मेरा कोई भाई नहीं…कन्हैया शादी की तैयारी तुम्हें करनी हैं:मथुरा के बांके बिहारी पहुंचीं भावुक करने वाली 10 हजार चिटि्ठयां, राखियां मेरे प्यारे लड्डू गोपाल, मेरे प्यारे कान्हा। पहले ही कह देती हूं 6 दिसंबर को आपकी बहन की शादी है। 1 दिसंबर को ही आ जाना, साथ में प्यारी राधा रानी जी को भी ले आना। हल्दी-मेहंदी और सभी रस्में पूरी करनी हैं। मेरे प्यारे लड्डू गोपाल…कोई बहाना नहीं चलेगा। आपको भाई वाला काम संभालना है। अभी से तैयारी शुरू कर दो। मेरी सारी उम्मीदें सिर्फ आप से जुड़ी हैं। दीदी-जीजू तो कह रहे हैं मदद करने को। लेकिन, आप तो जानते ही हो। मैं मम्मी-पापा पर किसी तरह का बोझ नहीं चाहती। आप सब कुछ संभाल लो। प्लीज कान्हा जी। जोड़ी वाली राखी भेजी है। एक आप बांध लेना और एक हमारी लाडो राधा रानी को बंधवा देना। मथुरा में कान्हा के लिए ये प्यारी चिट्ठी भेजी है अंबाला की रुचि ने। रक्षाबंधन से पहले कान्हा के लिए लिखी गई यह चिट्ठी तो बानगी भर है। बांके बिहारी को ऐसे 10 हजार से ज्यादा चिट्ठी आ चुकी हैं। इनमें राखी के साथ चिट्ठी, अक्षत, चॉकलेट और पैसे रखे हैं। 19 अगस्त को सभी राखियां बांके बिहारी जी को बांधी जाएंगी। साथ ही यह पत्र पढ़कर सुनाए जाएंगे। कान्हा को भेजी गई इन चिट्ठियों में क्या कुछ लिखा है? किस तरह से भावनाएं व्यक्त की गई हैं? दैनिक भास्कर ने इन चिट्ठियों को पढ़ा। इनमें बहुत ही मार्मिक चिट्ठियां भी मिलीं। किसी ने नौकरी की बात की, तो किसी ने अच्छी शादी और घर की खुशहाली की। अब कुछ खास चिटि्ठयां पढ़िए… पहले रुचि की चिट्ठी पढ़ते हैं…. रुचि का कोई सगा भाई नहीं है। एक बड़ी बहन की शादी हो चुकी है। रोहन से उनकी शादी होनी है, ऐसा उनके पत्र को पढ़ने से प्रतीत होता है। उन्होंने अपनी चिट्ठी में लिखा- ऊं कृष्णं शरणम् मम्!
राधे-राधे…!
राधे-राधे बिहारी जी, मेरी राधा रानी जी
आप कैसे हो? यहां अंबाला में सब ठीक है। आजकल बारिश का डर बना हुआ है। थोड़ी सी बारिश में भी पानी भर जाता है। ठाकुर जी, आपको मम्मी की चिंता तो पता ही है। आपकी बहन की शादी है। आपने आयोजन में आने की तैयारियां शुरू कर दी हैं न? बाकी सब ठीक है कान्हा। पापा का काम कुछ बन नहीं रहा है। रोज एक उम्मीद टूट जाती है। लेकिन, आप हो तो मैं फिर एक नई उम्मीद बांध लेती हूं। पता है घर का भी कुछ नहीं समझ आ रहा है। सोचा था कि घर की बात बन गई तो खर्चा वहां से हो जाएगा। कमेटी में हड़ताल चल रही है। एनडीसी में दिक्कत आ रही है। फिर जाकर रजिस्ट्री होगी। अब तो सिर्फ आप पर ही उम्मीद टिकी है। मम्मी दिन-रात आपको याद करती हैं। आखिर उनकी भी उम्मीद आप ही हो। और क्या बोलूं… रोहन ठीक है। कुछ ज्यादा ही समझदार है। आजकल के लड़कों जैसा नहीं है। उससे ज्यादा बात नहीं हो पाती। आप तो जानते ही हो, आपको रोज बताती तो हूं। बस कान्हा आपने जो फैसला मेरे लिए लिया। मुझे उस पर पूरा विश्वास है। आपका बहुत-बहुत शुक्रिया। हमेशा मेरे साथ रहना। मेरी वजह से किसी का दिल न दुखे। सबकी जरूरत कान्हा हैं। मेरा हाथ पकड़कर रखना। हां आज एक पार्ट टाइम जॉब की बात हुई है। चलो अब राधा रानी को चिट्ठी दो… थैंक्यू
आपने मुझे संभाला, बस ऐसे ही मेरे साथ रहना लाडो। मुझे वो मीठी बातें नहीं आती हैं लाडो। मैं आगे सब कुछ कैसे मैनेज करूंगी। मैं तो सुंदर भी नहीं हूं। मुझे तो खाना बनाना भी नहीं आता है। यह चिंता खाए जाती है। मैं लहंगा देखने गई थी, कुछ पसंद नहीं आया। क्या ही तैयारियां करूं। हर जगह तो पैसा चाहिए होते हैं। इसलिए और भी परेशान हो जाती हूं। रोहन अच्छा है। लाडो जी, पर मुझे बहुत बेकार ख्याल आते हैं। पता नहीं ऐसा क्यों होता है। मुझे चितिंत रहने की बीमारी हो गई है। प्लीज, हमेशा की तरह सब संभाल लेना। क्या-क्या कैसे-कैसे करना है, ये मुझे बताती रहना। हां मेरी मम्मी का ख्याल रखना, मेरे जाने के बाद वो अकेली हो जाएंगी। मेरी शादी के बाद उनके दांतों का भी इलाज करवाना है। आ जाओ जल्दी से अब, आप दोनों का सभी इंतजार कर रहे हैं। अपना सारा हाल बता दिया। ससुराल में अर्चना आंटी बहुत अच्छी हैं। युवराज अंकल भी अच्छे हैं। स्वाती दी और रिंकी भैया भी अच्छे हैं। उनका एक बेटा है आर्यन, बहुत गोलू सा है। आपकी कृपा से वो सभी मुझसे बहुत प्यार से बात करते हैं। शुक्रिया कान्हा जी और राधा रानी मेरी जिंदगी संवारने के लिए। अच्छा सुनो! चिट्ठी के साथ राखी भेज रही हूं। बांध लेना और लाडो के लिए भी भेजी हैं। उन्हें भी बांधने को कहना। अपना ध्यान रखना। कल इंस्टाग्राम पर देखा था कि वृंदावन में बहुत बारिश हो रही है। पानी भर गया है। जब मैं वहां आई थी, तब तो यमुना जी सूखी पड़ी थीं। मैंने रोहन को बोला है कि शादी के बाद उसे मेरे भाई के घर चलना है। कान्हा जी आपको मेरा इंतजार करना पड़ेगा। चलो भाई बाकी रोज की रोज कहूंगी। अभी ऑफिस में हूं। राखी बांध लेना और जवाब भेजना। मैं इंतजार कर रही हूं। आ जाना समय से, मुझे याद रखना, कहीं अपनी दिनचर्या में इतना व्यस्त न हो जाना कि मुझे भुला दो। आपको याद करते हुए बहुत सारे प्यार के साथ…आपकी बहन रुचि
जवाब भेजना पक्के से। मैं इंतजार करूंगी। मेरे रोहन का ध्यान रखना। अब गौरी की चिट्ठी अबकी बार टीचर बना दीजिए कान्हा जी… हमने दूसरा खत गौरी का पढ़ा। उन्होंने खत में लिखा- मेरे प्यारे कन्हैया, नंदलाला, गोपाला, मेरा प्यारा भैया। आपको रक्षाबंधन पर राखी और चॉकलेट भेज रही हूं। तुम्हारी प्यारी बहनों मैं गौरी और तुम्हारी छोटी बहन श्रद्धा की ये राखी बांध लेना। जब हमारा कोई भैया नहीं था, तब मम्मी-पापा हमेशा कहते थे कि यही तुम्हारे भैया हैं। इनको राखी बांध दो। तो मैंने छोटे से ही तुमको अपना भैया माना है। मेरे प्यारे भैया, तुम कैसे हो भैया। मैं हमेशा तुमको याद करती हूं। जब भी याद करती हूं तो बांके बिहारी के रूप में ही याद करती हूं। भैया जल्दी से बुला लो अपने पास। मैं वृंदावन-मथुरा दर्शन करने आऊंगी। मेरे प्यारे भैया, तुम मुझे भूल तो नहीं गए हो। भैया मुझे कभी भुलाना नहीं। तुम अपनी छोटी बहन की गलतियां माफ कर दिया करो। हमेशा मेरी लाज बचाकर रखना। हमेशा बड़े भाई की तरह इस बहन की रक्षा करना। मेरे प्यारे भैया, जैसे तुमने द्रौपदी की लाज बचाई थी। वैसे ही मेरी भी लाज बचा लो भैया। मेरे आत्म सम्मान और शिक्षा पर आंच न आने दो भैया। भैया इस बार रक्षाबंधन पर आपसे मुझे एक उपहार चाहिए। क्योंकि मैं तुम्हारी छोटी बहन हूं, तो तुमको देना ही पड़ेगा। चाहे कुछ भी हो जाए। बस मैं कुछ भी नहीं जानती। प्लीज भैया मुझे इस बार अध्यापिका बना दो। मेरे प्यारे भैया आप तो जानते हो कि मैं अपने पैरों पर खड़े होकर आत्मनिर्भर बनना चाहती हूं। भैया मेरा इस बार आप अपने चमत्कार से, अपनी लीला से…आपको तो बहुत सारी लीलाएं आती हैं। तुम्हारे लिए तो कान्हा जी कुछ भी असंभव नहीं है। तो कान्हा अपनी बहन को इस बार प्लीज उपहार दे देना और उसको टीचर बना देना। प्लीज कान्हा। कान्हा, तुम राधा-रानी से ज्यादा शैतानी मत किया करो। राधा रानी को मैंने हमेशा भाभी समझ कर राखी बांधी है। राधा-रानी प्लीज अपने कान्हा से कहो न कि इस बार अपनी गौरी को बिहार में टीचर बना दें। मैं आपका ये एहसान और उपहार जीवन में कभी भी नहीं भूलंगी। कान्हा हमेशा एक छोटी बहन अपने बड़े भाई से अपनी तकलीफें, अपनी सारी बातें कहती है। तो मैं हमेशा तुमको सारी बातें बताती हूं। हे कन्हैया, तुम इस बार मुझे रक्षाबंधन पर नियुक्ति पत्र दे दो। प्लीज कान्हा। निराश न करना। मुझे पूरा विश्वास है कि तुम जरूर अपनी लीला करके मेरा नाम लिस्ट में डाल दोगे। जब मैं रिजल्ट देखूंगी तो सबसे पहले मुझे इतनी खुशी होगी कि तुमने अपने भैया होने का फर्ज पूरा कर दिया। आप नाराज न होना। मैं ये सब बातें इसलिए कह रही हूं कि तुम तो मेरे भैया हो न और बहन की रक्षा करना हमेशा बड़े भैया का कर्तव्य होता है। कान्हा तुम भूल न जाना मुझे, प्लीज मेरी पुकार सुन लेना। प्लीज कान्हा मैं किसी से नहीं कह सकती। गोविंद मेरे भैया, राखी की लाज रखना। दो राखी भिजवाई हैं। एक राधा रानी को भी बंधवा देना।
भैया मेरे राखी के बंधन को निभाना, छोटी बहन को न भुलाना। प्लीज भैया, अब मेरे जीवन की डोर तुम्हारे हाथ में है। प्लीज मेरा विश्वास न तोड़ना। तुम अपनी लीला कर दो न कान्हा, प्लीज… दीनबंधु दीनानाथ सुमित्रा की चिट्ठी माई बीमार रहती हैं, कान्हा रक्षा करो इन्हीं चिट्ठियों के बीच एक लिफाफा सुमित्रा की राखी का था। इसमें उन्होंने कान्हा के लिए लिखा- जय श्री कृष्णा हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेव: जगत के पालनहार आप मेरे बड़े भाई हैं। हे कन्हैया, अपनी इस बहन के परिवार की रक्षा करो। मां बीमार रहती है। उन्हें बीपी और शुगर हो गया है। अब हमारी आर्थिक स्थिति भी नहीं सही है। आपसे कुछ भी नहीं छिपा है। कान्हा, स्वार्थवश आपको यह नहीं लिख रही। अब अपनों से नहीं, तो किस से व्यथा सुनाऊं। मेरे कान्हा, इसलिए ही आपके दर्शन को नहीं आ पा रही। मां की तबीयत सही कर दो। आपकी प्यारी बहन सुमित्रा, राधे-राधे कान्हा जी। लव यू कान्हा, तुम्हारी छोटी बहन गौरी… एक बहन की चिट्ठी कान्हा की लीला से एक बहन बन गई टीचर
एक दूसरे पत्र में लिखा- बांके बिहारी लाल की जय। हे मेरे कान्हा, मेरी राधा रानी। आपके चरणों में कोटि-कोटि प्रणाम। सादर प्रणाम और अभिनंदन करती हूं। अपनी छोटी बहन की राखी स्वीकार कर लेना। आपको हरियाली तीज की हार्दिक बधाई। लल्ला राधा रानी के साथ खूब झूला झूलो। अपनी इस छोटी बहन को भव सागर से पार लगाने के लिए आपका कोटि-कोटि धन्यवाद देती हूं। आपकी लीला तो मैं पहले ही समझ गई थी मेरे लल्ला। आपने मुझे टीचर बना दिया भैया। तुम्हारा एहसान मैं जिंदगी भर नहीं भूलूंगी। तुमको तो मैं हमेशा राखी भेजूंगी। मेरे प्यारे कान्हा। हैप्पी रक्षा बंधन। नेहा की चिट्ठी कान्हा तुम्हारा भांजा पढ़ता नहीं है बेंगलुरु से आए एक लिफाफे में राखी के साथ न्योछावर और अक्षत चावल मिले। एक छोटा सी चिट्ठी भी थी। इसमें नेहा ने लिखा- मेरे लड्डू गोपाल, मेरी राखी को सबसे पहले बांधना। खुद के हाथों से बनाकर भेजी है। प्यारे कान्हा, तुम्हारा भांजा पढ़ता नहीं है। कुछ ऐसा करो कि इसका मन मोबाइल से हटे और पढ़ाई में लगे। मुझे इसकी बहुत चिंता सताती है। इनके पापा भी बहुत बिजी रहते हैं। भैया, अपना ख्याल रखना। राधा-रानी को मेरा प्रणाम कहना। तुम्हारा बर्थ डे भी आने वाला है। इस बार जन्माष्टमी में तुम्हारे लिए अपने हाथों से मक्खन बनाऊंगी। इसे खाने जरूर आना। हैप्पी रक्षाबंधन भैया, तुम्हारी बहन- नेहा। अब जानिए यह चिट्ठियां आ कहां रही हैं? बांके बिहारी जी मंदिर में हर साल रक्षा बंधन से पहले तक 10 हजार के करीब राखी और चिट्ठियां आती हैं। वृंदावन में करीब 500 गोस्वामी हैं। 60% राखी मंदिर के कार्यालय पर आती हैं, जबकि करीब 40% गोस्वामियों के पास। बांके बिहारी मंदिर के सेवायत प्रह्लाद गोस्वामी बताते हैं- हमारे बांके बिहारी के विश्व में करोड़ों भक्त हैं। अपने देश में तो भक्तों की गिनती संभव ही नहीं है। रक्षाबंधन के लिए बिहारी जी को भाई मानने वाली बहन-बहू-बेटियां राखी भेजती हैं। देश-विदेश से ये राखियां आती हैं। ये राखी कान्हा की बहनें खुद के हाथों से भी बनाकर भेजती हैं। सोने-चांदी की राखियां भी होती हैं। राखी बांधने के बाद कान्हा जी से लिया जाता है वचन
बांके बिहारी मंदिर के पुजारी प्रह्लाद बल्लभ गोस्वामी ने कहा- ये राखी हम 19 अगस्त को श्री ठाकुर जी को बांधेंगे। इनके पत्रों को ठाकुर जी के चरणों में रखा जाएगा। ठाकुर जी की सभी बहनों के संदेश उन्हें पढ़कर सुनाए जाएंगे। बहनों की भावनाओं को सुनाएंगे। बिहारी जी से उनकी सभी प्रार्थनाएं पूर्ण करने का वचन लिया जाएगा। इसके बाद यह वचन बहनों तक पहुंचाया जाएगा। अधिकांश बहनें वो होती हैं, जिनका कोई अपना सगा भाई नहीं होता है। ऐसी बहनें कान्हा जी को अपना भाई मानती हैं। ये बचपन से ही बिहारी जी को राखी बांधती हैं। ज्यादातर पत्रों में भाई-बहन के प्रेम का वर्णन होता है। हर साल हमारे पास देश-विदेश से राखी, तिलक, न्योछावर आती हैं। कई बार तो विदेश से बैठी बहनें यहां राखी बनवाकर भेजती हैं। हमने एक-एक कर कई चिट्ठियां पढ़ीं। कान्हा की ज्यादातर बहनों ने परिवार की खुशहाली, शादी और नौकरी की बातें करते हुए अपना प्रेम समर्पित किया। ये चिट्ठियां ऐसे लिखी गई हैं, जैसे कोई बहन अपने सगे भाई को लिखती है। ये भी पढ़ें.. नेपाली लड़की के जैसे नैन-नक्श, वैसी ही कीमत:इंच-टेप के नाप से तस्कर तय करते हैं दाम, तब पार कराते हैं नेपाल बॉर्डर लंबाई- 5 फीट 5 इंच। उम्र- 23 साल। वजन- 55 किलो। नीचे जो तस्वीर दिख रही है, उसमें एक तस्कर इंच-टेप से नेपाली लड़की का नाप ले रहा है। वह चेक करता है, लड़की के शरीर पर कोई दाग तो नहीं। नाप-जोख का वीडियो बनाता है। फिर भारत में बैठे दलाल को भेजकर रेट तय करता है। रेट 2 से लेकर 25 लाख रुपए तक होता है। लड़की को विश्वास दिलाया जाता है कि नौकरी के लिए यह सब जरूरी होता है। पढ़ें पूरी खबर…