IPS डॉ. विपिन ताडा यूपी पुलिस फोर्स में एक फेमस नाम है। उन्होंने कई बदमाशों को ऑन द स्पॉट ढेर किया। जहां भी तैनात रहे, कभी कानून व्यवस्था में ढील नहीं दी। जब-जब बदमाशों ने चुनौती देने का प्रयास किया, तो उन्होंने खुद मोर्चा संभाला। वह पहले ऐसे IPS अधिकारी हैं, जिन्होंने अपनी 10 साल की सर्विस में गैलेंट्री अवॉर्ड के अलावा पुलिस को मिलने वाले तीनों मेडल भी हासिल किए। विपिन ताडा सरकारी डॉक्टर रहे हैं। डॉक्टरी की नौकरी छोड़कर 2012 में वे IPS अफसर बने। इस समय वेस्ट यूपी के मेरठ में SSP हैं। CM योगी आादित्यनाथ के जिला गोरखपुर समेत 6 जिलों में पुलिस कप्तान रह चुके हैं। गोरखपुर में ही एसएसपी रहते छात्रा को गोली मारने वाले कुख्यात को ढेर कर उन्होंने सुर्खियां बटोरीं। उनकी गिनती यूपी के तेज तर्रार IPS अधिकारियों में होती है। डॉ. विपिन ताडा ने कैसे खाकी वर्दी तक का सफर पूरा किया? कभी सफेद पोशाक और स्टेथोस्कोप के साथ रहने वाले डॉ. विपिन अब कैसे अपराध और अपराधियों का इलाज कर रहे हैं? दैनिक भास्कर की स्पेशल सीरीज ‘खाकी वर्दी’ में आज IPS डॉ. विपिन ताडा की कहानी 6 चैप्टर में पढ़िए… राजस्थान के जोधपुर शहर में एक जगह शक्तिनगर है। यहां जोधपुर हाईकोर्ट के सीनियर अधिवक्ता मच्छी राम ताडा के घर 22 जनवरी 1984 को बेटे ने जन्म लिया। मां किरण ने उसका नाम विपिन रखा। कानून की किताबों के बीच विपिन का बचपन बीता। डॉ. विपिन ताडा बताते हैं- पिताजी मुझे इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ाना चाहते थे। इसलिए उन्होंने मेरा दाखिला जोधपुर के सेंट एंथोनी स्कूल में कराया। पहले पिताजी मुझे स्कूल छोड़ने और फिर लेने आते थे। लेकिन, जब मैं बड़ा हो गया तो पिताजी से साइकिल की मांग की। मैंने जिद करते हुए कहा कि मुझे साइकिल से स्कूल जाना है। उन दिनों इतना ट्रैफिक नहीं होता था। इसलिए पापा ने साइकिल दिला दी। घर से स्कूल की दूरी लगभग 4 किमी थी। मैं साइकिल से स्कूल जाने लगा। यहीं से मेरा साइकिल प्रेम बढ़ा। साइक्लिंग से शरीर भी फिट रहा। मैंने 1998 में सीबीएसई से दसवीं फर्स्ट क्लास में पास की। उसके बाद 2000 में इंटर पास किया। मेरे मम्मी-पापा यही कहते थे कि बेटा जितना पढ़ लेगा, उतनी ही अच्छी नौकरी मिलेगी। जब दसवीं पास हुआ तब मेरे सीनियर और दोस्त सरकारी नौकरी की चर्चा करते थे कि इतनी पढ़ाई करनी है कि सरकारी नौकरी लग जाए। लेकिन, मैंने इंटर करने के समय ही MBBS की तैयारी शुरू कर दी। इसके बाद मेरा सिलेक्शन हुआ और 2008-09 में मैंने डॉ. संपूर्णानंद मेडिकल कॉलेज जोधपुर से MBBS पूरा किया। विपिन ताडा बताते हैं- मैंने डॉ. संपूर्णानंद मेडिकल कॉलेज से ही इंटर्न किया। इसके बाद दिल्ली के इंदिरा गांधी हॉस्पिटल में 2 साल तक सेवाएं दीं। तभी गवर्नमेंट मेडिकल डॉक्टर में चयन हो गया। पहली बार सरकारी डॉक्टर के पद पर चयन हुआ, तो खुशी का ठिकाना नहीं रहा। मां-पिताजी भी बहुत खुश हुए। उस समय मेरी उम्र 27 साल थी। दोस्तों और रिश्तेदारों को जब पता चला कि मैं सरकारी डॉक्टर बन गया, तब मेरे घर में बधाई देने वालों का तांता लग गया। सरकारी डॉक्टर रहते हुए एक दिन मन में ख्याल आया कि क्यों न UPSC की तैयारी की जाए। पहले तो कुछ दिनों तक यह बात दिमाग में सिर्फ घूमती रही। लेकिन, एक दिन मैंने ठान लिया कि अब कंपटीशन की तैयारी करनी है। मैंने, जब यह बात घर पर बताई तो सभी को बहुत खुशी हुई। पिताजी ने कहा कि मेहनत कभी बेकार नहीं जाती, कामयाबी की नींव मेहनत से ही लिखी जाती है। इसके बाद मैं दिल्ली आ गया। यहां मैंने UPSC की तैयारी शुरू कर दी। मैंने ठान लिया कि IAS या IPS बनना ही है। ड्यूटी से आने के बाद मैं पढ़ाई करने लगता। इस दौरान मैंने दोस्तों से मिलना-जुलना कम कर दिया। डेढ़ साल की तैयारी में ही UPSC को क्रैक कर IPS बना। मुझे 2012 यूपी कैडर मिला। डॉ. विपिन ताडा बताते हैं- आईपीएस बनने के बाद पहली बार घर पर पहुंचा, तब जिस तरह स्वागत किया गया, उसे बयां नहीं कर सकता। बस इतना है कि वैसी खुशी कभी नहीं मिली थी। गांव के लोगों ने कहा कि यह किस्मत है कि सरकारी डॉक्टर अब IPS अधिकारी बन गया है। डॉ. विपिन ताडा ने बताया- साल 2014 में मुझे पहली पोस्टिंग आगरा में मिली। इसके बाद गाजियाबाद जिले में बतौर ASP पोस्टिंग हुई। जनवरी 2015 की बात है, गाजियाबाद में तीन बदमाशों ने दिनदहाड़े मीट कारोबारी से 25 लाख रुपए लूट लिया। इस लूट की सूचना मिलते ही पूरे गाजियाबाद में पुलिस को अलर्ट कर घेराबंदी की गई, लेकिन बदमाश बाइक से होते हुए फरार हो गए। जब पता चला कि मीट कारोबारी मेरठ का रहने वाला था, तो पुलिस ने क्राइम सीन को देखते हुए अलग-अलग एंगल पर जांच को आगे बढ़ाया। एक दशक पहले यह चर्चित लूट की वारदात थी, जिसमें उच्च अधिकारियों ने निर्देश दिए कि इस लूट का शीघ्र खुलासा किया जाए। घटना के खुलासे के लिए STF और क्राइम ब्रांच की टीम लगाई गई। इसके बाद मुखबिर और सर्विलांस से पता चला की लूट करने वाले बदमाश भी मेरठ के रहने वाले हैं। विपिन ताडा बताते हैं- दबिश देते हुए सभी लुटेरों को गिरफ्तार किया गया। उनके पास से लूट का पूरा कैश बरामद कर इस कांड का खुलासा किया। कारोबारी से लूट की इसी घटना के वर्कआउट पर मुझे डीजी के प्रशंसा चिह्न से सम्मानित किया गया। मेरे लिए यह बहुत बड़ी उपलब्धि थी। उसके बाद क्राइम की अलग अलग घटनाओं पर काम करना शुरू किया। गाजियाबाद सिटी उस समय तेजी से डेवलप हो चुका था, दिल्ली और नोएडा से सटे होने के चलते यहां क्राइम रोकने के लिए अलग पैटर्न पर काम किया। महिलाओं के साथ होने वाले क्राइम को रोकने के लिए शाम से लेकर रात तक पुलिस को अलर्ट रहना पड़ता था। गाजियाबाद में एएसपी रहने के बाद 2016 में मुझे एसपी सिटी आजमगढ़ की जिम्मेदारी मिली। विपिन ताडा ने बताया- आजमगढ़ में शराब माफियाओं के नेटवर्क को तोड़ने पर काम किया। पहले एक महीने तक यह समझा कि शराब में कौन-कौन माफिया शामिल हैं, बाहरी जिलों से कौन लोग अवैध के काम से जुड़े हैं। इसमें पुलिसकर्मियों की भूमिका पर भी नजर रखी गई। कई शराब माफियाओं पर कार्रवाई की गई। इसके बाद मुझे प्रयागराज में एसपी सिटी की जिम्मेदारी मिली। डॉ. विपिन ताडा बताते हैं- 2019 में मैं अमरोहा में SSP था। 17 जुलाई 2019 की बात है। मुरादाबाद जेल से 24 बंदियों को लेकर पुलिस चंदौसी कोर्ट में पेशी पर गई थी। पेशी के बाद सभी बंदियों को मुरादाबाद ले जाया जा रहा था। जब कैदी वाहन संभल जिले के बनियाठेर थाना क्षेत्र में पहुंचा, तभी तीन कैदी शकील, धर्मपाल और कमल ने पुलिस की आंखों में मिर्च पाउडर झोंक दिया। इसके बाद तीनों बदमाशों ने सिपाही हरेंद्र और ब्रजपाल की गोली मारकर हत्या कर दी। और सरकारी राइफल लूटकर फरार हो गए। यह उस समय का सबसे चर्चित हत्याकांड था। पूरा प्रदेश सिपाहियों के हत्याकांड से हिल गया। यह घटना इतनी बड़ी थी कि बरेली जोन के एडीजी अविनाश चंद्रा और आईजी रमित शर्मा को संभल में कैंप करना पड़ा। तीनों बदमाशों पर ढाई-ढाई लाख रुपए का इनाम घोषित किया गया। इन बदमाशों को पकड़ने के लिए UP STF के अलावा संभल पुलिस भी लगी हुई थी। 2 सिपाहियों की हत्या करने वाले तीनों बदमाशों की घेराबंदी के लिए अमरोहा पुलिस टीम के साथ मैं भी एक्शन मोड में आ गया। हत्याकांड को 72 घंटे भी नहीं हुए थे कि हम लोगों को तीनों बदमाशों के बारे में इनपुट मिला। मुखबिरों ने बताया-साहब, आदमपुर क्षेत्र के ढवारसी के जंगल में तीनों जुटे हैं। इन्फॉर्मेशन पक्की है। जल्दी कीजिए। वो लोग भागने की फिराक में हैं। उनके पास सरकारी राइफल भी है। विपिन ताडा बताते हैं- जैसे हमें सूचना मिली, हम लोगों ने टीम बनाई। इसके बाद बताई गई लोकेशन पर पहुंच गए। हमारे साथ STF भी थी। हमने बदमाशों की घेराबंदी की। इस दौरान उनको भनक लग गई कि पुलिस दबिश दे चुकी है। वो तीनों हम लोगों पर फायरिंग करने लगे। 20 मिनट तक फायरिंग हुई। हम लोगों ने भी जवाबी कार्रवाई की। इस मुठभेड़ में ढाई लाख का इनामी बदमाश कुख्यात कमल ढेर हो गया। इस घटना में सिपाही प्रवीण भी गोली लगने से घायल हुए। विपिन ताडा बताते हैं कि मुठभेड़ में कई बार सामने से गोली चली, यह ऐसी घटना थी कि कुख्यात कमल पुलिस की लूटी हुई राइफल से फायरिंग कर रहा था। इसमें सबसे पहली प्लानिंग यह थी कि पुलिस की जान न जाए और कुख्यात भी पकड़ा जाए। लेकिन, कमल पुलिस से खुद को घिरता देखकर लगातार गोली दाग रहा था, पहली बार मौत को मैंने इतने करीब से देखा। जहां दो सिपाहियों की हत्या का बदला कुख्यात कमल को ढेर कर लिया गया। अन्य दो शकील और धर्मपाल पकड़े गए। इसी घटना को वर्कआउट करने में विपिन टाडा को राष्ट्रपति मेडल से सम्मानित किया गया। डॉ. विपिन ताडा बताते हैं- 2021 में मैं गोरखपुर का SSP था। 20 अगस्त की बात है। यहां गगहा थाना क्षेत्र में जगदीशपुर भलुआन गांव के कुख्यात बदमाश विजय ने गांव की 17 साल की छात्रा की गोली मारकर हत्या कर दी। यह वारदात उस समय हुई थी, जब कुख्यात छात्रा के पिता के साथ मारपीट कर रहा था। बेटी ने अपने मोबाइल से वीडियो बनाना शुरू किया तो विजय ने उसके पेट में गोली मार दी। हम लोगों ने छात्रा को बचाने का पूरा प्रयास किया। उसे लखनऊ तक लेकर गए। डॉक्टरों के भरसक प्रयास के बाद भी वह नहीं बच सकी। घटना के पांचवें दिन उसकी मौत हो गई। इधर, बदमाश फरार था। उसे पकड़ने के लिए हमने एक लाख रुपए इनाम का ऐलान किया। विजय गोरखपुर का कुख्यात हिस्ट्रीशीटर था। कई थानों में उसके खिलाफ मुकदमे दर्ज थे। विजय की गिरफ्तारी के लिए पुलिस और SOG की अलग-अलग टीमें लगाई गईं। सख्त हिदायत थी कि कुख्यात विजय को हर हाल में पकड़ना है। इस वारदात के तुंरत बाद सबसे पहले जिले की सभी सीमाओं पर अलर्ट कर दिया गया। कई दिनों तक जंगलों में कांबिंग की। मुखबिरों का नेटवर्क स्ट्रॉन्ग किया। एक रात हमें टिप मिली कि विजय जंगल में है। लोकेशन का पता चलते ही हमने विजय को घेर लिया। उससे सरेंडर करने की बात कही गई। लेकिन, विजय ने भागने के लिए फायरिंग शुरू कर दी। पुलिस की जवाबी कार्रवाई में विजय मार गिराया गया। एसएसपी विपिन टाडा बताते हैं कि गोरखपुर में छात्राओं व महिलाओं की सुरक्षा को लेकर पूरे जिले में अभियान चलाया गया। कॉलेजों और शिक्षण संस्थानों के बाहर वह खुद भी पुलिस सुरक्षा देखने जाते। कई बार पुलिस को भी पता नहीं चलता था। सादे कपड़ों में प्राइवेट गाड़ी से किसी भी समय सुरक्षा को परखा जाता था। गोरखपुर में माफियाओं की रीढ़ तोड़ने के लिए पुलिस टीमों को अलग से गठित किया गया। भू-माफिया और शराब माफियाओं में जुड़े 14 बड़े अपराधियों को सलाखों के पीछे भेजा। डॉ विपिन ताडा बताते हैं- पिछले साल मैं एसएसपी सहारनपुर था। जून में भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर पर हमला हुआ। एक गोली चंद्रशेखर को छू कर निकल गई। इस घटना की सूचना मिलते ही मैं तत्काल मौके पर पहुंचा। पहले घायल चंद्रशेखर से पूरे प्रकरण की जानकारी ली, उसके बाद घटनास्थल पर पहुंचकर पूरे क्राइम सीन को देखा। पूरे जिले में अलर्ट कर दिया गया। यह घटना बड़ी थी, जिसको लेकर लखनऊ से भी वरिष्ठ अधिकारियों के फोन आए। सबसे बड़ी गनीमत तो यह रही कि किसी की जान नहीं गई, घटना के खुलासे के लिए पुलिस की अलग अलग टीमों का गठन किया गया। अलग अलग स्थानों पर सीसी टीवी कैमरों का भी सहारा लिया गया। कुछ संदिग्ध वाहनों को ट्रेस किया गया। इसके बाद हमें पता चला कि यह हमला लविश नाम के युवक ने अपने साथियों के साथ मिलकर किया है। चार युवकों के नाम सामने आए। इन सभी हमलावरों की गिरफ्तारी को लेकर पुलिस लगातार दबिश दे रही थी, लेकिन यह सभी घर छोड़कर फरार थे। इनमें लविश के तीन अन्य साथी सहारनपुर के ही रहने वाले थे। एक दिन मुखबिर ने सूचना दी- भीम आर्मी प्रमुख पर हमला करने वाले हरियाणा की अंबाला कोर्ट में सरेंडर करने वाले हैं। इससे पहले ही पुलिस की दो टीमें सहारनपुर से अंबाला में भेज दी गईं थी, जहां से पुलिस ने हमलावरों को अरेस्ट करते हुए इस सनसनीखेज वारदात का खुलासा किया। इनका नाम लविश, आकाश और पोपट था। तीनों युवक रणखंडी गांव के रहने वाले थे। वहीं, एक युवक हरियाणा के करनाल के गांव गोंदर का रहने वाला था। सहारनपुर माफिया इकबाल की 800 करोड़ रुपए की संपत्ति को जब्त कर सरकार से अटैच किया। इस माफिया की अवैध संपत्ति को चिह्नित भी किया गया। सहारनपुर में घर, जमीन के अलावा नोएडा में फ्लैट को भी जब्त किया गया। वहीं लखनऊ में इसकी करोड़ों रुपए की संपत्ति को जब्त किया। इसके अलावा सहानपुर में चार अन्य भूमाफियाओं पर भी गैंगस्टर एक्ट में कार्रवाई की। सहारनपुर के बाद विपिन ताडा को एसएसपी मेरठ की जिम्मेदारी मिली। मेरठ में भी क्राइम की कई बड़ी घटनाओं पर खुद मौके पर पहुंचकर सुलझाया। कांवड़ यात्रा को पूरी तरह से सकुशल संपन्न कराया। कांवड़ यात्रा में मिश्रित आबादी वाले क्षेत्रों में खुद आधी रात तक वह फोर्स लेकर सड़कों पर नजर आए। अचीवमेंट्स खाकी वर्दी सीरीज की यह स्टोरी भी पढ़ें अतीक के बेटे को अरेस्ट कराने वाले IPS राकेश सिंह: 8 कुख्यात के एनकाउंटर, मथुरा के जवाहर बाग कांड की संभाली थी कमान नो कंप्रोमाइज-फैसला ऑन द स्पॉट। इसी सिद्धांत के साथ IPS डॉ. राकेश सिंह 38 साल की नौकरी में 25 से ज्यादा जिलों में तैनात रहे। बेधड़क अफसर की पहचान बनाई। कहीं भी पुलिसिंग से समझौता नहीं किया। 8 कुख्यात को एनकाउंटर में ढेर किया। पढ़ें पूरी खबर… IPS डॉ. विपिन ताडा यूपी पुलिस फोर्स में एक फेमस नाम है। उन्होंने कई बदमाशों को ऑन द स्पॉट ढेर किया। जहां भी तैनात रहे, कभी कानून व्यवस्था में ढील नहीं दी। जब-जब बदमाशों ने चुनौती देने का प्रयास किया, तो उन्होंने खुद मोर्चा संभाला। वह पहले ऐसे IPS अधिकारी हैं, जिन्होंने अपनी 10 साल की सर्विस में गैलेंट्री अवॉर्ड के अलावा पुलिस को मिलने वाले तीनों मेडल भी हासिल किए। विपिन ताडा सरकारी डॉक्टर रहे हैं। डॉक्टरी की नौकरी छोड़कर 2012 में वे IPS अफसर बने। इस समय वेस्ट यूपी के मेरठ में SSP हैं। CM योगी आादित्यनाथ के जिला गोरखपुर समेत 6 जिलों में पुलिस कप्तान रह चुके हैं। गोरखपुर में ही एसएसपी रहते छात्रा को गोली मारने वाले कुख्यात को ढेर कर उन्होंने सुर्खियां बटोरीं। उनकी गिनती यूपी के तेज तर्रार IPS अधिकारियों में होती है। डॉ. विपिन ताडा ने कैसे खाकी वर्दी तक का सफर पूरा किया? कभी सफेद पोशाक और स्टेथोस्कोप के साथ रहने वाले डॉ. विपिन अब कैसे अपराध और अपराधियों का इलाज कर रहे हैं? दैनिक भास्कर की स्पेशल सीरीज ‘खाकी वर्दी’ में आज IPS डॉ. विपिन ताडा की कहानी 6 चैप्टर में पढ़िए… राजस्थान के जोधपुर शहर में एक जगह शक्तिनगर है। यहां जोधपुर हाईकोर्ट के सीनियर अधिवक्ता मच्छी राम ताडा के घर 22 जनवरी 1984 को बेटे ने जन्म लिया। मां किरण ने उसका नाम विपिन रखा। कानून की किताबों के बीच विपिन का बचपन बीता। डॉ. विपिन ताडा बताते हैं- पिताजी मुझे इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ाना चाहते थे। इसलिए उन्होंने मेरा दाखिला जोधपुर के सेंट एंथोनी स्कूल में कराया। पहले पिताजी मुझे स्कूल छोड़ने और फिर लेने आते थे। लेकिन, जब मैं बड़ा हो गया तो पिताजी से साइकिल की मांग की। मैंने जिद करते हुए कहा कि मुझे साइकिल से स्कूल जाना है। उन दिनों इतना ट्रैफिक नहीं होता था। इसलिए पापा ने साइकिल दिला दी। घर से स्कूल की दूरी लगभग 4 किमी थी। मैं साइकिल से स्कूल जाने लगा। यहीं से मेरा साइकिल प्रेम बढ़ा। साइक्लिंग से शरीर भी फिट रहा। मैंने 1998 में सीबीएसई से दसवीं फर्स्ट क्लास में पास की। उसके बाद 2000 में इंटर पास किया। मेरे मम्मी-पापा यही कहते थे कि बेटा जितना पढ़ लेगा, उतनी ही अच्छी नौकरी मिलेगी। जब दसवीं पास हुआ तब मेरे सीनियर और दोस्त सरकारी नौकरी की चर्चा करते थे कि इतनी पढ़ाई करनी है कि सरकारी नौकरी लग जाए। लेकिन, मैंने इंटर करने के समय ही MBBS की तैयारी शुरू कर दी। इसके बाद मेरा सिलेक्शन हुआ और 2008-09 में मैंने डॉ. संपूर्णानंद मेडिकल कॉलेज जोधपुर से MBBS पूरा किया। विपिन ताडा बताते हैं- मैंने डॉ. संपूर्णानंद मेडिकल कॉलेज से ही इंटर्न किया। इसके बाद दिल्ली के इंदिरा गांधी हॉस्पिटल में 2 साल तक सेवाएं दीं। तभी गवर्नमेंट मेडिकल डॉक्टर में चयन हो गया। पहली बार सरकारी डॉक्टर के पद पर चयन हुआ, तो खुशी का ठिकाना नहीं रहा। मां-पिताजी भी बहुत खुश हुए। उस समय मेरी उम्र 27 साल थी। दोस्तों और रिश्तेदारों को जब पता चला कि मैं सरकारी डॉक्टर बन गया, तब मेरे घर में बधाई देने वालों का तांता लग गया। सरकारी डॉक्टर रहते हुए एक दिन मन में ख्याल आया कि क्यों न UPSC की तैयारी की जाए। पहले तो कुछ दिनों तक यह बात दिमाग में सिर्फ घूमती रही। लेकिन, एक दिन मैंने ठान लिया कि अब कंपटीशन की तैयारी करनी है। मैंने, जब यह बात घर पर बताई तो सभी को बहुत खुशी हुई। पिताजी ने कहा कि मेहनत कभी बेकार नहीं जाती, कामयाबी की नींव मेहनत से ही लिखी जाती है। इसके बाद मैं दिल्ली आ गया। यहां मैंने UPSC की तैयारी शुरू कर दी। मैंने ठान लिया कि IAS या IPS बनना ही है। ड्यूटी से आने के बाद मैं पढ़ाई करने लगता। इस दौरान मैंने दोस्तों से मिलना-जुलना कम कर दिया। डेढ़ साल की तैयारी में ही UPSC को क्रैक कर IPS बना। मुझे 2012 यूपी कैडर मिला। डॉ. विपिन ताडा बताते हैं- आईपीएस बनने के बाद पहली बार घर पर पहुंचा, तब जिस तरह स्वागत किया गया, उसे बयां नहीं कर सकता। बस इतना है कि वैसी खुशी कभी नहीं मिली थी। गांव के लोगों ने कहा कि यह किस्मत है कि सरकारी डॉक्टर अब IPS अधिकारी बन गया है। डॉ. विपिन ताडा ने बताया- साल 2014 में मुझे पहली पोस्टिंग आगरा में मिली। इसके बाद गाजियाबाद जिले में बतौर ASP पोस्टिंग हुई। जनवरी 2015 की बात है, गाजियाबाद में तीन बदमाशों ने दिनदहाड़े मीट कारोबारी से 25 लाख रुपए लूट लिया। इस लूट की सूचना मिलते ही पूरे गाजियाबाद में पुलिस को अलर्ट कर घेराबंदी की गई, लेकिन बदमाश बाइक से होते हुए फरार हो गए। जब पता चला कि मीट कारोबारी मेरठ का रहने वाला था, तो पुलिस ने क्राइम सीन को देखते हुए अलग-अलग एंगल पर जांच को आगे बढ़ाया। एक दशक पहले यह चर्चित लूट की वारदात थी, जिसमें उच्च अधिकारियों ने निर्देश दिए कि इस लूट का शीघ्र खुलासा किया जाए। घटना के खुलासे के लिए STF और क्राइम ब्रांच की टीम लगाई गई। इसके बाद मुखबिर और सर्विलांस से पता चला की लूट करने वाले बदमाश भी मेरठ के रहने वाले हैं। विपिन ताडा बताते हैं- दबिश देते हुए सभी लुटेरों को गिरफ्तार किया गया। उनके पास से लूट का पूरा कैश बरामद कर इस कांड का खुलासा किया। कारोबारी से लूट की इसी घटना के वर्कआउट पर मुझे डीजी के प्रशंसा चिह्न से सम्मानित किया गया। मेरे लिए यह बहुत बड़ी उपलब्धि थी। उसके बाद क्राइम की अलग अलग घटनाओं पर काम करना शुरू किया। गाजियाबाद सिटी उस समय तेजी से डेवलप हो चुका था, दिल्ली और नोएडा से सटे होने के चलते यहां क्राइम रोकने के लिए अलग पैटर्न पर काम किया। महिलाओं के साथ होने वाले क्राइम को रोकने के लिए शाम से लेकर रात तक पुलिस को अलर्ट रहना पड़ता था। गाजियाबाद में एएसपी रहने के बाद 2016 में मुझे एसपी सिटी आजमगढ़ की जिम्मेदारी मिली। विपिन ताडा ने बताया- आजमगढ़ में शराब माफियाओं के नेटवर्क को तोड़ने पर काम किया। पहले एक महीने तक यह समझा कि शराब में कौन-कौन माफिया शामिल हैं, बाहरी जिलों से कौन लोग अवैध के काम से जुड़े हैं। इसमें पुलिसकर्मियों की भूमिका पर भी नजर रखी गई। कई शराब माफियाओं पर कार्रवाई की गई। इसके बाद मुझे प्रयागराज में एसपी सिटी की जिम्मेदारी मिली। डॉ. विपिन ताडा बताते हैं- 2019 में मैं अमरोहा में SSP था। 17 जुलाई 2019 की बात है। मुरादाबाद जेल से 24 बंदियों को लेकर पुलिस चंदौसी कोर्ट में पेशी पर गई थी। पेशी के बाद सभी बंदियों को मुरादाबाद ले जाया जा रहा था। जब कैदी वाहन संभल जिले के बनियाठेर थाना क्षेत्र में पहुंचा, तभी तीन कैदी शकील, धर्मपाल और कमल ने पुलिस की आंखों में मिर्च पाउडर झोंक दिया। इसके बाद तीनों बदमाशों ने सिपाही हरेंद्र और ब्रजपाल की गोली मारकर हत्या कर दी। और सरकारी राइफल लूटकर फरार हो गए। यह उस समय का सबसे चर्चित हत्याकांड था। पूरा प्रदेश सिपाहियों के हत्याकांड से हिल गया। यह घटना इतनी बड़ी थी कि बरेली जोन के एडीजी अविनाश चंद्रा और आईजी रमित शर्मा को संभल में कैंप करना पड़ा। तीनों बदमाशों पर ढाई-ढाई लाख रुपए का इनाम घोषित किया गया। इन बदमाशों को पकड़ने के लिए UP STF के अलावा संभल पुलिस भी लगी हुई थी। 2 सिपाहियों की हत्या करने वाले तीनों बदमाशों की घेराबंदी के लिए अमरोहा पुलिस टीम के साथ मैं भी एक्शन मोड में आ गया। हत्याकांड को 72 घंटे भी नहीं हुए थे कि हम लोगों को तीनों बदमाशों के बारे में इनपुट मिला। मुखबिरों ने बताया-साहब, आदमपुर क्षेत्र के ढवारसी के जंगल में तीनों जुटे हैं। इन्फॉर्मेशन पक्की है। जल्दी कीजिए। वो लोग भागने की फिराक में हैं। उनके पास सरकारी राइफल भी है। विपिन ताडा बताते हैं- जैसे हमें सूचना मिली, हम लोगों ने टीम बनाई। इसके बाद बताई गई लोकेशन पर पहुंच गए। हमारे साथ STF भी थी। हमने बदमाशों की घेराबंदी की। इस दौरान उनको भनक लग गई कि पुलिस दबिश दे चुकी है। वो तीनों हम लोगों पर फायरिंग करने लगे। 20 मिनट तक फायरिंग हुई। हम लोगों ने भी जवाबी कार्रवाई की। इस मुठभेड़ में ढाई लाख का इनामी बदमाश कुख्यात कमल ढेर हो गया। इस घटना में सिपाही प्रवीण भी गोली लगने से घायल हुए। विपिन ताडा बताते हैं कि मुठभेड़ में कई बार सामने से गोली चली, यह ऐसी घटना थी कि कुख्यात कमल पुलिस की लूटी हुई राइफल से फायरिंग कर रहा था। इसमें सबसे पहली प्लानिंग यह थी कि पुलिस की जान न जाए और कुख्यात भी पकड़ा जाए। लेकिन, कमल पुलिस से खुद को घिरता देखकर लगातार गोली दाग रहा था, पहली बार मौत को मैंने इतने करीब से देखा। जहां दो सिपाहियों की हत्या का बदला कुख्यात कमल को ढेर कर लिया गया। अन्य दो शकील और धर्मपाल पकड़े गए। इसी घटना को वर्कआउट करने में विपिन टाडा को राष्ट्रपति मेडल से सम्मानित किया गया। डॉ. विपिन ताडा बताते हैं- 2021 में मैं गोरखपुर का SSP था। 20 अगस्त की बात है। यहां गगहा थाना क्षेत्र में जगदीशपुर भलुआन गांव के कुख्यात बदमाश विजय ने गांव की 17 साल की छात्रा की गोली मारकर हत्या कर दी। यह वारदात उस समय हुई थी, जब कुख्यात छात्रा के पिता के साथ मारपीट कर रहा था। बेटी ने अपने मोबाइल से वीडियो बनाना शुरू किया तो विजय ने उसके पेट में गोली मार दी। हम लोगों ने छात्रा को बचाने का पूरा प्रयास किया। उसे लखनऊ तक लेकर गए। डॉक्टरों के भरसक प्रयास के बाद भी वह नहीं बच सकी। घटना के पांचवें दिन उसकी मौत हो गई। इधर, बदमाश फरार था। उसे पकड़ने के लिए हमने एक लाख रुपए इनाम का ऐलान किया। विजय गोरखपुर का कुख्यात हिस्ट्रीशीटर था। कई थानों में उसके खिलाफ मुकदमे दर्ज थे। विजय की गिरफ्तारी के लिए पुलिस और SOG की अलग-अलग टीमें लगाई गईं। सख्त हिदायत थी कि कुख्यात विजय को हर हाल में पकड़ना है। इस वारदात के तुंरत बाद सबसे पहले जिले की सभी सीमाओं पर अलर्ट कर दिया गया। कई दिनों तक जंगलों में कांबिंग की। मुखबिरों का नेटवर्क स्ट्रॉन्ग किया। एक रात हमें टिप मिली कि विजय जंगल में है। लोकेशन का पता चलते ही हमने विजय को घेर लिया। उससे सरेंडर करने की बात कही गई। लेकिन, विजय ने भागने के लिए फायरिंग शुरू कर दी। पुलिस की जवाबी कार्रवाई में विजय मार गिराया गया। एसएसपी विपिन टाडा बताते हैं कि गोरखपुर में छात्राओं व महिलाओं की सुरक्षा को लेकर पूरे जिले में अभियान चलाया गया। कॉलेजों और शिक्षण संस्थानों के बाहर वह खुद भी पुलिस सुरक्षा देखने जाते। कई बार पुलिस को भी पता नहीं चलता था। सादे कपड़ों में प्राइवेट गाड़ी से किसी भी समय सुरक्षा को परखा जाता था। गोरखपुर में माफियाओं की रीढ़ तोड़ने के लिए पुलिस टीमों को अलग से गठित किया गया। भू-माफिया और शराब माफियाओं में जुड़े 14 बड़े अपराधियों को सलाखों के पीछे भेजा। डॉ विपिन ताडा बताते हैं- पिछले साल मैं एसएसपी सहारनपुर था। जून में भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर पर हमला हुआ। एक गोली चंद्रशेखर को छू कर निकल गई। इस घटना की सूचना मिलते ही मैं तत्काल मौके पर पहुंचा। पहले घायल चंद्रशेखर से पूरे प्रकरण की जानकारी ली, उसके बाद घटनास्थल पर पहुंचकर पूरे क्राइम सीन को देखा। पूरे जिले में अलर्ट कर दिया गया। यह घटना बड़ी थी, जिसको लेकर लखनऊ से भी वरिष्ठ अधिकारियों के फोन आए। सबसे बड़ी गनीमत तो यह रही कि किसी की जान नहीं गई, घटना के खुलासे के लिए पुलिस की अलग अलग टीमों का गठन किया गया। अलग अलग स्थानों पर सीसी टीवी कैमरों का भी सहारा लिया गया। कुछ संदिग्ध वाहनों को ट्रेस किया गया। इसके बाद हमें पता चला कि यह हमला लविश नाम के युवक ने अपने साथियों के साथ मिलकर किया है। चार युवकों के नाम सामने आए। इन सभी हमलावरों की गिरफ्तारी को लेकर पुलिस लगातार दबिश दे रही थी, लेकिन यह सभी घर छोड़कर फरार थे। इनमें लविश के तीन अन्य साथी सहारनपुर के ही रहने वाले थे। एक दिन मुखबिर ने सूचना दी- भीम आर्मी प्रमुख पर हमला करने वाले हरियाणा की अंबाला कोर्ट में सरेंडर करने वाले हैं। इससे पहले ही पुलिस की दो टीमें सहारनपुर से अंबाला में भेज दी गईं थी, जहां से पुलिस ने हमलावरों को अरेस्ट करते हुए इस सनसनीखेज वारदात का खुलासा किया। इनका नाम लविश, आकाश और पोपट था। तीनों युवक रणखंडी गांव के रहने वाले थे। वहीं, एक युवक हरियाणा के करनाल के गांव गोंदर का रहने वाला था। सहारनपुर माफिया इकबाल की 800 करोड़ रुपए की संपत्ति को जब्त कर सरकार से अटैच किया। इस माफिया की अवैध संपत्ति को चिह्नित भी किया गया। सहारनपुर में घर, जमीन के अलावा नोएडा में फ्लैट को भी जब्त किया गया। वहीं लखनऊ में इसकी करोड़ों रुपए की संपत्ति को जब्त किया। इसके अलावा सहानपुर में चार अन्य भूमाफियाओं पर भी गैंगस्टर एक्ट में कार्रवाई की। सहारनपुर के बाद विपिन ताडा को एसएसपी मेरठ की जिम्मेदारी मिली। मेरठ में भी क्राइम की कई बड़ी घटनाओं पर खुद मौके पर पहुंचकर सुलझाया। कांवड़ यात्रा को पूरी तरह से सकुशल संपन्न कराया। कांवड़ यात्रा में मिश्रित आबादी वाले क्षेत्रों में खुद आधी रात तक वह फोर्स लेकर सड़कों पर नजर आए। अचीवमेंट्स खाकी वर्दी सीरीज की यह स्टोरी भी पढ़ें अतीक के बेटे को अरेस्ट कराने वाले IPS राकेश सिंह: 8 कुख्यात के एनकाउंटर, मथुरा के जवाहर बाग कांड की संभाली थी कमान नो कंप्रोमाइज-फैसला ऑन द स्पॉट। इसी सिद्धांत के साथ IPS डॉ. राकेश सिंह 38 साल की नौकरी में 25 से ज्यादा जिलों में तैनात रहे। बेधड़क अफसर की पहचान बनाई। कहीं भी पुलिसिंग से समझौता नहीं किया। 8 कुख्यात को एनकाउंटर में ढेर किया। पढ़ें पूरी खबर… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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अंबाला में जुड़वां बच्चियों के जन्म का अनोखा मामला:दोनों का शरीर अलग-अलग, दिल एक धड़क रहा; डॉक्टरों ने अपने हाल पर छोड़ा हरियाणा के अंबाला कैंट में महिला ने सिविल अस्पताल में जुड़वां बच्चियों को जन्म दिया। हैरत की बात ये है कि दोनों बच्चियों का शरीर अलग है, लेकिन दिल एक ही है। ऐसा अनोखा मामला गुरुवार की देर रात अंबाला कैंट के सिविल अस्पताल में हुई डिलीवरी के दौरान देखने को मिला। महिला की डिलीवरी नॉर्मल हुई, लेकिन बच्चियों की हालत को बिगड़ते देख डॉक्टरों ने नवजात बच्चियों को PGI चंडीगढ़ रेफर कर दिया। हैरानी की बात है कि PGI चंडीगढ़ से नवजात बच्चियों को वापस अंबाला कैंट सिविल अस्पताल रेफर कर दिया। यहां से फिर PGI रेफर किया, लेकिन डॉक्टरों ने चंडीगढ़ से फिर वापस अंबाला लौटा दिया। डॉक्टरों की हरकतों से परेशान हुए परिजन नवजात बच्चियों को अपने घर ले गए। दरअसल, मूलरूप से बिहार के गांव समस्तीपुर निवासी चुनचुन अपनी पत्नी शुकंतला के साथ अंबाला कैंट के हुड्डा सेक्टर-34 में किराये पर रहता है। प्रसव पीड़ा होने के चलते चुनचुन ने अपनी पत्नी शकुंतला को सिविल अस्पताल में भर्ती कराया था। यहां, शुकंतला के गर्भ में जुड़वां बच्चे होने की संभावना डॉक्टर ने जताई थी। जब नॉर्मल डिलीवरी हुई तो पता चला कि दोनों बच्चियों की छाती,पेट जुड़े हुए हैं,लेकिन छाती से ऊपर का हिस्सा और पेट से नीचे का हिस्सा अलग-अलग है। अल्ट्रासाउंड में खुलासा दोनों में दिल एक सिविल अस्पताल के डॉक्टरों के मुताबिक, डिलीवरी के बाद नवजात बच्चियों का अल्ट्रासाउंड कराया गया, जिसमें खुलासा हुआ कि नवजात बच्चियों का शरीर अलग-अलग है, लेकिन दोनों का दिल एक है। नवजात बच्चियों को पहले डॉक्टरों ने देखभाल के लिए निक्कू वार्ड में रखा। जब हालत बिगड़ती दिखी तो PGI चंडीगढ़ रेफर कर दिया, लेकिन वहां के डॉक्टरों ने वापस अंबाला लौटा दिया। चुनचुन ने बताया कि उसके पास पहले एक बेटा और एक बेटी है। गुरुवार की रात पत्नी को प्रसव पीड़ा हुई थी। वह रात को ही सिविल अस्पताल अंबाला कैंट लेकर पहुंचा। यहां डिलीवरी हुई तो पता चला जुड़वां बच्ची हुई है। दोनों छाती से जुड़ी हुई थी। यहां से डॉक्टर ने बच्चियों को PGI चंडीगढ़ रेफर कर दिया, लेकिन PGI में किसी डॉक्टर ने नहीं देखा और उन्हें वापस अंबाला लौटा दिया। वह अंबाला सिविल अस्पताल पहुंचे,लेकिन शुक्रवार दोपहर 12 बजे फिर चंडीगढ़ रेफर कर दिया। वहां दाखिल करने की जगह उन्हें वापस अंबाला भेज दिया। जब बच्चियों को कहीं भर्ती नहीं किया तो वह अपने घर ले गए।
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