हरियाणा के कुरुक्षेत्र में गोहत्या के विरोध और गाय को राष्ट्र माता का दर्जा दिलाने की मांग को लेकर यात्रा कर रहे ज्योतिष पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती दोपहर 3 बजे पिपली के फॉरेस्ट विभाग के रेस्ट हाउस में पहुंचे। यहां पर श्री गुरुनानक गऊ द्वारा उपचार ट्रस्ट के संचालक संत गोपाल दास ने विधि और परंपरा के मुताबिक शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद का स्वागत किया गया। दिल्ली में राजनैतिक दलों के द्वार जाएंगे पत्रकारों से बातचीत करते हुए जगद्गुरु शंकराचार्य ने कहा कि 17 मार्च को दिल्ली रामलीला मैदान में उनको गोहत्या के खिलाफ अपनी बात रखने की परमिशन मिली थी। मगर 2 दिन पहले दिल्ली प्रशासन ने लॉ एंड ऑर्डर बिगड़ने का बहाना कर उसे रद्द कर दिया है। वे चाहते थे कि उनके अल्टीमेटम से पहले रामलीला मैदान में बैठकर कुछ समय प्रतीक्षा की जाए। वे उनके कार्यक्रम के रद्द करने वालों का भी स्वागत करते हैं। अब वे दिल्ली में सड़कों पर चलकर राजनैतिक दलों के द्वार पर जाकर उनसे गोहत्या को लेकर प्रश्न करेंगे। इससे साफ हो जाएगा कि कौन-सा दल गाय के साथ है और कौन खिलाफ है। आरोप लगाया कि केंद्र ने इस माध्यम से बता दिया कि गाय की बात करने वाले को हम बैठने नहीं देंगे। जब वो बैठ ही नहीं पाएगा तो सवाल क्या करेगा। सुबह वे दिल्ली के लिए रवाना होंगे। गोहत्या को बढ़ावा देने वालों खिलाफ उन्होंने कहा कि हम किसी सरकार और राजनैतिक दल के खिलाफ नहीं है। हम गोहत्या को बढ़ावा देने वालों के खिलाफ है। अभी तक कोई दल गोहत्या के विरोध में सामने नहीं आया है। कोई भी दल हिंदुओं की गो भक्ति की भावना पर खुलकर सामने नहीं आने का दावा नहीं कर रहा। उनके मन में क्या है उनको साफ-साफ कहना चाहिए। मंदिर-मस्जिद उपासना का स्थान मंदिर-मस्जिद के विवाद पर शंकराचार्य ने कहा कि मंदिर और मस्जिद आराधना और उपासना का स्थान होता है। किसी को नीचा दिखाने के मंदिर-मस्जिद नहीं होती है। ऐसा किसी धर्म में कहीं नहीं लिखा है। वहीं होली के विवाद पर कहा कि राजनीति करने वाले अपनी राजनीति करेंगे। राजनीति वाले अपनी-अपनी बात करते हैं ताकि उनका माहौल बना रहे। आजादी के समय से चल रही मांग आजादी के समय बड़े नेताओं ने पहली कलम से गौ हत्या बंद करने का वादा किया था, लेकिन 78 साल का समय बीत गया। किसी ने उस ओर कोई ध्यान नहीं दिया। अब परिस्थितियां बदल गई है। गोहत्या के साथ गोमांस का व्यापार हो रहा। आमजन का ध्यान भी कमजोर हाेता जा रहा है। यह हमारे धर्म पर अज्ञात है। गोहत्या और गोमांस का व्यापार करने वाले हमारे ही है। इस तरह के सवाल उठते हैं। हरियाणा के कुरुक्षेत्र में गोहत्या के विरोध और गाय को राष्ट्र माता का दर्जा दिलाने की मांग को लेकर यात्रा कर रहे ज्योतिष पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती दोपहर 3 बजे पिपली के फॉरेस्ट विभाग के रेस्ट हाउस में पहुंचे। यहां पर श्री गुरुनानक गऊ द्वारा उपचार ट्रस्ट के संचालक संत गोपाल दास ने विधि और परंपरा के मुताबिक शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद का स्वागत किया गया। दिल्ली में राजनैतिक दलों के द्वार जाएंगे पत्रकारों से बातचीत करते हुए जगद्गुरु शंकराचार्य ने कहा कि 17 मार्च को दिल्ली रामलीला मैदान में उनको गोहत्या के खिलाफ अपनी बात रखने की परमिशन मिली थी। मगर 2 दिन पहले दिल्ली प्रशासन ने लॉ एंड ऑर्डर बिगड़ने का बहाना कर उसे रद्द कर दिया है। वे चाहते थे कि उनके अल्टीमेटम से पहले रामलीला मैदान में बैठकर कुछ समय प्रतीक्षा की जाए। वे उनके कार्यक्रम के रद्द करने वालों का भी स्वागत करते हैं। अब वे दिल्ली में सड़कों पर चलकर राजनैतिक दलों के द्वार पर जाकर उनसे गोहत्या को लेकर प्रश्न करेंगे। इससे साफ हो जाएगा कि कौन-सा दल गाय के साथ है और कौन खिलाफ है। आरोप लगाया कि केंद्र ने इस माध्यम से बता दिया कि गाय की बात करने वाले को हम बैठने नहीं देंगे। जब वो बैठ ही नहीं पाएगा तो सवाल क्या करेगा। सुबह वे दिल्ली के लिए रवाना होंगे। गोहत्या को बढ़ावा देने वालों खिलाफ उन्होंने कहा कि हम किसी सरकार और राजनैतिक दल के खिलाफ नहीं है। हम गोहत्या को बढ़ावा देने वालों के खिलाफ है। अभी तक कोई दल गोहत्या के विरोध में सामने नहीं आया है। कोई भी दल हिंदुओं की गो भक्ति की भावना पर खुलकर सामने नहीं आने का दावा नहीं कर रहा। उनके मन में क्या है उनको साफ-साफ कहना चाहिए। मंदिर-मस्जिद उपासना का स्थान मंदिर-मस्जिद के विवाद पर शंकराचार्य ने कहा कि मंदिर और मस्जिद आराधना और उपासना का स्थान होता है। किसी को नीचा दिखाने के मंदिर-मस्जिद नहीं होती है। ऐसा किसी धर्म में कहीं नहीं लिखा है। वहीं होली के विवाद पर कहा कि राजनीति करने वाले अपनी राजनीति करेंगे। राजनीति वाले अपनी-अपनी बात करते हैं ताकि उनका माहौल बना रहे। आजादी के समय से चल रही मांग आजादी के समय बड़े नेताओं ने पहली कलम से गौ हत्या बंद करने का वादा किया था, लेकिन 78 साल का समय बीत गया। किसी ने उस ओर कोई ध्यान नहीं दिया। अब परिस्थितियां बदल गई है। गोहत्या के साथ गोमांस का व्यापार हो रहा। आमजन का ध्यान भी कमजोर हाेता जा रहा है। यह हमारे धर्म पर अज्ञात है। गोहत्या और गोमांस का व्यापार करने वाले हमारे ही है। इस तरह के सवाल उठते हैं। हरियाणा | दैनिक भास्कर
