मेरठ की पैरा प्लेयर प्रीति पाल ने पैरालिंपिक के वीमेंस 200 मीटर T-35 रेस में ब्रांज मेडल जीत लिया है। इस पैरालिंपिक में प्रीति पाल का यह दूसरा पदक है। इस पैरालिंपिक में दो मेडल जीतने वाली प्रीति देश की पहली महिला एथलीट बन गई हैं। शुक्रवार को ही प्रीति ने 100 मीटर में कांस्य पदक जीता था। रविवार को दोबारा प्रीति ने दूसरा कांस्य पदक जीतकर भारत का नाम रोशन किया है। PM नरेंद्र मोदी ने प्रीति से फोन पर बात की। इस दौरान पीएम ने पूछा बताइए कैसा लग रहा है? जवाब में प्रीति ने कहा- मेरा सपना था कि अपने देश का तिरंगा, दूसरे देश में लहराना है। यह सपना पूरा हो गया। मुझे यकीन नहीं हो रहा है कि मेरा सपना पूरा हो गया है। पीएम मोदी ने पूछा कि घर में बात हुई या नहीं? जवाब में प्रीति ने कहा- मेरे घर वाले रो रहे हैं। सभी उत्साहित है। मुझे यहां पूरा सपोर्ट मिल रहा है। में सभी खुश हैं। चौथे दिन दूसरा पदक जीतीं प्रीति प्रीति ने पहला मेडल जीतने के चौथे दिन बाद दूसरा मेडल जीता। 200 मीटर की रेस में 30.01 सेकेंड का समय निकालते हुए ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया। इससे चार दिन पहले उन्होंने 100 मीटर की रेस में 14.21 सेकेंड का समय लेते हुए ब्रॉन्ज मेडल जीता था। कौन हैं प्रीति पाल, चलिए पढ़ते हैं उनके संघर्ष की कहानी… प्रीति पाल उत्तर प्रदेश के मेरठ की रहने वाली हैं। मेरठ में उनका गांव कसेरू बक्सर पड़ता है। पहली बार मेडल जीतने के बाद प्रीति के घर जन प्रतिनिधियों का आना-जाना शुरू हो गया। एक सामान्य परिवार की प्रीति के घर अब दिवाली जैसी रौनक है। दैनिक भास्कर ने प्रीति के घर वालों से बात की। 10 साल पहले तक तो चल भी नहीं पाती थीं प्रीति प्रीति की बहन नेहा ने बताया- मेरी छोटी बहन प्रीति, वो आम बच्चों से एकदम अलग थी। जब मैंने पहली बार उस नन्हीं बच्ची को गोद में उठाया तो देखा उसके दोनों पैर जुड़े थे। कहूं तो उसके पंजे, घुटने, जांघें दो थी, लेकिन वो एक पैर था। मुझे लगा ये कुछ रोमांचक है, लेकिन समय के साथ पता चला कि मेरी बहन के शरीर में कमी है। वो सेरेब्रल पाल्सी से पीड़ित थी। 10 साल तक उसे मैंने कभी पैरों पर चलते नहीं देखा, लेकिन आज पेरिस के पैरालिंपिक मैदान में जब उसने देश को दौड़ में ब्रॉन्ज मेडल दिलाया तो खुशी का ठिकाना न रहा। सेरेब्रल पाल्सी से पीड़ित थी प्रीति प्रीति की बहन नेहा ने बताया- हम लोग मुजफ्फरनगर के रहने वाले हैं। पापा का नाम अनिल कुमार है, वो किसान हैं। कुछ सालों से मेरठ में आकर बस गए। दादा, दादी के अलावा घर में पापा अनिल पाल, मम्मी बालेश, बड़ी बहन नेहा, प्रीति, छोटा भाई अनिकेत, विवेक हैं। प्रीति को छोड़कर तीनों भाई, बहन जॉब करते हैं। नेहा ने बताया कि जन्म से प्रीति को सेलेब्रल पाल्सी थी। दोनों पैर जुड़े थे। वो चल नहीं पाती थी। बहुत दवाई कराई लेकिन असर नहीं हुआ। सेरेब्रल पाल्सी एक ऐसी बीमारी है, जिसमें दिमाग और शरीर मांसपेशियों के बीच सही से संवाद नहीं हो पाता है। इस बीमारी में व्यक्ति किसी भी चीज पर रिएक्ट करने में अधिक समय लेता है। सूर्य ग्रहण में गोबर में दबाते थे आधा शरीर प्रीति की दादी ने बताया- हम भारतीय संस्कृति से जुड़े हैं। एक बार किसी ने मुझे बताया कि जिसके पैर खराब हों। उसका आधा शरीर सूर्य ग्रहण के समय गोबर में दबाने से पैरों में जान लौट आती है। मैंने वैसा ही किया जब सूर्य ग्रहण होता तो पूरे दिन प्रीति का कमर तक शरीर गोबर के ढेर में दबा देती। घर के दूसरे बच्चे आसपास खड़े होकर हंसते थे। 10 साल बिस्तर पर गुजारी जिंदगी बहन नेहा ने बताया- प्रीति का हर तरह का इलाज कराया गया। डॉक्टरों ने उसके पैरों को अलग किया, उसके दोनों पैरों में 10 साल तक प्लास्टर बंधा रहा। वो पूरी तरह बिस्तर पर थी। बिस्तर से उठ नहीं पाती थी, उसका हर काम बेड पर हम लोग करते। थोड़े दिन बाद प्लास्टर हटा तो उसने धीरे-धीरे चलना शुरू किया। उसे लोहे के जूते, कैलीपर्स पहनाए गए। फिर भी उसके पैरों में मजबूती नहीं थी। वो चलते-चलते गिर जाती थी। लेकिन उसने कभी हार नहीं मानी। 12 साल की उम्र से दौड़ने लगी बहन नेहा ने बताया- प्रीति ने अपने पैरों पर खड़ा होना शुरू किया तो अक्सर उसका मन दौड़ने का करता। वो नाजुक पैरों से अक्सर दौड़ती और गिर जाती। उसने अपनी पढ़ाई भी शुरू की और पढ़ाई के साथ खेलों में बढ़ी। टीवी पर उसने दिव्यांग खिलाड़ियों के वीडियो देखे थे, तभी उसने ठान लिया कि वो अपनी जिंदगी बेकार नहीं करेगी। कुछ नहीं कर सकती लेकिन खिलाड़ी बनेगी। खेलों में उसे दौड़ना पसंद था इसलिए उसने यह चुना। 20 किमी ट्रायसाइकिल चलाकर जाती प्रीति जब स्पोर्ट्स में उतरी तो प्रैक्टिस के लिए कैलाश प्रकाश स्टेडियम जाती, सुबह जाकर रात तक फील्ड से लौटती। कई बार ऑटो नहीं मिलता तो पापा उसे लेने जाते। कुछ दिन बाद प्रीति के कहने पर पापा ने उसे एक टाई साइकिल दिलाई। इसके बाद घर से स्टेडियम रोज 20 km का सफर प्रीति ट्राई साइकिल पर तय करती थी। प्रीति ने वीडियो कॉल पर की बात, CM योगी ने दी बधाई प्रीति को मेडल मिलने पर CM योगी आदित्यनाथ ने सोशल मीडिया पर बधाई दी है। साथ ही 1 सितंबर को होने वाले 200 मीटर इवेंट के लिए ऑल द बेस्ट कहा है। प्रीति ने पदक जीतने के बाद सबसे पहले फैमिली को वीडियो कॉल किया। इस दौरान दैनिक भास्कर से बातचीत में प्रीति ने कहा सोचा नहीं था ये पदक जीत पाऊंगी। सभी का धन्यवाद देती हूं। मेरठ आकर सभी से मिलूंगी। वहीं एक साथ बर्थडे मनाऊंगी। पड़ोसी बोले- डीजे बजवाकर करेंगे वेलकम प्रीति पाल को गिरते उठते, संभलते उनके परिवार और पड़ोसियों सभी ने देखा है। प्रीति के घरवालों के साथ पड़ोसी भी इस जीत पर नाज कर रहे हैं। पड़ोसी रचना, नेहा, कुसुम और ईशा ने एक दूसरे को मिठाई खिलाई। उन्होंने कहा- प्रीति आएगी तो डीजे, ढोल बजाकर कालोनी में उसका स्वागत करेंगे। हमने उसकी मेहनत देखी है वो ये सफलता डिजर्व करती है। जैनब खातून ने दी खेलों की प्रेरणा प्रीति के खेलों की प्रेरणा और शुरुआती अभ्यास मेरठ की ही पैरा खिलाड़ी जैनब खातून ने दिया। इसके बाद प्रीति ने कोच गजेंद्र सिंह, गौरव त्यागी से भी ट्रेनिंग ली। बहन नेहा कहती हैं कि प्रीति ने जब खेलना शुरू किया तो बहुत मुश्किल था। वो चल भी नहीं पाती थी तो दौड़ना तो दूर की बात थी। लेकिन उसने हौसला नहीं छोड़ा। इस घर के सभी लोगों ने उसका पूरा साथ दिया। मेहनत के दम पर उसने स्टेट में पहला गोल्ड मेडल जीता। इसके बाद उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा। मेरठ की पैरा प्लेयर प्रीति पाल ने पैरालिंपिक के वीमेंस 200 मीटर T-35 रेस में ब्रांज मेडल जीत लिया है। इस पैरालिंपिक में प्रीति पाल का यह दूसरा पदक है। इस पैरालिंपिक में दो मेडल जीतने वाली प्रीति देश की पहली महिला एथलीट बन गई हैं। शुक्रवार को ही प्रीति ने 100 मीटर में कांस्य पदक जीता था। रविवार को दोबारा प्रीति ने दूसरा कांस्य पदक जीतकर भारत का नाम रोशन किया है। PM नरेंद्र मोदी ने प्रीति से फोन पर बात की। इस दौरान पीएम ने पूछा बताइए कैसा लग रहा है? जवाब में प्रीति ने कहा- मेरा सपना था कि अपने देश का तिरंगा, दूसरे देश में लहराना है। यह सपना पूरा हो गया। मुझे यकीन नहीं हो रहा है कि मेरा सपना पूरा हो गया है। पीएम मोदी ने पूछा कि घर में बात हुई या नहीं? जवाब में प्रीति ने कहा- मेरे घर वाले रो रहे हैं। सभी उत्साहित है। मुझे यहां पूरा सपोर्ट मिल रहा है। में सभी खुश हैं। चौथे दिन दूसरा पदक जीतीं प्रीति प्रीति ने पहला मेडल जीतने के चौथे दिन बाद दूसरा मेडल जीता। 200 मीटर की रेस में 30.01 सेकेंड का समय निकालते हुए ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया। इससे चार दिन पहले उन्होंने 100 मीटर की रेस में 14.21 सेकेंड का समय लेते हुए ब्रॉन्ज मेडल जीता था। कौन हैं प्रीति पाल, चलिए पढ़ते हैं उनके संघर्ष की कहानी… प्रीति पाल उत्तर प्रदेश के मेरठ की रहने वाली हैं। मेरठ में उनका गांव कसेरू बक्सर पड़ता है। पहली बार मेडल जीतने के बाद प्रीति के घर जन प्रतिनिधियों का आना-जाना शुरू हो गया। एक सामान्य परिवार की प्रीति के घर अब दिवाली जैसी रौनक है। दैनिक भास्कर ने प्रीति के घर वालों से बात की। 10 साल पहले तक तो चल भी नहीं पाती थीं प्रीति प्रीति की बहन नेहा ने बताया- मेरी छोटी बहन प्रीति, वो आम बच्चों से एकदम अलग थी। जब मैंने पहली बार उस नन्हीं बच्ची को गोद में उठाया तो देखा उसके दोनों पैर जुड़े थे। कहूं तो उसके पंजे, घुटने, जांघें दो थी, लेकिन वो एक पैर था। मुझे लगा ये कुछ रोमांचक है, लेकिन समय के साथ पता चला कि मेरी बहन के शरीर में कमी है। वो सेरेब्रल पाल्सी से पीड़ित थी। 10 साल तक उसे मैंने कभी पैरों पर चलते नहीं देखा, लेकिन आज पेरिस के पैरालिंपिक मैदान में जब उसने देश को दौड़ में ब्रॉन्ज मेडल दिलाया तो खुशी का ठिकाना न रहा। सेरेब्रल पाल्सी से पीड़ित थी प्रीति प्रीति की बहन नेहा ने बताया- हम लोग मुजफ्फरनगर के रहने वाले हैं। पापा का नाम अनिल कुमार है, वो किसान हैं। कुछ सालों से मेरठ में आकर बस गए। दादा, दादी के अलावा घर में पापा अनिल पाल, मम्मी बालेश, बड़ी बहन नेहा, प्रीति, छोटा भाई अनिकेत, विवेक हैं। प्रीति को छोड़कर तीनों भाई, बहन जॉब करते हैं। नेहा ने बताया कि जन्म से प्रीति को सेलेब्रल पाल्सी थी। दोनों पैर जुड़े थे। वो चल नहीं पाती थी। बहुत दवाई कराई लेकिन असर नहीं हुआ। सेरेब्रल पाल्सी एक ऐसी बीमारी है, जिसमें दिमाग और शरीर मांसपेशियों के बीच सही से संवाद नहीं हो पाता है। इस बीमारी में व्यक्ति किसी भी चीज पर रिएक्ट करने में अधिक समय लेता है। सूर्य ग्रहण में गोबर में दबाते थे आधा शरीर प्रीति की दादी ने बताया- हम भारतीय संस्कृति से जुड़े हैं। एक बार किसी ने मुझे बताया कि जिसके पैर खराब हों। उसका आधा शरीर सूर्य ग्रहण के समय गोबर में दबाने से पैरों में जान लौट आती है। मैंने वैसा ही किया जब सूर्य ग्रहण होता तो पूरे दिन प्रीति का कमर तक शरीर गोबर के ढेर में दबा देती। घर के दूसरे बच्चे आसपास खड़े होकर हंसते थे। 10 साल बिस्तर पर गुजारी जिंदगी बहन नेहा ने बताया- प्रीति का हर तरह का इलाज कराया गया। डॉक्टरों ने उसके पैरों को अलग किया, उसके दोनों पैरों में 10 साल तक प्लास्टर बंधा रहा। वो पूरी तरह बिस्तर पर थी। बिस्तर से उठ नहीं पाती थी, उसका हर काम बेड पर हम लोग करते। थोड़े दिन बाद प्लास्टर हटा तो उसने धीरे-धीरे चलना शुरू किया। उसे लोहे के जूते, कैलीपर्स पहनाए गए। फिर भी उसके पैरों में मजबूती नहीं थी। वो चलते-चलते गिर जाती थी। लेकिन उसने कभी हार नहीं मानी। 12 साल की उम्र से दौड़ने लगी बहन नेहा ने बताया- प्रीति ने अपने पैरों पर खड़ा होना शुरू किया तो अक्सर उसका मन दौड़ने का करता। वो नाजुक पैरों से अक्सर दौड़ती और गिर जाती। उसने अपनी पढ़ाई भी शुरू की और पढ़ाई के साथ खेलों में बढ़ी। टीवी पर उसने दिव्यांग खिलाड़ियों के वीडियो देखे थे, तभी उसने ठान लिया कि वो अपनी जिंदगी बेकार नहीं करेगी। कुछ नहीं कर सकती लेकिन खिलाड़ी बनेगी। खेलों में उसे दौड़ना पसंद था इसलिए उसने यह चुना। 20 किमी ट्रायसाइकिल चलाकर जाती प्रीति जब स्पोर्ट्स में उतरी तो प्रैक्टिस के लिए कैलाश प्रकाश स्टेडियम जाती, सुबह जाकर रात तक फील्ड से लौटती। कई बार ऑटो नहीं मिलता तो पापा उसे लेने जाते। कुछ दिन बाद प्रीति के कहने पर पापा ने उसे एक टाई साइकिल दिलाई। इसके बाद घर से स्टेडियम रोज 20 km का सफर प्रीति ट्राई साइकिल पर तय करती थी। प्रीति ने वीडियो कॉल पर की बात, CM योगी ने दी बधाई प्रीति को मेडल मिलने पर CM योगी आदित्यनाथ ने सोशल मीडिया पर बधाई दी है। साथ ही 1 सितंबर को होने वाले 200 मीटर इवेंट के लिए ऑल द बेस्ट कहा है। प्रीति ने पदक जीतने के बाद सबसे पहले फैमिली को वीडियो कॉल किया। इस दौरान दैनिक भास्कर से बातचीत में प्रीति ने कहा सोचा नहीं था ये पदक जीत पाऊंगी। सभी का धन्यवाद देती हूं। मेरठ आकर सभी से मिलूंगी। वहीं एक साथ बर्थडे मनाऊंगी। पड़ोसी बोले- डीजे बजवाकर करेंगे वेलकम प्रीति पाल को गिरते उठते, संभलते उनके परिवार और पड़ोसियों सभी ने देखा है। प्रीति के घरवालों के साथ पड़ोसी भी इस जीत पर नाज कर रहे हैं। पड़ोसी रचना, नेहा, कुसुम और ईशा ने एक दूसरे को मिठाई खिलाई। उन्होंने कहा- प्रीति आएगी तो डीजे, ढोल बजाकर कालोनी में उसका स्वागत करेंगे। हमने उसकी मेहनत देखी है वो ये सफलता डिजर्व करती है। जैनब खातून ने दी खेलों की प्रेरणा प्रीति के खेलों की प्रेरणा और शुरुआती अभ्यास मेरठ की ही पैरा खिलाड़ी जैनब खातून ने दिया। इसके बाद प्रीति ने कोच गजेंद्र सिंह, गौरव त्यागी से भी ट्रेनिंग ली। बहन नेहा कहती हैं कि प्रीति ने जब खेलना शुरू किया तो बहुत मुश्किल था। वो चल भी नहीं पाती थी तो दौड़ना तो दूर की बात थी। लेकिन उसने हौसला नहीं छोड़ा। इस घर के सभी लोगों ने उसका पूरा साथ दिया। मेहनत के दम पर उसने स्टेट में पहला गोल्ड मेडल जीता। इसके बाद उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
Related Posts
Maharashtra: ‘मस्जिद में घुसकर मारने…’, BJP विधायक नितेश राणे के विवादित बयान पर क्या बोले उनके पिता नारायण राणे?
Maharashtra: ‘मस्जिद में घुसकर मारने…’, BJP विधायक नितेश राणे के विवादित बयान पर क्या बोले उनके पिता नारायण राणे? <p style=”text-align: justify;”><strong>Maharashtra Politics News: </strong>महाराष्ट्र में बीजेपी के विधायक नितेश राणे के मस्जिद वाले बयान पर रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग से पार्टी सांसद और उनके पिता नारायण राणे ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि नितेश राणे ने जो भी कहा, उसका ऐसा मतलब नहीं था. उनका कहना था कि अगर आप हमारे देश में आकर चरमपंथी गतिविधियां करेंगे तो हम आक्रामक होंगे. हालांकि, उन्हें मस्जिद शब्द का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए था. उसके बाद उन्होंने कहा भी था कि मैंने गलती की. नारायण राणे ने सिंधुदुर्ग में मीडिया से बात करते हुए यह बात कही. </p>
<p style=”text-align: justify;”>नारायण राणे ने कहा, “नितेश राणे ने जो मस्जिद में घुसकर मारने वाली बात कही वो गलत थी, लेकिन देश में कितने मुसलमानों ने उन लोगों के खिलाफ आवाज उठाई जो भारत में रहकर देश विरोधी काम कर रहे थे. नितेश राणे के बोलने से लोगों ने उनके खिलाफ आवाज उठाई, लेकिन अगर उनका मुंह बंद कर दिया जाए तो एक हजार नितेश राणे बन जाएंगे.”</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>नारायण राणे ने उद्धव ठाकरे पर साधा निशाना</strong><br />नारायण राणे ने नितिन गडकरी के प्रधानमंत्री पद के ऑफर वाले बयान पर कहा कि नितिन गडकरी एक अच्छे नेता और मेरे मित्र हैं. मुझे नहीं पता कि उनका बयान राजनीतिक है या निजी. इसलिए मैं उस विषय पर नहीं बोलूंगा. वहीं उद्धव ठाकरे के सीएम पद की दावेदारी को लेकर उन्होंने कहा, “उन्हें बजट का पता नहीं है, वह मुख्यमंत्री क्या बनेंगे? ढाई साल तक मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने बिना कोई काम किए मुफ्त का क्रेडिट लिया.”</p>
<p style=”text-align: justify;”>संजय राऊत पर निशाना साधते हुए राणे ने कहा कि उनके पास कोई सामान्य ज्ञान नहीं है. उद्धव ठाकरे और संजय राउत का मतलब महाराष्ट्र नहीं है. मैं उन पर कुछ नहीं बोलना चाहता. जबकि शरद पवार को लेकर उन्होंने कहा कि वह तो चार बार मुख्यमंत्री रहे फिर महिलाओं पर हिंसा क्यों नहीं रुकी? </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>नितेश राणे ने क्या कहा था?</strong><br />बता दें कि सितंबर के शुरूआत में अहमदनगर में रामगिरी महाराज के समर्थन में मोर्चा निकाला गया था. इस मोर्चे के बाद एक सभा का आयोजन किया गया था. इसमें बीजेपी विधायक नितेश राणे शामिल हुए थे. इस सभा के दौरान राणे ने मुसलमानों को खुली धमकी दी. उन्होंने कहा कि रामगिरी महाराज के खिलाफ किसी ने कुछ कहा तो मस्जिदों में आकर चुन-चुनकर मारेंगे. जिस जुबान से बोलेंगे, उस जुबान को नहीं रखेंगे.</p>
<div id=”article-hstick-inner” class=”abp-story-detail “>
<p><strong>ये भी पढ़ें: </strong><strong><a title=”महायुति में किन नेताओं को मिलेगा टिकट, कब होगा सीटों का बंटवारा? CM एकनाथ शिंदे ने किया सबकुछ साफ” href=”https://www.abplive.com/states/maharashtra/maharashtra-assembly-elections-2024-cm-eknath-shinde-on-seat-sharing-in-mahayuti-shiv-sena-voting-in-maharashtra-2784087″ target=”_self”>महायुति में किन नेताओं को मिलेगा टिकट, कब होगा सीटों का बंटवारा? CM एकनाथ शिंदे ने किया सबकुछ साफ</a></strong></p>
</div>
बहराइच जा रहे सपा नेता माता प्रसाद पांडेय को प्रशासन ने रोका, जानें क्या बोले नेता प्रतिपक्ष
बहराइच जा रहे सपा नेता माता प्रसाद पांडेय को प्रशासन ने रोका, जानें क्या बोले नेता प्रतिपक्ष <p style=”text-align: justify;”><strong>Bahraich Violence Update:</strong> उत्तर प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय को बहराइच जाने से प्रशासन द्वारा रोका गया है. सपा नेता 12 बजे बहराइच पहुंच कर पीड़ित परिवारों से मुलाकात करने वाले थे, हालांकि लखनऊ से निकलने से पहले ही उन्हें रोक लिया गया. वहीं सपा नेता माता प्रसाद पांडेय ने बहराइच जाने की अनुमति न मिलने पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. सपा नेता ने कहा कि यह सरकार की तानाशाही और मनमानी है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>वहीं सपा नेता ने कहा कि जिला प्रशासन ने कहा है कि हमारे आने से शांति-व्यवस्था में बाधा पैदा हो सकती है, जो ठीक नहीं है. हमसे उन्होंने अनुरोध किया है कि न आइए. मैं वहां जाना तो चाहता था पर अगर जाएंगे तो जिले के अंदर जाने नहीं देंगे, बॉर्डर पर रोक देंगे और अगर बॉर्डर पर रोक देंगे तो वहां अनावश्यक कन्फर्टेशन होगा. उन्होंने कहा कि हमको यह बताया गया है अगर दो-तीन बाद आते हैं तो ठीक रहेगा. </p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने बताया कि हमारे सेक्रेटरी ने कहा कि उनसे डीएम ने रिक्वेस्ट किया है दो-तीन दिन बाद आए तो ठीक रहेगा. दो-तीन दिन बाद जब हम जाएंगे तो हमें अनुमति दे या न दे पर हम जरूर जाएंगे. वहां हम जाते तो हम दोनों पक्षों के बीच में भी जाते और दोनों पक्षों का दुख दर्द समझते. <br />यह घटना पुलिस की उदासीनता और लापरवाही के कारण हुई. हमने यही पढ़ा है कि पुलिस प्रशासन अगर चाहता तो यह घटना नहीं होती.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>गिरफ्तारी देनी पड़े तब भी जाएंगे- माता प्रसाद पांडेय</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>सपा नेता ने कहा कि मेरी मांग है कि इसकी उच्च स्तरीय जांच कराई जाए और जो भी इसमें दोषी हो उसके खिलाफ कार्रवाई हो. सीएम को भी उच्च स्तरीय मांग की चिट्ठी लिखेंगे, अगर 2 दिन बाद अब जाने की अनुमति नहीं मिलेगी तब भी जाएंगे चाहे गिरफ्तारी देनी पड़े तब भी जाएंगे.<br />इसके पहले भी एक बार जाने का प्रयास किया था पर तब एसपी ने रिक्वेस्ट किया था, अब आज दूसरी बार मना किया गया पर अब अगली बार कोई भी मना करे हम फिर भी जाएंगे.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>एनकाउंटर नहीं हत्याएं हो रही हैं- माता प्रसाद पांडेय</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि किसकी गलती है, इसके लिए उच्च स्तरीय जांच होना जरूरी है. एनकाउंटर के बारे में तो जो अखबारों में पढ़ा, वही जान रहे हैं पर जो भी हो रहा है वह किस स्तर तक सही है मैंने इसकी गंभीरता से जांच नहीं की. पर जहां तक एनकाउंटर की बात है यह एनकाउंटर नहीं, बल्कि पकड़कर पैर में गोली मारने जैसा है. इस सरकार में बड़ी घटना ऐसी हो रही हैं और एनकाउंटर नहीं हो रहा है बल्कि हत्याएं हो रही हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>आरोपियों के घर पर अवैध निर्माण को नोटिस चस्पा</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>इसके साथ ही बुलडोजर कार्रवाई पर उन्होंने कहा कि यह सरकार अपनी मनमाने ढंग से जो चाहती है वह करती है. जो 3 दिन का समय दिया गया है, घर इतने दिनों से बना है तीन दिनों के अंदर कैसे कोई वहां से हट जाएगा उनको पर्याप्त समय देना चाहिए. बता दें कि बहराइच हिंसा के बीच प्रशासन की तरफ से आरोपियों के घर पर अवैध निर्माण को नोटिस चस्पा किया गया और उन्हें घर तीन दिन में खाली करने को कहा गया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong><a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/sisamau-bypoll-elections-2024-samajwadi-party-meeting-rucks-between-mla-and-district-president-ann-2806610″>सपा की बैठक में आपस में भिड़े विधायक और जिलाध्यक्ष, फिर जमकर हुई तू तू मैं मैं</a></strong></p>
Devendra Fadnavis: ‘शांत-शर्मीले और बैकबेंचर, लेकिन…’, देवेंद्र फडणवीस के स्टूडेंट लाइफ की अनसुनी कहानी
Devendra Fadnavis: ‘शांत-शर्मीले और बैकबेंचर, लेकिन…’, देवेंद्र फडणवीस के स्टूडेंट लाइफ की अनसुनी कहानी <p style=”text-align: justify;”><strong>Devendra Fadnavis Story:</strong> स्कूल में हमेशा लास्ट बेंच पर बैठने वाले शांत और शर्मिले देवेंद्र फडणवीस का चयन आज महाराष्ट्र की पहली कुर्सी पर बैठने के लिए किया गया है. स्कूल के समय का एक शर्मीला लड़का महाराष्ट्र का एक सफल और अक्रामक नेता कैसे बना? एबीपी न्यूज की खास रिपोर्ट में देवेंद्र फडणवीस के शिक्षकों ने महाराष्ट्र के नए सीएम के कुछ अनकहे किस्से सुनाए. </p>
<p style=”text-align: justify;”>नागपुर के शंकर नगर इलाके में स्थित सरस्वती विद्यालय में देवेंद्र फडणवीस की स्कूली पढ़ाई हुई है. स्कूल के ग्राउंड फ्लोर पर A4 क्लास की आखिरी बेंच पर बैठकर ही देवेंद्र फडणवीस ने 8वीं से 10वीं तक की पढ़ाई की और अब एक बार फिर महाराष्ट्र के सबसे महत्वपूर्ण पद यानी सीएम की कुर्सी तक पहुंचे हैं. लेकिन, देवेंद्र फडणवीस अपनी क्लास में अंतिम बेंच पर क्यों बैठते थे? यह किस्सा भी काफी रोचक है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>वर्तमान में सरस्वती स्कूल की प्रिंसिपल पुष्पा अनंत नारायण ने बताया कि खास बात यह कि 2010 में जब देवेंद्र फडणवीस की 10वीं बैच के 25 साल पूरे होने पर स्कूल में रियूनियन का कार्यक्रम हुआ था, उस समय भी देवेंद्र फडणवीस ने अपनी पुरानी लास्ट बेंच पर बैठना ही पसंद किया था. वे अपने स्कूली सहपाठियों के साथ उसी लास्ट बेंच पर बैठे थे.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>फडणवीस के शिक्षकों ने बताए अनसुने किस्से</strong><br />आज एक सफल नेता के रूप में जाने जाने वाले नेता देवेंद्र फडणवीस पढ़ाई में बेहद साधारण थे. उनकी क्लास टीचर रहीं सावित्री सुब्रमनियम के अनुसार, देवेंद्र फडणवीस हमेशा ही शांत और गंभीर बालक थे, लेकिन क्लास के दोस्तों के साथ दोस्ती निभाने में उनका कोई मुकाबला नहीं था. उन्होंने पुराने दिनों को याद करते हुए बताया कि किसी एक की गलती पर फडणवीस और उनकी पूरी क्लास सजा भुगतती थी, लेकिन गलती किसकी थी यह कभी टीचरों को पता नहीं चल पाता था.</p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने कहा कि जिस समय देवेंद्र फडणवीस स्कूली पढ़ाई कर रहे थे, उसी दौरान उनके पिता गंगाधर राव फडणवीस नागपुर से एमएलसी/विधायक थे, लेकिन बावजूद इसके देवेंद्र फडणवीस के व्यवहार में कभी भी ऐसा नजर नहीं आता था कि वे एक विधायक के बेटे हैं. पैर में सादी चप्पल, कंधों पर कपड़े का बैग और घुंघराले बाल यही देवेंद्र फडणवीस की पहचान थी. </p>
<p style=”text-align: justify;”>1985 में 10वीं क्लास पास करने के बाद भी देवेंद्र फडणवीस का स्कूल से नाता हमेशा कायम रहा. आज भी स्कूल के छोटे-मोटे कार्यक्रमों में वे आते रहते हैं. आज स्कूल अपने इस गुणवान विद्यार्थी पर गर्व महसूस कर रहा है.</p>
<div id=”article-hstick-inner” class=”abp-story-detail “>
<p><strong>यह भी पढ़ें: <a title=”दोपहर 3.30 बजे राज्यपाल से मिलेंगे महायुति के नेता, सरकार बनाने का पेश करेंगे दावा” href=”https://www.abplive.com/states/maharashtra/mahayuti-to-meet-governor-tomorrow-at-3-30-pm-will-stake-claim-to-form-government-2835679″ target=”_blank” rel=”noopener”>दोपहर 3.30 बजे राज्यपाल से मिलेंगे महायुति के नेता, सरकार बनाने का पेश करेंगे दावा</a></strong></p>
</div>