बरेली कोर्ट ने तीन बच्चों की मां से रेप के आरोपी युवक को बाइज्जत बरी कर दिया है। साथ ही वादी महिला पर आरोपी को गिरफ्तार कराने के मामले में दोषी मानकर ₹1000 का जुर्माना लगाया है। कोर्ट ने इस मामले में विवेचना करने वाले दरोगा, प्रेमनगर थाने के तत्कालीन इंस्पेक्टर और सर्किल के सीओ पर कार्रवाई के लिए एसएसपी को आदेश दिया है। यह फैसला ज्ञानवापी पर फैसला सुनाने वाले जज रवि कुमार दिवाकर की कोर्ट ने 31अगस्त को सुनाया। कोर्ट ने कहा कि सहमति से बनाए गए शारीरिक संबंध रेप की श्रेणी में नहीं आते हैं। साथ ही कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि तीन बच्चों की मां शादी के झांसे में कैसे आ सकती है। महिला बालिग है। और हिंदू धर्म में महिला का तलाक नहीं हुआ है और वह शादीशुदा है। बरेली, गाजियाबाद व मुरादाबाद के होटल में ले जाकर महिला को साथ रखा तो महिला पत्नी की तरह रही। अब पढ़िया क्या है पूरा मामला
बरेली के कर्मचारी नगर की रहने वाली 34 साल की महिला के तीन बच्चे हैं। आरोप है कि महिला के शिवम से संबंध थे और 2016-2019 तक चले। इस पूरे मामले में महिला ने शिवम पर आरोप लगाया कि उसने शादी का झांसा देकर उसके साथ 3 साल तक दुष्कर्म किया। 2019 में महिला ने प्रेमनगर थाना में रिपोर्ट दर्ज कराई। मुकदमा दर्ज होने के बाद पुलिस ने युवक को जेल भेज दिया। अब पढ़िए फास्ट ट्रैक कोर्ट के जज ने क्या कहा…
पूरे मामले में स्पेशल जज फास्ट ट्रैक कोर्ट रवि कुमार दिवाकर का कहना है कि फेयर इन्वेस्टिगेशन न केवल वादी मुकदमा बल्कि अभियुक्त का भी मौलिक अधिकार है। कोर्ट पर वादी मुकदमा और अभियुक्त के अधिकारों की रक्षा करने की संपूर्ण जिम्मेदारी है। यदि वादी मुकदमा या पुलिस की ओर से अधिकारों का दुरुपयोग किया जाता है और अभियुक्त को गलत केस में फंसाया जाता है तो वादी मुकदमा एवं पुलिस को निश्चित रूप से दंडित करना चाहिए। प्रश्नगत मामले में पुलिस की ओर से निश्चित रूप से सत्य और निराधार आरोप पत्र दाखिल कर अधिकारों का दुरुपयोग किया गया है। पुलिस की विवेचना पर उठे कई सवाल
बरेली पुलिस की विवेचना पर जुलाई माह में भी सवाल उठे। जब फर्जी तरह से धर्म परिवर्तन के मामले में कोर्ट ने दरोगा, थाना प्रभारी और सर्किल के सीओ पर कार्रवाई के आदेश दिए। इसमें एक युवक को 40 दिन तक जेल जाना पड़ा। अब प्रेमनगर थाने की पुलिस की विवेचना पर कोर्ट ने सवाल उठाए हैं। बरेली की अदालत में बरेली पुलिस प्रशासन की ओर से आरोपी की विवेचना में पुलिस तथ्यात्मक साक्ष्य जुटाये बगैर चार्जशीट लगा देती है। ये खबर भी पढ़ें… फर्जी रेप में 4.5 साल जेल काटने वाले का दर्द:कहा- मुझे फंसाया, जिंदगी बर्बाद कर दी मुझे कैमरे पर नहीं आना। मेरी फोटो-वीडियो मत दिखाइए। बरेली में मुझे जो जख्म मिले, वो अब किसी और को न मिले। निशा ने मेरी जिंदगी खराब कर दी। मेरे ऊपर बहुत गंदा आरोप लगाया। बीमार मां मेरे लिए कितना परेशान रही, मैं ही जानता हूं। पढ़ें पूरी खबर ‘धर्मांतरण के झूठे केस में 40 दिन जेल में रहा’:बरेली में बाइज्जत बरी हुए युवक का दर्द, मेरी जिंदगी बर्बाद कर दी ‘मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि जेल जाना पड़ेगा। हमारा हंसता-खेलता परिवार था। अच्छी नौकरी थी। फिर न जाने कैसे-कब, क्या हुआ? लाइफ में उथल-पुथल मच गई। मुझे धर्मांतरण के फर्जी केस में फंसा दिया गया। मैं हिंदू हूं, अपना धर्म कैसे बदल सकता हूं? लेकिन, मेरे ऊपर एक हिंदुवादी संगठन ने गलत आरोप लगा दिया। मेरी जिंदगी बर्बाद कर दी। पढ़ें पूरी खबर बरेली कोर्ट ने तीन बच्चों की मां से रेप के आरोपी युवक को बाइज्जत बरी कर दिया है। साथ ही वादी महिला पर आरोपी को गिरफ्तार कराने के मामले में दोषी मानकर ₹1000 का जुर्माना लगाया है। कोर्ट ने इस मामले में विवेचना करने वाले दरोगा, प्रेमनगर थाने के तत्कालीन इंस्पेक्टर और सर्किल के सीओ पर कार्रवाई के लिए एसएसपी को आदेश दिया है। यह फैसला ज्ञानवापी पर फैसला सुनाने वाले जज रवि कुमार दिवाकर की कोर्ट ने 31अगस्त को सुनाया। कोर्ट ने कहा कि सहमति से बनाए गए शारीरिक संबंध रेप की श्रेणी में नहीं आते हैं। साथ ही कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि तीन बच्चों की मां शादी के झांसे में कैसे आ सकती है। महिला बालिग है। और हिंदू धर्म में महिला का तलाक नहीं हुआ है और वह शादीशुदा है। बरेली, गाजियाबाद व मुरादाबाद के होटल में ले जाकर महिला को साथ रखा तो महिला पत्नी की तरह रही। अब पढ़िया क्या है पूरा मामला
बरेली के कर्मचारी नगर की रहने वाली 34 साल की महिला के तीन बच्चे हैं। आरोप है कि महिला के शिवम से संबंध थे और 2016-2019 तक चले। इस पूरे मामले में महिला ने शिवम पर आरोप लगाया कि उसने शादी का झांसा देकर उसके साथ 3 साल तक दुष्कर्म किया। 2019 में महिला ने प्रेमनगर थाना में रिपोर्ट दर्ज कराई। मुकदमा दर्ज होने के बाद पुलिस ने युवक को जेल भेज दिया। अब पढ़िए फास्ट ट्रैक कोर्ट के जज ने क्या कहा…
पूरे मामले में स्पेशल जज फास्ट ट्रैक कोर्ट रवि कुमार दिवाकर का कहना है कि फेयर इन्वेस्टिगेशन न केवल वादी मुकदमा बल्कि अभियुक्त का भी मौलिक अधिकार है। कोर्ट पर वादी मुकदमा और अभियुक्त के अधिकारों की रक्षा करने की संपूर्ण जिम्मेदारी है। यदि वादी मुकदमा या पुलिस की ओर से अधिकारों का दुरुपयोग किया जाता है और अभियुक्त को गलत केस में फंसाया जाता है तो वादी मुकदमा एवं पुलिस को निश्चित रूप से दंडित करना चाहिए। प्रश्नगत मामले में पुलिस की ओर से निश्चित रूप से सत्य और निराधार आरोप पत्र दाखिल कर अधिकारों का दुरुपयोग किया गया है। पुलिस की विवेचना पर उठे कई सवाल
बरेली पुलिस की विवेचना पर जुलाई माह में भी सवाल उठे। जब फर्जी तरह से धर्म परिवर्तन के मामले में कोर्ट ने दरोगा, थाना प्रभारी और सर्किल के सीओ पर कार्रवाई के आदेश दिए। इसमें एक युवक को 40 दिन तक जेल जाना पड़ा। अब प्रेमनगर थाने की पुलिस की विवेचना पर कोर्ट ने सवाल उठाए हैं। बरेली की अदालत में बरेली पुलिस प्रशासन की ओर से आरोपी की विवेचना में पुलिस तथ्यात्मक साक्ष्य जुटाये बगैर चार्जशीट लगा देती है। ये खबर भी पढ़ें… फर्जी रेप में 4.5 साल जेल काटने वाले का दर्द:कहा- मुझे फंसाया, जिंदगी बर्बाद कर दी मुझे कैमरे पर नहीं आना। मेरी फोटो-वीडियो मत दिखाइए। बरेली में मुझे जो जख्म मिले, वो अब किसी और को न मिले। निशा ने मेरी जिंदगी खराब कर दी। मेरे ऊपर बहुत गंदा आरोप लगाया। बीमार मां मेरे लिए कितना परेशान रही, मैं ही जानता हूं। पढ़ें पूरी खबर ‘धर्मांतरण के झूठे केस में 40 दिन जेल में रहा’:बरेली में बाइज्जत बरी हुए युवक का दर्द, मेरी जिंदगी बर्बाद कर दी ‘मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि जेल जाना पड़ेगा। हमारा हंसता-खेलता परिवार था। अच्छी नौकरी थी। फिर न जाने कैसे-कब, क्या हुआ? लाइफ में उथल-पुथल मच गई। मुझे धर्मांतरण के फर्जी केस में फंसा दिया गया। मैं हिंदू हूं, अपना धर्म कैसे बदल सकता हूं? लेकिन, मेरे ऊपर एक हिंदुवादी संगठन ने गलत आरोप लगा दिया। मेरी जिंदगी बर्बाद कर दी। पढ़ें पूरी खबर उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर