सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद जेल से बाहर आए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अब हरियाणा विधानसभा चुनाव पर फोकस करेंगे। पार्टी के प्रचार अभियान की कमान संभालने के साथ ही वह पार्टी की रणनीति को भी जमीन पर उतारने की तैयारी में जुट गए हैं। केजरीवाल के हरियाणा में एक्टिव होने से BJP और कांग्रेस दोनों की टेंशन बढ़ना तय मानी जा रही है। वह इसलिए है कि हरियाणा में बीजेपी 10 साल से सरकार चला रही है। कांग्रेस मुख्य विपक्षी दल की भूमिका में है। सियासी जानकारों की मानें तो कांग्रेस और बीजेपी में ही अभी सीधा मुकाबला दिखाई दे रहा है। हालांकि अरविंद केजरीवाल की पार्टी AAP ने भी सभी 90 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं। AAP को चुनाव में सबसे ज्यादा कांग्रेस और बीजेपी के बागी नेताओं से उम्मीदें हैं। 2019 से इतर इस बार AAP ने अपने संगठन का विस्तार भी कर लिया और कई इलाकों में मजबूत पकड़ भी बनाई है। दिल्ली-पंजाब से कमजोर संगठन दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की रिहाई की टाइमिंग हरियाणा चुनाव के हिसाब से परफेक्ट है। फिलहाल, हरियाणा विधानसभा चुनाव में अब तक केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल मोर्चा संभाले देखी गई हैं और केजरीवाल की गैरमौजूदगी में धुआंधार प्रचार कर रहीं थीं। अब हरियाणा चुनाव में पूरी ताकत से पार्टी उतरने की तैयारी कर रही है। चूंकि, हरियाणा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने अकेले दम पर लड़ने का फैसला किया है।हरियाणा में आम आदमी पार्टी का संगठन दिल्ली और पंजाब की तुलना में काफी कमजोर है और ऐसे में केजरीवाल की कैंपेनिंग से ही उम्मीदवारों को सबसे ज्यादा उम्मीद है। चुनाव में AAP के ये होंगे प्लस प्वाइंट… 1. केजरीवाल का हरियाणा उनका अपना गृह राज्य है। केजरीवाल का हरियाणा में हिसार के खेड़ा में पुश्तैनी गांव है। अक्सर राजनीतिक कार्यक्रमों में भी केजरीवाल खुद को हरियाणा से जोड़ते आए हैं। 2. केजरीवाल को दिल्ली वालों की नब्ज पहचानने में माहिर माना जाता है। उन्होंने हरियाणा के पड़ोसी राज्य पंजाब में भी अपनी पार्टी की सरकार बनवाकर इतिहास बनाया है। अब दिल्ली और पंजाब के पड़ोसी राज्य हरियाणा पर फोकस है। 3. AAP नेता अपने चुनावी प्रचार में इस बात का भी जिक्र कर रहे हैं। केजरीवाल भी अपने चुनावी अभियान में इसे मुद्दा बना सकते हैं और आम जनता में भी इसका असर देखने को मिल सकता है। 4. केजरीवाल की रिहाई से AAP को बूस्टर मिला है। इससे संगठन एकजुट हुआ है, अपने सबसे बड़े चेहरे के जरिए बीजेपी और कांग्रेस को घेरने में मदद मिल सकेगी। AAP बड़े स्तर पर कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगा सकती है और नुकसान पहुंचा सकती है। 5. एक फैक्ट यह भी है कि हरियाणा में कुछ बड़े नेताओं के परिवार ऐसे हैं, जो नाराज चल रहे हैं। इन्हें बीजेपी और कांग्रेस दोनों से टिकट नहीं मिला है। संभव है कि ऐसे नाराज नेता AAP के लिए मददगार साबित हो सकते हैं। यहां पढ़िए कांग्रेस-बीजेपी के लिए क्यों दिक्कतें खड़ी करेगी AAP शहरी वोटरों पर केजरीवाल की अच्छी पकड़ कांग्रेस के साथ ही बीजेपी के लिए भी यह टेंशन होगी कि AAP उनके वोट बैंक में सेंध लगा सकती है। जानकार कहते हैं कि केजरीवाल की रिहाई को बीजेपी के लिए भी राहत नहीं कहा जा सकता है। क्योंकि, बीजेपी का शहरी इलाके में अच्छा खासा वोट बैंक है और AAP भी शहरी इलाके में पकड़ बना रही है। संभव है कि आप केजरीवाल के जरिए शहरी वोटर्स में सेंध लगा सकती है, इससे बीजेपी का नुकसान हो सकता है। खासकर उन सीटों पर जहां मुकाबला करीबी है। ऐसे में कांग्रेस और बीजेपी को भी अपनी रणनीति में बदलाव करना पड़ सकता है। कांग्रेस को 8 से 10 सीटों पर होगा नुकसान AAP प्रत्याशी कांग्रेस को बहुत परेशान करेंगे। बीजेपी के विरोधी वोटों में अगर सेंध लगती है तो इसका नुकसान कांग्रेस को भुगतना होगा। हरियाणा में कम से कम 8 से 10 सीटें ऐसी हैं जहां आम आदमी पार्टी के कैंडिडेट नहीं जीत सके तो कांग्रेस को कमजोर करने का तो काम कर सकते हैं। 2019 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने हरियाणा में 46 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे। मगर पार्टी का पार्टी का वोट शेयर केवल 0.48 प्रतिशत रहा था। हरियाणा में AAP का किन इलाकों में प्रभाव ? हरियाणा में AAP का फोकस खासकर शहरी और कस्बा इलाकों में ज्यादा है। दिल्ली से सटे गुरुग्राम और फरीदाबाद जिले राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र ( NCR ) में आते हैं। AAP का प्रभाव यहां देखने को मिल सकता है। इन जिलों के लोग दिल्ली की राजनीति और नीतियों से प्रभावित होते हैं। दिल्ली में AAP सरकार के मॉडल के चलते पार्टी ने यहां एक बुनियादी जनाधार तैयार किया है। इसके अलावा, हिसार में AAP की पकड़ धीरे – धीरे बढ़ रही है। यह क्षेत्र ऐतिहासिक रूप से निर्दलीय और क्षेत्रीय दलों के प्रभाव वाला रहा है, जिससे AAP को एक अवसर मिला है। करनाल के लिए अलग बनाई रणनीति कुरुक्षेत्र और करनाल जिले भी NCR के करीब हैं और AAP ने यहां भी अपना आधार बढ़ाने प्रयास किया है। करनाल मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर गृह जिला है, इसलिए AAP के लिए यह क्षेत्र रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है। सोनीपत और पानीपत जिले भी NCR का हिस्सा हैं। यहां के लोग दिल्ली की राजनीतिक घटनाओं से प्रभावित होते हैं। AAP ने यहां शिक्षा , स्वास्थ्य और भ्रष्टाचार के मुद्दों पर अपनी पकड़ मजबूत करने का अवसर मिला है। भिवानी, रेवाड़ी और झज्जर जिले भी AAP के लिए महत्वपूर्ण हो सकते हैं। खासकर जब पार्टी ग्रामीण और कस्बा इलाकों में अपनी रणनीति को बढ़ावा देने पर ध्यान दे रही है। सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद जेल से बाहर आए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अब हरियाणा विधानसभा चुनाव पर फोकस करेंगे। पार्टी के प्रचार अभियान की कमान संभालने के साथ ही वह पार्टी की रणनीति को भी जमीन पर उतारने की तैयारी में जुट गए हैं। केजरीवाल के हरियाणा में एक्टिव होने से BJP और कांग्रेस दोनों की टेंशन बढ़ना तय मानी जा रही है। वह इसलिए है कि हरियाणा में बीजेपी 10 साल से सरकार चला रही है। कांग्रेस मुख्य विपक्षी दल की भूमिका में है। सियासी जानकारों की मानें तो कांग्रेस और बीजेपी में ही अभी सीधा मुकाबला दिखाई दे रहा है। हालांकि अरविंद केजरीवाल की पार्टी AAP ने भी सभी 90 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं। AAP को चुनाव में सबसे ज्यादा कांग्रेस और बीजेपी के बागी नेताओं से उम्मीदें हैं। 2019 से इतर इस बार AAP ने अपने संगठन का विस्तार भी कर लिया और कई इलाकों में मजबूत पकड़ भी बनाई है। दिल्ली-पंजाब से कमजोर संगठन दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की रिहाई की टाइमिंग हरियाणा चुनाव के हिसाब से परफेक्ट है। फिलहाल, हरियाणा विधानसभा चुनाव में अब तक केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल मोर्चा संभाले देखी गई हैं और केजरीवाल की गैरमौजूदगी में धुआंधार प्रचार कर रहीं थीं। अब हरियाणा चुनाव में पूरी ताकत से पार्टी उतरने की तैयारी कर रही है। चूंकि, हरियाणा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने अकेले दम पर लड़ने का फैसला किया है।हरियाणा में आम आदमी पार्टी का संगठन दिल्ली और पंजाब की तुलना में काफी कमजोर है और ऐसे में केजरीवाल की कैंपेनिंग से ही उम्मीदवारों को सबसे ज्यादा उम्मीद है। चुनाव में AAP के ये होंगे प्लस प्वाइंट… 1. केजरीवाल का हरियाणा उनका अपना गृह राज्य है। केजरीवाल का हरियाणा में हिसार के खेड़ा में पुश्तैनी गांव है। अक्सर राजनीतिक कार्यक्रमों में भी केजरीवाल खुद को हरियाणा से जोड़ते आए हैं। 2. केजरीवाल को दिल्ली वालों की नब्ज पहचानने में माहिर माना जाता है। उन्होंने हरियाणा के पड़ोसी राज्य पंजाब में भी अपनी पार्टी की सरकार बनवाकर इतिहास बनाया है। अब दिल्ली और पंजाब के पड़ोसी राज्य हरियाणा पर फोकस है। 3. AAP नेता अपने चुनावी प्रचार में इस बात का भी जिक्र कर रहे हैं। केजरीवाल भी अपने चुनावी अभियान में इसे मुद्दा बना सकते हैं और आम जनता में भी इसका असर देखने को मिल सकता है। 4. केजरीवाल की रिहाई से AAP को बूस्टर मिला है। इससे संगठन एकजुट हुआ है, अपने सबसे बड़े चेहरे के जरिए बीजेपी और कांग्रेस को घेरने में मदद मिल सकेगी। AAP बड़े स्तर पर कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगा सकती है और नुकसान पहुंचा सकती है। 5. एक फैक्ट यह भी है कि हरियाणा में कुछ बड़े नेताओं के परिवार ऐसे हैं, जो नाराज चल रहे हैं। इन्हें बीजेपी और कांग्रेस दोनों से टिकट नहीं मिला है। संभव है कि ऐसे नाराज नेता AAP के लिए मददगार साबित हो सकते हैं। यहां पढ़िए कांग्रेस-बीजेपी के लिए क्यों दिक्कतें खड़ी करेगी AAP शहरी वोटरों पर केजरीवाल की अच्छी पकड़ कांग्रेस के साथ ही बीजेपी के लिए भी यह टेंशन होगी कि AAP उनके वोट बैंक में सेंध लगा सकती है। जानकार कहते हैं कि केजरीवाल की रिहाई को बीजेपी के लिए भी राहत नहीं कहा जा सकता है। क्योंकि, बीजेपी का शहरी इलाके में अच्छा खासा वोट बैंक है और AAP भी शहरी इलाके में पकड़ बना रही है। संभव है कि आप केजरीवाल के जरिए शहरी वोटर्स में सेंध लगा सकती है, इससे बीजेपी का नुकसान हो सकता है। खासकर उन सीटों पर जहां मुकाबला करीबी है। ऐसे में कांग्रेस और बीजेपी को भी अपनी रणनीति में बदलाव करना पड़ सकता है। कांग्रेस को 8 से 10 सीटों पर होगा नुकसान AAP प्रत्याशी कांग्रेस को बहुत परेशान करेंगे। बीजेपी के विरोधी वोटों में अगर सेंध लगती है तो इसका नुकसान कांग्रेस को भुगतना होगा। हरियाणा में कम से कम 8 से 10 सीटें ऐसी हैं जहां आम आदमी पार्टी के कैंडिडेट नहीं जीत सके तो कांग्रेस को कमजोर करने का तो काम कर सकते हैं। 2019 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने हरियाणा में 46 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे। मगर पार्टी का पार्टी का वोट शेयर केवल 0.48 प्रतिशत रहा था। हरियाणा में AAP का किन इलाकों में प्रभाव ? हरियाणा में AAP का फोकस खासकर शहरी और कस्बा इलाकों में ज्यादा है। दिल्ली से सटे गुरुग्राम और फरीदाबाद जिले राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र ( NCR ) में आते हैं। AAP का प्रभाव यहां देखने को मिल सकता है। इन जिलों के लोग दिल्ली की राजनीति और नीतियों से प्रभावित होते हैं। दिल्ली में AAP सरकार के मॉडल के चलते पार्टी ने यहां एक बुनियादी जनाधार तैयार किया है। इसके अलावा, हिसार में AAP की पकड़ धीरे – धीरे बढ़ रही है। यह क्षेत्र ऐतिहासिक रूप से निर्दलीय और क्षेत्रीय दलों के प्रभाव वाला रहा है, जिससे AAP को एक अवसर मिला है। करनाल के लिए अलग बनाई रणनीति कुरुक्षेत्र और करनाल जिले भी NCR के करीब हैं और AAP ने यहां भी अपना आधार बढ़ाने प्रयास किया है। करनाल मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर गृह जिला है, इसलिए AAP के लिए यह क्षेत्र रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है। सोनीपत और पानीपत जिले भी NCR का हिस्सा हैं। यहां के लोग दिल्ली की राजनीतिक घटनाओं से प्रभावित होते हैं। AAP ने यहां शिक्षा , स्वास्थ्य और भ्रष्टाचार के मुद्दों पर अपनी पकड़ मजबूत करने का अवसर मिला है। भिवानी, रेवाड़ी और झज्जर जिले भी AAP के लिए महत्वपूर्ण हो सकते हैं। खासकर जब पार्टी ग्रामीण और कस्बा इलाकों में अपनी रणनीति को बढ़ावा देने पर ध्यान दे रही है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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हरियाणा में बर्थडे के दिन युवक की हत्या:कार सवार बदमाशों ने छाती में गोली मारी; 5 बहनों का इकलौता भाई था
हरियाणा में बर्थडे के दिन युवक की हत्या:कार सवार बदमाशों ने छाती में गोली मारी; 5 बहनों का इकलौता भाई था हरियाणा के रेवाड़ी जिले के सुठाना के पास एक युवक की उसके जन्मदिन पर गोली मारकर हत्या कर दी गई। युवक दुकान बंद कर अपने दोस्त के साथ बाइक पर घर लौटने की तैयारी कर रहा था। तभी कार और बाइकों पर सवार होकर आए बदमाशों ने फायरिंग कर दी। जिसमें एक गोली युवक के सीने में लगी और युवक की मौके पर ही मौत हो गई। मृतक की पहचान गांव रानौली प्राणपुरा निवासी दिनेश के रूप में हुई है। मृतक 5 बहनों का इकलौता भाई था। उसकी 3 बड़ी बहनें और 2 छोटी बहनें हैं। दिनेश शादीशुदा था। उसका एक 5 साल का बेटा और 7 साल की बेटी है। कसौला थाना पुलिस मामले की जांच कर रही है। हत्या से पहले दुकान पर हुआ था झगड़ा
घटना से कुछ देर पहले मृतक व्यक्ति का मोमोज की दुकान पर झगड़ा हुआ था। हमलावरों को पकड़ने के लिए स्थानीय पुलिस के अलावा CIA की टीमें छापेमारी कर रही हैं। गोली मारने वाले 2 हमलावरों की पहचान हो गई है। इनमें एक जलियावास गांव तो दूसरा गांव पातुहेड़ा का रहने वाला है। मसाले की दुकान चलाता था, पार्टी के लिए नौकर को मोमोज लेने भेजा
जानकारी के अनुसार, रेवाड़ी जिले के गांव रानौली प्राणपुरा निवासी दिनेश (35) की बावल रोड पर सुठानी-जलियावास के बीच मसाले की दुकान है। शुक्रवार को उसका जन्मदिन था। वह अपने ही गांव के एक दोस्त, जो रेवाड़ी के एक मॉल में काम करता है। शुक्रवार रात वह अपने दोस्त के साथ दुकान पर बैठा था। जन्मदिन होने के कारण उसने अपने नौकर को दोस्त के लिए पार्टी देने के लिए मोमोज लाने के लिए सुठाना के पास एक दुकान पर भेजा था। मोमोज लेने गए नौकर को मारे थप्पड़, तब दुकान पर पहुंचा दिनेश
बताया जा रहा है कि मोमोज की दुकान पर खड़े एक शख्स ने किसी बात को लेकर दिनेश के नौकर को थप्पड़ मार दिए। नौकर ने वापस दुकान पर आकर दिनेश को बताया। दिनेश तुरंत मोमेज की दुकान पर पहुंचा और उसने नौकर की पिटाई करने वाले शख्स को थप्पड़ मार दिए। इसके बाद वह वापस दुकान पर आकर बैठ गया। कार सवार बदमाशों ने मारी गोलियां
रात करीब पौने 9 बजे वह अपनी दुकान को बंद कर दोस्त के साथ बाइक पर सवार होकर घर के लिए निकलने वाला ही था। तभी एक कार और बाइकों पर सवार होकर कुछ बदमाश आए। बदमाशों ने आते ही दिनेश पर फायरिंग कर दी। एक गोली दिनेश की छाती में लगी और उसकी मौके पर ही मौत हो गई। वारदात के बाद हमलावर फरार
वारदात के बाद हमलावर फरार हो गए। दिनेश के दोस्त ने तुरंत इसकी सूचना पुलिस को दी। सूचना के बाद पुलिस के तमाम अधिकारी मौके पर पहुंचे। पुलिस ने नाकाबंदी भी की, लेकिन हमलावरों का सुराग नहीं लग पाया। शव को नागरिक अस्पताल के शवगृह में रखवाया गया है।
विनेश फोगाट का वजन कम क्यों नहीं हुआ:CMO बोले- 1 दिन में 3 फाइट, एनर्जी के लिए बीच में खाना-पीना पड़ा; 15 मिनट में 100 ग्राम नहीं घटा सके
विनेश फोगाट का वजन कम क्यों नहीं हुआ:CMO बोले- 1 दिन में 3 फाइट, एनर्जी के लिए बीच में खाना-पीना पड़ा; 15 मिनट में 100 ग्राम नहीं घटा सके पेरिस ओलिंपिक में एक दिन में ओलिंपिक चैंपियन समेत 3 पहलवानों को पटखनी देकर फाइनल में पहुंची विनेश फोगाट को अचानक अयोग्य करार दे दिया गया। इसके बारे में दावा किया गया कि उसका वेट 50 किलो के मुकाबले 50 किलो 100 ग्राम था। इसका खुलासा होते ही सोशल मीडिया से लेकर राजनीति तक में घमासान मच गया। जिसके बाद इसको लेकर कई तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं। यहां तक कि विनेश के सपोर्ट स्टाफ को लेकर भी सवाल खड़े किए जा रहे हैं। इसके बाद विनेश की सेहत से जुड़े अधिकारी मीडिया के सामने आए और पूरी सच्चाई बयान की है। भारतीय ओलिंपिक दल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. दिनेशॉ पारदीवाला और एथलेटिक फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष आदिल सुमरिवाला ने इस बारे में अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि विनेश की एक दिन में 3 बाउट थीं। हर बाउट के बीच उसे एनर्जी के लिए कुछ खाने-पीने की जरूरत थी। जिसकी वजह से विनेश का वजन 2.7 किलो बढ़ चुका था। पूरी रात इसे घटाने की कोशिश हुई। मगर, आखिरी वक्त में सिर्फ 15 मिनट मिलने की वजह से 100 ग्राम कम नहीं हुआ। पहले जानिए.. CMO डॉ. दिनशॉ पारदीवाला ने क्या कहा.. 1. विनेश का वजन 2.7 किलो ज्यादा था
डॉक्टर दिनशॉ पारदीवाला ने कहा- “शाम को सेमीफाइनल में भागीदारी के बाद उसका वजन 50 किलोग्राम से 2.7 किलोग्राम अधिक पाया गया। टीम और कोच ने अपनी सामान्य प्रक्रिया शुरू की और पसीना बहाने की पूरी प्रक्रिया शुरू कर दी। आमतौर पर, आपको इसके लिए कुछ समय की आवश्यकता होती है। लेकिन दुर्भाग्यवश, हमारे पास ज़्यादा समय नहीं था। 2. 12 घंटे में घटाना था, पूरी रात टीम लगी रही
सीएमओ पारदीवाला ने बताया कि हमारे पास सिर्फ 12 घंटे थे। तो पूरी रात, पूरी टीम विनेश का वजन कम करने की कोशिश में लगे रहे, उसे स्टीम और सौना में रखा गया। उसे एक्सरसाइज कराने और जो भी चिकित्सकीय रूप से संभव था, वह किया गया। हमने उस वजन को कम करने की पूरी कोशिश की। 3. पसीना नहीं आया तो बाल काटे
जब विनेश को पसीना नहीं आ रहा था, तो हमें उसके बाल काटने जैसे कुछ कठोर कदम भी उठाने पड़े…। अगर हमारे पास कुछ घंटे और होते तो हम 100 ग्राम वजन कम कर सकते थे, लेकिन हमारे पास वह समय नहीं था। 4. विनेश सामान्य लेकिन उसके ब्लड टेस्ट कराए
विनेश फोगाट अब शारीरिक और चिकित्सकीय रूप से बिल्कुल सामान्य हैं। हमने एहतियात के तौर पर उसका रक्त परीक्षण कराया है, जिसकी रिपोर्ट अभी आनी बाकी है। वहीं विनेश को लेकर पीटी उषा से कहा है, कि भले ही वह शारीरिक और चिकित्सकीय रूप से बिल्कुल सामान्य हैं, लेकिन वह निराश हैं कि यह उनका तीसरा ओलिंपिक है और उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया। एथलेटिक फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष आदिल सुमरिवाला क्या बोले.. 1. पूरी रात वजन कम करने के लिए मेहनत की
“यह एक बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण घटना है…कल, एक वेट-इन था, जिसमें विनेश का वजन ठीक था। इसके बाद वह 3 फाइट लड़ी। इस दौरान उसने बीच-बीच में कुछ खाया और पानी पिया। जो एनर्जी के लिए जरूरी था। 2. दिन खत्म होने तक ओवरवेट हो गई थी
मंगलवार का दिन खत्म होने तक विनेश ओवरवेट हो चुकी थी। इसके बाद वे सीधे डॉक्टर के पास गए। पूरी रात विनेश का वजन कम करने के लिए मेहनत की। विनेश ने पूरी रात रनिंग की। विनेश के बाल भी काटने पड़े। 3. सिर्फ 15 मिनट मिलते हैं
बुधवार सुबह फिर विनेश के वजन की जांच हुई लेकिन इसके बाद सिर्फ 15 मिनट मिले। जो विनेश का वजन घटाने के लिए नाकाफी साबित हुए। विनेश ओवरवेट मिलीं। पूरी टीम विनेश के साथ रही। वेट घटाने के लिए पूरी रात मेहनत करती ही। 4. सुबह डिहाइड्रेट हुई विनेश
सुबह के वक्त विनेश डिहाइड्रेटेड हो गई। उसे तुरंत इलाज की जरूरत थी। इसलिए डिहाइड्रेशन के इलाज के लिए पॉलीक्लिनिक में भर्ती कराना पड़ा। जहां उसकी स्थिति ठीक है। इसे राजनीतिक मुद्दा बनाना ठीक नहीं है। WFI अध्यक्ष बोले- कोच और सहयोगी स्टाफ पर सख्त कार्रवाई की जाए
विनेश फोगाट की अयोग्यता पर भारतीय कुश्ती संघ (WFI) के अध्यक्ष संजय सिंह ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा मैंने भारतीय ओलिंपिक संघ (IOA) और यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (UWW ) से बातचीत की है। उनसे विनेश फोगाट को कुछ छूट देने के लिए कहा है। मुझे नहीं लगता कि विनेश की कोई गलती है। उन्होंने कहा वह शानदार प्रदर्शन कर रही थी और यहां पूरी जिम्मेदारी उसके कोच और सपोर्टिंग स्टाफ की है। उसका वजन कैसे बढ़ गया, इसकी जांच होनी चाहिए। मैं केंद्र सरकार से उनके (कोच और सहयोगी स्टाफ) खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का आग्रह करता हूं। ये खबरें भी पढ़ें… विनेश फोगाट पेरिस ओलिंपिक से बाहर,पता चलते ही बेहोश हुईं:सिर्फ 100 ग्राम वजन ज्यादा निकला; अस्पताल में भर्ती पहलवान की पहली फोटो सामने आई हरियाणा की पहलवान विनेश फोगाट पेरिस ओलिंपिक से बाहर हो गई हैं। उन्हें वजन मेंटेन न होने पर डिसक्वालीफाई कर दिया गया है। उनका वजन 50 kg से सिर्फ 100 ग्राम ज्यादा निकला। विनेश का गोल्ड मेडल के लिए आज बुधवार रात को करीब 10 बजे गोल्ड मेडल के लिए अमेरिका की रेसलर सारा एन हिल्डरब्रांट से फाइनल मुकाबला होना था। रूल्स के मुताबिक विनेश सिल्वर मेडल के भी योग्य नहीं रह जाएंगी। इसके बाद 50 kg कैटेगरी में सिर्फ गोल्ड और ब्रॉन्ज मेडल दिया जाएगा। (पूरी खबर पढ़ें) विनेश फोगाट वजन घटाने के लिए रात भर जागी:साइकिलिंग-स्कीपिंग की, बाल-नाखून तक काटे; बजरंग पूनिया बोले- लड़कियों का वेट कम होने में प्रॉब्लम हरियाणा की धाकड़ पहलवान विनेश फोगाट पेरिस ओलिंपिक से डिसक्वालीफाई हो गईं। 50 Kg वेट कैटेगरी में उनका वजन 100 ग्राम ज्यादा मिलने पर आज रात होने वाला फाइनल मैच नहीं खेल पाएंगी। साथ ही उन्हें कोई मेडल भी नहीं मिलेगा। स्पोर्ट स्टार की रिपोर्ट के मुताबिक सेमीफाइनल मैच जीतने के बाद विनेश फोगाट का वजन हुआ। विनेश का वेट करीब 52 किलो था। इसे कम करने के लिए उन्होंने अपना खून-पसीना एक कर दिया। जीत के बाद एक बार भी आराम नहीं किया। रातभर जागीं और वजन कम करने की पुरजोर कोशिश की। (पूरी खबर पढ़ें)
कांग्रेस पर भड़के पूर्व मंत्री कै.अजय यादव:बोले-ऐसी चेयरमैनी किस काम की, जो अपनी टिकट ही नही बचा सके; हुड्डा ने कराई गड़बड़ी
कांग्रेस पर भड़के पूर्व मंत्री कै.अजय यादव:बोले-ऐसी चेयरमैनी किस काम की, जो अपनी टिकट ही नही बचा सके; हुड्डा ने कराई गड़बड़ी हरियाणा में किरण चौधरी और कुमारी सैलजा के बाद अब पूर्व मंत्री कैप्टन अजय सिंह यादव ने पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। अजय यादव ने कहा कि किरण चौधरी टिकट कटने से नाखुश थी और मुझे खुद मेरी टिकट कटने का झटका लगा था। उन्होंने कहा कि कांग्रेस आलाकमान एक कमेटी बनाकर टिकट वितरण में गड़बड़ी को लेकर जांच करे। कैप्टन ने कहा की मुझे कांग्रेस में ओबीसी मोर्चे के राष्ट्रीय चेयरमैन जरूर बनाया, लेकिन ऐसी चेयरमैनी किस काम की, जो अपनी टिकट ही नही बचा पाया। मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष की टिकट काट दी गई, पार्टी में क्या मैसेज गया, सबको पता है। सोनीपत में कितने से जीते, सबको पता है
पूर्व मंत्री एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय यादव ने गुरुग्राम में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि हुड्डा गुरुग्राम की तरह सोनीपत में भी बाहरी उम्मीदवार लाए थे और कांग्रेस उम्मीदवार कितनी वोट से जीते, यह सबके सामने है। कांग्रेस ने सर्वे के आधार पर टिकट का वितरण किया होता तो आज 10 की 10 सीटों पर कांग्रेस का परचम लहराता। इन तीनों ने की गड़बड़ी
उन्होंने बताया की भूपेंद्र सिंह हुड्डा के इशारों पर टिकट का वितरण किया गया। कांग्रेस ने 2019 के विधान सभा चुनावों में भी टिकट सही से नहीं बांटी थी। 2004 के राज्यसभा के चुनाव में इंक किसने बदली थी, इसका जवाब देना चाहिए। वहीं कैप्टन ने कहा कि वे कांग्रेस सांसद कुमारी सैलजा के बयान से 100 प्रतिशत सहमत हैं। सच्चाई कहना गुनाह नही है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा, उदयभान और प्रभारी दीपक बाबरिया, तीनों ने मिलकर टिकट वितरण जो किया, उसकी कमेटी बना कर जांच की जानी चाहिए। कैप्टन अजय सिंह यादव ने कांग्रेस आलाकमान पर आरोप लगाते हुए कहा कि जिस ओबीसी माइनरिटी की बात की जा रही थी, उसको कितना टिकट दिया गया, उसका आंकड़ा भी सबके सामने है। यही वजह रही की कांग्रेस की 100 सीटें आई और हरियाणा में कांग्रेस को केवल 5 सीट ही मिली। ये उनका आखिरी चुनाव था
कैप्टन ने कहा की मुझे ओबीसी मोर्चे के राष्ट्रीय चेयरमैन बनाया। उन्होंने कहा कि यह मेरा आखिरी चुनाव था, लेकिन मेरी ही टिकट काट दी गयी। जबकि सर्वे में मै सबसे ऊपर था। सिर्फ ओबीसी की नही, यह माइनॉरिटी की, SC का चेयरमैन हो या फिर ट्राइबल हो, कांग्रेस इनकी वोट तो लेना चाहती है, लेकिन जो हिस्सेदारी बनती है वो नही देना चाहती। पूर्व मंत्री ने कहा कि यह उनका आकलन नही बल्कि नतीजे बताने में लगे हैं। यूपी, बिहार, झारखंड, मध्यप्रदेश, राजस्थान व तेलंगाना में कांग्रेस के क्या हालत रहे, इस पर चिंतन मंथन करने की जरूरत है।