वारिस-ए-पंजाब के मुखी और सांसद अमृतपाल सिंह के पिता तरसेम सिंह ने आरोप लगाया है कि पंजाब सरकार और राज्य एजेंसियां सिख युवक गुरप्रीत सिंह की हत्या की साजिश में उन्हें जानबूझकर फंसाने के कोशिश कर रही है। आज उन्होंने एक प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि यह साजिश उसी कड़ी का हिस्सा है जिसके तहत पंजाब सरकार दावा करती है कि अमृतपाल सिंह की रिहाई से पंजाब के सीएम की जान को खतरा है। उन्होंने कहा कि गुरप्रीत सिंह के कत्ल की जांच किसी सीटिंग जज के जरिए होनी चाहिए ना कि पुलिस को जज बनाना चाहिए। अमृतपाल सिंह के पिता तरसेम सिंह ने कहा कि बीते दिन पंजाब पुलिस ने अपनी घृणित प्रवृत्ति के तहत दिए गए बयानों के आधार पर एक्टिविस्ट गुरप्रीत सिंह के कत्ल के शक की सुई सीधा अमृतपाल सिंह पर खड़ी कर दी है। जो कि सरकार की अमृतपाल सिंह के प्रति प्रतिशोधात्मक मंशा की पुष्टि करती है। केंद्रीय एजेंसियां बना रही डराने वाला माहौल उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा उन पर दर्ज किए गए झूठे मुकदमे और केंद्रीय एजेंसियों की छापेमारी का मकसद लोकसभा चुनाव के दौरान पैदा हुई राजनीतिक उथल-पुथल को दबाने के लिए डराने वाला माहौल बनाना है। उन्होंने कहा कि गुरप्रीत सिंह की हत्या बहुत दुखद घटना थी, लेकिन हत्या के दिन से ही सरकार और राज्य एजेंसियों द्वारा इस हत्या को लेकर भाईचारे का माहौल खराब करने की अनैतिक और क्रूर कोशिशें और भी दुखद हैं। इस साजिश में पंजाब विधानसभा अध्यक्ष कुलतार सिंह संधवा की भी बेहद संदिग्ध भूमिका है। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और अध्यक्ष संधवा इस घटना का इस्तेमाल अपने नापाक इरादों को पूरा करने के लिए कर रहे हैं। ये दोनों एक ऐसा माहौल बना रहे हैं जो पंजाब के युवाओं को फिर से हिंसा के रास्ते पर धकेल रहा है। उन्होंने कहा कि पिछले दशकों की घटनाओं से सबक लेने के बजाय, ये राजनीतिक नेता वही दमनकारी और अन्यायपूर्ण नीतियां अपना रहे हैं। नई क्षेत्रीय पार्टियों को बनने से रोकने की साजिश उन्होंने कहा कि जिस दिन 29 सितंबर, 2024 को उन्होंने नई पार्टी बनाने के लिए श्री अकाल तख्त साहिब पर प्रार्थना की, उसी दिन से वारिस पंजाब संगठन के बारे में और भाई अमृतपाल सिंह के बारे में पंजाब सरकार ने पंजाब की नई क्षेत्रीय पार्टी को बनने से रोकने की साजिश रचनी शुरू कर दी। इसीलिए वह इस संबंध में माननीय उच्च न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीशों से इसकी निष्पक्ष जांच की मांग करते हैं । उन्होंने यह भी आशंका जताई कि आने वाले दिनों में अगर उनके परिवार को जान-माल का नुकसान हुआ तो इसकी सीधी जिम्मेदारी डीजीपी पंजाब और पंजाब सरकार की होगी। उन्होंने श्री अकाल तख्त साहिब से भी अपील है कि इस संबंध में कोई कमेटी बनाकर जांच करवाई जाए, ताकि राज्य सरकार का सिखों को आपस में लड़वाने की मंशा पूरी ना हो पाए। वारिस-ए-पंजाब के मुखी और सांसद अमृतपाल सिंह के पिता तरसेम सिंह ने आरोप लगाया है कि पंजाब सरकार और राज्य एजेंसियां सिख युवक गुरप्रीत सिंह की हत्या की साजिश में उन्हें जानबूझकर फंसाने के कोशिश कर रही है। आज उन्होंने एक प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि यह साजिश उसी कड़ी का हिस्सा है जिसके तहत पंजाब सरकार दावा करती है कि अमृतपाल सिंह की रिहाई से पंजाब के सीएम की जान को खतरा है। उन्होंने कहा कि गुरप्रीत सिंह के कत्ल की जांच किसी सीटिंग जज के जरिए होनी चाहिए ना कि पुलिस को जज बनाना चाहिए। अमृतपाल सिंह के पिता तरसेम सिंह ने कहा कि बीते दिन पंजाब पुलिस ने अपनी घृणित प्रवृत्ति के तहत दिए गए बयानों के आधार पर एक्टिविस्ट गुरप्रीत सिंह के कत्ल के शक की सुई सीधा अमृतपाल सिंह पर खड़ी कर दी है। जो कि सरकार की अमृतपाल सिंह के प्रति प्रतिशोधात्मक मंशा की पुष्टि करती है। केंद्रीय एजेंसियां बना रही डराने वाला माहौल उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा उन पर दर्ज किए गए झूठे मुकदमे और केंद्रीय एजेंसियों की छापेमारी का मकसद लोकसभा चुनाव के दौरान पैदा हुई राजनीतिक उथल-पुथल को दबाने के लिए डराने वाला माहौल बनाना है। उन्होंने कहा कि गुरप्रीत सिंह की हत्या बहुत दुखद घटना थी, लेकिन हत्या के दिन से ही सरकार और राज्य एजेंसियों द्वारा इस हत्या को लेकर भाईचारे का माहौल खराब करने की अनैतिक और क्रूर कोशिशें और भी दुखद हैं। इस साजिश में पंजाब विधानसभा अध्यक्ष कुलतार सिंह संधवा की भी बेहद संदिग्ध भूमिका है। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और अध्यक्ष संधवा इस घटना का इस्तेमाल अपने नापाक इरादों को पूरा करने के लिए कर रहे हैं। ये दोनों एक ऐसा माहौल बना रहे हैं जो पंजाब के युवाओं को फिर से हिंसा के रास्ते पर धकेल रहा है। उन्होंने कहा कि पिछले दशकों की घटनाओं से सबक लेने के बजाय, ये राजनीतिक नेता वही दमनकारी और अन्यायपूर्ण नीतियां अपना रहे हैं। नई क्षेत्रीय पार्टियों को बनने से रोकने की साजिश उन्होंने कहा कि जिस दिन 29 सितंबर, 2024 को उन्होंने नई पार्टी बनाने के लिए श्री अकाल तख्त साहिब पर प्रार्थना की, उसी दिन से वारिस पंजाब संगठन के बारे में और भाई अमृतपाल सिंह के बारे में पंजाब सरकार ने पंजाब की नई क्षेत्रीय पार्टी को बनने से रोकने की साजिश रचनी शुरू कर दी। इसीलिए वह इस संबंध में माननीय उच्च न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीशों से इसकी निष्पक्ष जांच की मांग करते हैं । उन्होंने यह भी आशंका जताई कि आने वाले दिनों में अगर उनके परिवार को जान-माल का नुकसान हुआ तो इसकी सीधी जिम्मेदारी डीजीपी पंजाब और पंजाब सरकार की होगी। उन्होंने श्री अकाल तख्त साहिब से भी अपील है कि इस संबंध में कोई कमेटी बनाकर जांच करवाई जाए, ताकि राज्य सरकार का सिखों को आपस में लड़वाने की मंशा पूरी ना हो पाए। पंजाब | दैनिक भास्कर
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पटियाला में किसानों और पुलिस अधिकारियों की मीटिंग आज:शंभू बॉर्डर खोलने के मामले पर होगी चर्चा, 22 को SC में सुनवाई
पटियाला में किसानों और पुलिस अधिकारियों की मीटिंग आज:शंभू बॉर्डर खोलने के मामले पर होगी चर्चा, 22 को SC में सुनवाई किसानों के आंदोलन के चलते शंभू बॉर्डर पिछले छह महीने से बंद है। इस कारण लोगों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा को आंशिक रूप से बॉर्डर खोलने को कहा था। इसी सिलसिले में आज पटियाला में पंजाब पुलिस और किसानों के वरिष्ठ अधिकारियों की अहम बैठक होने जा रही है। इसमें इस मामले पर रणनीति बनाई जाएगी। क्योंकि गुरुवार को इस मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई है। बडे़ किसान नेता मीटिंग में होंगे शामिल यह मीटिंग पटियाला में आज दोपहर में होगी। इसमें (संयुक्त किसान मोर्चा) गैर राजनीतिक में मेंबर शामिल होंगे। किसान नेता सरवन सिंह पंधेर और जगजीत सिंह डल्लेवाल भी इस मीटिंग में शामिल होने के आसार है। वहीं, किसान संगठनों ने भी अपनी मीटिंग रखी हुई है। जिसमें 31 अगस्त को तय किए गए प्रदर्शन को रणनीति बनेगी। SC ने कहा था हाईवे पार्किंग की जगह नहीं शंभू बॉर्डर के मामले में गत सुनवाई 12 अगस्त को हुई थी। इस दौरान शीर्ष अदालत ने बॉर्डर को आंशिक तौर पर खोलने के आदेश दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कड़ी टिप्पणी की थी कि हाईवेज पार्किंग की जगह नहीं हैं। सुप्रीम कोर्ट ने एक हफ्ते के भीतर एंबुलेंस, सीनियर सिटीजंस, महिलाओं, छात्रों, आदि के लिए हाईवे की एक लेन खोलने का आदेश दिया। इसके लिए पंजाब और हरियाणा के DGP के अलावा पटियाला, मोहाली और अंबाला के SP को मीटिंग कर इस पर फैसला लेने को कहा था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केस की सुनवाई 22 अगस्त को होगी। हालांकि, कोर्ट ने कहा कि अगर पंजाब और हरियाणा के पुलिस अधिकारियों के बीच सहमति बन जाती है तो फिर सुनवाई की तारीख का इंतजार करने की जरूरत नहीं है।
लुधियाना में जाली नोट छापने का मास्टरमाइंड गिरफ्तार:500 का नोट पकड़ा गया तो छापी 100-200 की करंसी, यूट्यूब से सीखा था बनाना
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पुलिस का मानना है कि आरोपी से पूछताछ के दौरान कई बड़े खुलासे हो सकते हैं, इस मामले में जानकारी देते हुए सीआईए स्टाफ के एएसआई धरमिंदर सिंह ने बताया कि पुलिस ने करीब सात महीने पहले जाली नोट छाप कर आगे नोटों की सप्लाई करने वाले एक आरोपी को उस समय पकड़ा था, जब आरोपी अपने साथी के कहने पर जाली नोटों की सप्लाई करने गांव चौकीमान के बस स्टैंड पर आया था। इस से पहले कि आरोपी जाली नोट अपने ग्राहक को सप्लाई करता, पुलिस ने आरोपी को दबोच लिया। मुख्य आरोपी की तलाश में थी पुलिस
पुलिस ने इस मामले मास्टरमाइंड समेत दोनों आरोपियों पर थाना सदर में मामला दर्ज कर लिया था। आरोपियों की पहचान कुलदीप सिंह उर्फ बंगाली निवासी गांव लड़े व हरभगवान सिंह उर्फ मिठून निवासी गांव बघेलेवाला मोगा के रूप में हुई है। पुलिस ने कुलदीप सिंह को गिरफ्तार कर उससे 5800 रुपए के जाली नोट बरामद किये थे। हालांकि मास्टरमाइंड आरोपी हरभगवान सिंह पुलिस गिरफ्त से बाहर था। जिसको पुलिस ने अब गुप्त सूचना के आधार पर गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया। पहले भी जा चुके हैं जेल
जाली नोट छापने के मामले में ये आरोपी पहले भी जेल जा चुके हैं, करीब साढ़े तीन साल पहले जेल से छूटकर आने के बाद आरोपियों ने फिर से मिलकर जाली नोट छापने का धंधा शुरू कर दिया। जांच अधिकारी धरमिंदर सिंह ने बताया कि आरोपी ने पूछताछ दौरान बताया कि उस पर पहले भी जाली नोट छापने का मामला समालसर में दर्ज हुआ था। आरोपी ने बताया कि पहले उन्होंने 500 500 के नोट छापे थे लेकिन उन नोटों को हर कोई चेक करता था, जिस कारण वह पकड़े गए थे। आरोपी ने बताया कि पुरानी गलती को सुधारते हुए इस बार 200 व 100-100 के नोट छापे, क्योंकि दुकानदार सिर्फ 500 के नोट की ही जांच करते हैं। 100-200 के नोट कोई दुकानदार चेक नही करता है। इसी का फायदा उठा कर 100-200 के जाली करंसी छापे। यूट्यूब से बनाना सीखे नकली नोट
पुलिस की गिरफ्त में आरोपी ने पूछताछ दौरान बताया कि वह तो अपने साथी की सिर्फ नोट सप्लाई करने और बाजारों में नोट चलाने का काम करता है। जबकि नोट छापने का काम हरभगवान सिंह का है। उसने यूट्यूब से जाली नोट बनाने का काम सीखा था। नोटों पर कलर मैचिंग आदि का काम भी उसने धीरे धीरे कर यूट्यूब से ही सीखा था। फिलहाल पुलिस ने इस मामले के मुख्य आरोपी को भी गिरफ्तार कर लिया है।
अकाली दल प्रधान को तनखैया करार करने का मामला:दीपावली बाद होगा सुखबीर बादल की सजा पर फैसला, जत्थेदार ज्ञानी रघबीर ने दी जानकारी
अकाली दल प्रधान को तनखैया करार करने का मामला:दीपावली बाद होगा सुखबीर बादल की सजा पर फैसला, जत्थेदार ज्ञानी रघबीर ने दी जानकारी पंजाब में शिरोमणि अकाली दल (SAD) के प्रधान सुखबीर बादल को धार्मिक सजा सुना दी गई थी। इसे लेकर आज श्री अकाल तख्त साहिब ने दीपावली के बाद इस मामले में आगे का फैसला लेने का ऐलान किया है। बता दें कि श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने सुखबीर बादल को तनखैया करार दे दिया था। जिसके बाद से उनकी सजा पर फैसला होना था। श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने कहा कि इस पर फैसला दीपावली के बाद लिया जाएगा। 25 अक्टूबर यानी दो दिन बाद तक 4 विधानसभा चुनावों के नामांकन होंगे। इससे ये साफ हो गया है कि सुखबीर बादल खुद चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। बेअदबी मामले में कार्रवाई न करने के लगे थे आरोप सुखबीर बादल पर उनकी सरकार के वक्त डेरा सच्चा सौदा मुखी राम रहीम को माफी देने के अलावा सुमेध सैनी को DGP नियुक्त करने और श्री गुरू ग्रंथ साहिब की बेअदबी के मामले में कार्रवाई न करने का आरोप लगा था। फैसला सुनाते हुए अकाल तख्त जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने था कि अकाली दल प्रधान और डिप्टी CM रहते हुए सुखबीर बादल ने कुछ ऐसे फैसले लिए, जिससे पंथक स्वरूप के अक्स को नुकसान पहुंचा। सिख पंथ का भारी नुकसान हुआ। 2007 से 2017 वाले सिख कैबिनेट मंत्री भी अपना स्पष्टीकरण दें। अकाल तख्त जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने था कहा कि सुखबीर बादल एक साधारण सिख की तरह अकाल तख्त पर आकर अपने गुनाहों की माफी मांगें। सुखबीर बादल 15 दिन के भीतर अकाल तख्त पर अपना स्पष्टीकरण दें। जब तक वे खुद श्री अकाल तख्त साहिब पर पहुंच माफी नहीं मांगते, उन्हें तनखैया करार दिया जाता है। वल्टोहा पर पहले ही हो चुकी कार्रवाई शिरोमणी अकाली दल के नेता विरसा सिंह वल्टोहा को श्री अकाल तख्त साहिब पर 15 अक्टूबर को पेश हुए थी। जिन्हें शिरोमणि अकाली दल छोड़ने के आदेश दिए गए थे। जिसके बाद उन्हें अकाली दल से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था। वल्टोहा का इस्तीफा अकाली दल द्वारा मंजूर कर दिया गया था। इसकी जानकारी शिअद के वरिष्ठ नेता दलजीत सिंह चीमा द्वारा दी गई थी। क्या होता है तनखैया सिख पंथ के अनुसार कोई भी सिख अगर धार्मिक तौर पर कुछ गलत करता है तो उसे तनखैया करार दिया जाता है। इसका फैसला सिखों के सर्वोच्च तख्त श्री अकाल तख्त साहिब करते हैं। तनखैया घोषित होने के बाद व्यक्ति सिख संगत के समक्ष उपस्थित होकर अपनी गलती के लिए क्षमा मांग सकता है। तब सिख संगत की ओर से पवित्र श्री गुरू ग्रंथ साहिब की हाजिरी में उसके गुनाह की समीक्षा की जाती है। फिर उसी के हिसाब से उसके लिए दंड तय किया जाता है। तनखैया की सजा मिलने पर ऐसे व्यक्ति से न तो कोई सिख संपर्क रखता है और न ही कोई संबंध। इनके यहां शादी जैसे कार्यक्रमों में भी कोई सिख आता-जाता नहीं है।