हरियाणा विधानसभा के नवनियुक्त अध्यक्ष हरविंद्र कल्याण का स्वागत उनके गृह क्षेत्र घरौंडा सहित करनाल और कुरुक्षेत्र में भव्य तरीके से किया जाएगा। रविवार 27 अक्टूबर को हरविंद्र कल्याण सबसे पहले कुरुक्षेत्र के पेराकीट टूरिस्ट कंपलेक्स पर रुकेंगे, जहां स्थानीय लोग उनका स्वागत करेंगे। इसके बाद वह सुबह 10:30 बजे नीलोखेड़ी के काली माता मंदिर रोड पर लोगों से मुलाकात करेंगे। फिर करनाल पहुंचेंगे, जहां उनका स्वागत कई स्थानों पर किया जाएगा और वे अपने मधुबन स्थित कल्याण फार्म हाउस पर पहुंचेंगे। क्षेत्र के लोगों और कार्यकर्ताओं में उत्साह का माहौल है, क्योंकि विधानसभा अध्यक्ष बनने के बाद हरविंद्र कल्याण पहली बार अपने क्षेत्र का दौरा करेंगे। कुरुक्षेत्र से करनाल तक स्वागत आज विधानसभा अध्यक्ष सुबह सबसे पहले कुरुक्षेत्र के पेराकीट टूरिस्ट कंपलेक्स पहुंचेंगे। वहां से वे नीलोखेड़ी के काली माता मंदिर रोड पर सुबह 10:30 बजे जनता से मिलेंगे और इसके बाद करनाल के विभिन्न स्थानों पर पहुंचेंगे। करनाल में विभिन्न स्थानों पर रुकने के दौरान उनके स्वागत का विस्तृत कार्यक्रम रखा गया है। करनाल में मुख्य कार्यक्रमों की डिटेल- आईटीआई चौक – सुबह 9:45 बजे नवनियुक्त विधानसभा अध्यक्ष का यहां आगमन होगा और जनता द्वारा स्वागत किया जाएगा। – कर्ण कमल, करनाल – यहां सुबह 10:30 बजे उनसे मिलने का अवसर होगा, जहां पर स्थानीय लोगों का स्वागत कार्यक्रम आयोजित किया गया है। – सेक्टर 6 चौक – सुबह 11:00 बजे विधानसभा अध्यक्ष यहां पहुंचेंगे, जहां से वे आगे बढ़ेंगे। – ताऊ देवीलाल चौक – सुबह 11:15 बजे हरविंद्र कल्याण का यहां रुकने का कार्यक्रम तय किया गया है। – कम्बोपुरा, निकट सरकारी स्कूल – सुबह 11:30 बजे यहां लोगों से मुलाकात होगी। – पक्का पुल ऊंचा समाना – सुबह 11:40 बजे विधानसभा अध्यक्ष यहां पहुंचेंगे। – कल्याण फार्म हाउस, मधुबन – स्वागत का अंतिम कार्यक्रम यहां दोपहर 12:00 बजे होगा। 28 अक्तूबर को लेंगे अधिकारियों के साथ बैठक विधानसभा अध्यक्ष हरविंद्र कल्याण 28 अक्टूबर को करनाल के लघु सचिवालय में अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे। सोमवार सुबह 11:00 बजे होने वाली इस बैठक में जिले के कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। हरियाणा विधानसभा के नवनियुक्त अध्यक्ष हरविंद्र कल्याण का स्वागत उनके गृह क्षेत्र घरौंडा सहित करनाल और कुरुक्षेत्र में भव्य तरीके से किया जाएगा। रविवार 27 अक्टूबर को हरविंद्र कल्याण सबसे पहले कुरुक्षेत्र के पेराकीट टूरिस्ट कंपलेक्स पर रुकेंगे, जहां स्थानीय लोग उनका स्वागत करेंगे। इसके बाद वह सुबह 10:30 बजे नीलोखेड़ी के काली माता मंदिर रोड पर लोगों से मुलाकात करेंगे। फिर करनाल पहुंचेंगे, जहां उनका स्वागत कई स्थानों पर किया जाएगा और वे अपने मधुबन स्थित कल्याण फार्म हाउस पर पहुंचेंगे। क्षेत्र के लोगों और कार्यकर्ताओं में उत्साह का माहौल है, क्योंकि विधानसभा अध्यक्ष बनने के बाद हरविंद्र कल्याण पहली बार अपने क्षेत्र का दौरा करेंगे। कुरुक्षेत्र से करनाल तक स्वागत आज विधानसभा अध्यक्ष सुबह सबसे पहले कुरुक्षेत्र के पेराकीट टूरिस्ट कंपलेक्स पहुंचेंगे। वहां से वे नीलोखेड़ी के काली माता मंदिर रोड पर सुबह 10:30 बजे जनता से मिलेंगे और इसके बाद करनाल के विभिन्न स्थानों पर पहुंचेंगे। करनाल में विभिन्न स्थानों पर रुकने के दौरान उनके स्वागत का विस्तृत कार्यक्रम रखा गया है। करनाल में मुख्य कार्यक्रमों की डिटेल- आईटीआई चौक – सुबह 9:45 बजे नवनियुक्त विधानसभा अध्यक्ष का यहां आगमन होगा और जनता द्वारा स्वागत किया जाएगा। – कर्ण कमल, करनाल – यहां सुबह 10:30 बजे उनसे मिलने का अवसर होगा, जहां पर स्थानीय लोगों का स्वागत कार्यक्रम आयोजित किया गया है। – सेक्टर 6 चौक – सुबह 11:00 बजे विधानसभा अध्यक्ष यहां पहुंचेंगे, जहां से वे आगे बढ़ेंगे। – ताऊ देवीलाल चौक – सुबह 11:15 बजे हरविंद्र कल्याण का यहां रुकने का कार्यक्रम तय किया गया है। – कम्बोपुरा, निकट सरकारी स्कूल – सुबह 11:30 बजे यहां लोगों से मुलाकात होगी। – पक्का पुल ऊंचा समाना – सुबह 11:40 बजे विधानसभा अध्यक्ष यहां पहुंचेंगे। – कल्याण फार्म हाउस, मधुबन – स्वागत का अंतिम कार्यक्रम यहां दोपहर 12:00 बजे होगा। 28 अक्तूबर को लेंगे अधिकारियों के साथ बैठक विधानसभा अध्यक्ष हरविंद्र कल्याण 28 अक्टूबर को करनाल के लघु सचिवालय में अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे। सोमवार सुबह 11:00 बजे होने वाली इस बैठक में जिले के कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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बनारसी दास को भाषण के दौरान गोली लगी:ट्रेन में छिपकर पत्नी के साथ लाहौर से भारत पहुंचे; कठपुतली मुख्यमंत्री कहा गया साल 1989, चौधरी देवीलाल हरियाणा के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर डिप्टी प्राइम मिनिस्टर बने और बेटे ओमप्रकाश चौटाला को मुख्यमंत्री बनवा दिया। तब ओम प्रकाश चौटाला विधायक नहीं थे। उन्हें 6 महीने के भीतर विधायक बनना था। ओमप्रकाश चौटाला, रोहतक जिले की महम सीट से उपचुनाव में उतरे। ये वो सीट थी जहां से लगातार तीन बार देवीलाल जीत चुके थे। जब चुनाव हुआ तो महम सीट हिंसा की भेंट चढ़ गई। 10 लोगों की जान चली गई। चुनाव रद्द हो गया। महम कांड की आंच चौटाला परिवार तक पहुंची। इधर, अप्रैल 1990, जनता दल में नए अध्यक्ष को लेकर गहमागहमी शुरू हो चुकी थी। रेस में दो नाम सबसे आगे थे। पहला- एसआर बोम्मई का, जिन्हें समाजवादी नेता चंद्रशेखर का समर्थन था। दूसरा- एस जयपाल रेड्डी का, जिनके खेमे में रामकृष्ण हेगड़े और अजीत सिंह जैसे नेता थे। देवीलाल, बोम्मई का समर्थन कर रहे थे। उन्हें लगता था कि बोम्मई अध्यक्ष बनते हैं, तो ओमप्रकाश चौटाला की कुर्सी बच जाएगी। उधर, रेड्डी को आशंका थी कि प्रधानमंत्री वीपी सिंह उनका साथ नहीं देंगे। इसी असमंजस में उन्होंने दावेदारी छोड़ दी। 19 मई को बोम्मई जनता दल के निर्विरोध अध्यक्ष चुन लिए गए। इस बीच महम कांड का शोर संसद तक पहुंच गया। अटल बिहारी वाजपेयी ने भी चौटाला के इस्तीफे की मांग कर डाली। वीपी सिंह को आनन-फानन में मंत्रिमंडल की बैठक बुलानी पड़ी। देवीलाल की हाजिरी में बोम्मई ने चौटाला से इस्तीफा मांग लिया। 22 मई को ओमप्रकाश चौटाला ने इस्तीफा दे दिया। अब देवीलाल को ऐसे नेता की जरूरत थी, जो हरियाणा का मुख्यमंत्री तो बने, लेकिन सरकार की बागडोर उनके पास ही रहे। देवीलाल के छोटे बेटे रणजीत चौटाला भी सीएम की रेस में थे, लेकिन ओमप्रकाश को डर था कि रणजीत मुख्यमंत्री बन गए, तो बाद में वे इस्तीफा नहीं देंगे। ऐसे में डिप्टी सीएम बनारसी दास गुप्ता का नाम तय किया गया। वे देवीलाल और ओमप्रकाश दोनों के करीबी थे। 22 मई 1990 को बनारसी दास गुप्ता दूसरी बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने। ‘मैं हरियाणा का सीएम’ सीरीज के चौथे एपिसोड में बनारसी दास गुप्ता के मुख्यमंत्री बनने की कहानी और उनसे जुड़े किस्से… बनारसी दास गुप्ता का जन्म 5 नवंबर 1917 को पंजाब की जींद रियासत के एक छोटे से गांव में हुआ। पिता रामस्वरूप गुप्ता गांव में दुकान चलाते थे और खेती भी करते थे। उनकी मौसी की कोई संतान नहीं थी। इसलिए वे कुछ सालों तक अपनी मौसी के पास रहे, लेकिन जब उनको बेटा हुआ तो बनारसी दास माता-पिता के पास लौट आए। बनारसी दास की तीसरी कक्षा तक की पढ़ाई गांव में ही हुई। उन दिनों स्कूल में दलित बच्चों को अन्य बच्चों से अलग बिठाया जाता था। वे इसका विरोध करते और उनके साथ ही बैठते। आठवीं के बाद वे पिलानी के बिड़ला कॉलेज में एडमिशन लेने पहुंचे। जब फीस जमा करने की बारी आई तो बनारसी दास ने 100 रुपए का नोट दिया। नोट किनारे से फटा था, मुनीम ने नोट लेने से मना कर दिया। बनारसी दास के पास सिर्फ उतने ही रुपए थे। पूरा दिन उन्होंने सड़क पर बिताया। शाम को कॉलेज के मालिक घनश्यामदास बिड़ला ने उन्हें देखा और कारण पूछा। तब बनारसी दास ने उन्हें पूरा किस्सा बताया। इसके बाद उन्हें एडमिशन मिल गया। बिड़ला कॉलेज से 10वीं की परीक्षा पास करने के बाद वे पढ़ाई छोड़कर आजादी की लड़ाई में उतर गए। उन्होंने कई आंदोलनों में भाग लिया। भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान कुछ साल जेल में भी रहे। बंटवारे के दौरान पत्नी को 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हालात बदले तो वे जेल से बाहर आए। इस दौरान जींद के महाराजा ने सीमित मताधिकार से चुने गए 65 सदस्यों की विधानसभा का गठन किया। बनारसी दास जींद से निर्विरोध सदस्य चुने गए। आजादी के बाद बनारसीदास और उनके साथियों ने जींद रियासत का पंजाब में विलय करने के लिए संघर्ष किया। तत्कालीन गृह मंत्री सरदार पटेल के हस्तक्षेप के बाद पंजाब की सभी रियासतों को मिलाकर पेप्सू यूनियन बनाया गया। आगे चलकर पंजाब में इसका विलय कर दिया गया। रियासती प्रजामंडलों का कांग्रेस में विलय कर दिया। बनारसी दास भी कांग्रेस में शामिल हो गए। कांग्रेस में शामिल होने के बाद बनारसी दास गुप्ता ने भिवानी को कार्यक्षेत्र बनाया। राष्ट्रीय मजदूर कांग्रेस के बैनर तले मजदूरों को संगठित किया। इस दौरान उन्होंने 17 दिन तक अनशन भी किया। वे 1953 से 1960 तक जिला कांग्रेस के अध्यक्ष रहे। 1953 में ही भिवानी नगरपालिका के पहले गैर सरकारी अध्यक्ष चुने गए। 1968 में बनारसीदास भिवानी से कांग्रेस के टिकट पर पहली बार विधायक बने। 1972 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 81 में से 52 सीटें जीतीं। बनारसी दास फिर विधायक बने। बंसीलाल दोबारा मुख्यमंत्री बने। मुख्यमंत्री बनने के बाद बंसीलाल ने बनारसी दास को स्पीकर बनाया। बंसीलाल को इंदिरा का बुलावा और बनारसी दास सीएम बन गए स्पीकर बनने के बाद बनारसी दास गुप्ता ने विधानसभा का सारा काम हिंदी में करने का आदेश दिया। इससे वे चर्चा में आ गए। यह पहला मौका था जब किसी विधानसभा में सारा काम हिंदी में करने का आदेश जारी हुआ था। 1973 में उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया और बंसीलाल मंत्रिमंडल में शामिल हो गए। उन्हें बिजली, सिंचाई, कृषि, सहकारिता, स्वास्थ्य और नागरिक प्रशासन मंत्रालय मिला। इसी बीच इमरजेंसी के दौरान इंदिरा गांधी ने बंसीलाल को दिल्ली बुला लिया। बंसीलाल हरियाणा की कमान अपने किसी करीबी को सौंपना चाहते थे। उन्होंने बनारसी दास को मुफीद माना। इस तरह 1 दिसंबर 1975 को बनारसी दास गुप्ता पहली बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने। हालांकि इस दौरान उन पर डमी सीएम होने का आरोप भी लगा। कहा जाता है कि भले ही बंसीलाल दिल्ली में रक्षा मंत्रालय की कमान संभाल रहे थे, लेकिन हरियाणा में हर फैसले में उनकी और उनके बेटे सुरेंद्र की दखल रहती थी। 1977 में कांग्रेस को 3 सीटें मिलीं, बनारसी दास ने पाला बदल लिया 1977 में इमरजेंसी हटने के बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया। इसके बाद हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 3 सीटों पर सिमट गई। बनारसी दास भी चुनाव हार गए। जनता पार्टी 75 सीटों के साथ सत्ता में आई। चौधरी देवीलाल मुख्यमंत्री बने। हालांकि दो साल बाद ही उनकी जगह भजनलाल को सीएम बना दिया गया। 1985 में प्रधानमंत्री राजीव गांधी और अकाली दल के अध्यक्ष संत हरचंद सिंह लोगोंवाल के बीच पंजाब में समझौता हुआ। इसमें चंड़ीगढ़ और रावी-व्यास के जल बंटवारे से जुड़ा मामला शामिल था। इसे लेकर हरियाणा में काफी आक्रोश था। देवीलाल ने 18 विधायकों के साथ विधानसभा से इस्तीफा देकर ‘न्याय युद्ध’ छेड़ दिया। बनारसी दास ने कांग्रेस को आंदोलन में शामिल होने की सलाह दी, लेकिन उनकी बात नहीं मानी गई। इसके बाद बनारसी दास कांग्रेस छोड़कर चौधरी देवीलाल के साथ आ गए। 1987 में विधानसभा चुनाव हुए तो चौधरी देवीलाल को 60 सीटें मिलीं। देवीलाल मुख्यमंत्री बने और बनारसी दास गुप्ता को उप मुख्यमंत्री बनाया गया। ओमप्रकाश चौटाला को इस्तीफा देना पड़ा, बनारसी दास पर कठपुतली सीएम का ठप्पा लगा दो साल बाद केन्द्र में वीपी सिंह की सरकार बनी, तो देवीलाल को उप प्रधानमंत्री बनाया गया। देवीलाल राज्य की सत्ता बेटे ओमप्रकाश चौटाला को सौंप कर दिल्ली की तरफ बढ़ गए। चौटाला सीएम बने तो वे विधायक नहीं थे। उन्होंने महम सीट पर उपचुनाव में पर्चा भर दिया। खाप पंचायतों ने इसका विरोध किया और देवीलाल के करीबी रहे आनंद सिंह दांगी को निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर समर्थन दे दिया। 27 फरवरी, 1990 को महम में वोटिंग हुई। आनंद सिंह दांगी ने चुनाव आयोग से आठ वोटिंग सेंटर्स पर बूथ कैप्चरिंग की शिकायत की। अगले दिन यानी 28 फरवरी को उन आठ बूथों पर फिर से वोटिंग हुई। उस दौरान भी भारी हिंसा हुई। भीड़ ने बचाव में जुटी CRPF के एक जवान की हत्या कर दी। इसके बाद सुरक्षाबलों ने भीड़ पर गोलियां चला दीं जिसमें 10 लोगों की मौत हो गई। वरिष्ठ पत्रकार डॉ. सतीश त्यागी अपनी किताब ‘पॉलिटिक्स ऑफ चौधर’ में लिखते हैं- महम हिंसा के बाद जनता दल में अजीत सिंह, अरुण नेहरू, जॉर्ज फर्नांडिस और रामकृष्ण हेगड़े जैसे नेताओं ने वीपी सिंह पर चौटाला को हटाने का दबाव बनाना शुरू कर दिया। 3 मार्च को एक बैठक में देवीलाल और अजीत सिंह में जमकर गाली-गलौज हुई। इसी रात एक और बैठक हुई इसमें जनता दल शासित राज्यों के मुख्यमंत्री भी शामिल हुए। बैठक में उत्तर प्रदेश के सीएम मुलायम सिंह यादव, बिहार के सीएम लालू प्रसाद यादव और ओडिशा के सीएम बीजू पटनायक ने चौटाला को हटाने की वकालत की। देवीलाल के खास शरद यादव भी चौटाला को हटाने के पक्ष में थे। हालांकि बैठक में कोई फैसला नहीं हो सका। अब इसका फैसला करने का जिम्मा एक कमेटी को सौंप गया। कमेटी में अजीत सिंह, जॉर्ज फर्नांडिस, शरद यादव, अरुण नेहरू और यशवंत सिन्हा शामिल थे। 4 मार्च को कमेटी ने तय किया कि पार्टी चुनाव आयोग से महम सीट पर फिर से वोटिंग कराने को कहे। साथ ही चौटाला इस्तीफा दें। आखिरकार 22 मई 1990 को चौटाला को इस्तीफा देना पड़ा। उसी दिन देवीलाल ने अपने करीबी और तब डिप्टी सीएम रहे बनारसी दास गुप्ता को सीएम बनाया। हालांकि दो महीने के भीतर ही ओमप्रकाश चौटाला दरबान कलां सीट से उपचुनाव जीतकर विधानसभा पहुंच गए। उन्होंने बनारसी दास गुप्ता से इस्तीफा ले लिया और खुद मुख्यमंत्री बन गए। बनारसी दास गुप्ता 51 दिन ही सीएम रह सके। बनारसी दास गुप्ता को गोली लगी, बाल-बाल बचे इसके बाद बनारसी दास गुप्ता के देवीलाल से वैचारिक मतभेद बढ़ गए। वे सक्रिय राजनीति से अलग-थलग रहने लगे थे। 23 सितंबर 1990 की बात है। बनारसी दास भिवानी में महाराजा अग्रसेन जयंती समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। इसी दौरान अचानक उन पर फायरिंग हो गई। गोली उनके सीने को चीरती हुई पार निकल गई। हालांकि लंबे इलाज के बाद वे ठीक हो गए। इस घटना ने बनारसी दास को फिर से राजनीति में एक्टिव होने की ऊर्जा दे दी। राजीव गांधी के कहने पर बनारसी दास कांग्रेस में शामिल हो गए। 1996 में भजनलाल सरकार के दौरान उन्हें राज्यसभा भेजा गया। कार्यकाल खत्म होने के बाद उन्होंने राजनीति से रिटायरमेंट ले लिया और समाजसेवा की तरफ बढ़ गए। 29 अगस्त 2007 को बनारसी दास का निधन हो गया।
गर्मी से अलर्ट हुई हरियाणा सरकार:वेदर चेंज पर ड्राफ्ट एक्शन प्लान रेडी; केंद्र से मंजूरी लेगा, हेल्थ डिपार्टमेंट को 26.75 करोड़ जारी
गर्मी से अलर्ट हुई हरियाणा सरकार:वेदर चेंज पर ड्राफ्ट एक्शन प्लान रेडी; केंद्र से मंजूरी लेगा, हेल्थ डिपार्टमेंट को 26.75 करोड़ जारी हरियाणा में बढ़ती गर्मी को लेकर सरकार अलर्ट मोड में आ गई है। दिन ब दिन चेंज हो रहे वेदर को लेकर एक्शन प्लान का ड्राफ्ट रेडी कर लिया है। अब इसकी केंद्र सरकार से मंजूरी लेगा। साथ ही गर्मियों से होने वाली बीमारियों से बचने के लिए सभी जिलों को 26.75 करोड़ रुपए जारी किए हैं। चीफ सेक्रेटरी टीवीएसएन प्रसाद ने बताया कि राजस्व और आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से सभी डीसी इसको लेकर निर्देश जारी कर दिए गए हैं। इनमें लू से निपटने के लिए राहत कार्यों की मॉनिटरिंग के लिए नोडल अधिकारी नामित करने की हिदायत दी गई है। इसके अलावा, जलाशयों की गाद निकालने के लिए जल्द ही एक कार्य-योजना लागू की जाएगी। केंद्र ने फीडबैक लिया टीवीएसएन प्रसाद ने केंद्रीय कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में नेशनल क्राइसिस मैनेजमेंट कमेटी (NCMC) की बैठक में भाग लेने के दौरान बताया कि जनस्वास्थ्य विभाग द्वारा जिला स्तर पर कंट्रोल रूम बनाए गए हैं। इनके माध्यम से फोन करने पर तुरंत पानी के टैंकर भेजे जाते हैं। सीएस ने बताया कि मई मिड से प्रदेश लू के कारण भीषण गर्मी से जूझ रहा है। कई क्षेत्रों में लोगों को लंबे समय से अत्यधिक गर्मी का सामना करना पड़ रहा है। सिरसा में 28 मई को 50.3 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया। आने वाले दिनों में आंधी-तूफान के कारण गर्मी से कुछ राहत मिलने की उम्मीद है, लेकिन जल्द ही तापमान में फिर से वृद्धि होने का अनुमान है। हेल्थ डिपार्टमेंट को 27 करोड़ रिलीज किए सीएम ने मीटिंग में बताया कि गर्मी से होने वाली बीमारियों के उपचार के लिए 26.75 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं। इससे प्रत्येक जिले में हीटस्ट्रोक और संबंधित मुद्दों से निपटने के लिए आवश्यक संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है। इसके अतिरिक्त, गर्मी से होने वाली थकावट या डी-हाइड्रेशन वाले लोगों को तत्काल राहत पहुंचाने के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं और प्रमुख स्थानों पर ओरल रिहाइड्रेशन कॉर्नर स्थापित किए गए हैं। इमरजेंसी की स्थिति में एंबुलेंस को हाई अलर्ट पर रखा गया हैं, 112 आपातकालीन हेल्पलाइन के साथ समन्वय स्थापित किया जा रहा है। इससे हीट स्ट्रोक की घटनाओं के मामले में त्वरित प्रतिक्रिया समय सुनिश्चित होता है। अब तक ये की गई कार्रवाई प्रत्येक विभाग ने हीटवेव से निपटने के लिए विशिष्ट कार्रवाई की है। स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा विद्यार्थियों को गर्मी के पीक आवर से बचाने के लिए स्कूल के समय को समायोजित किया गया और 30 जून, 2024 तक ग्रीष्मकालीन अवकाश घोषित किया है। विकास एवं पंचायत विभाग ने भीषण गर्मी से बचने के लिए मनरेगा श्रमिकों के काम के घंटे समायोजित किए हैं तथा कार्यस्थलों पर पेयजल, छाया और प्राथमिक उपचार की व्यवस्था सुनिश्चित की है। पशुपालन एवं डेयरी विभाग ने पशुधन की सुरक्षा के लिए एडवाइजरी जारी की गई है, जबकि अग्निशमन विभाग ने सुनिश्चित किया है कि सभी अग्निशमन वाहन और उपकरण चालू हों और आपात स्थिति के लिए तैयार हों। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने खरीफ 2024 के लिए आकस्मिक फसल योजना बनाई है तथा किसानों की सहायता के लिए सिंचाई परामर्श जारी किए हैं। बिजली विभाग ने बिजली आपूर्ति मांगों के प्रबंधन और जलापूर्ति योजनाओं के लिए निरंतर बिजली सुनिश्चित करने के लिए एक निगरानी एवं समन्वय समिति का गठन किया है।