हरियाणा के पानीपत जिले के समालखा विधानसभा क्षेत्र से पूर्व विधायक रणधीर सिंह का निधन हो गया। पूर्व विधायक रणधीर दिल्ली के एक अस्पताल में भर्ती थे। सोमवार सुबह उन्होंने वहीं अंतिम सांस ली। दिल्ली के अस्पताल में सारी कागजी कार्रवाई पूरी होने के बाद उनका पार्थिव शरीर परिजनों को सौंप दिया जाएगा। जिसके बाद वे पानीपत शहर पहुंचेंगे। यहां दो नहरों के बीच स्थित श्मशान घाट में दोपहर 3 बजे उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। एक ही रात में दो पार्टियों में शामिल होकर बटोरी थीं सुर्खियां जानकारी देते हुए चांद ढांडा ने बताया कि उनके ससुर पूर्व विधायक रणधीर सिंह थे। उन्होंने आज 89 वर्ष की आयु में अंतिम सांस ली। 1966 में राज्य गठन के बाद रणधीर सिंह 1967 में पहली बार विधायक बने थे। इसी साल से राज्य में ‘आया राम गया राम’ की राजनीति भी शुरू हो गई थी। रणधीर सिंह उस समय पूरे राज्य में चर्चा का विषय बन गए थे, जब उन्होंने एक ही रात में दो पार्टियों में शामिल हो गए थे। हालांकि उनका कार्यकाल करीब एक साल ही चला। पांच बच्चों के पिता थे रणधीर पूर्व विधायक रणधीर सिंह पांच बच्चों के पिता थे। उनके एक बेटा और चार बेटियां हैं। उनकी पत्नी रोशनी देवी भी बुजुर्ग हैं और गृहिणी हैं। उनके बेटे तेजेंद्र पहले पानीपत शहरी विधायक बलबीर पाल शाह के पीए थे। फिलहाल वे अपने परिवार के साथ दिल्ली में रहते हैं। वहीं कोचिंग देते हैं। उनकी चारों बेटियों की शादी भी हो चुकी है। हरियाणा के पानीपत जिले के समालखा विधानसभा क्षेत्र से पूर्व विधायक रणधीर सिंह का निधन हो गया। पूर्व विधायक रणधीर दिल्ली के एक अस्पताल में भर्ती थे। सोमवार सुबह उन्होंने वहीं अंतिम सांस ली। दिल्ली के अस्पताल में सारी कागजी कार्रवाई पूरी होने के बाद उनका पार्थिव शरीर परिजनों को सौंप दिया जाएगा। जिसके बाद वे पानीपत शहर पहुंचेंगे। यहां दो नहरों के बीच स्थित श्मशान घाट में दोपहर 3 बजे उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। एक ही रात में दो पार्टियों में शामिल होकर बटोरी थीं सुर्खियां जानकारी देते हुए चांद ढांडा ने बताया कि उनके ससुर पूर्व विधायक रणधीर सिंह थे। उन्होंने आज 89 वर्ष की आयु में अंतिम सांस ली। 1966 में राज्य गठन के बाद रणधीर सिंह 1967 में पहली बार विधायक बने थे। इसी साल से राज्य में ‘आया राम गया राम’ की राजनीति भी शुरू हो गई थी। रणधीर सिंह उस समय पूरे राज्य में चर्चा का विषय बन गए थे, जब उन्होंने एक ही रात में दो पार्टियों में शामिल हो गए थे। हालांकि उनका कार्यकाल करीब एक साल ही चला। पांच बच्चों के पिता थे रणधीर पूर्व विधायक रणधीर सिंह पांच बच्चों के पिता थे। उनके एक बेटा और चार बेटियां हैं। उनकी पत्नी रोशनी देवी भी बुजुर्ग हैं और गृहिणी हैं। उनके बेटे तेजेंद्र पहले पानीपत शहरी विधायक बलबीर पाल शाह के पीए थे। फिलहाल वे अपने परिवार के साथ दिल्ली में रहते हैं। वहीं कोचिंग देते हैं। उनकी चारों बेटियों की शादी भी हो चुकी है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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हरियाणा में ट्रेन में लगी आग, मचा हड़कंप:4-5 लोगों को चोटें आईं, पटाखों की वजह से हादसा; दिल्ली जा रही थी
हरियाणा में ट्रेन में लगी आग, मचा हड़कंप:4-5 लोगों को चोटें आईं, पटाखों की वजह से हादसा; दिल्ली जा रही थी हरियाणा के रोहतक में सोमवार शाम 5 बजे पैसेंजर ट्रेन में आग लग गई। इससे यात्रियों में हड़कंप मच गया। चेन खींचकर ट्रेन को रोका गया। घटना में 4 से 5 लोगों को चोटें आई हैं। बताया जा रहा है कि हादसा डिब्बे में रखे पटाखों के कारण हुआ। ट्रेन जींद से दिल्ली जा रही थी। हादसे के बाद यात्रियों को दूसरी ट्रेन से रवाना किया गया। रेलवे अधिकारी और रेलवे पुलिस मामले की सूचना मिलते ही मौके पर पहुंचे और जांच में जुट गए। यात्री ने खींची ट्रेन की चेन
मिली जानकारी के अनुसार जींद से दिल्ली आ रही पैसेंजर ट्रेन के एक डिब्बे में रोहतक और सांपला के बीच आग लग गई। इससे डिब्बे में अफरा-तफरी मच गई। जोर-जोर से चिल्लाने की आवाज आई तो किसी ने चेन खींचकर ट्रेन को रोका। ट्रेन रुकते ही लोग नीचे उतर गए। प्रत्यक्षदर्शी बोले- पटाखे की आवाज आई
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार चलती ट्रेन में एकदम से पटाखे की आवाज आई और आग लग गई। उसी समय आरपीएफ व जीआरपी की टीम मौके पर पहुंची। हालातों पर काबू पाया गया। फिलहाल पुलिस की टीम भी मामले की जांच कर रही है।
कांग्रेस की एग्रेसिव जाट पॉलिटिक्स से छिटके बाकी वर्ग:19 जाट MLA में 13 कांग्रेस के; सभी 6 अहीर BJP के, पंजाबी-ब्राह्मण और वैश्य-गुर्जर भी ज्यादा
कांग्रेस की एग्रेसिव जाट पॉलिटिक्स से छिटके बाकी वर्ग:19 जाट MLA में 13 कांग्रेस के; सभी 6 अहीर BJP के, पंजाबी-ब्राह्मण और वैश्य-गुर्जर भी ज्यादा ‘ कोई व्यक्ति, नेता या राजनीतिक दल जब सोसाइटी में दबंग समझी जाने वाली बिरादरी की तरफ एक हद से ज्यादा झुकाव और एग्रेशन दिखाने लगे तो बाकी पिछड़े और उपेक्षित वर्ग न सिर्फ उस व्यक्ति, नेता या पार्टी से किनारा कर लेते हैं, बल्कि अंदरखाते उसके खिलाफ एकजुट भी हो जाते हैं।’ यह एक सामान्य फिनोमिना है। हरियाणा चुनाव के नतीजे कुछ हद तक इसी को दिखाते हैं। चुनाव से पहले ही कांग्रेस ने जाट कम्युनिटी की तरफ जिस तरह का झुकाव और एग्रेशन दिखाना शुरू कर दिया था, उसे देखकर OBC, ब्राह्मण, पंजाबी, वैश्य और कुछ हद तक SC बिरादरी खुद को अलग-थलग महसूस करने लगी थी। कांग्रेस की इस पॉलिटिक्स से इन बिरादरियों के मन में कहीं न कहीं असुरक्षा का भाव भी आ गया। इसे BJP के थिंक-टैंक ने भांप लिया। उसके बाद लगातार सैलजा के अपमान और उपेक्षा के मुद्दे को उठाया गया। इसका नतीजा यह हुआ कि जाटों को छोड़कर दूसरे वर्गों का बड़ा हिस्सा अपनी नाराजगी को छोड़ते हुए भाजपा के साथ आ गया। करनाल की असंध सीट से हारे कांग्रेस कैंडिडेट और पूर्व MLA शमशेर सिंह गोगी ने भी पार्टी की पराजय की यही वजह बताई। दूसरी ओर कांग्रेस के रणनीतिकार, खासकर हुड्डा कैंप, वोटिंग के दिन तक सैलजा से जुड़े मुद्दे का कोई ऐसा हल नहीं निकाल पाया जो पार्टी को हो रहे नुकसान को रोक ले। कुछ हद तक इसके लिए उनका ओवर कॉन्फिडेंस भी जिम्मेदार रहा। अब नतीजा सबके सामने है। कैंडिडेट्स के ऐलान से लेकर चुनाव प्रचार तक, कांग्रेस का जोर 22 से 25% जाटों और 20 से 22% SC मतदाताओं पर रहा। इसके मुकाबले भाजपा ने अपनी गैर-जाट पॉलिसी पर चलते हुए 30 से 32% OBC, 9 से 10% पंजाबी, 8 से 9% ब्राह्मण वोटरों पर फोकस किया। कांग्रेस ने BJP से करीब दोगुने टिकट जाटों को दिए, दोनों दलों के 50% जाट जीते
कांग्रेस ने 90 विधानसभा सीटों में से 27 पर जाट बिरादरी के कैंडिडेट उतारे। इनमें से 13 जीते। गैर-जाट की राजनीति करने वाली BJP ने 16 सीटों पर जाट नेताओं को उतारा। उसके 6 उम्मीदवार विजयी रहे। 13 सीटों पर दोनों पार्टियों के जाट कैंडिडेट आमने-सामने थे। इनमें से 9 सीटें कांग्रेस और 4 भाजपा ने जीतीं। बड़ी बात यह है कि BJP ने इस बार हुड्डा का गढ़ कहे जाने वाले सोनीपत जिले की 6 में से 4 सीटों पर जीत हासिल की। यहां की खरखौदा और गोहाना सीट तो भाजपा ने पहली बार जीती। 2014 और 2019 की मोदी वेव में भी पार्टी ये दोनों सीटें नहीं जीत पाई थी। सोनीपत की बची हुई 2 में से गन्नौर सीट पर भी BJP के बागी देवेंद्र कादियान विजयी रहे। हुड्डा के इस गढ़ में कांग्रेस को सिर्फ एक सीट पर विजय मिली। कांग्रेस के जाट कैंडिडेट के सामने BJP का गैर जाट कार्ड
11 विधानसभा सीटें ऐसी भी रहीं जहां कांग्रेस के जाट उम्मीदवार के सामने भाजपा ने दूसरी बिरादरियों के कैंडिडेट उतारे। भाजपा ने ऐसी 4 सीटों पर ब्राह्मण, 2 पर वैश्य और 1-1 सीट पर बिश्नोई, बैरागी, गुर्जर, सैनी व सिख चेहरे को टिकट दिया। इन 11 में से 8 सीटें BJP की झोली में गईं। कांग्रेस के जाट कैंडिडेट सिर्फ 3 सीट पर जीत पाए। जाट बाहुल्य उचाना, गोहाना व पलवल में BJP का गैर जाट कार्ड फिट बैठा। अन्य पार्टियों की बात करें तो इनेलो के दोनों विधायक जाट बिरादरी के हैं। इस बार विजयी रहे 3 निर्दलीय में से भी 2 जाट कम्युनिटी से ताल्लुक रखते हैं। 3 सीटें ऐसी, जहां भाजपा के जाट कैंडिडेट, कांग्रेस ने गैर जाट उतारे
प्रदेश की 3 विधानसभा सीटें ऐसी भी रहीं, जहां BJP ने जाट बिरादरी को टिकट दिए और उनके सामने कांग्रेस ने दूसरी बिरादरी को टिकट दिया। उसने 1 सीट पर पंजाबी, 1 पर ब्राह्मण और 1 पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारा। इनमें से दो सीटें कांग्रेस ने जीतीं, जबकि एक भाजपा के खाते में गई। 17 OBC विधायकों में से 14 भाजपा के
30% आबादी वाली OBC बिरादरी पर भाजपा और कांग्रेस का बराबर फोकस रहा। दोनों दलों ने OBC के 21-21 कैंडिडेट उतारे। 14 सीटों पर तो दोनों पार्टियों के उम्मीदवार OBC बिरादरी के थे। इस बिरादरी के जो 17 विधायक बने, उनमें 14 भाजपा और 3 कांग्रेस के हैं। रानियां सीट ऐसी रही, जहां दोनों दलों ने OBC उम्मीदवार उतारे थे। यहां बाजी इनेलो के अर्जुन चौटाला मार ले गए जो जाट बिरादरी से हैं। दोनों दलों में बंटे SC वोटर
इसी साल लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के पक्ष में एकतरफा मतदान करने वाले SC वोटर विधानसभा चुनाव आते-आते कांग्रेस और भाजपा में बंट गए। अनुसूचित जाति (SC) के लिए रिजर्व 17 सीटों में से कांग्रेस ने 9 और भाजपा ने 8 जीतीं। 2019 में भाजपा को 5, कांग्रेस को 7, JJP को 4 और निर्दलीय को एक रिजर्व सीट पर जीत मिली थी। पांचों मुस्लिम MLA कांग्रेस के
इस बार मुस्लिम बिरादरी के जो 5 विधायक बने हैं, वह पांचों कांग्रेस के हैं। मुस्लिम बाहुल्य नूंह जिले की तीनों सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवार विजयी रहे। यमुनानगर की जगाधरी सीट से अकरम खान और पलवल की हथीन सीट से मोहम्मद इसराइल विधायक बने। नूंह जिले की तीनों सीटों पर 2019 में भी कांग्रेस ने ही जीत दर्ज की थी।
हिसार में आदमपुर का नगरपालिका दर्जा होगा समाप्त:कुलदीप खेमे ने सर्वे को औपचारिक बताया, बोले- सिसाय गांव का भी इसी तरह हटा
हिसार में आदमपुर का नगरपालिका दर्जा होगा समाप्त:कुलदीप खेमे ने सर्वे को औपचारिक बताया, बोले- सिसाय गांव का भी इसी तरह हटा हिसार की आदमपुर नगर पालिका के दर्जे को लेकर विरोधियों ने कुलदीप बिश्नोई को घेरना शुरू कर दिया है। वहीं, कुलदीप के बचाव में उनके समर्थक खड़े हो गए हैं। कुलदीप के खेमे का कहना है कि आदमपुर नगर पालिका का दर्जा खत्म करने के लिए ही सर्वे करवाया जा रहा है। यह एक कानूनी प्रक्रिया है जिसका पालन सभी को करना होता है। आपको बता दें कि 2 साल पहले 2022 में सिसाय नगर पालिका का दर्जा भी सर्वे के आधार पर खत्म किया गया था। इस सर्वे में 5011 लोगों के सुझाव लिए गए थे। रिपोर्ट के मुताबिक, ज्यादातर लोगों ने सिसाय को फिर से पंचायत बनाने के लिए अपनी राय दी थी। सरकार की ओर से नगर पालिका शुरू करने और खत्म करने दोनों ही मामलों में सर्वे करवाया जाता है, ताकि कोई इसे कोर्ट में चुनौती न दे सके। आदमपुर में भी ऐसा ही सर्वे करवाया जा रहा है। इस सर्वे में भी 5000 से ज्यादा लोगों की राय ली जाएगी। इस सर्वे की रिपोर्ट के आधार पर ही आदमपुर नगर पालिका का दर्जा खत्म किया जाएगा। हरियाणा नगर निगम अधिनियम, 1973 (1973 का 24) की धारा 8 की उप-धारा (1) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए हरियाणा के राज्यपाल द्वारा इस नगर पालिका को समाप्त किया जाता है। ऐसे खत्म हुआ सिसई गांव का दर्जा सिसई गांव में दो पंचायतें हैं। एक पंचायत को सिसई कालीरामण और दूसरी पंचायत को सिसई बोलान के नाम से जाना जाता है। लंबे समय से गांव का एक पक्ष सिसई को नगर पालिका बनाने के पक्ष में था, जबकि दूसरा पक्ष नगर पालिका के विरोध में था। जिसके चलते विभाग की ओर से गांव का सर्वे कराया गया। सर्वे के दौरान लोगों के सुझावों की रिपोर्ट को मिलाकर डीसी को दिया गया। यह रिपोर्ट सरकार को भेजी गई। सर्वे के दौरान 5011 लोगों के सुझाव लिए गए। रिपोर्ट के अनुसार अधिकतर लोगों ने सिसई को फिर से पंचायत बनाने के लिए अपनी राय दी। भाजपा सरकार के दौरान 20 फरवरी 2019 को सिसई को नगर पालिका बनाने की अधिसूचना जारी की गई।
इसलिए सरकार देती है नगर पालिका का दर्जा दरअसल, सरकार सर्वे के आधार पर बड़ी आबादी वाले गांवों को नगर पालिका का दर्जा देती है। नगर पालिका को ग्राम पंचायत से ज्यादा अनुदान मिलता है, जिससे गांव में विकास कार्य होते हैं। गांव में शहरी तर्ज पर सुविधाएं मुहैया कराई जाती हैं। नगर पालिका जलापूर्ति, साफ-सफाई, सड़क, रोशनी, बाजार स्थल का निर्माण, गलियों का नामकरण, मकानों की गिनती, जन्म-मृत्यु पंजीकरण और महामारी नियंत्रण जैसे काम करती है। इसके बदले में लोगों से टैक्स वसूला जाता है। सरकार इसी टैक्स के पैसे से इलाके का विकास करती है। सिसाय की तरह आदमपुर का दर्जा भी खत्म हो जाएगा दरअसल, आदमपुर को भाजपा सरकार ने 29 जून 2021 को नगर पालिका का दर्जा दिया था। इस दौरान सर्वे में लोगों ने नगर पालिका के लिए सहमति जताई थी। लेकिन जब लोगों को प्रॉपर्टी टैक्स और नक्शे के अनुसार मकान न बनाने के नोटिस मिलने लगे तो धीरे-धीरे विरोध बढ़ने लगा। इसके बाद करीब 40 दिन तक विरोध जारी रहा। कुलदीप बिश्नोई धरने पर पहुंचे और आश्वासन दिया कि वह सरकार से मिलकर नगर पालिका का दर्जा खत्म करवाएंगे। कुलदीप बिश्नोई तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से मिले थे। मनोहर लाल ने आश्वासन दिया था कि नगर पालिका का दर्जा खत्म करवाया जाएगा। करीब 2 साल पहले सरकार ने नोटिफिकेशन जारी कर कहा था कि आदमपुर गांव को नगर पालिका से हटाया जाएगा। इसके बाद कुलदीप बिश्नोई विधायक बेटे भव्य बिश्नोई के साथ 6 जून को मुख्यमंत्री नायब सैनी से मिले और मामले को जल्द सुलझाने को कहा। इसके बाद सरकार ने एक्शन लेते हुए फाइल को आगे बढ़ाया। ऐसे होगा सर्वे ग्राम पंचायत का दर्जा बहाल को लेकर जनता की राय जानने के लिए सर्वे कराया जाता है। डीसी ने एसडीएम हिसार को सर्वे के आदेश दिए हैं। एसडीएम अपने कार्यालय में विभिन्न विभागों के अधिकारियों की संयुक्त बैठक कर जिम्मेदारी सौंपेंगे। आदमपुर नगर पालिका के प्रत्येक वार्ड में एक सर्वे टीम भेजी जाएगी जो घर-घर जाकर लोगों की इस संबंध में राय लेगी। सर्वे की निगरानी के लिए सर्वे टीम में एक पर्यवेक्षक अधिकारी भी नियुक्त किया गया है। सर्वे 5 दिन में पूरा कर लिया जाएगा और सर्वे की संकलित रिपोर्ट डीसी को सौंपी जाएगी। इसके बाद डीसी सर्वे रिपोर्ट तैयार कर सरकार को भेजेंगे। फिर सरकार नगर पालिका का दर्जा खत्म करने की घोषणा करेगी। जल्दबाजी दिखाने पर घिरे कुलदीप बिश्नोई दरअसल, जब सरकार द्वारा नगर पालिका को हटाने से संबंधित फाइल डीसी कार्यालय पहुंची तो कुलदीप बिश्नोई और उनके समर्थकों ने सोशल मीडिया पर यह बात फैला दी कि सरकार ने आदमपुर नगर पालिका का दर्जा हटाने की फाइल पास करके डीसी को भेज दी है और अब नगर पालिका का दर्जा हटा दिया जाएगा। इसके बाद आदमपुर नगर पालिका को हटाने के लिए संघर्ष कर रही कमेटी को डीसी से मिलने के लिए भेजा गया, लेकिन जब डीसी ने बताया कि अभी दर्जा नहीं हटाया गया है, इसके लिए कानूनी प्रक्रिया अपनाई जाएगी, ताकि सरकार के फैसले को कोर्ट में चुनौती न दी जा सके। इसके लिए सर्वे कराया जाएगा। इसके बाद विरोधियों ने कुलदीप को घेरना शुरू कर दिया।