माफी मांगो, नहीं तो जूता निकालकर इतना मारेंगे कि भूल जाओगे। यह धमकी किसी गुंडे या पुलिस की नहीं है, बल्कि बुलंदशहर की खुर्जा से बीजेपी विधायक मीनाक्षी सिंह की है। वो ये धमकी आवास विकास परिषद के अफसरों को दे रही हैं। यह पहला मामला नहीं है, जब भाजपा विधायक सरकारी अफसरों पर इतने उग्र हुए। बीते 30 दिन में ऐसे 5 मामले सामने आए हैं। अफसर-कर्मचारी से लेकर लोगों को यह समझ में नहीं आ रहा है कि कल तक जो भाजपा विधायक ये कह रहे थे कि हमारी सुनवाई नहीं हो रही है। अफसर-कर्मचारी सुनते नहीं हैं, वो अब अफसरों को सीधे धमकाने लगे हैं। इसकी वजह क्या है…आखिर विधायक क्यों अचानक अफसरों पर हमलावर हैं? विधायकों को अफसरों से सीधा पंगा लेने में क्या उन्हें किसी की शह है? इस उलटफेर की शुरुआत कहां से हुई? संडे बिग स्टोरी में इसके पीछे की कहानी… वजह जानने से पहले पढ़िए भाजपा विधायकों के अफसरों को धमकी देने के 5 मामले… मामला-1: बरेली में BJP विधायक की धमकी- ऐ दरोगा…आंखें नीची कर बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार को लेकर बरेली में 22 अगस्त को भाजपा ने प्रदर्शन किया। इस दौरान कैंट से भाजपा विधायक संजीव अग्रवाल दरोगा को हड़काते दिखे। विधायक सिटी मजिस्ट्रेट को ज्ञापन देने पहुंचे थे। लोग ज्यादा थे, इसलिए दरोगा ने पीछे रहने के लिए कहा। यही विधायक को अच्छा नहीं लगा। उन्होंने दरोगा को हड़काते हुए वहां से चले जाने को कहा। जब दरोगा वहीं खड़ा रहा, तो वह गुस्से में आ गए। धमकाते हुए कहा- ऐ दरोगा, आंखें नीची कर..कर नीचे। सिटी मजिस्ट्रेट दरोगा को ही समझाते रह गए। मामला-2: विधायक मीनाक्षी सिंह की धमकी- माफी मांगो नहीं तो जूता मारेंगे बुलंदशहर में खुर्जा से बीजेपी विधायक मीनाक्षी सिंह से आवास विकास कॉलोनी के लोगों ने शिकायत की थी। अधिकारियों पर मंदिर तोड़ने का आरोप लगाया। 6 अगस्त को आवास विकास कॉलोनी में शिव मंदिर को अधिकारी बुलडोजर से ध्वस्त करने पहुंचे थे। मौके पर कॉलोनी के लोग मौजूद थे। वो इस कार्रवाई का विरोध कर रहे थे। जानकारी पाकर विधायक मीनाक्षी सिंह भी मौके पर पहुंचीं। वह वहां मौजूद आवास विकास परिषद के अधिकारियों को धमकाने लगीं। उन्होंने कहा- जनता से माफी मांगो, नहीं तो जूता निकालकर इतना मारेंगे कि भूल जाओगे। मामला-3: विधायक सुरेंद्र मैथानी की धमकी- तुमको और बुलडोजर को घुसेड़ दूंगा तारीख 28 जुलाई। कानपुर की गोविंदनगर सीट से भाजपा विधायक सुरेंद्र मैथानी का सिंचाई विभाग के इंजीनियर को धमकाते हुए एक वीडियो वायरल हुआ। वो फोन पर कहते हैं- बस्ती गिराने बुलडोजर लेकर आए तो तुमको और बुलडोजर को घुसेड़ दूंगा। तुम्हारा, तुम्हारी कंपनी और बुलडोजर, तीनों का मैं स्वागत करूंगा! वो यहीं नहीं रुके। आगे धमकाते हुए कहते हैं- तुम्हारा एक आदमी यहां दिखना नहीं चाहिए। अगर दिख गया तो समझ लेना फिर। मेरी बात को रिकॉर्ड कर लो। जब मुझसे निपट लेना, तब बस्ती में आना। मोदी-योगी जी लोगों को घर दे रहे, तुम उजाड़ना चाहते हो। विधायक मैथानी की एग्जीक्यूटिव इंजीनियर से पूरी बातचीत- नमस्कार, सुरेंद्र मैथानी बोल रहा हूं। मनोज तुमने यहां कब जॉइन किया? जवाब मिला- 16 मार्च। विधायक ने कहा- तुमने पूरी बस्ती में नोटिस लगा दिया है। मेरी बात समझ लो। अगर तुमने कोई कदम उठाया। बुलडोजर आया तो तुम्हारा, तुम्हारी कंपनी और बुलडोजर…तीनों का स्वागत करूंगा। जब मुझसे निपट लेना, तब तुम बस्ती में आना। ये गंदा काम बंद कर दो। मोदी जी, योगी जी लोगों को घर दे रहे हैं। तुम उजड़वा दोगे? इतनी हिम्मत हो गई? बुलडोजर और तुमको इसी नहर में घुसड़वा दूंगा। नोटिस फड़वा कर फेंकवा दो। यहां भी नोटिस सब फाड़कर फेंकवा दे रहा हूं। बुलडोजर यहां नहीं आना चाहिए। तुम्हारा एक आदमी यहां दिखना नहीं चाहिए। बिल्कुल साफ भाषा में समझ लो। मेरी बात को रिकॉर्ड कर लो, यहां की तरफ नजर न उठा देना। तुम आकर मकान उजाड़ दोगे क्या? मामला-4: विधायक की धमकी- कानपुर में होते तो सीधा कर देते मामला 18 अगस्त का है। कानपुर में भाजपा विधायक महेश त्रिवेदी ने प्राइवेट कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर से लेकर सीईओ तक को धमकाया। अधिकारियों को धमकाते हुए कहा- तुम्हें मुर्गा बना दूंगा। पब्लिक के सामने ही कान पकड़वाकर जूते की माला पहना दूंगा। आपको लज्जा नहीं आती है। दरअसल, बारिश से जूही-खलवा अंडरपास के नीचे पानी भर गया। इसके चलते 3 दिनों से रास्ता बंद था। जलकल विभाग ने पानी निकालने का ठेका KRMPL (कानपुर रिवर मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड) कंपनी को दिया है, लेकिन मोटर खराब होने की वजह से कंपनी ने पानी नहीं निकलवाया। इसका पता चलते ही किदवई नगर से विधायक महेश त्रिवेदी कार्यकर्ताओं के साथ मौके पर पहुंचे और निरीक्षण किया। फिर जल निगम के दफ्तर पहुंच गए। यहां चीफ इंजीनियर एसके सिंह और एक्सईएन राम निवास से खामी का कारण पूछा। इसके बाद विधायक ने दिल्ली में बैठे कंपनी के सीईओ राजीव अग्रवाल को फोन लगा दिया। फोन पर ही कंपनी के सीईओ को कहने लगे- तुम यहां कानपुर में होते, तो मैं तुमको सीधा कर देता। कहां मिलोगे तुम? तुम्हारा मालिक कहां मिलेगा? दिल्ली में हो, वहां आ जाऊं क्या? वहीं आकर मुर्गा बनाता हूं। तुम लोगों ने ड्रामा करके रख दिया है। मामला-5: विधायक ओम कुमार ने कहा- जो मेरे समर्थकों का काम नहीं करेगा, जिले में नहीं रहेगा बिजनौर की नहटौर सीट से भाजपा विधायक ओम कुमार ने 8 जुलाई को एक बयान दिया। मंच से कहा- अब सबका साथ- सबका विकास वाला मामला नहीं चलेगा, जो वोट देगा उसी का काम होगा। एक मजहब के लोगों ने इसलिए वोट नहीं दिया कि उन्हें मोदी और योगी से गुंडागर्दी का लाइसेंस मिल जाए। लेकिन ऐसा नहीं होने देंगे। ऐसे लोगों का इलाज किया जाएगा। उन्होंने कहा, जो मेरे समर्थकों का काम नहीं करेगा, वो जिले में नहीं रहेगा। उसे हटवाने के लिए मुझे जो भी करना होगा करूंगा। भाजपा विधायक ने यह सब बिजनौर में आयोजित एक मतदाता अभिनंदन कार्यक्रम में कहा। भरी सभा में विधायक का सीधा निशाना जिले की नौकरशाही थी। अपने समर्थकों का काम नहीं करने पर ट्रांसफर कराने की बात कह दी। अफसरों पर पलटवार की शुरुआत खुद डिप्टी सीएम ने की एक जुलाई को प्रदेश के डिप्टी सीएम बृजेश पाठक कानपुर में एक स्वागत समारोह में पहुंचे थे। यहां पत्रकारों से बातचीत में कहा कि गाड़ी रोककर जांच-पड़ताल का जो अभियान चल रहा है, उससे मैं सहमत नहीं हूं। ऐसे अभियान को रोका जाना चाहिए। कार्यकर्ताओं के मान-सम्मान से समझौता नहीं किया जाएगा। पुलिस की बदसलूकी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। दर्ज केस वापस लिए जाएंगे। डिप्टी सीएम ने कहा कि कानपुर साउथ में BJP पदाधिकारी पर मुकदमे का पता चला है। CP (कमिश्नर) अखिल कुमार से बात हुई है। मुकदमा खत्म होगा। कार्यकर्ताओं के सम्मान की बात जहां आएगी, हम उनके साथ हैं। डिप्टी सीएम का यह बयान उस समय सामने आया, जब जून महीने में सीएम योगी ने प्रदेश की कानून व्यवस्था को लेकर बैठक में निर्देश दिया था कि यूपी में VIP कल्चर खत्म किया जाए। सीएम योगी ने कहा था कि हूटर, प्रेशर हॉर्न, काली फिल्म वाले वाहनों पर कार्रवाई की जाए। सीएम के इस निर्देश के बाद अफसर एक्टिव हो गए। लखनऊ में ट्रैफिक पुलिस शहर में चौक-चौराहों पर सत्ता पक्ष के नेताओं की गाड़ियों से काली फिल्म उतरवाने लगी तो कहीं प्रेशर हॉर्न निकलवाया जाने लगा। इन कार्रवाइयों के बाद ही डिप्टी सीएम का यह बयान आया था। कानपुर में डिप्टी सीएम के बयान को पुलिस की कार्रवाई के बाद डैमेज कंट्रोल बताया गया। प्रदेश में एक महीने में कैसे बदल गई स्थिति?
लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद पूरे जून महीने इस बात चर्चा रही कि किस तरह बीजेपी की हार के एक कारण में अफसरों का बात ना सुनना भी शामिल था। जुलाई आते ही ये हालात बदलने लगे। अब जगह-जगह से वीडियो सामने आने लगे, जिसमें विधायक अफसरों को धमकाते दिखे। ऐसे में, सवाल उठता है कि आखिर पिछले एक महीने में चीजें कैसे बदल गईं? तो इसका जवाब है… 1- योगी और टॉप लीडरशिप की मौन स्वीकृति लोकसभा चुनाव में यूपी में हार के बाद भाजपा में समीक्षाओं का दौर चला। जिला से लेकर मंडल और राज्य स्तर पर हार के कारणों की समीक्षा की गई। इन सब में एक बात कॉमन थी, जो हर स्तर पर निकलकर आई। वो वजह थी- प्रदेश के अफसर विधायक और कार्यकर्ताओं की नहीं सुन रहे थे। उनकी बातें नहीं मान रहे। हर समीक्षा रिपोर्ट में इस बात पर मुहर लगते देख योगी सरकार ने इस डैमेज को कंट्रोल करने का जिम्मा संभाला। पार्टी से जुड़े लोगों की मानें तो विधायकों और पार्टी नेताओं को अपने-अपने क्षेत्रों में मॉनिटरिंग के लिए कहा गया। विधायकों को फ्रंट पर आने के लिए कहा गया। इससे विधायकों का हौसला बढ़ा और अब वो सीधे अफसरों को टारगेट करने से नहीं चूक रहे। पॉलिटिकल एक्सपर्ट सिद्धार्थ कलहंस कहते हैं- अफसरों और विधायकों का टकराव नया नहीं है। योगी सरकार के सत्ता में आने के बाद से ही यह टकराव शुरू हो गया था। उसकी वजह है कि सरकार अफसरशाही पर ज्यादा निर्भर रही, जनप्रतिनिधियों के फीडबैक पर कम काम हुआ। लोकसभा चुनाव की हार के बाद यह सिलसिला इसलिए तेज हुआ है, क्योंकि भाजपा की हार के प्रमुख कारणों में इसे गिनाया गया है। अफसरशाही के हावी होने का लोकसभा चुनाव में नुकसान हुआ। लोकसभा चुनाव के बाद इस मुद्दे पर डैमेज कंट्रोल करने का प्रयास किया। यह निश्चित तौर पर भाजपा की टॉप लीडरशिप का समर्थन है। किसी भी सरकार पर तब सवालिया निशान लगता है, जब वह चुने हुए प्रतिनिधियों की जगह चयनित अफसरों के फीडबैक पर चलती है। शीर्ष नेतृत्व ने भी इसे माना है, इसलिए विधायकों को और ज्यादा शह मिली है। 2- जनता की शिकायत से विधायक नाराज
वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक रामदत्त त्रिपाठी कहते हैं- यूपी में सबसे बड़ी समस्या ब्यूरोक्रेसी की है। यदि ब्यूरोक्रेसी काम करेगी तो किसी विधायक को कोई दिक्कत नहीं होगी। समस्या है कि ब्लॉक, थाना और तहसील में छोटे-छोटे काम भी बिना रिश्वत के नहीं होते हैं। जब जनता विधायक के पास शिकायत लेकर जाएगी तो विधायक क्या करेगा, वह अफसर को डांटेगा-धमकाएगा नहीं तो क्या करेगा। टॉप लीडरशिप जो थोड़ा बहुत समर्थन दे रही है, वह योगी के खिलाफ असंतोष पैदा करने के लिए दे रही है। लेकिन, उसका ज्यादा मतलब नहीं है। यदि धरातल पर व्यवस्थाएं ठीक हो जाएं तो कोई खिलाफ नहीं होगा। बड़ा सवाल- क्या इससे बीजेपी को नुकसान होगा? पॉलिटिकल एक्सपर्ट्स मानते हैं कि योगी की जिम्मेदारी है कि वह ब्यूरोक्रेसी पर कंट्रोल रखें, उनसे ठीक ढंग से काम लें। यदि इस तरह अफसरों और विधायकों के बीच टकराव हुआ तो भाजपा को नुकसान होगा। अफसरों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई या कार्यकर्ता का काम नहीं हुआ तो वह कार्यकर्ता पार्टी का काम नहीं करते, नाराज होकर घर बैठ जाते हैं। लोकसभा में सरकार और भाजपा को नुकसान भुगतना पड़ा था, उसी का असर अब दिख रहा है। माफी मांगो, नहीं तो जूता निकालकर इतना मारेंगे कि भूल जाओगे। यह धमकी किसी गुंडे या पुलिस की नहीं है, बल्कि बुलंदशहर की खुर्जा से बीजेपी विधायक मीनाक्षी सिंह की है। वो ये धमकी आवास विकास परिषद के अफसरों को दे रही हैं। यह पहला मामला नहीं है, जब भाजपा विधायक सरकारी अफसरों पर इतने उग्र हुए। बीते 30 दिन में ऐसे 5 मामले सामने आए हैं। अफसर-कर्मचारी से लेकर लोगों को यह समझ में नहीं आ रहा है कि कल तक जो भाजपा विधायक ये कह रहे थे कि हमारी सुनवाई नहीं हो रही है। अफसर-कर्मचारी सुनते नहीं हैं, वो अब अफसरों को सीधे धमकाने लगे हैं। इसकी वजह क्या है…आखिर विधायक क्यों अचानक अफसरों पर हमलावर हैं? विधायकों को अफसरों से सीधा पंगा लेने में क्या उन्हें किसी की शह है? इस उलटफेर की शुरुआत कहां से हुई? संडे बिग स्टोरी में इसके पीछे की कहानी… वजह जानने से पहले पढ़िए भाजपा विधायकों के अफसरों को धमकी देने के 5 मामले… मामला-1: बरेली में BJP विधायक की धमकी- ऐ दरोगा…आंखें नीची कर बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार को लेकर बरेली में 22 अगस्त को भाजपा ने प्रदर्शन किया। इस दौरान कैंट से भाजपा विधायक संजीव अग्रवाल दरोगा को हड़काते दिखे। विधायक सिटी मजिस्ट्रेट को ज्ञापन देने पहुंचे थे। लोग ज्यादा थे, इसलिए दरोगा ने पीछे रहने के लिए कहा। यही विधायक को अच्छा नहीं लगा। उन्होंने दरोगा को हड़काते हुए वहां से चले जाने को कहा। जब दरोगा वहीं खड़ा रहा, तो वह गुस्से में आ गए। धमकाते हुए कहा- ऐ दरोगा, आंखें नीची कर..कर नीचे। सिटी मजिस्ट्रेट दरोगा को ही समझाते रह गए। मामला-2: विधायक मीनाक्षी सिंह की धमकी- माफी मांगो नहीं तो जूता मारेंगे बुलंदशहर में खुर्जा से बीजेपी विधायक मीनाक्षी सिंह से आवास विकास कॉलोनी के लोगों ने शिकायत की थी। अधिकारियों पर मंदिर तोड़ने का आरोप लगाया। 6 अगस्त को आवास विकास कॉलोनी में शिव मंदिर को अधिकारी बुलडोजर से ध्वस्त करने पहुंचे थे। मौके पर कॉलोनी के लोग मौजूद थे। वो इस कार्रवाई का विरोध कर रहे थे। जानकारी पाकर विधायक मीनाक्षी सिंह भी मौके पर पहुंचीं। वह वहां मौजूद आवास विकास परिषद के अधिकारियों को धमकाने लगीं। उन्होंने कहा- जनता से माफी मांगो, नहीं तो जूता निकालकर इतना मारेंगे कि भूल जाओगे। मामला-3: विधायक सुरेंद्र मैथानी की धमकी- तुमको और बुलडोजर को घुसेड़ दूंगा तारीख 28 जुलाई। कानपुर की गोविंदनगर सीट से भाजपा विधायक सुरेंद्र मैथानी का सिंचाई विभाग के इंजीनियर को धमकाते हुए एक वीडियो वायरल हुआ। वो फोन पर कहते हैं- बस्ती गिराने बुलडोजर लेकर आए तो तुमको और बुलडोजर को घुसेड़ दूंगा। तुम्हारा, तुम्हारी कंपनी और बुलडोजर, तीनों का मैं स्वागत करूंगा! वो यहीं नहीं रुके। आगे धमकाते हुए कहते हैं- तुम्हारा एक आदमी यहां दिखना नहीं चाहिए। अगर दिख गया तो समझ लेना फिर। मेरी बात को रिकॉर्ड कर लो। जब मुझसे निपट लेना, तब बस्ती में आना। मोदी-योगी जी लोगों को घर दे रहे, तुम उजाड़ना चाहते हो। विधायक मैथानी की एग्जीक्यूटिव इंजीनियर से पूरी बातचीत- नमस्कार, सुरेंद्र मैथानी बोल रहा हूं। मनोज तुमने यहां कब जॉइन किया? जवाब मिला- 16 मार्च। विधायक ने कहा- तुमने पूरी बस्ती में नोटिस लगा दिया है। मेरी बात समझ लो। अगर तुमने कोई कदम उठाया। बुलडोजर आया तो तुम्हारा, तुम्हारी कंपनी और बुलडोजर…तीनों का स्वागत करूंगा। जब मुझसे निपट लेना, तब तुम बस्ती में आना। ये गंदा काम बंद कर दो। मोदी जी, योगी जी लोगों को घर दे रहे हैं। तुम उजड़वा दोगे? इतनी हिम्मत हो गई? बुलडोजर और तुमको इसी नहर में घुसड़वा दूंगा। नोटिस फड़वा कर फेंकवा दो। यहां भी नोटिस सब फाड़कर फेंकवा दे रहा हूं। बुलडोजर यहां नहीं आना चाहिए। तुम्हारा एक आदमी यहां दिखना नहीं चाहिए। बिल्कुल साफ भाषा में समझ लो। मेरी बात को रिकॉर्ड कर लो, यहां की तरफ नजर न उठा देना। तुम आकर मकान उजाड़ दोगे क्या? मामला-4: विधायक की धमकी- कानपुर में होते तो सीधा कर देते मामला 18 अगस्त का है। कानपुर में भाजपा विधायक महेश त्रिवेदी ने प्राइवेट कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर से लेकर सीईओ तक को धमकाया। अधिकारियों को धमकाते हुए कहा- तुम्हें मुर्गा बना दूंगा। पब्लिक के सामने ही कान पकड़वाकर जूते की माला पहना दूंगा। आपको लज्जा नहीं आती है। दरअसल, बारिश से जूही-खलवा अंडरपास के नीचे पानी भर गया। इसके चलते 3 दिनों से रास्ता बंद था। जलकल विभाग ने पानी निकालने का ठेका KRMPL (कानपुर रिवर मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड) कंपनी को दिया है, लेकिन मोटर खराब होने की वजह से कंपनी ने पानी नहीं निकलवाया। इसका पता चलते ही किदवई नगर से विधायक महेश त्रिवेदी कार्यकर्ताओं के साथ मौके पर पहुंचे और निरीक्षण किया। फिर जल निगम के दफ्तर पहुंच गए। यहां चीफ इंजीनियर एसके सिंह और एक्सईएन राम निवास से खामी का कारण पूछा। इसके बाद विधायक ने दिल्ली में बैठे कंपनी के सीईओ राजीव अग्रवाल को फोन लगा दिया। फोन पर ही कंपनी के सीईओ को कहने लगे- तुम यहां कानपुर में होते, तो मैं तुमको सीधा कर देता। कहां मिलोगे तुम? तुम्हारा मालिक कहां मिलेगा? दिल्ली में हो, वहां आ जाऊं क्या? वहीं आकर मुर्गा बनाता हूं। तुम लोगों ने ड्रामा करके रख दिया है। मामला-5: विधायक ओम कुमार ने कहा- जो मेरे समर्थकों का काम नहीं करेगा, जिले में नहीं रहेगा बिजनौर की नहटौर सीट से भाजपा विधायक ओम कुमार ने 8 जुलाई को एक बयान दिया। मंच से कहा- अब सबका साथ- सबका विकास वाला मामला नहीं चलेगा, जो वोट देगा उसी का काम होगा। एक मजहब के लोगों ने इसलिए वोट नहीं दिया कि उन्हें मोदी और योगी से गुंडागर्दी का लाइसेंस मिल जाए। लेकिन ऐसा नहीं होने देंगे। ऐसे लोगों का इलाज किया जाएगा। उन्होंने कहा, जो मेरे समर्थकों का काम नहीं करेगा, वो जिले में नहीं रहेगा। उसे हटवाने के लिए मुझे जो भी करना होगा करूंगा। भाजपा विधायक ने यह सब बिजनौर में आयोजित एक मतदाता अभिनंदन कार्यक्रम में कहा। भरी सभा में विधायक का सीधा निशाना जिले की नौकरशाही थी। अपने समर्थकों का काम नहीं करने पर ट्रांसफर कराने की बात कह दी। अफसरों पर पलटवार की शुरुआत खुद डिप्टी सीएम ने की एक जुलाई को प्रदेश के डिप्टी सीएम बृजेश पाठक कानपुर में एक स्वागत समारोह में पहुंचे थे। यहां पत्रकारों से बातचीत में कहा कि गाड़ी रोककर जांच-पड़ताल का जो अभियान चल रहा है, उससे मैं सहमत नहीं हूं। ऐसे अभियान को रोका जाना चाहिए। कार्यकर्ताओं के मान-सम्मान से समझौता नहीं किया जाएगा। पुलिस की बदसलूकी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। दर्ज केस वापस लिए जाएंगे। डिप्टी सीएम ने कहा कि कानपुर साउथ में BJP पदाधिकारी पर मुकदमे का पता चला है। CP (कमिश्नर) अखिल कुमार से बात हुई है। मुकदमा खत्म होगा। कार्यकर्ताओं के सम्मान की बात जहां आएगी, हम उनके साथ हैं। डिप्टी सीएम का यह बयान उस समय सामने आया, जब जून महीने में सीएम योगी ने प्रदेश की कानून व्यवस्था को लेकर बैठक में निर्देश दिया था कि यूपी में VIP कल्चर खत्म किया जाए। सीएम योगी ने कहा था कि हूटर, प्रेशर हॉर्न, काली फिल्म वाले वाहनों पर कार्रवाई की जाए। सीएम के इस निर्देश के बाद अफसर एक्टिव हो गए। लखनऊ में ट्रैफिक पुलिस शहर में चौक-चौराहों पर सत्ता पक्ष के नेताओं की गाड़ियों से काली फिल्म उतरवाने लगी तो कहीं प्रेशर हॉर्न निकलवाया जाने लगा। इन कार्रवाइयों के बाद ही डिप्टी सीएम का यह बयान आया था। कानपुर में डिप्टी सीएम के बयान को पुलिस की कार्रवाई के बाद डैमेज कंट्रोल बताया गया। प्रदेश में एक महीने में कैसे बदल गई स्थिति?
लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद पूरे जून महीने इस बात चर्चा रही कि किस तरह बीजेपी की हार के एक कारण में अफसरों का बात ना सुनना भी शामिल था। जुलाई आते ही ये हालात बदलने लगे। अब जगह-जगह से वीडियो सामने आने लगे, जिसमें विधायक अफसरों को धमकाते दिखे। ऐसे में, सवाल उठता है कि आखिर पिछले एक महीने में चीजें कैसे बदल गईं? तो इसका जवाब है… 1- योगी और टॉप लीडरशिप की मौन स्वीकृति लोकसभा चुनाव में यूपी में हार के बाद भाजपा में समीक्षाओं का दौर चला। जिला से लेकर मंडल और राज्य स्तर पर हार के कारणों की समीक्षा की गई। इन सब में एक बात कॉमन थी, जो हर स्तर पर निकलकर आई। वो वजह थी- प्रदेश के अफसर विधायक और कार्यकर्ताओं की नहीं सुन रहे थे। उनकी बातें नहीं मान रहे। हर समीक्षा रिपोर्ट में इस बात पर मुहर लगते देख योगी सरकार ने इस डैमेज को कंट्रोल करने का जिम्मा संभाला। पार्टी से जुड़े लोगों की मानें तो विधायकों और पार्टी नेताओं को अपने-अपने क्षेत्रों में मॉनिटरिंग के लिए कहा गया। विधायकों को फ्रंट पर आने के लिए कहा गया। इससे विधायकों का हौसला बढ़ा और अब वो सीधे अफसरों को टारगेट करने से नहीं चूक रहे। पॉलिटिकल एक्सपर्ट सिद्धार्थ कलहंस कहते हैं- अफसरों और विधायकों का टकराव नया नहीं है। योगी सरकार के सत्ता में आने के बाद से ही यह टकराव शुरू हो गया था। उसकी वजह है कि सरकार अफसरशाही पर ज्यादा निर्भर रही, जनप्रतिनिधियों के फीडबैक पर कम काम हुआ। लोकसभा चुनाव की हार के बाद यह सिलसिला इसलिए तेज हुआ है, क्योंकि भाजपा की हार के प्रमुख कारणों में इसे गिनाया गया है। अफसरशाही के हावी होने का लोकसभा चुनाव में नुकसान हुआ। लोकसभा चुनाव के बाद इस मुद्दे पर डैमेज कंट्रोल करने का प्रयास किया। यह निश्चित तौर पर भाजपा की टॉप लीडरशिप का समर्थन है। किसी भी सरकार पर तब सवालिया निशान लगता है, जब वह चुने हुए प्रतिनिधियों की जगह चयनित अफसरों के फीडबैक पर चलती है। शीर्ष नेतृत्व ने भी इसे माना है, इसलिए विधायकों को और ज्यादा शह मिली है। 2- जनता की शिकायत से विधायक नाराज
वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक रामदत्त त्रिपाठी कहते हैं- यूपी में सबसे बड़ी समस्या ब्यूरोक्रेसी की है। यदि ब्यूरोक्रेसी काम करेगी तो किसी विधायक को कोई दिक्कत नहीं होगी। समस्या है कि ब्लॉक, थाना और तहसील में छोटे-छोटे काम भी बिना रिश्वत के नहीं होते हैं। जब जनता विधायक के पास शिकायत लेकर जाएगी तो विधायक क्या करेगा, वह अफसर को डांटेगा-धमकाएगा नहीं तो क्या करेगा। टॉप लीडरशिप जो थोड़ा बहुत समर्थन दे रही है, वह योगी के खिलाफ असंतोष पैदा करने के लिए दे रही है। लेकिन, उसका ज्यादा मतलब नहीं है। यदि धरातल पर व्यवस्थाएं ठीक हो जाएं तो कोई खिलाफ नहीं होगा। बड़ा सवाल- क्या इससे बीजेपी को नुकसान होगा? पॉलिटिकल एक्सपर्ट्स मानते हैं कि योगी की जिम्मेदारी है कि वह ब्यूरोक्रेसी पर कंट्रोल रखें, उनसे ठीक ढंग से काम लें। यदि इस तरह अफसरों और विधायकों के बीच टकराव हुआ तो भाजपा को नुकसान होगा। अफसरों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई या कार्यकर्ता का काम नहीं हुआ तो वह कार्यकर्ता पार्टी का काम नहीं करते, नाराज होकर घर बैठ जाते हैं। लोकसभा में सरकार और भाजपा को नुकसान भुगतना पड़ा था, उसी का असर अब दिख रहा है। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर