जिसे 40 दिन में 7 बार सांप काटा…उसे स्नेक फोबिया:बुलंदशहर में शव गंगा में रखा, अंधविश्वास और सर्पदंश से UP में सबसे ज्यादा मौतें

जिसे 40 दिन में 7 बार सांप काटा…उसे स्नेक फोबिया:बुलंदशहर में शव गंगा में रखा, अंधविश्वास और सर्पदंश से UP में सबसे ज्यादा मौतें

केस 1: फतेहपुर में विकास नाम के युवक को 40 दिन में 7 बार सांप काटने का मामला 14 जुलाई को सामने आया। डीएम के आदेश पर CMO ने जांच कराई। जांच टीम के सदस्य डिप्टी CMO डॉ. आरके वर्मा ने बताया- विकास को सिर्फ एक बार सांप ने काटा है। उसे स्नेक फोबिया है। केस 2: दो महीने पहले बुलंदशहर में एक युवक की सांप काटने से मौत हो गई। जिंदा होने की आस में परिजन युवक की बॉडी को गंगा नदी में ले गए। जहां उसे बांधकर नदी में रखा। सुबह से शाम हो गई, लेकिन बॉडी में कोई हलचल नहीं हुई। आखिरकार, परिजनों ने वहीं अवंतिका देवी घाट पर अंतिम संस्कार कर दिया। ये दो मामले बताने के लिए काफी हैं कि सांपों को लेकर समाज में कितना अंधविश्वास और डर है। सांप के काटने पर लोग इलाज के बजाय अब भी मान्यताओं और झाड़-फूंक को तवज्जो देते हैं। मानसून आते ही प्रदेश में सर्पदंश के मामले बढ़ जाते हैं। राज्य सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, देश में सांप काटने से सबसे ज्यादा मौतें उत्तर प्रदेश में होती हैं। 5 जिलों को ‘स्नेक बाइट हॉटस्पॉट’ घोषित किया गया है। 2018 से 2024 के मार्च तक सांप काटने से प्रदेश में 3 हजार 288 लोगों की मौत हो चुकी है। सांपों को लेकर लोगों में किस तरह के अंधविश्वास हैं? उत्तर प्रदेश में सांप काटना कितनी गंभीर समस्या है? भास्कर एक्सप्लेनर में जानिए- आखिर क्या होता है स्नेक फोबिया? फोबिया…मतलब वो डर, जिसके पीछे कोई वजह नहीं है। वजह सिर्फ आपके जेहन में है। इस तरह के डर के पीछे कोई तर्क नहीं होता। ऐसे में, स्नेक फोबिया मतलब- व्यक्ति ऐसी हालत में है कि वो बिना वजह सांप से डर रहा है। उसके आस-पास कोई सांप नहीं है, फिर भी उसे सांप के आसपास होने का आभास हो रहा है। असल में किसी भी तरह का फोबिया बिना वजह का नहीं होता। इसकी शुरुआत एक बार उस खतरे से सामना होने के बाद होती है। इसका ताजा उदाहरण फतेहपुर का विकास है। उसे एक बार सांप ने काटा, जिसका डर उसके जेहन में बस गया। उसके बाद हमेशा उसे ऐसा लगने लगा कि उसे सांप ने काटा है। विकास के डर को बल दिया उस निजी अस्पताल ने, जहां वो 6 बार इलाज कराने जाता रहा। पैसों के लिए अस्पताल हर बार उसके इलाज के नाम पर बिल बना देता। ये बातें CMO की जांच में सामने आई है। अब जानिए उत्तर प्रदेश में स्नेक बाइट को लेकर क्या हालात हैं… सांप काटने से सबसे ज्यादा मौतें उत्तर प्रदेश में प्रदेश सरकार के राहत आयुक्त विभाग से जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, देश भर में सांप कांटने से सबसे ज्यादा मौतें उत्तर प्रदेश में होती हैं। साल 2019 से 2024 के बीच प्रदेश में सांप के काटने से कुल 3 हजार 353 मौतें हुई हैं। यह आंकड़ें 31 मार्च 2024 तक के हैं। इस आंकड़े के आधार पर हर साल होने वाली मौतों का औसत 670 है। यह अन्य प्रदेशों में होने वाली मौतों में सबसे ज्यादा है। मौतों के मामले में दूसरे नंबर पर आंध्र प्रदेश है। इसके बाद बिहार और दूसरे राज्य हैं। यूपी में सांप काटने के मामले वैसे तो पूरे साल आते रहते हैं, लेकिन मानसून के समय अचानक संख्या बढ़ जाती है। दरअसल, मानसून के समय सांपों के बिल में पानी भर जाता है। उमस भी इस मौसम में सबसे ज्यादा होती है। इस वजह से सांप अपना बिल छोड़कर बाहर आने के लिए मजबूर होते हैं। इस तरह सांप काटने के आधे मामले सिर्फ जून से सितंबर महीने के बीच आते हैं। उत्तर प्रदेश के 5 जिले ‘स्नेक बाइट हॉटस्पॉट’ प्रदेश के 5 जिलों में सर्पदंश की सबसे अधिक घटनाएं होती हैं। इसलिए सरकार ने उन्हें ‘स्नेक बाइट हॉटस्पॉट’ घोषित किया है। इसमें सोनभद्र, फतेहपुर, बाराबंकी, उन्नाव और हरदोई शामिल हैं। इन 5 जिलों के अलावा सीतापुर, गाजीपुर और मिर्जापुर जिले भी स्नेक बाइट के मामलों में आगे हैं। इन सभी जिलों में सांप काटने के मामले सबसे ज्यादा मामले ग्रामीण इलाकों से आते हैं। इन जिलों को सामान्य रूप से बड़ी जनसंख्या गांवों में रहती है। यहां खेती-किसानी का रकबा भी ज्यादा है। सांप काटने से मौतें रोकने के लिए शुरू किया पायलट प्रोजेक्ट इसी साल अप्रैल में राहत आयुक्त विभाग ने एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है। ये बाराबंकी, सोनभद्र और गाजीपुर जिले में शुरू किया गया है। इस प्रोजेक्ट का मकसद है- सांप के काटने से होने वाली मौतों में कमी लाना। आने वाले समय में इस प्रोजेक्ट को प्रदेश के दूसरे जिलों में भी शुरू करने की मंशा है। इस प्रोजेक्ट में जागरूकता फैलाने से लेकर लोगों को प्राथमिक उपचार के साधन देना शामिल है। पीड़ितों को तुरंत मदद करने के लिए मेडिकल ऑफिसर्स से लेकर डॉक्टर्स, कम्यूनिटी हेल्थ ऑफिसर्स और आशा कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी दी गई है। आशा कार्यकर्ताओं को विशेष रूप से स्नेक बाइट किट दी गई है। सांप काटने के बाद हॉस्पिटल आकर इलाज कराने वालों को प्रोत्साहन के रूप में टी-शर्ट और कैप दी जा रही है। सर्पदंश से मरने पर परिवार वालों को स्टेट रिलीफ फंड से मुआवजा 2018 में उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार ने सांप के काटने से मरने वाले के परिजनों को मुआवजा के दायरे में शामिल किया। ऐसा करने के लिए सरकार को सर्पदंश को स्टेट डिजास्टर यानी राज्य आपदा की सूची में शामिल करना पड़ा। इस तरह पिछले 4 सालों से सांप काटने से मरने वाले के परिवार को 4 लाख रुपए की मुआवजा राशि मिलती है। इसके बाद से हर साल स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी विस्तृत स्नेक बाइट एसओपी जारी करने लगा है। एक दशक पहले तक सरकार के पास नहीं था सर्पदंश से मौतों का सटीक आंकड़ा उत्तर प्रदेश सहित पूरे भारत में एक दशक पहले की बात करें तो सांप काटने से होने वाली मौतों का सही आंकड़ा ही नहीं था। दरअसल, ऐसे ज्यादातर मामले हॉस्पिटल तक पहुंच ही नहीं पाते थे। लोग अंधविश्वास में फंस कर घायल व्यक्ति को ठीक कराने की कोशिश करते थे। मौत हो जाने पर गांवों में ही उनका दाह-संस्कार कर दिया जाता था। विशेषज्ञ मानते हैं कि 2010 के बाद से यह स्थिति सुधरी है। हालांकि, पूरी तरह खत्म नहीं हुई है। सांप काटने से सबसे ज्यादा मौतें भारत में भारत में पाए जाने वाले सभी सांप की प्रजातियों में सिर्फ 15 फीसदी ही जहरीली प्रजाति के हैं। बाकी की 85 फीसदी प्रजातियां जहरीली नहीं होती हैं। इसके उलट भारत में सांप के काटने से मौतों का आंकड़ा सबसे ज्यादा है। 2020 में एक स्टडी के आंकड़ों के मुताबिक, हर साल भारत में करीब 58 हजार लोगों की मौत सांप काटने से हो रही है। इन आंकड़ों को लेकर भी विशेषज्ञ आशंका जाहिर करते हैं। उनका मानना है कि सांप के काटने की घटनाओं की रिपोर्टिंग बहुत ही कम है। इसलिए असल में ये आंकड़े और भी अधिक हो सकते हैं। इसके पीछे वजह निकलकर आती है, लोगों को सांपों की सही जानकारी ना होना। इसकी वजह से लोग सही समय पर इलाज के लिए नहीं पहुंचते और मौत हो जाती है। लोगों में सांप काटने के बाद इलाज को लेकर भी कई मान्यताएं और अंधविश्वास हैं, जिनका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। केस 1: फतेहपुर में विकास नाम के युवक को 40 दिन में 7 बार सांप काटने का मामला 14 जुलाई को सामने आया। डीएम के आदेश पर CMO ने जांच कराई। जांच टीम के सदस्य डिप्टी CMO डॉ. आरके वर्मा ने बताया- विकास को सिर्फ एक बार सांप ने काटा है। उसे स्नेक फोबिया है। केस 2: दो महीने पहले बुलंदशहर में एक युवक की सांप काटने से मौत हो गई। जिंदा होने की आस में परिजन युवक की बॉडी को गंगा नदी में ले गए। जहां उसे बांधकर नदी में रखा। सुबह से शाम हो गई, लेकिन बॉडी में कोई हलचल नहीं हुई। आखिरकार, परिजनों ने वहीं अवंतिका देवी घाट पर अंतिम संस्कार कर दिया। ये दो मामले बताने के लिए काफी हैं कि सांपों को लेकर समाज में कितना अंधविश्वास और डर है। सांप के काटने पर लोग इलाज के बजाय अब भी मान्यताओं और झाड़-फूंक को तवज्जो देते हैं। मानसून आते ही प्रदेश में सर्पदंश के मामले बढ़ जाते हैं। राज्य सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, देश में सांप काटने से सबसे ज्यादा मौतें उत्तर प्रदेश में होती हैं। 5 जिलों को ‘स्नेक बाइट हॉटस्पॉट’ घोषित किया गया है। 2018 से 2024 के मार्च तक सांप काटने से प्रदेश में 3 हजार 288 लोगों की मौत हो चुकी है। सांपों को लेकर लोगों में किस तरह के अंधविश्वास हैं? उत्तर प्रदेश में सांप काटना कितनी गंभीर समस्या है? भास्कर एक्सप्लेनर में जानिए- आखिर क्या होता है स्नेक फोबिया? फोबिया…मतलब वो डर, जिसके पीछे कोई वजह नहीं है। वजह सिर्फ आपके जेहन में है। इस तरह के डर के पीछे कोई तर्क नहीं होता। ऐसे में, स्नेक फोबिया मतलब- व्यक्ति ऐसी हालत में है कि वो बिना वजह सांप से डर रहा है। उसके आस-पास कोई सांप नहीं है, फिर भी उसे सांप के आसपास होने का आभास हो रहा है। असल में किसी भी तरह का फोबिया बिना वजह का नहीं होता। इसकी शुरुआत एक बार उस खतरे से सामना होने के बाद होती है। इसका ताजा उदाहरण फतेहपुर का विकास है। उसे एक बार सांप ने काटा, जिसका डर उसके जेहन में बस गया। उसके बाद हमेशा उसे ऐसा लगने लगा कि उसे सांप ने काटा है। विकास के डर को बल दिया उस निजी अस्पताल ने, जहां वो 6 बार इलाज कराने जाता रहा। पैसों के लिए अस्पताल हर बार उसके इलाज के नाम पर बिल बना देता। ये बातें CMO की जांच में सामने आई है। अब जानिए उत्तर प्रदेश में स्नेक बाइट को लेकर क्या हालात हैं… सांप काटने से सबसे ज्यादा मौतें उत्तर प्रदेश में प्रदेश सरकार के राहत आयुक्त विभाग से जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, देश भर में सांप कांटने से सबसे ज्यादा मौतें उत्तर प्रदेश में होती हैं। साल 2019 से 2024 के बीच प्रदेश में सांप के काटने से कुल 3 हजार 353 मौतें हुई हैं। यह आंकड़ें 31 मार्च 2024 तक के हैं। इस आंकड़े के आधार पर हर साल होने वाली मौतों का औसत 670 है। यह अन्य प्रदेशों में होने वाली मौतों में सबसे ज्यादा है। मौतों के मामले में दूसरे नंबर पर आंध्र प्रदेश है। इसके बाद बिहार और दूसरे राज्य हैं। यूपी में सांप काटने के मामले वैसे तो पूरे साल आते रहते हैं, लेकिन मानसून के समय अचानक संख्या बढ़ जाती है। दरअसल, मानसून के समय सांपों के बिल में पानी भर जाता है। उमस भी इस मौसम में सबसे ज्यादा होती है। इस वजह से सांप अपना बिल छोड़कर बाहर आने के लिए मजबूर होते हैं। इस तरह सांप काटने के आधे मामले सिर्फ जून से सितंबर महीने के बीच आते हैं। उत्तर प्रदेश के 5 जिले ‘स्नेक बाइट हॉटस्पॉट’ प्रदेश के 5 जिलों में सर्पदंश की सबसे अधिक घटनाएं होती हैं। इसलिए सरकार ने उन्हें ‘स्नेक बाइट हॉटस्पॉट’ घोषित किया है। इसमें सोनभद्र, फतेहपुर, बाराबंकी, उन्नाव और हरदोई शामिल हैं। इन 5 जिलों के अलावा सीतापुर, गाजीपुर और मिर्जापुर जिले भी स्नेक बाइट के मामलों में आगे हैं। इन सभी जिलों में सांप काटने के मामले सबसे ज्यादा मामले ग्रामीण इलाकों से आते हैं। इन जिलों को सामान्य रूप से बड़ी जनसंख्या गांवों में रहती है। यहां खेती-किसानी का रकबा भी ज्यादा है। सांप काटने से मौतें रोकने के लिए शुरू किया पायलट प्रोजेक्ट इसी साल अप्रैल में राहत आयुक्त विभाग ने एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है। ये बाराबंकी, सोनभद्र और गाजीपुर जिले में शुरू किया गया है। इस प्रोजेक्ट का मकसद है- सांप के काटने से होने वाली मौतों में कमी लाना। आने वाले समय में इस प्रोजेक्ट को प्रदेश के दूसरे जिलों में भी शुरू करने की मंशा है। इस प्रोजेक्ट में जागरूकता फैलाने से लेकर लोगों को प्राथमिक उपचार के साधन देना शामिल है। पीड़ितों को तुरंत मदद करने के लिए मेडिकल ऑफिसर्स से लेकर डॉक्टर्स, कम्यूनिटी हेल्थ ऑफिसर्स और आशा कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी दी गई है। आशा कार्यकर्ताओं को विशेष रूप से स्नेक बाइट किट दी गई है। सांप काटने के बाद हॉस्पिटल आकर इलाज कराने वालों को प्रोत्साहन के रूप में टी-शर्ट और कैप दी जा रही है। सर्पदंश से मरने पर परिवार वालों को स्टेट रिलीफ फंड से मुआवजा 2018 में उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार ने सांप के काटने से मरने वाले के परिजनों को मुआवजा के दायरे में शामिल किया। ऐसा करने के लिए सरकार को सर्पदंश को स्टेट डिजास्टर यानी राज्य आपदा की सूची में शामिल करना पड़ा। इस तरह पिछले 4 सालों से सांप काटने से मरने वाले के परिवार को 4 लाख रुपए की मुआवजा राशि मिलती है। इसके बाद से हर साल स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी विस्तृत स्नेक बाइट एसओपी जारी करने लगा है। एक दशक पहले तक सरकार के पास नहीं था सर्पदंश से मौतों का सटीक आंकड़ा उत्तर प्रदेश सहित पूरे भारत में एक दशक पहले की बात करें तो सांप काटने से होने वाली मौतों का सही आंकड़ा ही नहीं था। दरअसल, ऐसे ज्यादातर मामले हॉस्पिटल तक पहुंच ही नहीं पाते थे। लोग अंधविश्वास में फंस कर घायल व्यक्ति को ठीक कराने की कोशिश करते थे। मौत हो जाने पर गांवों में ही उनका दाह-संस्कार कर दिया जाता था। विशेषज्ञ मानते हैं कि 2010 के बाद से यह स्थिति सुधरी है। हालांकि, पूरी तरह खत्म नहीं हुई है। सांप काटने से सबसे ज्यादा मौतें भारत में भारत में पाए जाने वाले सभी सांप की प्रजातियों में सिर्फ 15 फीसदी ही जहरीली प्रजाति के हैं। बाकी की 85 फीसदी प्रजातियां जहरीली नहीं होती हैं। इसके उलट भारत में सांप के काटने से मौतों का आंकड़ा सबसे ज्यादा है। 2020 में एक स्टडी के आंकड़ों के मुताबिक, हर साल भारत में करीब 58 हजार लोगों की मौत सांप काटने से हो रही है। इन आंकड़ों को लेकर भी विशेषज्ञ आशंका जाहिर करते हैं। उनका मानना है कि सांप के काटने की घटनाओं की रिपोर्टिंग बहुत ही कम है। इसलिए असल में ये आंकड़े और भी अधिक हो सकते हैं। इसके पीछे वजह निकलकर आती है, लोगों को सांपों की सही जानकारी ना होना। इसकी वजह से लोग सही समय पर इलाज के लिए नहीं पहुंचते और मौत हो जाती है। लोगों में सांप काटने के बाद इलाज को लेकर भी कई मान्यताएं और अंधविश्वास हैं, जिनका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर