उन्नाव में गंगा नदी में डूबे जज के पति आदित्यवर्धन सिंह की तलाश तीसरे दिन भी जारी है। NDRF के 30 लोग 2 मोटर बोट की मदद से आदित्यवर्धन को ढूंढ रहे हैं। तैरने में एक्सपर्ट आदित्य अचानक कैसे डूब गए? यह समझने के लिए दैनिक भास्कर गंगा नदी के उस पॉइंट पर दोबारा पहुंचा, जहां यह हादसा हुआ। घाट पर बने मंदिर के पुजारी और वहां मौजूद गोताखोरों से बात की। उन लोगों ने हादसे से पहले ही स्थिति को भांप लिया था। आदित्य के साथ आए लोगों को चेताया भी, मगर वह लोग ओवर कॉन्फिडेंट थे। बोले- वह डूब नहीं रहे हैं, तैर रहे हैं। तभी आदित्य नदी की धारा में गायब हो गए। उनके डूबने के वक्त जो हालात थे, वह पढ़िए… पवन ने कहा- साथ नहाए, फिर मैं मंदिर में सफाई करने लगा
नदी किनारे हमारी सबसे पहले मुलाकात पवन उपाध्याय से हुई। वह मंदिर में सेवा करते हैं। नानामऊ के रहने वाले पवन बताते हैं- अफसर आदित्यवर्धन और उनके परिवार के लोग यहां आए थे। तब हम मंदिर की सफाई कर रहे थे। हम सभी ने साथ में नदी में स्नान किया। थोड़ी देर के बाद मैं बाहर निकल आया और मंदिर की सफाई करने लगा। वो लोग नहाते रहे। अचानक मुझे पीछे से चिल्लाने की आवाज सुनाई दी। हमने पीछे मुड़कर देखा, तो नदी की धारा में आदित्यवर्धन का सिर उतराता हुआ दिख रहा था। हम चिल्लाए, इनको निकालो। देखो…वो डूबे जा रहे हैं, बचाओ। तो वह लोग बहुत इतमीनान से बोले- अरे नहीं, वो तैर रहे हैं, डूब नहीं रहे। नदी की धारा में उनके गायब होने के बाद लोग इधर-उधर दौड़ने लगे। चिल्लाने लगे। गोताखोरों के पास गए। वहां क्या बातचीत हुई, ये हम नहीं कह सकते। मगर, लोग बता रहे हैं कि वह अभी तक नहीं मिले हैं। गंगा में डूबा व्यक्ति ऐसे नहीं मिलता। भंवर में फंसकर कई किमी दूर चला जाता है। NDRF वाले उन्हें ढूंढ रहे हैं। 45 मिनट तक धारा में ढूंढते रहे, मगर अधिकारी नहीं मिले
इसके बाद हमारी मुलाकात उस गोताखोर सुशील कुमार से हुई, जिसने सबसे पहले आदित्यवर्धन को ढूंढने के लिए नदी में गोता लगाया था। हमने पूछा- क्या नदी में इस वक्त नहाना इतना खतरनाक है। सुशील ने कहा- वह धारा में ज्यादा आगे चले गए। किनारे पर लाइन खींची है। रस्सी लगी है, मगर फिर भी वह धारा में आगे तक गए। हमने अधिकारी को बचाने का बहुत प्रयास किया। मगर, हम लोग कोई सरकारी नहीं, प्राइवेट गोताखोर हैं। हमारे पास कोई सुविधा भी नहीं है। इसलिए धारा में बहुत देर तक खोजने के बावजूद बचा नहीं सके। हमने रुपए लिए, जब आदमी नहीं मिला तो वापस कर दिया
इसके बाद हमारी मुलाकात नदी के पास दुकान चलाने वाले शैलेश कुमार से हुई। हमने पूछा- सुना है कि आपने किसी को बचाने के लिए रुपए लिए। शैलेश ने कहा- ऐसा नहीं है। रुपए लिए, मगर जब उनका आदमी नहीं मिला, तो वापस भी कर दिए। दरअसल, जिस वक्त ये हादसा हुआ, हमारी दुकान पर गोताखोर बैठे थे। वह लोग आए। उनकी आपस में बात हुई। शायद पैसे की डील फाइनल होने के बाद वह लोग मेरे पास आए। मेरे जरिए पैसे ट्रांसफर कराए गए। एक बात और जिस वक्त ये डील चल रही थी, आदमी धारा में डूब चुका था। बचाने के लिए वहां कोई दिख नहीं रहा था। मगर बाद में उनका आदमी नदी में नहीं मिला। उन लोगों को पैसा वापस कर दिया गया। आज पहुंच जाएंगी पत्नी और माता-पिता
परिवार के लोगों ने बताया- रविवार देर रात गंगा में डूबने वाले डिप्टी डायरेक्टर आदित्यवर्धन सिंह की पत्नी शैलजा, उनकी मां शशि प्रभा, पिता रमेश चंद्र और बहन बहनोई समेत परिवार के सभी लोग सोमवार को उन्नाव पहुंच जाएंगे। पत्नी फ्लाइट से लखनऊ और फिर वहां से उन्नाव पहुंच रही हैं। जबकि आस्ट्रेलिया से माता-पिता और बहन बहनोई आ रहे हैं। गंगा बैराज पर 3 शिफ्ट में ड्यूटी
DCP वेस्ट राजेश कुमार सिंह ने बताया- गंगा में डूबे आदित्यवर्धन की तलाश में कानपुर से लेकर बिल्हौर के नाना मऊ तक गंगा में सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है। इसमें 75 से ज्यादा पुलिसकर्मियों को लगाया गया। SDRF के 12 जवान, PAC के गोताखोरों की टीम के 10 जवान, 15 से ज्यादा निजी गोताखोर और कानपुर के गंगा बैराज पर जल पुलिस की टीम ने सर्च ऑपरेशन चलाया। लेकिन, सफलता नहीं मिली। गंगा में उफान और तेज बहाव के चलते अभी तक उनका कुछ पता नहीं चल सका है। कानपुर के गंगा बैराज पर 15 पुलिस कर्मियों की तीन शिफ्ट में ड्यूटी लगाई गई है। गंगा बैराज पर तैनात पुलिसकर्मी सिर्फ यह निगरानी बनाकर रखनी है कि यहां पर कोई उतरता हुआ पानी में शव तो नहीं आया है। चाची बोलीं- आदित्यवर्धन की पत्नी महाराष्ट्र में रहती हैं, वो गांव नहीं आईं
डिप्टी डायरेक्टर की चाची ने बताया- हादसे की सूचना मिलते ही हमारे जेठ और उनके बेटे गांव पहुंच गए हैं। बाकी हम लोग हैं। आदित्यवर्धन के पिता अपनी बेटी के पास ऑस्ट्रेलिया गए हैं। आदित्यवर्धन की बहन इंजीनियर हैं। उनकी पत्नी से हमारी कभी बातचीत नहीं हुई। वह महाराष्ट्र में रहती हैं। वो गांव नहीं आई हैं। आदित्यवर्धन और उनके परिवार के लोग ही आते थे। ताऊ ने बताया कि हमें सूचना मिली थी कि आदित्यवर्धन अपने दो दोस्तों के साथ नहाने गए थे। वहीं पर वह डूब गए। उनकी तलाश की जा रही है। आदित्यवर्धन के परिवार में उनके माता-पिता, वाइफ और एक बच्ची है। उनकी एक बहन भी है। गांव के कमल कुमार ने बताया- आदित्यवर्धन जी का व्यवहार बहुत अच्छा है। वह सीधे लखनऊ से घाट गए थे। यहां अपने गांव नहीं आए थे। नहाने के बाद गांव आने का प्लान था। वहां से हमें सूचना मिली कि वह गंगा में डूब गए हैं। उनके दोस्तों ने बताया कि हम लोग उन्हें ज्यादा अंदर जाने के लिए मना कर रहे थे पर वह नहीं माने। पत्नी एडीजे, चचेरे भाई बिहार के सीएम के निजी सचिव
आदित्यवर्धन सिंह उर्फ गौरव (45) वाराणसी में हेल्थ विभाग में डिप्टी डायरेक्टर तैनात हैं। उनकी पत्नी श्रेया मिश्रा महाराष्ट्र के अकोला में एडीजे हैं। छोटी बेटी अपनी मां के साथ अकोला में है। बहन प्रज्ञा आस्ट्रेलिया में सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। चचेरे भाई अनुपम कुमार बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सचिव हैं। भाभी प्रतिमा सिंह भी बिहार कैडर की IAS हैं। आदित्यवर्धन बांगरमऊ क्षेत्र के कबीरपुर गांव के मूल निवासी हैं। वे लखनऊ के इंदिरानगर में रहते थे। शनिवार को आदित्यवर्धन मोहल्ले के दो दोस्तों प्रदीप तिवारी और योगेश्वर मिश्रा के साथ कार से बिल्हौर (उन्नाव) के नानामऊ घाट पर शनिवार सुबह करीब 10 गंगा स्नान करने पहुंचे। नहाते वक्त डूब गए। अब तक क्या-क्या हुआ यह भी पढ़ें:- डिप्टी डायरेक्टर गंगा में डूबे, गोताखोर ने नहीं बचाया:10 हजार मांगे थे, कैश नहीं था तो ऑनलाइन लिए, पैसा ट्रांसफर होने तक रुका रहा उन्नाव में जज के पति गंगा में डूब गए। वह दो दोस्तों के साथ नहाने गए थे। घटना के बाद दोस्त ने चिल्लाकर गोताखोर को बुलाया। वह 10 हजार रुपए मांगने लगा। दोस्त हाथ जोड़ता रहा, लेकिन वह पहले पैसा देने की जिद पर अड़ा रहा। कैश नहीं था, इसलिए दोस्त ने 10 हजार रुपए ऑनलाइन ट्रांसफर किए। लेकिन, तब तक जज के पति गंगा में बह गए। पैसे ट्रांसफर हुए तो गोताखोर ने नदी में छलांग लगाई। तलाश की, लेकिन कुछ हासिल नहीं हुआ। पढ़ें पूरी खबर… उन्नाव में गंगा नदी में डूबे जज के पति आदित्यवर्धन सिंह की तलाश तीसरे दिन भी जारी है। NDRF के 30 लोग 2 मोटर बोट की मदद से आदित्यवर्धन को ढूंढ रहे हैं। तैरने में एक्सपर्ट आदित्य अचानक कैसे डूब गए? यह समझने के लिए दैनिक भास्कर गंगा नदी के उस पॉइंट पर दोबारा पहुंचा, जहां यह हादसा हुआ। घाट पर बने मंदिर के पुजारी और वहां मौजूद गोताखोरों से बात की। उन लोगों ने हादसे से पहले ही स्थिति को भांप लिया था। आदित्य के साथ आए लोगों को चेताया भी, मगर वह लोग ओवर कॉन्फिडेंट थे। बोले- वह डूब नहीं रहे हैं, तैर रहे हैं। तभी आदित्य नदी की धारा में गायब हो गए। उनके डूबने के वक्त जो हालात थे, वह पढ़िए… पवन ने कहा- साथ नहाए, फिर मैं मंदिर में सफाई करने लगा
नदी किनारे हमारी सबसे पहले मुलाकात पवन उपाध्याय से हुई। वह मंदिर में सेवा करते हैं। नानामऊ के रहने वाले पवन बताते हैं- अफसर आदित्यवर्धन और उनके परिवार के लोग यहां आए थे। तब हम मंदिर की सफाई कर रहे थे। हम सभी ने साथ में नदी में स्नान किया। थोड़ी देर के बाद मैं बाहर निकल आया और मंदिर की सफाई करने लगा। वो लोग नहाते रहे। अचानक मुझे पीछे से चिल्लाने की आवाज सुनाई दी। हमने पीछे मुड़कर देखा, तो नदी की धारा में आदित्यवर्धन का सिर उतराता हुआ दिख रहा था। हम चिल्लाए, इनको निकालो। देखो…वो डूबे जा रहे हैं, बचाओ। तो वह लोग बहुत इतमीनान से बोले- अरे नहीं, वो तैर रहे हैं, डूब नहीं रहे। नदी की धारा में उनके गायब होने के बाद लोग इधर-उधर दौड़ने लगे। चिल्लाने लगे। गोताखोरों के पास गए। वहां क्या बातचीत हुई, ये हम नहीं कह सकते। मगर, लोग बता रहे हैं कि वह अभी तक नहीं मिले हैं। गंगा में डूबा व्यक्ति ऐसे नहीं मिलता। भंवर में फंसकर कई किमी दूर चला जाता है। NDRF वाले उन्हें ढूंढ रहे हैं। 45 मिनट तक धारा में ढूंढते रहे, मगर अधिकारी नहीं मिले
इसके बाद हमारी मुलाकात उस गोताखोर सुशील कुमार से हुई, जिसने सबसे पहले आदित्यवर्धन को ढूंढने के लिए नदी में गोता लगाया था। हमने पूछा- क्या नदी में इस वक्त नहाना इतना खतरनाक है। सुशील ने कहा- वह धारा में ज्यादा आगे चले गए। किनारे पर लाइन खींची है। रस्सी लगी है, मगर फिर भी वह धारा में आगे तक गए। हमने अधिकारी को बचाने का बहुत प्रयास किया। मगर, हम लोग कोई सरकारी नहीं, प्राइवेट गोताखोर हैं। हमारे पास कोई सुविधा भी नहीं है। इसलिए धारा में बहुत देर तक खोजने के बावजूद बचा नहीं सके। हमने रुपए लिए, जब आदमी नहीं मिला तो वापस कर दिया
इसके बाद हमारी मुलाकात नदी के पास दुकान चलाने वाले शैलेश कुमार से हुई। हमने पूछा- सुना है कि आपने किसी को बचाने के लिए रुपए लिए। शैलेश ने कहा- ऐसा नहीं है। रुपए लिए, मगर जब उनका आदमी नहीं मिला, तो वापस भी कर दिए। दरअसल, जिस वक्त ये हादसा हुआ, हमारी दुकान पर गोताखोर बैठे थे। वह लोग आए। उनकी आपस में बात हुई। शायद पैसे की डील फाइनल होने के बाद वह लोग मेरे पास आए। मेरे जरिए पैसे ट्रांसफर कराए गए। एक बात और जिस वक्त ये डील चल रही थी, आदमी धारा में डूब चुका था। बचाने के लिए वहां कोई दिख नहीं रहा था। मगर बाद में उनका आदमी नदी में नहीं मिला। उन लोगों को पैसा वापस कर दिया गया। आज पहुंच जाएंगी पत्नी और माता-पिता
परिवार के लोगों ने बताया- रविवार देर रात गंगा में डूबने वाले डिप्टी डायरेक्टर आदित्यवर्धन सिंह की पत्नी शैलजा, उनकी मां शशि प्रभा, पिता रमेश चंद्र और बहन बहनोई समेत परिवार के सभी लोग सोमवार को उन्नाव पहुंच जाएंगे। पत्नी फ्लाइट से लखनऊ और फिर वहां से उन्नाव पहुंच रही हैं। जबकि आस्ट्रेलिया से माता-पिता और बहन बहनोई आ रहे हैं। गंगा बैराज पर 3 शिफ्ट में ड्यूटी
DCP वेस्ट राजेश कुमार सिंह ने बताया- गंगा में डूबे आदित्यवर्धन की तलाश में कानपुर से लेकर बिल्हौर के नाना मऊ तक गंगा में सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है। इसमें 75 से ज्यादा पुलिसकर्मियों को लगाया गया। SDRF के 12 जवान, PAC के गोताखोरों की टीम के 10 जवान, 15 से ज्यादा निजी गोताखोर और कानपुर के गंगा बैराज पर जल पुलिस की टीम ने सर्च ऑपरेशन चलाया। लेकिन, सफलता नहीं मिली। गंगा में उफान और तेज बहाव के चलते अभी तक उनका कुछ पता नहीं चल सका है। कानपुर के गंगा बैराज पर 15 पुलिस कर्मियों की तीन शिफ्ट में ड्यूटी लगाई गई है। गंगा बैराज पर तैनात पुलिसकर्मी सिर्फ यह निगरानी बनाकर रखनी है कि यहां पर कोई उतरता हुआ पानी में शव तो नहीं आया है। चाची बोलीं- आदित्यवर्धन की पत्नी महाराष्ट्र में रहती हैं, वो गांव नहीं आईं
डिप्टी डायरेक्टर की चाची ने बताया- हादसे की सूचना मिलते ही हमारे जेठ और उनके बेटे गांव पहुंच गए हैं। बाकी हम लोग हैं। आदित्यवर्धन के पिता अपनी बेटी के पास ऑस्ट्रेलिया गए हैं। आदित्यवर्धन की बहन इंजीनियर हैं। उनकी पत्नी से हमारी कभी बातचीत नहीं हुई। वह महाराष्ट्र में रहती हैं। वो गांव नहीं आई हैं। आदित्यवर्धन और उनके परिवार के लोग ही आते थे। ताऊ ने बताया कि हमें सूचना मिली थी कि आदित्यवर्धन अपने दो दोस्तों के साथ नहाने गए थे। वहीं पर वह डूब गए। उनकी तलाश की जा रही है। आदित्यवर्धन के परिवार में उनके माता-पिता, वाइफ और एक बच्ची है। उनकी एक बहन भी है। गांव के कमल कुमार ने बताया- आदित्यवर्धन जी का व्यवहार बहुत अच्छा है। वह सीधे लखनऊ से घाट गए थे। यहां अपने गांव नहीं आए थे। नहाने के बाद गांव आने का प्लान था। वहां से हमें सूचना मिली कि वह गंगा में डूब गए हैं। उनके दोस्तों ने बताया कि हम लोग उन्हें ज्यादा अंदर जाने के लिए मना कर रहे थे पर वह नहीं माने। पत्नी एडीजे, चचेरे भाई बिहार के सीएम के निजी सचिव
आदित्यवर्धन सिंह उर्फ गौरव (45) वाराणसी में हेल्थ विभाग में डिप्टी डायरेक्टर तैनात हैं। उनकी पत्नी श्रेया मिश्रा महाराष्ट्र के अकोला में एडीजे हैं। छोटी बेटी अपनी मां के साथ अकोला में है। बहन प्रज्ञा आस्ट्रेलिया में सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। चचेरे भाई अनुपम कुमार बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सचिव हैं। भाभी प्रतिमा सिंह भी बिहार कैडर की IAS हैं। आदित्यवर्धन बांगरमऊ क्षेत्र के कबीरपुर गांव के मूल निवासी हैं। वे लखनऊ के इंदिरानगर में रहते थे। शनिवार को आदित्यवर्धन मोहल्ले के दो दोस्तों प्रदीप तिवारी और योगेश्वर मिश्रा के साथ कार से बिल्हौर (उन्नाव) के नानामऊ घाट पर शनिवार सुबह करीब 10 गंगा स्नान करने पहुंचे। नहाते वक्त डूब गए। अब तक क्या-क्या हुआ यह भी पढ़ें:- डिप्टी डायरेक्टर गंगा में डूबे, गोताखोर ने नहीं बचाया:10 हजार मांगे थे, कैश नहीं था तो ऑनलाइन लिए, पैसा ट्रांसफर होने तक रुका रहा उन्नाव में जज के पति गंगा में डूब गए। वह दो दोस्तों के साथ नहाने गए थे। घटना के बाद दोस्त ने चिल्लाकर गोताखोर को बुलाया। वह 10 हजार रुपए मांगने लगा। दोस्त हाथ जोड़ता रहा, लेकिन वह पहले पैसा देने की जिद पर अड़ा रहा। कैश नहीं था, इसलिए दोस्त ने 10 हजार रुपए ऑनलाइन ट्रांसफर किए। लेकिन, तब तक जज के पति गंगा में बह गए। पैसे ट्रांसफर हुए तो गोताखोर ने नदी में छलांग लगाई। तलाश की, लेकिन कुछ हासिल नहीं हुआ। पढ़ें पूरी खबर… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर