क्या मानव भेड़िए भी होते हैं?:चांद की तरफ देखकर क्यों गुर्राते हैं; अमावस की रात ज्यादा आक्रामक होने की वजह क्या?

क्या मानव भेड़िए भी होते हैं?:चांद की तरफ देखकर क्यों गुर्राते हैं; अमावस की रात ज्यादा आक्रामक होने की वजह क्या?

यूपी के बहराइच और सीतापुर में भेड़ियों के लगातार हमले हो रहे हैं। अकेले बहराइच में 9 बच्चों समेत 10 लोगों की मौत हो चुकी है, पड़ोसी जिले सीतापुर में भी एक की जान गई है। रात में भेड़िए हमला करते हैं और दिन में गायब हो जाते हैं। लगातार हो रहे हमलों की वजह से CM योगी को कार्रवाई का आदेश देना पड़ा। इधर, मानव भेड़िया पर स्त्री-2 फिल्म आई, जिसकी चर्चा चल रही है। भेड़ियों को लेकर कई कहानियां हैं, भ्रांतियां हैं। इन पर फिल्में बन चुकी हैं? भास्कर एक्सप्लेनर में जानिए सब कुछ… भेड़िए रात में ही हमला क्यों करते हैं?
भेड़िए अक्सर रात ही में हमले करते हैं। बहराइच के मामले में भी सामने आया कि भेड़ियों ने जितने लोगों पर हमला किया, ज्यादातर रात में ही किया। वन्य जीवों के जानकारों ने इसके पीछे वजह बताई कि भेड़िए खूंखार होते हैं, लेकिन इन्हें भी इंसानी आबादी से डर लगता है। यही वजह है कि दिन में शिकार के लिए कम निकलते हैं। जब भी ये शिकार पर निकलते हैं, झुंड में होते हैं। रात में अपने शिकार पर हमला करते हैं। बहराइच में भेड़ियों ने ज्यादातर बच्चों को टारगेट किया। इसके पीछे वजह है कि इनके लिए बच्चों को दबोचकर भागना आसान होता है। शिकार झपटकर फुर्ती से भागते हैं भेड़िए
भेड़िए शिकार दबोचने में काफी फुर्तीले होते हैं। ये 55 से 70 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकते हैं। शिकार पकड़ने के लिए 16 फीट तक की छलांग लगा सकते हैं। अगर शिकार को तेजी से झपटना हो तो ये उसके पीछे करीब आधे घंटे तक दौड़ लगा सकते हैं। शिकार के लिए 20 किलोमीटर के एरिया में जा सकते हैं। क्या भेड़ियों की सूंघने की क्षमता ज्यादा होती है?
भेड़िए को पूरी दुनिया या तो हरी दिखती है या पीली। असल में भेड़िए इंसानों की तरह दुनिया को रंगीन नहीं देख पाते। उनके लिए हरा और पीला के अलावा किसी दूसरे रंग को पहचान पाना मुश्किल है। हालांकि, इंसानों की तुलना में भेड़िए अल्ट्रावॉयलेट लाइट्स को लेकर ज्यादा सेंसिटिव होते हैं। इसे लेकर 2014 में एक रिसर्च किया गया। इसमें यह भी बताया गया कि कुत्तों और भेड़िए का विजन यानी देखने की क्षमता इंसानों से 3 गुना ज्यादा ब्लर होती है। ये भी दिलचस्प है कि भेड़िए और कुत्ते कम रोशनी में इंसानों से ज्यादा बेहतर देख सकते हैं। किसी हलचल वाली जगह पर भी उनकी निगाह तेजी से काम करती है। रात के अंधेरे में देखने पर भेड़ियों की आंखें चमकती हैं। यह उनकी आंखों में पाए जाने वाले टेपेटम ल्यूसिडम नाम के रिफ्लेक्टिव लेयर की वजह से होता है। मेर्क मैन्युअल फॉर वेट्रेनरी मेडिसिन की एक रिसर्च के मुताबिक, भेड़ियों की सबसे बड़ी खासियत उनकी सुनने और सूंघने की क्षमता है। वो इंसानों की तुलना में 5 गुना बेहतर सुन पाते हैं। वहीं सूंघने की क्षमता की बात आती है, तो वह इंसानों से एक हजार गुना बेहतर होती है। वो कई गंध को एक ही समय में बेहतर तरीके से अलग-अलग सेंस कर पाते हैं। यही वजह है, क्राइम से लेकर आर्म्ड फोर्सेस में स्निफर यानी सूंघने वाले कुत्तों का इस्तेमाल किया जाता है। अमावस की रात भेड़िए ज्यादा आक्रामक हो जाते हैं?
कहा जाता है, अमावस्या (अमावस) की रात भेड़िए ज्यादा आक्रामक हो जाते हैं। दरअसल, इसके पीछे वजह है कि अमावस की रात सबसे अंधेरे की रात होती है। पूर्णिमा (चांदनी रात) या उसके आसपास की रात में आसमान में उजियारा ज्यादा होता है। ऐसे में भेड़िए आबादी वाले इलाकों में जाने से बचते हैं। अमावस की रात में इनके लिए शिकार करना अन्य रात की अपेक्षा आसान होता है। ये 3 भ्रांतियां हैं, जिनके जवाब… 1- चांद पर गुर्राते हैं भेड़िए
लोगों में भ्रम है कि भेड़िए चांद को देखकर गुर्राते हैं। वन्य जीव वैज्ञानिकों का मानना है कि भेड़िया जब आवाज निकालता है तो अपना सिर ऊपर उठाता है, ताकि आवाज तेज निकले। लोगों को लगता है, चांद को देखकर गुर्राते (हुंआते) हैं। हुंआने की आवाज 180 डेसिबल तक हो सकती है। 2- इंसानी खून के प्यासे होते हैं
यह किस्से-कहानियों का पार्ट है। ऐसा नहीं है। कुछ मामलों को छोड़ दिया जाए, तो भेड़िए इंसानों को देखकर भाग जाते हैं। लेकिन, मौका मिलने पर बच्चों पर हमला करते हैं। 3- मानव भेड़िया का जिक्र वेयरवुल्फ या मानव भेड़िया एक मिथक क्रीचर है। पुरानी कहानियों में मानव भेड़ियों का जिक्र मिलता है। पौराणिक कहानियों और इतिहासकारों के अनुसार, ऐसा किसी भेड़िए के काटने पर होता है। भेड़िया जब इंसानी शरीर में प्रवेश कर जाता है, तो उसे मानव भेड़िया कहा जाता है। क्या नेउरी जनजाति भेड़िया बन शिकार करती थी?
मानव भेड़ियों को लेकर दुनियाभर में कई तरह की मान्यता है। इतिहास की बात की जाए तो पोलैंड और बेलारूस में कभी नेउरी जनजाति थी। पांचवीं शताब्दी के सबसे पुराने इतिहासकारों में से एक हेरोटोटस ने इसका जिक्र किया था। माना जाता है, इस जनजाति के लोग साल में एक बार भेड़िया बनकर उसकी तरह शिकार करते थे। ‘द सिटी ऑफ गॉड’ के राइटर इटली के बिशप सेंट ऑगस्टाइन ऑफ हिप्पो ने भी ऐसी डायनों का जिक्र किया है, जो भेड़िए में बदल जाती थीं। कई यूरोपियन इतिहासकारों का मानना है, 1500 ईसवी के समय लोग इंसानी मांस भी खा जाते थे। ऐसे लोगों को ही मानव भेड़िया कहा जाता था। मानव भेड़िए को लेकर डॉक्टर और रिसर्च क्या कहती है? कहानियों और फिल्मों में मानव भेड़ियों का जिक्र
हॉलीवुड और बॉलीवुड की कई फिल्में भी मानव भेड़ियों को बेस कर बनाई गई हैं। हाल ही में एक्टर वरुण धवन और कृति सेनन की फिल्म ‘स्त्री-2’ आई है, जिसमें मानव भेड़िए का जिक्र है। ये ऐसी कहानी है, जिसमें किसी व्यक्ति को भेड़िए ने काटा। इसके बाद वह खुद भेड़िया बनकर लोगों का शिकार करने लगा। 2 साल पहले भी एक्टर वरुण धवन और कृति सेनन की ‘भेड़िया’ फिल्म आई थी, जिसकी कहानी में मानव भेड़िया था। ये भी पढ़ें… मां के साथ सो रही बच्ची उठा ले गया भेड़िया; बहराइच में दोनों हाथ खा गया, शव देख मां बेहोश बहराइच में आदमखोर भेड़िए और खूंखार हो गए हैं। रविवार रात 1 बजे मां के बगल में सो रही 3 साल की बच्ची को उठा ले गया। मां चिल्लाकर पीछे भागी, लेकिन पलक झपकते ही भेड़िया गायब हो गया। 2 घंटे बाद बच्ची का शव घर से एक किमी दूर मिला। भेड़िया दोनों हाथ खा चुका था। मासूम का शव देखते ही मां बेहोश होकर गिर गई। पढ़ें पूरी खबर… यूपी के बहराइच और सीतापुर में भेड़ियों के लगातार हमले हो रहे हैं। अकेले बहराइच में 9 बच्चों समेत 10 लोगों की मौत हो चुकी है, पड़ोसी जिले सीतापुर में भी एक की जान गई है। रात में भेड़िए हमला करते हैं और दिन में गायब हो जाते हैं। लगातार हो रहे हमलों की वजह से CM योगी को कार्रवाई का आदेश देना पड़ा। इधर, मानव भेड़िया पर स्त्री-2 फिल्म आई, जिसकी चर्चा चल रही है। भेड़ियों को लेकर कई कहानियां हैं, भ्रांतियां हैं। इन पर फिल्में बन चुकी हैं? भास्कर एक्सप्लेनर में जानिए सब कुछ… भेड़िए रात में ही हमला क्यों करते हैं?
भेड़िए अक्सर रात ही में हमले करते हैं। बहराइच के मामले में भी सामने आया कि भेड़ियों ने जितने लोगों पर हमला किया, ज्यादातर रात में ही किया। वन्य जीवों के जानकारों ने इसके पीछे वजह बताई कि भेड़िए खूंखार होते हैं, लेकिन इन्हें भी इंसानी आबादी से डर लगता है। यही वजह है कि दिन में शिकार के लिए कम निकलते हैं। जब भी ये शिकार पर निकलते हैं, झुंड में होते हैं। रात में अपने शिकार पर हमला करते हैं। बहराइच में भेड़ियों ने ज्यादातर बच्चों को टारगेट किया। इसके पीछे वजह है कि इनके लिए बच्चों को दबोचकर भागना आसान होता है। शिकार झपटकर फुर्ती से भागते हैं भेड़िए
भेड़िए शिकार दबोचने में काफी फुर्तीले होते हैं। ये 55 से 70 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकते हैं। शिकार पकड़ने के लिए 16 फीट तक की छलांग लगा सकते हैं। अगर शिकार को तेजी से झपटना हो तो ये उसके पीछे करीब आधे घंटे तक दौड़ लगा सकते हैं। शिकार के लिए 20 किलोमीटर के एरिया में जा सकते हैं। क्या भेड़ियों की सूंघने की क्षमता ज्यादा होती है?
भेड़िए को पूरी दुनिया या तो हरी दिखती है या पीली। असल में भेड़िए इंसानों की तरह दुनिया को रंगीन नहीं देख पाते। उनके लिए हरा और पीला के अलावा किसी दूसरे रंग को पहचान पाना मुश्किल है। हालांकि, इंसानों की तुलना में भेड़िए अल्ट्रावॉयलेट लाइट्स को लेकर ज्यादा सेंसिटिव होते हैं। इसे लेकर 2014 में एक रिसर्च किया गया। इसमें यह भी बताया गया कि कुत्तों और भेड़िए का विजन यानी देखने की क्षमता इंसानों से 3 गुना ज्यादा ब्लर होती है। ये भी दिलचस्प है कि भेड़िए और कुत्ते कम रोशनी में इंसानों से ज्यादा बेहतर देख सकते हैं। किसी हलचल वाली जगह पर भी उनकी निगाह तेजी से काम करती है। रात के अंधेरे में देखने पर भेड़ियों की आंखें चमकती हैं। यह उनकी आंखों में पाए जाने वाले टेपेटम ल्यूसिडम नाम के रिफ्लेक्टिव लेयर की वजह से होता है। मेर्क मैन्युअल फॉर वेट्रेनरी मेडिसिन की एक रिसर्च के मुताबिक, भेड़ियों की सबसे बड़ी खासियत उनकी सुनने और सूंघने की क्षमता है। वो इंसानों की तुलना में 5 गुना बेहतर सुन पाते हैं। वहीं सूंघने की क्षमता की बात आती है, तो वह इंसानों से एक हजार गुना बेहतर होती है। वो कई गंध को एक ही समय में बेहतर तरीके से अलग-अलग सेंस कर पाते हैं। यही वजह है, क्राइम से लेकर आर्म्ड फोर्सेस में स्निफर यानी सूंघने वाले कुत्तों का इस्तेमाल किया जाता है। अमावस की रात भेड़िए ज्यादा आक्रामक हो जाते हैं?
कहा जाता है, अमावस्या (अमावस) की रात भेड़िए ज्यादा आक्रामक हो जाते हैं। दरअसल, इसके पीछे वजह है कि अमावस की रात सबसे अंधेरे की रात होती है। पूर्णिमा (चांदनी रात) या उसके आसपास की रात में आसमान में उजियारा ज्यादा होता है। ऐसे में भेड़िए आबादी वाले इलाकों में जाने से बचते हैं। अमावस की रात में इनके लिए शिकार करना अन्य रात की अपेक्षा आसान होता है। ये 3 भ्रांतियां हैं, जिनके जवाब… 1- चांद पर गुर्राते हैं भेड़िए
लोगों में भ्रम है कि भेड़िए चांद को देखकर गुर्राते हैं। वन्य जीव वैज्ञानिकों का मानना है कि भेड़िया जब आवाज निकालता है तो अपना सिर ऊपर उठाता है, ताकि आवाज तेज निकले। लोगों को लगता है, चांद को देखकर गुर्राते (हुंआते) हैं। हुंआने की आवाज 180 डेसिबल तक हो सकती है। 2- इंसानी खून के प्यासे होते हैं
यह किस्से-कहानियों का पार्ट है। ऐसा नहीं है। कुछ मामलों को छोड़ दिया जाए, तो भेड़िए इंसानों को देखकर भाग जाते हैं। लेकिन, मौका मिलने पर बच्चों पर हमला करते हैं। 3- मानव भेड़िया का जिक्र वेयरवुल्फ या मानव भेड़िया एक मिथक क्रीचर है। पुरानी कहानियों में मानव भेड़ियों का जिक्र मिलता है। पौराणिक कहानियों और इतिहासकारों के अनुसार, ऐसा किसी भेड़िए के काटने पर होता है। भेड़िया जब इंसानी शरीर में प्रवेश कर जाता है, तो उसे मानव भेड़िया कहा जाता है। क्या नेउरी जनजाति भेड़िया बन शिकार करती थी?
मानव भेड़ियों को लेकर दुनियाभर में कई तरह की मान्यता है। इतिहास की बात की जाए तो पोलैंड और बेलारूस में कभी नेउरी जनजाति थी। पांचवीं शताब्दी के सबसे पुराने इतिहासकारों में से एक हेरोटोटस ने इसका जिक्र किया था। माना जाता है, इस जनजाति के लोग साल में एक बार भेड़िया बनकर उसकी तरह शिकार करते थे। ‘द सिटी ऑफ गॉड’ के राइटर इटली के बिशप सेंट ऑगस्टाइन ऑफ हिप्पो ने भी ऐसी डायनों का जिक्र किया है, जो भेड़िए में बदल जाती थीं। कई यूरोपियन इतिहासकारों का मानना है, 1500 ईसवी के समय लोग इंसानी मांस भी खा जाते थे। ऐसे लोगों को ही मानव भेड़िया कहा जाता था। मानव भेड़िए को लेकर डॉक्टर और रिसर्च क्या कहती है? कहानियों और फिल्मों में मानव भेड़ियों का जिक्र
हॉलीवुड और बॉलीवुड की कई फिल्में भी मानव भेड़ियों को बेस कर बनाई गई हैं। हाल ही में एक्टर वरुण धवन और कृति सेनन की फिल्म ‘स्त्री-2’ आई है, जिसमें मानव भेड़िए का जिक्र है। ये ऐसी कहानी है, जिसमें किसी व्यक्ति को भेड़िए ने काटा। इसके बाद वह खुद भेड़िया बनकर लोगों का शिकार करने लगा। 2 साल पहले भी एक्टर वरुण धवन और कृति सेनन की ‘भेड़िया’ फिल्म आई थी, जिसकी कहानी में मानव भेड़िया था। ये भी पढ़ें… मां के साथ सो रही बच्ची उठा ले गया भेड़िया; बहराइच में दोनों हाथ खा गया, शव देख मां बेहोश बहराइच में आदमखोर भेड़िए और खूंखार हो गए हैं। रविवार रात 1 बजे मां के बगल में सो रही 3 साल की बच्ची को उठा ले गया। मां चिल्लाकर पीछे भागी, लेकिन पलक झपकते ही भेड़िया गायब हो गया। 2 घंटे बाद बच्ची का शव घर से एक किमी दूर मिला। भेड़िया दोनों हाथ खा चुका था। मासूम का शव देखते ही मां बेहोश होकर गिर गई। पढ़ें पूरी खबर…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर