सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद जेल से बाहर आए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अब हरियाणा विधानसभा चुनाव पर फोकस करेंगे। पार्टी के प्रचार अभियान की कमान संभालने के साथ ही वह पार्टी की रणनीति को भी जमीन पर उतारने की तैयारी में जुट गए हैं। केजरीवाल के हरियाणा में एक्टिव होने से BJP और कांग्रेस दोनों की टेंशन बढ़ना तय मानी जा रही है। वह इसलिए है कि हरियाणा में बीजेपी 10 साल से सरकार चला रही है। कांग्रेस मुख्य विपक्षी दल की भूमिका में है। सियासी जानकारों की मानें तो कांग्रेस और बीजेपी में ही अभी सीधा मुकाबला दिखाई दे रहा है। हालांकि अरविंद केजरीवाल की पार्टी AAP ने भी सभी 90 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं। AAP को चुनाव में सबसे ज्यादा कांग्रेस और बीजेपी के बागी नेताओं से उम्मीदें हैं। 2019 से इतर इस बार AAP ने अपने संगठन का विस्तार भी कर लिया और कई इलाकों में मजबूत पकड़ भी बनाई है। दिल्ली-पंजाब से कमजोर संगठन दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की रिहाई की टाइमिंग हरियाणा चुनाव के हिसाब से परफेक्ट है। फिलहाल, हरियाणा विधानसभा चुनाव में अब तक केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल मोर्चा संभाले देखी गई हैं और केजरीवाल की गैरमौजूदगी में धुआंधार प्रचार कर रहीं थीं। अब हरियाणा चुनाव में पूरी ताकत से पार्टी उतरने की तैयारी कर रही है। चूंकि, हरियाणा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने अकेले दम पर लड़ने का फैसला किया है।हरियाणा में आम आदमी पार्टी का संगठन दिल्ली और पंजाब की तुलना में काफी कमजोर है और ऐसे में केजरीवाल की कैंपेनिंग से ही उम्मीदवारों को सबसे ज्यादा उम्मीद है। चुनाव में AAP के ये होंगे प्लस प्वाइंट… 1. केजरीवाल का हरियाणा उनका अपना गृह राज्य है। केजरीवाल का हरियाणा में हिसार के खेड़ा में पुश्तैनी गांव है। अक्सर राजनीतिक कार्यक्रमों में भी केजरीवाल खुद को हरियाणा से जोड़ते आए हैं। 2. केजरीवाल को दिल्ली वालों की नब्ज पहचानने में माहिर माना जाता है। उन्होंने हरियाणा के पड़ोसी राज्य पंजाब में भी अपनी पार्टी की सरकार बनवाकर इतिहास बनाया है। अब दिल्ली और पंजाब के पड़ोसी राज्य हरियाणा पर फोकस है। 3. AAP नेता अपने चुनावी प्रचार में इस बात का भी जिक्र कर रहे हैं। केजरीवाल भी अपने चुनावी अभियान में इसे मुद्दा बना सकते हैं और आम जनता में भी इसका असर देखने को मिल सकता है। 4. केजरीवाल की रिहाई से AAP को बूस्टर मिला है। इससे संगठन एकजुट हुआ है, अपने सबसे बड़े चेहरे के जरिए बीजेपी और कांग्रेस को घेरने में मदद मिल सकेगी। AAP बड़े स्तर पर कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगा सकती है और नुकसान पहुंचा सकती है। 5. एक फैक्ट यह भी है कि हरियाणा में कुछ बड़े नेताओं के परिवार ऐसे हैं, जो नाराज चल रहे हैं। इन्हें बीजेपी और कांग्रेस दोनों से टिकट नहीं मिला है। संभव है कि ऐसे नाराज नेता AAP के लिए मददगार साबित हो सकते हैं। यहां पढ़िए कांग्रेस-बीजेपी के लिए क्यों दिक्कतें खड़ी करेगी AAP शहरी वोटरों पर केजरीवाल की अच्छी पकड़ कांग्रेस के साथ ही बीजेपी के लिए भी यह टेंशन होगी कि AAP उनके वोट बैंक में सेंध लगा सकती है। जानकार कहते हैं कि केजरीवाल की रिहाई को बीजेपी के लिए भी राहत नहीं कहा जा सकता है। क्योंकि, बीजेपी का शहरी इलाके में अच्छा खासा वोट बैंक है और AAP भी शहरी इलाके में पकड़ बना रही है। संभव है कि आप केजरीवाल के जरिए शहरी वोटर्स में सेंध लगा सकती है, इससे बीजेपी का नुकसान हो सकता है। खासकर उन सीटों पर जहां मुकाबला करीबी है। ऐसे में कांग्रेस और बीजेपी को भी अपनी रणनीति में बदलाव करना पड़ सकता है। कांग्रेस को 8 से 10 सीटों पर होगा नुकसान AAP प्रत्याशी कांग्रेस को बहुत परेशान करेंगे। बीजेपी के विरोधी वोटों में अगर सेंध लगती है तो इसका नुकसान कांग्रेस को भुगतना होगा। हरियाणा में कम से कम 8 से 10 सीटें ऐसी हैं जहां आम आदमी पार्टी के कैंडिडेट नहीं जीत सके तो कांग्रेस को कमजोर करने का तो काम कर सकते हैं। 2019 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने हरियाणा में 46 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे। मगर पार्टी का पार्टी का वोट शेयर केवल 0.48 प्रतिशत रहा था। हरियाणा में AAP का किन इलाकों में प्रभाव ? हरियाणा में AAP का फोकस खासकर शहरी और कस्बा इलाकों में ज्यादा है। दिल्ली से सटे गुरुग्राम और फरीदाबाद जिले राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र ( NCR ) में आते हैं। AAP का प्रभाव यहां देखने को मिल सकता है। इन जिलों के लोग दिल्ली की राजनीति और नीतियों से प्रभावित होते हैं। दिल्ली में AAP सरकार के मॉडल के चलते पार्टी ने यहां एक बुनियादी जनाधार तैयार किया है। इसके अलावा, हिसार में AAP की पकड़ धीरे – धीरे बढ़ रही है। यह क्षेत्र ऐतिहासिक रूप से निर्दलीय और क्षेत्रीय दलों के प्रभाव वाला रहा है, जिससे AAP को एक अवसर मिला है। करनाल के लिए अलग बनाई रणनीति कुरुक्षेत्र और करनाल जिले भी NCR के करीब हैं और AAP ने यहां भी अपना आधार बढ़ाने प्रयास किया है। करनाल मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर गृह जिला है, इसलिए AAP के लिए यह क्षेत्र रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है। सोनीपत और पानीपत जिले भी NCR का हिस्सा हैं। यहां के लोग दिल्ली की राजनीतिक घटनाओं से प्रभावित होते हैं। AAP ने यहां शिक्षा , स्वास्थ्य और भ्रष्टाचार के मुद्दों पर अपनी पकड़ मजबूत करने का अवसर मिला है। भिवानी, रेवाड़ी और झज्जर जिले भी AAP के लिए महत्वपूर्ण हो सकते हैं। खासकर जब पार्टी ग्रामीण और कस्बा इलाकों में अपनी रणनीति को बढ़ावा देने पर ध्यान दे रही है। सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद जेल से बाहर आए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अब हरियाणा विधानसभा चुनाव पर फोकस करेंगे। पार्टी के प्रचार अभियान की कमान संभालने के साथ ही वह पार्टी की रणनीति को भी जमीन पर उतारने की तैयारी में जुट गए हैं। केजरीवाल के हरियाणा में एक्टिव होने से BJP और कांग्रेस दोनों की टेंशन बढ़ना तय मानी जा रही है। वह इसलिए है कि हरियाणा में बीजेपी 10 साल से सरकार चला रही है। कांग्रेस मुख्य विपक्षी दल की भूमिका में है। सियासी जानकारों की मानें तो कांग्रेस और बीजेपी में ही अभी सीधा मुकाबला दिखाई दे रहा है। हालांकि अरविंद केजरीवाल की पार्टी AAP ने भी सभी 90 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं। AAP को चुनाव में सबसे ज्यादा कांग्रेस और बीजेपी के बागी नेताओं से उम्मीदें हैं। 2019 से इतर इस बार AAP ने अपने संगठन का विस्तार भी कर लिया और कई इलाकों में मजबूत पकड़ भी बनाई है। दिल्ली-पंजाब से कमजोर संगठन दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की रिहाई की टाइमिंग हरियाणा चुनाव के हिसाब से परफेक्ट है। फिलहाल, हरियाणा विधानसभा चुनाव में अब तक केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल मोर्चा संभाले देखी गई हैं और केजरीवाल की गैरमौजूदगी में धुआंधार प्रचार कर रहीं थीं। अब हरियाणा चुनाव में पूरी ताकत से पार्टी उतरने की तैयारी कर रही है। चूंकि, हरियाणा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने अकेले दम पर लड़ने का फैसला किया है।हरियाणा में आम आदमी पार्टी का संगठन दिल्ली और पंजाब की तुलना में काफी कमजोर है और ऐसे में केजरीवाल की कैंपेनिंग से ही उम्मीदवारों को सबसे ज्यादा उम्मीद है। चुनाव में AAP के ये होंगे प्लस प्वाइंट… 1. केजरीवाल का हरियाणा उनका अपना गृह राज्य है। केजरीवाल का हरियाणा में हिसार के खेड़ा में पुश्तैनी गांव है। अक्सर राजनीतिक कार्यक्रमों में भी केजरीवाल खुद को हरियाणा से जोड़ते आए हैं। 2. केजरीवाल को दिल्ली वालों की नब्ज पहचानने में माहिर माना जाता है। उन्होंने हरियाणा के पड़ोसी राज्य पंजाब में भी अपनी पार्टी की सरकार बनवाकर इतिहास बनाया है। अब दिल्ली और पंजाब के पड़ोसी राज्य हरियाणा पर फोकस है। 3. AAP नेता अपने चुनावी प्रचार में इस बात का भी जिक्र कर रहे हैं। केजरीवाल भी अपने चुनावी अभियान में इसे मुद्दा बना सकते हैं और आम जनता में भी इसका असर देखने को मिल सकता है। 4. केजरीवाल की रिहाई से AAP को बूस्टर मिला है। इससे संगठन एकजुट हुआ है, अपने सबसे बड़े चेहरे के जरिए बीजेपी और कांग्रेस को घेरने में मदद मिल सकेगी। AAP बड़े स्तर पर कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगा सकती है और नुकसान पहुंचा सकती है। 5. एक फैक्ट यह भी है कि हरियाणा में कुछ बड़े नेताओं के परिवार ऐसे हैं, जो नाराज चल रहे हैं। इन्हें बीजेपी और कांग्रेस दोनों से टिकट नहीं मिला है। संभव है कि ऐसे नाराज नेता AAP के लिए मददगार साबित हो सकते हैं। यहां पढ़िए कांग्रेस-बीजेपी के लिए क्यों दिक्कतें खड़ी करेगी AAP शहरी वोटरों पर केजरीवाल की अच्छी पकड़ कांग्रेस के साथ ही बीजेपी के लिए भी यह टेंशन होगी कि AAP उनके वोट बैंक में सेंध लगा सकती है। जानकार कहते हैं कि केजरीवाल की रिहाई को बीजेपी के लिए भी राहत नहीं कहा जा सकता है। क्योंकि, बीजेपी का शहरी इलाके में अच्छा खासा वोट बैंक है और AAP भी शहरी इलाके में पकड़ बना रही है। संभव है कि आप केजरीवाल के जरिए शहरी वोटर्स में सेंध लगा सकती है, इससे बीजेपी का नुकसान हो सकता है। खासकर उन सीटों पर जहां मुकाबला करीबी है। ऐसे में कांग्रेस और बीजेपी को भी अपनी रणनीति में बदलाव करना पड़ सकता है। कांग्रेस को 8 से 10 सीटों पर होगा नुकसान AAP प्रत्याशी कांग्रेस को बहुत परेशान करेंगे। बीजेपी के विरोधी वोटों में अगर सेंध लगती है तो इसका नुकसान कांग्रेस को भुगतना होगा। हरियाणा में कम से कम 8 से 10 सीटें ऐसी हैं जहां आम आदमी पार्टी के कैंडिडेट नहीं जीत सके तो कांग्रेस को कमजोर करने का तो काम कर सकते हैं। 2019 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने हरियाणा में 46 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे। मगर पार्टी का पार्टी का वोट शेयर केवल 0.48 प्रतिशत रहा था। हरियाणा में AAP का किन इलाकों में प्रभाव ? हरियाणा में AAP का फोकस खासकर शहरी और कस्बा इलाकों में ज्यादा है। दिल्ली से सटे गुरुग्राम और फरीदाबाद जिले राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र ( NCR ) में आते हैं। AAP का प्रभाव यहां देखने को मिल सकता है। इन जिलों के लोग दिल्ली की राजनीति और नीतियों से प्रभावित होते हैं। दिल्ली में AAP सरकार के मॉडल के चलते पार्टी ने यहां एक बुनियादी जनाधार तैयार किया है। इसके अलावा, हिसार में AAP की पकड़ धीरे – धीरे बढ़ रही है। यह क्षेत्र ऐतिहासिक रूप से निर्दलीय और क्षेत्रीय दलों के प्रभाव वाला रहा है, जिससे AAP को एक अवसर मिला है। करनाल के लिए अलग बनाई रणनीति कुरुक्षेत्र और करनाल जिले भी NCR के करीब हैं और AAP ने यहां भी अपना आधार बढ़ाने प्रयास किया है। करनाल मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर गृह जिला है, इसलिए AAP के लिए यह क्षेत्र रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है। सोनीपत और पानीपत जिले भी NCR का हिस्सा हैं। यहां के लोग दिल्ली की राजनीतिक घटनाओं से प्रभावित होते हैं। AAP ने यहां शिक्षा , स्वास्थ्य और भ्रष्टाचार के मुद्दों पर अपनी पकड़ मजबूत करने का अवसर मिला है। भिवानी, रेवाड़ी और झज्जर जिले भी AAP के लिए महत्वपूर्ण हो सकते हैं। खासकर जब पार्टी ग्रामीण और कस्बा इलाकों में अपनी रणनीति को बढ़ावा देने पर ध्यान दे रही है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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अनिल विज का एकतरफा माहौल नहीं:CM फेस बताने का फायदा मिल रहा; कांग्रेस को गुटबाजी से नुकसान; वोट शिफ्टिंग से चित्रा सरवारा बाजी मारेंगी
अनिल विज का एकतरफा माहौल नहीं:CM फेस बताने का फायदा मिल रहा; कांग्रेस को गुटबाजी से नुकसान; वोट शिफ्टिंग से चित्रा सरवारा बाजी मारेंगी हरियाणा की अंबाला कैंट विधानसभा सीट हॉट बनी हुई है, क्योंकि यहां से पूर्व गृह मंत्री अनिल विज भाजपा उम्मीदवार हैं। अनिल विज इस सीट से 6 बार विधायक बन चुके हैं। कांग्रेस ने यहां से सांसद कुमारी सैलजा के करीबी पूर्व पार्षद परविंदर सिंह परी को टिकट दिया है। इनके अलावा, आम आदमी पार्टी (AAP) से राज कौर गिल, इनेलो-बसपा के ओंकार सिंह, जजपा-असपा के अवतार करधान और कांग्रेस की बागी चित्रा सरवारा मैदान में हैं। अंबाला कैंट में कुल वोटरों की संख्या 2.7 लाख है। यहां के मुख्य मुद्दे टूटी सड़कें और जलभराव की समस्या है। लोगों का कहना है कि इस सीट पर अनिल विज का एकतरफा माहौल नहीं है। इलाके की टूटी सड़कों और बारिश के बाद जलभराव की समस्या से लोग परेशान हैं। ये चीजें विज के लिए परेशानी बनेंगी। हालांकि, विज ने जब से खुद को CM फेस बताया है, इससे उन्हें फायदा मिल सकता है। विज को मुख्यमंत्री बनाया गया तो विधानसभा क्षेत्र में और प्रोजेक्ट आएंगे। लोगों के मुताबिक इस चुनाव में कांग्रेस को गुटबाजी भारी पड़ेगी। सैलजा का करीबी होने की वजह से कांग्रेस उम्मीदवार परविंदर परी से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा दूरी बनाए हुए हैं। यहां चित्रा ही अनिल विज को टक्कर देंगी। पिछले चुनाव में भी वह दूसरे नंबर पर रहीं थीं। परविंदर परी लगातार आरोप लगा रहे हैं कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने इस सीट पर अन्य नेताओं को मना लिया, लेकिन चित्रा को मनाने के लिए नहीं गए। उनका इशारा है कि हुड्डा गुट कहीं न कहीं अंदरखाते चित्रा को समर्थन दे रहा है। अगर कांग्रेस का वोट चित्रा की तरफ शिफ्ट हुआ तो अनिल विज मुश्किल में पड़ सकते हैं। 4 पॉइंट में समझें अंबाला कैंट विधानसभा के समीकरण अनिल विज बोले- काम किया है, काम करेंगे अनिल विज अंबाला कैंट विधानसभा सीट से 6 बार विधायक बन चुके हैं। सबसे पहले वह साल 1990 में भाजपा के टिकट पर चुनाव जीते। इसके बाद भाजपा ने टिकट काटा तो 1996 और 2000 में निर्दलीय चुनाव में उतरे और जीत हासिल की। 2009, 2014 और 2019 में वह भाजपा के टिकट पर विधायक बने। वह 2014 और 2019 में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। हाल ही में उन्होंने मुख्यमंत्री की कुर्सी पर दावा ठोका है। विज का कहना है कि उनके समर्थक लगातार दबाव डाल रहे थे कि आप पार्टी में सबसे सीनियर हो, आपको भी मुख्यमंत्री के लिए दावा ठोकना चाहिए। हालांकि, अनिल विज ने यह भी साफ किया कि आखिरी फैसला पार्टी का होगा कि किसे मुख्यमंत्री बनाना है। अनिल विज इस चुनाव में जनता के सामने कह रहे है कि काम किया है और काम करेंगे। मेरा कार्यकर्ता ही मेरा स्टार प्रचारक है। कैंट में टूटी सड़कों और जलभराव की समस्या पर विज का कहना है कि यह मेरी प्लानिंग का हिस्सा है। हम इस पर लगातार काम कर रहे हैं। हमारी कोशिश थी कि इस चुनाव से पहले पूरा सिस्टम बन जाए, लेकिन इस में टाइम लग रहा है। चित्रा सरवारा भ्रष्टाचार दूर करने के नाम पर वोट मांग रहीं चित्रा सरवारा पूर्व मंत्री निर्मल सिंह मोहड़ा की बेटी हैं। निर्मल सिंह अंबाला सिटी से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। चित्रा 2013 में पार्षद बनी थीं। मार्च 2015 में वह कांग्रेस में शामिल हुईं। 2016 में उन्हें हरियाणा प्रदेश महिला कांग्रेस कमेटी का वरिष्ठ उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया। इसके बाद उन्हें सचिव बनाया गया। 2019 में कांग्रेस से टिकट न मिलने के बाद उन्होंने निर्दलीय विधानसभा चुनाव लड़ा और दूसरे नंबर पर रहीं। साल 2023 में वह आम आदमी पार्टी में शामिल हो गईं और उन्हें पार्टी में राज्य उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई। 5 जनवरी 2024 को वह दोबारा कांग्रेस में शामिल हो गईं। अब 2024 में भी वह कांग्रेस से टिकट मांग रही थीं, लेकिन उनकी जगह परविंदरपाल परी को उम्मीदवार बनाया गया। चित्रा ने बागी होकर निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर नामांकन दाखिल कर दिया। चित्रा मानना है कि विज के विधायक रहते यहां विकास हुआ है, लेकिन भ्रष्टाचार भी बढ़ा है। उनका कहना है कि यहां स्टेडियम और सड़कों के टेंडर में घोटाला हुआ है। बार-बार टेंडर किए जाते हैं और बाद में रद्द हो जाते हैं। यहां सड़कों का हाल बहुत बुरा है। बारिश के दिनों में पानी भर जाता है। सीवरेज सिस्टम चल ही नहीं पाया। परविंदर परी टूटी सड़कों का मुद्दा उठा रहे कांग्रेस उम्मीदवार परविंदर परी होटल कारोबारी हैं। वह 2002 में यूथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं। इसके बाद 2005 में उन्हें यूथ कांग्रेस का जनरल सेक्रेटरी बनाया गया। वह अंबाला कैंट से पार्षद भी रहे हैं। उनकी पत्नी निमृत कौर एक कोशिश नाम से NGO चलाती हैं, जिसमें वह महिलाओं और बच्चों की मदद करती हैं। लंबे समय से वह कांग्रेस पार्टी के साथ जुड़े हुए हैं। वह कुमारी सैलजा गुट से आते हैं। कुमारी सैलजा की पैरवी के बाद ही उन्हें टिकट दिया गया। परी जनता के सामने टूटी सड़कें और जलभराव की समस्या उठा रहे हैं। उनका कहना है कि भाजपा सरकार ने कैंट विधानसभा क्षेत्र के लिए कुछ नहीं किया। सत्ता में आने के बाद सबसे पहले यहां की सड़कें दुरुस्त की जाएंगी। अगर मैं यहां से विधायक बना तो मंत्री पद लेकर आऊंगा। क्या कहते हैं अंबाला कैंट के वोटर सुरिंदर बोले- सड़कें तोड़-तोड़कर छोड़ीं रिटायर अधिकारी सुरिंदर राणा ने कहा कि अंबाला कैंट में सड़कों का बुरा हाल है। सड़कों को तोड़-तोड़कर छोड़ दिया जाता है। हलके की बदहाली के कारण लोगों में भाजपा उम्मीदवार अनिल विज के लिए रोष है। शहर में मुख्य मुकाबला अनिल विज, चित्रा सरवारा और परविंदर परी में लग रहा है। चित्रा और विज में टक्कर अधिक है, क्योंकि चित्रा पहले भी अंबाला कैंट से चुनाव लड़ी थीं और दूसरे नंबर पर रहीं। चित्रा का हक बनता था, कांग्रेस को उन्हें उम्मीदवार बनाना चाहिए था। सोमबीर बोले- किसानों के साथ धोखा हुआ किसान सोमबीर सिंह ने कहा कि भाजपा ने किसानों के साथ धोखा किया है। किसानों ने MSP को लेकर पहले दिल्ली में प्रदर्शन किया, अब खन्नौरी और शंभू बॉर्डर पर बैठे हुए हैं। भाजपा को किसानों के बारे में सोचना चाहिए, आखिरकार वह देश का अन्नदाता है। अंबाला कैंट में विज और चित्रा के बीच कड़ी टक्कर है। विज ने यहां काम कराए हैं, लेकिन प्रदेश में कांग्रेस की लहर चल रही है। चित्रा को कांग्रेस ने टिकट तो नहीं दिया, लेकिन वहां की वोट उसे ही जाएंगी। पंकज शर्मा बोले- विज की एक तरफा जीत होगी प्रॉपर्टी डीलर पंकज शर्मा ने कहा कि कांग्रेस को गुटबाजी लेकर डूबेगी। कांग्रेस को चित्रा को टिकट देनी चाहिए थी। कैंट में चित्रा ही विज से टक्कर ले सकती हैं। पिछले चुनाव की तरह चित्रा बड़े मार्जिन से हारेंगी। अनिल विज की लगातार चौथी बार एकतरफा जीत होगी। निशित जैन बोले- AAP उम्मीदवार को कोई नहीं जानता रेडीमेड कपड़े की दुकान चलाने वाले निशित जैन ने कहा कि अंबाला कैंट में आम आदमी पार्टी की उम्मीदवार राज कौर गिल का किसी तरह का कोई आधार नहीं है। नया चेहरा है, लोग उन्हें बेहतर तरीके से जानते तक नहीं। फिलहाल चित्रा, परी और अनिल विज में मुकाबला लग रहा है। जो भी हलके का विधायक बने, उसे लोगों की मूलभूत समस्याओं के बारे में जरूर पता होना चाहिए। शहर में सड़कों को बेहतर बनाया जाए। छोटी बस्तियों में बरसात के जलभराव को सही किया जाए। सुगंद जैन ने कहा- खुद को सीएम चेहरा बताने से विज को फायदा मिलेगा जैन समाज से संबंध रखने वाले सुगंद जैन ने कहा कि अनिल विज ने खुद को सीएम फेस बताया है, जिसका लाभ उन्हें चुनाव में जरूर मिलेगा। हलके में अभी तक उनकी स्थिति मजबूत लग रही है। कुछ कार्य हैं, जो अधूरे हैं। उन्हें वह पूरे करवाने चाहिए थे। बरसात का पानी घरों में दाखिल होने से लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। अनिल विज को अंबाला कैंट से लोग समर्थन दे रहे हैं, लेकिन चित्रा उन्हें कांटे की टक्कर देगी। हरियाणा चुनाव से जुड़ी ये ग्राउंड रिपोर्ट्स भी पढ़ें… राव इंद्रजीत की बेटी आरती तिकोने मुकाबले में फंसी:कांग्रेस बांटेगी अहीर वोटर; राजपूत-दलित वोटर्स एकतरफा तो ठाकुर बिगाड़ेंगे सियासी गणित नायब सैनी को CM चेहरे का फायदा:BJP के बागी गर्ग वोटकटवा; बड़शामी ने जाट न बांटे तो कांग्रेस के मेवा से कड़ी टक्कर विनेश फोगाट को कांग्रेस की वेव का सबसे बड़ा सहारा:जाट वोट बंटे तो मुश्किल में फंसेगी रेसलर; OBC-ब्राह्मण एकतरफा होने पर ही BJP को फायदा
हरियाणा भाजपा में भीतरघात पर बवाल:बड़ौली बोले- मेरी लोकसभा में भाजपाईयों ने कांग्रेस के लिए वोट मांगे; मेरे पास उनके VIDEO, ऑडियो
हरियाणा भाजपा में भीतरघात पर बवाल:बड़ौली बोले- मेरी लोकसभा में भाजपाईयों ने कांग्रेस के लिए वोट मांगे; मेरे पास उनके VIDEO, ऑडियो कांग्रेस के बाद अब भाजपा में लोकसभा चुनाव में पार्टी प्रत्याशियों के खिलाफ काम करने वाले नेताओं को लेकर बवाल मच गया है। सोनीपत से भाजपा के लोकसभा प्रत्याशी मोहन लाल बड़ौली ने खुले मंच पर इस तरह के गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि मेरे पास ऐसे कुछ ऑडियो और वीडियो हैं, जिसमें यह स्पष्ट हो रहा है कि पार्टी के ही नेता कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी के लिए चुनाव प्रचार कर रहे हैं। बड़ौली ने यह भी कहा है कि समय आने पर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि उसका खामियाजा भी उन्हें भुगतना पड़ेगा। उन्होंने यह भी दावा करते हुए कहा कि पार्टी के खिलाफ विधायक, सांसद और अधिकारी भी हैं। मोहनलाल बड़ौली ने कहा है कि इस पूरे मामले को लेकर वह प्रदेश के मुख्यमंत्री नायब सैनी के सामने रखेंगे। इसके बाद जो भी पार्टी स्तर पर कार्रवाई की जानी है, वह की जाएगी। भीतरघात में सांसद-विधायक भी शामिल
सोनीपत से भाजपा प्रत्याशी ने यह भी दावा किया कि उनके पास जो चुनाव में भीतरघात के सबूत हैं, उनमें पार्टी के विधायक, सांसद और अधिकारी भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि हालांकि उनके दुष्प्रचार का चुनाव में कोई असर नहीं हुआ है। भाजपा सोनीपत से अच्छे मार्जिन के साथ चुनाव जीत कर आएगी। उन्होंने कहा कि इस मामले को लेकर भाजपा कार्यकर्ताओं के फीडबैक के आधार पर ही फैसला किया जाएगा। MP का टिकट काटकर मिला टिकट
मोहन लाल बड़ौली को इस लोकसभा चुनाव में सिटिंग सांसद रमेश चंद्र कौशिक का टिकट काटकर उन्हें भाजपा ने उम्मीदवार बनाया है। इसकी वजह यह रही कि टिकट के ऐलान से पहले सिटिंग सांसद का एक आपत्तिजनक वीडियो वायरल हो गया था, जिसके बाद उनकी जगह बड़ौली को टिकट दिया गया। मोहन लाल बड़ौली हरियाणा विधानसभा के सदस्य हैं। 22 अक्तूबर 2019 को वह विधायक बने थे। वह भाजपा के राई विधानसभा से विधायक हैं। कांग्रेस पर भी साधा निशाना
कांग्रेस पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा है कि कांग्रेस पार्टी को जनता नकार दिया है। इसलिए पार्टी जीतने के लिए ऐसे काम कर रही है। उन्होंने यह भी कहा है कि देश में नेहरू और जिन्ना दो प्रधानमंत्री बनना चाहते थे। उस वक्त देश का बंटवारा नहीं हुआ था। वहीं उन्होंने इंडिया गठबंधन पर निशाना साधते हुए कहा कि आज जिस प्रकार का गठबंधन है, उसमें 22 प्रधानमंत्री के दावेदार हैं। सभी 22 उम्मीदवार देश के 22 टुकड़े करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि 22 का अगर बटवारा करेंगे तो तीन-तीन महीने के लिए प्रधानमंत्री बनेंगे।
हरियाणा में BJP के टिकट बंटवारे पर मंत्री के सवाल:वाल्मीकि बोले- अंबाला-सिरसा हमें देते तो जीत जाते, SC वोट बैंक घटना चिंताजनक
हरियाणा में BJP के टिकट बंटवारे पर मंत्री के सवाल:वाल्मीकि बोले- अंबाला-सिरसा हमें देते तो जीत जाते, SC वोट बैंक घटना चिंताजनक हरियाणा के सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्री बिशम्बर वाल्मीकि शुक्रवार को रोहतक स्थित भाजपा के प्रदेश कार्यालय में पहुंचे। जहां पर उन्होंने अनुसूचित जाति प्रकोष्ठ की बैठक ली। वहीं भाजपा की हरियाणा में 5 सीटों पर हार को लेकर भी मंथन किया। जिसके बाद अनुसूचित जाति के वोट बैंक खिसकने पर चिंता जताई गई। मंत्री बिशम्बर वाल्मीकि ने कहा कि अनुसूचित जाति के लोगों से बैठक करके उनकी मांगें सुनी। वहीं राजनीतिक हिस्सेदारी के सवाल पर कहा कि वे इसको संगठन के सामने उठाएंगे, ताकि जो इस लोकसभा चुनाव में कमी रही, वह आगे ना हो। उन्होंने कहा कि अगर उनके समाज को सिरसा व अंबाला सीट देते तो वे जीतकर भाजपा की झोली में डाल देते। अंबाला से भाजपा ने बंतो कटारिया और सिरसा से अशोक तंवर को टिकट दी थी। साथ ही भाजपा उम्मीदवारों के साथ भीतरीघात के सवाल पर कहा कि उम्मीदवारों की जो शिकायतें हैं, उन्होंने अपनी शिकायतें संगठन को दे दी है। संगठन अब आगे का फैसला करेगा। उन्होंने कहा कि चुनाव के बाद अनुसूचित जाति के लोगों के साथ बैठकर मंथन करने का फैसला लिया। वहीं अब 3 माह बाद विधानसभा चुनाव होना है। उसके लिए भी तैयारी करनी है। मंत्री बिशम्बर वाल्मीकि ने कांग्रेस पर हमला बोला और कहा कि कांग्रेस ने झूठ बोलकर जनता को ठगने का काम किया है। कांग्रेस ने आरक्षण तोड़ने व खत्म करने की बात कहकर जनता को धोखे में रखा और हरियाणा में वोटों को हासिल किया। कांग्रेस ने सबसे बड़ा धोखा दिया है। कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं जो संविधान को बदल सके। राहुल गांधी पर निशाना
बिशम्बर वाल्मीकि ने राहुल गांधी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने संविधान को अपनी जेब में रखकर भद्दा मजाक बनाया। राहुल गांधी ने जगह-जगह संविधान दिखाकर झूठ बोला। इसलिए उन्हें शर्म आनी चाहिए और एससी समाज से माफी मांगनी चाहिए।