हरियाणा में खाली हुई एक राज्यसभा सीट के लिए विपक्षी पार्टियों के नेता आमने-सामने हो गए हैं। कांग्रेस नेता एंव पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने राज्सभा चुनाव से अपने हाथ पीछे खींच लिए हैं। उन्होंने कम विधायक होने का हवाला दिया है। वहीं हुड्डा के इस बयान पर इनेलो के प्रधान महासचिव एवं ऐलानाबाद से विधायक अभय सिंह चौटाला ने पलटवार किया है। अभय सिंह चौटाला ने कहा कि हुड्डा जब भाजपा के खिलाफ अविश्चास प्रस्ताव जब ला सकता है तो राज्यसभा में चुनाव क्यों नहीं लड़ सकता। अभय चौटाला ने कहा कि कांग्रेस को राज्यसभा में उम्मीदवार खड़ा करना चाहिए और सारे विपक्ष के लोगों के साथ कांग्रेस को बात करनी चाहिए। अभय चौटाला ने कि हुड्डा नहीं चाहता कांग्रेस का प्रत्याशी जीते वह तो सीधे भाजपा की मदद करने में लगा हुआ है। हरियाणा में भाजपा के खिलाफत वाले वोट लेने की होड़ हरियाणा में सत्ता विरोधी लहर के वोट पाने की जहां कांग्रेस हर संभव कोशिश कर रही है। वहीं विपक्षी दल इनेलो कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा को भाजपा का मोहरा बताने में लगे हैं ताकि सत्ता विरोधी लहर का फायदा उनको भी मिल सके। हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में सत्ता विरोधी लहर इनेलो और जजपा में बटने के बजाय कांग्रेस को गया। इससे कांग्रेस को लोकसभा में 5 सीटें मिली। वहीं विधानसभा वाईज 42 सीटों पर बढ़त मिली। ऐसे में विपक्षी दल हुड्डा की पोल खोलने में लगे हैं। हुड्डा के चुनाव से पीछे हटने से बैठे बठाए इनेलो के हाथ मुद्दा लग गया है। हरियाणा में राज्यसभा की 5 सीटें हरियाणा में राज्यसभा की कुल 5 सीटें हैं। इन सीटों में 3 भाजपा के पास है, जबकि एक सीट पर निर्दलीय कार्तिकेय शर्मा काबिज है। भाजपा ने सुभाष बराला, रामचंद्र जांगड़ा और कृष्ण लाल पंवार को राज्यसभा भेजा है। वहीं कांग्रेस से दीपेंद्र हुड्डा राज्यसभा सांसद थे। उनके लोकसभा चुनाव जीतने के बाद यह सीट खाली हो गई है। ऐसे में भाजपा राज्यसभा सीट पाना चाहती हैं। वहीं भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने नंबर गेम का हवाला देकर अपने पांव पीछे खींच लिए हैं। ऐसे में भाजपा की राज्यसभा चुनाव की राह आसान हो गई है। हरियाणा विधानसभा में सीटों का गणित वहीं हरियाणा विधानसभा में 90 सीटें हैं। 3 फिलहाल खाली हैं। 87 में से बहुमत का आंकड़ा 44 है। भाजपा के पास इस वक्त 43 विधायक हैं। वहीं विपक्ष के पास पहले 44 विधायक थे लेकिन किरण चौधरी के भाजपा में आने से उनके पास भी अब 43 विधायक ही बचे हैं। क्या बोले अभय सिंह चौटाला इनेलो के विधायक अभय सिंह चौटाला ने कहा कि भय की राजनीति से प्रभावित भूपेंद्र हुड्डा विपक्ष को कमजोर करने एवं भाजपा को ऐसा विपक्ष देने के लिए संघर्षरत हैं जो भाजपा के इशारे पर काम कर रहे हैं। विधानसभा में चुप्पी से लेकर लोकसभा चुनावों में कमजोर प्रत्याशियों को उतारना और अब राज्यसभा सीट बाबत ऐसा फैसला भाजपा समर्पित है। प्रदेश की जनता सब जानती है की किस तरह भूपेंद्र हुड्डा ने अपने बेटे को राज्यसभा भेजा एवं उसी राज्यसभा सीट की जगह रोहतक लोकसभा के सौदे को रूपरेखा देने का काम किया जा रहा है। हरियाणा में खाली हुई एक राज्यसभा सीट के लिए विपक्षी पार्टियों के नेता आमने-सामने हो गए हैं। कांग्रेस नेता एंव पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने राज्सभा चुनाव से अपने हाथ पीछे खींच लिए हैं। उन्होंने कम विधायक होने का हवाला दिया है। वहीं हुड्डा के इस बयान पर इनेलो के प्रधान महासचिव एवं ऐलानाबाद से विधायक अभय सिंह चौटाला ने पलटवार किया है। अभय सिंह चौटाला ने कहा कि हुड्डा जब भाजपा के खिलाफ अविश्चास प्रस्ताव जब ला सकता है तो राज्यसभा में चुनाव क्यों नहीं लड़ सकता। अभय चौटाला ने कहा कि कांग्रेस को राज्यसभा में उम्मीदवार खड़ा करना चाहिए और सारे विपक्ष के लोगों के साथ कांग्रेस को बात करनी चाहिए। अभय चौटाला ने कि हुड्डा नहीं चाहता कांग्रेस का प्रत्याशी जीते वह तो सीधे भाजपा की मदद करने में लगा हुआ है। हरियाणा में भाजपा के खिलाफत वाले वोट लेने की होड़ हरियाणा में सत्ता विरोधी लहर के वोट पाने की जहां कांग्रेस हर संभव कोशिश कर रही है। वहीं विपक्षी दल इनेलो कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा को भाजपा का मोहरा बताने में लगे हैं ताकि सत्ता विरोधी लहर का फायदा उनको भी मिल सके। हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में सत्ता विरोधी लहर इनेलो और जजपा में बटने के बजाय कांग्रेस को गया। इससे कांग्रेस को लोकसभा में 5 सीटें मिली। वहीं विधानसभा वाईज 42 सीटों पर बढ़त मिली। ऐसे में विपक्षी दल हुड्डा की पोल खोलने में लगे हैं। हुड्डा के चुनाव से पीछे हटने से बैठे बठाए इनेलो के हाथ मुद्दा लग गया है। हरियाणा में राज्यसभा की 5 सीटें हरियाणा में राज्यसभा की कुल 5 सीटें हैं। इन सीटों में 3 भाजपा के पास है, जबकि एक सीट पर निर्दलीय कार्तिकेय शर्मा काबिज है। भाजपा ने सुभाष बराला, रामचंद्र जांगड़ा और कृष्ण लाल पंवार को राज्यसभा भेजा है। वहीं कांग्रेस से दीपेंद्र हुड्डा राज्यसभा सांसद थे। उनके लोकसभा चुनाव जीतने के बाद यह सीट खाली हो गई है। ऐसे में भाजपा राज्यसभा सीट पाना चाहती हैं। वहीं भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने नंबर गेम का हवाला देकर अपने पांव पीछे खींच लिए हैं। ऐसे में भाजपा की राज्यसभा चुनाव की राह आसान हो गई है। हरियाणा विधानसभा में सीटों का गणित वहीं हरियाणा विधानसभा में 90 सीटें हैं। 3 फिलहाल खाली हैं। 87 में से बहुमत का आंकड़ा 44 है। भाजपा के पास इस वक्त 43 विधायक हैं। वहीं विपक्ष के पास पहले 44 विधायक थे लेकिन किरण चौधरी के भाजपा में आने से उनके पास भी अब 43 विधायक ही बचे हैं। क्या बोले अभय सिंह चौटाला इनेलो के विधायक अभय सिंह चौटाला ने कहा कि भय की राजनीति से प्रभावित भूपेंद्र हुड्डा विपक्ष को कमजोर करने एवं भाजपा को ऐसा विपक्ष देने के लिए संघर्षरत हैं जो भाजपा के इशारे पर काम कर रहे हैं। विधानसभा में चुप्पी से लेकर लोकसभा चुनावों में कमजोर प्रत्याशियों को उतारना और अब राज्यसभा सीट बाबत ऐसा फैसला भाजपा समर्पित है। प्रदेश की जनता सब जानती है की किस तरह भूपेंद्र हुड्डा ने अपने बेटे को राज्यसभा भेजा एवं उसी राज्यसभा सीट की जगह रोहतक लोकसभा के सौदे को रूपरेखा देने का काम किया जा रहा है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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चरखी दादरी के बेटे ने रचा इतिहास:पेरिस पैरालंपिक में जीता गोल्ड, खेल से संवरी जिंदगी, देश को किया गौरवान्वित हरियाणा के नितेश कुमार जो चरखी दादरी के नांदा गांव से ताल्लुक रखते हैं। जिन्होंने आज पैरा बैडमिंटन पेरिस पैरालंपिक के पुरुष एकल एसएल 3 वर्ग में स्वर्ण पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया है। फाइनल मुकाबले में उन्होंने ग्रेट ब्रिटेन के डेनियल बेथेल को 21-14, 18-21, 23-21 के स्कोर से मात दी। इस जीत ने नितेश की कठिनाइयों और संघर्षों से भरी यात्रा को एक शानदार अंत दिया है। सीएम सैनी ने दी बधाई नितेश कुमार की इस उपलब्धि पर हरियाणा के सीएम नायब सिंह सैनी ने उन्हें बधाई दी है। सीएम सैनी ने सोशल साइट एक्स पर लिखा, “हरियाणा के बाढ़डा के नांधा गांव के लाल नितेश कुमार ने मेंस सिंगल्स SL3 – बैडमिंटन में स्वर्ण पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया है। इस स्वर्णिम उपलब्धि के लिए आपको हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं। आप भविष्य में भी ऐसे ही सफलता के नए आयाम छूते रहें। हम सभी को आप पर गर्व है।” हादसे ने छीना पैर, लेकिन नहीं तोड़ी हिम्मत 2009 में जब नितेश केवल 15 साल के थे, विशाखापत्तनम में एक ट्रेन हादसे ने उनकी जिंदगी को हिला कर रख दिया था। इस हादसे में नितेश ने अपना एक पैर खो दिया, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। यह वही समय था जब उन्होंने अपने सपनों को नया आकार देने का फैसला किया। महीनों तक बिस्तर पर रहने के बाद नितेश ने खेल को अपने जीवन का नया मकसद बना लिया और बैडमिंटन को अपनी शक्ति का स्रोत बनाया। IIT मंडी से इंजीनियरिंग, खेल में पाया नया मुकाम नितेश ने अपनी पढ़ाई आईआईटी मंडी से बीटेक में की है, लेकिन उनकी असली पहचान बैडमिंटन में मिली। पढ़ाई के दौरान बैडमिंटन के प्रति उनकी रुचि बढ़ी और उन्होंने इसे ही अपने करियर का हिस्सा बना लिया।वर्तमान में, नितेश करनाल के कर्ण स्टेडियम में कोच के रूप में सेवा दे रहे हैं, जहां वह युवा खिलाड़ियों को प्रशिक्षण दे रहे हैं। नितेश परिजनों का मानना है कि खेल ने ही उसे जीवन में नई दिशा दी। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी दिखाया दम नितेश की खेल उपलब्धियों की सूची लंबी है। उन्होंने 2018 में एशियन गेम्स में कांस्य पदक जीता, 2019 में वर्ल्ड चैंपियनशिप में रजत पदक हासिल किया, और 2022 और 2024 की वर्ल्ड चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीते। पेरिस पैरालंपिक में स्वर्ण पदक उनकी अब तक की सबसे बड़ी उपलब्धि है, जिसने उन्हें एक नए मुकाम पर पहुंचा दिया है। पिता से मिली प्रेरणा, कोच ने दिखाई राह नितेश के पिता, जो पहले नौसेना में थे और अब राजस्थान में एक निजी कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत हैं, हमेशा से नितेश के प्रेरणा स्रोत रहे हैं। नितेश का सपना था कि वह भी अपने पिता की तरह वर्दी पहनें, लेकिन हादसे के बाद उन्होंने खेल को अपने जीवन का हिस्सा बना लिया। उनके कोच और परिवार ने उन्हें हमेशा आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। गांव में जश्न का माहौल नितेश की इस ऐतिहासिक जीत के बाद उनके गांव नांदा में जश्न का माहौल है। गांव के लोग उनके परिवार के साथ मिलकर उनकी इस बड़ी उपलब्धि का जश्न मना रहे हैं। नितेश की यह जीत न केवल उनके परिवार के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का विषय है।
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