भास्कर न्यूज| नाथूसरी चौपटा गोगामेड़ी मेले से वापस लौट रहे पंजाब के 30 वर्षीय युवक की नहर में डूबने से मौत हो गई। पुलिस ने परिजनों के बयानों के आधार पर कार्यवाही करते हुए नागरिक अस्पताल में शव का पोस्टमार्टम करवाया है। जानकारी के मुताबिक मृतक की पहचान पंजाब के गांव झंडूके निवासी जगसीर सिंह के तौर पर हुई है। जोकि अपनी बहन-जीजा और अन्य परिजनों के साथ गोगा मेडी मेले में गए हुए थे। तभी वापस आते समय रास्ते में पड़ने वाली नहर में डूबने स युवक की मौत हो गई। जिसके बाद पुलिस को सुचित किया गया। पुलिस ने परिजनों के बयानों के आधार पर पोस्टमार्टम कर शव को परिजनों को सोंप दिया। परिजनों ने बताया कि वह पंजाब के गांव झंडूके के रहने वाले हैं। भास्कर न्यूज| नाथूसरी चौपटा गोगामेड़ी मेले से वापस लौट रहे पंजाब के 30 वर्षीय युवक की नहर में डूबने से मौत हो गई। पुलिस ने परिजनों के बयानों के आधार पर कार्यवाही करते हुए नागरिक अस्पताल में शव का पोस्टमार्टम करवाया है। जानकारी के मुताबिक मृतक की पहचान पंजाब के गांव झंडूके निवासी जगसीर सिंह के तौर पर हुई है। जोकि अपनी बहन-जीजा और अन्य परिजनों के साथ गोगा मेडी मेले में गए हुए थे। तभी वापस आते समय रास्ते में पड़ने वाली नहर में डूबने स युवक की मौत हो गई। जिसके बाद पुलिस को सुचित किया गया। पुलिस ने परिजनों के बयानों के आधार पर पोस्टमार्टम कर शव को परिजनों को सोंप दिया। परिजनों ने बताया कि वह पंजाब के गांव झंडूके के रहने वाले हैं। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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करनाल में धान खरीद में फर्जीवाड़ा:फिजिकल वैरिफिकेशन में कम मिला 4 हजार क्विंटल, राइस मिलर्स के खिलाफ जांच शुरू
करनाल में धान खरीद में फर्जीवाड़ा:फिजिकल वैरिफिकेशन में कम मिला 4 हजार क्विंटल, राइस मिलर्स के खिलाफ जांच शुरू हरियाणा के करनाल में फर्जी धान की खरीद का मामला एक फिर से उठा है। विभागीय जांच के दौरान 4 हजार क्विंटल धान गायब पाई गई है। मामला सुर्खियों में आने के बाद जिला उपायुक्त ने भी मामले पर संज्ञान लिया और गड़बड़ी वाली मिलों की भी पीवी करवाने के निर्देश जारी कर दिए। अब प्रशासन यह जानने का प्रयास कर रहा है कि आखिर गड़बड़ी कितनी हुई है। पहली ही पीवी में 4 हजार क्विंटल कम आईएएस अधिकारी योगेश सैनी के नेतृत्व में राइस मिल में फिजिकल वैरिफिकेशन की गई। प्रशासनिक जांच का यह पहला फेस था और पहले फेस ने ही बड़ा झटका दे दिया। करीब चार हजार क्विंटल धान कम मिली। जब पहले फेस में ही यह हालात है तो आगे फिजिकल वैरिफिकेशन होगी तो भ्रष्टाचार की ओर भी परते हटती नजर आएगी। इतनी स्पीड से काटे गए गेट पास जब भी गेट पास काटा जाता है तो उसे में औसतन दो से तीन मिनट लगता है। लेकिन जिले कई मंडियों में तो तेज रफ्तार से गेट पास काटकर रख दिए। शक ऐसे भी गहराता है कि जिस गेट पास को कटने में दो से तीन मिनट का टाइम लगता है, उन्हीं गेट पास को 41 सेकेंड दो बार और 2 मिनट 35 सेकेंड में तीन बार काट दिया जाता है। जिसके बाद निसिंग मंडी में 772 गेट पास कैंसिल किए गए। जिसका वजन 42 हजार 633 क्विंटल बनता था। निगदू, इंद्री, तरावड़ी, घरौंडा, करनाल और असंध की मंडियों गेट पास का यही तरीका है। वहीं डीएफएससी की माने तो पूरे मामले की जांच जारी है और गड़बड़ी करने वालों पर एक्शन लिया जाएगा। सवालों के घेरे में मंडी से जुड़े अधिकारी, कर्मचारी और व्यापारी भ्रष्टाचार की जड़े कुरेदी गई और खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के अधिकारियों की चूल्ले हिल गई। अब जिम्मेदार खुद को बचाने की जुगत में है और हड़बड़ी में उन राइस मिलर्स के खिलाफ जांच शुरू कर दी, जहां पर धान कम पाया गया है। ऐसे में अधिकारियों की हड़बड़ाहट ने कई सवाल खड़े कर दिए है। जिनकी तरफ आखिर प्रशासन का ध्यान नहीं जाता। कागजो में ही लिखी जाती है भ्रष्टाचार की पटकथा यूथ फॉर चेंज के अध्यक्ष एडवोकेट राकेश ढुल ने बताया कि फर्जी खरीद का खेल कोई एक अधिकारी या कर्मचारी या फिर मंडी से जुड़ा व्यक्ति नहीं कर सकता। इसके लिए पूरे टीम वर्क की जरूरत होती है। कैसे धान को कागजों में उगाना है? कैसे कागजों में ही धान का फर्जी गेट पास कटेगा? कैसे आढ़ती की दुकान के कागजों में चढ़ेगा? कैसे कागजों में ही खरीद एजेंसी धान की परचेज करेगी? कैसे मिलर्स कागजों में ही धान की बोरिया ट्रक में लोड होकर जाएगी? भ्रष्टाचार की पटकथा कागजों में ही लिखी जाती है और उसी में दब जाती है, लेकिन इस तरफ किसी का भी ध्यान नहीं जाता। यह कार्य बिना किसी अधिकारी, आढ़ती या फिर सरकारी खरीद एजेंसियों के इंस्पेक्टरों की मर्जी के बिना नहीं हो सकता। कैसे रचा जाता है भ्रष्टाचार का चक्रव्यूह अक्सर यह सवाल मन में आते है कि मंडी में फर्जी खरीद होती कैसे है और कैसे भ्रष्टाचार होता है? उन्हीं को कुछ आसान तरीके से समझने का प्रयास करते है। एडवोकेट राकेश ढूल के मुताबिक, मंडी में किसान का धान आते ही गेट पर पास कट जाता है। इसमें अनुमानित वजह होता है। गेट पास के माध्यम से ही पता चलता है कि किस आढ़ती के पास धान आया और किस एजेंसी ने खरीदा और किस मिलर्स को भेजा गया। जे फार्म कटने के बाद धान की खरीद का पैसा ऑनलाइन ट्रांसफर हो जाता है। फर्जी गेट पास से शुरू होता है भ्रष्टाचार का फर्स्ट फेस भ्रष्टाचार में फर्स्ट फेस फर्जी गेट पास से शुरू होता है। सेकेंड फेज धान की परचेज से शुरू होता है। इसमें खरीद एजेंसी का निरीक्षक और आढ़ती फर्जी गेट पास के नाम पर चढ़ी धान की सरकारी कागजों में खरीद दिखा देते है, अर्थात कागजों में धान उग जाती है। इसमें आढ़ती की अमाउंट प्रतिशत पहले से ही सेट होती है। किसी किसान के नाम पर धान का जे फार्म काट देते है और फिर किसी राइस मिलर्स को सीएसआर के लिए धान अलॉट कर दी जाती है। जे फार्म वाले किसान के खाते में पैसा आ जाता है और वह सब बंट जाता है और यह काम खरीद एजेंसी के जिम्मेदारों के मार्फत हो सकता है। गरीबों के चावल पर मिलर्स का डाका जो धान कागजों में थी उसको वास्तविक रूप में दिखाने के लिए मिलर्स यूपी और बिहार से गरीबों को मिलने वाले चावल को सस्ते रेट पर खरीद लेता है। इससे मिलर्स का सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि वह मिलिंग का खर्च बचा लेता है और सस्ते में चावल खरीदकर एफसीआई को भेज देता है और यूपी व बिहार के चावल माफिया द्वारा यह कार्य किया जाता है। ऐसे में एमएसपी का लाभ किसान को न जाकर भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया और सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत मिलने वाले चावल को फूड माफिया के जरिए मिलर्स डकार लेते है। खानापूर्ति तक सीमित रह जाता है सब कुछ आकृति संस्था के अध्यक्ष अनुज सैनी की माने तो फिजिकल वैरिफिकेशन महज खानापूर्ति तक सीमित है। जनता को लगे कि प्रशासन द्वारा एक्शन लिया जा रहा है, इसके लिए एक नोटिस जारी कर दिया जाता है और आगे की जांच भी इंस्पेक्टर को ही करनी होती है। यहां पर तो वह कहावत चरितार्थ हो जाती है कि दूध की रखवाली बिल्ली को ही दे दी। जब तक सिस्टम में कड़ी कार्रवाई का प्रावधान नहीं होगा, इस तरह की खानापूर्ति चलती रहेगी। यह होता आया है और आगे भी इसी तरह से होता रहेगा। जांच के नाम पर महज खाना पूर्ति।

डिप्टी स्पीकर बोले- केजरीवाल के दिमाग में बुखार चढ़ा:अपनी मां के खिलाफ बोल रहे, जींद मेडिकल कॉलेज निर्माण का बजट बढ़ाया
डिप्टी स्पीकर बोले- केजरीवाल के दिमाग में बुखार चढ़ा:अपनी मां के खिलाफ बोल रहे, जींद मेडिकल कॉलेज निर्माण का बजट बढ़ाया डिप्टी स्पीकर और जींद से भाजपा विधायक डॉ. कृष्ण मिढ़ा ने यमुना के पानी को लेकर दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल के बयान पर पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि हरियाणा उनकी मातृभूमि है और वह अपनी मां के खिलाफ बोलने का काम कर रहे हैं। ऐसे कपूत बेटे के बारे में लोगों को सोचना चाहिए। उनके दिमाग पर बुखार चढ़ गया है और वह शीशमहल का मोह त्याग नहीं पा रहे हैं। इस बार दिल्ली की सत्ता उनके हाथ से जाते दिख रही है, इसलिए उल्टे सीधे बयान दे रहे हैं। डिप्टी स्पीकर आज जींद के मेडिकल कॉलेज का निरीक्षण करने पहुंचे थे। यहां पत्रकारों से सवाल का जवाब देते हुए डिप्टी स्पीकर डॉ. कृष्ण मिढ़ा ने कहा कि केजरीवाल ने हरियाणा के सीएम पर नहीं बल्कि पूरे हरियाणा पर आरोप लगाया है। केजरीवाल ने छोटी सोच का परिचय दिया है। हरियाणा से ज्यादा तो दिल्ली में ही यमुना में गंदगी डाली जा रही है। उस पर तो कभी कंट्रोल कर नहीं पाए। केजरीवाल कभी बयान देते हैं कि यमुना में पानी नहीं आया, कभी कहते हैं कि ज्यादा छोड़ दिया और कभी कहते हैं कि कम पानी छोड़ा। वह एक बयान पर नहीं टिकते। सबसे झूठ बोलने का काम कर रहे हैं। मेडिकल कालेज का बजट 565 करोड़ से 1085 करोड़ पहुंचा
जींद के हैबतपुर में बन रहे मेडिकल कॉलेज निर्माण का बजट बढ़ गया है। पहले मेडिकल कॉलेज निर्माण पर 565 करोड़ रुपए खर्च होने थे लेकिन अब इस प्रोजेक्ट पर 1085 करोड़ रुपए खर्च होंगे। गुरुवार को डिप्टी स्पीकर मिढ़ा ने मेडिकल कॉलेज निर्माण कार्य का निरीक्षण किया। इस दौरान HSRDC के अधिकारियों को दो टूक शब्दों में कहा कि अगर तय समय में निर्माण कार्य पूरा नहीं हुआ तो निर्माण कंपनी पर जुर्माना लगाया जाएगा। इसके साथ ही गुणवत्ता को लेकर डीसी की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी गठित की जाएगी जो डिटेल रिपोर्ट तैयार करेगी। डिप्टी स्पीकर ने कहा कि अतिरिक्त बजट के लिए वो जल्द ही सीएम नायब सैनी से मिलेंगे और बजट उपलब्ध करवाएंगे। निरीक्षण से पहले डिप्टी स्पीकर ने अधिकारियों के साथ बैठक की। इसमें डीसी मोहम्मद इमरान रजा, चंडीगढ़ से मेडिकल एजुकेशन और HSRDC के डायरेक्टर, निर्माण एजेंसी के चीफ कंसल्टेंट, डीएमसी गुलजार मलिक, एक्सईएन पीडब्ल्यूडी बीएंडआर सहित अन्य विभागों के अधिकारी मौजूद रहे। डिप्टी स्पीकर ने कहा कि अगर निर्माण कार्य में देरी होती है तो इसके लिए एल एंड टी निर्माण कंपनी को जुर्माना लगाया जाएगा। उन्होंने एचएसआरडीसी के अधिकारियों से एक्सप्लेनेशन (स्पष्टीकरण) मांगा और वहीं निर्माण कंपनी LT अधिकारियों से भी नाराजगी जाहिर की। एनएचएआई प्रोजेक्ट डायरेक्टर हिसार के खिलाफ कार्रवाई को लिखा पत्र
मेडिकल कॉलेज निरीक्षण के बाद डिप्टी स्पीकर पिंडारा राजमहल होटल के पास दिल्ली की तरफ जाने वाले रास्ते को देखने पहुंचे। यहां उन्होंने स्पष्ट किया कि नेशनल हाईवे पर चढ़ने का रास्ता होना चाहिए। इसके लिए अंडरब्रिज या ओवरब्रिज के लिए NHAI प्रोजेक्ट डायरेक्टर हिसार से बात करनी चाही तो वो अनुपस्थित मिले। जिस पर डिप्टी स्पीकर ने तुरंत प्रभाव से संज्ञान लेते हुए सड़क एवं परिवहन राष्ट्रीय राजमार्ग के सचिव को उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए लिखा और डीसी को निर्देश दिए कि वो भी इसके खिलाफ कार्रवाई के लिए लिखें।

करनाल में आज कोर्ट में पेश होंगे खाद्य आपूर्ति इंस्पेक्टर:रिश्वत लेते पकड़े गए, 67 हजार रुपए बरामद, डिपो होल्डर ने दी थी शिकायत
करनाल में आज कोर्ट में पेश होंगे खाद्य आपूर्ति इंस्पेक्टर:रिश्वत लेते पकड़े गए, 67 हजार रुपए बरामद, डिपो होल्डर ने दी थी शिकायत करनाल में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) ने रिश्वतखोरी के गंभीर मामले में खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के सहायक खाद्य एवं आपूर्ति अधिकारी (AFAO), इंस्पेक्टर और एक सेवादार को गिरफ्तार किया है। तीनों को आज कोर्ट में पेश किया जाएगा, जहां तय होगा कि उन्हें रिमांड पर भेजा जाए या न्यायिक हिरासत में। एसीबी ने गुरुवार रात तीनों आरोपियों का मेडिकल परीक्षण कराया और अब गहन जांच में जुटी है। डिपो होल्डर ने एसीबी को शिकायत दी थी कि खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के अधिकारी डिपो होल्डरों से अवैध रूप से अतिरिक्त कमीशन वसूल रहे हैं। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि खंड कुंजपुरा के इंस्पेक्टर नीरज वधवा और सहायक खाद्य अधिकारी राजेंद्र सिंह सेवादार रामचंद्र के जरिए रिश्वत की रकम वसूलते थे। कमीशन के साथ मांगी जाती थी अतिरिक्त रिश्वत शिकायतकर्ता ने बताया कि खंड कुंजपुरा में 31 डिपो होल्डरों को सरकार से 200 रुपए प्रति क्विंटल का कमीशन मिलता है। लेकिन निरीक्षक नीरज वधवा 3 से 5 प्रतिशत कमीशन और अतिरिक्त 20 रुपये प्रति क्विंटल रिश्वत की मांग करते थे। यह राशि सेवादार रामचंद्र के माध्यम से वसूली जाती थी, जो इसे अधिकारियों को सौंप देता था। रंगे हाथ पकड़ा गया सेवादार, 67 हजार रुपये बरामद एसीबी की टीम ने गुरुवार को कुंजपुरा कार्यालय में शिकायतकर्ता की पत्नी और भाई से 15,000 रुपए की रिश्वत लेते समय रामचंद्र को रंगे हाथों गिरफ्तार किया। रामचंद्र के पास से 67 हजार रुपए नकद भी बरामद हुए, जो अन्य डिपो होल्डरों से वसूले गए थे। शिकायतकर्ता ने बताया कि सरकार ने सभी 31 डिपो होल्डरों के लिए 23,29,178 रुपये राशन वितरण कमीशन के रूप में जारी किए थे। निरीक्षक नीरज वधवा ने इस राशि का भी एक हिस्सा बतौर रिश्वत मांगा। रिकॉर्डिंग और गवाहों के आधार पर हुई कार्रवाई शिकायतकर्ता ने अधिकारियों की बातचीत की रिकॉर्डिंग एसीबी को सौंपी, जिसमें रिश्वतखोरी की पुष्टि हुई। गवाहों की मौजूदगी में एसीबी ने कार्रवाई को अंजाम दिया। इस दौरान सभी जरूरी सबूत जब्त कर लिए गए। शिकायत के मुताबिक, निरीक्षक नीरज वधवा ने वसूली गई राशि का हिस्सा अपने उच्च अधिकारियों तक भी पहुंचाया। एसीबी ने मामले में सहायक खाद्य अधिकारी राजेंद्र सिंह और अन्य कर्मचारियों की भूमिका की भी जांच शुरू कर दी है।