बस्ती: स्कूल के बच्चों से उठवाई जा रही किताबें, BSA बोला- ‘होगी कार्रवाई’

बस्ती: स्कूल के बच्चों से उठवाई जा रही किताबें, BSA बोला- ‘होगी कार्रवाई’

<p style=”text-align: justify;”><strong>Bastit News:</strong> उत्तर प्रदेश सरकार ने सर्व शिक्षा अभियान की शुरुआत की ताकि गरीब बच्चे भी अच्छी शिक्षा ग्रहण कर सके. मगर सरकारी स्कूल तो ठहरा सरकारी ही तो भला कैसे ये स्कूल बेहतर हो सकता है इसलिए अपने पुराने ढर्रे पर ही स्कूल के मास्टर साहब इन गरीब बच्चों से व्यवहार करते हैं. बस्ती जनपद से ऐसा कुछ मामला सामने आया है जो सरकार के सर्व शिक्षा अभियान को पलीता लगाने का काम कर रहा है. जनपद के एक प्राइमरी स्कूल के बच्चों से किताब उठवाई जा रही है. जबकि इन बच्चों के हाथों ये किताबे होनी चाहिए थी और इन्हीं किताबों को पढ़कर इन्हें अपना भविष्य सवारना था.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>जनपद मुख्यालय से किताबें बीआरसी पर भेजी जाती हैं. यहां से खंड शिक्षा अधिकारी (BEO) स्तर से किताबों को विद्यालयों तक भेजने की व्यवस्था करनी होती है. किताबों की ढोलाई में आने वाले वाहन खर्च का बिल बाउचर देने के बाद वाहन स्वामी को भुगतान किया जाता है. यह व्यवस्था होने के बाद भी विद्यालयों तक वाहन से किताबें नहीं पहुंचाई जा रही हैं. &nbsp;बीआरसी से किताबों का खेप न्याय पंचायत संसाधन केंद्रों पर गिरा दिया जाता है. यहां से संबंधित विद्यालय के गुरूजी और बच्चे उठाकर ले जाते है जबकि इन किताबों को सीधे स्कूल तक पहुंचाई जानी थी लेकिन विभागीय अधिकारी इन किताबों को स्कूलों तक पहुंचाने के बजाए न्याय पंचायतों तक पहुंचा कर आगे की जिम्मेदारी शिक्षकों पर छोड़ देते हैं और किताबों की ढोलाई का बिल बाउचर लगाकर धन हड़प लेते है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>बच्चों से उठवाई जा रहीं किताबें</strong><br />कुदरहा ब्लाक के सभी न्याय पंचायतो मे यह खेल चल रहा है. ब्लाक के कुछ बच्चों का झोले में किताबों को विद्यालय तक पहुंचाने का एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें वह कह रहे हैं कि प्राथमिक विद्यालय टिकुईया के मैडम के कहने पर वह पास के एक विद्यालय से किताबों को ले आ रहे हैं. लगभग पांच सौ मीटर दूर से किताब लेकर आ रहे यह बच्चे थके हारे से दिख रहे हैं सोचने वाली बात तो यह है कि इन बच्चों को अभिभावक स्कूलों में पढ़ने के लिए भेजते हैं या किताब ढोने के लिए. ब्लाक के बीईओ छनमन प्रसाद गौड़ की सुने तो यह कहते हैं कि किताबों को विद्यालय तक पहुंचाने के लिए साधन की व्यवस्था की गई है. क्या यही बच्चे और शिक्षक ही इनके साधन हैं?</p>
<p style=”text-align: justify;”>वहीं पूरे मामले को लेकर बेसिक शिक्षा अधिकारी अनूप कुमार ने बताया कि सभी विद्यालयों में कक्षा तीन से आठ तक किताबें पहुंचा दी गई है. अगर बच्चे किसी विद्यालय से किताबों की ढुलाई कर रहे है तो इसकी जांच कर संबंधित के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”>ये भी पढ़ें: <a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/ayodhya-dham-electric-poll-collapse-bjp-mayor-girish-pati-tripathi-react-on-akhilesh-yadav-statement-ann-2739046″><strong>UP Politics: अयोध्या में बिजली का पोल गिरने पर सियासत शुरू, अखिलेश यादव को BJP ने यूं दिया जवाब</strong></a></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Bastit News:</strong> उत्तर प्रदेश सरकार ने सर्व शिक्षा अभियान की शुरुआत की ताकि गरीब बच्चे भी अच्छी शिक्षा ग्रहण कर सके. मगर सरकारी स्कूल तो ठहरा सरकारी ही तो भला कैसे ये स्कूल बेहतर हो सकता है इसलिए अपने पुराने ढर्रे पर ही स्कूल के मास्टर साहब इन गरीब बच्चों से व्यवहार करते हैं. बस्ती जनपद से ऐसा कुछ मामला सामने आया है जो सरकार के सर्व शिक्षा अभियान को पलीता लगाने का काम कर रहा है. जनपद के एक प्राइमरी स्कूल के बच्चों से किताब उठवाई जा रही है. जबकि इन बच्चों के हाथों ये किताबे होनी चाहिए थी और इन्हीं किताबों को पढ़कर इन्हें अपना भविष्य सवारना था.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>जनपद मुख्यालय से किताबें बीआरसी पर भेजी जाती हैं. यहां से खंड शिक्षा अधिकारी (BEO) स्तर से किताबों को विद्यालयों तक भेजने की व्यवस्था करनी होती है. किताबों की ढोलाई में आने वाले वाहन खर्च का बिल बाउचर देने के बाद वाहन स्वामी को भुगतान किया जाता है. यह व्यवस्था होने के बाद भी विद्यालयों तक वाहन से किताबें नहीं पहुंचाई जा रही हैं. &nbsp;बीआरसी से किताबों का खेप न्याय पंचायत संसाधन केंद्रों पर गिरा दिया जाता है. यहां से संबंधित विद्यालय के गुरूजी और बच्चे उठाकर ले जाते है जबकि इन किताबों को सीधे स्कूल तक पहुंचाई जानी थी लेकिन विभागीय अधिकारी इन किताबों को स्कूलों तक पहुंचाने के बजाए न्याय पंचायतों तक पहुंचा कर आगे की जिम्मेदारी शिक्षकों पर छोड़ देते हैं और किताबों की ढोलाई का बिल बाउचर लगाकर धन हड़प लेते है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>बच्चों से उठवाई जा रहीं किताबें</strong><br />कुदरहा ब्लाक के सभी न्याय पंचायतो मे यह खेल चल रहा है. ब्लाक के कुछ बच्चों का झोले में किताबों को विद्यालय तक पहुंचाने का एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें वह कह रहे हैं कि प्राथमिक विद्यालय टिकुईया के मैडम के कहने पर वह पास के एक विद्यालय से किताबों को ले आ रहे हैं. लगभग पांच सौ मीटर दूर से किताब लेकर आ रहे यह बच्चे थके हारे से दिख रहे हैं सोचने वाली बात तो यह है कि इन बच्चों को अभिभावक स्कूलों में पढ़ने के लिए भेजते हैं या किताब ढोने के लिए. ब्लाक के बीईओ छनमन प्रसाद गौड़ की सुने तो यह कहते हैं कि किताबों को विद्यालय तक पहुंचाने के लिए साधन की व्यवस्था की गई है. क्या यही बच्चे और शिक्षक ही इनके साधन हैं?</p>
<p style=”text-align: justify;”>वहीं पूरे मामले को लेकर बेसिक शिक्षा अधिकारी अनूप कुमार ने बताया कि सभी विद्यालयों में कक्षा तीन से आठ तक किताबें पहुंचा दी गई है. अगर बच्चे किसी विद्यालय से किताबों की ढुलाई कर रहे है तो इसकी जांच कर संबंधित के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.</p>
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