गोंडा हादसा…दिल्ली से लखनऊ पहुंची जांच टीम:एक्सीडेंट के पॉइट पर की वन टू वन बातचीत, मौके पर पहुंचे; नप सकते हैं कई अधिकारी

गोंडा हादसा…दिल्ली से लखनऊ पहुंची जांच टीम:एक्सीडेंट के पॉइट पर की वन टू वन बातचीत, मौके पर पहुंचे; नप सकते हैं कई अधिकारी

गोंडा रेल हादसे की जांच करने दिल्ली से अधिकारियों की टीम रविवार को लखनऊ पहुंची। डीआरएम ऑफिस में वन टू वन बातचीत की। जांच के लिए टीम घटना स्थल पर भी गई। हादसा किन कारणों से हुआ। एक-एक बिंदुओं पर रिपोर्ट मांगी। इस दौरान शेफ्टी, शिग्नल, परिचालन और सुरक्षा से जुड़े सभी पहलुओं को देखा। हादसे में टूटी पटरियों और विद्युत लाइन की भी मरम्मत का निरीक्षण किया। मोटर ट्रॉली से झिलाही-मोतीगंज के बीच इंटरलॉकिंग, क्रॉसिंग, कर्व से जुड़े सभी पहलुओं को भी देखा। इस टीम में रेल संरक्षा आयुक्त प्रणजीव सक्सेना, मुख्य संरक्षा अधिकारी मुकेश मेहरोत्रा के साथ मंडल संरक्षा अधिकारी डॉ. शिल्पी कनौजिया, इंजीनियर विनीत भी मौजूद रहे। 50 से अधिक अधिकारियों से वन टू वन बातचीत बैठक में 50 से अधिकारियों और कर्मचारियों को बुलाया गया। सभी अधिकारी-कर्मचारी अपनी रिपोर्ट लेकर पहुंचे। बयानों और ग्राउंड रिपोर्ट की स्थिति की जांच ही अंतिम रिपोर्ट होगी। इसके बाद रेल दुर्घटना मामले में जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई कर जवाबदेही तय की जाएगी। डीआरएम ऑफिस में अधिकारियों से प्वाइंट टू पॉइंट पूछताछ रेलवे संरक्षा आयुक्त सुबह 11 बजे से जांच कर रहे हैं। कैरेज एंड वैगन (सीएनडब्ल्यू), इंजीनियरिंग, सिग्नल, आरपीएफ, पर्सनल, हेल्थ और सेफ्टी डिपार्टमेंट के कर्मचारी पहुंचे हैं। इन लोगों का नाम रजिस्टर में लिखा गया है। विभागों की रिपोर्ट लेने के बाद अधिकारियों से प्वाइंट टू पॉइंट पूछताछ की जा रही है। संयुक्त रिपोर्ट के आधार पर बढ़ रही जांच लोको पायलट त्रिभुवन नारायण, सहायक लोको पायलट राज, ट्रेन मैनेजर विश्वजीत सरकार के साथ की-मैन से भी रिपोर्ट ली गई है। रनिंग स्टॉफ, ट्रैक मेंटेनर और ट्रैक मशीन का काम देखने वालों के भी बयान दर्ज किए गए हैं। रिपोर्ट पर इंजीनियर ​​​​​​ने जताई असहमति जांच टीम ने ट्रैफिक इंस्पेक्टर गोंडा जीसी श्रीवास्तव, चीफ लोको इंस्पेक्टर दिलीप कुमार, सीनियर सेक्शन इंजीनियर गोंडा वेद प्रकाश मीना, सीनियर सेक्शन इंजीनियर मनकापुर पीके सिंह सहित 6 अधीक्षकों के बयान भी दर्ज किए गए। वरिष्ठ अनुभाग इंजीनियर (SSE) पीके सिंह ने रिपोर्ट पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा- रिपोर्ट बिना तथ्यों को देखे एक मत होकर बनाई गई है, जो कि बिल्कुल गलत है। संयुक्त रिपोर्ट से बिल्कुल सहमत नहीं हूं। पीके सिंह ने 11 पॉइंट पर असहमति जताई है। दैनिक भास्कर ने 2 दिन पहले (19 जुलाई) को हादसे की 3 वजहें बताई थीं…पढ़िए 86 किलोमीटर की स्पीड से दौड़ी ट्रेन से हादसा चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ ट्रेन हादसे की पहली रिपोर्ट सामने आई है। रेलवे ने रिपोर्ट में बताया है कि ट्रैक की गड़बड़ी की वजह से हादसा हुआ। ट्रैक पर 30 किलोमीटर की रफ्तार से ट्रेन चल सकती है, लेकिन लोको पायलट (ट्रेन ड्राइवर) को इसके बारे में बताया ही नहीं गया। उसने 86 किलोमीटर की स्पीड से ट्रेन दौड़ा दी और हादसा हो गया। हादसे के 2 मिनट बाद उसे कॉशन मिला। 6 रेलवे अफसरों की जॉइंट कमेटी ने 36 पॉइंट में बनाई रिपोर्ट इसके अलावा, जांच में ट्रैक 4 मीटर खिसका मिला है। ट्रैक को ठीक से कसा भी नहीं गया था। लखनऊ के 6 रेलवे अफसरों की जॉइंट कमेटी ने 36 पॉइंट में रिपोर्ट तैयार की है। 5 अफसरों ने हादसे की वजह इंजीनियरिंग विभाग की लापरवाही और 1 ने गलत ढंग से ब्रेक लगाना बताया है। चलिए, पहली रिपोर्ट की 4 बड़ी बातें बताते हैं… गोंडा रेल हादसे की जांच करने दिल्ली से अधिकारियों की टीम रविवार को लखनऊ पहुंची। डीआरएम ऑफिस में वन टू वन बातचीत की। जांच के लिए टीम घटना स्थल पर भी गई। हादसा किन कारणों से हुआ। एक-एक बिंदुओं पर रिपोर्ट मांगी। इस दौरान शेफ्टी, शिग्नल, परिचालन और सुरक्षा से जुड़े सभी पहलुओं को देखा। हादसे में टूटी पटरियों और विद्युत लाइन की भी मरम्मत का निरीक्षण किया। मोटर ट्रॉली से झिलाही-मोतीगंज के बीच इंटरलॉकिंग, क्रॉसिंग, कर्व से जुड़े सभी पहलुओं को भी देखा। इस टीम में रेल संरक्षा आयुक्त प्रणजीव सक्सेना, मुख्य संरक्षा अधिकारी मुकेश मेहरोत्रा के साथ मंडल संरक्षा अधिकारी डॉ. शिल्पी कनौजिया, इंजीनियर विनीत भी मौजूद रहे। 50 से अधिक अधिकारियों से वन टू वन बातचीत बैठक में 50 से अधिकारियों और कर्मचारियों को बुलाया गया। सभी अधिकारी-कर्मचारी अपनी रिपोर्ट लेकर पहुंचे। बयानों और ग्राउंड रिपोर्ट की स्थिति की जांच ही अंतिम रिपोर्ट होगी। इसके बाद रेल दुर्घटना मामले में जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई कर जवाबदेही तय की जाएगी। डीआरएम ऑफिस में अधिकारियों से प्वाइंट टू पॉइंट पूछताछ रेलवे संरक्षा आयुक्त सुबह 11 बजे से जांच कर रहे हैं। कैरेज एंड वैगन (सीएनडब्ल्यू), इंजीनियरिंग, सिग्नल, आरपीएफ, पर्सनल, हेल्थ और सेफ्टी डिपार्टमेंट के कर्मचारी पहुंचे हैं। इन लोगों का नाम रजिस्टर में लिखा गया है। विभागों की रिपोर्ट लेने के बाद अधिकारियों से प्वाइंट टू पॉइंट पूछताछ की जा रही है। संयुक्त रिपोर्ट के आधार पर बढ़ रही जांच लोको पायलट त्रिभुवन नारायण, सहायक लोको पायलट राज, ट्रेन मैनेजर विश्वजीत सरकार के साथ की-मैन से भी रिपोर्ट ली गई है। रनिंग स्टॉफ, ट्रैक मेंटेनर और ट्रैक मशीन का काम देखने वालों के भी बयान दर्ज किए गए हैं। रिपोर्ट पर इंजीनियर ​​​​​​ने जताई असहमति जांच टीम ने ट्रैफिक इंस्पेक्टर गोंडा जीसी श्रीवास्तव, चीफ लोको इंस्पेक्टर दिलीप कुमार, सीनियर सेक्शन इंजीनियर गोंडा वेद प्रकाश मीना, सीनियर सेक्शन इंजीनियर मनकापुर पीके सिंह सहित 6 अधीक्षकों के बयान भी दर्ज किए गए। वरिष्ठ अनुभाग इंजीनियर (SSE) पीके सिंह ने रिपोर्ट पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा- रिपोर्ट बिना तथ्यों को देखे एक मत होकर बनाई गई है, जो कि बिल्कुल गलत है। संयुक्त रिपोर्ट से बिल्कुल सहमत नहीं हूं। पीके सिंह ने 11 पॉइंट पर असहमति जताई है। दैनिक भास्कर ने 2 दिन पहले (19 जुलाई) को हादसे की 3 वजहें बताई थीं…पढ़िए 86 किलोमीटर की स्पीड से दौड़ी ट्रेन से हादसा चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ ट्रेन हादसे की पहली रिपोर्ट सामने आई है। रेलवे ने रिपोर्ट में बताया है कि ट्रैक की गड़बड़ी की वजह से हादसा हुआ। ट्रैक पर 30 किलोमीटर की रफ्तार से ट्रेन चल सकती है, लेकिन लोको पायलट (ट्रेन ड्राइवर) को इसके बारे में बताया ही नहीं गया। उसने 86 किलोमीटर की स्पीड से ट्रेन दौड़ा दी और हादसा हो गया। हादसे के 2 मिनट बाद उसे कॉशन मिला। 6 रेलवे अफसरों की जॉइंट कमेटी ने 36 पॉइंट में बनाई रिपोर्ट इसके अलावा, जांच में ट्रैक 4 मीटर खिसका मिला है। ट्रैक को ठीक से कसा भी नहीं गया था। लखनऊ के 6 रेलवे अफसरों की जॉइंट कमेटी ने 36 पॉइंट में रिपोर्ट तैयार की है। 5 अफसरों ने हादसे की वजह इंजीनियरिंग विभाग की लापरवाही और 1 ने गलत ढंग से ब्रेक लगाना बताया है। चलिए, पहली रिपोर्ट की 4 बड़ी बातें बताते हैं…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर