‘मुठभेड़ के दौरान हम लोग यही कहते हैं कि सरेंडर कर दो। लेकिन, उस कुख्यात ने ऐसा नहीं किया और ढेर हो गया। जब मुझे पता चला कि 10 महीने बाद उसकी बेटी की शादी है। मुझसे रहा नहीं गया। मैं उसके घर गया। कहा- चिंता न करिएगा। हम आपकी शादी करवाएंगे। लड़के पक्ष के लोगों से मिला। बिटिया की शादी करवाई।’ यह कहना है यूपी पुलिस के एनकाउंटर स्पेशलिस्ट DSP गिरजा शंकर त्रिपाठी का। पीपीएस अधिकारी गिरजा शंकर ने अब 36 से ज्यादा एनकाउंटर किए। जिस जिले में तैनात रहे, वहां अपराधियों का खात्मा कर दिया। खाकी वर्दी पहने गिरजा शंकर त्रिपाठी को 26 साल हो गए हैं। इस समय बुलंदशहर के अनूपशहर में बतौर डीएसपी तैनात हैं। डेढ़ लाख के इनामी बदमाश राकेश जाटव के एनकाउंटर के बाद गिरजा शंकर खासा चर्चा में रहे। दैनिक भास्कर की स्पेशल सीरीज खाकी वर्दी में आज गिरजा शंकर त्रिपाठी की कहानी 6 चैप्टर में पढ़ेंगे… गिरजा शंकर त्रिपाठी बताते हैं- मेरा जन्मदिन 12 अक्टूबर को पड़ता है। बर्थ ईयर 1972 है। गांव देवरिया का महेशपुर है। मेरे पिता प्रेम शंकर त्रिपाठी सिंचाई विभाग में इंजीनियर थे। मां क्षेमदा त्रिपाठी हाउस वाइफ। हमारे दौर में स्कूल को पाठशाला कहते थे। शुरुआत में मैं गांव की पाठशाला में ही पढ़ा। इसके बाद पिता जी का ट्रांसफर मिर्जापुर हो गया। यहां मैंने आगे की पढ़ाई शुरू की। मिर्जापुर में 1984 में मैंने हाईस्कूल पास किया, फिर 1986 में इंटर। उन दिनों इंटर पास करना आज का पीएचडी करने जैसा होता था। मैं आगे पढ़ना चाहता था। पापा को बताया कि अभी और पढ़ूंगा। तो वो बोल पड़े- हां, पढ़ाई के साथ-साथ सपने देखना भी जरूरी है। उन्होंने मुझसे कहा कि एक लक्ष्य भी बनाना चाहिए कि आगे क्या करना है। गिरजा शंकर बताते हैं- मुझे वकील बनना था। इंटर के बाद मैंने 1989 में बीएससी पूरा किया। इसके बाद मैंने वकालत की पढ़ाई शुरू की। मैं वाराणसी पहुंचा। यहां BHU से मैंने 1994 में लॉ की पढ़ाई पूरी कर ली। गिरजा शंकर त्रिपाठी कहते हैं- जब मैं कॉलेज में पढ़ाई कर रहा था। तब पूर्वांचल में क्राइम ग्राफ बहुत तेजी के साथ बढ़ रहा था। आए दिन हत्या-लूट, छिनैती-रेप जैसी घटनाएं हो रहीं थीं। मैंने आंखों के सामने एक आदमी का मर्डर होते हुए देखा। इतना डर गया कि वहां से दौड़कर सीधे घर पहुंचा। बस यहीं से मेरे मन में अपराधियों के खिलाफ गुस्सा फूट पड़ा। वह बताते हैं- मैंने ठान लिया कि अपराध को खत्म करने के लिए ग्राउंड पर उतरना होगा। अपराधियों की धर-पकड़ करनी होगी। बस यहीं से मैंने पुलिस फोर्स जॉइन करने की सोच ली। 1997 में दरोगा की भर्ती निकली। मैंने परीक्षा दी और पास हो गया। इसके बाद मेरी ट्रेनिंग हुई। गिरजा शंकर त्रिपाठी बताते हैं- मैं ट्रेनी दरोगा था। मुझे लखनऊ के सहादतगंज थाने भेजा गया। उन दिनों इस एरिया में कल्लू उर्फ सलीम का बड़ा खौफ था। वह लोगों को मारता और फरार हो जाता। तब आज की तरह टेक्नोलॉजी नहीं थी। ट्रेनिंग के दौरान मैं फील्ड पर जाने लगा। सीनियर मुझे क्राइम स्पॉट पर ले जाते। एविडेंस कैसे कलेक्ट करने हैं, केस सॉल्व करने के लिए क्या कुछ जरूरी होता है, हर एक चीज के बारे में बताते थे। मैं आपको सच बताऊं तो आधा क्राइम लोगों के बयानों से सॉल्व हो जाता है। मैंने ट्रेनिंग के दौरान सबसे पहले यही चीज पकड़ी। दूसरा एविडेंस होता है, जो अपराधी तक पहुंचा देता है। गिरजा शंकर बताते हैं- लखनऊ में ट्रेनिंग के दौरान एक दिन मैं फील्ड पर निकला हुआ था। हमारी टीम को सूचना मिली कि कल्लू उर्फ सलीम फरारी काटने की फिराक में है। मुखबिर की सूचना मिलने के बाद हम लोग मौके पर पहुंचे। खुद को चारों तरफ से घिरा देख कल्लू ने हमारे ऊपर गोलियां चलानी शुरू कर दीं। जवाबी कार्रवाई में कल्लू मार गिराया गया। यह ट्रेनिंग के दौरान मेरा पहला एनकाउंटर था। गिरजा शंकर बताते हैं- मैं लखनऊ में ही तैनात था। यहां मेरे थाना क्षेत्र में एक सभासद की गोली मारकर हत्या कर दी गई। आरोपी कुख्यात बदमाश लालू वर्मा था। पुलिस को जैसे ही सूचना मिली। हम लोग मौके पर पहुंचे। तमाम एविडेंस कलेक्ट किए। इसके बाद हम लोग लालू को पकड़ने के लिए दबिश देने लगे। लालू बहुत चालाक था। वह हमारे पहुंचने से पहले ही अपनी लोकेशन बदल लेता था। घटना के करीब 5 दिन बाद हमने उसे पकड़ना चाहा, तब उसने गोलियां चलानी शुरू कर दी। इस मुठभेड़ में लालू वर्मा मार गिराया गया। डीएसपी गिरजा शंकर त्रिपाठी बताते हैं- लखनऊ के बाद मेरी पोस्टिंग बनारस में हुई। यहां क्राइम तेजी के साथ बढ़ा था। बदमाशों का कहर इस कदर था कि शाम के बाद लोग घर से बाहर निकलने में घबराते थे। इसी दौरान तत्कालीन कप्तान ने एसओजी प्रभारी की जिम्मेदारी देते हुए बनारस को भयमुक्त बनाने के लिए कहा। बनारस में एसओजी प्रभारी रहते हुए 18 एनकाउंटर किए। जिनमें बनारस के नामी बदमाश राजू तिवारी, गब्बर पांडे और मन्नू उपाध्याय को एक साथ ढेर किया। डीएसपी गिरजा शंकर त्रिपाठी बताते हैं- बनारस में मुख्तार अंसारी से जुड़े मुन्ना बजरंगी गैंग ने बहुत आतंक मचा रखा था। मैं उसकी गैंग तोड़ना चाहता था। इस गैंग में उमेश पहलवान महाजन पटेल जैसे कुख्यात थे। साल 2009 में इनसे हमारी मुठभेड़ हुई। दोनों ढेर कर दिए गए। ये लोग आए दिन रंगदारी वसूलते थे। लोग पैसे न दें तो उनकी हत्या तक कर देते थे। साल 2010 की बात है। यूपी में 12 से ज्यादा मर्डर करने वाला बदमाश संतोष टिक्कू उर्फ अशोक बिहारी खुलेआम घूम रहा था। मैंने इसके क्राइम पैटर्न को समझा। इसके बाद इसके पीछे लग गया। एक रोज अशोक बिहारी से भी आमना-सामना हो गया। उसने पुलिस टीम पर बंदूक तान दी। रुकने को कहा गया तो फायरिंग करने लगा। जवाबी कार्रवाई में अशोक बिहारी भी मारा गया। गिरजा शंकर बताते हैं कि एनकाउंटर के दौरान कई अपराधियों ने सरेंडर भी किया। कुछ तो एनकाउंटर के डर से सरेंडर करने खुद ही थाने तक पहुंच गए। डीएसपी गिरजा शंकर ने बताया- 2023 मे जालौन में सीओ सिटी बना। ड्यूटी ज्वाइन करने के कुछ दिन बाद ही जिले के नामी बदमाश कल्लू और रमेश ने सिपाही भेद सिंह को मौत के घाट उतार दिया। सिपाही की मौत के एक हफ्ते के अंदर ही दोनों आरोपी एनकाउंटर में मारे गए। बदमाश रमेश के एनकाउंटर के 10 महीने बाद उसकी बेटी की शादी थी। मुझे जैसे ही इस बारे में पता चला। मैं अपनी टीम के साथ उसके घर पहुंचा। इस नेक काम के लिए हमारी पूरी पुलिस टीम उत्साहित थी। सभी ने बिटिया को कुछ न कुछ गिफ्ट जरूर दिया। हम सभी ने अभिभावक की तरह उसे विदा किया। हमारा मानना है कि अपराध किसी एक ने किया, उसकी सजा उसके घर-परिवार वाले क्यों भुगते। अचीवमेंट्स राष्ट्रपति ने दो बार दिया पुलिस वीरता पुरस्कार ………………………………… यह खबर भी पढ़ें तांत्रिक ने कहा था- पत्नी तरक्की में बाधा: वाराणसी में पूरे परिवार का कत्ल करके जान दी, पत्नी-3 बच्चों को सोते वक्त गोली मारी वाराणसी में शराब कारोबारी ने अपने पूरे परिवार को खत्म कर दिया। मंगलवार सुबह 4 बजे पत्नी, 2 बेटे और 1 बेटी को सोते वक्त गोली मारी, फिर सुसाइड कर लिया। वारदात का पता उस वक्त चला, जब दोपहर में नौकरानी सफाई करने पहुंची। इसके बाद पुलिस को सूचना दी गई। पुलिस पहुंची तो 4 लाशें मकान में पड़ी थीं, लेकिन आरोपी घर पर नहीं था। पढ़ें पूरी खबर… ‘मुठभेड़ के दौरान हम लोग यही कहते हैं कि सरेंडर कर दो। लेकिन, उस कुख्यात ने ऐसा नहीं किया और ढेर हो गया। जब मुझे पता चला कि 10 महीने बाद उसकी बेटी की शादी है। मुझसे रहा नहीं गया। मैं उसके घर गया। कहा- चिंता न करिएगा। हम आपकी शादी करवाएंगे। लड़के पक्ष के लोगों से मिला। बिटिया की शादी करवाई।’ यह कहना है यूपी पुलिस के एनकाउंटर स्पेशलिस्ट DSP गिरजा शंकर त्रिपाठी का। पीपीएस अधिकारी गिरजा शंकर ने अब 36 से ज्यादा एनकाउंटर किए। जिस जिले में तैनात रहे, वहां अपराधियों का खात्मा कर दिया। खाकी वर्दी पहने गिरजा शंकर त्रिपाठी को 26 साल हो गए हैं। इस समय बुलंदशहर के अनूपशहर में बतौर डीएसपी तैनात हैं। डेढ़ लाख के इनामी बदमाश राकेश जाटव के एनकाउंटर के बाद गिरजा शंकर खासा चर्चा में रहे। दैनिक भास्कर की स्पेशल सीरीज खाकी वर्दी में आज गिरजा शंकर त्रिपाठी की कहानी 6 चैप्टर में पढ़ेंगे… गिरजा शंकर त्रिपाठी बताते हैं- मेरा जन्मदिन 12 अक्टूबर को पड़ता है। बर्थ ईयर 1972 है। गांव देवरिया का महेशपुर है। मेरे पिता प्रेम शंकर त्रिपाठी सिंचाई विभाग में इंजीनियर थे। मां क्षेमदा त्रिपाठी हाउस वाइफ। हमारे दौर में स्कूल को पाठशाला कहते थे। शुरुआत में मैं गांव की पाठशाला में ही पढ़ा। इसके बाद पिता जी का ट्रांसफर मिर्जापुर हो गया। यहां मैंने आगे की पढ़ाई शुरू की। मिर्जापुर में 1984 में मैंने हाईस्कूल पास किया, फिर 1986 में इंटर। उन दिनों इंटर पास करना आज का पीएचडी करने जैसा होता था। मैं आगे पढ़ना चाहता था। पापा को बताया कि अभी और पढ़ूंगा। तो वो बोल पड़े- हां, पढ़ाई के साथ-साथ सपने देखना भी जरूरी है। उन्होंने मुझसे कहा कि एक लक्ष्य भी बनाना चाहिए कि आगे क्या करना है। गिरजा शंकर बताते हैं- मुझे वकील बनना था। इंटर के बाद मैंने 1989 में बीएससी पूरा किया। इसके बाद मैंने वकालत की पढ़ाई शुरू की। मैं वाराणसी पहुंचा। यहां BHU से मैंने 1994 में लॉ की पढ़ाई पूरी कर ली। गिरजा शंकर त्रिपाठी कहते हैं- जब मैं कॉलेज में पढ़ाई कर रहा था। तब पूर्वांचल में क्राइम ग्राफ बहुत तेजी के साथ बढ़ रहा था। आए दिन हत्या-लूट, छिनैती-रेप जैसी घटनाएं हो रहीं थीं। मैंने आंखों के सामने एक आदमी का मर्डर होते हुए देखा। इतना डर गया कि वहां से दौड़कर सीधे घर पहुंचा। बस यहीं से मेरे मन में अपराधियों के खिलाफ गुस्सा फूट पड़ा। वह बताते हैं- मैंने ठान लिया कि अपराध को खत्म करने के लिए ग्राउंड पर उतरना होगा। अपराधियों की धर-पकड़ करनी होगी। बस यहीं से मैंने पुलिस फोर्स जॉइन करने की सोच ली। 1997 में दरोगा की भर्ती निकली। मैंने परीक्षा दी और पास हो गया। इसके बाद मेरी ट्रेनिंग हुई। गिरजा शंकर त्रिपाठी बताते हैं- मैं ट्रेनी दरोगा था। मुझे लखनऊ के सहादतगंज थाने भेजा गया। उन दिनों इस एरिया में कल्लू उर्फ सलीम का बड़ा खौफ था। वह लोगों को मारता और फरार हो जाता। तब आज की तरह टेक्नोलॉजी नहीं थी। ट्रेनिंग के दौरान मैं फील्ड पर जाने लगा। सीनियर मुझे क्राइम स्पॉट पर ले जाते। एविडेंस कैसे कलेक्ट करने हैं, केस सॉल्व करने के लिए क्या कुछ जरूरी होता है, हर एक चीज के बारे में बताते थे। मैं आपको सच बताऊं तो आधा क्राइम लोगों के बयानों से सॉल्व हो जाता है। मैंने ट्रेनिंग के दौरान सबसे पहले यही चीज पकड़ी। दूसरा एविडेंस होता है, जो अपराधी तक पहुंचा देता है। गिरजा शंकर बताते हैं- लखनऊ में ट्रेनिंग के दौरान एक दिन मैं फील्ड पर निकला हुआ था। हमारी टीम को सूचना मिली कि कल्लू उर्फ सलीम फरारी काटने की फिराक में है। मुखबिर की सूचना मिलने के बाद हम लोग मौके पर पहुंचे। खुद को चारों तरफ से घिरा देख कल्लू ने हमारे ऊपर गोलियां चलानी शुरू कर दीं। जवाबी कार्रवाई में कल्लू मार गिराया गया। यह ट्रेनिंग के दौरान मेरा पहला एनकाउंटर था। गिरजा शंकर बताते हैं- मैं लखनऊ में ही तैनात था। यहां मेरे थाना क्षेत्र में एक सभासद की गोली मारकर हत्या कर दी गई। आरोपी कुख्यात बदमाश लालू वर्मा था। पुलिस को जैसे ही सूचना मिली। हम लोग मौके पर पहुंचे। तमाम एविडेंस कलेक्ट किए। इसके बाद हम लोग लालू को पकड़ने के लिए दबिश देने लगे। लालू बहुत चालाक था। वह हमारे पहुंचने से पहले ही अपनी लोकेशन बदल लेता था। घटना के करीब 5 दिन बाद हमने उसे पकड़ना चाहा, तब उसने गोलियां चलानी शुरू कर दी। इस मुठभेड़ में लालू वर्मा मार गिराया गया। डीएसपी गिरजा शंकर त्रिपाठी बताते हैं- लखनऊ के बाद मेरी पोस्टिंग बनारस में हुई। यहां क्राइम तेजी के साथ बढ़ा था। बदमाशों का कहर इस कदर था कि शाम के बाद लोग घर से बाहर निकलने में घबराते थे। इसी दौरान तत्कालीन कप्तान ने एसओजी प्रभारी की जिम्मेदारी देते हुए बनारस को भयमुक्त बनाने के लिए कहा। बनारस में एसओजी प्रभारी रहते हुए 18 एनकाउंटर किए। जिनमें बनारस के नामी बदमाश राजू तिवारी, गब्बर पांडे और मन्नू उपाध्याय को एक साथ ढेर किया। डीएसपी गिरजा शंकर त्रिपाठी बताते हैं- बनारस में मुख्तार अंसारी से जुड़े मुन्ना बजरंगी गैंग ने बहुत आतंक मचा रखा था। मैं उसकी गैंग तोड़ना चाहता था। इस गैंग में उमेश पहलवान महाजन पटेल जैसे कुख्यात थे। साल 2009 में इनसे हमारी मुठभेड़ हुई। दोनों ढेर कर दिए गए। ये लोग आए दिन रंगदारी वसूलते थे। लोग पैसे न दें तो उनकी हत्या तक कर देते थे। साल 2010 की बात है। यूपी में 12 से ज्यादा मर्डर करने वाला बदमाश संतोष टिक्कू उर्फ अशोक बिहारी खुलेआम घूम रहा था। मैंने इसके क्राइम पैटर्न को समझा। इसके बाद इसके पीछे लग गया। एक रोज अशोक बिहारी से भी आमना-सामना हो गया। उसने पुलिस टीम पर बंदूक तान दी। रुकने को कहा गया तो फायरिंग करने लगा। जवाबी कार्रवाई में अशोक बिहारी भी मारा गया। गिरजा शंकर बताते हैं कि एनकाउंटर के दौरान कई अपराधियों ने सरेंडर भी किया। कुछ तो एनकाउंटर के डर से सरेंडर करने खुद ही थाने तक पहुंच गए। डीएसपी गिरजा शंकर ने बताया- 2023 मे जालौन में सीओ सिटी बना। ड्यूटी ज्वाइन करने के कुछ दिन बाद ही जिले के नामी बदमाश कल्लू और रमेश ने सिपाही भेद सिंह को मौत के घाट उतार दिया। सिपाही की मौत के एक हफ्ते के अंदर ही दोनों आरोपी एनकाउंटर में मारे गए। बदमाश रमेश के एनकाउंटर के 10 महीने बाद उसकी बेटी की शादी थी। मुझे जैसे ही इस बारे में पता चला। मैं अपनी टीम के साथ उसके घर पहुंचा। इस नेक काम के लिए हमारी पूरी पुलिस टीम उत्साहित थी। सभी ने बिटिया को कुछ न कुछ गिफ्ट जरूर दिया। हम सभी ने अभिभावक की तरह उसे विदा किया। हमारा मानना है कि अपराध किसी एक ने किया, उसकी सजा उसके घर-परिवार वाले क्यों भुगते। अचीवमेंट्स राष्ट्रपति ने दो बार दिया पुलिस वीरता पुरस्कार ………………………………… यह खबर भी पढ़ें तांत्रिक ने कहा था- पत्नी तरक्की में बाधा: वाराणसी में पूरे परिवार का कत्ल करके जान दी, पत्नी-3 बच्चों को सोते वक्त गोली मारी वाराणसी में शराब कारोबारी ने अपने पूरे परिवार को खत्म कर दिया। मंगलवार सुबह 4 बजे पत्नी, 2 बेटे और 1 बेटी को सोते वक्त गोली मारी, फिर सुसाइड कर लिया। वारदात का पता उस वक्त चला, जब दोपहर में नौकरानी सफाई करने पहुंची। इसके बाद पुलिस को सूचना दी गई। पुलिस पहुंची तो 4 लाशें मकान में पड़ी थीं, लेकिन आरोपी घर पर नहीं था। पढ़ें पूरी खबर… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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Gujarat: मौत का मांझा! गुजरात में मकर संक्रांति पर जश्न के बीच 6 लोगों की गई जान, कटा गला <p style=”text-align: justify;”><strong>Gujarat Latest News:</strong> गुजरात में मकर संक्रांति के जश्न के बीच पतंग की डोर से 6 लोगों की मौत होने की सूचना है. इसमें राजकोट में पतंग की डोर से एक बाइक सवार की मौत हो गई. एक अन्य घटना में सुरेंद्रनगर के पाटडी के ओडू गांव के ईश्वरभाई ठाकोर की भी पतंग की डोर से जान चली गई. वहीं तीसरी घटना में हालोल के राहतलाव गांव के 5 साल के कुणाल की पतंग की डोर से गला कटने से मौत हो गई. कुणाल अपने पिता के साथ दोपहिया वाहन पर पनोरमा चौकड़ी के पास गुब्बारे खरीदने जा रहे थे. </p>
<p style=”text-align: justify;”>इसी बीच अचानक पतंग की डोर उनके सामने आ गई, जो आगे बैठे कुणाल के गले में फंस गई ओर रस्सी के घर्षण के कारण बच्चे का गला बुरी तरह कट गया. घायल कुणाल को तुरंत इलाज के लिए हालोल उप-जिला अस्पताल ले जाया गया. डॉक्टरों ने तत्काल उपचार शुरू किया, लेकिन बच्चे की शीघ्र ही मृत्यु हो गई. वडोदरा में पतंग की रस्सी ने एक महिला की जान ले ली.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>महिला की गर्दन पतंग की रस्सी से घायल</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>इसी तहर छानी कैनाल रोड पर मोपेड लेकर जा रही 35 वर्षीय माधुरी पटेल नाम की महिला की गर्दन पतंग की रस्सी से घायल हो गई और उसे अस्पताल ले जाया गया. घायल माधुरी पटेल की इलाज के दौरान मौत हो गई. वहीं एसएसजी अस्पताल में पतंग की डोर से घायल होने के बाद आज छह लोगों को उपचार के लिए ले जाया गया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>इतना ही नहीं वडनगर तालुका के वडबर गांव के 35 वर्षीय मनसाजी रगुंजी ठाकोर की घातक डोर की चपेट में आने से दुखद मृत्यु हो गई. जानकारी के मुताबिक, मनसाजी काम के लिए अपनी बाइक से वडनगर गए थे. दोपहर में काम खत्म करके घर लौटते समय अचानक उनकी गर्दन पर घातक चोट लगी. गंभीर रूप से घायल होने पर उन्हें तुरंत वडनगर सिविल अस्पताल ले जाया गया, जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>बिजली के तार पर गिरी पतंग की डोर को हटाते वक्त महिला की मौत</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>मकर संक्रांति के मौके पर कडी के कस्बा क्षेत्र में बिजली के तार पर गिरी पतंग की डोर को हटाने की कोशिश करते समय एक महिला की करंट लगने से मौत हो गई. इस बीच महिला को बचाने गए भाई की भी करंट लगने से दर्दनाक मौत हो गई. आणंद के सुंडान में पतंग उड़ाते समय 11 साल के बच्चे की मौत हो गई.</p>
<p style=”text-align: justify;”>गोहिलपुरा इलाके में रहने वाले 11 साल के बच्चे की खेत की बाड़ में फंसी पतंग को निकालने के दौरान करंट लगने से मौत हो गई. खेत की बाड़ में रखी मशीन से करंट लगने के बाद बच्चे को तुरंत इलाज के लिए वासद स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया. जहां इलाज के दौरान बच्चे की मौत हो गई.</p>
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एशिया का दूसरा सबसे पुराना क्राइस्ट चर्च, जहां क्रिसमस पर हर साल लगती है लोगों की भीड़
एशिया का दूसरा सबसे पुराना क्राइस्ट चर्च, जहां क्रिसमस पर हर साल लगती है लोगों की भीड़ <p style=”text-align: justify;”><strong>Christ Church In Shimla:</strong> देश भर में आज क्रिसमस की धूम है. शिमला में बने एशिया के दूसरे सबसे पुराने चर्च में भी लोगों की भारी भीड़ लगी हुई है. हिमाचल प्रदेश की राजधानी और पहाड़ों की रानी शिमला में सैलानियों की भारी भीड़ लगी हुई है. क्रिसमस पर सैलानी दूर-दूर से यहां जश्न मनाने के लिए पहुंचे हैं. हर साल क्रिसमस और नए साल के मौके पर यहां लोगों की भारी भीड़ लगती है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>साल 2023 में क्रिसमस के मौके पर यहां शिमला के रिज मैदान पर करीब 25 हजार लोग पहुंचे थे. इस बार भी इसी तरह सैलानियों की आने की उम्मीद है. शिमला में बने एशिया के दूसरे सबसे पुराने चर्च में पहुंचकर लोग क्रिसमस मना रहे हैं. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>क्या है शिमला क्राइस्ट चर्च का इतिहास?</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>शिमला का क्राइस्ट चर्च एशिया का दूसरा सबसे पुराना चर्च है. 9 सितंबर, 1844 में इस चर्च की नींव कोलकाता के बिशप डेनियल विल्सन ने रखी थी. साल 1857 में इसका काम पूरा हो गया. इस चर्च को नियो गोथिक शैली में बनाया गया है. चर्च का सीजन कर्नल जे.टी. बालू ने तैयार किया था. शिमला के सर्द मौसम में 10 जनवरी, 1857 को बनकर तैयार हुए इस चर्च के निर्माण में करीब 50 हजार रुपये खर्च आया था.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>साल 1961 में चर्च के इमारत को हुआ था नुकसान</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>रिज मैदान पर बना यह शिमला का पहला चर्च था. इससे पहले ईसाई धर्म को मानने वाले अंग्रेज मॉलरोड पर टेलीग्राफ ऑफिस के नजदीक नॉर्थ बुक टेरेस पर प्रार्थना किया करते थे. आजादी के बाद साल 1961 में हुई भारी बर्फबारी की वजह से ऐतिहासिक चर्च की इमारत को काफी नुकसान हुआ था. भारी बर्फबारी की वजह से इमारत के साथ बने पिनेकल ध्वस्त हो गए थे.</p>
<p style=”text-align: justify;”>मौजूदा वक्त में शिमला का क्राइस्ट चर्च यहां का लैंडमार्क है. देश-विदेश से यहां पहुंचने वाले पर्यटक चर्च देखकर ही रिज मैदान की पहचान करते हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>क्राइस्ट चर्च में है इंग्लैंड से लाई गई पुरानी बेल</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>शिमला के क्राइस्ट चर्च में 150 साल से ज्यादा पुरानी एक बेल भी है. ब्रिटिश शासनकाल के दौरान यह बेल इंग्लैंड से लाई गई थी. यह कोई साधारण बेल नहीं, बल्कि बेल मेटल से बने छह बड़े पाइप के हिस्से हैं. इन पाइप पर ए, बी, सी, डी, ई और एफ तक सुर हैं, जो संगीत के ‘सा रे ग म प’ की तरह ध्वनि करते हैं. इन पाइप पर हैमर यानी हथौड़े से आवाज होती है, जिसे रस्सी खींचकर बजाया जाता है. यह रस्सी मशीन से नहीं, बल्कि हाथ से खींचकर बजाई जाती है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>यह बेल हर रविवार सुबह 11 बजे होने वाली प्रार्थना से पांच मिनट पहले बजाई जाती है. इसके अलावा क्रिसमस और न्यू ईयर के मौके पर रात 12 बजे इस बेल को बजाकर जश्न मनाया जाता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>यह भी पढ़ें-</p>
<p style=”text-align: justify;”><a title=”WATCH: पहाड़ों की रानी शिमला में विंटर कार्निवल शुरू, सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने लोगों से की ये जरूरी अपील” href=”https://www.abplive.com/states/himachal-pradesh/shimla-winter-carnival-starts-himachal-cm-sukhvinder-singh-sukhu-inaugurated-ceremony-ann-2849215″ target=”_self”>WATCH: पहाड़ों की रानी शिमला में विंटर कार्निवल शुरू, सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने लोगों से की ये जरूरी अपील</a></p>
शिमला के राम मंदिर में होगा 108 हनुमान चालीसा का पाठ, दोपहर बाद आयोजित होगी विशेष पूजा-अर्चना
शिमला के राम मंदिर में होगा 108 हनुमान चालीसा का पाठ, दोपहर बाद आयोजित होगी विशेष पूजा-अर्चना <p style=”text-align: justify;”><strong>Ram Mandir Shimla:</strong> पौष माह की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को एक साल का वक्त पूरा होने जा रहा है. इस मौके पर शिमला के राम मंदिर में भी बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>प्राण प्रतिष्ठा का एक वर्ष पूर्ण होने के मौके पर शनिवार (11 जनवरी) को मंदिर में ही 108 हनुमान चालीसा का पाठ होगा. इसके बाद दोपहर दो बजे से शाम पांच बजे तक विशेष पाठ किया जाएगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>राम मंदिर में होगा विशेष कार्यक्रम</strong><br />शिमला राम मंदिर का संचालन करने वाली सूद सभा के अध्यक्ष राजीव सूद ने बताया कि राम लला की प्राण प्रतिष्ठा का एक साल का कार्यक्रम ऐतिहासिक होगा. बीते साल अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबिक 22 जनवरी को जब रामलला के प्राण प्रतिष्ठा हुई थी, तब भी शिमला में भव्य कार्यक्रम आयोजित किए गए थे. इस बार भी इस ऐतिहासिक मौके में उत्सव का माहौल होगा. भक्तों के लिए भंडारे का भी आयोजन होगा. यहां आकर भक्त भगवान राम का प्रसाद ग्रहण कर सकेंगे. <a title=”राम मंदिर” href=”https://www.abplive.com/topic/ram-mandir” data-type=”interlinkingkeywords”>राम मंदिर</a> की सजावट विशेष गेंदे के फूलों से की जा रही है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>जाखू मंदिर में सुबह से लगेगी भक्तों की भीड़ </strong><br />शिमला की सबसे ऊंची चोटी जाखू पर भगवान हनुमान का मंदिर है. यहां हनुमानजी की 108 फीट ऊंची मूर्ति भी है. यह भक्तों के लिए आस्था का केंद्र है. शनिवार को प्राण प्रतिष्ठा के एक साल पूरे होने के मौके पर सुबह से ही यहां भक्त दर्शनों के लिए पहुंचेंगे.</p>
<p style=”text-align: justify;”>इसके लिए भी मंदिर कमेटी की ओर से विशेष प्रबंध किए गए हैं. इस मंदिर में आज भी भगवान हनुमान की स्वयंभू मूर्ति और उनकी चरण पादुका मौजूद हैं. माना जाता है कि भगवान हनुमान की स्वयंभू मूर्ति प्रकट होने के बाद यक्ष ऋषि ने यहां मंदिर का निर्माण करवाया. ऋषि यक्ष से याकू और याकू से नाम जाखू पड़ा. </p>
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