हरियाणा की घरौंडा विधानसभा के कांग्रेस प्रत्याशी वीरेंद्र राठौर के सामने पूर्व विधायक नरेंद्र सांगवान ने बगावत के कांटे बो दिए है। प्रबल दावेदार नरेंद्र सांगवान पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा और दीपेंद्र हुड्डा से अपनी टिकट कटने का जवाब मांग रहे है। ना ही भूपेंद्र हुड्डा या फिर दीपेंद्र हुड्डा सांगवान को मनाने के लिए आए है। नरेंद्र सांगवान कांग्रेस प्रत्याशी वीरेंद्र राठौर के मंच से किनारा कर चुके है और पहले भी घोषणा कर चुके है कि वे राठौर को सपोर्ट नहीं करेंगे और ना ही उनके मंच पर जाएंगे। सर्वे और लोगों की जुबान पर टॉप थे सांगवान सांगवान की नाराजगी वीरेंद्र राठौर के लिए हार को सबसे बड़ा कारण बन सकती है। जिसकी वजह यह है कि सांगवान इनेलो से विधायक रह चुके है और हल्के में अच्छा वोट बैंक रखते है। यमुना बेल्ट पर भी सांगवान की अच्छी पकड़ मानी जाती है। यहां तक कि सर्वे में भी सांगवान टॉप में चल रहे थे और जनता की जुबान पर भी सांगवान का नाम चल रहा था, लेकिन एन वक्त पर सांगवान का टिकट कट गया और वीरेंद्र राठौर की झोली में चला गया। तीन नेताओं ने पहले राठौर को हराया वीरेंद्र राठौर टिकट लाने में तो कामयाब हो गए, लेकिन जनता के बीच मायूसी जरूर नजर आई। जनता भी चाहती थी कि नरेंद्र सांगवान को टिकट मिले, क्योंकि वे ही बीजेपी को टक्कर दे सकते है, वीरेंद्र राठौर पर जनता इसलिए भरोसा नहीं कर पा रही थी, क्योंकि उनको कांग्रेस ने पहले 3 बार टिकट दिया और वे तीनों ही बार हार गए। राठौर मेरा नेता नहीं है, मेरे नेता भूपेंद्र हुड्डा है नरेंद्र सांगवान ने कहा कि मैं कांग्रेस के लिए काम कर रहा हूं, मेरे नेता भूपेंद्र हुड्डा और दीपेंद्र हुड्डा है, मेरा नेता वीरेंद्र सिंह राठौर नहीं है, राठौर तो मेरा प्रतिद्वंदी रहा है। राठौर को तीन-तीन नेताओं ने हराया। पहले 2005 में रेखा राणा ने राठौर को हराया, 2009 में मैने यानी नरेंद्र सांगवान ने हराया और 2014 में हरविंद्र कल्याण ने राठौर को हराया और अबकी बार भी फिर कांग्रेस ने टिकट दे दिया। मैं टिकट की लाइन में था। मुझे भी आश्वासन दिया हुआ था कि मुझे टिकट मिलेगा, लेकिन पता नहीं क्या कारण हुए और मेरा टिकट कट गया। उन कारणों का खुलासा तो भूपेंद्र हुड्डा या फिर दीपेंद्र हुड्डा बता सकते है। जब हुड्डा हमसे बातचीत करेंगे तो उसके बाद हम अपना फैसला लेंगे। फैसला इधर भी हो सकता है और फैसला उधर भी हो सकता है। मेरी एंट्री से उठा था अनिल राणा का इलैक्शन नरेंद्र सांगवान ने भी बात तो स्पष्ट कर दी है कि 2019 में अनिल राणा कांग्रेस से थे और उस वक्त मैं मंच पर नहीं गया था और मेरी एंट्री के बाद ही अनिल राणा का इलैक्शन गति पकड़ गया था। अब फैसला आएगा और वह भी मेरे समर्थकों से बात करने के बाद। सांगवान ने कहा कि वीरेंद्र राठौर की मेरे से बात करने की हिम्मत नहीं पड़ सकती, क्योंकि इन सभी नेताओं ने मुझसे वायदा किया था कि 2024 में टिकट मेरी होगी। मुझे भूपेंद्र हुड्डा ने भी विश्वास दिया था कि टिकट मिलेगा, लेकिन मेरा टिकट कट गया। हरियाणा की घरौंडा विधानसभा के कांग्रेस प्रत्याशी वीरेंद्र राठौर के सामने पूर्व विधायक नरेंद्र सांगवान ने बगावत के कांटे बो दिए है। प्रबल दावेदार नरेंद्र सांगवान पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा और दीपेंद्र हुड्डा से अपनी टिकट कटने का जवाब मांग रहे है। ना ही भूपेंद्र हुड्डा या फिर दीपेंद्र हुड्डा सांगवान को मनाने के लिए आए है। नरेंद्र सांगवान कांग्रेस प्रत्याशी वीरेंद्र राठौर के मंच से किनारा कर चुके है और पहले भी घोषणा कर चुके है कि वे राठौर को सपोर्ट नहीं करेंगे और ना ही उनके मंच पर जाएंगे। सर्वे और लोगों की जुबान पर टॉप थे सांगवान सांगवान की नाराजगी वीरेंद्र राठौर के लिए हार को सबसे बड़ा कारण बन सकती है। जिसकी वजह यह है कि सांगवान इनेलो से विधायक रह चुके है और हल्के में अच्छा वोट बैंक रखते है। यमुना बेल्ट पर भी सांगवान की अच्छी पकड़ मानी जाती है। यहां तक कि सर्वे में भी सांगवान टॉप में चल रहे थे और जनता की जुबान पर भी सांगवान का नाम चल रहा था, लेकिन एन वक्त पर सांगवान का टिकट कट गया और वीरेंद्र राठौर की झोली में चला गया। तीन नेताओं ने पहले राठौर को हराया वीरेंद्र राठौर टिकट लाने में तो कामयाब हो गए, लेकिन जनता के बीच मायूसी जरूर नजर आई। जनता भी चाहती थी कि नरेंद्र सांगवान को टिकट मिले, क्योंकि वे ही बीजेपी को टक्कर दे सकते है, वीरेंद्र राठौर पर जनता इसलिए भरोसा नहीं कर पा रही थी, क्योंकि उनको कांग्रेस ने पहले 3 बार टिकट दिया और वे तीनों ही बार हार गए। राठौर मेरा नेता नहीं है, मेरे नेता भूपेंद्र हुड्डा है नरेंद्र सांगवान ने कहा कि मैं कांग्रेस के लिए काम कर रहा हूं, मेरे नेता भूपेंद्र हुड्डा और दीपेंद्र हुड्डा है, मेरा नेता वीरेंद्र सिंह राठौर नहीं है, राठौर तो मेरा प्रतिद्वंदी रहा है। राठौर को तीन-तीन नेताओं ने हराया। पहले 2005 में रेखा राणा ने राठौर को हराया, 2009 में मैने यानी नरेंद्र सांगवान ने हराया और 2014 में हरविंद्र कल्याण ने राठौर को हराया और अबकी बार भी फिर कांग्रेस ने टिकट दे दिया। मैं टिकट की लाइन में था। मुझे भी आश्वासन दिया हुआ था कि मुझे टिकट मिलेगा, लेकिन पता नहीं क्या कारण हुए और मेरा टिकट कट गया। उन कारणों का खुलासा तो भूपेंद्र हुड्डा या फिर दीपेंद्र हुड्डा बता सकते है। जब हुड्डा हमसे बातचीत करेंगे तो उसके बाद हम अपना फैसला लेंगे। फैसला इधर भी हो सकता है और फैसला उधर भी हो सकता है। मेरी एंट्री से उठा था अनिल राणा का इलैक्शन नरेंद्र सांगवान ने भी बात तो स्पष्ट कर दी है कि 2019 में अनिल राणा कांग्रेस से थे और उस वक्त मैं मंच पर नहीं गया था और मेरी एंट्री के बाद ही अनिल राणा का इलैक्शन गति पकड़ गया था। अब फैसला आएगा और वह भी मेरे समर्थकों से बात करने के बाद। सांगवान ने कहा कि वीरेंद्र राठौर की मेरे से बात करने की हिम्मत नहीं पड़ सकती, क्योंकि इन सभी नेताओं ने मुझसे वायदा किया था कि 2024 में टिकट मेरी होगी। मुझे भूपेंद्र हुड्डा ने भी विश्वास दिया था कि टिकट मिलेगा, लेकिन मेरा टिकट कट गया। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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