कालिंदी एक्सप्रेस को बर्निंग ट्रेन बनाने की साजिश:सिलेंडर लगाकर 20 मीटर तक पेट्रोल छिड़का, बारूद बिछाया, वारदात के लिए यही स्पॉट क्यों चुना

कालिंदी एक्सप्रेस को बर्निंग ट्रेन बनाने की साजिश:सिलेंडर लगाकर 20 मीटर तक पेट्रोल छिड़का, बारूद बिछाया, वारदात के लिए यही स्पॉट क्यों चुना

कालिंदी एक्सप्रेस को बर्निंग ट्रेन बनाने की साजिश थी। जांच एजेंसियों को ट्रैक पर सिर्फ सिलेंडर, पेट्रोल बोतल ही नहीं मिले, बर्राजपुर स्टेशन की तरफ करीब 20 मीटर तक पेट्रोल छिड़कने के सबूत भी मिले हैं। ट्रैक के बीच सिलेंडर रखा गया था। ट्रैक से सटाकर रखी कांच की बोतल में पेट्रोल था। एक झोले में बारूद (सफेद पाउडर) रखा गया था। यह सब इशारा करता है कि बर्राजपुर और बिल्हौर के बीच 100 Km रफ्तार से दौड़ रही ट्रेन जब सिलेंडर से टकराएगी, तो धमाका होगा। गैस रिसाव के साथ इंजन आग की चपेट में आएगा। टक्कर के बाद ट्रेन को पूरी तरह से रुकने में टाइम लगेगा, तब तक पेट्रोल की मदद से आग पीछे डिब्बों तक फैल जाएगी। हादसे को बड़ा बनाने के लिए पटरी के बगल में बारूद भी रखा गया। इससे ज्यादा से ज्यादा कैजुएल्टी होगी। कम से कम 4-5 लोगों ने वारदात को अंजाम दिया
इस साजिश की IB-ATS और NIA जांच कर रही हैं। टीम में शामिल कुछ अधिकारियों के मुताबिक, जिस तरह से प्लानिंग की गई, यह 4-5 लोगों को काम हो सकता है। ऐसे में कानपुर, कन्नौज, उन्नाव, औरैया, हरदोई में टीमों को एक्टिव किया गया है। देखा जा रहा है कि आस-पास के गांव से पिछले 24 घंटे में कोई गायब तो नहीं हुआ? अगर गायब हुआ, तो उनकी पहचान क्या है? लोको पायलट ने कहा- इंजन से सिलेंडर टकराते ही इमरजेंसी ब्रेक लगाए
कालिंदी एक्सप्रेस (14117) चला रहे लोको पायलट ने बताया- ट्रेन की स्पीड करीब 100 KM प्रति घंटा रही होगी। अचानक इंजन से कुछ टकराया। तेज आवाज होते ही हमने इमरजेंसी ब्रेक लगा दिए। नीचे उतर कर कुछ दूर चल कर देखा, ट्रैक के पास एक सिलेंडर पड़ा था। रेलवे इंजीनियर रमेश चंद्र ने थाने में तहरीर दी है। इसमें लिखा है- 8 सितंबर की रात 8.37 बजे कंट्रोल को फोन आया। गाड़ी नंबर 14117 के ड्राइवर ने बताया कि BJR-UTP के बीच KM 37/8 पर इंजन से गैस सिलेंडर टकराया है। रेलवे इंजीनियर घटनास्थल पर 9.10 बजे पहुंचे। नोट कराए गए स्थान के आगे-पीछे का रेलवे ट्रैक चेक किया। KM 37/16-17 में रेल ट्रैक के बीच एक कांच की बोतल में पेट्रोल भरा मिला, जिसमें बाती लगी थी। पास में ही एक सफेद रंग का बैग रखा था। इसमें सफेद रंग का पाउडर था। 22 मिनट तक ट्रेन को रोकने के बाद आगे रवाना किया गया। इस जगह को ही क्यों चुना…
कालिंदी एक्सप्रेस को डिरेल करने की साजिश के लिए इस स्पॉट को ही क्यों चुना गया? इसका जवाब तलाशते हुए हमने पुलिस, RPF-GRP और ATS टीम के कुछ लोगों से बातचीत की। 2 कारण समझ में आए… 1. कोई आबादी नहीं
इस रेल ट्रैक के बराबर से कानपुर-अलीगढ़ हाईवे गुजरता है। जहां हादसा हुआ, उसके बराबर हाईवे पर नेवादा टोल प्लाजा है। यहां से 200 मीटर पहले एक RCC का 300 मीटर लंबा संपर्क मार्ग है। हादसे के स्पॉट से करीब 300 मीटर दूर हाईवे किनारे एक पेट्रोल पंप है। रेलवे ट्रैक से करीब 800 मीटर दूर दाहिनी तरफ कंठी निवादा और बाईं तरफ मुड़ेरी गांव हैं। ट्रैक से पैरलर एक रोड इन गांव को अलीगढ़ हाईवे से जोड़ती है। रेलवे ट्रैक के पास में कोई आबादी नहीं है। 2. भागना आसान है
300-400 मीटर दूर हाईवे पर ढाबा और टोल प्लाजा हैं। इस स्पॉट से भागना भी आसान है। हाईवे पर आने के बाद दिल्ली, अलीगढ़, आगरा और कानपुर से होकर लखनऊ की तरफ कहीं भी आसानी से जाया जा सकता है। इस थ्योरी को साबित करते हुए डॉग स्क्वायड रेलवे ट्रैक को सूंघते हुए हाईवे तक आया और रास्ता भटक गया। यह तो साफ है कि साजिश करने वाले इस तरफ से आए या इसी तरफ भागे हैं। 150 लोगों के बयान, 4 एजेंसियां जांच कर रहीं
कानपुर में ATS, IB, NIA करीब डेढ़ से दो किमी के दायरे में जांच कर रही हैं। जांच एजेंसियों ने वारदात स्थल के पास मौजूद कान्हा रसोई ढाबा से लेकर आसपास के गांवों में 150 से ज्यादा लोगों के बयान दर्ज किए। देर रात आए इनपुट के मुताबिक, NIA ने आधिकारिक रूप से कालिंदी ट्रेन हादसे की जांच टेकओवर कर ली है। कन्नौज की दुकान के CCTV में दिखे संदिग्ध
ट्रेन को जलाने की जहां साजिश हुई, वहां पर एक झोला मिला। यह छिबरामऊ (कन्नौज) के एक स्वीट हाउस का था। एक टीम ने इस स्वीट हाउस पर पहुंचकर DVR को कब्जे में लिया। दुकान का नाम है सियाराम मिष्ठान भंडार। मालिक संजय सिंह राजपूत ने कहा- जांच एजेंसियों ने जो भी सवाल पूछे, उनके बारे में बता दिया गया। DVR को भी जांच के लिए दिया गया है। CCTV में कुछ संदिग्ध दिखे हैं, मगर उनका इस साजिश से कोई संबंध है या नहीं, यह अभी स्पष्ट नहीं है। अब गांव के लोगों की बातचीत पढ़िए… दैनिक भास्कर से बातचीत में आसपास के गांव के लोगों ने ट्रेन साजिश पर बात की। क्या देखा? क्या हुआ था? यह सब गांव के लोगों ने बताया। उनका कहना है कि 8.30 से 9 बजे के बीच धमाके की आवाज सुनाई दी। हमें नहीं मालूम था कि कोई सिलेंडर ट्रेन से टकराया है। ट्रैक पर तेज रफ्तार ट्रेन धीरे-धीरे ठहर गई। करीब 25-30 मिनट के बाद ट्रेन आगे रवाना कर दी गई। सबसे पहले हमारी बातचीत कंठी नेवादा गांव के प्रताप कुशवाहा से हुई। उन्होंने कहा- हम लोगों ने एक धमाका सुना। उसके बाद सब लोग बाहर आ गए। इधर-उधर देखने लगे। अंधेरा था, मगर ट्रेन दिख रही थी। जो रेल लाइन पर धीमी होती जा रही थी। हम इतना तो समझ गए कि कुछ हुआ है। मगर क्या हुआ है, ये समझ नहीं आया। रात थी इसलिए जल्दी हम लोग अपने रूटीन के कामों को करने लगे। कोई ट्रैक पर नहीं आया। इसके बाद हमारी बात गांव के दीपांशु कुशवाहा से हुई। उन्होंने कहा- पूरे गांव से कोई रात में ट्रैक की तरफ नहीं आया। हमने किसी को भागते हुए नहीं देखा। सुबह होने के बाद ही सबको हादसे के बारे में जानकारी हुई। कानपुर के पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार का कहना है- SIT गठित कर दी है। सुनसान जगहों के रेल ट्रैक पेट्रोलिंग का भी ब्लू प्रिंट तैयार किया गया है। इसमें पुलिस और रेलवे की टीमें संयुक्त पेट्रोलिंग करेंगी। ट्रेन का हादसा कराने की बड़ी साजिश प्रतीत हो रही है। जल्द इससे पर्दा उठा दिया जाएगा। भाजपा प्रवक्ता बोले-आतंकी साजिश से इनकार नहीं 3 हादसों को जोड़कर जांच कर रही एजेंसियां यह खबर भी पढ़ें ट्रैक पर सिलेंडर से टकराई ट्रेन, पेट्रोल-बारूद मिला; 6 संदिग्ध हिरासत में, जमातियों की जांच कानपुर में एक बार फिर ट्रेन को डिरेल करने की कोशिश की गई। अनवर-कासगंज रूट पर रविवार देर शाम कालिंदी एक्सप्रेस ट्रैक पर रखे सिलेंडर से टकरा गई। सिलेंडर फटा नहीं और ट्रेन से टकराकर ट्रैक के किनारे गिर गया। ट्रेन के लोको पायलट ने तुरंत सीनियर अफसर को सूचना दी। घटना के बाद RPF, GRP और रेलवे के सीनियर अफसरों ने जांच की। सोमवार को भी IB, STF, ATS और NIA ने मौके पर पहुंचकर जांच की। पढ़िए पूरी खबर… कालिंदी एक्सप्रेस को बर्निंग ट्रेन बनाने की साजिश थी। जांच एजेंसियों को ट्रैक पर सिर्फ सिलेंडर, पेट्रोल बोतल ही नहीं मिले, बर्राजपुर स्टेशन की तरफ करीब 20 मीटर तक पेट्रोल छिड़कने के सबूत भी मिले हैं। ट्रैक के बीच सिलेंडर रखा गया था। ट्रैक से सटाकर रखी कांच की बोतल में पेट्रोल था। एक झोले में बारूद (सफेद पाउडर) रखा गया था। यह सब इशारा करता है कि बर्राजपुर और बिल्हौर के बीच 100 Km रफ्तार से दौड़ रही ट्रेन जब सिलेंडर से टकराएगी, तो धमाका होगा। गैस रिसाव के साथ इंजन आग की चपेट में आएगा। टक्कर के बाद ट्रेन को पूरी तरह से रुकने में टाइम लगेगा, तब तक पेट्रोल की मदद से आग पीछे डिब्बों तक फैल जाएगी। हादसे को बड़ा बनाने के लिए पटरी के बगल में बारूद भी रखा गया। इससे ज्यादा से ज्यादा कैजुएल्टी होगी। कम से कम 4-5 लोगों ने वारदात को अंजाम दिया
इस साजिश की IB-ATS और NIA जांच कर रही हैं। टीम में शामिल कुछ अधिकारियों के मुताबिक, जिस तरह से प्लानिंग की गई, यह 4-5 लोगों को काम हो सकता है। ऐसे में कानपुर, कन्नौज, उन्नाव, औरैया, हरदोई में टीमों को एक्टिव किया गया है। देखा जा रहा है कि आस-पास के गांव से पिछले 24 घंटे में कोई गायब तो नहीं हुआ? अगर गायब हुआ, तो उनकी पहचान क्या है? लोको पायलट ने कहा- इंजन से सिलेंडर टकराते ही इमरजेंसी ब्रेक लगाए
कालिंदी एक्सप्रेस (14117) चला रहे लोको पायलट ने बताया- ट्रेन की स्पीड करीब 100 KM प्रति घंटा रही होगी। अचानक इंजन से कुछ टकराया। तेज आवाज होते ही हमने इमरजेंसी ब्रेक लगा दिए। नीचे उतर कर कुछ दूर चल कर देखा, ट्रैक के पास एक सिलेंडर पड़ा था। रेलवे इंजीनियर रमेश चंद्र ने थाने में तहरीर दी है। इसमें लिखा है- 8 सितंबर की रात 8.37 बजे कंट्रोल को फोन आया। गाड़ी नंबर 14117 के ड्राइवर ने बताया कि BJR-UTP के बीच KM 37/8 पर इंजन से गैस सिलेंडर टकराया है। रेलवे इंजीनियर घटनास्थल पर 9.10 बजे पहुंचे। नोट कराए गए स्थान के आगे-पीछे का रेलवे ट्रैक चेक किया। KM 37/16-17 में रेल ट्रैक के बीच एक कांच की बोतल में पेट्रोल भरा मिला, जिसमें बाती लगी थी। पास में ही एक सफेद रंग का बैग रखा था। इसमें सफेद रंग का पाउडर था। 22 मिनट तक ट्रेन को रोकने के बाद आगे रवाना किया गया। इस जगह को ही क्यों चुना…
कालिंदी एक्सप्रेस को डिरेल करने की साजिश के लिए इस स्पॉट को ही क्यों चुना गया? इसका जवाब तलाशते हुए हमने पुलिस, RPF-GRP और ATS टीम के कुछ लोगों से बातचीत की। 2 कारण समझ में आए… 1. कोई आबादी नहीं
इस रेल ट्रैक के बराबर से कानपुर-अलीगढ़ हाईवे गुजरता है। जहां हादसा हुआ, उसके बराबर हाईवे पर नेवादा टोल प्लाजा है। यहां से 200 मीटर पहले एक RCC का 300 मीटर लंबा संपर्क मार्ग है। हादसे के स्पॉट से करीब 300 मीटर दूर हाईवे किनारे एक पेट्रोल पंप है। रेलवे ट्रैक से करीब 800 मीटर दूर दाहिनी तरफ कंठी निवादा और बाईं तरफ मुड़ेरी गांव हैं। ट्रैक से पैरलर एक रोड इन गांव को अलीगढ़ हाईवे से जोड़ती है। रेलवे ट्रैक के पास में कोई आबादी नहीं है। 2. भागना आसान है
300-400 मीटर दूर हाईवे पर ढाबा और टोल प्लाजा हैं। इस स्पॉट से भागना भी आसान है। हाईवे पर आने के बाद दिल्ली, अलीगढ़, आगरा और कानपुर से होकर लखनऊ की तरफ कहीं भी आसानी से जाया जा सकता है। इस थ्योरी को साबित करते हुए डॉग स्क्वायड रेलवे ट्रैक को सूंघते हुए हाईवे तक आया और रास्ता भटक गया। यह तो साफ है कि साजिश करने वाले इस तरफ से आए या इसी तरफ भागे हैं। 150 लोगों के बयान, 4 एजेंसियां जांच कर रहीं
कानपुर में ATS, IB, NIA करीब डेढ़ से दो किमी के दायरे में जांच कर रही हैं। जांच एजेंसियों ने वारदात स्थल के पास मौजूद कान्हा रसोई ढाबा से लेकर आसपास के गांवों में 150 से ज्यादा लोगों के बयान दर्ज किए। देर रात आए इनपुट के मुताबिक, NIA ने आधिकारिक रूप से कालिंदी ट्रेन हादसे की जांच टेकओवर कर ली है। कन्नौज की दुकान के CCTV में दिखे संदिग्ध
ट्रेन को जलाने की जहां साजिश हुई, वहां पर एक झोला मिला। यह छिबरामऊ (कन्नौज) के एक स्वीट हाउस का था। एक टीम ने इस स्वीट हाउस पर पहुंचकर DVR को कब्जे में लिया। दुकान का नाम है सियाराम मिष्ठान भंडार। मालिक संजय सिंह राजपूत ने कहा- जांच एजेंसियों ने जो भी सवाल पूछे, उनके बारे में बता दिया गया। DVR को भी जांच के लिए दिया गया है। CCTV में कुछ संदिग्ध दिखे हैं, मगर उनका इस साजिश से कोई संबंध है या नहीं, यह अभी स्पष्ट नहीं है। अब गांव के लोगों की बातचीत पढ़िए… दैनिक भास्कर से बातचीत में आसपास के गांव के लोगों ने ट्रेन साजिश पर बात की। क्या देखा? क्या हुआ था? यह सब गांव के लोगों ने बताया। उनका कहना है कि 8.30 से 9 बजे के बीच धमाके की आवाज सुनाई दी। हमें नहीं मालूम था कि कोई सिलेंडर ट्रेन से टकराया है। ट्रैक पर तेज रफ्तार ट्रेन धीरे-धीरे ठहर गई। करीब 25-30 मिनट के बाद ट्रेन आगे रवाना कर दी गई। सबसे पहले हमारी बातचीत कंठी नेवादा गांव के प्रताप कुशवाहा से हुई। उन्होंने कहा- हम लोगों ने एक धमाका सुना। उसके बाद सब लोग बाहर आ गए। इधर-उधर देखने लगे। अंधेरा था, मगर ट्रेन दिख रही थी। जो रेल लाइन पर धीमी होती जा रही थी। हम इतना तो समझ गए कि कुछ हुआ है। मगर क्या हुआ है, ये समझ नहीं आया। रात थी इसलिए जल्दी हम लोग अपने रूटीन के कामों को करने लगे। कोई ट्रैक पर नहीं आया। इसके बाद हमारी बात गांव के दीपांशु कुशवाहा से हुई। उन्होंने कहा- पूरे गांव से कोई रात में ट्रैक की तरफ नहीं आया। हमने किसी को भागते हुए नहीं देखा। सुबह होने के बाद ही सबको हादसे के बारे में जानकारी हुई। कानपुर के पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार का कहना है- SIT गठित कर दी है। सुनसान जगहों के रेल ट्रैक पेट्रोलिंग का भी ब्लू प्रिंट तैयार किया गया है। इसमें पुलिस और रेलवे की टीमें संयुक्त पेट्रोलिंग करेंगी। ट्रेन का हादसा कराने की बड़ी साजिश प्रतीत हो रही है। जल्द इससे पर्दा उठा दिया जाएगा। भाजपा प्रवक्ता बोले-आतंकी साजिश से इनकार नहीं 3 हादसों को जोड़कर जांच कर रही एजेंसियां यह खबर भी पढ़ें ट्रैक पर सिलेंडर से टकराई ट्रेन, पेट्रोल-बारूद मिला; 6 संदिग्ध हिरासत में, जमातियों की जांच कानपुर में एक बार फिर ट्रेन को डिरेल करने की कोशिश की गई। अनवर-कासगंज रूट पर रविवार देर शाम कालिंदी एक्सप्रेस ट्रैक पर रखे सिलेंडर से टकरा गई। सिलेंडर फटा नहीं और ट्रेन से टकराकर ट्रैक के किनारे गिर गया। ट्रेन के लोको पायलट ने तुरंत सीनियर अफसर को सूचना दी। घटना के बाद RPF, GRP और रेलवे के सीनियर अफसरों ने जांच की। सोमवार को भी IB, STF, ATS और NIA ने मौके पर पहुंचकर जांच की। पढ़िए पूरी खबर…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर