हरियाणा में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा ने 6 जिलाध्यक्षों को हटा दिया है और उनके स्थान पर नई नियुक्ति कर दी है। हटाए गए जिलाध्यक्षों में अधिकांश के खिलाफ पार्टी के सांसदों की ओर से शिकायत की गई थी। सांसदों ने चुनाव के बाद इन जिलाध्यक्षों की रिपोर्ट मुख्यमंत्री नायब सैनी और पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को सौंपी थी। इन जिलाध्यक्षों पर भितरघात करने, पार्टी फंड को खुर्द-बुर्द करने और काम न करने जैसे आरोप लगे थे। वहीं कुछ जिलाध्यक्षों को इस कारण हटाया है क्योंकि उन्होंने चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की थी। वह पूरे जिले को संभालने की बजाय अपने चुनाव पर ध्यान देना चाहते थे। इस कारण भाजपा ने फेर बदल किया है। भाजपा ने हिसार, जींद, सिरसा, रेवाड़ी, कुरुक्षेत्र और कैथल के जिलाध्यक्ष बदले हैं। पार्टी का किसी तरह का नुकसान न हो इसलिए हटाए गए सभी जिलाध्यक्षों को प्रदेश कार्यकारिणी में एडजस्ट किया है। मगर इसका असर आगामी विधानसभा चुनाव पर पड़ेगा। भाजपा ने की नई नियुक्तियां… पार्टी ने 5 जिला प्रभारी भी बनाए
भाजपा ने महेंद्रगढ़, जींद, भिवानी और कैथल के जिला प्रभारी भी बनाए हैं। महेंद्रगढ़ में शंकर धूपड़, जींद में मदन गोयल, भिवानी में राज्यसभा सांसद रामचंद्र जांगड़ा और कैथल में अमरपाल राणा को जिला प्रभारी की जिम्मेदारी दी गई है। इसके अलावा पुराने जिलाध्यक्ष रहे हिसार की आशा खेदड़, जींद से राजू मोर, सिरसा से निताशा सिहाग, रेवाड़ी से प्रीतम चौहान और कुरुक्षेत्र से रवि बतान को प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य बनाया गया है। सोशल इंजीनियरिंग का फॉर्मूला अपनाया
हिसार में आशा खेदड़ की जगह आरएसएस से जुड़े अशोक सैनी को जिलाध्यक्ष बनाया है। अशोक सैनी के पिता सैनीपुरा गांव के सरपंच रह चुके हैं। हिसार में ओबीसी वोटर अच्छी संख्या में हैं। इसके अलावा सैनी वोट बैंक भी शहरी सीटों पर प्रभाव डालते हैं। इसके कारण अशोक सैनी को जिम्मेदारी दी गई है। जींद में जाट चेहरे राजू मोर की जगह जाट चेहरे पर ही दांव लगाया गया है। जींद में तेजेंद्र ढुल को जिम्मेदारी दी गई है। सिरसा में निताशा सिहाग को हटाकर शीशपाल कंबोज को जिम्मेदारी की गई है। सिरसा में कंबोज बिरादरी के अच्छे वोट हैं। रानियां, कालांवाली, डबवाली और सिरसा पर कंबोज बिरादरी का अच्छा प्रभाव है। कुरुक्षेत्र में राजपूत समाज से आने वाले सुशील राणा को जिम्मेदारी दी है। राजपूत समाज के वोट करनाल के साथ-साथ कुरुक्षेत्र में प्रभाव डालते हैं। यहां रवि बतान की जगह सुशील राणा को जिम्मेदारी दी है। इसी तरह रेवाड़ी में सुधा यादव के खास प्रीतम चौहान को हटाकर राव इंद्रजीत की पसंद के चेहरे वंदना पोपली को जिलाध्यक्ष बनाया है। वहीं कैथल में अशोक गुर्जर को हटाकर मुनीश कठवाड़ को जिलाध्यक्ष बनाया गया है। हरियाणा में 4 सीटों पर भीतरघात की मिली थी शिकायत
लोकसभा चुनाव में भाजपा को हरियाणा की 4 लोकसभा सीटों पर भीतरघात की शिकायतें मिली थी। इसमें से 3 सीट भाजपा हार गई थी। जिसमें हिसार, सिरसा और सोनीपत है। गुरुग्राम सीट पर भी भीतरघात की शिकायतें हुई थी। यहां पर उम्मीदवारों का पार्टी के ही नेताओं ने विरोध किया था। जिसका खामियाजा यह हुआ कि भाजपा यहां हार गई। सबसे टफ फाइट सोनीपत सीट पर देखने को मिली। यहां अगर भीतरघात न हुआ होता भाजपा यह सीट जीत सकती थी। चुनाव के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं के फीडबैक और सीआईडी के जरिए रिपोर्ट तैयार की थी कि कौन सा उम्मीदवार किन कारणों से हारा। सोनीपत, हिसार और सिरसा की रिपोर्ट में विधायक, पूर्व विधायक से लेकर जिलाध्यक्षों तक के नाम थे। चुनाव के बाद उम्मीदवारों ने जता दी थी आशंका
लोकसभा चुनाव के बाद ही हरियाणा में मुख्यमंत्री नायब सैनी ने पंचकूला में सभी उम्मीदवारों की मीटिंग बुलाई थी। इस बैठक में पूर्व CM मनोहर लाल भी मौजूद थे। इस मीटिंग में उम्मीदवारों ने भीतरघात से होने वाले नुकसान के बारे में बताया था। मीटिंग में जो नाम सामने आए उसके आधार पर पार्टी ने कार्यकर्ताओं से फीडबैक लेना शुरू कर दिया था। वहीं नतीजों से पहले CM नायब सैनी ने भीतरघातियों को स्पष्ट संदेश दिया था कि किसी को बख्शा नहीं जाएगा और दिल्ली दरबार में इसकी शिकायत की जाएगी। हरियाणा में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा ने 6 जिलाध्यक्षों को हटा दिया है और उनके स्थान पर नई नियुक्ति कर दी है। हटाए गए जिलाध्यक्षों में अधिकांश के खिलाफ पार्टी के सांसदों की ओर से शिकायत की गई थी। सांसदों ने चुनाव के बाद इन जिलाध्यक्षों की रिपोर्ट मुख्यमंत्री नायब सैनी और पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को सौंपी थी। इन जिलाध्यक्षों पर भितरघात करने, पार्टी फंड को खुर्द-बुर्द करने और काम न करने जैसे आरोप लगे थे। वहीं कुछ जिलाध्यक्षों को इस कारण हटाया है क्योंकि उन्होंने चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की थी। वह पूरे जिले को संभालने की बजाय अपने चुनाव पर ध्यान देना चाहते थे। इस कारण भाजपा ने फेर बदल किया है। भाजपा ने हिसार, जींद, सिरसा, रेवाड़ी, कुरुक्षेत्र और कैथल के जिलाध्यक्ष बदले हैं। पार्टी का किसी तरह का नुकसान न हो इसलिए हटाए गए सभी जिलाध्यक्षों को प्रदेश कार्यकारिणी में एडजस्ट किया है। मगर इसका असर आगामी विधानसभा चुनाव पर पड़ेगा। भाजपा ने की नई नियुक्तियां… पार्टी ने 5 जिला प्रभारी भी बनाए
भाजपा ने महेंद्रगढ़, जींद, भिवानी और कैथल के जिला प्रभारी भी बनाए हैं। महेंद्रगढ़ में शंकर धूपड़, जींद में मदन गोयल, भिवानी में राज्यसभा सांसद रामचंद्र जांगड़ा और कैथल में अमरपाल राणा को जिला प्रभारी की जिम्मेदारी दी गई है। इसके अलावा पुराने जिलाध्यक्ष रहे हिसार की आशा खेदड़, जींद से राजू मोर, सिरसा से निताशा सिहाग, रेवाड़ी से प्रीतम चौहान और कुरुक्षेत्र से रवि बतान को प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य बनाया गया है। सोशल इंजीनियरिंग का फॉर्मूला अपनाया
हिसार में आशा खेदड़ की जगह आरएसएस से जुड़े अशोक सैनी को जिलाध्यक्ष बनाया है। अशोक सैनी के पिता सैनीपुरा गांव के सरपंच रह चुके हैं। हिसार में ओबीसी वोटर अच्छी संख्या में हैं। इसके अलावा सैनी वोट बैंक भी शहरी सीटों पर प्रभाव डालते हैं। इसके कारण अशोक सैनी को जिम्मेदारी दी गई है। जींद में जाट चेहरे राजू मोर की जगह जाट चेहरे पर ही दांव लगाया गया है। जींद में तेजेंद्र ढुल को जिम्मेदारी दी गई है। सिरसा में निताशा सिहाग को हटाकर शीशपाल कंबोज को जिम्मेदारी की गई है। सिरसा में कंबोज बिरादरी के अच्छे वोट हैं। रानियां, कालांवाली, डबवाली और सिरसा पर कंबोज बिरादरी का अच्छा प्रभाव है। कुरुक्षेत्र में राजपूत समाज से आने वाले सुशील राणा को जिम्मेदारी दी है। राजपूत समाज के वोट करनाल के साथ-साथ कुरुक्षेत्र में प्रभाव डालते हैं। यहां रवि बतान की जगह सुशील राणा को जिम्मेदारी दी है। इसी तरह रेवाड़ी में सुधा यादव के खास प्रीतम चौहान को हटाकर राव इंद्रजीत की पसंद के चेहरे वंदना पोपली को जिलाध्यक्ष बनाया है। वहीं कैथल में अशोक गुर्जर को हटाकर मुनीश कठवाड़ को जिलाध्यक्ष बनाया गया है। हरियाणा में 4 सीटों पर भीतरघात की मिली थी शिकायत
लोकसभा चुनाव में भाजपा को हरियाणा की 4 लोकसभा सीटों पर भीतरघात की शिकायतें मिली थी। इसमें से 3 सीट भाजपा हार गई थी। जिसमें हिसार, सिरसा और सोनीपत है। गुरुग्राम सीट पर भी भीतरघात की शिकायतें हुई थी। यहां पर उम्मीदवारों का पार्टी के ही नेताओं ने विरोध किया था। जिसका खामियाजा यह हुआ कि भाजपा यहां हार गई। सबसे टफ फाइट सोनीपत सीट पर देखने को मिली। यहां अगर भीतरघात न हुआ होता भाजपा यह सीट जीत सकती थी। चुनाव के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं के फीडबैक और सीआईडी के जरिए रिपोर्ट तैयार की थी कि कौन सा उम्मीदवार किन कारणों से हारा। सोनीपत, हिसार और सिरसा की रिपोर्ट में विधायक, पूर्व विधायक से लेकर जिलाध्यक्षों तक के नाम थे। चुनाव के बाद उम्मीदवारों ने जता दी थी आशंका
लोकसभा चुनाव के बाद ही हरियाणा में मुख्यमंत्री नायब सैनी ने पंचकूला में सभी उम्मीदवारों की मीटिंग बुलाई थी। इस बैठक में पूर्व CM मनोहर लाल भी मौजूद थे। इस मीटिंग में उम्मीदवारों ने भीतरघात से होने वाले नुकसान के बारे में बताया था। मीटिंग में जो नाम सामने आए उसके आधार पर पार्टी ने कार्यकर्ताओं से फीडबैक लेना शुरू कर दिया था। वहीं नतीजों से पहले CM नायब सैनी ने भीतरघातियों को स्पष्ट संदेश दिया था कि किसी को बख्शा नहीं जाएगा और दिल्ली दरबार में इसकी शिकायत की जाएगी। हरियाणा | दैनिक भास्कर