यूपी में बिना नक्शा पास कराए बना सकेंगे घर:15 दिन में NOC नहीं मिली तो ऑटोमैटिक अप्रूवल, क्या है नया बिल्डिंग बायलॉज?

यूपी में बिना नक्शा पास कराए बना सकेंगे घर:15 दिन में NOC नहीं मिली तो ऑटोमैटिक अप्रूवल, क्या है नया बिल्डिंग बायलॉज?

उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में नए भवनों के कंस्ट्रक्शन को लेकर पहले से चले आ रहे नियमों में बड़ा बदलाव किया है। इसमें कई तरह की छूट दी गई हैं। ये अब तक रेजिडेंशियल या कामर्शियल कंस्ट्रक्शन में अड़चन बनती थीं। इनके लिए कई तरह की प्रशासनिक इजाजत लेनी पड़ती थी। इसमें सबसे बड़ा बदलाव हुआ है, अगर एक हजार वर्ग फीट तक प्लॉट पर घर बनाना हो तो इसके लिए नक्शा पास कराने की जरूरत नहीं होगी। क्या है यह उत्तर प्रदेश बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन बायलॉज? इसमें क्या बदलाव हुआ है? पहले क्या नियम थे? भास्कर एक्सप्लेनर में पढ़िए सवाल 1- उत्तर प्रदेश बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन बायलॉज क्या है? जवाब- यह किसी भी राज्य या शहर में वहां के लोकल एडमिनिस्ट्रेशन की तरफ से कंस्ट्रक्शन को लेकर बनाए गए नियम हैं। इसमें नगर निगम या किसी जगह की डेवलपमेंट अथॉरिटी अपने नियंत्रण वाले एरिया में किसी भी तरह के कंस्ट्रक्शन को लेकर नियम बनाती है। इन सभी नियमों को ही बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन बायलॉज कहते हैं। राज्यों-स्थानीय प्रशासन के ये नियम मिनिस्ट्री ऑफ अर्बन डेवलपमेंट अफेयर्स के बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन को लेकर बनाई गई नीतियों के तहत आते हैं। ऐसे में, उत्तर प्रदेश बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन बायलॉज राज्य में किसी भी तरह की कंस्ट्रक्शन से जुड़े नियमों को बताता है। सवाल 2- उत्तर प्रदेश का बायलॉज कब बनाया गया था? जवाब- जिस उत्तर प्रदेश बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन एंड डेवलपमेंट बायलॉज 2025 के ड्राफ्ट को सरकार ने पब्लिक के बीच सुझावों के लिए रखा है, वह 2008 में बनाए गए बायलॉज की जगह लेगा। यानी 16 साल बाद राज्य में कंस्ट्रक्शन को लेकर नियमों में बदलाव होने जा रहा। अगर लोगों की तरफ से इस नए ड्राफ्ट के नियमों को लेकर कोई बड़ी आपत्ति नहीं आती, तो यह राज्य में जल्द ही लागू हो जाएगा। सवाल 3- इस बायलॉज से क्या बदलने जा रहा? जवाब- इस नए ड्राफ्ट में पुराने कई नियमों को बदला गया है और कुछ हटाए गए हैं। नए नियमों के मुताबिक- सवाल 4- क्यों पुराने नियमों को बदलने की जरूरत पड़ी? जवाब- कंस्ट्रक्शन, रिनोवेशन या रिकंस्ट्रक्शन से जुड़े हर छोटे-बड़े बदलाव के लिए पहले के नियमों के मुताबिक नक्शा पास कराना जरूरी था। इस प्रक्रिया में कई बार भ्रष्टाचार और लेटलतीफी के मामले सामने आते थे। बिल्डिंग के निर्माण के लिए नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) देने में भी अलग-अलग विभागों की तरफ से मनमानी रहती थी। इन शिकायतों के देखते हुए सरकार नियमों में बदलाव करने जा रही है। अब विभागों को NOC लेने के लिए एप्लिकेशन के 7 से 15 दिनों के बीच यह क्लियर कर देना होगा। अगर कोई विभाग इसमें देरी करता है, तो खुद NOC मान्य हो जाएगा। इससे लोगों को नक्शा पास कराने का समय बचेगा और अलग-अलग विभागों का चक्कर काटने से भी मुक्ति मिलेगी। सवाल 5- शहर या क्षेत्र में बिल्डिंग बायलॉज क्यों बनाए जाते हैं? जवाब- बिल्डिंग बायलॉज सिर्फ लोगों को ही सहूलियत नहीं देता। यह शहरी या ग्रामीण किसी भी क्षेत्र में वहां के रखरखाव, किसी आपदा के समय लोगों के जान-माल की सुरक्षा, साफ-सफाई और पर्यावरण के लिहाज से जरूरी होता है। इसके पीछे का उद्देश्य- ————————- ये खबर भी पढ़ें… महाकुंभ में आए लोगों की पसंदीदा डेस्टिनेशन अयोध्या क्यों रही?, मेले में करीब 5 हजार हर श्रद्धालु ने खर्च किए, अब सरकार की क्या प्लानिंग महाकुंभ के दौरान लोगों ने टॉप डेस्टिनेशन के रूप में प्रयागराज संगम को चुना। यहां जब उनसे पूछा गया कि उनका पसंदीदा डेस्टिनेशन क्या है? तो ज्यादातर का जवाब था- अयोध्या। मिनिस्ट्री ऑफ टूरिज्म एंड कल्चर की तरफ से महाकुंभ के दौरान कराए गए एक सर्वे में यह बात निकल कर आई है। इसके मुताबिक, घरेलू पर्यटकों का परिवार के साथ जाने के लिए संगम टॉप डेस्टिनेशन रहा। वहीं, विदेशी पर्यटकों ने इसे अकेले जाने की कैटेगरी में टॉप पर रखा। पढ़ें पूरी खबर उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में नए भवनों के कंस्ट्रक्शन को लेकर पहले से चले आ रहे नियमों में बड़ा बदलाव किया है। इसमें कई तरह की छूट दी गई हैं। ये अब तक रेजिडेंशियल या कामर्शियल कंस्ट्रक्शन में अड़चन बनती थीं। इनके लिए कई तरह की प्रशासनिक इजाजत लेनी पड़ती थी। इसमें सबसे बड़ा बदलाव हुआ है, अगर एक हजार वर्ग फीट तक प्लॉट पर घर बनाना हो तो इसके लिए नक्शा पास कराने की जरूरत नहीं होगी। क्या है यह उत्तर प्रदेश बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन बायलॉज? इसमें क्या बदलाव हुआ है? पहले क्या नियम थे? भास्कर एक्सप्लेनर में पढ़िए सवाल 1- उत्तर प्रदेश बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन बायलॉज क्या है? जवाब- यह किसी भी राज्य या शहर में वहां के लोकल एडमिनिस्ट्रेशन की तरफ से कंस्ट्रक्शन को लेकर बनाए गए नियम हैं। इसमें नगर निगम या किसी जगह की डेवलपमेंट अथॉरिटी अपने नियंत्रण वाले एरिया में किसी भी तरह के कंस्ट्रक्शन को लेकर नियम बनाती है। इन सभी नियमों को ही बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन बायलॉज कहते हैं। राज्यों-स्थानीय प्रशासन के ये नियम मिनिस्ट्री ऑफ अर्बन डेवलपमेंट अफेयर्स के बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन को लेकर बनाई गई नीतियों के तहत आते हैं। ऐसे में, उत्तर प्रदेश बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन बायलॉज राज्य में किसी भी तरह की कंस्ट्रक्शन से जुड़े नियमों को बताता है। सवाल 2- उत्तर प्रदेश का बायलॉज कब बनाया गया था? जवाब- जिस उत्तर प्रदेश बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन एंड डेवलपमेंट बायलॉज 2025 के ड्राफ्ट को सरकार ने पब्लिक के बीच सुझावों के लिए रखा है, वह 2008 में बनाए गए बायलॉज की जगह लेगा। यानी 16 साल बाद राज्य में कंस्ट्रक्शन को लेकर नियमों में बदलाव होने जा रहा। अगर लोगों की तरफ से इस नए ड्राफ्ट के नियमों को लेकर कोई बड़ी आपत्ति नहीं आती, तो यह राज्य में जल्द ही लागू हो जाएगा। सवाल 3- इस बायलॉज से क्या बदलने जा रहा? जवाब- इस नए ड्राफ्ट में पुराने कई नियमों को बदला गया है और कुछ हटाए गए हैं। नए नियमों के मुताबिक- सवाल 4- क्यों पुराने नियमों को बदलने की जरूरत पड़ी? जवाब- कंस्ट्रक्शन, रिनोवेशन या रिकंस्ट्रक्शन से जुड़े हर छोटे-बड़े बदलाव के लिए पहले के नियमों के मुताबिक नक्शा पास कराना जरूरी था। इस प्रक्रिया में कई बार भ्रष्टाचार और लेटलतीफी के मामले सामने आते थे। बिल्डिंग के निर्माण के लिए नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) देने में भी अलग-अलग विभागों की तरफ से मनमानी रहती थी। इन शिकायतों के देखते हुए सरकार नियमों में बदलाव करने जा रही है। अब विभागों को NOC लेने के लिए एप्लिकेशन के 7 से 15 दिनों के बीच यह क्लियर कर देना होगा। अगर कोई विभाग इसमें देरी करता है, तो खुद NOC मान्य हो जाएगा। इससे लोगों को नक्शा पास कराने का समय बचेगा और अलग-अलग विभागों का चक्कर काटने से भी मुक्ति मिलेगी। सवाल 5- शहर या क्षेत्र में बिल्डिंग बायलॉज क्यों बनाए जाते हैं? जवाब- बिल्डिंग बायलॉज सिर्फ लोगों को ही सहूलियत नहीं देता। यह शहरी या ग्रामीण किसी भी क्षेत्र में वहां के रखरखाव, किसी आपदा के समय लोगों के जान-माल की सुरक्षा, साफ-सफाई और पर्यावरण के लिहाज से जरूरी होता है। इसके पीछे का उद्देश्य- ————————- ये खबर भी पढ़ें… महाकुंभ में आए लोगों की पसंदीदा डेस्टिनेशन अयोध्या क्यों रही?, मेले में करीब 5 हजार हर श्रद्धालु ने खर्च किए, अब सरकार की क्या प्लानिंग महाकुंभ के दौरान लोगों ने टॉप डेस्टिनेशन के रूप में प्रयागराज संगम को चुना। यहां जब उनसे पूछा गया कि उनका पसंदीदा डेस्टिनेशन क्या है? तो ज्यादातर का जवाब था- अयोध्या। मिनिस्ट्री ऑफ टूरिज्म एंड कल्चर की तरफ से महाकुंभ के दौरान कराए गए एक सर्वे में यह बात निकल कर आई है। इसके मुताबिक, घरेलू पर्यटकों का परिवार के साथ जाने के लिए संगम टॉप डेस्टिनेशन रहा। वहीं, विदेशी पर्यटकों ने इसे अकेले जाने की कैटेगरी में टॉप पर रखा। पढ़ें पूरी खबर   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर