लखनऊ में पटाखों के शोर से कुत्ते हुए खूंखार:तेज धमाके से डॉग्स में फीयर हुआ डेवलप; 48 घंटे में 250 को नोच डाला

लखनऊ में पटाखों के शोर से कुत्ते हुए खूंखार:तेज धमाके से डॉग्स में फीयर हुआ डेवलप; 48 घंटे में 250 को नोच डाला

दिवाली में पटाखों के शोर के बीच कुत्ते खूंखार होने लगे हैं। दिवाली बाद लखनऊ में ताबड़तोड़ डॉग बाइट के केस सामने आए हैं। महज 48 घंटे में 250 से ज्यादा लोग अस्पतालों में पहुंचे हैं। बड़ी बात ये है कि इनमें बड़ी संख्या में बच्चे कुत्तों के चपेट में आ गए। इस मसले पर डॉक्टरों का कहना है कि पटाखों के तेज धमाकों से कुत्ते इरिटेट हो जाते हैं। कई बार उनमें फियर यानी डर भी डेवलप हो जाता है। इस वजह से कुत्ते अटैक करना शुरू कर देते हैं। लोकबंधु में 2 दिन में 24 डॉग बाइट के केस राजनारायण लोकबंधु संयुक्त अस्पताल में 2 दिन के भीतर 24 डॉग बाइट के केस पहुंचे। इनमें 1 नवंबर को 13 और 2 नवंबर को 11 केस रहे। लोकबंधु के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. राजीव दीक्षित ने बताया कि सभी को एंटी रैबीज की डोज दी गई। राहत की बात ये रही कि किसी भी मरीज में बहुत गंभीर लक्षण देखने को नहीं मिले। बलरामपुर में 100 से ज्यादा मरीज पहुंचे लखनऊ के बलरामपुर अस्पताल की OPD और इमरजेंसी में 112 लोग एंटी रैबीज इंजेक्शन लगवाने पहुंचे। इसमें 40 लोगों को इमरजेंसी में इंजेक्शन लगा। जबकि 72 लोगों को OPD में वैक्सीन लगी। बलरामपुर अस्पताल के निदेशक डॉ.पवन अरुण ने बताया कि दीवाली के दिन 24 घंटे में ही 39 लोगों को एंटी रैबीज का इंजेक्शन लगाया गया है। 2 दिन में 100 से ज्यादा मरीजों को डोज लगाई जा चुकी है। सिविल में 2 दिन में 32 को लगे एंटी रैबीज लखनऊ के हाई प्रोफाइल इलाके के डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी अस्पताल में भी 2 दिन में 32 मरीजों को एंटी रैबीज की वैक्सीन लगाई गई। इसके अलावा CHC स्तर पर भी कई कुत्ते के काटने के केस सामने आए। सिविल अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ.राजेश श्रीवास्तव ने बताया कि डॉग बाइट के मामलों में अचानक से तेजी आई है। आम दिनों में औसतन 8 से 10 केस रिपोर्ट होते हैं, वहीं इन 2 दिनों में 20 से ज्यादा केस रोजाना इमरजेंसी में रिपोर्ट हुए हैं। शनिवार को भी OPD में भी डॉग बाइट के केस रिपोर्ट हुए हैं। तेज शोर और ब्रीडिंग सीजन के चलते खूंखार हो रहे कुत्ते
वेटेरनरी चिकित्सक और डॉग एक्सपर्ट डॉ.एपी यादव ने बताया, “कुत्ते काटने के पीछे 2 अहम कारण हो सकते हैं। पहला- दिवाली के दौरान होने वाला शोर हो सकता है। क्योंकि कुत्ते धमाकों से इरिटेट होते हैं। इसलिए डॉग बाइट के मामले बढ़े हैं। दूसरा कारण- ब्रीडिंग सीजन हैं। आमतौर पर अक्टूबर और नवंबर के दौरान फीमेल डॉग का हॉट सीजन रहता है। मेल डॉग भी मेटिंग के चलते अग्रेसिव रहते हैं। अब इस दौरान आउट साइड फैक्टर के डिस्टरबेंस पैदा करेंगे, तो कुत्तों का बेकाबू होना लाजिमी हैं। यही कारण हैं कि डॉग बाइट के केस बढ़े होंगे। अब जान लीजिए कि डॉग बाइट से होने वाला रेबीज क्यों है इतना घातक KGMU के इनफेक्शियस डिजीज प्रभारी डॉ. हिमांशु कहते हैं कि डॉग बाइट से होने वाली रेबीज दुनियाभर में बेहद खतरनाक बीमारी मानी जाती है। अभी तक इसका कोई इलाज नहीं है। यही कारण है कि जब कभी डॉग बाइट करे तो इसको लेकर कोई लापरवाही नही बरतनी चाहिए। एक्सपर्ट चिकित्सक से इसका ट्रीटमेंट बेहद जरूरी है। कुत्ते के काटने के बाद खून निकले तो वहां पर एक्सपर्ट डॉक्टर के जरिए तत्काल इम्युनोग्लोबुलिन (एंटी बॉडीज) लगाया जाना चाहिए। इसके अलावा ARV भी लगाना पड़ेगा। दिवाली में पटाखों के शोर के बीच कुत्ते खूंखार होने लगे हैं। दिवाली बाद लखनऊ में ताबड़तोड़ डॉग बाइट के केस सामने आए हैं। महज 48 घंटे में 250 से ज्यादा लोग अस्पतालों में पहुंचे हैं। बड़ी बात ये है कि इनमें बड़ी संख्या में बच्चे कुत्तों के चपेट में आ गए। इस मसले पर डॉक्टरों का कहना है कि पटाखों के तेज धमाकों से कुत्ते इरिटेट हो जाते हैं। कई बार उनमें फियर यानी डर भी डेवलप हो जाता है। इस वजह से कुत्ते अटैक करना शुरू कर देते हैं। लोकबंधु में 2 दिन में 24 डॉग बाइट के केस राजनारायण लोकबंधु संयुक्त अस्पताल में 2 दिन के भीतर 24 डॉग बाइट के केस पहुंचे। इनमें 1 नवंबर को 13 और 2 नवंबर को 11 केस रहे। लोकबंधु के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. राजीव दीक्षित ने बताया कि सभी को एंटी रैबीज की डोज दी गई। राहत की बात ये रही कि किसी भी मरीज में बहुत गंभीर लक्षण देखने को नहीं मिले। बलरामपुर में 100 से ज्यादा मरीज पहुंचे लखनऊ के बलरामपुर अस्पताल की OPD और इमरजेंसी में 112 लोग एंटी रैबीज इंजेक्शन लगवाने पहुंचे। इसमें 40 लोगों को इमरजेंसी में इंजेक्शन लगा। जबकि 72 लोगों को OPD में वैक्सीन लगी। बलरामपुर अस्पताल के निदेशक डॉ.पवन अरुण ने बताया कि दीवाली के दिन 24 घंटे में ही 39 लोगों को एंटी रैबीज का इंजेक्शन लगाया गया है। 2 दिन में 100 से ज्यादा मरीजों को डोज लगाई जा चुकी है। सिविल में 2 दिन में 32 को लगे एंटी रैबीज लखनऊ के हाई प्रोफाइल इलाके के डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी अस्पताल में भी 2 दिन में 32 मरीजों को एंटी रैबीज की वैक्सीन लगाई गई। इसके अलावा CHC स्तर पर भी कई कुत्ते के काटने के केस सामने आए। सिविल अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ.राजेश श्रीवास्तव ने बताया कि डॉग बाइट के मामलों में अचानक से तेजी आई है। आम दिनों में औसतन 8 से 10 केस रिपोर्ट होते हैं, वहीं इन 2 दिनों में 20 से ज्यादा केस रोजाना इमरजेंसी में रिपोर्ट हुए हैं। शनिवार को भी OPD में भी डॉग बाइट के केस रिपोर्ट हुए हैं। तेज शोर और ब्रीडिंग सीजन के चलते खूंखार हो रहे कुत्ते
वेटेरनरी चिकित्सक और डॉग एक्सपर्ट डॉ.एपी यादव ने बताया, “कुत्ते काटने के पीछे 2 अहम कारण हो सकते हैं। पहला- दिवाली के दौरान होने वाला शोर हो सकता है। क्योंकि कुत्ते धमाकों से इरिटेट होते हैं। इसलिए डॉग बाइट के मामले बढ़े हैं। दूसरा कारण- ब्रीडिंग सीजन हैं। आमतौर पर अक्टूबर और नवंबर के दौरान फीमेल डॉग का हॉट सीजन रहता है। मेल डॉग भी मेटिंग के चलते अग्रेसिव रहते हैं। अब इस दौरान आउट साइड फैक्टर के डिस्टरबेंस पैदा करेंगे, तो कुत्तों का बेकाबू होना लाजिमी हैं। यही कारण हैं कि डॉग बाइट के केस बढ़े होंगे। अब जान लीजिए कि डॉग बाइट से होने वाला रेबीज क्यों है इतना घातक KGMU के इनफेक्शियस डिजीज प्रभारी डॉ. हिमांशु कहते हैं कि डॉग बाइट से होने वाली रेबीज दुनियाभर में बेहद खतरनाक बीमारी मानी जाती है। अभी तक इसका कोई इलाज नहीं है। यही कारण है कि जब कभी डॉग बाइट करे तो इसको लेकर कोई लापरवाही नही बरतनी चाहिए। एक्सपर्ट चिकित्सक से इसका ट्रीटमेंट बेहद जरूरी है। कुत्ते के काटने के बाद खून निकले तो वहां पर एक्सपर्ट डॉक्टर के जरिए तत्काल इम्युनोग्लोबुलिन (एंटी बॉडीज) लगाया जाना चाहिए। इसके अलावा ARV भी लगाना पड़ेगा।   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर