36 से ज्यादा एनकाउंटर करने वाले गिरजा शंकर त्रिपाठी:मुन्ना बजरंगी के 2 शागिर्द ढेर किए, मारे गए बदमाश की बेटी की शादी करवाई

36 से ज्यादा एनकाउंटर करने वाले गिरजा शंकर त्रिपाठी:मुन्ना बजरंगी के 2 शागिर्द ढेर किए, मारे गए बदमाश की बेटी की शादी करवाई

‘मुठभेड़ के दौरान हम लोग यही कहते हैं कि सरेंडर कर दो। लेकिन, उस कुख्यात ने ऐसा नहीं किया और ढेर हो गया। जब मुझे पता चला कि 10 महीने बाद उसकी बेटी की शादी है। मुझसे रहा नहीं गया। मैं उसके घर गया। कहा- चिंता न करिएगा। हम आपकी शादी करवाएंगे। लड़के पक्ष के लोगों से मिला। बिटिया की शादी करवाई।’ यह कहना है यूपी पुलिस के एनकाउंटर स्पेशलिस्ट DSP गिरजा शंकर त्रिपाठी का। पीपीएस अधिकारी गिरजा शंकर ने अब 36 से ज्यादा एनकाउंटर किए। जिस जिले में तैनात रहे, वहां अपराधियों का खात्मा कर दिया। खाकी वर्दी पहने गिरजा शंकर त्रिपाठी को 26 साल हो गए हैं। इस समय बुलंदशहर के अनूपशहर में बतौर डीएसपी तैनात हैं। डेढ़ लाख के इनामी बदमाश राकेश जाटव के एनकाउंटर के बाद गिरजा शंकर खासा चर्चा में रहे। दैनिक भास्कर की स्पेशल सीरीज खाकी वर्दी में आज गिरजा शंकर त्रिपाठी की कहानी 6 चैप्टर में पढ़ेंगे… गिरजा शंकर त्रिपाठी बताते हैं- मेरा जन्मदिन 12 अक्टूबर को पड़ता है। बर्थ ईयर 1972 है। गांव देवरिया का महेशपुर है। मेरे पिता प्रेम शंकर त्रिपाठी सिंचाई विभाग में इंजीनियर थे। मां क्षेमदा त्रिपाठी हाउस वाइफ। हमारे दौर में स्कूल को पाठशाला कहते थे। शुरुआत में मैं गांव की पाठशाला में ही पढ़ा। इसके बाद पिता जी का ट्रांसफर मिर्जापुर हो गया। यहां मैंने आगे की पढ़ाई शुरू की। मिर्जापुर में 1984 में मैंने हाईस्कूल पास किया, फिर 1986 में इंटर। उन दिनों इंटर पास करना आज का पीएचडी करने जैसा होता था। मैं आगे पढ़ना चाहता था। पापा को बताया कि अभी और पढ़ूंगा। तो वो बोल पड़े- हां, पढ़ाई के साथ-साथ सपने देखना भी जरूरी है। उन्होंने मुझसे कहा कि एक लक्ष्य भी बनाना चाहिए कि आगे क्या करना है। गिरजा शंकर बताते हैं- मुझे वकील बनना था। इंटर के बाद मैंने 1989 में बीएससी पूरा किया। इसके बाद मैंने वकालत की पढ़ाई शुरू की। मैं वाराणसी पहुंचा। यहां BHU से मैंने 1994 में लॉ की पढ़ाई पूरी कर ली। गिरजा शंकर त्रिपाठी कहते हैं- जब मैं कॉलेज में पढ़ाई कर रहा था। तब पूर्वांचल में क्राइम ग्राफ बहुत तेजी के साथ बढ़ रहा था। आए दिन हत्या-लूट, छिनैती-रेप जैसी घटनाएं हो रहीं थीं। मैंने आंखों के सामने एक आदमी का मर्डर होते हुए देखा। इतना डर गया कि वहां से दौड़कर सीधे घर पहुंचा। बस यहीं से मेरे मन में अपराधियों के खिलाफ गुस्सा फूट पड़ा। वह बताते हैं- मैंने ठान लिया कि अपराध को खत्म करने के लिए ग्राउंड पर उतरना होगा। अपराधियों की धर-पकड़ करनी होगी। बस यहीं से मैंने पुलिस फोर्स जॉइन करने की सोच ली। 1997 में दरोगा की भर्ती निकली। मैंने परीक्षा दी और पास हो गया। इसके बाद मेरी ट्रेनिंग हुई। गिरजा शंकर त्रिपाठी बताते हैं- मैं ट्रेनी दरोगा था। मुझे लखनऊ के सहादतगंज थाने भेजा गया। उन दिनों इस एरिया में कल्लू उर्फ सलीम का बड़ा खौफ था। वह लोगों को मारता और फरार हो जाता। तब आज की तरह टेक्नोलॉजी नहीं थी। ट्रेनिंग के दौरान मैं फील्ड पर जाने लगा। सीनियर मुझे क्राइम स्पॉट पर ले जाते। एविडेंस कैसे कलेक्ट करने हैं, केस सॉल्व करने के लिए क्या कुछ जरूरी होता है, हर एक चीज के बारे में बताते थे। मैं आपको सच बताऊं तो आधा क्राइम लोगों के बयानों से सॉल्व हो जाता है। मैंने ट्रेनिंग के दौरान सबसे पहले यही चीज पकड़ी। दूसरा एविडेंस होता है, जो अपराधी तक पहुंचा देता है। गिरजा शंकर बताते हैं- लखनऊ में ट्रेनिंग के दौरान एक दिन मैं फील्ड पर निकला हुआ था। हमारी टीम को सूचना मिली कि कल्लू उर्फ सलीम फरारी काटने की फिराक में है। मुखबिर की सूचना मिलने के बाद हम लोग मौके पर पहुंचे। खुद को चारों तरफ से घिरा देख कल्लू ने हमारे ऊपर गोलियां चलानी शुरू कर दीं। जवाबी कार्रवाई में कल्लू मार गिराया गया। यह ट्रेनिंग के दौरान मेरा पहला एनकाउंटर था। गिरजा शंकर बताते हैं- मैं लखनऊ में ही तैनात था। यहां मेरे थाना क्षेत्र में एक सभासद की गोली मारकर हत्या कर दी गई। आरोपी कुख्यात बदमाश लालू वर्मा था। पुलिस को जैसे ही सूचना मिली। हम लोग मौके पर पहुंचे। तमाम एविडेंस कलेक्ट किए। इसके बाद हम लोग लालू को पकड़ने के लिए दबिश देने लगे। लालू बहुत चालाक था। वह हमारे पहुंचने से पहले ही अपनी लोकेशन बदल लेता था। घटना के करीब 5 दिन बाद हमने उसे पकड़ना चाहा, तब उसने गोलियां चलानी शुरू कर दी। इस मुठभेड़ में लालू वर्मा मार गिराया गया। डीएसपी गिरजा शंकर त्रिपाठी बताते हैं- लखनऊ के बाद मेरी पोस्टिंग बनारस में हुई। यहां क्राइम तेजी के साथ बढ़ा था। बदमाशों का कहर इस कदर था कि शाम के बाद लोग घर से बाहर निकलने में घबराते थे। इसी दौरान तत्कालीन कप्तान ने एसओजी प्रभारी की जिम्मेदारी देते हुए बनारस को भयमुक्त बनाने के लिए कहा। बनारस में एसओजी प्रभारी रहते हुए 18 एनकाउंटर किए। जिनमें बनारस के नामी बदमाश राजू तिवारी, गब्बर पांडे और मन्नू उपाध्याय को एक साथ ढेर किया। डीएसपी गिरजा शंकर त्रिपाठी बताते हैं- बनारस में मुख्तार अंसारी से जुड़े मुन्ना बजरंगी गैंग ने बहुत आतंक मचा रखा था। मैं उसकी गैंग तोड़ना चाहता था। इस गैंग में उमेश पहलवान महाजन पटेल जैसे कुख्यात थे। साल 2009 में इनसे हमारी मुठभेड़ हुई। दोनों ढेर कर दिए गए। ये लोग आए दिन रंगदारी वसूलते थे। लोग पैसे न दें तो उनकी हत्या तक कर देते थे। साल 2010 की बात है। यूपी में 12 से ज्यादा मर्डर करने वाला बदमाश संतोष टिक्कू उर्फ अशोक बिहारी खुलेआम घूम रहा था। मैंने इसके क्राइम पैटर्न को समझा। इसके बाद इसके पीछे लग गया। एक रोज अशोक बिहारी से भी आमना-सामना हो गया। उसने पुलिस टीम पर बंदूक तान दी। रुकने को कहा गया तो फायरिंग करने लगा। जवाबी कार्रवाई में अशोक बिहारी भी मारा गया। गिरजा शंकर बताते हैं कि एनकाउंटर के दौरान कई अपराधियों ने सरेंडर भी किया। कुछ तो एनकाउंटर के डर से सरेंडर करने खुद ही थाने तक पहुंच गए। डीएसपी गिरजा शंकर ने बताया- 2023 मे जालौन में सीओ सिटी बना। ड्यूटी ज्वाइन करने के कुछ दिन बाद ही जिले के नामी बदमाश कल्लू और रमेश ने सिपाही भेद सिंह को मौत के घाट उतार दिया। सिपाही की मौत के एक हफ्ते के अंदर ही दोनों आरोपी एनकाउंटर में मारे गए। बदमाश रमेश के एनकाउंटर के 10 महीने बाद उसकी बेटी की शादी थी। मुझे जैसे ही इस बारे में पता चला। मैं अपनी टीम के साथ उसके घर पहुंचा। इस नेक काम के लिए हमारी पूरी पुलिस टीम उत्साहित थी। सभी ने बिटिया को कुछ न कुछ गिफ्ट जरूर दिया। हम सभी ने अभिभावक की तरह उसे विदा किया। हमारा मानना है कि अपराध किसी एक ने किया, उसकी सजा उसके घर-परिवार वाले क्यों भुगते। अचीवमेंट्स राष्ट्रपति ने दो बार दिया पुलिस वीरता पुरस्कार ………………………………… यह खबर भी पढ़ें तांत्रिक ने कहा था- पत्नी तरक्की में बाधा: वाराणसी में पूरे परिवार का कत्ल करके जान दी, पत्नी-3 बच्चों को सोते वक्त गोली मारी वाराणसी में शराब कारोबारी ने अपने पूरे परिवार को खत्म कर दिया। मंगलवार सुबह 4 बजे पत्नी, 2 बेटे और 1 बेटी को सोते वक्त गोली मारी, फिर सुसाइड कर लिया। वारदात का पता उस वक्त चला, जब दोपहर में नौकरानी सफाई करने पहुंची। इसके बाद पुलिस को सूचना दी गई। पुलिस पहुंची तो 4 लाशें मकान में पड़ी थीं, लेकिन आरोपी घर पर नहीं था। पढ़ें पूरी खबर… ‘मुठभेड़ के दौरान हम लोग यही कहते हैं कि सरेंडर कर दो। लेकिन, उस कुख्यात ने ऐसा नहीं किया और ढेर हो गया। जब मुझे पता चला कि 10 महीने बाद उसकी बेटी की शादी है। मुझसे रहा नहीं गया। मैं उसके घर गया। कहा- चिंता न करिएगा। हम आपकी शादी करवाएंगे। लड़के पक्ष के लोगों से मिला। बिटिया की शादी करवाई।’ यह कहना है यूपी पुलिस के एनकाउंटर स्पेशलिस्ट DSP गिरजा शंकर त्रिपाठी का। पीपीएस अधिकारी गिरजा शंकर ने अब 36 से ज्यादा एनकाउंटर किए। जिस जिले में तैनात रहे, वहां अपराधियों का खात्मा कर दिया। खाकी वर्दी पहने गिरजा शंकर त्रिपाठी को 26 साल हो गए हैं। इस समय बुलंदशहर के अनूपशहर में बतौर डीएसपी तैनात हैं। डेढ़ लाख के इनामी बदमाश राकेश जाटव के एनकाउंटर के बाद गिरजा शंकर खासा चर्चा में रहे। दैनिक भास्कर की स्पेशल सीरीज खाकी वर्दी में आज गिरजा शंकर त्रिपाठी की कहानी 6 चैप्टर में पढ़ेंगे… गिरजा शंकर त्रिपाठी बताते हैं- मेरा जन्मदिन 12 अक्टूबर को पड़ता है। बर्थ ईयर 1972 है। गांव देवरिया का महेशपुर है। मेरे पिता प्रेम शंकर त्रिपाठी सिंचाई विभाग में इंजीनियर थे। मां क्षेमदा त्रिपाठी हाउस वाइफ। हमारे दौर में स्कूल को पाठशाला कहते थे। शुरुआत में मैं गांव की पाठशाला में ही पढ़ा। इसके बाद पिता जी का ट्रांसफर मिर्जापुर हो गया। यहां मैंने आगे की पढ़ाई शुरू की। मिर्जापुर में 1984 में मैंने हाईस्कूल पास किया, फिर 1986 में इंटर। उन दिनों इंटर पास करना आज का पीएचडी करने जैसा होता था। मैं आगे पढ़ना चाहता था। पापा को बताया कि अभी और पढ़ूंगा। तो वो बोल पड़े- हां, पढ़ाई के साथ-साथ सपने देखना भी जरूरी है। उन्होंने मुझसे कहा कि एक लक्ष्य भी बनाना चाहिए कि आगे क्या करना है। गिरजा शंकर बताते हैं- मुझे वकील बनना था। इंटर के बाद मैंने 1989 में बीएससी पूरा किया। इसके बाद मैंने वकालत की पढ़ाई शुरू की। मैं वाराणसी पहुंचा। यहां BHU से मैंने 1994 में लॉ की पढ़ाई पूरी कर ली। गिरजा शंकर त्रिपाठी कहते हैं- जब मैं कॉलेज में पढ़ाई कर रहा था। तब पूर्वांचल में क्राइम ग्राफ बहुत तेजी के साथ बढ़ रहा था। आए दिन हत्या-लूट, छिनैती-रेप जैसी घटनाएं हो रहीं थीं। मैंने आंखों के सामने एक आदमी का मर्डर होते हुए देखा। इतना डर गया कि वहां से दौड़कर सीधे घर पहुंचा। बस यहीं से मेरे मन में अपराधियों के खिलाफ गुस्सा फूट पड़ा। वह बताते हैं- मैंने ठान लिया कि अपराध को खत्म करने के लिए ग्राउंड पर उतरना होगा। अपराधियों की धर-पकड़ करनी होगी। बस यहीं से मैंने पुलिस फोर्स जॉइन करने की सोच ली। 1997 में दरोगा की भर्ती निकली। मैंने परीक्षा दी और पास हो गया। इसके बाद मेरी ट्रेनिंग हुई। गिरजा शंकर त्रिपाठी बताते हैं- मैं ट्रेनी दरोगा था। मुझे लखनऊ के सहादतगंज थाने भेजा गया। उन दिनों इस एरिया में कल्लू उर्फ सलीम का बड़ा खौफ था। वह लोगों को मारता और फरार हो जाता। तब आज की तरह टेक्नोलॉजी नहीं थी। ट्रेनिंग के दौरान मैं फील्ड पर जाने लगा। सीनियर मुझे क्राइम स्पॉट पर ले जाते। एविडेंस कैसे कलेक्ट करने हैं, केस सॉल्व करने के लिए क्या कुछ जरूरी होता है, हर एक चीज के बारे में बताते थे। मैं आपको सच बताऊं तो आधा क्राइम लोगों के बयानों से सॉल्व हो जाता है। मैंने ट्रेनिंग के दौरान सबसे पहले यही चीज पकड़ी। दूसरा एविडेंस होता है, जो अपराधी तक पहुंचा देता है। गिरजा शंकर बताते हैं- लखनऊ में ट्रेनिंग के दौरान एक दिन मैं फील्ड पर निकला हुआ था। हमारी टीम को सूचना मिली कि कल्लू उर्फ सलीम फरारी काटने की फिराक में है। मुखबिर की सूचना मिलने के बाद हम लोग मौके पर पहुंचे। खुद को चारों तरफ से घिरा देख कल्लू ने हमारे ऊपर गोलियां चलानी शुरू कर दीं। जवाबी कार्रवाई में कल्लू मार गिराया गया। यह ट्रेनिंग के दौरान मेरा पहला एनकाउंटर था। गिरजा शंकर बताते हैं- मैं लखनऊ में ही तैनात था। यहां मेरे थाना क्षेत्र में एक सभासद की गोली मारकर हत्या कर दी गई। आरोपी कुख्यात बदमाश लालू वर्मा था। पुलिस को जैसे ही सूचना मिली। हम लोग मौके पर पहुंचे। तमाम एविडेंस कलेक्ट किए। इसके बाद हम लोग लालू को पकड़ने के लिए दबिश देने लगे। लालू बहुत चालाक था। वह हमारे पहुंचने से पहले ही अपनी लोकेशन बदल लेता था। घटना के करीब 5 दिन बाद हमने उसे पकड़ना चाहा, तब उसने गोलियां चलानी शुरू कर दी। इस मुठभेड़ में लालू वर्मा मार गिराया गया। डीएसपी गिरजा शंकर त्रिपाठी बताते हैं- लखनऊ के बाद मेरी पोस्टिंग बनारस में हुई। यहां क्राइम तेजी के साथ बढ़ा था। बदमाशों का कहर इस कदर था कि शाम के बाद लोग घर से बाहर निकलने में घबराते थे। इसी दौरान तत्कालीन कप्तान ने एसओजी प्रभारी की जिम्मेदारी देते हुए बनारस को भयमुक्त बनाने के लिए कहा। बनारस में एसओजी प्रभारी रहते हुए 18 एनकाउंटर किए। जिनमें बनारस के नामी बदमाश राजू तिवारी, गब्बर पांडे और मन्नू उपाध्याय को एक साथ ढेर किया। डीएसपी गिरजा शंकर त्रिपाठी बताते हैं- बनारस में मुख्तार अंसारी से जुड़े मुन्ना बजरंगी गैंग ने बहुत आतंक मचा रखा था। मैं उसकी गैंग तोड़ना चाहता था। इस गैंग में उमेश पहलवान महाजन पटेल जैसे कुख्यात थे। साल 2009 में इनसे हमारी मुठभेड़ हुई। दोनों ढेर कर दिए गए। ये लोग आए दिन रंगदारी वसूलते थे। लोग पैसे न दें तो उनकी हत्या तक कर देते थे। साल 2010 की बात है। यूपी में 12 से ज्यादा मर्डर करने वाला बदमाश संतोष टिक्कू उर्फ अशोक बिहारी खुलेआम घूम रहा था। मैंने इसके क्राइम पैटर्न को समझा। इसके बाद इसके पीछे लग गया। एक रोज अशोक बिहारी से भी आमना-सामना हो गया। उसने पुलिस टीम पर बंदूक तान दी। रुकने को कहा गया तो फायरिंग करने लगा। जवाबी कार्रवाई में अशोक बिहारी भी मारा गया। गिरजा शंकर बताते हैं कि एनकाउंटर के दौरान कई अपराधियों ने सरेंडर भी किया। कुछ तो एनकाउंटर के डर से सरेंडर करने खुद ही थाने तक पहुंच गए। डीएसपी गिरजा शंकर ने बताया- 2023 मे जालौन में सीओ सिटी बना। ड्यूटी ज्वाइन करने के कुछ दिन बाद ही जिले के नामी बदमाश कल्लू और रमेश ने सिपाही भेद सिंह को मौत के घाट उतार दिया। सिपाही की मौत के एक हफ्ते के अंदर ही दोनों आरोपी एनकाउंटर में मारे गए। बदमाश रमेश के एनकाउंटर के 10 महीने बाद उसकी बेटी की शादी थी। मुझे जैसे ही इस बारे में पता चला। मैं अपनी टीम के साथ उसके घर पहुंचा। इस नेक काम के लिए हमारी पूरी पुलिस टीम उत्साहित थी। सभी ने बिटिया को कुछ न कुछ गिफ्ट जरूर दिया। हम सभी ने अभिभावक की तरह उसे विदा किया। हमारा मानना है कि अपराध किसी एक ने किया, उसकी सजा उसके घर-परिवार वाले क्यों भुगते। अचीवमेंट्स राष्ट्रपति ने दो बार दिया पुलिस वीरता पुरस्कार ………………………………… यह खबर भी पढ़ें तांत्रिक ने कहा था- पत्नी तरक्की में बाधा: वाराणसी में पूरे परिवार का कत्ल करके जान दी, पत्नी-3 बच्चों को सोते वक्त गोली मारी वाराणसी में शराब कारोबारी ने अपने पूरे परिवार को खत्म कर दिया। मंगलवार सुबह 4 बजे पत्नी, 2 बेटे और 1 बेटी को सोते वक्त गोली मारी, फिर सुसाइड कर लिया। वारदात का पता उस वक्त चला, जब दोपहर में नौकरानी सफाई करने पहुंची। इसके बाद पुलिस को सूचना दी गई। पुलिस पहुंची तो 4 लाशें मकान में पड़ी थीं, लेकिन आरोपी घर पर नहीं था। पढ़ें पूरी खबर…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर