माननीयों-अफसरों का बकाया बिजली बिल करोड़ों में:UP में विधायक आवास के 39 लाख, डीजीपी आवास का 7 लाख बाकी; विभाग कैसे वसूल करेगा

माननीयों-अफसरों का बकाया बिजली बिल करोड़ों में:UP में विधायक आवास के 39 लाख, डीजीपी आवास का 7 लाख बाकी; विभाग कैसे वसूल करेगा

लखनऊ में दारुलशफा। यहां विधायकों के सरकारी आवास हैं। इन पर 38 लाख 71 हजार 658 रुपए का बिजली बिल बकाया है। राजधानी में ही दूसरे इलाके तिलक मार्ग पर डीजीपी का सरकारी आवास। यहां बिजली का बकाया बिल 7 लाख 84 हजार 280 रुपए है। शाहनजफ रोड पर बने एसएसपी आवास का 1 लाख 43 हजार 976 का बिजली बिल बकाया है। बिजली बिल बकाया होने के यही सिर्फ 3 मामले नहीं हैं। लखनऊ में ऐसे तमाम सरकारी विभागों का करोड़ों रुपए का बिजली बिल बकाया है। किसी विभाग ने 3 साल से बिजली का बिल नहीं जमा किया है तो कोई नॉन पेमेंट की कैटेगरी में है। जबकि आम लोगों का बिजली बिल तीन महीने पर जमा न होने पर कनेक्शन काट दिया जाता है। पिछले साल बिजली विभाग एक अजीबोगरीब नियम लेकर आया। इसमें बकाएदार को रात 9 से 12 बजे तक फोन कर उसकी नींद खराब करने का प्लान बनाया गया। दैनिक भास्कर ने राजधानी लखनऊ में सरकारी विभागों के बकाया बिजली बिल की पड़ताल की। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… नगर निगम का 5 करोड़ से ज्यादा बिजली बिल बकाया
नगर निगम बिजली का बिल जमा करने के मामले में सबसे फिसड्डी रहा है। नगर निगम के कई ऐसे कनेक्शन हैं, जिन पर करोड़ों का बिजली का बिल बकाया है। क्लाइड रोड डिवीजन में नगर निगम के स्ट्रीट लाइट कनेक्शन का 5 करोड़ 14 लाख 3 हजार 214 रुपए बकाया है। बीते 30 अप्रैल, 2023 को बिजली विभाग के अफसरों के कई बार कहने के बाद नगर निगम ने केवल 71 लाख 53 हजार 696 रूपए जमा किए। इसके अलावा इसी डिवीजन के दूसरे कनेक्शन का बकाया बिजली बिल 1 करोड़ 16 लाख 45 हजार 672 रुपए है। जियामऊ के 400 KVA ट्रांसफॉर्मर से लिए गए नगर निगम के स्ट्रीट लाइट कनेक्शन का आज तक कभी बिजली बिल जमा ही नहीं किया गया। यहां का बकाया 30 लाख से ज्यादा है। इसी तरह हुसैनगंज डिवीजन, राजभवन डिवीजन, कैंट डिवीजन, और लालबाग डिवीजन में भी नगर निगम का करोड़ों का बिजली का बिल बकाया है। सिंचाई विभाग: पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड का 3 करोड़ रुपए बिल बकाया नगर निगम के अलावा और भी कई विभाग हैं, जिन पर पॉवर कॉर्पोरेशन का करोड़ों रुपए बकाया है। इसमें पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड, सिंचाई और राज्य संपत्ति विभाग का नाम सबसे पहले आता है। गयासुद्दीन हैदर नाले के पानी को शुद्ध कर गोमती में गिराए जाने के लिए पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की ओर से सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाया है। इसका भी 3 करोड़ 45 लाख 74 हजार 405 रुपए बिजली बिल बकाया है। बीते वित्तीय वर्ष में बिजली विभाग की सख्ती के बाद सिर्फ 82 लाख रूपए ही जमा करवाए गए थे। पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के ही एक दूसरे कनेक्शन का 35 लाख और एक अन्य का 27 लाख से भी ज्यादा बकाया है। राज्य संपत्ति विभाग के इंदिरा भवन का बकाया 3 करोड़ 19 लाख 16 हजार 820 है। वहीं, जवाहर भवन का बकाया बिल 3 करोड़ 14 लाख 55 हजार 310 रुपए है। डॉ भीम राव अंबेडकर सामाजिक परिवर्तन स्थल का बकाया 31 लाख रुपए है, जिसकी देनदारी यूपी PWD पर है। जलनिगम: विभाग में चल रहे सभी प्रोजेक्ट का बिजली बिल बकाया यूपी जलनिगम के लखनऊ में चल रहे तकरीबन सभी प्रोजेक्ट्स का बिजली का बिल बकाया है। जलनिगम ने बिजली विभाग के 5 करोड़ से ज्यादा का भुगतान नहीं किया है। अकेले हुसैनगंज में जलनिगम का 2 करोड़ 24 लाख 45 हजार 18 रुपए बिल बकाया है। इसके अलावा जलनिगम के कई कनेक्शन अलग-अलग डिवीजन में हैं, जिनका बकाया 5 करोड़ से भी ज्यादा है। कैंट डिवीजन, क्लाइड रोड डिवीजन और राजभवन डिवीजन, गोमतीनगर डिवीजन, कानपुर रोड डिवीजन, वृन्दावन, चिनहट, ठाकुरगंज डिवीजन में भी जलनिगम का बिजली बिल बकाया है। राज्य संपत्ति विभाग: कुल 245 करोड़ रुपए का बिजली बिल बकाया
लखनऊ के राज्य संपत्ति विभाग के कई प्रमुख भवनों का करोड़ों का बिजली बिल बकाया है। दारुलशफा का 39 लाख, मुख्य भवन के तीन कनेक्शन का 90 लाख, ऑल इंडिया रेडियो का 10 लाख, मिनी सेक्रेट्रिएट के दो कनेक्शन का 50 लाख, लोकभवन का 56 लाख रुपए बिजली बिल बकाया है। इन सभी रकम को एक साथ जोड़ दें तो कुल 245 करोड़ रुपए का बिल बनता है। इसके अलावा छावनी क्षेत्र में गैरीसन इंजीनियर्स मेस का 3 करोड़ 14 लाख 1 हजार 187 रुपए बिजली बिल नहीं जमा है। कई विभागों में बिजली बिल के ऑटो डेबिट का नियम है
अधिशासी अभियंता राजभवन धर्मेंद्र सक्सेना ने बताया कि कई विभागों का बिजली का बिल अब सेंट्रलाइज्ड हो गया है। हम उनके बकाया बिल को शक्ति भवन भेज देते हैं, जहां से बजट आते ही बिल ऑटो डेबिट हो जाता है। ऐसे में 6 महीने में उनके बिल जमा होते रहते हैं। ज्यादातर विभागों में अब ये नियम धीरे-धीरे अब लागू हो रहे हैं। नगर निगम के कई बिल एडजस्ट हो जाते हैं, क्योंकि हमारे कई सब स्टेशन उनकी जमीन पर हैं। कई विभागों का डायरेक्ट बिल जमा होता है। साल 2023 में बिजली बिल सीधे विभाग के मुख्यालय भेजने का नियम बना
पूरे प्रदेश के अलग-अलग विभागों के बिजली बिल पहले जिला मुख्यालय के ऑफिस भेजे जाते थे। इससे बिल जमा करने में लेट-लतीफी बहुत ज्यादा होती थी। भ्रष्टाचार की वजह भी बनती थी। इसलिए पिछले साल सरकार ने एक नया नियम बनाया। अब सभी विभागों के अलग-अलग जिलों के बिल उस विभाग के मुख्यालय पर भेजे जाते हैं। पावर कार्पोरेशन सीधे मुख्यालय पर सभी बिल भेज देता है। यहीं से बिजली का बिल पावर कार्पोरेशन के खाते में ट्रांसफर कर दिया जाता है। हालांकि, सिर्फ लखनऊ का हाल देखें तो इस नियम का फायदा होते हुए नहीं दिख रहा है। यहां अलग-अलग विभागों के करोड़ों रुपए बिल बकाया हैं। तीन महीने बिल न जमा होने पर कनेक्शन काटने का है नियम
अधिशासी अभियंता राजभवन धर्मेंद्र सक्सेना ने बताया कि आम तौर पर 3 महीने लगातार बिल न जमा होने पर कनेक्शन काटने का नियम है। जबकि लगातार 6 महीने बिल न जमा होने पर कनेक्शन टर्मिनेट करने का नियम है। लेकिन मानवीय दृष्टिकोण के चलते इसमें थोड़ी बहुत छूट विभाग द्वारा दी जाती है। जन सुविधा को देखते हुए भी कई निर्णय लिए जाते हैं। लखनऊ में दारुलशफा। यहां विधायकों के सरकारी आवास हैं। इन पर 38 लाख 71 हजार 658 रुपए का बिजली बिल बकाया है। राजधानी में ही दूसरे इलाके तिलक मार्ग पर डीजीपी का सरकारी आवास। यहां बिजली का बकाया बिल 7 लाख 84 हजार 280 रुपए है। शाहनजफ रोड पर बने एसएसपी आवास का 1 लाख 43 हजार 976 का बिजली बिल बकाया है। बिजली बिल बकाया होने के यही सिर्फ 3 मामले नहीं हैं। लखनऊ में ऐसे तमाम सरकारी विभागों का करोड़ों रुपए का बिजली बिल बकाया है। किसी विभाग ने 3 साल से बिजली का बिल नहीं जमा किया है तो कोई नॉन पेमेंट की कैटेगरी में है। जबकि आम लोगों का बिजली बिल तीन महीने पर जमा न होने पर कनेक्शन काट दिया जाता है। पिछले साल बिजली विभाग एक अजीबोगरीब नियम लेकर आया। इसमें बकाएदार को रात 9 से 12 बजे तक फोन कर उसकी नींद खराब करने का प्लान बनाया गया। दैनिक भास्कर ने राजधानी लखनऊ में सरकारी विभागों के बकाया बिजली बिल की पड़ताल की। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… नगर निगम का 5 करोड़ से ज्यादा बिजली बिल बकाया
नगर निगम बिजली का बिल जमा करने के मामले में सबसे फिसड्डी रहा है। नगर निगम के कई ऐसे कनेक्शन हैं, जिन पर करोड़ों का बिजली का बिल बकाया है। क्लाइड रोड डिवीजन में नगर निगम के स्ट्रीट लाइट कनेक्शन का 5 करोड़ 14 लाख 3 हजार 214 रुपए बकाया है। बीते 30 अप्रैल, 2023 को बिजली विभाग के अफसरों के कई बार कहने के बाद नगर निगम ने केवल 71 लाख 53 हजार 696 रूपए जमा किए। इसके अलावा इसी डिवीजन के दूसरे कनेक्शन का बकाया बिजली बिल 1 करोड़ 16 लाख 45 हजार 672 रुपए है। जियामऊ के 400 KVA ट्रांसफॉर्मर से लिए गए नगर निगम के स्ट्रीट लाइट कनेक्शन का आज तक कभी बिजली बिल जमा ही नहीं किया गया। यहां का बकाया 30 लाख से ज्यादा है। इसी तरह हुसैनगंज डिवीजन, राजभवन डिवीजन, कैंट डिवीजन, और लालबाग डिवीजन में भी नगर निगम का करोड़ों का बिजली का बिल बकाया है। सिंचाई विभाग: पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड का 3 करोड़ रुपए बिल बकाया नगर निगम के अलावा और भी कई विभाग हैं, जिन पर पॉवर कॉर्पोरेशन का करोड़ों रुपए बकाया है। इसमें पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड, सिंचाई और राज्य संपत्ति विभाग का नाम सबसे पहले आता है। गयासुद्दीन हैदर नाले के पानी को शुद्ध कर गोमती में गिराए जाने के लिए पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की ओर से सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाया है। इसका भी 3 करोड़ 45 लाख 74 हजार 405 रुपए बिजली बिल बकाया है। बीते वित्तीय वर्ष में बिजली विभाग की सख्ती के बाद सिर्फ 82 लाख रूपए ही जमा करवाए गए थे। पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के ही एक दूसरे कनेक्शन का 35 लाख और एक अन्य का 27 लाख से भी ज्यादा बकाया है। राज्य संपत्ति विभाग के इंदिरा भवन का बकाया 3 करोड़ 19 लाख 16 हजार 820 है। वहीं, जवाहर भवन का बकाया बिल 3 करोड़ 14 लाख 55 हजार 310 रुपए है। डॉ भीम राव अंबेडकर सामाजिक परिवर्तन स्थल का बकाया 31 लाख रुपए है, जिसकी देनदारी यूपी PWD पर है। जलनिगम: विभाग में चल रहे सभी प्रोजेक्ट का बिजली बिल बकाया यूपी जलनिगम के लखनऊ में चल रहे तकरीबन सभी प्रोजेक्ट्स का बिजली का बिल बकाया है। जलनिगम ने बिजली विभाग के 5 करोड़ से ज्यादा का भुगतान नहीं किया है। अकेले हुसैनगंज में जलनिगम का 2 करोड़ 24 लाख 45 हजार 18 रुपए बिल बकाया है। इसके अलावा जलनिगम के कई कनेक्शन अलग-अलग डिवीजन में हैं, जिनका बकाया 5 करोड़ से भी ज्यादा है। कैंट डिवीजन, क्लाइड रोड डिवीजन और राजभवन डिवीजन, गोमतीनगर डिवीजन, कानपुर रोड डिवीजन, वृन्दावन, चिनहट, ठाकुरगंज डिवीजन में भी जलनिगम का बिजली बिल बकाया है। राज्य संपत्ति विभाग: कुल 245 करोड़ रुपए का बिजली बिल बकाया
लखनऊ के राज्य संपत्ति विभाग के कई प्रमुख भवनों का करोड़ों का बिजली बिल बकाया है। दारुलशफा का 39 लाख, मुख्य भवन के तीन कनेक्शन का 90 लाख, ऑल इंडिया रेडियो का 10 लाख, मिनी सेक्रेट्रिएट के दो कनेक्शन का 50 लाख, लोकभवन का 56 लाख रुपए बिजली बिल बकाया है। इन सभी रकम को एक साथ जोड़ दें तो कुल 245 करोड़ रुपए का बिल बनता है। इसके अलावा छावनी क्षेत्र में गैरीसन इंजीनियर्स मेस का 3 करोड़ 14 लाख 1 हजार 187 रुपए बिजली बिल नहीं जमा है। कई विभागों में बिजली बिल के ऑटो डेबिट का नियम है
अधिशासी अभियंता राजभवन धर्मेंद्र सक्सेना ने बताया कि कई विभागों का बिजली का बिल अब सेंट्रलाइज्ड हो गया है। हम उनके बकाया बिल को शक्ति भवन भेज देते हैं, जहां से बजट आते ही बिल ऑटो डेबिट हो जाता है। ऐसे में 6 महीने में उनके बिल जमा होते रहते हैं। ज्यादातर विभागों में अब ये नियम धीरे-धीरे अब लागू हो रहे हैं। नगर निगम के कई बिल एडजस्ट हो जाते हैं, क्योंकि हमारे कई सब स्टेशन उनकी जमीन पर हैं। कई विभागों का डायरेक्ट बिल जमा होता है। साल 2023 में बिजली बिल सीधे विभाग के मुख्यालय भेजने का नियम बना
पूरे प्रदेश के अलग-अलग विभागों के बिजली बिल पहले जिला मुख्यालय के ऑफिस भेजे जाते थे। इससे बिल जमा करने में लेट-लतीफी बहुत ज्यादा होती थी। भ्रष्टाचार की वजह भी बनती थी। इसलिए पिछले साल सरकार ने एक नया नियम बनाया। अब सभी विभागों के अलग-अलग जिलों के बिल उस विभाग के मुख्यालय पर भेजे जाते हैं। पावर कार्पोरेशन सीधे मुख्यालय पर सभी बिल भेज देता है। यहीं से बिजली का बिल पावर कार्पोरेशन के खाते में ट्रांसफर कर दिया जाता है। हालांकि, सिर्फ लखनऊ का हाल देखें तो इस नियम का फायदा होते हुए नहीं दिख रहा है। यहां अलग-अलग विभागों के करोड़ों रुपए बिल बकाया हैं। तीन महीने बिल न जमा होने पर कनेक्शन काटने का है नियम
अधिशासी अभियंता राजभवन धर्मेंद्र सक्सेना ने बताया कि आम तौर पर 3 महीने लगातार बिल न जमा होने पर कनेक्शन काटने का नियम है। जबकि लगातार 6 महीने बिल न जमा होने पर कनेक्शन टर्मिनेट करने का नियम है। लेकिन मानवीय दृष्टिकोण के चलते इसमें थोड़ी बहुत छूट विभाग द्वारा दी जाती है। जन सुविधा को देखते हुए भी कई निर्णय लिए जाते हैं।   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर