हरियाणा चुनाव सिर पर हैं। यह देश का एकमात्र ऐसा प्रदेश है, जो दल-बदल करने वालों का गढ़ कहा जा सकता है। 1967 में यहां गयालाल नाम के एक विधायक ने एक ही दिन में तीन बार दल बदलने का ऐसा कीर्तिमान बनाया कि उसे इतिहास में ‘आयाराम गयाराम’ के नाम से जाना जाता है। हरियाणा की लड़ाइयों में कुछ भी हो सकता है। महाभारत का ही उदाहरण ले लो। युद्ध क्षेत्र में करोड़ों सैनिक उपदेश खत्म होने का इंतजार करते रहे। सोचो, क्या दृश्य रहा होगा! दोनों तरफ सेनाएं लड़ने को उतारू थीं और उपदेश लगातार चल रहा था। लेकिन, महाभारत के समय लड़ाई में भी शालीनता होती थी। जिस बड़े योद्धा को दिन में मारा जाता था, रात में उसी के यहां जाकर मृतक को अश्रुपूरित श्रद्धांजलि देते थे। रिश्तेदारी का मामला था ना। इसलिए दिन में दुश्मनी निभाते थे और रात में रिश्तेदारी। क्रूरता व शालीनता का ऐसा संगम उसी युद्ध में देखने को मिला। सब समय के पाबंद थे। इधर सूर्य अस्त, उधर लड़ाई बंद। मजेदार यह है कि लड़ने वाले दोनों पक्षों में से हरियाणा का कोई नहीं था। एक यूपी के हस्तिनापुर से आया, एक दिल्ली के इन्द्रप्रस्थ से पहुंचा और कुरुक्षेत्र जाकर लड़ाई की। ऐसे ही पानीपत की तीनों लड़ाइयां थीं। पहली लड़ाई बाबर व इब्राहिम लोदी के बीच हुई। दूसरी अकबर-हेमू के बीच हुई और तीसरी अहमदशाह अब्दाली व मराठों के बीच हुई। इनमें से कोई हरियाणे से नहीं था। लेकिन, सबने जमीन हमारी इस्तेमाल की। उस समय कोई मेरे जैसा अक्लमंद होता तो लड़ने के लिए जमीन किराए पर देना शुरू कर देता। प्रति घंटे के हिसाब से भाड़ा फिक्स कर लेता। लाश उठवाई, जलाई और दफनाई के चार्ज अलग। कोई बहुत तगड़ा लड़ाका हो तो डिस्काउंट भी दिया जा सकता था। लेकिन, यह तो मानना पड़ेगा कि हरियाणे में लड़ने का काफी स्कोप है। वो तो मेरा बाप मुझे पैदा होने के तीन-चार साल बाद ही दिल्ली ले आया। वरना एकाध युद्ध तो मैं भी करवा ही देता। हमने इतनी बड़ी-बड़ी लड़ाइयां देख ली हैं कि अब इन टुच्ची चुनावी लड़ाइयों से हमें कोई फर्क नहीं पड़ता। हम सुबह जिसके गले पड़ते है, शाम को उसी से गले मिल लेते हैं। हरियाणे में बस एक शादी का गठबंधन है, जो लास्ट तक टिकता है। ये चुनावी गठबंधन तो ज्वलनशील है। ये तो एक-दूसरे की लाश पर भी कारोबार ढूंढता है। उधर, पीएम विदेश चले गए तो पूरे देश के पत्रकार चर्चा करने लगे कि जब वे गए तो उनके हाव-भाव से, उनकी बाॅडी लैंग्वेज से क्या लग रहा था! तरह-तरह के विचार उठे। कांग्रेसी प्रवक्ता ने कहा कि आपने गौर किया उनके माथे पर पसीने की बूंद थी। बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि वो पसीना नहीं था, वह उनके तेज की वजह से उनकी माथे की त्यौरियों में शाइनिंग आ रही थी। तब निर्दलीय बड़े खुश हो रहे होंगे। हमें खरीदने वाले तो देश में और भी बहुत हैं। एक निर्दलीय बोला कि यार मेरी पत्नी ने तो एमआरपी फिक्स कर दी है कि इससे कम में मत बिकना। इस लड़ाई में भी हरियाणा का हास्य नहीं मरता। चुनावी शोर-शराबे में मैंने किसी से पूछा के टाइम है? बोला- क्यों फांसी चढ़ेगा? मैंने पूछा- रै के बजा है? बोला- म्हारे तो लट्ठ बजा है? मैंने कहा- अरे समय बता दे समय? बोला- बहुत बुरा समय हो रहा है भाई, चुनाव का समय है। ये कॉलम भी पढ़ें… अंबानी की शादी में यही कमी रह गई!:शादी का जोश ठंडा हो जाए; तो ध्यान आएगा, हमने सुरेंद्र शर्मा को तो बुलाया ही नहीं हरियाणा चुनाव सिर पर हैं। यह देश का एकमात्र ऐसा प्रदेश है, जो दल-बदल करने वालों का गढ़ कहा जा सकता है। 1967 में यहां गयालाल नाम के एक विधायक ने एक ही दिन में तीन बार दल बदलने का ऐसा कीर्तिमान बनाया कि उसे इतिहास में ‘आयाराम गयाराम’ के नाम से जाना जाता है। हरियाणा की लड़ाइयों में कुछ भी हो सकता है। महाभारत का ही उदाहरण ले लो। युद्ध क्षेत्र में करोड़ों सैनिक उपदेश खत्म होने का इंतजार करते रहे। सोचो, क्या दृश्य रहा होगा! दोनों तरफ सेनाएं लड़ने को उतारू थीं और उपदेश लगातार चल रहा था। लेकिन, महाभारत के समय लड़ाई में भी शालीनता होती थी। जिस बड़े योद्धा को दिन में मारा जाता था, रात में उसी के यहां जाकर मृतक को अश्रुपूरित श्रद्धांजलि देते थे। रिश्तेदारी का मामला था ना। इसलिए दिन में दुश्मनी निभाते थे और रात में रिश्तेदारी। क्रूरता व शालीनता का ऐसा संगम उसी युद्ध में देखने को मिला। सब समय के पाबंद थे। इधर सूर्य अस्त, उधर लड़ाई बंद। मजेदार यह है कि लड़ने वाले दोनों पक्षों में से हरियाणा का कोई नहीं था। एक यूपी के हस्तिनापुर से आया, एक दिल्ली के इन्द्रप्रस्थ से पहुंचा और कुरुक्षेत्र जाकर लड़ाई की। ऐसे ही पानीपत की तीनों लड़ाइयां थीं। पहली लड़ाई बाबर व इब्राहिम लोदी के बीच हुई। दूसरी अकबर-हेमू के बीच हुई और तीसरी अहमदशाह अब्दाली व मराठों के बीच हुई। इनमें से कोई हरियाणे से नहीं था। लेकिन, सबने जमीन हमारी इस्तेमाल की। उस समय कोई मेरे जैसा अक्लमंद होता तो लड़ने के लिए जमीन किराए पर देना शुरू कर देता। प्रति घंटे के हिसाब से भाड़ा फिक्स कर लेता। लाश उठवाई, जलाई और दफनाई के चार्ज अलग। कोई बहुत तगड़ा लड़ाका हो तो डिस्काउंट भी दिया जा सकता था। लेकिन, यह तो मानना पड़ेगा कि हरियाणे में लड़ने का काफी स्कोप है। वो तो मेरा बाप मुझे पैदा होने के तीन-चार साल बाद ही दिल्ली ले आया। वरना एकाध युद्ध तो मैं भी करवा ही देता। हमने इतनी बड़ी-बड़ी लड़ाइयां देख ली हैं कि अब इन टुच्ची चुनावी लड़ाइयों से हमें कोई फर्क नहीं पड़ता। हम सुबह जिसके गले पड़ते है, शाम को उसी से गले मिल लेते हैं। हरियाणे में बस एक शादी का गठबंधन है, जो लास्ट तक टिकता है। ये चुनावी गठबंधन तो ज्वलनशील है। ये तो एक-दूसरे की लाश पर भी कारोबार ढूंढता है। उधर, पीएम विदेश चले गए तो पूरे देश के पत्रकार चर्चा करने लगे कि जब वे गए तो उनके हाव-भाव से, उनकी बाॅडी लैंग्वेज से क्या लग रहा था! तरह-तरह के विचार उठे। कांग्रेसी प्रवक्ता ने कहा कि आपने गौर किया उनके माथे पर पसीने की बूंद थी। बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि वो पसीना नहीं था, वह उनके तेज की वजह से उनकी माथे की त्यौरियों में शाइनिंग आ रही थी। तब निर्दलीय बड़े खुश हो रहे होंगे। हमें खरीदने वाले तो देश में और भी बहुत हैं। एक निर्दलीय बोला कि यार मेरी पत्नी ने तो एमआरपी फिक्स कर दी है कि इससे कम में मत बिकना। इस लड़ाई में भी हरियाणा का हास्य नहीं मरता। चुनावी शोर-शराबे में मैंने किसी से पूछा के टाइम है? बोला- क्यों फांसी चढ़ेगा? मैंने पूछा- रै के बजा है? बोला- म्हारे तो लट्ठ बजा है? मैंने कहा- अरे समय बता दे समय? बोला- बहुत बुरा समय हो रहा है भाई, चुनाव का समय है। ये कॉलम भी पढ़ें… अंबानी की शादी में यही कमी रह गई!:शादी का जोश ठंडा हो जाए; तो ध्यान आएगा, हमने सुरेंद्र शर्मा को तो बुलाया ही नहीं उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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नेशनल कॉन्फ्रेंस से कौन जाएगा राज्यसभा, दो नाम की चर्चा, कांग्रेस को कितनी सीट? <p style=”text-align: justify;”><strong>Jammu Kashmir News</strong>: जम्मू-कश्मीर में सरकार के गठन के तुरंत बाद इस केंद्र शासित प्रदेश की राज्यसभा की रिक्त सीटों पर चुनाव की प्रक्रिया शुरू की जाएगी. जम्मू-कश्मीर में राज्यसभा की चार सीटें हैं. इनमें से दो नेशनल कॉन्फ्रेंस अपने पास रख सकती है जबकि एक कांग्रेस को देने के आसार हैं. वहीं, बीजेपी भी यहां से अपना एक सदस्य राज्यसभा भेज सकती है क्योंकि उसके पास एक सदस्य के निर्वाचन के लिए पर्याप्त विधायक हैं. </p>
<p style=”text-align: justify;”>नेशनल कॉन्फ्रेंस की ओर से फारूक अब्दुल्ला का राज्यसभा जाना लगभग तय माना जा रहा है जबकि दूसरे नाम पर अभी चर्चा चल रही है. जम्मू-कश्मीर की ये चार सीटें फरवरी 2021 से ही रिक्त है और इन सभी का निर्वाचन फरवरी 2015 में हुआ था. इन सभी ने अपना छह साल का कार्यकाल पूरा कर लिया है. इसलिए यहां चुनाव कराया जाना है. विधानसभा ना होने कारण केंद्र शासित प्रदेश में राज्यसभा के चुनाव में तीन साल की देरी हो गई है. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>16 अक्टूबर के बाद राज्यसभा के चुनाव की कवायद होगी शुरू</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>राष्ट्रपति शासन हटने के साथ ही जम्मू-कश्मीर में सरकार बनाने की कवायद शुरू हो गई. एलजी मनोज सिन्हा ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला को सरकार बनाने का न्योता दिया है जिन्हें विधायक दल का नेता चुना गया है. अब यहां 16 अक्टूबर यानी कल शपथ ग्रहण समारोह आयोजित किया जाएगा. उमर अब्दुल्ला की पार्टी ने 42 सीटें जीती हैं जबकि सहयोगी कांग्रेस के विधायकों को मिलाने के बाद इसने बहुमत का आंकड़ा छू लिया है. नेशनल कॉन्फ्रेंस को आम आदमी पार्टी के एक विधायक और बाकी निर्दलियों का भी समर्थन है. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>नई परिस्थितियों में होगा सरकार का गठन</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>जम्मू-कश्मीर में 10 साल के बाद चुनाव कराए गए थे और 2019 के बाद नई सरकार बनने जा रही है जब यहां से अनुच्छेद 370 को हटाकर इसे केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया था. नेशनल कॉन्फ्रेंस की सरकार नई परिस्थितियों में बन रही है जब एलजी के पास ही कई बड़ी शक्तियां होंगी. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ें- <a title=”उमर अब्दुल्ला 16 अक्टूबर को लेंगे CM पद की शपथ, LG मनोज सिन्हा ने तय की तारीख” href=”https://www.abplive.com/states/jammu-and-kashmir/omar-abdullah-to-take-oath-on-16-october-as-jammu-kashmir-cm-2803563″ target=”_self”>उमर अब्दुल्ला 16 अक्टूबर को लेंगे CM पद की शपथ, LG मनोज सिन्हा ने तय की तारीख</a></strong></p>
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मेरठ में कार में दम घुटने से बच्ची की मौत:पड़ोसी की बेटी को कार में लॉक कर पार्टी करने लगा सेना का लांस नायक, 4 घंटे तड़पी मेरठ में सेना में तैनात लांस नायक पड़ोसी जवान की 3 साल की बच्ची को कार में घुमाने ले गया। रास्ते में बच्ची को कार के भीतर बंद करके साथियों के साथ पार्टी करने चला गया। बच्ची को कार में छोड़ने के बाद लांस नायक को उसके बारे में याद नहीं रहा। कई घंटे तक बच्ची की कार में बंद होने के कारण दम घुटने से मौत हो गई। मामला सेना से जुड़ा होने के कारण 5 दिन तक सामने नहीं आया। मंगलवार को पिता ने कंकरखेड़ा थाने में लांस नायक के खिलाफ बेटी की गैर इरादतन हत्या की रिपोर्ट दर्ज कराई तो पूरे मामले का खुलासा हुआ। पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही है। हरियाणा में जींद सदर थाना क्षेत्र के निडानी गांव निवासी सोमबीर पूनिया सेना में सिपाही हैं। सोमबीर मेरठ में आर्म्ड यूनिट में तैनात हैं। वे कंकरखेड़ा के फाजलपुर की राजेश एनक्लेव आर्मी कॉलोनी में परिवार के साथ रहते हैं। परिवार में पत्नी रितु, 6 माह की बेटी भावी और 3 साल की वर्तिका थी। मंगलवार को सोमबीर कंकरखेड़ा थाने पहुंचे और पुलिस को बताया कि 30 अक्टूबर को उनकी बेटी वर्तिका घर के बाहर खेल रही थी। क्वार्टर के ऊपर रहने वाला सेना में लांस नायक हिमाचल प्रदेश निवासी नरेश बेटी को गाड़ी में घुमाने के लिए ले गया। नरेश बच्ची को लेकर रोहटा रोड पहुंचा और उसे गाड़ी में छोड़कर दोस्तों के साथ पार्टी करने चला गया। उधर, कई घंटे बाद भी बच्ची घर नहीं गई तो परिवार के लोगों ने आसपास पूछताछ की। पता चला कि बच्ची को नरेश लेकर गया है। नरेश को फोन करके पूछा गया तो उसने बताया कि बच्ची तो कार में है, वह ड्यूटी पर आ गया है। तब तक बच्ची को बंद कार में कई घंटे बीत चुके थे। कार खोलकर देखा गया तो बच्ची बेदम पड़ी थी। बच्ची को अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने उसको मृत घोषित कर दिया। 10 बजे ले गया था, 2 बजे तक भूल गया कि वो कार में है
बच्ची के रिश्तेदार कृष्ण ने बताया कि सुबह 10.15 बजे आरोपी बच्ची को लेकर आर्मी कॉलोनी से निकला। उसे 2 बजे तक भी बच्ची के कार में होने की बात याद नहीं रही। अगर समय से बच्ची को कार से निकाल लिया गया होता तो वह बच जाती। पिता गए थे स्कूटी की सर्विस कराने
बच्ची के पिता सोमबीर ने बताया कि वह घटना के वक्त स्कूटी की सर्विस कराने गए थे। पत्नी ने फोन करके बेटी के घर नहीं आने की जानकारी दी। सोमबीर ने कहा कि नरेश की लापरवाही ने उनके परिवार को उजाड़ दिया है, उसको इसकी सजा मिलनी चाहिए। 19 नवंबर का को था जन्मदिन
सोमबीर ने पुलिस को बताया कि बेटी वृतिका का 19 नवंबर को जन्मदिन था। वह 3 साल की होने वाली थी। जन्मदिन की पूरी तैयारी थी। हमने पार्टी का प्लान बनाया था लेकिन सब खत्म हो गया। बेटी की मौत के बाद से मां गमगीन है। परिवार और रिश्तेदार दुखी हैं। मां रोज बेटी को याद करके आंसू बहा रही है। सेना के अफसरों को दे दी गई रिपोर्ट की जानकारी
पूरे मामले में कंकरखेड़ा इंस्पेक्टर जितेंद्र सिंह का कहना है कि परिजनों की तहरीर पर लांस नायक नरेश के खिलाफ गैर इरादतन हत्या के मामले में रिपोर्ट दर्ज कर ली गई है। लांस नायक नरेश बच्ची को कार में बंद करके दोस्तों के साथ पार्टी करने निकल गया। सेना के अधिकारियों को रिपोर्ट दर्ज किए जाने की जानकारी दे दी गई है, कानूनी कारवाही की जा रही है।
‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कभी…’, मणिपुर का जिक्र कर अशोक गहलोत ने मोहन भागवत से कर दी ये बड़ी मांग
‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कभी…’, मणिपुर का जिक्र कर अशोक गहलोत ने मोहन भागवत से कर दी ये बड़ी मांग <p style=”text-align: justify;”><strong>Rajasthan News:</strong> मणिपुर हिंसा को लेकर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बयान से सियासी खलबली मची हुई है. वहीं अब उनके बयान का जिक्र करते हुए राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पीएम मोदी और बीजेपी पर निशाना साधा है. साथ ही उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने कई बार मणिपुर का दौरा किया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>अशोक गहलोत ने एक्स हैंडल के जरिए कहा, “मणिपुर हिंसा की केंद्र सरकार द्वारा उपेक्षा को लेकर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का बयान बहुत देर से आया है. पिछले एक साल में केंद्र सरकार ने मणिपुर में हो रहे आतंरिक संघर्ष और हिंसा को गंभीरता से नहीं लिया है.”</p>
<p style=”text-align: justify;”> </p>
<blockquote class=”twitter-tweet”>
<p dir=”ltr” lang=”hi”>मणिपुर हिंसा की केन्द्र सरकार द्वारा उपेक्षा को लेकर RSS प्रमुख श्री मोहन भागवत का बयान बहुत देर से आया है। पिछले एक साल में केन्द्र सरकार ने मणिपुर में हो रहे आतंरिक संघर्ष और हिंसा को गंभीरता से नहीं लिया है। मणिपुर छोटा राज्य है परन्तु भारत का अभिन्न अंग है। श्री <a href=”https://twitter.com/RahulGandhi?ref_src=twsrc%5Etfw”>@RahulGandhi</a>…</p>
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) <a href=”https://twitter.com/ashokgehlot51/status/1800550849619583419?ref_src=twsrc%5Etfw”>June 11, 2024</a></blockquote>
<p>
<script src=”https://platform.twitter.com/widgets.js” async=”” charset=”utf-8″></script>
</p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने आगे कहा, “मणिपुर छोटा राज्य है परंतु भारत का अभिन्न अंग है. राहुल गांध ने मणिपुर का कई बार दौरा किया पर प्रधानमंत्री <a title=”नरेंद्र मोदी” href=”https://www.abplive.com/topic/narendra-modi” data-type=”interlinkingkeywords”>नरेंद्र मोदी</a> ने कभी मणिपुर जाने का प्रयास ही नहीं किया.”<br /> <br />पूर्व सीएम ने कहा, “मोहन भागवत को अब केंद्र सरकार पर दबाव बनाकर केंद्र सरकार को मणिपुर पर ध्यान देने के लिए मजबूर करना चाहिए जिससे वहां हिंसा रुक सके.”</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>मोहन भागवत ने क्या कहा?</strong><br />बता दें कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने मणिपुर हिंसा का जिक्र करते हुए कहा, “मणिपुर पिछले एक साल से शांति स्थापित होने का इंतजार कर रहा है. दस साल पहले मणिपुर में शांति थी. ऐसा लगा था कि वहां बंदूक संस्कृति खत्म हो गई है, लेकिन राज्य में अचानक हिंसा बढ़ गई है.”</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ें</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong><a title=”‘नेताजी बीजेपी में शामिल होने के लिए…’, ज्योति मिर्धा का हनुमान बेनीवाल पर करार हमला” href=”https://www.abplive.com/states/rajasthan/jyoti-mirdha-attack-on-hanuman-beniwal-says-to-join-bjp-rajasthan-ann-2712852″ target=”_blank” rel=”noopener”>’नेताजी बीजेपी में शामिल होने के लिए…’, ज्योति मिर्धा का हनुमान बेनीवाल पर करार हमला</a></strong></p>