रॉबर्ट वाड्रा से आज तीसरे दिन भी ED की पूछताछ:दो दिनों में 8 घंटे सवालों के दे चुके जवाब; कल प्रियंका गांधी के साथ पहुंचे थे गुरुग्राम लैंड स्कैम केस में कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा से प्रवर्तन निदेशालय की तीसरे दिन भी पूछताछ जारी रहेगी। प्रवर्तन निदेशालय अब तक वाड्रा से दो दिनों में 8 घंटे पूछताछ कर चुकी है। सूत्रों के अनुसार यह 2019 की पूछताछ से अलग बिंदुओं पर है। उनसे स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी द्वारा डीएलएफ को जमीन बेचने और सौदे से हुए वित्तीय लाभ से जुड़े सवाल पूछे गए। ईडी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी के बैंक खातों, ट्रांजेक्शन पैटर्न, दाखिल-खारिज प्रक्रिया और चेंज ऑफ लैंड यूज से जुड़े दस्तावेज का फोरेंसिक विश्लेषण करा सकती है। यह कंपनी वाड्रा से जुड़ी है। सूत्रों के मुताबिक पूछताछ का मकसद यह जानना है कि क्या इस डील से कथित रूप से काला धन सफेद किया गया और क्या सरकारी तंत्र का दुरुपयोग हुआ? दूसरे दिन वाड्रा ने पूछताछ के बाद कहा, “वे मुझसे बहुत प्यार करते हैं”। बुधवार को वाड्रा सुबह 11 बजे के बाद ED ऑफिस पहुंचे थे। उनके साथ प्रियंका गांधी भी थीं। वह पूछताछ तक वेटिंग रूम में बैठी रहीं। वाड्रा बोले- हम लोगों की बात रखते हैं, इसलिए टारगेट पर हैं इससे पहले मंगलवार को भी ED ने वाड्रा से करीब 6 घंटे पूछताछ की थी। वाड्रा पूछताछ के लिए पैदल ही दफ्तर पहुंचे थे। पेशी से पहले वाड्रा ने कहा, “मैं कभी भी अपने आपको सॉफ्ट टारगेट नहीं बुलाऊंगा। आप (केंद्र सरकार) मुझे परेशान करोगे या कोई प्रेशर डालोगे तो मैं और उभरकर आऊंगा, स्ट्रॉन्ग बनूंगा। हम लोगों की बात रखते हैं, इसलिए टारगेट पर हैं। हम किसी से डरते नहीं हैं। हम हमेशा लोगों के लिए लड़ते रहेंगे। संसद में चाहे राहुल गांधी को रोका जाए या मुझे बाहर रोका जाए, हम सच्चाई और लोगों के लिए लड़ते रहेंगे। हम टारगेट जरूर हैं, पर सॉफ्ट टारगेट नहीं हैं। हम हार्ड टारगेट हैं, और हार्डर (मजबूत) बनते रहेंगे। समय बदलता रहता है। “इस मामले में ED ने 8 अप्रैल को भी वाड्रा को समन भेजा था, हालांकि तब वह पेश नहीं हुए थे। मंगलवार को ED दफ्तर जाते समय वाड्रा ने कहा था कि यह कार्रवाई राजनीतिक मकसद से की जा रही है। इस मामले में वाड्रा के साथ हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी आरोपी हैं। उन पर आरोप है कि मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने वाड्रा की कंपनी को मुनाफा पहुंचाया। वाड्रा केस से जुड़ा पूरा मामला विस्तार से पढ़ें.. 2008 में हुआ जमीन का सौदा फरवरी 2008 में रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी ने ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज से गुरुग्राम के शिकोहपुर गांव में 3.5 एकड़ जमीन 7.5 करोड़ रुपए में खरीदी थी। उसी साल, तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की अगुआई वाली हरियाणा सरकार ने इस जमीन पर 2.7 एकड़ के लिए व्यवसायिक कॉलोनी विकसित करने का लाइसेंस दिया। इसके बाद कॉलोनी बनाने की जगह स्काईलाइट कंपनी ने इस जमीन को DLF को 58 करोड़ रुपए में बेच दिया, जिससे लगभग 50 करोड़ रुपए का मुनाफा हुआ। IAS अधिकारी ने म्यूटेशन रद्द किया 2012 में, तत्कालीन हरियाणा सरकार के भूमि रजिस्ट्रेशन निदेशक अशोक खेमका ने इस सौदे में अनियमितताओं का हवाला देते हुए जमीन के म्यूटेशन (स्वामित्व हस्तांतरण) को रद्द कर दिया। खेमका ने दावा किया था कि स्काईलाइट को लाइसेंस देने की प्रक्रिया में नियमों का उल्लंघन हुआ, और सौदा संदिग्ध था। इसके बाद, उनका तबादला कर दिया गया, जिससे यह मामला और विवादास्पद हो गया।2018 में दर्ज की गई FIR साल 2018 में हरियाणा पुलिस ने रॉबर्ट वाड्रा, भूपेंद्र हुड्डा, DLF, और ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज के खिलाफ एक शिकायत के आधार पर FIR दर्ज की थी। जिसमें धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश और भ्रष्टाचार के आरोप में IPC की धारा 420, 120, 467, 468 और 471 के तहत मामला दर्ज किया गया था। बाद में IPC की धारा 423 के तहत नए आरोप जोड़े गए थे। हरियाणा के पूर्व CM हुड्डा पर ये आरोप जमीन की यह डील जब हुई, उस समय हरियाणा में कांग्रेस की सरकार थी और भूपेंद्र सिंह हुड्डा मुख्यमंत्री थे। जमीन खरीदने के करीब एक महीने बाद हुड्डा सरकार ने वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी को इस जमीन पर आवासीय परियोजना विकसित करने की परमिशन दे दी। आवासीय परियोजना का लाइसेंस मिलने के बाद जमीन के दाम बढ़ जाते हैं। लाइसेंस मिलने के मुश्किल से 2 महीने बाद ही, जून 2008 में, डीएलएफ वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी से यह जमीन 58 करोड़ में खरीदने को तैयार हो जाती है। यानी मुश्किल से 4 महीने में 700 प्रतिशत से ज्यादा का मुनाफा वाड्रा की कंपनी को होता है। 2012 में हुड्डा सरकार कॉलोनी बनाने वाले लाइसेंस को DLF को ट्रांसफर कर देती है। FIR के आधार पर जांच शुरू की इसके बाद ईडी ने संदेह जताया कि इस सौदे में मनी लॉन्ड्रिंग हुई, क्योंकि जमीन की कीमत कुछ ही महीनों में असामान्य रूप से बढ़ गई। इसके अलावा यह भी संदेह जताया कि ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज एक फर्जी कंपनी थी। उसे सौदे में भुगतान के लिए इस्तेमाल किया गया। जमीन की खरीद से जुड़ा चेक कभी जमा नहीं किया गया। ईडी ने 2018 में हरियाणा पुलिस की FIR के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया। यह जांच स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी की वित्तीय गतिविधियों और सौदे से प्राप्त आय पर केंद्रित है। DLF को हुआ 5 हजार करोड़ का फायदा ईडी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी की वित्तीय लेनदेन, जमीन की खरीद-बिक्री, और DLF के साथ सौदे की जांच कर रही है। साथ ही, यह भी देखा जा रहा है कि क्या इस सौदे से प्राप्त आय का उपयोग अवैध गतिविधियों में किया गया। आरोप है कि DLF को इस सौदे में फायदा पहुंचाने के लिए हुड्डा सरकार ने नियमों का उल्लंघन किया। इसमें वजीराबाद में DLF को 350 एकड़ जमीन आवंटन का भी जिक्र है, जिससे डीएलएफ को कथित तौर पर 5,000 करोड़ रुपए का फायदा हुआ।