हरियाणा में करनाल विधानसभा सीट पिछले 10 साल से भाजपा के लिए एक सुरक्षित गढ़ रही है। पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने इस सीट पर साढ़े 9 साल तक काबिज रहकर भाजपा को मजबूती दी थी। उनके इस्तीफे के बाद नायब सिंह सैनी ने उप चुनाव में जीत हासिल की। लेकिन अब सैनी के करनाल से चुनाव न लड़ने की अटकलों के बीच अब शहर में चर्चाएं शुरू हो गई है, कि इस बार पार्टी इस विधानसभा सीट पर किसको मैदान में उतारेगी। इसे लेकर राजनीतिक विशेषज्ञों के बीच चर्चाएं तेज हो गई हैं। इस दौड़ में कुछ प्रमुख नाम उभर कर सामने आ रहे हैं, जिनमें मेयर रेणु बाला गुप्ता, पूर्व जिला अध्यक्ष अशोक सुखीजा, युवा नेता मुकेश अरोड़ा, और जगमोहन आनंद का नाम शामिल है। रेणु बाला गुप्ता: बनिया समाज का मजबूत चेहरा राजनीतिक विशेषज्ञ DAV कॉलेज के प्राचार्य RP सैनी के अनुसार, रेणु बाला गुप्ता भाजपा के संभावित उम्मीदवारों में सबसे आगे हैं। रेणु बाला गुप्ता, जो बनिया समाज से आती हैं। करनाल में इस समाज के 22,000 से अधिक वोटर हैं, इसके साथ ही रेणु बाला गुप्ता सभी सामाज के वोटरों पर अच्छी पकड़ रखती है। जो उन्हें एक मजबूत उम्मीदवार बनाते हैं। इसके अलावा, उन्होंने लगातार 2 बार मेयर का चुनाव जीतकर अपनी पकड़ को साबित किया है। इसके अलावा जब पहली बार पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर करनाल में चुनाव लड़ने के लिए आए थे। उस दौरान उनके कैंपेन में अहम भूमिका इन्होंने निभाई है। इसके अलावा एक मुख्य कारण यह भी है कि रेणु बाला गुप्ता पूर्व सीएम मनोहर लाल के सबसे करीबी नेताओं में आती है। मेयर के कार्यकाल के दौरान किए गए विकास कार्य और उनकी साफ छवि उन्हें भाजपा की पहली पसंद बना सकती है। साथ ही, पंजाबी वोट बैंक पर उनकी मजबूत पकड़ भी एक अहम कारण है, जिससे भाजपा उनके पक्ष में फैसला कर सकती है। अशोक सुखीजा: पार्टी के पुराने और वरिष्ठ नेता सीनियर एडवोकेट संजीव मंगलोरा का मानना है कि अशोक सुखीजा इस बार भाजपा के लिए एक महत्वपूर्ण उम्मीदवार हो सकते हैं। अशोक सुखीजा, जो पूर्व में भाजपा के जिला अध्यक्ष रह चुके हैं। अशोक पार्टी के सबसे पुराने और वरिष्ठ नेताओं में से एक हैं। उन्होंने तब से पार्टी के लिए काम किया है, जब भाजपा हरियाणा में संघर्षरत थी। उनकी साफ छवि, संगठन को मजबूत बनाने में योगदान, और पंजाबी समुदाय में उनकी गहरी पैठ उन्हें इस दौड़ में एक मजबूत दावेदार बनाती है। भाजपा उनके अनुभव और पार्टी के प्रति उनकी निष्ठा को ध्यान में रखते हुए उन पर दांव खेल सकती है। मुकेश अरोड़ा युवा पंजाबी चेहरा राजनीतिक विशेषज्ञ अनुज सैनी का मानना है कि अगर नायब सिंह सैनी करनाल विधानसभा से चुनाव नहीं लड़ते, तो भाजपा युवा पंजाबी चेहरे मुकेश अरोड़ा पर दांव खेल सकती है। मुकेश अरोड़ा की युवा शक्ति और पंजाबी समाज में उनकी पकड़ उन्हें इस दौड़ में एक मजबूत दावेदार बनाती है। भाजपा अगर युवा मतदाताओं और पंजाबी वोटरों को ध्यान में रखते हुए टिकट देने का विचार करती है, तो मुकेश अरोड़ा इस सीट के लिए एक उपयुक्त उम्मीदवार साबित हो सकते हैं। जगमोहन आनंद अनुभवी नेता राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार, भाजपा की इस सूची में चौथा नाम जगमोहन आनंद का है। जगमोहन आनंद पार्टी से लंबे समय से जुड़े हुए हैं और उन्हें जिला अध्यक्ष, सीएम के मीडिया कोऑर्डिनेटर, और कुरूक्षेत्र के प्रभारी जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं। पार्टी संगठन में उनकी भूमिका भी उन्हें इस दौड़ में एक मजबूत उम्मीदवार बनाती है। भाजपा के लिए कौन होगा अगला चेहरा? करनाल विधानसभा सीट पर भाजपा के लिए यह चुनावी दौड़ आसान नहीं होगी। अगर नायब सिंह सैनी किसी अन्य सीट से चुनाव लड़ते हैं, तो भाजपा को करनाल में एक ऐसा उम्मीदवार चुनना होगा, जो सामाजिक समीकरणों और पार्टी की नीतियों के साथ तालमेल बैठा सके। मेयर रेणु बाला गुप्ता, अशोक सुखीजा, मुकेश अरोड़ा, और जगमोहन आनंद, ये सभी नाम अपने-अपने क्षेत्रों में मजबूत दावेदार हैं, और भाजपा के लिए सही निर्णय लेना एक चुनौती होगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा किस पर दांव लगाती है और करनाल की इस महत्वपूर्ण सीट पर कौन उम्मीदवार बनकर उभरता है। हरियाणा में करनाल विधानसभा सीट पिछले 10 साल से भाजपा के लिए एक सुरक्षित गढ़ रही है। पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने इस सीट पर साढ़े 9 साल तक काबिज रहकर भाजपा को मजबूती दी थी। उनके इस्तीफे के बाद नायब सिंह सैनी ने उप चुनाव में जीत हासिल की। लेकिन अब सैनी के करनाल से चुनाव न लड़ने की अटकलों के बीच अब शहर में चर्चाएं शुरू हो गई है, कि इस बार पार्टी इस विधानसभा सीट पर किसको मैदान में उतारेगी। इसे लेकर राजनीतिक विशेषज्ञों के बीच चर्चाएं तेज हो गई हैं। इस दौड़ में कुछ प्रमुख नाम उभर कर सामने आ रहे हैं, जिनमें मेयर रेणु बाला गुप्ता, पूर्व जिला अध्यक्ष अशोक सुखीजा, युवा नेता मुकेश अरोड़ा, और जगमोहन आनंद का नाम शामिल है। रेणु बाला गुप्ता: बनिया समाज का मजबूत चेहरा राजनीतिक विशेषज्ञ DAV कॉलेज के प्राचार्य RP सैनी के अनुसार, रेणु बाला गुप्ता भाजपा के संभावित उम्मीदवारों में सबसे आगे हैं। रेणु बाला गुप्ता, जो बनिया समाज से आती हैं। करनाल में इस समाज के 22,000 से अधिक वोटर हैं, इसके साथ ही रेणु बाला गुप्ता सभी सामाज के वोटरों पर अच्छी पकड़ रखती है। जो उन्हें एक मजबूत उम्मीदवार बनाते हैं। इसके अलावा, उन्होंने लगातार 2 बार मेयर का चुनाव जीतकर अपनी पकड़ को साबित किया है। इसके अलावा जब पहली बार पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर करनाल में चुनाव लड़ने के लिए आए थे। उस दौरान उनके कैंपेन में अहम भूमिका इन्होंने निभाई है। इसके अलावा एक मुख्य कारण यह भी है कि रेणु बाला गुप्ता पूर्व सीएम मनोहर लाल के सबसे करीबी नेताओं में आती है। मेयर के कार्यकाल के दौरान किए गए विकास कार्य और उनकी साफ छवि उन्हें भाजपा की पहली पसंद बना सकती है। साथ ही, पंजाबी वोट बैंक पर उनकी मजबूत पकड़ भी एक अहम कारण है, जिससे भाजपा उनके पक्ष में फैसला कर सकती है। अशोक सुखीजा: पार्टी के पुराने और वरिष्ठ नेता सीनियर एडवोकेट संजीव मंगलोरा का मानना है कि अशोक सुखीजा इस बार भाजपा के लिए एक महत्वपूर्ण उम्मीदवार हो सकते हैं। अशोक सुखीजा, जो पूर्व में भाजपा के जिला अध्यक्ष रह चुके हैं। अशोक पार्टी के सबसे पुराने और वरिष्ठ नेताओं में से एक हैं। उन्होंने तब से पार्टी के लिए काम किया है, जब भाजपा हरियाणा में संघर्षरत थी। उनकी साफ छवि, संगठन को मजबूत बनाने में योगदान, और पंजाबी समुदाय में उनकी गहरी पैठ उन्हें इस दौड़ में एक मजबूत दावेदार बनाती है। भाजपा उनके अनुभव और पार्टी के प्रति उनकी निष्ठा को ध्यान में रखते हुए उन पर दांव खेल सकती है। मुकेश अरोड़ा युवा पंजाबी चेहरा राजनीतिक विशेषज्ञ अनुज सैनी का मानना है कि अगर नायब सिंह सैनी करनाल विधानसभा से चुनाव नहीं लड़ते, तो भाजपा युवा पंजाबी चेहरे मुकेश अरोड़ा पर दांव खेल सकती है। मुकेश अरोड़ा की युवा शक्ति और पंजाबी समाज में उनकी पकड़ उन्हें इस दौड़ में एक मजबूत दावेदार बनाती है। भाजपा अगर युवा मतदाताओं और पंजाबी वोटरों को ध्यान में रखते हुए टिकट देने का विचार करती है, तो मुकेश अरोड़ा इस सीट के लिए एक उपयुक्त उम्मीदवार साबित हो सकते हैं। जगमोहन आनंद अनुभवी नेता राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार, भाजपा की इस सूची में चौथा नाम जगमोहन आनंद का है। जगमोहन आनंद पार्टी से लंबे समय से जुड़े हुए हैं और उन्हें जिला अध्यक्ष, सीएम के मीडिया कोऑर्डिनेटर, और कुरूक्षेत्र के प्रभारी जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं। पार्टी संगठन में उनकी भूमिका भी उन्हें इस दौड़ में एक मजबूत उम्मीदवार बनाती है। भाजपा के लिए कौन होगा अगला चेहरा? करनाल विधानसभा सीट पर भाजपा के लिए यह चुनावी दौड़ आसान नहीं होगी। अगर नायब सिंह सैनी किसी अन्य सीट से चुनाव लड़ते हैं, तो भाजपा को करनाल में एक ऐसा उम्मीदवार चुनना होगा, जो सामाजिक समीकरणों और पार्टी की नीतियों के साथ तालमेल बैठा सके। मेयर रेणु बाला गुप्ता, अशोक सुखीजा, मुकेश अरोड़ा, और जगमोहन आनंद, ये सभी नाम अपने-अपने क्षेत्रों में मजबूत दावेदार हैं, और भाजपा के लिए सही निर्णय लेना एक चुनौती होगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा किस पर दांव लगाती है और करनाल की इस महत्वपूर्ण सीट पर कौन उम्मीदवार बनकर उभरता है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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पूर्व मंत्री कर्णदेव जल्द कांग्रेस में होंगे शामिल:राकेश कंबोज के टिकट पर संकट, हुड्डा के साथ हुई मीटिंग हरियाणा में करनाल की इंद्री विधानसभा में बीजेपी के टिकट वितरण से नाराज चल रहे पूर्व राज्यमंत्री एवं पूर्व विधायक कर्णदेव कंबोज जल्द ही कांग्रेस में शामिल हो रहे है। जिसको लेकर दिल्ली में कंबोज की पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा और सांसद दीपेंद्र हुड्डा से मुलाकात हो चुकी है। जहां से उनको पॉजिटिव रिस्पॉन्स मिला है। हालांकि कंबोज को कांग्रेस से टिकट मिलेगा या नहीं, इसको लेकर न तो भूपेंद्र हुड्डा ने कुछ कहा है और न ही कर्णदेव कंबोज ने। कयास यह भी लगाए जा रहे है कि उनको टिकट इंद्री से भी मिल सकता है और रादौर से भी। अगर कांग्रेस उनको इंद्री सीट से टिकट देती है तो राकेश कंबोज के टिकट पर संकट के बादल छाना लाजमी है। मनोहर लाल चाहते है बीजेपी का सफाया इंद्री से कर्णदेव कांबोज का टिकट कटा और उन्होंने बगावत कर दी। उनको मनाने के लिए 3 दिन पहले रादौर में सीएम नायब सैनी भी पहुंचे थे। नायब सैनी से भी कंबोज नहीं माने। फिर भाजपा के विधानसभा चुनाव प्रभारी विप्लव देव ने कंबोज को दिल्ली में बुलाया और मीटिंग की, लेकिन बात नहीं बनी। कंबोज का कहना है कि मनोहर लाल हरियाणा से बीजेपी का सफाया करवाना चाहते है, हरियाणा के टिकटों में आज भी उन्हीं की चल रही है। जबकि विप्लव देव और सीएम नायब सैनी सुलझे हुए व्यक्ति है। कंबोज ने 10 को बुलाई मीटिंग हुड्डा से मुलाकात के बाद कर्णदेव कंबोज ने 10 सितंबर को अपने कार्यकर्ताओं की बैठक इंद्री में बुलाई है। जिसके बाद स्पष्ट है कि इंद्री विधानसभा में कोई बड़ा खेला होने वाला है। हालांकि कंबोज यह बात जरूर कह रहे है कि उनकी हुड्डा से टिकट को लेकर कोई बात नहीं हुई है। भाजपा को लग सकता है बड़ा झटका कांग्रेस कर्णदेव कंबोज को इंद्री विधानसभा से टिकट दे देती है तो बीजेपी को एक बहुत बड़ा झटका लग सकता है। कंबोज इंद्री की राजनीति में एक बड़ा चेहरा है। ऐसे में भाजपा प्रत्याशी की विधानसभा में मुश्किलें बढ़ सकती है। अब देखने वाली बात है कि 10 सितंबर को होने वाली मीटिंग में क्या फैसला होता है। कंबोज के आने से कांग्रेसियों की टिकट खतरे में कर्णदेव कंबोज भाजपा से कांग्रेस में एंट्री करेंगे और क्या पता टिकट भी लेकर आ जाए, ऐसे में कांग्रेस से टिकट के दावेदारों में कहीं न कहीं दूसरे दल के प्रत्याशी को टिकट दिए जाने और उनका टिकट कटने से भी असंतोष फैल सकता है। अभी तक की स्थिति यह है कि राकेश कंबोज का यहां से टिकट लगभग फाइनल ही माना जा रहा है। वही भीमसेन मेहता, नव ज्योत कश्यप भी टिकट की लाइन में है। कर्णदेव की एंट्री से कही कांग्रेस के दावेदारों में भाजपा की तरह विरोध न हो जाए। भूपेंद्र हुड्डा बोले, हुई है मीटिंग पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने दैनिक भास्कर से बातचीत में बताया कि कर्णदेव कांबोज से मीटिंग हुई है। बहुत ही सकारात्मक मीटिंग रही है। मीटिंग में राजनीतिक मुद्दों पर ही चर्चा हुई है।
शंभू बॉर्डर अभी नहीं खुलेगा:सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई, मौजूदा स्थिति बनाए रखने को कहा; अगली सुनवाई 12 को
शंभू बॉर्डर अभी नहीं खुलेगा:सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई, मौजूदा स्थिति बनाए रखने को कहा; अगली सुनवाई 12 को हरियाणा सरकार ने शंभू बॉर्डर खोलने के संबंध में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के आदेशों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। सरकार की याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई में कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखते हुए शंभू बॉर्डर पर अभी यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दिए हैं। मामले की अगली सुनवाई अब 12 अगस्त को होगी। पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा सरकारों को एक स्वतंत्र कमेटी बनाने के निर्देश दिए थे, जो इस मामले की निष्पक्ष जांच करेगी। इसमें कुछ प्रतिष्ठित लोगों के नाम सुप्रीम कोर्ट में पेश करने को कहा था। पिछली सुनवाई में यह भी साफ किया था कि अगर सरकारें ऐसा नहीं कर सकती हैं तो यह काम कोर्ट कर सकता है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि बॉर्डर पर कोई अप्रिय घटना नहीं होनी चाहिए। ऐसे में यथास्थिति बरकरार रखी जाए। बैरिकेड्स हटाने की योजना पेश करने को कहा गया था। कोर्ट रूम में क्या बात रखी गई
बॉर्डर खोलने के आदेश को चुनौती देने वाला मामला जस्टिस सूर्यकांत और आर. महादेवन की बेंच के सामने है। सालिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता: कमेटी के लिए नाम सुझाने का आखिरी आदेश दिया गया था। हमने इस पर अभ्यास किया है। इसे अगले सप्ताह कोर्ट को दे सकते हैं। पंजाब अटॉर्नी जनरल (AG) गुरमिंदर सिंह: अन्य प्रस्ताव नाकाबंदी को चरणबद्ध तरीके से हटाने का था। हमने इसकी शुरुआत कर दी है। हमने जमीनी स्तर पर काम किया है। मोटर व्हीकल अधिनियम के तहत अनुमति प्राप्त वाहनों को नहीं रोका जाना चाहिए। न्यायमूर्ति सूर्यकांत: लोकतांत्रिक व्यवस्था में देखिए, उन्हें (किसानों को) अपनी शिकायतें व्यक्त करने का अधिकार है। आप भी कुछ समझदारी दिखाएं और उन्हें (किसानों) समझाएं कि वे कुछ ट्रैक्टर या JCB लेकर न आएं। SG: प्रदर्शनकारी किसानों को राजधानी तक जाने की अनुमति नहीं दी जा सकती। सुप्रीम कोर्ट: कृपया बातचीत करें। नामों को अंतिम रूप दें। कुछ बहुत अच्छे व्यक्तित्व वाले होते हैं। कभी-कभी मन में रुकावट आ सकती है, क्योंकि आपने किसी राजनीतिक व्यक्ति को भेजा है। इसलिए न्यूट्रल व्यक्तियों के बारे में सोचें और आप दोनों के सुझाव से किसानों में आत्मविश्वास बढ़ेगा। न्यायाधीश विशेषज्ञ नहीं हैं, लेकिन कृषि पृष्ठभूमि वाले कुछ पूर्व न्यायाधीश, प्रमुख विश्वविद्यालयों के कुछ प्रोफेसर, शोधकर्ता कमेटी में हो सकते हैं। समाधान करने का प्रयास करें। एक जवाब में सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि कमेटी में किसी वकील को नहीं जोड़ेंगे। AG: कम से कम सामान्य यात्रियों को राहत दी जाए। SG: वे अपने बैरिकेड्स हटा सकते हैं, लेकिन हमें मजबूर नहीं कर सकते। मैं AG के माध्यम से राज्य (पंजाब) से अनुरोध करूंगा कि उन्हें चरणबद्ध तरीके से कैसे खाली कराया जाए, ताकि राजमार्ग खोला जा सके। याचिकाकर्ता वकील उदय प्रताप सिंह: सीमा पर लोगों के लिए चिकित्सा सहायता को अवरुद्ध नहीं किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट: हां, अगर कोई मेडिकल सुविधाओं के लिए एम्बुलेंस से करनाल या अंबाला जा रहा है। वे भी हमारे बहन-भाई हैं। एक प्रस्ताव लेकर आएं। हम इस पर अगली सुनवाई 12 तारीख को करेंगे। आदेश: वरिष्ठ वकील की बात सुनी गई। बताया गया है कि पिछले आदेश को लागू करने के लिए कुछ तौर-तरीकों पर काम किया जा रहा है। हमने समिति के लिए सामान्य नामों का प्रस्ताव सुझाया है। उन्होंने आश्वासन दिया है कि अगली तिथि तक इस तरह की कवायद की जाएगी। 12 अगस्त तक यही स्थिति रहेगी। बॉर्डर बंद करने पर सुप्रीम कोर्ट पहले भी लगा चुका फटकार
हरियाणा और पंजाब का बॉर्डर बंद करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहले भी सरकार को फटकार लगा चुका है। तब जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उजल भुइयां की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की। फरवरी से चल रहा संघर्ष
फसलों पर MSP की गारंटी को लेकर पंजाब के किसान फरवरी-2024 से हड़ताल पर हैं। ऐसे में सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए हरियाणा सरकार ने हरियाणा और पंजाब के शंभू बॉर्डर को बैरिकेड्स लगाकर बंद कर दिया था। इसके बाद लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू हो गई। किसानों ने पंजाब की तरफ बॉर्डर पर स्थायी मोर्चा बना लिया। ऐसे में वहां से आवाजाही बंद है। इससे अंबाला के व्यापारियों को परेशानी हो रही है। इस कारण उन्होंने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट की शरण ली। हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को बॉर्डर खोलने के आदेश दिए थे, लेकिन सरकार इस मामले में सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है।
रोहतक से लापता युवक का शव झज्जर में मिला:गुस्साए परिजनों ने लगाया जाम, दोस्तों के साथ नहाने गया था मृतक
रोहतक से लापता युवक का शव झज्जर में मिला:गुस्साए परिजनों ने लगाया जाम, दोस्तों के साथ नहाने गया था मृतक हरियाणा के रोहतक की तेज कॉलोनी से लापता हुए युवक का शव झज्जर की नहर में मिला है। इसके बाद गुस्साए परिजनों ने रोहतक की तेज कॉलोनी में गोहाना रोड पर जाम लगा दिया। परिजनों ने कहा कि दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए। वहीं पुलिस ने परिजनों को समझाकर जाम खुलवाया। तेज कॉलोनी निवासी हरीश ने पुरानी सब्जी मंडी थाना में शिकायत दी थी कि 25 मई को उसका करीब 20 वर्षीय बेटा कुनाल लापता हो गया। इसके बाद परिवार वालों ने कुनाल को तलाश करने का प्रयास किया, लेकिन कहीं पर भी सुराग नहीं लगा। इसके बाद मामले की शिकायत पुलिस को दे दी। पुलिस ने मामला दर्ज करके युवक की तलाश शुरू कर दी। दोस्तों के साथ नहर पर नहाने गया था कुनाल के चाचा कृष्ण ने बताया कि उनका भतीजा कुनाल अपने दोस्तों के साथ नहर पर नहाने के लिए गया था। इस दौरान वह नहर में डूब गया। उन्होंने संदेह जताया कि कुनाल के साथ गए दोस्तों ने उसे धक्का दे दिया। वहीं उसके दोस्तों ने परिवार वालों को भी नहीं बताया कि कुनाल नहर में डूब गया। जब उसके दोस्तों पर दबाव पड़ा तो उन्होंने नहर में ढूंढने की बात बताई। जिसके बाद कुनाल का शव झज्जर में मिला। दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए। रोष स्वरूप लोगों ने तेज कॉलोनी में गोहाना रोड पर जाम भी लगा दिया। पुलिस ने बड़ी मुश्किल से लोगों को समझकर जाम खुलवाया। जांच में जुटी पुलिस जांच अधिकारी जितेंद्र ने बताया कि उन्होंने कुनाल के सूचना मिली थी। जिसके आधार पर उन्होंने केस दर्ज करके तलाश आरंभ कर दी। वहीं कुनाल का शव झज्जर जिले में नहर में मिला है। जिसके बाद परिजनों के बयान दर्ज किए। बयानों के आधार पर कार्रवाई करते हुए शव का पोस्टमॉर्टम करवाकर परिजनों को सौंप दिया।