हरियाणा के जींद में शनिवार को स्कूल की प्रार्थना सभा में चक्कर आने के बाद 11वीं कक्षा की छात्रा की मौत हो गई। घटना सफीदों के राजकीय कन्या सीनियर सेकेंडरी स्कूल की है। मृतका की पहचान बहादुरपुर गांव निवासी प्रियंका (17) के रूप में हुई है। घटना की जानकारी मिलते ही युवती के परिजन और ग्रामीण काफी संख्या में सफीदों के सरकारी अस्पताल में पहुंचे। परिजनों का बेटी की मौत के बाद रो-रोकर बुरा हाल है। प्रिंसिपल बलजीत सिंह लांबा ने बताया कि डॉक्टरों ने कहा है कि BP डाउन होने की वजह से उसकी मौत हुई है। बच्ची ने कुछ खाया नहीं हुआ था, इसकी वजह से उसे चक्कर आए हैं। पहले भी प्रियंका को चक्कर आ चुके हैं। हमें इस बात के बारे में नहीं पता था, नहीं तो हम इसे लेकर सचेत रहते। सहेलियों के साथ पैदल गई थी स्कूल परिवार के मुताबिक, प्रियंका रोजाना की तरह शनिवार सुबह गांव बहादुरपुर से अपनी सहेलियों के साथ गांव से पैदल ही सफीदों के राजकीय कन्या सीनियर सेकेंडरी स्कूल में पढ़ने के लिए आई थी। स्कूल में सुबह प्रार्थना सभा चल रही थी। दूसरी लड़कियों की तरह प्रियंका भी लाइन में खड़ी हुई थी। चक्कर आने के बाद अचानक प्रियंका गिर गई। वहां मौजूद स्टाफ और अन्य लड़कियों ने प्रियंका को संभाला। उसके हाथ और पैर भी मसले, लेकिन कोई मूवमेंट नहीं हुई। इसके बाद स्कूल के प्रिंसिपल बलजीत सिंह स्टाफ के साथ तुरंत प्रियंका को सफीदों के नागरिक अस्पताल पहुंचे। यहां कुछ देर बाद प्रियंका ने दम तोड़ दिया। पिता बोले- घर से चाय पीकर निकली थी प्रियंका के पिता विजेंद्र कुमार का कहना है कि प्रियंका का अचानक बीपी नीचे चला गया। इससे पहले भी उसे ऐसा हो जाता था। शनिवार को वह घर से चाय पीकर बिल्कुल ठीक-ठाक आई थी। स्कूल जाते-जाते वह सबसे बोलकर व अपनी दादी से 10 रुपए भी जेब खर्ची के लिए लेकर आई थी। प्रियंका पढ़ाई में काफी होशियार थी तथा परिवार में बहुत मिलनसार थी। उसके 5 लड़कियां व एक लड़का है। प्रियंका उनमें तीसरे नंबर की थी। हरियाणा के जींद में शनिवार को स्कूल की प्रार्थना सभा में चक्कर आने के बाद 11वीं कक्षा की छात्रा की मौत हो गई। घटना सफीदों के राजकीय कन्या सीनियर सेकेंडरी स्कूल की है। मृतका की पहचान बहादुरपुर गांव निवासी प्रियंका (17) के रूप में हुई है। घटना की जानकारी मिलते ही युवती के परिजन और ग्रामीण काफी संख्या में सफीदों के सरकारी अस्पताल में पहुंचे। परिजनों का बेटी की मौत के बाद रो-रोकर बुरा हाल है। प्रिंसिपल बलजीत सिंह लांबा ने बताया कि डॉक्टरों ने कहा है कि BP डाउन होने की वजह से उसकी मौत हुई है। बच्ची ने कुछ खाया नहीं हुआ था, इसकी वजह से उसे चक्कर आए हैं। पहले भी प्रियंका को चक्कर आ चुके हैं। हमें इस बात के बारे में नहीं पता था, नहीं तो हम इसे लेकर सचेत रहते। सहेलियों के साथ पैदल गई थी स्कूल परिवार के मुताबिक, प्रियंका रोजाना की तरह शनिवार सुबह गांव बहादुरपुर से अपनी सहेलियों के साथ गांव से पैदल ही सफीदों के राजकीय कन्या सीनियर सेकेंडरी स्कूल में पढ़ने के लिए आई थी। स्कूल में सुबह प्रार्थना सभा चल रही थी। दूसरी लड़कियों की तरह प्रियंका भी लाइन में खड़ी हुई थी। चक्कर आने के बाद अचानक प्रियंका गिर गई। वहां मौजूद स्टाफ और अन्य लड़कियों ने प्रियंका को संभाला। उसके हाथ और पैर भी मसले, लेकिन कोई मूवमेंट नहीं हुई। इसके बाद स्कूल के प्रिंसिपल बलजीत सिंह स्टाफ के साथ तुरंत प्रियंका को सफीदों के नागरिक अस्पताल पहुंचे। यहां कुछ देर बाद प्रियंका ने दम तोड़ दिया। पिता बोले- घर से चाय पीकर निकली थी प्रियंका के पिता विजेंद्र कुमार का कहना है कि प्रियंका का अचानक बीपी नीचे चला गया। इससे पहले भी उसे ऐसा हो जाता था। शनिवार को वह घर से चाय पीकर बिल्कुल ठीक-ठाक आई थी। स्कूल जाते-जाते वह सबसे बोलकर व अपनी दादी से 10 रुपए भी जेब खर्ची के लिए लेकर आई थी। प्रियंका पढ़ाई में काफी होशियार थी तथा परिवार में बहुत मिलनसार थी। उसके 5 लड़कियां व एक लड़का है। प्रियंका उनमें तीसरे नंबर की थी। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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नरेंद्र राणा के सबसे करीबी रहे वरिष्ठ कांग्रेस नेता नैनपाल राणा ने उनके निधन पर कहा कि नरेंद्र राणा के निधन से मुझे गहरा दुख पहुंचा है। नरेंद्र राणा बहुत मेहनती थे और समाज सेवा में हमेशा आगे रहते थे। नरेंद्र 2005 में ददलाना गांव के सरपंच बने थे। उनके कार्यकाल में गांव में स्टेडियम, सीएचसी, पशु अस्पताल, बिजली घर, वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, सड़कें, गलियां और नालियां बनवाई गईं। वे 2009 में कांग्रेस में सक्रिय कार्यकर्ता थे। वे रिफाइनरी में ठेकेदार थे। उन्होंने रिफाइनरी में हजारों युवाओं को रोजगार भी दिलाया। 2019 में बसपा टिकट से लड़ा था चुनाव
नरेंद्र राणा कांग्रेस के बाद वह कुछ दिन हजका में रहे और 2019 में बसपा में शामिल होकर असंध से टिकट पर चुनाव लड़ा और 1703 वोटों से हार गए। वह हमेशा सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते रहे हैं। नरेंद्र राणा मायावती के करीबी रहे हैं। उनके दो बेटे एडवोकेट गोपाल और इंजीनियर नीरज हैं। नरेंद्र की एक बेटी भी है, सभी बच्चों की शादी हो चुकी है। नरेंद्र पांच भाइयों में सबसे बड़े थे। नरेंद्र राणा ने सभी 36 बिरादरियों को साथ लेकर काम किया। उन्होंने नेता के तौर पर नहीं बल्कि भाई और बेटे के तौर पर काम किया। गोपाल राणा ने 2 दिन पहले किया था पोस्ट
नरेंद्र राणा के बेटे गोपाल राणा ने 8 अक्टूबर को असंध विधानसभा चुनाव हारने के दो दिन बाद सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया था। जिसमें उन्होंने सिस्टम को जिम्मेदार ठहराया था। उन्होंने लिखा था कि आज चुनाव गोपाल राणा नहीं बल्कि बेटा हारा है। मैं अपने पिता के सपने के लिए लड़ रहा था। जनता ने आशीर्वाद दिया लेकिन मैं सरकारी सिस्टम से हार गया। गोपाल ने लिखा- जैसे ही पापा को हार की खबर मिली, उनकी तबीयत बिगड़ने लगी और उन्हें फिर से अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। मैं सोच रहा था कि क्या पता मेरी जीत से पापा ठीक हो जाते, लेकिन ऐसा नहीं हो सका, मैं सिस्टम का शिकार हो गया, मैं भगवान से प्रार्थना करता हूं कि भविष्य में किसी के साथ अन्याय न हो। टिकट न मिलने के कारण ब्रेन हेमरेज हुआ
पलवल के पूर्व विधायक सुभाष चौधरी को टिकट न मिलने के कारण ब्रेन हेमरेज हो गया था। जिसके कारण 73 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया। चुनाव से पहले एक निजी चैनल को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि यह उनका आखिरी चुनाव होगा। अगर उन्हें टिकट नहीं मिला तो वह राजनीति से संन्यास ले लेंगे। इसी बीच कांग्रेस ने करण दलाल को टिकट दे दिया। जिसके बाद उनकी तबीयत खराब हो गई। सुभाष चौधरी की पत्नी का पहले ही निधन हो चुका है। उनका एक बेटा अमरजीत और एक बेटी सविता है। दोनों की शादी हो चुकी है। बेटी पहले प्रिंसिपल थी, लेकिन शादी के बाद उसने नौकरी छोड़ दी। पलवल जिले की राजनीति में सुभाष चौधरी एक जाना-माना चेहरा थे। वह कई बार पार्षद रहे और नगर परिषद के अध्यक्ष भी रहे। 1996 में उन्होंने पहली बार बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और वह दूसरे नंबर पर रहे।