वाराणसी में पत्नी और तीन बच्चों की हत्या, फिर कारोबारी राजेंद्र गुप्ता की आत्महत्या का मामला उलझ गया है। दैनिक भास्कर ने राजेंद्र की मां, घर में काम करने वाली नौकरानी और पड़ोसियों से अलग-अलग बात की। परिवार का इतिहास खंगाला। पुलिस के पैरेलल हमारी इन्वेस्टिगेशन में गुप्ता परिवार के 2 किरदारों की संलिप्तता सामने आ रही है। हत्या वाली रात (सोमवार) जुगनू और विक्की को देखा गया था। वह घर के पास ही मौजूद थे। दोनों राजेंद्र के भतीजे और कृष्णा गुप्ता के बेटे हैं। कृष्ण का मर्डर राजेंद्र गुप्ता ने 27 साल पहले किया था। हमने पुलिस अफसरों से इन फैक्ट्स को साझा किया, तब उन्होंने भी स्वीकार किया- हां, हमारी जांच का एक एंगल यह भी है। एक आत्मसमर्पण कर दिया है। जबकि एक फरार है। मतलब पुलिस की जांच 4 मर्डर और राजेंद्र के सुसाइड से यू-टर्न लेकर 5 मर्डर तक पहुंच रही है। ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या 27 साल पहले हुए दोहरे हत्याकांड का बदला राजेंद्र और उसके परिवार को खत्म करके लिया गया है। इस कारोबारी परिवार में उस वक्त कृष्णा गुप्ता और उनकी पत्नी की हत्या हुई थी। पढ़िए, भास्कर इन्वेस्टिगेशन… शराब के ठेकों और प्रॉपर्टी के लिए राजेंद्र ने अपने ही भाई, भाभी को मार डाला था। चलिए, 27 साल पहले चलते हैं… भदैनी इलाके में संपन्न कारोबारी लक्ष्मी नारायण के दो बेटे राजेंद्र गुप्ता और कृष्णा गुप्ता थे। घर में शराब और प्रॉपर्टी का बड़ा काम था। 5 लाख रुपए महीने मकानों के किराएदारी से आते थे। बाकी शराब ठेके अलग थे। कारोबार और प्रॉपर्टी की बागडोर छोटे बेटे कृष्णा के हाथ में रहती थी, वह पिता लक्ष्मी नारायण के ज्यादा करीब थे। यह बात राजेंद्र गुप्ता को अखरती थी। इसलिए दोनों भाइयों के बीच विवाद भी चल रहा था। इस परिवार में खूनी खेल की शुरुआत 1997 में हुई, जब राजेंद्र ने अपने छोटे भाई कृष्णा और उनकी पत्नी को घर में ही सोते हुए गोली मार दी थी। उसके बाद राजेंद्र मौके से फरार हो गया। पुलिस इन्वेस्टिगेशन में आखिरकार राजेंद्र फंसा और अरेस्ट होकर जेल चला गया। घर में कृष्णा के 2 बेटे जुगनू और विक्की थे, जिन्होंने राजेंद्र गुप्ता के खिलाफ थाने से लेकर कोर्ट तक केस की पैरवी की। राजेंद्र के जेल जाने के बाद भी कृष्णा के दोनों बेटों से विवाद बरकरार रहा। इस दौरान शराब ठेका और प्रॉपर्टी के कारोबार राजेंद्र के पिता लक्ष्मी नारायण संभालते रहे। उन्होंने अपने पौत्र जुगनू और विक्की को भी काम सिखाना शुरू कर दिया था। इस बीच 2003 में राजेंद्र पैरोल पर छूटकर जेल से बाहर आ गया। वह एक बार फिर पूरे कारोबार पर अपना वर्चस्व जमाने की कोशिश करने लगा। मगर, पिता लक्ष्मी नारायण का रुख सख्त था। वह नहीं चाहते थे कि उनके छोटे बेटे को मारने वाला परिवार में शामिल भी हो। इसलिए उन्होंने परिवार और कारोबार से राजेंद्र को दूर रखा। राजेंद्र को यह सब ठीक नहीं लगा। उसने अपने पिता के मर्डर की भी प्लानिंग कर डाली। पुलिस के मुताबिक, राजेंद्र ने आचार्य रामचंद्र शुक्ल चौराहा पर देसी शराब ठेका के पास अपने पिता लक्ष्मी नारायण की हत्या करवा दी। इस दौरान उनके साथ रहने वाले गार्ड को भी गोली मारी गई, उसकी मौत हो गई। यानी सुपारी देकर डबल मर्डर कराया गया। इसके बाद राजेंद्र ने कारोबार पर अपना वर्चस्व जमाना शुरू कर दिया। 2 शादियां कीं, दोनों पत्नियों से विवाद रहा
राजेंद्र ने 2 शादियां की। पहली शादी 1995 में हुई। उनसे 1 लड़का हुआ। 2 साल में ही राजेंद्र ने अपनी पहली पत्नी को छोड़ दिया। इसके बाद वह मर्डर केस में फंसा और 6 साल के लिए जेल चला गया। 2003 में जब राजेंद्र जेल से बाहर आया तो उसका नीतू से अफेयर हो गया। पहली पत्नी से एक लड़का था, जो अब साथ नहीं रहता। दूसरी पत्नी से 3 बच्चे हुए। 2 लड़के और एक लड़की। बड़ा बेटा नवनेंद्र (20) और छोटा सुबेंद्र (15) था। बेटी गौरांगी (16) मंझली थी। नवनेंद्र बेंगलुरु में मल्टीनेशनल कंपनी में इंजीनियर था। सुबेंद्र और गौरांगी DPS में पढ़ते थे। पुलिस ने जब पड़ोसियों और किराएदारों से पूछताछ की, तब सामने आया कि राजेंद्र की अपनी दूसरी पत्नी नीतू से भी नहीं बनती थी। राजेंद्र गुप्ता का अपनी पत्नी से झगड़ा होता रहता था। जब भी घर आता था तो जोर-जोर आवाजें आती थीं। वो कहता था कि तुमने मेरी जिंदगी बर्बाद कर दी है। मुझे तांत्रिक ने बताया है कि तुम्हारे कारण ही मेरी जिंदगी में तरक्की नहीं हो पा रही है। मैं जेल तक गया, लेकिन किस्मत से बाहर आ गया। जब से तुम्हारे साथ शादी हुई है, घुटन महसूस कर रहा हूं। हालांकि मां के बयानों से ऐसा नहीं लगता कि उसने अपने परिवार का मर्डर किया हो। अब भास्कर से मां की बातचीत पढ़िए… मां ने कहा – बेटा कल खाना खाकर गया, हत्या कैसे कर देगा
पुलिस के जाने के बाद भास्कर ने राजेंद्र की मां शारदा देवी से मुलाकात की। वह बहुत परेशान थीं, हमने पूछा – ये सब क्या हो गया? उन्होंने कहा – राजेंद्र दिवाली के बाद अपने नए घर में रहने चला गया। वह अभी बन ही रहा है। भाई दूज वाले दिन वो (राजेंद्र) आया था। टीका लगवाने के बाद उसने प्रसाद लिया। फिर वो कुछ देर में चला गया। कल राजेंद्र फिर आया था, उसने खाना खाया फिर वह सोने के लिए अपने नए घर में चला गया। आज लोग बता रहे हैं कि उसने अपनी पत्नी-बच्चों को मार डाला है। मगर, वह हत्या करने के लिए कब और कैसे आया? उसको मैंने घर में भी नहीं देखा। हमने फिर पूछा – घर का माहौल कैसा चल रहा था? शारदा देवी ने कहा – सब कुछ अच्छा चल रहा था। पति और पत्नी में कुछ झगड़े होते थे, वह तो हर घर में होते हैं। रुपए-पैसे की कोई तंगी थी नहीं। रात के वक्त मेरी बहू ने मुझे दवा दी थी। मैं करीब 10 बजे सो गई थी। राजेंद्र की मां के इसी बयान के बाद से ये सवाल खड़े हो रहे हैं कि घर में जब सब ठीक चल रहा था, तो राजेंद्र मर्डर करके सुसाइड क्यों करेगा? अब भास्कर टीम ने घर में काम करने वाली रेनू से बात की…
तुम यहां पर क्या काम करती हो? रेनू वर्मा ने कहा – मैं 5 साल से इस घर में खाना बनाने आ रही हूं। मुझे हर महीने 5500 रूपए मिलते हैं। परिवार के लोग घर में काफी खुश रहते थे। कल जब हम खाना बनाने आए थे, तब घर में शाम को कोई नहीं था, सब लोग बाहर घूमने गए थे। सभी छठ पूजा की तैयारी कर रहे थे। इनके सबसे बड़े लड़के बेंगलुरु में एक मल्टी लेवल कंपनी में काम करते थे। उनकी सैलरी एक लाख के करीब थी, वह पढ़ने में भी काफी अच्छे थे। रेनू ने कहा- बेटी पढ़ने में थोड़ी कमजोर थी। 10वीं में उसके नंबर भी कम आए थे, जिसकी वजह से परिवार वाले नाराज थे। इस बार अच्छे नंबर लाने के लिए कहा गया था। दिवाली पर सभी (राजेंद्र सहित) एक साथ थे। सबने मिलकर दिवाली मनाई थी। घर से बाहर आने के बाद हमने पड़ोसी योगेंद्र यादव से बात की। उन्होंने कहा- मैं तो राजेंद्र गुप्ता को रोज ही देखता था। उनका बैक ग्राउंड बहुत मजबूत था। 3 जगह पॉश लोकेशन पर मकान हैं, जिसकी सरकार, वह उसके साथ रहते थे। जितना मैं जानता हूं, वह एक भले आदमी थे। एक किमी दूर है भतीजों का घर
पड़ोसियों से बात करने के बाद सामने आया कि जिस गली में राजेंद्र गुप्ता रहते हैं, उससे करीब 1 किमी दूर पर कृष्णा का पुश्तैनी मकान है। इसी में जुगनू और विक्की रहते थे। पूछताछ में सामने आया कि 1 भाई की बेंगलुरु और दूसरे की दिल्ली में जॉब है। दोनों दिवाली से पहले वाराणसी आए थे। दिवाली की रात पर वह राजेंद्र गुप्ता के घर भी गए थे। कुछ हॉट-टॉक होने की बात भी सामने आई है। DCP गौरव बंसवाल ने बताया- राजेंद्र गुप्ता की पहली पत्नी के बेटे की लोकेशन आसनसोल (बिहार) में मिली है। उसको पूछताछ के लिए बुलाया गया है। देर रात बड़ा भतीजा जुगनू पुलिस के पास आया है। उसने बताया कि वह दिल्ली में था। वाराणसी आने के बाद सब कुछ पता चला। छोटा भतीजा विक्की अभी गायब है। उसका मोबाइल भी स्विच ऑफ है। भास्कर इन्वेस्टिगेशन में निकलकर आया कि ये चीजें पुलिस जांच में अभी क्लियर होना बाकी हैं… DCP काशी गौरव वंशवाल ने कहा – हम इस घटना के सभी पहलुओं पर जांच कर रहे हैं। मृतक भाई के बेटों और उनसे व्यापारिक रूप से जुड़े लोगों से पूछताछ कर रहे हैं। मां और किराएदारों से भी बातचीत की है। कई पहलू सामने आए हैं, जो घटना के खुलासे में मददगार लग रहे हैं। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से और फैक्ट सामने आ जाएंगे। —————————– भास्कर एक्सप्लेनर भी पढ़िए… चलते रहेंगे यूपी के 16 हजार मदरसे:सुप्रीम कोर्ट ने मदरसा एक्ट को क्यों कानूनी करार दिया, 7 सवालों में समझिए सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए यूपी मदरसा एजुकेशन एक्ट को बरकरार रखा है। इसका मतलब है कि मदरसे चलते रहेंगे। इससे पहले हाईकोर्ट ने यूपी के मदरसों में पढ़ रहे सभी बच्चों का दाखिला सामान्य स्कूलों में कराने का आदेश दिया था। पढ़िए पूरी खबर… वाराणसी में पत्नी और तीन बच्चों की हत्या, फिर कारोबारी राजेंद्र गुप्ता की आत्महत्या का मामला उलझ गया है। दैनिक भास्कर ने राजेंद्र की मां, घर में काम करने वाली नौकरानी और पड़ोसियों से अलग-अलग बात की। परिवार का इतिहास खंगाला। पुलिस के पैरेलल हमारी इन्वेस्टिगेशन में गुप्ता परिवार के 2 किरदारों की संलिप्तता सामने आ रही है। हत्या वाली रात (सोमवार) जुगनू और विक्की को देखा गया था। वह घर के पास ही मौजूद थे। दोनों राजेंद्र के भतीजे और कृष्णा गुप्ता के बेटे हैं। कृष्ण का मर्डर राजेंद्र गुप्ता ने 27 साल पहले किया था। हमने पुलिस अफसरों से इन फैक्ट्स को साझा किया, तब उन्होंने भी स्वीकार किया- हां, हमारी जांच का एक एंगल यह भी है। एक आत्मसमर्पण कर दिया है। जबकि एक फरार है। मतलब पुलिस की जांच 4 मर्डर और राजेंद्र के सुसाइड से यू-टर्न लेकर 5 मर्डर तक पहुंच रही है। ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या 27 साल पहले हुए दोहरे हत्याकांड का बदला राजेंद्र और उसके परिवार को खत्म करके लिया गया है। इस कारोबारी परिवार में उस वक्त कृष्णा गुप्ता और उनकी पत्नी की हत्या हुई थी। पढ़िए, भास्कर इन्वेस्टिगेशन… शराब के ठेकों और प्रॉपर्टी के लिए राजेंद्र ने अपने ही भाई, भाभी को मार डाला था। चलिए, 27 साल पहले चलते हैं… भदैनी इलाके में संपन्न कारोबारी लक्ष्मी नारायण के दो बेटे राजेंद्र गुप्ता और कृष्णा गुप्ता थे। घर में शराब और प्रॉपर्टी का बड़ा काम था। 5 लाख रुपए महीने मकानों के किराएदारी से आते थे। बाकी शराब ठेके अलग थे। कारोबार और प्रॉपर्टी की बागडोर छोटे बेटे कृष्णा के हाथ में रहती थी, वह पिता लक्ष्मी नारायण के ज्यादा करीब थे। यह बात राजेंद्र गुप्ता को अखरती थी। इसलिए दोनों भाइयों के बीच विवाद भी चल रहा था। इस परिवार में खूनी खेल की शुरुआत 1997 में हुई, जब राजेंद्र ने अपने छोटे भाई कृष्णा और उनकी पत्नी को घर में ही सोते हुए गोली मार दी थी। उसके बाद राजेंद्र मौके से फरार हो गया। पुलिस इन्वेस्टिगेशन में आखिरकार राजेंद्र फंसा और अरेस्ट होकर जेल चला गया। घर में कृष्णा के 2 बेटे जुगनू और विक्की थे, जिन्होंने राजेंद्र गुप्ता के खिलाफ थाने से लेकर कोर्ट तक केस की पैरवी की। राजेंद्र के जेल जाने के बाद भी कृष्णा के दोनों बेटों से विवाद बरकरार रहा। इस दौरान शराब ठेका और प्रॉपर्टी के कारोबार राजेंद्र के पिता लक्ष्मी नारायण संभालते रहे। उन्होंने अपने पौत्र जुगनू और विक्की को भी काम सिखाना शुरू कर दिया था। इस बीच 2003 में राजेंद्र पैरोल पर छूटकर जेल से बाहर आ गया। वह एक बार फिर पूरे कारोबार पर अपना वर्चस्व जमाने की कोशिश करने लगा। मगर, पिता लक्ष्मी नारायण का रुख सख्त था। वह नहीं चाहते थे कि उनके छोटे बेटे को मारने वाला परिवार में शामिल भी हो। इसलिए उन्होंने परिवार और कारोबार से राजेंद्र को दूर रखा। राजेंद्र को यह सब ठीक नहीं लगा। उसने अपने पिता के मर्डर की भी प्लानिंग कर डाली। पुलिस के मुताबिक, राजेंद्र ने आचार्य रामचंद्र शुक्ल चौराहा पर देसी शराब ठेका के पास अपने पिता लक्ष्मी नारायण की हत्या करवा दी। इस दौरान उनके साथ रहने वाले गार्ड को भी गोली मारी गई, उसकी मौत हो गई। यानी सुपारी देकर डबल मर्डर कराया गया। इसके बाद राजेंद्र ने कारोबार पर अपना वर्चस्व जमाना शुरू कर दिया। 2 शादियां कीं, दोनों पत्नियों से विवाद रहा
राजेंद्र ने 2 शादियां की। पहली शादी 1995 में हुई। उनसे 1 लड़का हुआ। 2 साल में ही राजेंद्र ने अपनी पहली पत्नी को छोड़ दिया। इसके बाद वह मर्डर केस में फंसा और 6 साल के लिए जेल चला गया। 2003 में जब राजेंद्र जेल से बाहर आया तो उसका नीतू से अफेयर हो गया। पहली पत्नी से एक लड़का था, जो अब साथ नहीं रहता। दूसरी पत्नी से 3 बच्चे हुए। 2 लड़के और एक लड़की। बड़ा बेटा नवनेंद्र (20) और छोटा सुबेंद्र (15) था। बेटी गौरांगी (16) मंझली थी। नवनेंद्र बेंगलुरु में मल्टीनेशनल कंपनी में इंजीनियर था। सुबेंद्र और गौरांगी DPS में पढ़ते थे। पुलिस ने जब पड़ोसियों और किराएदारों से पूछताछ की, तब सामने आया कि राजेंद्र की अपनी दूसरी पत्नी नीतू से भी नहीं बनती थी। राजेंद्र गुप्ता का अपनी पत्नी से झगड़ा होता रहता था। जब भी घर आता था तो जोर-जोर आवाजें आती थीं। वो कहता था कि तुमने मेरी जिंदगी बर्बाद कर दी है। मुझे तांत्रिक ने बताया है कि तुम्हारे कारण ही मेरी जिंदगी में तरक्की नहीं हो पा रही है। मैं जेल तक गया, लेकिन किस्मत से बाहर आ गया। जब से तुम्हारे साथ शादी हुई है, घुटन महसूस कर रहा हूं। हालांकि मां के बयानों से ऐसा नहीं लगता कि उसने अपने परिवार का मर्डर किया हो। अब भास्कर से मां की बातचीत पढ़िए… मां ने कहा – बेटा कल खाना खाकर गया, हत्या कैसे कर देगा
पुलिस के जाने के बाद भास्कर ने राजेंद्र की मां शारदा देवी से मुलाकात की। वह बहुत परेशान थीं, हमने पूछा – ये सब क्या हो गया? उन्होंने कहा – राजेंद्र दिवाली के बाद अपने नए घर में रहने चला गया। वह अभी बन ही रहा है। भाई दूज वाले दिन वो (राजेंद्र) आया था। टीका लगवाने के बाद उसने प्रसाद लिया। फिर वो कुछ देर में चला गया। कल राजेंद्र फिर आया था, उसने खाना खाया फिर वह सोने के लिए अपने नए घर में चला गया। आज लोग बता रहे हैं कि उसने अपनी पत्नी-बच्चों को मार डाला है। मगर, वह हत्या करने के लिए कब और कैसे आया? उसको मैंने घर में भी नहीं देखा। हमने फिर पूछा – घर का माहौल कैसा चल रहा था? शारदा देवी ने कहा – सब कुछ अच्छा चल रहा था। पति और पत्नी में कुछ झगड़े होते थे, वह तो हर घर में होते हैं। रुपए-पैसे की कोई तंगी थी नहीं। रात के वक्त मेरी बहू ने मुझे दवा दी थी। मैं करीब 10 बजे सो गई थी। राजेंद्र की मां के इसी बयान के बाद से ये सवाल खड़े हो रहे हैं कि घर में जब सब ठीक चल रहा था, तो राजेंद्र मर्डर करके सुसाइड क्यों करेगा? अब भास्कर टीम ने घर में काम करने वाली रेनू से बात की…
तुम यहां पर क्या काम करती हो? रेनू वर्मा ने कहा – मैं 5 साल से इस घर में खाना बनाने आ रही हूं। मुझे हर महीने 5500 रूपए मिलते हैं। परिवार के लोग घर में काफी खुश रहते थे। कल जब हम खाना बनाने आए थे, तब घर में शाम को कोई नहीं था, सब लोग बाहर घूमने गए थे। सभी छठ पूजा की तैयारी कर रहे थे। इनके सबसे बड़े लड़के बेंगलुरु में एक मल्टी लेवल कंपनी में काम करते थे। उनकी सैलरी एक लाख के करीब थी, वह पढ़ने में भी काफी अच्छे थे। रेनू ने कहा- बेटी पढ़ने में थोड़ी कमजोर थी। 10वीं में उसके नंबर भी कम आए थे, जिसकी वजह से परिवार वाले नाराज थे। इस बार अच्छे नंबर लाने के लिए कहा गया था। दिवाली पर सभी (राजेंद्र सहित) एक साथ थे। सबने मिलकर दिवाली मनाई थी। घर से बाहर आने के बाद हमने पड़ोसी योगेंद्र यादव से बात की। उन्होंने कहा- मैं तो राजेंद्र गुप्ता को रोज ही देखता था। उनका बैक ग्राउंड बहुत मजबूत था। 3 जगह पॉश लोकेशन पर मकान हैं, जिसकी सरकार, वह उसके साथ रहते थे। जितना मैं जानता हूं, वह एक भले आदमी थे। एक किमी दूर है भतीजों का घर
पड़ोसियों से बात करने के बाद सामने आया कि जिस गली में राजेंद्र गुप्ता रहते हैं, उससे करीब 1 किमी दूर पर कृष्णा का पुश्तैनी मकान है। इसी में जुगनू और विक्की रहते थे। पूछताछ में सामने आया कि 1 भाई की बेंगलुरु और दूसरे की दिल्ली में जॉब है। दोनों दिवाली से पहले वाराणसी आए थे। दिवाली की रात पर वह राजेंद्र गुप्ता के घर भी गए थे। कुछ हॉट-टॉक होने की बात भी सामने आई है। DCP गौरव बंसवाल ने बताया- राजेंद्र गुप्ता की पहली पत्नी के बेटे की लोकेशन आसनसोल (बिहार) में मिली है। उसको पूछताछ के लिए बुलाया गया है। देर रात बड़ा भतीजा जुगनू पुलिस के पास आया है। उसने बताया कि वह दिल्ली में था। वाराणसी आने के बाद सब कुछ पता चला। छोटा भतीजा विक्की अभी गायब है। उसका मोबाइल भी स्विच ऑफ है। भास्कर इन्वेस्टिगेशन में निकलकर आया कि ये चीजें पुलिस जांच में अभी क्लियर होना बाकी हैं… DCP काशी गौरव वंशवाल ने कहा – हम इस घटना के सभी पहलुओं पर जांच कर रहे हैं। मृतक भाई के बेटों और उनसे व्यापारिक रूप से जुड़े लोगों से पूछताछ कर रहे हैं। मां और किराएदारों से भी बातचीत की है। कई पहलू सामने आए हैं, जो घटना के खुलासे में मददगार लग रहे हैं। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से और फैक्ट सामने आ जाएंगे। —————————– भास्कर एक्सप्लेनर भी पढ़िए… चलते रहेंगे यूपी के 16 हजार मदरसे:सुप्रीम कोर्ट ने मदरसा एक्ट को क्यों कानूनी करार दिया, 7 सवालों में समझिए सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए यूपी मदरसा एजुकेशन एक्ट को बरकरार रखा है। इसका मतलब है कि मदरसे चलते रहेंगे। इससे पहले हाईकोर्ट ने यूपी के मदरसों में पढ़ रहे सभी बच्चों का दाखिला सामान्य स्कूलों में कराने का आदेश दिया था। पढ़िए पूरी खबर… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर