हरियाणा में बुधवार यानी आज कई दिग्गज राजनीतिक उम्मीदवार नामांकन भरेंगे। इनमें रोहतक की गढ़ी सांपला किलोई से पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा भी शामिल हैं। नामांकन से पहले उनके घर हवन चल रहा है। केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत की बेटी आरती राव अटेली से नामांकन करेंगी। यह उनका पहला चुनाव है। रेसलर विनेश फोगाट जींद की जुलाना सीट से कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर नामांकन भरेंगी। विनेश का भी यह पहला चुनाव है। हरियाणा विधानसभा की 90 सीटों पर अभी तक 277 उम्मीदवार नामांकन कर चुके हैं। कल 12 सितंबर को नामांकन की आखिरी तारीख है। प्रदेश में 4 अक्टूबर को वोटिंग और 8 अक्टूबर को नतीजे घोषित होंगे। हरियाणा में बुधवार यानी आज कई दिग्गज राजनीतिक उम्मीदवार नामांकन भरेंगे। इनमें रोहतक की गढ़ी सांपला किलोई से पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा भी शामिल हैं। नामांकन से पहले उनके घर हवन चल रहा है। केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत की बेटी आरती राव अटेली से नामांकन करेंगी। यह उनका पहला चुनाव है। रेसलर विनेश फोगाट जींद की जुलाना सीट से कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर नामांकन भरेंगी। विनेश का भी यह पहला चुनाव है। हरियाणा विधानसभा की 90 सीटों पर अभी तक 277 उम्मीदवार नामांकन कर चुके हैं। कल 12 सितंबर को नामांकन की आखिरी तारीख है। प्रदेश में 4 अक्टूबर को वोटिंग और 8 अक्टूबर को नतीजे घोषित होंगे। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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रोहतक में सफाई कर्मचारियों की राज्य स्तरीय बैठक:10-11 जुलाई को जिला स्तरीय प्रदर्शन का निर्णय, 12-17 तक निकाली जाएगी शवयात्रा
रोहतक में सफाई कर्मचारियों की राज्य स्तरीय बैठक:10-11 जुलाई को जिला स्तरीय प्रदर्शन का निर्णय, 12-17 तक निकाली जाएगी शवयात्रा ग्रामीण सफाई कर्मचारी यूनियन हरियाणा की राज्य कमेटी की बैठक रोहतक के प्रभात भवन में प्रधान देवीराम की अध्यक्षता में हुई। बैठक में यूनियन के महासचिव विनोद कुमार ने कहा कि हरियाणा की भाजपा सरकार सफाई कर्मचारियों के साथ दुश्मनों जैसा व्यवहार कर रही है। 17 वर्षों से अस्थाई नौकरियों से परेशान सफाई कर्मचारी इस विधानसभा चुनाव से पहले स्थायी होने की उम्मीद लगाए बैठे थे। लेकिन भाजपा सरकार ने सफाई कर्मचारियों को स्थायी करने की बजाय मात्र 1000 रुपये की मामूली बढ़ोतरी करके उनके जख्मों पर नमक छिड़कने का काम किया है। वादे तोड़ने के आरोप साथ ही सरकार ने सफाई कर्मचारी पोर्टल बनाने की घोषणा करके अपनी मंशा साफ कर दी है कि भविष्य में इन सफाई कर्मचारियों को स्थायी नहीं किया जाएगा और ये लोग जीवन भर अस्थाई नौकरियों का दर्द झेलते रहेंगे। यूनियन महासचिव ने कहा कि हरियाणा सरकार ने 29 नवंबर को विकास एवं पंचायत विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव के साथ शहरी अस्थाई सफाई कर्मचारियों के बराबर वेतन देने, प्रतिवर्ष 3 प्रतिशत वेतन वृद्धि करने तथा सेवानिवृत्ति पर 2 लाख रुपए की एकमुश्त सहायता देने संबंधी हुए समझौते को लागू न करके अपना वादा तोड़ा है। हरियाणा सरकार के इस रवैये से यह बिल्कुल स्पष्ट हो गया है कि भाजपा और उसके नेता घोर दलित व सफाई कर्मचारी विरोधी हैं। अब हरियाणा के 11000 ग्रामीण सफाई कर्मचारी चुप नहीं बैठेंगे और इस अन्याय व शोषण के खिलाफ पूरे प्रदेश में आंदोलन का बिगुल बजाकर आंदोलन को तेज करेंगे। ये है रणनीति बैठक में आगामी आंदोलन की घोषणा की गई। बताया गया कि 10 व 11 जुलाई को सीआईटीयू के बैनर तले सभी जिलों में एक दिवसीय विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। 12 से 17 जुलाई तक काली पट्टी व बैज लगाकर ब्लॉक स्तर पर सरकार की शवयात्रा/पुतले जलाकर विरोध सप्ताह मनाया जाएगा। 21 जुलाई को कैबिनेट मंत्री मूलचंद शर्मा के फरीदाबाद आवास पर जोनल विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। 22 से 30 जुलाई तक प्रदेशाध्यक्ष देवीराम पलवल, मेवात, फरीदाबाद व गुड़गांव व सोनीपत में, वरिष्ठ उपाध्यक्ष बसाऊ, कैथल, पानीपत व जींद में, कोषाध्यक्ष संदीप सिंह महेंद्रगढ़, रेवाड़ी व झज्जर में, उप महासचिव जोगिंदर सिंह अंबाला, पानीपत व करनाल में तथा महासचिव विनोद कुमार सिरसा, फतेहाबाद, हिसार, भिवानी, दादरी व रोहतक में जत्था अभियान का नेतृत्व करेंगे। इन पांच जत्थों को पूरे प्रदेश में चलाते हुए ब्लॉक स्तर पर जनसभाएं और जनसंपर्क अभियान चलाए जाएंगे। 1 और 2 अगस्त को सभी जिलों में सरकार के मंत्रियों के कार्यालयों पर और जहां मंत्री नहीं हैं, वहां उपायुक्त कार्यालयों पर 24 घंटे का धरना दिया जाएगा। अगर सरकार ने फिर भी सफाई कर्मचारियों की अनदेखी की तो 11 अगस्त को सीएम सिटी करनाल में प्रदेश स्तरीय जोनल प्रदर्शन किया जाएगा और सीएम आवास का घेराव कर आंदोलन को तेज किया जाएगा।
राव बीरेंद्र अंग्रेजों की फौज में कैप्टन थे:रातों-रात 12 विधायक तोड़कर CM बने; देवीलाल ने गंगाजल में नमक डालकर दोस्ती की
राव बीरेंद्र अंग्रेजों की फौज में कैप्टन थे:रातों-रात 12 विधायक तोड़कर CM बने; देवीलाल ने गंगाजल में नमक डालकर दोस्ती की साल 1967, अक्टूबर का महीना, देश में लोकसभा चुनावों की घोषणा हो चुकी थी। पूर्व रक्षा मंत्री वीके कृष्ण मेनन कांग्रेस छोड़कर उत्तर-पूर्व बंबई सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे थे। हरियाणा के मुख्यमंत्री राव बीरेंद्र सिंह उनके चुनाव प्रचार के लिए बंबई पहुंचे थे। इसी बीच राव के पास खबर आई कि गया लाल उनके गठबंधन से अलग हो गए हैं। इधर, हरियाणा में चर्चा जोर पकड़ रही थी कि राव साहब बहुमत खो चुके हैं। राव प्रचार छोड़कर बंबई से सीधे दिल्ली के लिए निकल गए। उन्होंने गया लाल से भी बोल दिया कि वो भी दिल्ली पहुंचें। दोनों दिल्ली में मिले और एक ही कार से चंडीगढ़ में सीएम हाउस पहुंचे। वहां मीडिया पहले से उनका इंतजार कर रही थी। राव जैसे ही गाड़ी से उतर कर अंदर जाने लगे, पत्रकारों ने उन्हें घेर लिया। गया लाल के पार्टी छोड़ने और सरकार के अल्पमत में होने को लेकर सवाल पूछने लगे। राव हंस पड़े। कुछ पलों बाद गया लाल भी गाड़ी से उतरे। राव ने कहा- गया लाल वापस आ गए हैं। जो लोग सरकार गिराना चाहते थे, उनकी साजिश नाकाम हो गई है। तब राव बीरेंद्र की सरकार तो बच गई, लेकिन गया लाल ने दल बदलना नहीं छोड़ा। उन्होंने 24 घंटे के भीतर तीन बार दल बदला। विधायकों के बार-बार दल बदलने से तंग आकर राज्यपाल ने विधानसभा भंग कर दी। राव साहब महज 9 महीने ही मुख्यमंत्री रह पाए। ‘मैं हरियाणा का सीएम’ सीरीज के दूसरे एपिसोड में राव बीरेंद्र सिंह के सीएम बनने की कहानी और उनकी जिंदगी से जुड़े किस्से… फरवरी 1967, नए-नवेले राज्य हरियाणा की गलियों में पहले विधानसभा चुनाव की गूंज थी। संयुक्त पंजाब की तरह हरियाणा में भी कांग्रेस का दबदबा था। चुनाव के नतीजे इस तस्वीर को साफ बयां कर रहे थे। कांग्रेस को 81 विधानसभा सीटों में से 48 पर जीत मिली। वहीं, जनसंघ को 12, रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया को 2 और स्वतंत्र पार्टी को 3 सीटें मिलीं। जबकि 16 निर्दलीय विधायक भी जीते। अब बारी थी मुख्यमंत्री तय करने की। चुनाव से पहले चेहरा मुख्यमंत्री भगवत दयाल शर्मा थे। नतीजों के बाद शर्मा फिर से सीएम बनने के लिए पूरी जोर-आजमाइश कर रहे थे। वे एक-एक करके अपने विरोधियों को ठिकाने लगा रहे थे। देवीलाल और शेर सिंह जैसे दिग्गजों को तो उन्होंने विधानसभा चुनाव ही नहीं लड़ने दिया। जबकि भूपेंद्र सिंह हुड्डा के पिता रणबीर सिंह की सीट पर अपने खेमे के निर्दलीय उम्मीदवार से हरवाकर उन्हें भी रास्ते से हटा दिया। हालांकि तमाम हथकंडों के बाद भी एक शख्स ऐसा था, जो भगवत दयाल शर्मा के लिए चुनौती बना हुआ था। वह इंदिरा गांधी की पसंद था और ज्यादातर विधायक भी उसके समर्थन में थे। नाम राव बीरेंद्र सिंह। अहीरवाल राज के वंशज राव बीरेंद्र सिंह राजनीति में आने से पहले अंग्रेजों की फौज में कैप्टन रह चुके थे। दूसरे विश्व युद्ध में शामिल भी रहे थे। इंदिरा गांधी ने भगवत दयाल शर्मा से कहा कि वो राव बीरेंद्र को मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहती हैं, लेकिन भगवत दयाल इसके लिए तैयार नहीं हुए। उन्होंने मुख्यमंत्री बनने के लिए सिंडिकेट से पैरवी की। दरअसल, तब कांग्रेस के भीतर ताकतवर नेताओं का एक ग्रुप हुआ करता था, जिसे मीडिया ने सिंडिकेट नाम दिया था। इसी सिंडिकेट के बूते वे दोबारा मुख्यमंत्री तो बन गए, लेकिन राव बगावत पर उतर आए। उन्होंने घोषणा कर दी कि वे भगवत दयाल की सरकार को 13 दिन भी नहीं चलने देंगे। इंदिरा ने भगवत दयाल सरकार गिराने का जिम्मा देवीलाल को दिया भगवत दयाल भांप चुके थे कि उनकी सरकार को गिराने की साजिश रची जा रही है। इसलिए उन्होंने अपने करीबियों को ही मंत्रिमंडल में शामिल किया, लेकिन ये दांव उल्टा पड़ा। नाराज विधायकों को बगावत का मौका मिल गया। वे राव बीरेंद्र से संपर्क साधने में जुट गए। हरियाणा में जो कुछ हो रहा था, उस पर केंद्र की भी नजर थी। इंदिरा गांधी भी बैक गेट से अपनी ही सरकार गिराने की बिसात बिछा रही थीं। इसका दावा भगवत दयाल शर्मा के निजी सुरक्षा अधिकारी रहे दादा रामस्वरूप करते हैं। एक इंटरव्यू में रामस्वरूप बताते हैं- ‘प्रधानमंत्री इंदिरा खुद चाहतीं थीं कि भगवत दयाल की सरकार किसी तरीके से गिर जाए। उन्होंने भगवत दयाल के विरोधी और कांग्रेस के कद्दावर नेता चौधरी देवीलाल को इसकी जिम्मेदारी सौंपी।’ इंदिरा गांधी के इशारे पर चौधरी देवीलाल, भगवत दयाल सरकार को गिराने में जुट चुके थे, लेकिन इसके लिए जरूरी था कि राव बीरेंद्र सिंह के साथ उनके सियासी मतभेद दूर हों। लेखक के. गोपी यादव लिखते हैं, ‘हरियाणा बनने से पहले देवीलाल और राव के बीच गहरी दोस्ती थी, बाद में दोनों के संबंध बिगड़ गए। दोबारा संबंध ठीक करने के लिए देवीलाल ने दिल्ली के एक बिल्डर की मदद ली। बिल्डर ने राव को दिल्ली में अपने बंगले पर डिनर के लिए बुलाया। राव डिनर पर नहीं जाना चाहते थे, लेकिन उसके बार-बार आग्रह करने पर वे मान गए। राव उसके घर जैसे ही पहुंचे, उन्हें वहां देवीलाल मिल गए। राव बिल्डर पर गुस्सा हो गए। बिल्डर ने हिम्मत जुटाते हुए राव साहब से कहा कि देवीलाल चाहते हैं कि आप मुख्यमंत्री बनें और वह तहे दिल से आपका सहयोग करेंगे। इस पर राव ने देवीलाल की ओर इशारा करते हुए कहा कि वो इन पर भरोसा नहीं कर सकते। राव का लहजा और लफ्ज दोनों ही सख्त थे, लेकिन देवीलाल ने संयम नहीं खोया। उन्होंने राव को मना लिया। उसी रोज डिनर की टेबल पर पंडित भगवत दयाल शर्मा की सरकार गिराने का प्लान बना।’ अपनी पार्टी की सरकार के खिलाफ लड़ा स्पीकर का चुनाव और जीत भी गए 17 मार्च 1967, भगवत दयाल को मुख्यमंत्री बने एक हफ्ता बीत चुका था। अब स्पीकर चुनने की बारी थी। भगवत दयाल शर्मा ने जींद से विधायक लाला दयाकिशन का नाम स्पीकर के लिए आगे बढ़ाया। इस बीच उन्हीं की पार्टी के एक विधायक ने राव बीरेंद्र सिंह का नाम स्पीकर पद के लिए प्रपोज कर दिया। मुख्यमंत्री भगवत दयाल के खेमे में खलबली मच गई। वोटिंग हुई तो दयाकिशन को 37 वोट मिले, जबकि राव को 28 विपक्षी और कांग्रेस के 12 असंतुष्ट विधायकों को मिलाकर कुल 40 वोट मिले। इसका सीधा मतलब था कि भगवत दयाल शर्मा की सरकार खतरे में है। आखिर बहुमत परीक्षण की बारी भी आई। स्पीकर का चुनाव जीतने के बाद भी बीरेंद्र सिंह का खेमा एक विधायक को लेकर चिंतित था। वो थे चौधरी बंसीलाल, जो पहली बार जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। राव साहब जानते थे कि अगर बंसीलाल विधानसभा पहुंच गए, तो खेल बिगड़ सकता है। ऐसे में योजना बनाई गई कि बंसीलाल को फ्लोर टेस्ट वाले दिन सदन में आने ही न दिया जाए। पूर्व विधायक और लेखक भीम सिंह दहिया अपनी किताब ‘पावर पॉलिटिक्स ऑफ हरियाणा’ में लिखते हैं- ‘बंसीलाल को सदन से दूर रखने की जिम्मेदारी एक अफसर को सौंपी गई। उसने बंसीलाल को अपने घर बुलाया। थोड़ी देर बाद जब वे बाथरूम में गए, तो अफसर ने दरवाजा बंद कर दिया। वे काफी देर तक आवाज लगाते रहे, लेकिन दरवाजा तब तक नहीं खोला गया, जब तक फ्लोर टेस्ट में भगवत दयाल की सरकार गिरा नहीं दी गई।’ भगवत दयाल की सरकार गिराने के बाद कांग्रेस से बागी हुए 12 विधायकों ने हरियाणा कांग्रेस नाम की नई पार्टी बनाई। 16 निर्दलीय विधायकों ने नवीन हरियाणा पार्टी बनाई। 20 मार्च 1967 को कांग्रेस, इन सभी को मिलाकर हरियाणा संयुक्त विधायक दल पार्टी का गठन किया। चौधरी देवीलाल को इसका संयोजक बनाया गया। चार दिन बाद यानी, 24 मार्च को राव बीरेंद्र सिंह ने 15 मंत्रियों के साथ हरियाणा के दूसरे मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। इस तरह पहली बार राव बीरेंद्र सिंह मुख्यमंत्री बने। देवीलाल ने गंगाजल में नमक डालकर साथ देने की कसम खाई सीएम बनने के बाद भी राव बीरेंद्र के मन में देवीलाल को लेकर संशय बना हुआ था। के. गोपी यादव लिखते हैं- ‘देवीलाल ने संयुक्त विधायक दल की सरकार के सभी समर्थक विधायकों के सामने गंगाजल से भरी हांडी में नमक डालकर कसम खाई कि अगर वे किसान-मजदूर हितैषी राव की सरकार के साथ विश्वासघात करेंगे, तो वे हांडी में डाले गए नमक की तरह घुल जाएंगे। इसके बाद राव ने उनसे पूछा कि मुझे क्या कीमत चुकानी पड़ेगी। देवीलाल ने कहा कि हमारी कोई शर्त नहीं है, लेकिन राव को अब भी यकीन नहीं हो रहा था। उनका मन कह रहा था कि जरूर कुछ ऐसा है जिसे छिपाया जा रहा है। तब देवीलाल ने कहा कि राव साहब, अगर आपको उचित लगे तो चांदराम को उद्योग मंत्री बना दीजिए। राव ने चांदराम को मंत्री बनाया, लेकिन उन्हें उद्योग विभाग नहीं दिया।’ देवीलाल ने ढाई महीने में ही तोड़ दी अपनी कसम राव बीरेंद्र सिंह को मुख्यमंत्री बने अभी कुछ ही महीने हुए थे कि उन्होंने देवीलाल को तवज्जो देना बंद कर दिया। देवीलाल, सरकार के खिलाफ खुलकर नाराजगी भी जाहिर करने लगे। 5 जून 1967 को देवीलाल ने लेटर जारी किया, जिस पर 13 विधायकों और मंत्रियों के हस्ताक्षर थे। इसके बाद दोनों नेताओं के बीच रिश्ते फिर बिगड़ने लगे। 13 जुलाई को देवीलाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा- ‘राव बीरेंद्र सिंह की सरकार जनसंघ से प्रभावित है। इसलिए हरियाणा विरोधी इस सरकार से समर्थन वापस लेने का फैसला किया गया है। देवीलाल ने राव पर कांग्रेस से साठगांठ का आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा कि राव इस बात के लिए तैयार हो गए थे कि यदि उन्हें मुख्यमंत्री बनाए रखने का वचन दिया जाए तो वे कांग्रेस में शामिल हो जाएंगे।’ हालांकि राव ने इस आरोप को निराधार बताते हुए कहा कि देवीलाल की नाराजगी का असली कारण उन्हें मंत्री न बनाया जाना है। सरकार बनाने पहुंचे देवीलाल तो राज्यपाल ने ठुकराया प्रस्ताव 14 जुलाई को संयुक्त विधायक दल ने 38 विधायकों के साथ बैठक की और देवीलाल को निष्कासित कर दिया। देवीलाल ने तुरंत कांग्रेस से समझौता कर लिया और राव सरकार का तख्तापलट करने में जुट गए। दावा किया जाता है कि कांग्रेस हाईकमान समझौते के तहत देवीलाल को मुख्यमंत्री बनाने के लिए भी तैयार हो गया था। बशर्तें वे संयुक्त मोर्चे के कुछ विधायकों को अपने साथ ले आएं। राव को इसकी भनक लग चुकी थी। 15 जुलाई को अचानक राव बीरेंद्र सिंह ने राज्यपाल को मंत्रिमंडल का त्यागपत्र दे दिया। उनका मकसद देवीलाल समर्थकों को मंत्रिमंडल से हटाकर नया मंत्रिमंडल बनाना था। राव जब तक अपनी योजना को अमलीजामा पहना पाते, उससे पहले ही देवीलाल 51 विधायकों के समर्थन का दावा लेकर राज्यपाल के पास पहुंच गए, लेकिन राज्यपाल ने यह कहते हुए देवीलाल का दावा खारिज कर दिया कि सूची में विधायकों के साइन नहीं हैं। हालांकि कहा जाता है कि उस पत्र में विधायकों के दस्तखत थे। राज्यपाल ने राव बीरेंद्र सिंह को फिर से मंत्रिमंडल बनाने को कहा। उसी दिन 15 जुलाई को राव के नए मंत्रिमंडल ने शपथ ली। इस बार मंत्रिमंडल में देवीलाल के करीबी चांदराम और मनीराम गोदारा को शामिल नहीं किया गया। इससे नाराज देवीलाल समर्थक मुख्य संसदीय सचिव जगन्नाथ ने भी अपना इस्तीफा दे दिया। अगले चार महीने यानी नवंबर तक दोनों खेमों में सियासी उठापटक चलती रही। कभी देवीलाल के सहयोगी टूटकर संयुक्त मोर्चे में शामिल होते, तो कभी संयुक्त मोर्चे के विधायक को तोड़कर देवीलाल अपने पाले में लाते। 17 नवंबर 1967 को राज्यपाल वीएन चक्रवर्ती ने हरियाणा की राजनीतिक उठापटक को लेकर राष्ट्रपति से विधानसभा भंग करने की सिफारिश की। राष्ट्रपति डॉ. जाकिर हुसैन ने 21 नवंबर 1967 को प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया। सरकार गिरने के बाद राव बीरेंद्र सिंह ने विशाल हरियाणा पार्टी बनाई। जबकि देवीलाल कांग्रेस में शामिल हो गए। अप्रैल-मई 1968 में हरियाणा में तीसरी बार विधानसभा चुनाव हुए। वोटों की गिनती हुई तो कांग्रेस को 48 सीटें मिलीं। इस बार बंसीलाल को मुख्यमंत्री का ताज पहनाया गया। वही बंसीलाल जिन्हें एक साल पहले भगवत दयाल की सरकार गिराने के लिए बाथरूम में बंद कर दिया गया था।
रोहतक में पुरानी रंजिश में पहलवान को मारी गोली:6 साल पहले हुआ विवाद, दादी बोली- थारा शेर मार दिया, अब परिवार की बारी
रोहतक में पुरानी रंजिश में पहलवान को मारी गोली:6 साल पहले हुआ विवाद, दादी बोली- थारा शेर मार दिया, अब परिवार की बारी रोहतक के गांव गांधरा निवासी पहलवान को दौड़ा-दौड़ाकर गोली मारने वाले आरोपी नामजद हो गए हैं। हमलावरों में शामिल 3 नामजद आरोपी गांव के ही रहने वाले हैं। जिनके खिलाफ पुलिस ने एफआईआर दर्ज करके जांच शुरू कर दी। यह वारदात वहां लगे सीसीटीवी कैमरे में भी कैद हो गई थी। जिसमें आरोपी पीछा करके हमला करते हुए दिखाई दे रहे थे। पुलिस के अनुसार आरोपियों का घायल पहलवान के साथ करीब 6 साल पहले 2018 में गांव गांधरा निवासी राजीव और मुनीम को झगड़ा हुआ था। जिसके बाद अब मुनीम के बेटों और परिवार पर ही आरोप है कि उन्होंने राजीव पर हमला किया है। घायल के भाई व पिता पर भी की फायरिंग
रोहतक के गांव गांधरा निवासी धर्मेंद्र उर्फ मोनू ने सांपला थाना में शिकायत दी। शिकायत में बताया कि शुक्रवार को वह अपने भाई राजीव उर्फ ढिला पहलवान और पिता महाबीर के साथ बस स्टैंड के पास खेत से आए थे। अचानक एक ब्लैक रंग की गाड़ी आकर रुकी। उसमें से गांव के ही दिपांशु, हिमांशु और सुनील सहित एक सांपला गांव का युवक तथा 6-7 नौजवान लड़के थे। आरोपियों ने राजीव उर्फ ढिला पहलवान पर अपने हथियारों से गोली मारने लगे। जब वह और उसके पिता बचाने के लिए दौड़े तो हमलावरों ने उन पर भी फायरिंग कर दी। चौक पर ज्यादा लोग होने से वे गोली लगने से बच गए। पुरानी रंजिश में मारी गोली
उन्होंने कहा कि आरोपियों की दादी ने धमकी दी कि थारा शेर मार दिया, बाकि परिवार वालों को भी नहीं छोड़ेंगे। आरोपियों ने पुरानी रंजिश रखते हुए उसके भाई राजीव उर्फ ढिला पहलवान पर हमला किया है। जिसके बाद मामले की शिकायत पुलिस को दे दी और आरोपियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की। उन्होंने बताया कि उसका भाई राजीव उर्फ ढिला कुश्ती का खिलाड़ी रहा है और फिलहाल गांव में अपना अखाड़ा चलाता है। आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज
सांपला थाना प्रभार बिजेंद्र सिंह ने कहा कि घायल राजीव के भाई धर्मेंद्र के बयान दर्ज किए हैं। जिसके आधार पर गांव के ही हिमांशु, दीपांशु और सुनील सहित अन्य के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है। फिलहाल बयानों की जांच की जा रही है। वहीं आरोपियों को गिरफ्तार करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। आरोपी गिरफ्तार होने के बाद ही मामला स्पष्ट हो पाएगा।