कानपुर में बड़े भाई ने छोटे भाई की पत्नी की गला दबाकर हत्या कर दी। इसके बाद फांसी लगाकर सुसाइड कर लिया। बहू की हत्या से पहले बड़े भाई ने पूरी 8 पन्नों की स्क्रिप्ट लिख रखी थी। इसमें उसने तीन साल का दर्द साझा किया। साथ ही बताया कि कैसे उसने हत्या करने की ठाना। जेठ ने 6 महीने पहले ही बहू की हत्या की साजिश रची थी। इतना ही नहीं नींद की दवा, सुसाइड के लिए रस्सी समेत पूरा इंतजाम किया था, लेकिन भाई का ऑटो खराब होने के चलते रोज की तरह काम पर नहीं गया तो मर्डर प्लान को टाल दिया। आखिर 8 पन्ने के सुसाइड नोट में बहू के हत्या आरोपी जेठ ने क्या लिखा…? यह जानने के लिए दैनिक भास्कर ने कुलदीप के छोटे भाई और मीनू के पति अशोक से बात की। उसने 8 पन्नों का सुसाइड नोट दिखाया और कहा- हां मेरी पत्नी बहुत परेशान करती थी। बात-बात पर झगड़ती थी। मैं भी उससे परेशान था। चलिए पहले जानते हैं, सुसाइड नोट में क्या कुछ लिखा गया… सबसे पहले एक नजर पूरे केस पर कानपुर के 23-ए/पी-ब्लॉक यशोदा नगर में रहने वाले कुलदीप गुप्ता ने बुधवार को बहू मीनू का मर्डर करने के बाद खुद फांसी लगाकर सुसाइड कर लिया था। पुलिस और फोरेंसिक टीम ने मौके पर जांच की तो एक 9 पन्ने का सुसाइड नोट मिला था। मर्डर और सुसाइड से पहले कुलदीप ने 8 पन्ने का सुसाइड नोट लिखने के साथ ही उसकी एक सेट फोटो कॉपी भी कराकर गद्दे के नीचे रख दी थी। उसने ऐसा इसलिए किया ताकि अगर किसी से एक सेट मिस हो जाए तो दूसरा मिल जाए। उसने मर्डर क्यों किया? इसकी सच्चाई सभी के सामने आ सके। सुसाइड नोट के पहले पन्ने में कुलदीप ने एक वीडियो भी बनाया। 6 मिनट के वीडियो में उसने बताया कि मीनू की वजह से घर में क्लेश बना रहता था। 8 पन्ने के सुसाइड नोट में 3 साल का दर्द समेटा… सुसाइड नोट का पहला पन्ना जब मैं कंचौसी गया था। दूसरे दिन मीनू ने खूब लड़ाई की थी। तभी मैंने सोचा था कि वहां से आने के बाद मैं इसे मार दूंगा। दूसरे दिन मेरे ससुर जी का श्रद्ध था, मम्मी और मेरी बीवी मेरे ससुराल गई थीं, मैं घर आ गया था। मैं और मीनू घर पर अकेली थी, लेकिन उस दिन अशोक की गाड़ी (ऑटो) दिक्कत कर रही थी। तो उसका कुछ पता नहीं था कि कभी भी घर आ सकता था। इसलिए उस दिन मैंने कुछ नहीं किया। इसके बाद मुझे पता चला कि मेरे चाचा की लड़की की शादी तय हो गई है। तो मैंने कुछ दिन के लिए अपना प्लान ही टाल दिया। मैं नहीं चाहता था कि किसी भी वजह से शादी में किसी तरह की दिक्कत आए। शादी निपट गई तो उसके बाद मैंने एक शनिवार को मारने का प्लान बनाया, सुबह मैंने चाय बनाई अपने हाथ से और उसमें नींद की गोलियां मिली दी। फिर मम्मी और बीवी को पिलाया, लेकिन वो काम नहीं की। उसी दिन मैं फांसी लगाने के लिए रस्सी भी खरीद कर लाया, उस दिन शाम को सभी लोग बाजार गए लेकिन विश्वास बहुत रो रहा था। उस दिन तो फिर कुछ हो नहीं पाया, फिर बाबा-दादी आ गए रहने लिए फिर मुझे समय नहीं मिला। अब सब चले गए हैं। अब मुझे शायद समय मिल जाए। दूसरा पन्ना : रिश्ते के चाचा ने झूठ बोलकर करा दी शादी रिश्ते में चाचा लगने वाले रामकुमार ने अपने साले की लड़की को अच्छा बताकर शादी करा दी। बताया कि उसका भाई कॉलेज में पढ़ाता है और कल्याणपुर में कोचिंग भी चलाता है। 70-80 हजार रुपए महीना कमाता है, और बहन रेनू भी बहुत पढ़ी है, मम्मी भी इंटर किए हैं। मीनू को भी पढ़ा-लिखा बताया था। हम लोग भी बाहरी लड़की से रिश्ता करने की बजाए रिश्तेदारी में संबंध करना चाहते थे। इसी का फायदा उठाकर चाचा ने हम लोगों को गुमराह किया। मीनू वास्तव में बिल्कुल अनपढ़ थी। उसे 100 तक गिनती तक नहीं आती और घड़ी तक देखनी नहीं आती थी। उसे खाना तक बनाना नहीं आता। सिलाई-कढ़ाई, ढोलक और ब्यूटी पार्लर तो बहुत दूर की बात है। मीनू इतनी दुबली थी कि उसका महज 30 किलो वजन था। तीसरे पन्ना : तीन-चार दिन कमरे से नहीं निकलती और न ही मंजन करती अभी शादी का एक महीना ही हुआ था कि मीनू ने अपना रंग दिखाना चालू कर दिया था। बात-बात पर झगड़ा करती थी, गुस्सा हो जाती थी। तीन चार दिन कमरे से नहीं निकलती थी, न ही मंजन करती और न ही नहाती थी। उसके घर वालों से बात किया तो वो लोग मम्मी-पापा और हम लोगों को फोन पर गाली देते थे कि तुम कंजड़ों से हमें रिश्ता नहीं रखना है। हमें तो बस अपनी बिटिया से रिश्ता चलाना है। अशोक को भी बहुत गंदी गाली दी, मीनू हम लोगों के साथ नहीं रहना चाहती थी। वह चाहती थी कि हम लोग अलग हो जाएं और खाना-पीना अलग बनाएं। फिर हम लोगों ने उसे मायके भेज दिया। जब मीनू के भाई से हम लोगों ने इस बारे में बात की तो उसने कहा कि मुझे कोई लेना-देना नहीं है। मेरे घर कल्याणपुर लेकर नहीं आना, वहीं लहरापुर छोड़ना और हमको बार-बार फोन भी मत करना। जब अशोक उसे मायके छोड़ने गया तो वह पेट से थी, हम लोगों को लगा कि अब वह सुधर जाएगी। चौथे पन्ना : मायके वालों को परवाह नहीं, हम लोगों ने बचाई थी जान मायके जाने के बाद मीनू को महीनों बुखार आता रहा, लेकिन उसे किसी अस्पताल में नहीं दिखाया। उसे सिर्फ मेडिकल स्टोर से दवा दिलाते रहे। हम लोग डर रहे थे कि बुखार की वजह से गर्भ में पल रहे बच्चे को कुछ न हो जाए। वो लोग न इलाज करा रहे थे, न ही ससुराल भेज रहे थे। फिर हम लोग उनसे हाथ-पैर जोड़कर उसे लेकर आए और उसे निजी अस्पताल में एडमिट कराया था। वहां जाकर पता चला कि इसके फेफड़े में इंफेक्शन है, मुंह से बार-बार खून आता है। डॉक्टर ने कहा कि अगर एक सप्ताह लेट हो जाते तो मां और बच्चों में से किसी एक को ही बचाया जा सकता था। जब वो ठीक होकर घर आ गई तो तब से डिलीवरी तक ज्यादा लड़ाई नहीं हुई। क्यों कि वो जानती थी कि ज्यादा लड़ाई करोगे तो मेरा काम कौर करेगा। जब बच्चा हुआ तो उसने रोज लड़ना चालू कर दिया। हम लोग फिर उसे मायके छोड़ आए और घर में फर्स्ट फ्लोर का काम शुरू करा दिया। इससे कि उसे अब ससुराल लाएंगे तो अलग ही रखेंगे, लेकिन इसके बाद भी वह नहीं सुधरी। पांचवां पन्ना : पति भूखा काम पर निकल जाता, मां को छज्जे पर खड़े होकर गाली देती अलग होने के बाद भी मीनू में कोई सुधार नहीं हुआ। अशोक सुबह ऑटो चलाने के लिए बगैर खाना खाए निकलता था। वो सोती रहती थी और दिन भर मायके वालों से फोन पर चुगली करती थी। 15 दिन में एक बार खाना बन पाता था। इतना ही नहीं छज्जे पर खड़े होकर जोर-जोर से चिल्लाती, गाली-गलौज करती। मम्मी से कहती थी कि तुम मेरी सौतन हो। मेरा मंगलसूत्र पहन लो। मायके वालों से जब शिकायत करते तो उसके पापा गाली देते और कहते कि पूरे परिवार पर दहेज प्रथा लगवा देंगे और जेल भिजवा देंगे। सारा घर जेल में नजर आएगा। हां मेरी मम्मी ने उसे थप्पड़ जरूर मारा था, लेकिन कोई बहू गलत करेगी तो बहू को तो थप्पड़ मार दिया तो क्या गलत किया। पूरे मोहल्ला गाली-गलौज सुन रहा था। हमारी शादी को 10 साल हो गए लेकिन आज तक कोई लड़ाई नहीं हुई। लेकिन इसने दो-तीन सालों में इतना परेशान कर दिया कि पूरे मोहल्ला जान गया। छठवां पन्ना : हमेशा बीमारी का बहानी बनाती रहती छठवे पन्ने के सुसाइड नोट में लिखा कि एक दिन तो मायके में शिकायत की तो भाई घर आकर पूर परिवार को जेल भेजने की धमकी दी और हंगामा किया था। जब मीनू से पूरी तरह मतलब रखना छोड़ दिया तो पति से ही रोज झगड़ा करती थी। जब वह शाम को घर आए तो कभी पेट दर्द तो कभी सीने में दर्द का बहाना बनाकर बीमार हो जाती थी। शर्म की वजह से अशोक नीचे अपनी मां या भाभी के पास भी खाना खाने नहीं आता और भूखा ही सो जाता था। सितंबर में अशोक के जन्मदिन पर उसके मायके वाले आए तो मैंने छत पर अकेले में आकर इसके भाई से मुकेश उर्फ विपिन से मीनू की सारी हकरतें बताई और कहा कि ऐसे कैसे जिंदगी पार होगी। सातवां पन्ना : साला भड़का तो ठान लिया कि अब परिवार की जिंदगी नरक नहीं होने दूंगा सातवें पन्ने में कुलदीप ने लिखा- मैंने उसके भाई मुकेश उर्फ विपिन को बताया बच्चा पेशाब किए खेलता रहता है, लेकिन पैजामी तक ये नहीं बदलती है। अपने बच्चे तक का ख्याल नहीं रखती है। अगर आप लोग इसे समझाएं तो हम लोगों का घर बच सकता है। बढ़ावा देने से कोई फायदा नहीं है। इससे अच्छा है कि समझौता करके अलग हो जाए। इस पर मीनू का भाई मुकेश भड़क गया और गाली-गलौज करने लगा। बोला दहेज प्रथा लगाकर तुम सबको जेल भिजवा दूंगा। महीने का एक लाख न सही अपनी बूढ़ी मां को इस उम्र में जेल में देखना चाहते हो। अभी तुम लोगों ने मेरी सिधाई देखी है गुस्सा नहीं देखा है। ये बात मैंने किसी को नहीं बताई लेकिन उसी दिन मैंने ठान लिया कि परिवार की जिंदगी अब नरक नहीं होने दूंगा। आठवां पन्ना: मीनू के घरवालों को सजा जरूर दिलाना हम लोगों की जिंदगी पूरी तरह से नरक हो चुकी थी, सिर ढका रहता था पूरी पीठ खुली रहती थी। मोहल्ले भर में ऐसे ही बाहर खड़े होकर सबसे बातें करती थी। तीन साल शादी के हो चुके थे। इतने में तो किसी जानवर को भी कुछ सिखाओ तो सीख जाता है। पर ये तो जानवर से भी बदतर थी, और इसी को बढ़ावा देने वाले भाई, बहन, मम्मी-पापा हैं। इसलिए मजबूरी में मुझे इसे मारना पड़ रहा है। क्यों कि अगर ये जिंदा रही तो यह क्रम आगे भी चलता रहेगा। आने वाले समय में बच्चों की भी जिंदगी खराब हो जाएगी। मुझे माफ कर देना, इसे मारकर मैं खुद मर जाऊंगा। क्यों कि इसे मारने के बाद मुझे जेल हो जाएगी तो मेरे बीवी बच्चों की जिंदगी खराब हो जाएगी। मैंने आज तक चीटी भी मारने से पहले दस बार सोचता हूं, लेकिन मीनू के भाई मुकेश ने मेरे लिए कोई और रास्ता नहीं छोड़ा सिवाए मीनू को मरने के। मीनू के पापा-मम्मी, उसकी बहन रेनू और उसके भाई मुकेश उर्फ विपिन को सजा जरूर दिलाना। आइए अब आपको अशोक की जुबानी सुनाते हैं… मीनू के पति अशोक ने कहा- मां के लिए कभी फल लाना या सौ-दो सौ रुपए देना भी पत्नी को इतना नागवार गुजरता था कि लड़ने लगती थी। कहती थी कि मां को पैसे क्यों दिया, मेरे लिए तो नहीं हैं…? उनके लिए फल क्यों लेकर आए…? बीमार भतीजे को अगर अस्पताल ले गए तो भी झगड़ गई। इसी तरह हर छोटी-छोटी बात पर झगड़ा करके पत्नी ने जीवन को नरक बना दिया था। अशोक ने कहा- मैं भी इतना टूट गया था कि मैंने भाई से एक दिन कह दिया कि मेरी शादी कहां करा दी। मुझे फंसा दिया। मुझे क्या पता था कि यह बात भाई को इतनी चुभ जाएगी कि रोजाना घर की कलह मर्डर और सुसाइड केस तक पहुंच जाएगी। इतना बताते-बताते अशोक फफक कर रोने लगा। उसने आगे कहा – पत्नी मीनू किसी न किसी बात को लेकर बस झगड़ा करने लगती थी। भइया के घर में ये चीज है, मेरे पास क्यों नहीं है। भइया घर में ये सामान लेकर आए हैं, तुम क्यों नहीं लेकर आ पाते हो…? उसी में लड़ने लगती थी। चार साल शादी के हो गए, सप्ताह में एक ही दो दिन बचता था, नहीं तो चार दिन लड़ाई होती थी। जमीन मकान को लेकर कोई झगड़ा नहीं था। भइयो ने परिवारिक कलह को देखते हुए ऊपर (फर्स्ट) फ्लोर बनवा दिया। लेकिन फिर भी पत्नी नीचे के पोर्सन या किसी न किसी बात को लेकर लड़ाई-झगड़ा करती रहती थी। हमको भी कहने लगती थी, भइया घर में सुनता रहता था, लेकिन हमें नहीं पता था कि भइया के दिमाग में ये आ गया था। क्यों कि शादी उसी ने कराई थी। एक बार हमने भइया से कहा था कि भाई तुमने हमको जिंदगी भर के लिए फंसा दिया, यह कहते हुए अशोक फफक कर रोने लगे। मुझे नहीं पता था कि भाई को इतना सदमा लग जाएगा। झगड़े के पीछे कोई ठोस वजह…? इस सवाल पर अशोक ने कहा कि मीनू जबरिया हमसे झगड़ा करती थी, हम समझाते थे कि मीनू रोज-रोज झगड़ा ठीक नहीं होता है, लेकिन मीनू को नहीं। कहीं मायके लेकर चलो, तो कभी ये लेकर तुम नहीं आए…? तो कभी कहती थी कि आज खाना नहीं बनाएंगे। शादी के दूसरे दिन ही शुरू किया झगड़ा अशोक ने बताया- शादी के दूसरे-तीसरे दिन से ही झगड़ा शुरू कर दिया था। चौथी पर जाने से पहले ही कहने लगी थी कि मायके जाएंगे तो ये सामान देना। हमें अपनी सहेलियों को देना है। हमने पूछा कि किसलिए सामान देना है तो उन्होंने कहा था कि हमारी शादी हुई तो सहेलियों ने हमें दिया था, अब हमको देना है। हमने कहा था ठीक है जब जाना तो ले जाना। इतने टिफिन चाहिए, तो हमने 20 टिफिन लाकर दिए थे। तो वह बोली कि हमें 50 टिफिन चाहिए। हमने कहा कि इतने टिफिन की क्या जरूरत है तो उसी में लड़ने लगी थी। तो उसी दिन हम समझ गए थे कि किस तरह की औरत है। फिर धीरे-धीरे पता चला कि इसको कुछ आता भी नहीं है। घड़ी देखना तक नहीं आता था। एक दिन टाइम पूछा तो बोली हमें मोबाइल में देखना आता है, जब कहा कि मोबाइल में देखो तो मोबाइल में भी नहीं देख सकी। कानपुर में बड़े भाई ने छोटे भाई की पत्नी की गला दबाकर हत्या कर दी। इसके बाद फांसी लगाकर सुसाइड कर लिया। बहू की हत्या से पहले बड़े भाई ने पूरी 8 पन्नों की स्क्रिप्ट लिख रखी थी। इसमें उसने तीन साल का दर्द साझा किया। साथ ही बताया कि कैसे उसने हत्या करने की ठाना। जेठ ने 6 महीने पहले ही बहू की हत्या की साजिश रची थी। इतना ही नहीं नींद की दवा, सुसाइड के लिए रस्सी समेत पूरा इंतजाम किया था, लेकिन भाई का ऑटो खराब होने के चलते रोज की तरह काम पर नहीं गया तो मर्डर प्लान को टाल दिया। आखिर 8 पन्ने के सुसाइड नोट में बहू के हत्या आरोपी जेठ ने क्या लिखा…? यह जानने के लिए दैनिक भास्कर ने कुलदीप के छोटे भाई और मीनू के पति अशोक से बात की। उसने 8 पन्नों का सुसाइड नोट दिखाया और कहा- हां मेरी पत्नी बहुत परेशान करती थी। बात-बात पर झगड़ती थी। मैं भी उससे परेशान था। चलिए पहले जानते हैं, सुसाइड नोट में क्या कुछ लिखा गया… सबसे पहले एक नजर पूरे केस पर कानपुर के 23-ए/पी-ब्लॉक यशोदा नगर में रहने वाले कुलदीप गुप्ता ने बुधवार को बहू मीनू का मर्डर करने के बाद खुद फांसी लगाकर सुसाइड कर लिया था। पुलिस और फोरेंसिक टीम ने मौके पर जांच की तो एक 9 पन्ने का सुसाइड नोट मिला था। मर्डर और सुसाइड से पहले कुलदीप ने 8 पन्ने का सुसाइड नोट लिखने के साथ ही उसकी एक सेट फोटो कॉपी भी कराकर गद्दे के नीचे रख दी थी। उसने ऐसा इसलिए किया ताकि अगर किसी से एक सेट मिस हो जाए तो दूसरा मिल जाए। उसने मर्डर क्यों किया? इसकी सच्चाई सभी के सामने आ सके। सुसाइड नोट के पहले पन्ने में कुलदीप ने एक वीडियो भी बनाया। 6 मिनट के वीडियो में उसने बताया कि मीनू की वजह से घर में क्लेश बना रहता था। 8 पन्ने के सुसाइड नोट में 3 साल का दर्द समेटा… सुसाइड नोट का पहला पन्ना जब मैं कंचौसी गया था। दूसरे दिन मीनू ने खूब लड़ाई की थी। तभी मैंने सोचा था कि वहां से आने के बाद मैं इसे मार दूंगा। दूसरे दिन मेरे ससुर जी का श्रद्ध था, मम्मी और मेरी बीवी मेरे ससुराल गई थीं, मैं घर आ गया था। मैं और मीनू घर पर अकेली थी, लेकिन उस दिन अशोक की गाड़ी (ऑटो) दिक्कत कर रही थी। तो उसका कुछ पता नहीं था कि कभी भी घर आ सकता था। इसलिए उस दिन मैंने कुछ नहीं किया। इसके बाद मुझे पता चला कि मेरे चाचा की लड़की की शादी तय हो गई है। तो मैंने कुछ दिन के लिए अपना प्लान ही टाल दिया। मैं नहीं चाहता था कि किसी भी वजह से शादी में किसी तरह की दिक्कत आए। शादी निपट गई तो उसके बाद मैंने एक शनिवार को मारने का प्लान बनाया, सुबह मैंने चाय बनाई अपने हाथ से और उसमें नींद की गोलियां मिली दी। फिर मम्मी और बीवी को पिलाया, लेकिन वो काम नहीं की। उसी दिन मैं फांसी लगाने के लिए रस्सी भी खरीद कर लाया, उस दिन शाम को सभी लोग बाजार गए लेकिन विश्वास बहुत रो रहा था। उस दिन तो फिर कुछ हो नहीं पाया, फिर बाबा-दादी आ गए रहने लिए फिर मुझे समय नहीं मिला। अब सब चले गए हैं। अब मुझे शायद समय मिल जाए। दूसरा पन्ना : रिश्ते के चाचा ने झूठ बोलकर करा दी शादी रिश्ते में चाचा लगने वाले रामकुमार ने अपने साले की लड़की को अच्छा बताकर शादी करा दी। बताया कि उसका भाई कॉलेज में पढ़ाता है और कल्याणपुर में कोचिंग भी चलाता है। 70-80 हजार रुपए महीना कमाता है, और बहन रेनू भी बहुत पढ़ी है, मम्मी भी इंटर किए हैं। मीनू को भी पढ़ा-लिखा बताया था। हम लोग भी बाहरी लड़की से रिश्ता करने की बजाए रिश्तेदारी में संबंध करना चाहते थे। इसी का फायदा उठाकर चाचा ने हम लोगों को गुमराह किया। मीनू वास्तव में बिल्कुल अनपढ़ थी। उसे 100 तक गिनती तक नहीं आती और घड़ी तक देखनी नहीं आती थी। उसे खाना तक बनाना नहीं आता। सिलाई-कढ़ाई, ढोलक और ब्यूटी पार्लर तो बहुत दूर की बात है। मीनू इतनी दुबली थी कि उसका महज 30 किलो वजन था। तीसरे पन्ना : तीन-चार दिन कमरे से नहीं निकलती और न ही मंजन करती अभी शादी का एक महीना ही हुआ था कि मीनू ने अपना रंग दिखाना चालू कर दिया था। बात-बात पर झगड़ा करती थी, गुस्सा हो जाती थी। तीन चार दिन कमरे से नहीं निकलती थी, न ही मंजन करती और न ही नहाती थी। उसके घर वालों से बात किया तो वो लोग मम्मी-पापा और हम लोगों को फोन पर गाली देते थे कि तुम कंजड़ों से हमें रिश्ता नहीं रखना है। हमें तो बस अपनी बिटिया से रिश्ता चलाना है। अशोक को भी बहुत गंदी गाली दी, मीनू हम लोगों के साथ नहीं रहना चाहती थी। वह चाहती थी कि हम लोग अलग हो जाएं और खाना-पीना अलग बनाएं। फिर हम लोगों ने उसे मायके भेज दिया। जब मीनू के भाई से हम लोगों ने इस बारे में बात की तो उसने कहा कि मुझे कोई लेना-देना नहीं है। मेरे घर कल्याणपुर लेकर नहीं आना, वहीं लहरापुर छोड़ना और हमको बार-बार फोन भी मत करना। जब अशोक उसे मायके छोड़ने गया तो वह पेट से थी, हम लोगों को लगा कि अब वह सुधर जाएगी। चौथे पन्ना : मायके वालों को परवाह नहीं, हम लोगों ने बचाई थी जान मायके जाने के बाद मीनू को महीनों बुखार आता रहा, लेकिन उसे किसी अस्पताल में नहीं दिखाया। उसे सिर्फ मेडिकल स्टोर से दवा दिलाते रहे। हम लोग डर रहे थे कि बुखार की वजह से गर्भ में पल रहे बच्चे को कुछ न हो जाए। वो लोग न इलाज करा रहे थे, न ही ससुराल भेज रहे थे। फिर हम लोग उनसे हाथ-पैर जोड़कर उसे लेकर आए और उसे निजी अस्पताल में एडमिट कराया था। वहां जाकर पता चला कि इसके फेफड़े में इंफेक्शन है, मुंह से बार-बार खून आता है। डॉक्टर ने कहा कि अगर एक सप्ताह लेट हो जाते तो मां और बच्चों में से किसी एक को ही बचाया जा सकता था। जब वो ठीक होकर घर आ गई तो तब से डिलीवरी तक ज्यादा लड़ाई नहीं हुई। क्यों कि वो जानती थी कि ज्यादा लड़ाई करोगे तो मेरा काम कौर करेगा। जब बच्चा हुआ तो उसने रोज लड़ना चालू कर दिया। हम लोग फिर उसे मायके छोड़ आए और घर में फर्स्ट फ्लोर का काम शुरू करा दिया। इससे कि उसे अब ससुराल लाएंगे तो अलग ही रखेंगे, लेकिन इसके बाद भी वह नहीं सुधरी। पांचवां पन्ना : पति भूखा काम पर निकल जाता, मां को छज्जे पर खड़े होकर गाली देती अलग होने के बाद भी मीनू में कोई सुधार नहीं हुआ। अशोक सुबह ऑटो चलाने के लिए बगैर खाना खाए निकलता था। वो सोती रहती थी और दिन भर मायके वालों से फोन पर चुगली करती थी। 15 दिन में एक बार खाना बन पाता था। इतना ही नहीं छज्जे पर खड़े होकर जोर-जोर से चिल्लाती, गाली-गलौज करती। मम्मी से कहती थी कि तुम मेरी सौतन हो। मेरा मंगलसूत्र पहन लो। मायके वालों से जब शिकायत करते तो उसके पापा गाली देते और कहते कि पूरे परिवार पर दहेज प्रथा लगवा देंगे और जेल भिजवा देंगे। सारा घर जेल में नजर आएगा। हां मेरी मम्मी ने उसे थप्पड़ जरूर मारा था, लेकिन कोई बहू गलत करेगी तो बहू को तो थप्पड़ मार दिया तो क्या गलत किया। पूरे मोहल्ला गाली-गलौज सुन रहा था। हमारी शादी को 10 साल हो गए लेकिन आज तक कोई लड़ाई नहीं हुई। लेकिन इसने दो-तीन सालों में इतना परेशान कर दिया कि पूरे मोहल्ला जान गया। छठवां पन्ना : हमेशा बीमारी का बहानी बनाती रहती छठवे पन्ने के सुसाइड नोट में लिखा कि एक दिन तो मायके में शिकायत की तो भाई घर आकर पूर परिवार को जेल भेजने की धमकी दी और हंगामा किया था। जब मीनू से पूरी तरह मतलब रखना छोड़ दिया तो पति से ही रोज झगड़ा करती थी। जब वह शाम को घर आए तो कभी पेट दर्द तो कभी सीने में दर्द का बहाना बनाकर बीमार हो जाती थी। शर्म की वजह से अशोक नीचे अपनी मां या भाभी के पास भी खाना खाने नहीं आता और भूखा ही सो जाता था। सितंबर में अशोक के जन्मदिन पर उसके मायके वाले आए तो मैंने छत पर अकेले में आकर इसके भाई से मुकेश उर्फ विपिन से मीनू की सारी हकरतें बताई और कहा कि ऐसे कैसे जिंदगी पार होगी। सातवां पन्ना : साला भड़का तो ठान लिया कि अब परिवार की जिंदगी नरक नहीं होने दूंगा सातवें पन्ने में कुलदीप ने लिखा- मैंने उसके भाई मुकेश उर्फ विपिन को बताया बच्चा पेशाब किए खेलता रहता है, लेकिन पैजामी तक ये नहीं बदलती है। अपने बच्चे तक का ख्याल नहीं रखती है। अगर आप लोग इसे समझाएं तो हम लोगों का घर बच सकता है। बढ़ावा देने से कोई फायदा नहीं है। इससे अच्छा है कि समझौता करके अलग हो जाए। इस पर मीनू का भाई मुकेश भड़क गया और गाली-गलौज करने लगा। बोला दहेज प्रथा लगाकर तुम सबको जेल भिजवा दूंगा। महीने का एक लाख न सही अपनी बूढ़ी मां को इस उम्र में जेल में देखना चाहते हो। अभी तुम लोगों ने मेरी सिधाई देखी है गुस्सा नहीं देखा है। ये बात मैंने किसी को नहीं बताई लेकिन उसी दिन मैंने ठान लिया कि परिवार की जिंदगी अब नरक नहीं होने दूंगा। आठवां पन्ना: मीनू के घरवालों को सजा जरूर दिलाना हम लोगों की जिंदगी पूरी तरह से नरक हो चुकी थी, सिर ढका रहता था पूरी पीठ खुली रहती थी। मोहल्ले भर में ऐसे ही बाहर खड़े होकर सबसे बातें करती थी। तीन साल शादी के हो चुके थे। इतने में तो किसी जानवर को भी कुछ सिखाओ तो सीख जाता है। पर ये तो जानवर से भी बदतर थी, और इसी को बढ़ावा देने वाले भाई, बहन, मम्मी-पापा हैं। इसलिए मजबूरी में मुझे इसे मारना पड़ रहा है। क्यों कि अगर ये जिंदा रही तो यह क्रम आगे भी चलता रहेगा। आने वाले समय में बच्चों की भी जिंदगी खराब हो जाएगी। मुझे माफ कर देना, इसे मारकर मैं खुद मर जाऊंगा। क्यों कि इसे मारने के बाद मुझे जेल हो जाएगी तो मेरे बीवी बच्चों की जिंदगी खराब हो जाएगी। मैंने आज तक चीटी भी मारने से पहले दस बार सोचता हूं, लेकिन मीनू के भाई मुकेश ने मेरे लिए कोई और रास्ता नहीं छोड़ा सिवाए मीनू को मरने के। मीनू के पापा-मम्मी, उसकी बहन रेनू और उसके भाई मुकेश उर्फ विपिन को सजा जरूर दिलाना। आइए अब आपको अशोक की जुबानी सुनाते हैं… मीनू के पति अशोक ने कहा- मां के लिए कभी फल लाना या सौ-दो सौ रुपए देना भी पत्नी को इतना नागवार गुजरता था कि लड़ने लगती थी। कहती थी कि मां को पैसे क्यों दिया, मेरे लिए तो नहीं हैं…? उनके लिए फल क्यों लेकर आए…? बीमार भतीजे को अगर अस्पताल ले गए तो भी झगड़ गई। इसी तरह हर छोटी-छोटी बात पर झगड़ा करके पत्नी ने जीवन को नरक बना दिया था। अशोक ने कहा- मैं भी इतना टूट गया था कि मैंने भाई से एक दिन कह दिया कि मेरी शादी कहां करा दी। मुझे फंसा दिया। मुझे क्या पता था कि यह बात भाई को इतनी चुभ जाएगी कि रोजाना घर की कलह मर्डर और सुसाइड केस तक पहुंच जाएगी। इतना बताते-बताते अशोक फफक कर रोने लगा। उसने आगे कहा – पत्नी मीनू किसी न किसी बात को लेकर बस झगड़ा करने लगती थी। भइया के घर में ये चीज है, मेरे पास क्यों नहीं है। भइया घर में ये सामान लेकर आए हैं, तुम क्यों नहीं लेकर आ पाते हो…? उसी में लड़ने लगती थी। चार साल शादी के हो गए, सप्ताह में एक ही दो दिन बचता था, नहीं तो चार दिन लड़ाई होती थी। जमीन मकान को लेकर कोई झगड़ा नहीं था। भइयो ने परिवारिक कलह को देखते हुए ऊपर (फर्स्ट) फ्लोर बनवा दिया। लेकिन फिर भी पत्नी नीचे के पोर्सन या किसी न किसी बात को लेकर लड़ाई-झगड़ा करती रहती थी। हमको भी कहने लगती थी, भइया घर में सुनता रहता था, लेकिन हमें नहीं पता था कि भइया के दिमाग में ये आ गया था। क्यों कि शादी उसी ने कराई थी। एक बार हमने भइया से कहा था कि भाई तुमने हमको जिंदगी भर के लिए फंसा दिया, यह कहते हुए अशोक फफक कर रोने लगे। मुझे नहीं पता था कि भाई को इतना सदमा लग जाएगा। झगड़े के पीछे कोई ठोस वजह…? इस सवाल पर अशोक ने कहा कि मीनू जबरिया हमसे झगड़ा करती थी, हम समझाते थे कि मीनू रोज-रोज झगड़ा ठीक नहीं होता है, लेकिन मीनू को नहीं। कहीं मायके लेकर चलो, तो कभी ये लेकर तुम नहीं आए…? तो कभी कहती थी कि आज खाना नहीं बनाएंगे। शादी के दूसरे दिन ही शुरू किया झगड़ा अशोक ने बताया- शादी के दूसरे-तीसरे दिन से ही झगड़ा शुरू कर दिया था। चौथी पर जाने से पहले ही कहने लगी थी कि मायके जाएंगे तो ये सामान देना। हमें अपनी सहेलियों को देना है। हमने पूछा कि किसलिए सामान देना है तो उन्होंने कहा था कि हमारी शादी हुई तो सहेलियों ने हमें दिया था, अब हमको देना है। हमने कहा था ठीक है जब जाना तो ले जाना। इतने टिफिन चाहिए, तो हमने 20 टिफिन लाकर दिए थे। तो वह बोली कि हमें 50 टिफिन चाहिए। हमने कहा कि इतने टिफिन की क्या जरूरत है तो उसी में लड़ने लगी थी। तो उसी दिन हम समझ गए थे कि किस तरह की औरत है। फिर धीरे-धीरे पता चला कि इसको कुछ आता भी नहीं है। घड़ी देखना तक नहीं आता था। एक दिन टाइम पूछा तो बोली हमें मोबाइल में देखना आता है, जब कहा कि मोबाइल में देखो तो मोबाइल में भी नहीं देख सकी। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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दिल्ली को मिली 320 नई इलेक्ट्रिक बसों की सौगात, CM अरविंद केजरीवाल को लेकर कैलाश गहलोत ने कही बड़ी बात <p style=”text-align: justify;”><strong>Delhi Electric Bus News:</strong> दिल्लीवासियों को मंगलवार को 320 नई इलेक्ट्रिक बसों की सौगात मिली है. दिल्ली के उपराज्यपाल विनय सक्सेना ने 30 जुलाई को बांसेरा में इन इलेक्ट्रिक बसों को झंडी दिखा कर रवाना किया. इस मौके पर दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत भी उपस्थित थे. इन बसों को मिलाकर अब दिल्ली में ऐसी बसों की संख्या बढ़कर 1,970 हो गई हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>दिल्ली सरकार में मंत्री कैलाश गहलोत ने कहा कि मैं दिल्ली के लोगों को बधाई देता हूं. हमारी सरकार ने एक और उपलब्धि हासिल की है. </p>
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<p dir=”ltr” lang=”en”>STORY | Delhi gets 320 new electric buses<br /><br />READ: <a href=”https://t.co/OT8qMdxT22″>https://t.co/OT8qMdxT22</a><br /><br />VIDEO | “I congratulate the people of Delhi. We have achieved yet another milestone. It was Delhi CM Arvind Kejriwal’s vision to provide a better public transport system to people,” says Delhi Transport… <a href=”https://t.co/0f82YjZ5w2″>pic.twitter.com/0f82YjZ5w2</a></p>
— Press Trust of India (@PTI_News) <a href=”https://twitter.com/PTI_News/status/1818186876810875386?ref_src=twsrc%5Etfw”>July 30, 2024</a></blockquote>
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<p style=”text-align: justify;”><strong>ई-बसों की संख्या बढ़कर हुई 1970</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>दिल्ली के ई-बसों के बेड़े में नई 320 बसें शामिल होने के बाद परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जी का दिल्लीवालों को बेहतरीन परिवहन सेवाएं देने का विजन है. इस विजन को पूरा करते हुए आज दिल्ली को और 320 इलेक्ट्रिक बसें मिली हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>इन बसों के सड़क पर उतरने के साथ इस समय दिल्ली में 1970 ई बसें अपनी सेवाएं दे रही हैं. इसके साथ ही दिल्ली देश का पहला और दुनिया का तीसरा ऐसा शहर बन गया है, जहां सबसे ज्यादा ई बसें हैं. उन्होंने कहा कि दिल्ली के सीएम ने इलेक्ट्रिक बसों का जो लक्ष्य रखा है, उसे हम तय समय में पूरा करेंगे.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>इन सुविधाओं से लैस है ई-बसें</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>दिल्ली सरकार की 2025 तक राष्ट्रीय राजधानी में 10,480 इलेक्ट्रिक बसों का एक बेड़ा बनाने की महत्वाकांक्षी योजना है. इनमें 80 फीसदी बसें इलेक्ट्रिक होंगी. इस योजना पर अमल करते हुए 30 जुलाई को दिल्ली को 320 और ई-बसें मिल गई हैं. इसी के साथ दिल्ली में ई-बसों के साथ कुल संख्या बढ़कर 1970 यूनिट हो गई हैं. ई-बसें दिव्यांगों के भी अनुकूल हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>इन बसों में जीपीएस, सीसीटीवी और पैनिक बटन लगे हैं, जो दो-तरफ केंद्रीकृत कमांड और कंट्रोल सेंटर से जुड़े हैं. दिल्ली में ई-बसों की संख्या बढ़ाने पर जोर देने के पीछे मुख्य मकसद देश की राजधानी को प्रदूषण से निजात दिलाना है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong><a title=”‘नारी न्याय आंदोलन से…’, दिल्ली पुलिस के एक्शन पर अलका लांबा ने केंद्र पर साधा निशाना ” href=”https://www.abplive.com/states/delhi-ncr/mahila-congress-alka-lamba-targeted-center-and-bjp-on-delhi-police-action-nari-nyay-andolan-2749336″ target=”_blank” rel=”noopener”>’नारी न्याय आंदोलन से…’, दिल्ली पुलिस के एक्शन पर अलका लांबा ने केंद्र पर साधा निशाना </a></strong></p>
वाराणसी में अंशिका किन्नर ने की छठ पूजा:बोली- जिन बच्चों की बधाई लेने जाती हूं, छठी मईया से उनकी दीर्घायु के लिए प्रार्थना की
वाराणसी में अंशिका किन्नर ने की छठ पूजा:बोली- जिन बच्चों की बधाई लेने जाती हूं, छठी मईया से उनकी दीर्घायु के लिए प्रार्थना की ‘साल भर हम जिन घरों में बच्चा होने पर बधाई लेने जाते हैं। उनके बच्चों की दीर्घायु के लिए पिछले तीन सालों से मैं छठी मईया का व्रत कर रही हूं। इस व्रत में मेरी गुरु मां और मेरे समुदाय के लोग मेरी मदद करते हैं।’ ये कहते हुए अंशिका किन्नर की आंखे भर आईं। अंशिका किन्नर फुलवरिया की रहने वाली हैं। तीन साल पहले उन्होंने अपनी गुरु मां की प्रेरणा से छठी मईया का कठिन व्रत करना शुरू किया था। गुरुवार को गाजे-बाजे के साथ नाचते हुए किन्नरों के साथ अंशिका जब फुलवरिया के वरुणा तट पर पहुंची तो उनके साथ किन्नर समुदाय की राष्ट्रीय अध्यक्ष सलमान किन्नर भी थीं। सुबह अंशिका ने इसी तट पर दोबारा पहुंच कर उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया। दैनिक भास्कर ने व्रत रखने वाली किन्नर अंशिका और किन्नर समाज की राष्ट्रीय अध्यक्ष सलमान किन्नर से बात की। पहले अंशिका की छठ पूजा से जुड़ी 4 तस्वीरें… समय शाम के 4 बजकर 30 मिनट हुए हैं। अचानक से मशीनी बीर बाबा मंदिर स्थित वरुणा तट पर शोर बढ़ गया। ढोल और ताशे के धुन पर किन्नर समुदाय के लोग घाट की तरफ बढ़ रहे थे। नाचते हुए चल रहे किन्नर समुदाय के लोगों के साथ पीली साड़ी व्रती किन्नर अंशिका चल रही थी। उसके साथ मोहल्ले की महिलाएं थी जो इस व्रत को पूरा करवाने के लिए मौजूद थीं और अंशिका को एक-एक चीज बता रहीं थी। कुछ ही देर बाद सभी की मांग में किन्नरों ने सिन्दूर भरने की परंपरा निभाई और एक-दूसरे को परंपरा अनुसार नाक से सिर के बीच तक सिंदूर लगाया। सभी किन्नर हाथ जोड़े वेदी पर अंशिका को दिया जलाते और पूजा करते देख रहे थे। फुलवरिया की रहने वाली हैं अंशिका किन्नर
पीली साड़ी में नाक से सिर के बीच तक सिंदूर लगाए वरुणा में खड़ीं अंशिका किन्नर हाथ में दीया और अगरबत्ती लिए सूर्य के डूबने का इंतजार कर रहीं थी। अंशिका ने सूर्य डूबने के बाद सूर्य उपासना की और लोगों ने बारी-बारी उसके सूप पर पानी से अर्घ्य दिया। अंशिका ने बताया वह फुलवरिया की रहने वाली हैं।
अंशिका ने बताया- छठ का व्रत सबसे कठिन माना जाता है। गुरु मां ने जब इस व्रत को करने की बात कही तो पहले मुझे लगा कि कैसे कर पाऊंगी। लेकिन फिर उन लोगों ने मेरी मदद की और आज तीसरे साल लगातार मैंने छठी मईया का व्रत रखा और अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया है। जहां जाती हूं बधाई मांगने, उनके बच्चों के लिए व्रत
अंशिका से जब पूछा गया कि आप छठ पूजा क्यों करती हैं? तो उन्होंने बताया- साल भर हम जिस भी घर में बधाई मांगने जाते हैं। वहां बच्चों को आशीर्वाद देते हैं। ऐसे में उनकी दीर्घायु के लिए यह व्रत शुरू किया। व्रत में पूरा समाज देता है साथ
अंशिका ने बताया- नहाय-खाय, खरना और फिर सूर्य को अर्घ्य देने तक किन्नर समाज बहुत हेल्प करता है। हमारी गुरु मां के अलावा अन्य किन्नर भी हमारी मदद करते हैं ताकि यह व्रत पूरे विधि-विधान से संपन्न हो सके। अब किन्नर समुदाय की राष्ट्रीय अध्यक्ष सलमान किन्नर की बात पढ़िए… जो हमें धर्म से अलग समझते हैं, उनके लिए सन्देश
इस मौके पर मौजूद किन्नर समाज की राष्ट्रीय अध्यक्ष सलमान किन्नर ने बताया- छठ के शुभ अवसर पर देश-विदेश में इस व्रत को किया जाता है। जो की बहुत कठिन है। हमारी किन्नर समुदाय की अंशिका ने यहां व्रत रख कर और सूर्य को अर्घ्य देकर पूरे देश को, समाज को; जो हमसे हीन भावना रखते हैं और हमें पिछड़ा समझते हैं। हमें धर्म से दूर रखते हैं। उनके लिए यह प्रेरणा है कि हम भी मां की कोख से ही पैदा हुए हैं और जिस मंदिर में, मस्जिद में आप सिर झुकाते हैं। वहां हम भी सिर झुका सकते हैं। यह अभी पहला स्टेप
सलमान किन्नर ने बताया- जिस तरह से माताएं-बहनें छठ पूजा पर घाटों पर आती हैं। उसी प्रकार अब किन्नर समाज भी घाटों पर छठ पूजा करने के लिए आएगा। हमारा किन्नर समाज ऐसे ही छठ व्रत करता रहेगा। अभी ये पहला स्टेप है। जिसमें अंशिका किन्नर अपने जजमान, अन्नदाता, युवाओं, उनकी नौकरियों , देश के जवान जो देश की रक्षा कर रहे हैं। उनके लिए हमारे किन्नर समाज ने छठ व्रत किया है ताकि देश की जनता खुश और स्वस्थ रहे।
Andhra police temporarily close two beaches in Bapatla after six drowning deaths
Andhra police temporarily close two beaches in Bapatla after six drowning deaths Police imposed a ban on entering the waters at Suryalanka and Vadrevu beaches. Bapatla beaches attract several tourists from within the state and outside as well.