हाईकोर्ट ने 69,000 सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा का परिणाम नए सिरे से जारी करने का आदेश दिया है। सरकार भी इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील नहीं करेगी, लेकिन नई मेरिट लिस्ट से सामान्य और ओबीसी वर्ग के जो शिक्षक प्रभावित होंगे उनकी नौकरी नहीं जाएगी। सरकार मेरिट से बाहर होने वाले शिक्षकों को किसी न किसी रूप में शिक्षण कार्य में लगाने का रास्ता तलाश रही है। मामले में बढ़ती राजनीति को देखते हुए सीएम योगी आदित्यनाथ ने खुद कमान संभाल ली है। मुख्यमंत्री ने साफ निर्देश दिए हैं कि किसी भी अभ्यर्थी के साथ अन्याय नहीं होगा। सूत्रों के मुताबिक रविवार रात मुख्यमंत्री आवास पर आयोजित बैठक में तय हुआ कि नई मेरिट के कारण सामान्य और ओबीसी वर्ग के जो शिक्षक प्रभावित होंगे उनकी नौकरी नहीं जाएगी। सरकार का प्रयास है कि अब इस मामले को जल्द से जल्द सुलझाया जाए ताकि विपक्ष के पास कोई मुद्दा न रहे। 31 मार्च तक काम कर सकेंगे प्रभावित शिक्षक बेसिक शिक्षा विभाग जल्द ही हाईकोर्ट के आदेश के तहत 69,000 सहायक अध्यापक भर्ती की नई मेरिट तैयार करेगा। नई मेरिट शिक्षक भर्ती सेवा नियमावली 1981 और आरक्षण अधिनियम के नियमों के अनुसार ही जारी होगी। नई मेरिट बनने के बाद भी पुराने चयनित शिक्षकों पर असर नहीं पड़ेगा। वह 31 मार्च 2025 तक काम करते रहेंगे। यानी वर्तमान शैक्षिक सत्र में उनकी नौकरी पर कोई संकट नहीं होगा। …तो क्या रास्ता अपनाएगी सरकार उन्हें नौकरी में बनाए रखने के लिए विधिक, वित्तीय और प्रशासनिक परीक्षण के बाद प्रस्ताव तैयार किया जाएगा। प्रस्ताव को कैबिनेट से भी मंजूर कराया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक सरकार की कोशिश है कि भर्ती से प्रभावित होने वाले शिक्षकों को पहले समायोजित करने का रास्ता निकाला जाए। इसके बाद ही नई मेरिट जारी की जाए। सरकार की सियासी मजबूरी 69,000 सहायक अध्यापक भर्ती को लेकर प्रदेश में राजनीति तेज हो गई है। एक तरफ विपक्ष सरकार को घेर कर ओबीसी व दलित युवाओं को साधने की कोशिश कर रहा है। वहीं, दूसरी ओर सरकार के सहयोगी दल भी वोट बैंक की राजनीति के लिए विपक्ष के सुर में सुर मिला रहे हैं। अपना दल (एस) की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल लगातार इस मुद्दे को लेकर हमलावर हैं। वह बार-बार बताने का प्रयास कर रही हैं कि ओबीसी आयोग ने भी भर्ती में आरक्षण नियमानुसार देने का फैसला सुनाया था। लेकिन सरकार ने उसे नहीं माना। जानकार मानते हैं कि नई मेरिट सूची से ओबीसी और दलित वर्ग के कई वंचित अभ्यर्थियों को चयन का मौका मिल जाएगा। ओबीसी और दलितों के बीच इसका फायदा लेने में भाजपा सरकार कितनी सफल होगी इसका तो पता नहीं है, लेकिन विपक्ष यह संकेत दे रहा है कि सरकार उसके दबाव में ही यह कर रही है। यदि विपक्ष का दबाव नहीं होता तो सरकार सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकती थी। सवर्ण वोट बैंक को नहीं खोना चाहती सरकार बेसिक शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि नई मेरिट से सैकड़ों की संख्या में सामान्य वर्ग के शिक्षकों की नौकरी पर तलवार लटक जाएगी। इनमें ब्राह्मण, ठाकुर, वैश्य, कायस्थ और भूमिहार सहित अन्य जातियां शामिल हैं। इन जातियों को भाजपा का परंपरागत वोट बैंक माना जाता है। यदि इन जातियों के शिक्षकों की नौकरी पर संकट आया तो इससे भाजपा के वोट बैंक को बड़ा झटका लग सकता है। वोट बैंक नहीं खोना चाहती सरकार सरकार अपने वोट बैंक को खोना नहीं चाहती है। इसलिए बीच का रास्ता निकाल रही है कि नई मेरिट से ओबीसी और दलित वर्ग के अभ्यर्थी भी चयनित हो जाएं। वहीं इससे प्रभावित होने वाले वर्तमान में कार्यरत अगड़ी और पिछड़ी जाति के किसी शिक्षक की नौकरी भी किसी न किसी रूप में बनी रहे। नई भर्ती अब अटक सकती है बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी ने बताया कि बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में सहायक अध्यापकों के 85 हजार से अधिक पद खाली हैं। 69,000 सहायक अध्यापक भर्ती का विवाद चार साल से हाईकोर्ट में चल रहा है। इसी विवाद के चलते सरकार ने नई भर्ती नहीं निकाली। अब हाईकोर्ट ने नए सिरे से मेरिट लिस्ट जारी करने का आदेश दिया है। इस प्रक्रिया को पूरी करने के चक्कर में अब फिर नई भर्ती प्रक्रिया अटक सकती है। भर्ती को लेकर अफसर भी एकराय नहीं 69,000 सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा के परिणाम को लेकर बेसिक शिक्षा विभाग में शुरू से ही अधिकारी दो फाड़ थे। आईएएस अफसरों का वर्ग मई 2020 में जारी परिणाम में निर्धारित कटऑफ और आरक्षण को सही ठहरा रहा था। वहीं, शिक्षा सेवा संवर्ग के अधिकारी अपने अनुभव के आधार पर उसका विरोध कर रहे थे। वर्तमान में विभाग के महत्वपूर्ण पद पर कार्यरत एक अधिकारी ने बताया कि उन्होंने इस संबंध में पहले भी विभागीय मंत्री को अवगत कराया था। ‘दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करे सरकार’ भर्ती के दौरान बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री सतीश द्विवेदी थे। द्विवेदी 2022 में विधानसभा चुनाव हार गए। जिस दौरान भर्ती हुई रेणुका कुमार बेसिक शिक्षा विभाग की अपर मुख्य सचिव थीं। रेणुका कुमार अब आईएएस की सेवा से इस्तीफा दे चुकी हैं। विजय किरन आनंद स्कूल शिक्षा महानिदेशक थे। विजय किरन अभी प्रयागराज कुंभ मेला अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं। विजय शंकर मिश्र बेसिक शिक्षा परिषद के कार्यवाहक सचिव थे। पिछड़ा दलित संयुक्त मोर्चा के प्रदेश मीडिया प्रभारी राजेश चौधरी ने मामले में दोषी अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि सरकार को उन अफसरों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए, जिनके कारण ओबीसी के अभ्यर्थियों को इतना लंबा संघर्ष करना पड़ा। यदि अधिकारी शुरुआत से ही सही काम करते तो सरकार के लिए अब विकट स्थिति नहीं होती। ये भी पढ़ें… ‘69000 शिक्षक भर्ती का रिजल्ट फिर से जारी करें’:लखनऊ हाईकोर्ट का आदेश- 3 महीने में पालन करें; सरकार बोली- सत्र पूरा होने तक पढ़ाते रहेंगे इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने 69,000 सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा का परिणाम नए सिरे से जारी करने का आदेश दिया है। बेसिक शिक्षा विभाग को 3 महीने में नई चयन सूची जारी करनी होगी। हाईकोर्ट के इस आदेश से यूपी सरकार को बड़ा झटका लगा। नई चयन सूची बनने से बीते 4 साल से सेवाएं दे रहे हजारों टीचर नौकरी से बाहर हो जाएंगे। (पढ़ें पूरी खबर) 69 हजार शिक्षक भर्ती पर अखिलेश का केशव पर निशाना:कहा- दर्द देने वाले, दवा देने का दावा न करें; कृपा प्राप्त उपमुख्यमंत्री का बयान साजिशाना यूपी में 69 हजार शिक्षक भर्ती पर हाईकोर्ट के फैसले के बाद सियासत तेज हो गई। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने नाम लिए बिना डिप्टी सीएम केशव मौर्य पर निशाना साधा। कहा- युवाओं का दर्द देने वाले अब दवा देने का दावा नहीं करें। इसके तुरंत बाद केशव मौर्य ने भी अखिलेश पर पलटवार किया। उन्होंने कहा- सपा बहादुर अखिलेश यादव कांग्रेस के मोहरा है। उनका PDA बहुत बड़ा धोखा है। (पढ़ें पूरी खबर) हाईकोर्ट ने 69,000 सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा का परिणाम नए सिरे से जारी करने का आदेश दिया है। सरकार भी इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील नहीं करेगी, लेकिन नई मेरिट लिस्ट से सामान्य और ओबीसी वर्ग के जो शिक्षक प्रभावित होंगे उनकी नौकरी नहीं जाएगी। सरकार मेरिट से बाहर होने वाले शिक्षकों को किसी न किसी रूप में शिक्षण कार्य में लगाने का रास्ता तलाश रही है। मामले में बढ़ती राजनीति को देखते हुए सीएम योगी आदित्यनाथ ने खुद कमान संभाल ली है। मुख्यमंत्री ने साफ निर्देश दिए हैं कि किसी भी अभ्यर्थी के साथ अन्याय नहीं होगा। सूत्रों के मुताबिक रविवार रात मुख्यमंत्री आवास पर आयोजित बैठक में तय हुआ कि नई मेरिट के कारण सामान्य और ओबीसी वर्ग के जो शिक्षक प्रभावित होंगे उनकी नौकरी नहीं जाएगी। सरकार का प्रयास है कि अब इस मामले को जल्द से जल्द सुलझाया जाए ताकि विपक्ष के पास कोई मुद्दा न रहे। 31 मार्च तक काम कर सकेंगे प्रभावित शिक्षक बेसिक शिक्षा विभाग जल्द ही हाईकोर्ट के आदेश के तहत 69,000 सहायक अध्यापक भर्ती की नई मेरिट तैयार करेगा। नई मेरिट शिक्षक भर्ती सेवा नियमावली 1981 और आरक्षण अधिनियम के नियमों के अनुसार ही जारी होगी। नई मेरिट बनने के बाद भी पुराने चयनित शिक्षकों पर असर नहीं पड़ेगा। वह 31 मार्च 2025 तक काम करते रहेंगे। यानी वर्तमान शैक्षिक सत्र में उनकी नौकरी पर कोई संकट नहीं होगा। …तो क्या रास्ता अपनाएगी सरकार उन्हें नौकरी में बनाए रखने के लिए विधिक, वित्तीय और प्रशासनिक परीक्षण के बाद प्रस्ताव तैयार किया जाएगा। प्रस्ताव को कैबिनेट से भी मंजूर कराया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक सरकार की कोशिश है कि भर्ती से प्रभावित होने वाले शिक्षकों को पहले समायोजित करने का रास्ता निकाला जाए। इसके बाद ही नई मेरिट जारी की जाए। सरकार की सियासी मजबूरी 69,000 सहायक अध्यापक भर्ती को लेकर प्रदेश में राजनीति तेज हो गई है। एक तरफ विपक्ष सरकार को घेर कर ओबीसी व दलित युवाओं को साधने की कोशिश कर रहा है। वहीं, दूसरी ओर सरकार के सहयोगी दल भी वोट बैंक की राजनीति के लिए विपक्ष के सुर में सुर मिला रहे हैं। अपना दल (एस) की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल लगातार इस मुद्दे को लेकर हमलावर हैं। वह बार-बार बताने का प्रयास कर रही हैं कि ओबीसी आयोग ने भी भर्ती में आरक्षण नियमानुसार देने का फैसला सुनाया था। लेकिन सरकार ने उसे नहीं माना। जानकार मानते हैं कि नई मेरिट सूची से ओबीसी और दलित वर्ग के कई वंचित अभ्यर्थियों को चयन का मौका मिल जाएगा। ओबीसी और दलितों के बीच इसका फायदा लेने में भाजपा सरकार कितनी सफल होगी इसका तो पता नहीं है, लेकिन विपक्ष यह संकेत दे रहा है कि सरकार उसके दबाव में ही यह कर रही है। यदि विपक्ष का दबाव नहीं होता तो सरकार सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकती थी। सवर्ण वोट बैंक को नहीं खोना चाहती सरकार बेसिक शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि नई मेरिट से सैकड़ों की संख्या में सामान्य वर्ग के शिक्षकों की नौकरी पर तलवार लटक जाएगी। इनमें ब्राह्मण, ठाकुर, वैश्य, कायस्थ और भूमिहार सहित अन्य जातियां शामिल हैं। इन जातियों को भाजपा का परंपरागत वोट बैंक माना जाता है। यदि इन जातियों के शिक्षकों की नौकरी पर संकट आया तो इससे भाजपा के वोट बैंक को बड़ा झटका लग सकता है। वोट बैंक नहीं खोना चाहती सरकार सरकार अपने वोट बैंक को खोना नहीं चाहती है। इसलिए बीच का रास्ता निकाल रही है कि नई मेरिट से ओबीसी और दलित वर्ग के अभ्यर्थी भी चयनित हो जाएं। वहीं इससे प्रभावित होने वाले वर्तमान में कार्यरत अगड़ी और पिछड़ी जाति के किसी शिक्षक की नौकरी भी किसी न किसी रूप में बनी रहे। नई भर्ती अब अटक सकती है बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी ने बताया कि बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में सहायक अध्यापकों के 85 हजार से अधिक पद खाली हैं। 69,000 सहायक अध्यापक भर्ती का विवाद चार साल से हाईकोर्ट में चल रहा है। इसी विवाद के चलते सरकार ने नई भर्ती नहीं निकाली। अब हाईकोर्ट ने नए सिरे से मेरिट लिस्ट जारी करने का आदेश दिया है। इस प्रक्रिया को पूरी करने के चक्कर में अब फिर नई भर्ती प्रक्रिया अटक सकती है। भर्ती को लेकर अफसर भी एकराय नहीं 69,000 सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा के परिणाम को लेकर बेसिक शिक्षा विभाग में शुरू से ही अधिकारी दो फाड़ थे। आईएएस अफसरों का वर्ग मई 2020 में जारी परिणाम में निर्धारित कटऑफ और आरक्षण को सही ठहरा रहा था। वहीं, शिक्षा सेवा संवर्ग के अधिकारी अपने अनुभव के आधार पर उसका विरोध कर रहे थे। वर्तमान में विभाग के महत्वपूर्ण पद पर कार्यरत एक अधिकारी ने बताया कि उन्होंने इस संबंध में पहले भी विभागीय मंत्री को अवगत कराया था। ‘दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करे सरकार’ भर्ती के दौरान बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री सतीश द्विवेदी थे। द्विवेदी 2022 में विधानसभा चुनाव हार गए। जिस दौरान भर्ती हुई रेणुका कुमार बेसिक शिक्षा विभाग की अपर मुख्य सचिव थीं। रेणुका कुमार अब आईएएस की सेवा से इस्तीफा दे चुकी हैं। विजय किरन आनंद स्कूल शिक्षा महानिदेशक थे। विजय किरन अभी प्रयागराज कुंभ मेला अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं। विजय शंकर मिश्र बेसिक शिक्षा परिषद के कार्यवाहक सचिव थे। पिछड़ा दलित संयुक्त मोर्चा के प्रदेश मीडिया प्रभारी राजेश चौधरी ने मामले में दोषी अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि सरकार को उन अफसरों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए, जिनके कारण ओबीसी के अभ्यर्थियों को इतना लंबा संघर्ष करना पड़ा। यदि अधिकारी शुरुआत से ही सही काम करते तो सरकार के लिए अब विकट स्थिति नहीं होती। ये भी पढ़ें… ‘69000 शिक्षक भर्ती का रिजल्ट फिर से जारी करें’:लखनऊ हाईकोर्ट का आदेश- 3 महीने में पालन करें; सरकार बोली- सत्र पूरा होने तक पढ़ाते रहेंगे इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने 69,000 सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा का परिणाम नए सिरे से जारी करने का आदेश दिया है। बेसिक शिक्षा विभाग को 3 महीने में नई चयन सूची जारी करनी होगी। हाईकोर्ट के इस आदेश से यूपी सरकार को बड़ा झटका लगा। नई चयन सूची बनने से बीते 4 साल से सेवाएं दे रहे हजारों टीचर नौकरी से बाहर हो जाएंगे। (पढ़ें पूरी खबर) 69 हजार शिक्षक भर्ती पर अखिलेश का केशव पर निशाना:कहा- दर्द देने वाले, दवा देने का दावा न करें; कृपा प्राप्त उपमुख्यमंत्री का बयान साजिशाना यूपी में 69 हजार शिक्षक भर्ती पर हाईकोर्ट के फैसले के बाद सियासत तेज हो गई। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने नाम लिए बिना डिप्टी सीएम केशव मौर्य पर निशाना साधा। कहा- युवाओं का दर्द देने वाले अब दवा देने का दावा नहीं करें। इसके तुरंत बाद केशव मौर्य ने भी अखिलेश पर पलटवार किया। उन्होंने कहा- सपा बहादुर अखिलेश यादव कांग्रेस के मोहरा है। उनका PDA बहुत बड़ा धोखा है। (पढ़ें पूरी खबर) उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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कोतवाली चंदपा क्षेत्र के एक गांव में 14 सितंबर 2020 अनुसूचित जाति की एक युवती गांव के निकट ही खेत में घायल अवस्था में पड़ी मिली थी। उसके भाई ने गांव के युवक संदीप के खिलाफ जानलेवा हमला व एससी-एसटी एक्ट का मुकदमा दर्ज किया था। युवती को गंभीर अवस्था में अलीगढ़ के मेडिकल कॉलेज में उपचार के लिए भेजा गया था। 22 सितंबर को युवती के बयान के आधार पर सामूहिक दुष्कर्म की धारा बढ़ाई गई थी और तीन अन्य रामू, रवि और लवकुश के नाम बतौर आरोपी शामिल किए गए थे। 29 सितंबर को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में युवती ने दम तोड़ दिया था। इस मामले में सीबीआई ने जांच की थी। अदालत ने इस मामले में संदीप को उम्रकैद की सजा सुनाई थी, अन्य तीन आरोपियों को बरी कर दिया था। वीडियो में ये बातें कही गईं
वीडियो में दिखाया गया है कि 14 सितंबर 2020 को चार लोगों ने 19 साल की युवती के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया था। दो हफ्ते बाद 28 सितंबर को दिल्ली में इलाज के बाद पीड़िता ने दम तोड़ दिया। उसी रात 2:30 बजे युवती के परिवार की बगैर सहमति के यूपी पुलिस ने उसका अंतिम संस्कार कर दिया था। 4 साल बाद भी पीड़िता के परिवार को न्याय नहीं मिला है। लड़की की मां ने कहा कि अगर मेरी बेटी के साथ ये सब न हुआ होता तो मैं बेटी का विवाह कर देती। हम लोगों को बहुत सताया गया है। उन्होंने दुनिया को दिखाया कि हमारे परिवार को उन्होंने नौकरी दी है, घर दिया है, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ ही नहीं है। अगर उन्होंने कुछ दिया होता तो पिछले चार साल से हम जेल जैसा जीवन नहीं बिता रहे होते। परिजन बोले-दलित के लिए न्याय की कोई उम्मीद नहीं
मृतका के परिजन ने कहा- एक आरोपी जेल में है। 3 छूट कर बाहर आ गए हैं। मामले में बहन का बयान हटा दिया गया है। कोर्ट का ऑर्डर है कि परिवार को घर और नौकरी दिया जाए। लेकिन वो भी नहीं मिला है। गांव में एससी जाति के 4 घर हैं। दो घर के लोग डर की वजह से यहां से चले गए हैं। सीबीआई ने चार्जशीट में 4 को दोषी माना है। दलित के लिए न्याय की कोई उम्मीद नहीं है। देश-दुनिया ने देखा है, बॉडी रात में क्यों जलाई गई। हम छोटी जाति से हैं तो इसमें तो मेरा क्या कसूर है। जब सबूत मिटा दिया गया तो हम कैसे साबित कर पाएंगे। प्रशासन ने जो लापरवाही की, उन पर भी कार्रवाई नहीं की गई। ये कैसी नारी सुरक्षा है। संविधान के हिसाब से कुछ नहीं चल रहा है। सरकार अपनी मर्जी से चलाई जा रही है। जिस दिन जजमेंट हुआ, उस दिन तीन बार में जजमेंट हुआ। जज का भी चेहरा उतरा हुआ था। ऐसा लग रहा था कि पीछे कोई बैठा हुआ है, दबाव बना रहा था। उनके सारे संगठन वहां बैठे हुए थे। गाड़ी में मिठाई और फूल मालाएं थी। हम कैसे हिंदू हैं सर, कुंवारी कन्या को जला दिया। अस्थियां अभी तक रखी हुई हैं। जब तक न्याय नहीं मिलेगा, विसर्जन नहीं करेंगे। हम इंसानियत के लिए लड़ रहे हैं। सजा मिलेगी तो डर पैदा होगा। हमें ऐसा एहसास होता है कि हम भारत में रहते ही नहीं हैं। हम ऐसी जाति के हैं इसलिए। जैसे हम कहीं बाहर से आए हुए हैं। राहुल गांधी ने लोकसभा में उठाया था मुद्दा 12 दिसंबर को राहुल गांधी ने पीड़ित परिवार के घर पहुंचकर मामले को फिर से गर्मा दिया था। उसी दिन X पर टिप्पणी कर सरकार को घेरा था और 14 दिसंबर को लोकसभा में इस मामले को उठाया था। लोकसभा में दिए भाषण को उन्होंने टिप्पणी के साथ एक्स पर भी पोस्ट किया था। उन्होंने कहा कि यूपी में संविधान नहीं मनु स्मृति लागू हो रही है। परिवार ने मुझसे कहा कि यूपी सरकार ने हमसे वादा किया था कि हम आपको रहने को किसी और जगह जमीन देंगे। चार साल हो गए हैं, यह वादा पूरा नहीं किया। यदि यूपी सरकार परिवार को नई जगह नहीं बसाएगी तो इंडिया गठबंधन यह कार्य करेगा। रेप करने वाले बाहर घूम रहे
संसद में राहुल गांधी ने कहा था कि हाथरस में 4 साल पहले एक बिटिया के साथ दुष्कर्म होता है। तीन-चार लोग दष्कर्म करते हैं। मैं दो-तीन दिन पहले उस बिटिया के परिवार से मिला। जिन्होंने सामूहिक दुष्कर्म किया, वह बाहर घूम रहे हैं। बिटिया का परिवार अपने घर में बंद है। जो अपराधी हैं, वह उनको रोज धमकाते हैं। परिवार ने मुझे फोटो दिखाई। परिवार ने मुझे बताया कि बिटिया का अंतिम संस्कार भी हमें नहीं करने दिया गया। मुख्यमंत्री ने इसके बारे में मीडिया में खुलकर झूठ बोला था। राहुल गांधी ने प्रश्न करते हुए कहा कि यह संविधान में कहां लिखा है कि जो दुष्कर्म करते हैं वो बाहर रहें और जिस परिवार को पीड़ा हुई है, उसे बंद कर दिया जाए। यह बात तो मनु स्मृति में लिखी है, संविधान में नहीं लिखी। …………………………………….. ये खबर भी पढ़ें… हाथरस रेप पीड़िता का भाई बोला-सरकार मकान-जमीन छीनना चाहती:राहुल परिवार से मिले, 45 मिनट बात की, बोले- सरकार क्रिमिनल जैसा व्यवहार कर रही कांग्रेस नेता राहुल गांधी गुरुवार को हाथरस रेप पीड़िता के परिवार से मिले। उन्होंने 45 मिनट तक परिवार से बातचीत की। राहुल ने अचानक दौरे का प्लान बनाया। सुबह 7 बजे दिल्ली से हाथरस के लिए निकले। इसी साल, 2 जुलाई को लड़की के पिता ने राहुल को चिट्ठी लिखी थी। इसमें कहा था- 4 साल से कैद में हूं। न कोई रोजगार है। न ही रोजगार के लिए कोई बाहर जा पा रहा। सरकार ने वादे भी पूरे नहीं किए। (पूरी खबर पढ़ें)