<p>हरियाणा में गठबंधन की बातचीत के बीच दिल्ली में आम आदमी पार्टी को कांग्रेस ने झटका दिया है. आप विधायक और पूर्व मंत्री राजेंद्र पाल गौतम आज कांग्रेस में शामिल होंगे.</p> <p>हरियाणा में गठबंधन की बातचीत के बीच दिल्ली में आम आदमी पार्टी को कांग्रेस ने झटका दिया है. आप विधायक और पूर्व मंत्री राजेंद्र पाल गौतम आज कांग्रेस में शामिल होंगे.</p> दिल्ली NCR Moradabad News: नाम बदलकर शादीशुदा युवती से की दोस्ती, दुष्कर्म कर धर्मांतरण का बनाया दबाव, FIR दर्ज
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महेंद्रगढ़ में कार ने बाइक को टक्कर मारी:दो युवक घायल; एडमिशन कराने सेंट्रल यूनिवर्सिटी जा रहे थे दोनों दोस्त
महेंद्रगढ़ में कार ने बाइक को टक्कर मारी:दो युवक घायल; एडमिशन कराने सेंट्रल यूनिवर्सिटी जा रहे थे दोनों दोस्त महेंद्रगढ़ जिले में बाइक सवार दो युवकों को कार ने टक्कर मार दी है। हादसे में दोनों युवक घायल हो गए। जिसे राहगीरों ने इलाज के लिए अस्पताल में दाखिल करवाया। पुलिस ने कार चालक के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। हादसा पाली गांव बस स्टैंड के पास हुआ है। बेवल गांव निवासी सचिन ने बताया कि 30 जुलाई को वह अपने दोस्त हर्ष निवासी नूरगढ़ जिला गुरुग्राम जो फिलहाल महेंद्रगढ़ में नजदीक फ्लाई ओवर के पास रहता है। बाइक पर सवार होकर एडमिशन करवाने के लिए सेंट्रल यूनिवर्सिटी पाली जा रहे थे। हर्ष बाइक चल रहा था और पीछे सचिन बैठा हुआ था। करीब 12 बजे दोनों पाली बस स्टैंड के पास पहुंचे, तो हमारे आगे एक शिफ्ट कार चालक अपनी कार को तेज रफ्तार से चलाता जा रहा था। हम अपनी साइड में चल रहे थे। कार चालक ने अचानक बाइक की साइड कट मार दिया। जिससे एक्सीडेंट हो गया। गाड़ी चालक अपनी गाड़ी को मौके पर छोड़कर भाग गया। फिलहाल सचिन और हर्ष का महेंद्रगढ़ के एक निजी हॉस्पीटल में इलाज चल रहा है।
गोहाना में अरविंद शर्मा पर ‘कमल’ खिलाने का दबाव:विरोध के बावजूद BJP ने दिया टिकट; यहां कभी मुकाबले में नहीं रही भाजपा
गोहाना में अरविंद शर्मा पर ‘कमल’ खिलाने का दबाव:विरोध के बावजूद BJP ने दिया टिकट; यहां कभी मुकाबले में नहीं रही भाजपा हरियाणा के सोनीपत जिले की गोहाना विधानसभा सीट पर भाजपा ने विरोध के बावजूद रोहतक से लोकसभा चुनाव हारे पूर्व सांसद अरविंद शर्मा को प्रत्याशी घोषित कर दिया है। बाहरी प्रत्याशी को टिकट देने के पीछे भाजपा के चुनावी समीकरण क्या हैं, नेता व आमजन इसके जोड़तोड़ में जुट गए हैं। अरविंद शर्मा पर गोहाना हलके में ‘कमल खिलाने’ का दारोमदार है। इस हलके से भाजपा आज तक कोई विधानसभा चुनाव नहीं जीत सकी है। माना जा रहा है कि यहां पर भाजपा के पास कोई बड़ा चेहरा नहीं था। हालांकि पहलवान योगेश्वर दत्त और 2019 में हारे तीर्थ राणा, वीरेंद्र आर्य भी टिकट मांग रहे थे, लेकिन BJP ने तीनों को किनारे कर दिया। गोहाना हलके में ब्राह्मण समाज की वोट अन्य वर्गों की तुलना में काफी कम हैं। हलके का इतिहास देखें तो 1967 व 1968 के चुनाव में रामधारी गौड यहां से चुनाव जीते थे, इसके बाद से यहां ब्राह्मण समाज से कोई विधायक नहीं रहा है। अरविंद शर्मा का नाता भी हलके से केवल यही है कि वे सोनीपत लोकसभा क्षेत्र से सांसद रह चुके हैं। गोहाना एक जाट बहुल सीट है और 1967 से अब तक हुए विधानसभा के 13 चुनाव में से 10 बार जाट समाज से ही विधायक बना है। डा. अरविंद शर्मा ने वर्ष 1996 में सोनीपत लोकसभा से निर्दलीय के तौर पर चुनाव जीतकर 2 लाख 71 हजार 552 वोट हासिल किए थे। भाजपा के स्थानीय नेता और पदाधिकारी बाहरी को टिकट देने का विरोध कर रहे थे। स्थानीय नेता सामूहिक तौर पर प्रदेशाध्यक्ष को पत्र लिख चुके हैं और दिल्ली में पहुंच कर विरोध भी जता चुके हैं। अब टिकट की घोषणा के बाद भाजपा के नेताओं का क्या रुख रहेगा इस पर सभी की नजर टिकी है। गोहाना से कभी नहीं जीती भाजपा
गोहाना विधानसभा क्षेत्र का इतिहास देखें तो यहां से भारतीय जनता पार्टी कभी भी विधानसभा चुनाव नहीं जीत सकी है। यहां हुए कुल 13 चुनावों में से 7 बार कांग्रेस जीती है। तीन चुनाव मे इनेलो-लोकदल के प्रत्याशी जीते। 1996 में बंसीलाल की हरियाणा विकास पार्टी के जगबीर सिंह मलिक जीते थे, वहीं 2 चुनावों में निर्दलीय प्रत्याशियों ने बाजी मारी। यहां भाजपा जीत के लिए तरस रही है। पिछड़ा वर्ग को लगा धक्का
गोहाना विधानसभा हलके में जातिय समीकरण की बात करें तो यहां 1 लाख 94 हजार मतदाता हैं। इनमें करीब 92 हजार वोट जाट समुदाय और अन्य नॉन जाट समुदाय के शामिल हैं। पूरे हलके में एक भी ऐसा बड़ा गांव नहीं है, जहां ब्राह्मण समाज के 4-5 हजार वोट हों। राजनीतिक दलों के नेताओं की मानें तो गोहाना हलके में ब्राह्मण व इससे जुड़े अन्य वर्गों की वोट का आंकड़ा 10 हजार के करीब है। दूसरी तरफ एससी और बीसी समाज की वोटों की बात करें तो यह 65-70 हजार के करीब है। इसमें पिछड़ा वर्ग की वोट ज्यादा हैं। इसी को देखते हुए कुरुक्षेत्र के नेता राजकुमार सैनी भी यहां से चुनाव लड़ चुके हैं। सैनी समाज से रामकुमार सैनी इनेलो की टिकट पर वर्ष 2000 में चुनाव भी जीत चुके हैं। 2014 में भाजपा की टिकट पर रामचंद्र जांगड़ा ने चुनाव लड़ा था, लेकिन वे तीसरे नंबर पर रहे थे। इस बार भी वे टिकट के दावेदार थे। अपने समाज की टिकट में अनदेखी से पिछड़ा वर्ग के लोगों में रोष है। देखें कब कौन किस पार्टी से बना विधायक
हरियाणा के डेंटल सर्जन की सरकार को चेतावनी:31 जुलाई तक का अल्टीमेटम, मांगें पूरी नहीं हुईं तो करेंगे हड़ताल
हरियाणा के डेंटल सर्जन की सरकार को चेतावनी:31 जुलाई तक का अल्टीमेटम, मांगें पूरी नहीं हुईं तो करेंगे हड़ताल हरियाणा में दो दिन तक मरीजों को सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए इधर-उधर भटकने के बाद अब रोहतक के डेंटल सर्जनों ने हड़ताल की चेतावनी दी है। अगर डेंटल सर्जन भी हड़ताल पर चले गए तो लोगों को दोबारा स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिल पाएंगी। सरकार को 31 जुलाई तक का अल्टीमेटम दिया गया है। इसको लेकर रोहतक, झज्जर, भिवानी, सोनीपत और जींद जिलों के दंत चिकित्सकों, वरिष्ठ दंत चिकित्सकों, उप चिकित्सा अधीक्षकों और उप सिविल सर्जनों ने शनिवार देर शाम रोहतक में प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान एचसीडीएस के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. रमेश पांचाल ने कहा कि पिछले 16 सालों से लंबित मांगों को पूरा करवाने के लिए गांधीवादी तरीके से आवाज उठाई। मेडिकल ऑफिसर और डेंटल सर्जन एक ही छत के नीचे एक जैसा काम करते हैं लेकिन उनका वेतनमान अलग-अलग है। इसके साथ ही उन्होंने एसीपी में भेदभाव के मुद्दे को भी प्राथमिकता से उठाया। उन्होंने कहा कि डेंटल सर्जनों को 5 साल में 100 प्रतिशत वेतन, 11 साल में 25 प्रतिशत वेतन तथा 17 साल बाद तीसरी एसीपी में मात्र 20 प्रतिशत वेतन मिल रहा है। सरकार को 31 जुलाई तक का समय दिया गया डॉ. रमेश पांचाल ने कहा कि सरकार को 31 जुलाई तक का समय दिया गया है। इसलिए सरकार को उनकी मांगें पूरी करनी चाहिए। अगर मांग पूरी नहीं हुई तो पहले वे काले बिल्ले लगाकर काम करेंगे। इसके बाद 2 घंटे की हड़ताल करेंगे और फिर भूख हड़ताल करेंगे। अगर तब भी मांग पूरी नहीं हुई तो वे हड़ताल पर चले जाएंगे। इससे पहले हरियाणा में एचसीएमएस डॉक्टर 2 दिन से हड़ताल पर हैं। अब डेंटल सर्जन ने हड़ताल की चेतावनी दी है। पड़ोसी राज्यों में वेतनमान एक जैसा उन्होंने कहा कि हरियाणा के आसपास के सभी राज्यों जैसे दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, राजस्थान आदि में मेडिकल ऑफिसर और डेंटल सर्जन एक ही वेतनमान पर काम कर रहे हैं। लेकिन हरियाणा में भी डेंटल ऑफिसर और मेडिकल ऑफिसर, मेडिकल कॉलेज में प्रोफेसर का वेतन एक ही है। डेंटल सर्जन के बाद प्रमोशन में सीनियर डेंटल सर्जन और डिप्टी सिविल सर्जन का ही पद है और उसके बाद डायरेक्टर, जबकि लंबे समय से मांग चल रही है कि उनके लिए डिप्टी डायरेक्टर के भी दो पद सृजित किए जाएं।