फाजिल्का में विजिलेंस विभाग ने बिजली बोर्ड के जेई को रिश्वत लेते हुए काबू किया है। आरोपी जेई गांव में ट्रांसफार्मर लगाने के लिए रिश्वत की मांग रहा था। ग्रामीणों ने रिश्वत के तौर पर 7 हजार इकट्ठा करके उसे दे दिए थे। जानकारी देते हुए विजिलेंस विभाग के डीएसपी राज कुमार सामा ने बताया कि बिजली बोर्ड का जेई बलवीर सिंह गांव मंडी हजूर सिंह में खराब हुए एक ट्रांसफार्मर के स्थान पर नया ट्रांसफार्मर लगाने के लिए गांव के निवासियों से 10,000 रुपए की रिश्वत मांग रहा था, लेकिन सौदा 7000 रुपए में हुआ था। जिसके बाद उन्हें गांव वालों ने 7000 की रिश्वत दे भी दी थी। वहीं, ग्रामीण सज्जन सिंह ने इसकी शिकायत विजिलेंस विभाग से की थी। शिकायतकर्ता ने जेई से हुई बातचीत को रिकॉर्ड कर लिया, जिसे सबूत के तौर पर विजिलेंस ब्यूरो को सौंप दिया गया। शिकायत की जांच के बाद विजिलेंस ब्यूरो की टीम ने जाल बिछाया और उक्त बिजली कर्मचारी को दो सरकारी गवाहों की मौजूदगी में शिकायतकर्ता से 7000 रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ लिया गया। इस संबंध में उक्त आरोपी के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत विजिलेंस ब्यूरो फिरोजपुर रेंज के थाने में मामला दर्ज कर लिया गया है और आरोपी को अदालत में पेश किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस मामले की आगे की जांच जारी है। फाजिल्का में विजिलेंस विभाग ने बिजली बोर्ड के जेई को रिश्वत लेते हुए काबू किया है। आरोपी जेई गांव में ट्रांसफार्मर लगाने के लिए रिश्वत की मांग रहा था। ग्रामीणों ने रिश्वत के तौर पर 7 हजार इकट्ठा करके उसे दे दिए थे। जानकारी देते हुए विजिलेंस विभाग के डीएसपी राज कुमार सामा ने बताया कि बिजली बोर्ड का जेई बलवीर सिंह गांव मंडी हजूर सिंह में खराब हुए एक ट्रांसफार्मर के स्थान पर नया ट्रांसफार्मर लगाने के लिए गांव के निवासियों से 10,000 रुपए की रिश्वत मांग रहा था, लेकिन सौदा 7000 रुपए में हुआ था। जिसके बाद उन्हें गांव वालों ने 7000 की रिश्वत दे भी दी थी। वहीं, ग्रामीण सज्जन सिंह ने इसकी शिकायत विजिलेंस विभाग से की थी। शिकायतकर्ता ने जेई से हुई बातचीत को रिकॉर्ड कर लिया, जिसे सबूत के तौर पर विजिलेंस ब्यूरो को सौंप दिया गया। शिकायत की जांच के बाद विजिलेंस ब्यूरो की टीम ने जाल बिछाया और उक्त बिजली कर्मचारी को दो सरकारी गवाहों की मौजूदगी में शिकायतकर्ता से 7000 रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ लिया गया। इस संबंध में उक्त आरोपी के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत विजिलेंस ब्यूरो फिरोजपुर रेंज के थाने में मामला दर्ज कर लिया गया है और आरोपी को अदालत में पेश किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस मामले की आगे की जांच जारी है। पंजाब | दैनिक भास्कर
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बिट्टू एहसान फरामोश है, कुछ नहीं आता उसे:केंद्रीय मंत्री द्वारा राहुल गांधी को लेकर दिए बयान पर पंजाब कांग्रेस का पलटवार
बिट्टू एहसान फरामोश है, कुछ नहीं आता उसे:केंद्रीय मंत्री द्वारा राहुल गांधी को लेकर दिए बयान पर पंजाब कांग्रेस का पलटवार केंद्रीय राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू द्वारा राहुल गांधी को लेकर दिए बयान पर पंजाब की राजनीति गर्माई गई है। कांग्रेस के सीनियर नेताओं ने इस पर पलटवार किया है। उन्होंने बिट्टू को एहसान फरामोश कहा है। साथ ही केंद्र सरकार को सलाह दी है कि उनके दिमाग का इलाज करवाया जाए । कांग्रेस नेताओं का कहना है कि यदि राहुल गांधी को आतंकी बोलकर बिट्टू का कद बढ़ता है तो उन्हें इस चीज से कोई ऐतराज नहीं है। वहीं, बिट्टू का कहना है कि वह अपने बयान पर कायम है। वह संसद के अंदर भी उनके सामने यह बात बोल सकते हैं। राहुल गांधी विदेशों में बैठे आतंकियों की भाषा राहुल गांधी बोल रहे हैं। गांधी ने तीन बार बनाया मेंबर पार्लियामेंट कांग्रेस प्रधान व लुधियाना के सांसद अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग ने कहा कि बिट्टू ने राहुल गांधी को आतंकवादी कहा है, उसे शर्म आनी चाहिए। उसे राहुल गांधी ने ही तीन बार मेंबर पॉर्लियामेंट बनाया है। बिट्टू बच्चा था, इसे कुछ नहीं आता था। गुरकीरत काबिल था। बिट्टू के कहने से राहुल गांधी आतंकी नहीं बनेगा। बिट्टू के बयान से उनकी मानसिकता, बुद्धि का ज्ञान लोगों को हो गया है। यह कितना एहसान फरामोश आदमी है। अपने आकाओं को खुश करने के लिए बयान दिया है। राहुल गांधी के पिता ने देश के लिए शहादत दी है। और एक यह व्यक्ति है, जिसने अपने पिता के कातिलों को माफ कर दिया। राहुल गांधी को आतंकी बोलकर आपका बीजेपी में कद बढ़ रहा तो आप बोलिए। हमें इससे एतराज नहीं है। इससे बेबकूफी कहते है। वहीं, उन्होंने बीजेपी को कहा कि आपने हारे लड़के को मंत्री बनाया है। इस मदुबुद्वि को अकल दीजिए। बिट्टू ने मेंटल बैलेंस खोया कांग्रेस के दिग्गज नेता प्रताप सिंह बाजवा ने कहा कि रवनीत बिट्टू के बयान से लगता है कि उन्होंने अपना मेंटल बैलेंस खो दिया है। मुझे बहुत अफसोस है । जिस आदमी का अस्तित्व जिस लीडर, परिवार व पार्टी के कारण हुआ है। उन्हें इसने आतंकवादी बताया है। जिस आदमी को लोगों ने रिजेक्ट कर दिया है। उसे केंद्र सरकार ने मंत्री बना दिया है। उसे अपने संवैधानिक पद का पता नहीं है। मैं भारत सरकार से आग्रह करता हूं कि इस कठिन समय में अपने मंत्री की सहायता करें, क्योंकि ऐसा लगता है कि उन्होंने अपने भाषण और तर्क के बीच आवश्यक संबंध खो दिया है। ऐसे शुरू हुआ था विवाद दरअसल राहुल गांधी कुछ दिन पहले विदेश दौरे पर गए थे। इस दौरान उन्होंने वहां एक प्रोग्राम को संबोधित किया था। दर्शकों में से एक सिख सदस्य से उनका नाम पूछते हुए राहुल गांधी ने कहा था कि भारत में लड़ाई इस बात को लेकर है कि क्या एक सिख के रूप में उन्हें पगड़ी पहनने की अनुमति दी जाएगी या नहीं। भारत में कड़ा पहनने की अनुमति है या नहीं, एक सिख के रूप में उसे गुरुद्वारे में जाने की अनुमति है या नहीं। इसी को लेकर बवाल हुआ था। बीजेपी ने विरोध किया था। इसके बाद बयानबाजी चल रही थी। इसके बाद बिट्टू ने बयान दिया था कि राहुल गांधी हिंदुस्तानी नहीं हैं। उनको भारत से प्यार भी नहीं है। राहुल ने पहले मुसलमानों का इस्तेमाल करने की कोशिश की, लेकिन ऐसा नहीं हुआ तो वे अब सिखों को बांटने की कोशिश कर रहे हैं। राहुल गांधी देश के नंबर वन टेरेरिस्ट हैं। उनको पकड़ने वाले को इनाम दिया जाना चाहिए, क्योंकि वे देश के सबसे बड़े दुश्मन हैं। देश की एजेंसियों को उन पर नजर रखनी चाहिए।
CAA के तहत 20 अफगानी सिखों को मिली नागरिकता:32 साल का इंतजार हुआ खत्म; अधिकतर अमृतसर, लुधियाना के, 380 केस पैंडिंग
CAA के तहत 20 अफगानी सिखों को मिली नागरिकता:32 साल का इंतजार हुआ खत्म; अधिकतर अमृतसर, लुधियाना के, 380 केस पैंडिंग 1992 में पहली अफगान वामपंथी सरकार के गिरने के बाद भारत में प्रवेश करने वाले 400 अफगानी सिखों में से 20 को नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के तहत भारतीय नागरिकता मिल गई है। इनमें से अधिक अमृतसर, जालंधर और लुधियाना में बसे हैं। जबकि अभी भी 380 के करीब केस केंद्र सरकार के पास पैंडिंग पड़े हुए हैं। परिवारों से बातचीत के बाद पता चला कि 32 साल पहले 1992 में अफगानिस्तान का माहौल खराब होने के बाद करीब 400 अफगान सिख भारत आ गए थे। कई अमृतसर, जालंधर और लुधियाना में बस गए। जबकि कुछ ने देश के विभिन्न हिस्सों में अपना डेरा बसाया। भारत में शरण लेने वाले इन सिख परिवारों को रहने के लिए अपना वीजा एक्सटेंड करवाना पड़ता था। हालांकि, 2009 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली UPA सरकार ने पाकिस्तान और अफगानिस्तान के हिंदुओं और सिखों के लिए लांग टर्म वीजा (LTV) मानदंडों में काफी ढील दी। जिसे देखते हुए 1955 नागरिकता एक्ट के तहत आवेदन कर दिए गए, लेकिन तब से इनके आवेदन केंद्र के पास पेंडिंग पड़े थे। CAA के तहत दिए आवेदन बीते माह इन अफगान सिखों ने गृह मंत्रालय भारत सरकार से 1955 एक्ट के आवेदनों को CAA में बदलने की याचिका दायर की। ये याचिका अप्रैल महीने के की गई। जिसके बाद केंद्र ने इनके आवेदनों पर विचार किया और अब 20 अफगानी सिखों को भारतीय नागरिकता मिल गई है। कई खो चुके हैं अपने डॉक्यूमेंट 1992 में भारत में आने वाले कई अफगान सिख अपने डॉक्यूमेंट्स खो चुके हैं। कइयों के पास पासपोर्ट नहीं हैं तो कई अपने जरूरी डॉक्यूमेंट खो चुके हैं। परिवारों ने बताया कि पहले आवेदन करने के लिए राज्य सरकारों का हस्ताक्षेप होता था, लेकिन CAA में उसे हटा दिया गया। जिसके चलते उनके आवेदनों पर जल्द कार्रवाई हो रही है। बदल जाएगा भारत में रहना अफगान सिख बीते 32 सालों से भारतीय नागरिकता हासिल करने के जद्दोजहद कर रहे थे। इन्हें हर साल अपना लांग टर्म वीजा एक्सटेंड करवाना पड़ता था। जिसके लिए कभी चंडीगढ़ तो कभी दिल्ली के चक्कर काटने पड़ते थे। इनमें से कई इतने बुजुर्ग हो चुके हैं कि उनके लिए दिल्ली जाना आसान नहीं होता था। कई भारतीय नागरिकता के इंतजार में अपनी जान भी गवां चुके हैं। लेकिन अब जब इन्हें भारतीय नागरिकता का सर्टिफिकेट मिल चुके है, ये पासपोर्ट एप्लाई कर सकते हैं और भारतीय पहचान पत्र बनवा सकते हैं। बंगलादेश को देखकर डर का माहौल अमृतसर में भारतीय नागरिकता प्राप्त करने वाले एक परिवार से दैनिक भास्कर की टीम ने संपर्क किया। उनके परिवार के 8 के करीब सदस्यों भारतीय नागरिकता मिली है। लेकिन, वे ना खुशी जाहिर करना चाहते हैं और ना अधिक बात करना चाहते हैं। उनका कहना है कि अभी भी उनके परिवार के कई सदस्यों को CAA के तहत नागरिकता देने की प्रक्रिया चल रहा है। वहीं, दूसरी तरफ बांग्लादेश में माहौल खराब हो चुका है। अगर कहीं भारतीय सरकार ने उन्हें नागरिकता देना रोक दिया तो उनके भाई-बहनों को कई साल फिर से इंतजार करना होगा।