हरियाणा के 4 बार मुख्यमंत्री रहे चौधरी बंसीलाल की पुत्रवधु किरण चौधरी कांग्रेस छोड़कर भाजपा जॉइन करने की पूरी कहानी ढ़ाई महीने पहले ही लिखी जा चुकी थी। भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट से टिकट कटने के बाद ही पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर से किरण की मीटिंग हो चुकी थी। इस मीटिंग की हरियाणा CMO के एक अधिकारी ने मध्यस्थता की थी। हालांकि लोकसभा चुनाव के कारण यह महत्वपूर्ण जॉइनिंग डिले होती गई। जब किरण की तरफ से इस्तीफा हाईकमान को भेजा गया, इसके बाद दिल्ली में केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने जेपी नड्डा से टाइम लेकर फाइनल मुहर लगा दी। किरण चौधरी के भाजपा में आने की 2 बड़ी वजहें बताई जा रही हैं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि किरण चौधरी और बीजेपी की डील के पीछे की दो बड़ी वजह रहीं। पहली वजह राज्यसभा सीट बताई जा रही है। रोहतक से दीपेंद्र सिंह हुड्डा के सांसद बनने से खाली हुई राज्यसभा सीट से बीजेपी किरण चौधरी को प्रत्याशी बनाएगी। इसके साथ ही विधानसभा चुनाव में बीजेपी श्रुति चौधरी को तोशाम से विधानसभा का टिकट देगी। किरण चौधरी को शामिल करने से भाजपा को 3 फायदे 1. बंसीलाल का विरासत का लाभ
हरियाणा की राजनीति का दिग्गज नाम चौधरी बंसीलाल का हरियाणा की कई सीटों पर अच्छा प्रभाव है। बंसीलाल हरियाणा के ऐसे शासक रहे हैं, जिसके कोर वोटर आज भी उनके उत्तराधिकारियों के साथ जुड़े हुए हैं। चाहे लोकसभा चुनाव हो या विधानसभा चुनाव, ये कोर वोटर बिना किसी दल के बंसीलाल के परिवार को ही वोट करते हैं। सियासी जानकारों का कहना है कि लोकसभा चुनाव की हार के बाद अब विधानसभा चुनाव में बीजेपी बंसीलाल के राजनीतिक प्रभाव का लाभ लेगी। 2. अपने गढ़ को और मजबूत करना
लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद भाजपा को चिंता हुई है। भाजपा न केवल 10 में से 5 सीटें हार गई बल्कि 90 विधानसभा सीटों में से सिर्फ 44 ही जीत सकी। कांग्रेस-आप को 46 सीटों पर जीत मिली। ऐसे में हरियाणा में बीजेपी अपने गढ़ों को और मजबूत करने की कवायद में जुट गई है। जहां से किरण चौधरी आती हैं, वहां पहले से ही भाजपा का अच्छा प्रभाव है, इसके बाद भी अब रणनीति के तहत बीजेपी इन गढ़ों को और मजबूत करने में जुट गई है। किरण चौधरी की जॉइनिंग भी इसी रणनीति का ही हिस्सा है। 3. आठ विधानसभा सीटों पर फोकस
हरियाणा के लाल चौधरी बंसीलाल का अभी 8 विधानसभा में अच्छा प्रभाव है। इनमें तोशाम, लोहारू, चरखी दादरी, भिवानी, बाडढा के साथ महेंद्रगढ़ जिले में नारनौल, नांगल चौधरी, अटेली शामिल हैं। इन सीटों पर किरण चौधरी और श्रुति चौधरी चुनाव और चुनाव के बाद भी काफी एक्टिव रहती हैं। इसका कारण है कि यह चौधरी बंसीलाल के समर्थक हैं, जो आज भी इसी परिवार से जुड़े हुए हैं। किरण चौधरी के कांग्रेस छोड़ने की 2 वजहें 1. श्रुति को मजबूत बेस देना
भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट से सांसद रह चुकी श्रुति चौधरी किरण चौधरी की बेटी हैं। इस बार टिकट कट जाने से उन्हें यह लगने लगा कि पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा का गुट उनके राजनीतिक करियर को खत्म करना चाहते हैं। ऐसे हालातों को देखते हुए किरण चौधरी ने बीजेपी में जाने का फैसला किया। 2. बंसीलाल के कोर वोट को बचाने की चुनौती
किरण चौधरी की कांग्रेस में जाने की दूसरी बड़ी वजह यह रही कि कांग्रेस में रहते हुए बंसीलाल के कोर वोटर को रोकना बड़ी चुनौती हो रही थी। इसको बचाने के लिए उन्होंने यह बड़ा फैसला लेते हुए बीजेपी जॉइनिंग की है। पति सुरेंद्र सिंह के निधन के बाद उनकी पत्नी किरण चौधरी और बेटी श्रुति चौधरी ने परिवार की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाया। किरण चौधरी वर्तमान में बंसीलाल के गढ़ तोशाम विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं। हरियाणा के 4 बार मुख्यमंत्री रहे चौधरी बंसीलाल की पुत्रवधु किरण चौधरी कांग्रेस छोड़कर भाजपा जॉइन करने की पूरी कहानी ढ़ाई महीने पहले ही लिखी जा चुकी थी। भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट से टिकट कटने के बाद ही पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर से किरण की मीटिंग हो चुकी थी। इस मीटिंग की हरियाणा CMO के एक अधिकारी ने मध्यस्थता की थी। हालांकि लोकसभा चुनाव के कारण यह महत्वपूर्ण जॉइनिंग डिले होती गई। जब किरण की तरफ से इस्तीफा हाईकमान को भेजा गया, इसके बाद दिल्ली में केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने जेपी नड्डा से टाइम लेकर फाइनल मुहर लगा दी। किरण चौधरी के भाजपा में आने की 2 बड़ी वजहें बताई जा रही हैं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि किरण चौधरी और बीजेपी की डील के पीछे की दो बड़ी वजह रहीं। पहली वजह राज्यसभा सीट बताई जा रही है। रोहतक से दीपेंद्र सिंह हुड्डा के सांसद बनने से खाली हुई राज्यसभा सीट से बीजेपी किरण चौधरी को प्रत्याशी बनाएगी। इसके साथ ही विधानसभा चुनाव में बीजेपी श्रुति चौधरी को तोशाम से विधानसभा का टिकट देगी। किरण चौधरी को शामिल करने से भाजपा को 3 फायदे 1. बंसीलाल का विरासत का लाभ
हरियाणा की राजनीति का दिग्गज नाम चौधरी बंसीलाल का हरियाणा की कई सीटों पर अच्छा प्रभाव है। बंसीलाल हरियाणा के ऐसे शासक रहे हैं, जिसके कोर वोटर आज भी उनके उत्तराधिकारियों के साथ जुड़े हुए हैं। चाहे लोकसभा चुनाव हो या विधानसभा चुनाव, ये कोर वोटर बिना किसी दल के बंसीलाल के परिवार को ही वोट करते हैं। सियासी जानकारों का कहना है कि लोकसभा चुनाव की हार के बाद अब विधानसभा चुनाव में बीजेपी बंसीलाल के राजनीतिक प्रभाव का लाभ लेगी। 2. अपने गढ़ को और मजबूत करना
लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद भाजपा को चिंता हुई है। भाजपा न केवल 10 में से 5 सीटें हार गई बल्कि 90 विधानसभा सीटों में से सिर्फ 44 ही जीत सकी। कांग्रेस-आप को 46 सीटों पर जीत मिली। ऐसे में हरियाणा में बीजेपी अपने गढ़ों को और मजबूत करने की कवायद में जुट गई है। जहां से किरण चौधरी आती हैं, वहां पहले से ही भाजपा का अच्छा प्रभाव है, इसके बाद भी अब रणनीति के तहत बीजेपी इन गढ़ों को और मजबूत करने में जुट गई है। किरण चौधरी की जॉइनिंग भी इसी रणनीति का ही हिस्सा है। 3. आठ विधानसभा सीटों पर फोकस
हरियाणा के लाल चौधरी बंसीलाल का अभी 8 विधानसभा में अच्छा प्रभाव है। इनमें तोशाम, लोहारू, चरखी दादरी, भिवानी, बाडढा के साथ महेंद्रगढ़ जिले में नारनौल, नांगल चौधरी, अटेली शामिल हैं। इन सीटों पर किरण चौधरी और श्रुति चौधरी चुनाव और चुनाव के बाद भी काफी एक्टिव रहती हैं। इसका कारण है कि यह चौधरी बंसीलाल के समर्थक हैं, जो आज भी इसी परिवार से जुड़े हुए हैं। किरण चौधरी के कांग्रेस छोड़ने की 2 वजहें 1. श्रुति को मजबूत बेस देना
भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट से सांसद रह चुकी श्रुति चौधरी किरण चौधरी की बेटी हैं। इस बार टिकट कट जाने से उन्हें यह लगने लगा कि पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा का गुट उनके राजनीतिक करियर को खत्म करना चाहते हैं। ऐसे हालातों को देखते हुए किरण चौधरी ने बीजेपी में जाने का फैसला किया। 2. बंसीलाल के कोर वोट को बचाने की चुनौती
किरण चौधरी की कांग्रेस में जाने की दूसरी बड़ी वजह यह रही कि कांग्रेस में रहते हुए बंसीलाल के कोर वोटर को रोकना बड़ी चुनौती हो रही थी। इसको बचाने के लिए उन्होंने यह बड़ा फैसला लेते हुए बीजेपी जॉइनिंग की है। पति सुरेंद्र सिंह के निधन के बाद उनकी पत्नी किरण चौधरी और बेटी श्रुति चौधरी ने परिवार की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाया। किरण चौधरी वर्तमान में बंसीलाल के गढ़ तोशाम विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं। हरियाणा | दैनिक भास्कर