोट मांगे प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर। इससे वह मजबूत थे। दूसरी ओर कांग्रेस उम्मीदवार को टाइम ही नहीं मिला प्रचार के लिए। उन्हें करीब 6 महीने पहले यहां लाना चाहिए था। फिर भी वह बहुत बढ़िया चुनाव लड़े। जातीय समीकरण उनके साथ नहीं था
कैप्टन ने कहा कि राज बब्बर और स्थानीय कार्यकर्ता बादशाहपुर और गुरुग्राम में ठीक से मैनेजमेंट नहीं कर पाए। इसलिए, उन्हें हार का सामना करना पड़ा। अजय यादव कहते हैं कि समय कम होने के कारण ऐसा हुआ है। जातीय समीकरण भी उनके साथ नहीं थे। कैप्टन ने कहा, ‘भिवानी-महेंद्रगढ़ से राव दान सिंह भी अच्छा चुनाव लड़े हैं, लेकिन अगर किरण चौधरी को वहां से टिकट दिया होता और मुझे यहां (गुरुग्राम) से टिकट दिया होता तो आसानी से जीत सकते थे। वहीं, करनाल में जो उम्मीदवार (दिव्यांशु बुद्धिराजा) था, वह तो मुकाबला ही नहीं कर पाया।’ मैं होता तो यादवों के वोट भी मुझे मिलते
बाकी अगर मुझे टिकट मिलता तो मुझे पता था कि कहां जाना है, क्या करना है। यहां के जातीय समीकरण को मैं जानता हूं। इसमें राज बब्बर की कोई गलती नहीं है। यह चूक तो उन्हें टिकट दिलाने वालों की है। फिर भी मैं राज बब्बर को राव इंद्रजीत सिंह को बधाई देता हूं। दोनों ही अच्छा चुनाव लड़े। उन्होंने बताया कि गुरुग्राम लोकसभा सीट से पंजाबियों से जितने वोट प्रतिशत की उम्मीद थी, उतना नहीं मिल पाया है। उन्होंने कहा कि अगर मैं होता तो तकरीबन 40 से 45 प्रतिशत वोट यादवों के भी मिलते। मोदी की एंटी इनकंबेंसी में जीत जरूर मिलती
कैप्टन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि इंडी गठबंधन ने बहुत बढ़िया चुनाव लड़ा। मोदी कहते थे मैं अकेला सब पर भारी। उन्होंने मंगलसूत्र पर टिप्पणी की, मुसलमानों पर टिप्पणी की, राम मंदिर पर बुलडोजर चढ़ाने का जिक्र किया, मुजरा शब्द का इस्तेमाल किया। इन सभी बयानों का खामियाजा भाजपा को भुगतना पड़ा है। कैप्टन ने कहा कि जिस तरह से मोदी की एंटी इनकंबेंसी दिख रही थी, ऐसे में अगर वह होते तो जरूर जीत दर्ज करते।
पानीपत में कांग्रेस से दोनों विधायकों को टिकट:समालखा से धर्मसिंह छौक्कर, इसराना से बलबीर को मौका; दोनों भूपेंद्र हुड्डा के करीबी
पानीपत में कांग्रेस से दोनों विधायकों को टिकट:समालखा से धर्मसिंह छौक्कर, इसराना से बलबीर को मौका; दोनों भूपेंद्र हुड्डा के करीबी कांग्रेस ने हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए 31 प्रत्याशियों की पहली लिस्ट जारी की है। इस लिस्ट में 27 मौजूदा विधायकों को फिर से टिकट दिया गया है। इन्हीं विधायकों में पानीपत जिले की 2 विधानसभाओं पर कांग्रेस ने अपने दोनों मौजूदा विधायकों को फिर मौका दिया है। जिनमें समालखा से धर्म सिंह छौक्कर और इसराना से बलबीर वाल्मीकि शामिल है। अब समालखा में बीजेपी के मनमोहन भड़ाना से धर्म सिंह छौक्कर का मुकाबला है। वहीं, इसराना सीट पर पिछली बार की तरह इस बार भी बीजेपी के कृष्ण लाल पंवार के सामने बलबीर सिंह वाल्मीकि होंगे। जानिए, कौन हैं धर्म सिंह छौक्कर? भाई के निधन के बाद संभाली राजनीति धर्म सिंह छौक्कर पुलिस की नौकरी छोड़ राजनीति में आए। दरअसल, धर्म सिंह छौक्कर के दो और भाई थे। जिसमें से एक इंदर सिंह छौक्कर साल 2000 में पुलिस नौकरी छोड़ पहले इनेलो के कार्यकर्ता बने। फिर उन्होंने समालखा विधानसभा से राजनीति की शुरुआत की। इनेलो ने टिकट नहीं मिला तो वे निर्दलीय ही चुनाव लड़े। इस दौरान वे पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल के संपर्क में आए और हजकां में शामिल हो गए। इंदर सिंह का निधन होने के बाद उनके भाई धर्म सिंह छौक्कर भाई की राजनीतिक विरासत संभाली। 2008 में राजनीति में आए साल 2007 में इंदर सिंह छौक्कर की मौत के बाद साल 2008 में धर्म सिंह छौक्कर राजनीति में आए। पहली बार हजकां के टिकट पर कांग्रेस के उम्मीदवार संजय छौक्कर को हराकर विधायक बने। इसके बाद वे कांग्रेस में शामिल हो गए। 2014 में धर्म सिंह छौक्कर ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन हार का सामना करना पड़ा। हारने के बाद भी 5 साल तक वे अपनी विधानसभा में एक्टिव रहे और 2019 में उन्होंने बीजेपी के शशिकांत कौशिक को हराया और दूसरी बार विधायक बने। जानिए, कौन है बलबीर सिंह इसराना हलके के मौजूदा विधायक बलबीर सिंह वाल्मीकि ने अपना सियासी सफर सरपंच पद से ही शुरू किया था। हालांकि उन्होंने राजनीति के गुर अपनी मां के सरपंच पद पर रहते हुए ही सीखने शुरू कर दिए थे। उन्होंने कल्पना भी नहीं की थी कि मजदूरी करने वाला कोई व्यक्ति एक दिन गांव की सामान्य गलियों से निकल कर हरियाणा विधानसभा के दरवाजे तक पहुंचेगा। गांव गवालड़ा निवासी बलबीर सिंह वाल्मीकि ने उनके सियासी सफर की शुरुआत 2005 में सरपंच पद से शुरू की थी। लेकिन सन 1995 में एससी श्रेणी के सरपंच पद पर उसकी मां के सरपंच रहते हुए ही उन्हें सामाजिक व राजनीतिक ताने-बाने के बारे में बहुत कुछ सीखने को मिला। 2000 में लड़ा था सरपंच पद का चुनाव बलबीर सिंह वाल्मीकि 2000 में सामान्य वर्ग की सीट पर सरपंच पद के लिए चुनाव लड़ा, लेकिन मात्र 32 वोटों से वह चुनाव हार गए। साल 2005 में सरपंच पद सामान्य होते हुए भी 238 वोटों से विजय हासिल कर गांव के सरपंच बने। यहीं से उनका सियासी सफर परवान चढ़ता गया। इसके बाद वह खंड इसराना सरपंच एसोसिएशन के प्रधान बन गए। जबकि खंड की 32 ग्राम पंचायतों में वह अकेले ही वाल्मीकि सरपंच थे। इसी दौरान प्रदेश के कुछ वरिष्ठ राजनीतिज्ञों से उसकी मुलाकात अथवा संपर्क होता रहा। जिसके चलते उनके राजनीतिक रसूख बनते चले गए। 2009 में कांग्रेस से मिला टिकट पहली बार 2009 में उन्हें कांग्रेस से टिकट मिला, लेकिन वह चुनाव हार गए। इसके बाद भी उन्होंने राजनीतिक पकड़ कमजोर नहीं होने दी। 5 साल बाद सन 2014 में दोबारा कांग्रेस से टिकट मिल गया। लेकिन इस बार भी उन्हें हार का मुंह ही देखना पड़ा। लगातार 2 बार विधानसभा का चुनाव हारने के बाद भी उनका राजनीतिक हौसला कम नहीं हुआ। आखिर 2019 में तीसरी बार कांग्रेस के टिकट पर वह चुनाव जीतकर विधानसभा तक पहुंचने में सफल हो गए।