एक्सपायरी दवाएं खरीदीं…तारीख बदलकर बेच दीं:कार्डिएक अरेस्ट, बीपी और प्रेग्नेंसी किट तक में फर्जीवाड़ा; UP में चल रहा जान लेने का खेल

एक्सपायरी दवाएं खरीदीं…तारीख बदलकर बेच दीं:कार्डिएक अरेस्ट, बीपी और प्रेग्नेंसी किट तक में फर्जीवाड़ा; UP में चल रहा जान लेने का खेल

एक्सपायर हो चुकी दवाओं को बाजार से उठाया और मैन्युफैक्चरिंग डेट बदलकर दोबारा मार्केट में बेच दिया। दवा माफिया यह काम पुराने रैपर पर लिखी एक्सपायरी डेट और डिटेलिंग बदलकर कर रहे हैं। इलेक्ट्रॉनिक प्रिंटिंग मशीन से यह काम किया जा रहा है। एक्सपायर दवाओं को शहर और गांवों के छोटे डॉक्टरों और केमिस्ट स्टोर तक पहुंचा दिया जाता है। इस बड़े रैकेट का खुलासा तब हुआ, जब 5 नवंबर को ड्रग डिपार्टमेंट ने मेरठ के सरधना में छापा मारा। यह ठिकाना सरधना थाने से सिर्फ 2KM दूर था। इस्लामाबाद मोहल्ले में 150 गज के मकान में एक्सपायरी दवाओं की बड़ी स्टोरेज मिली। इन दवाओं की वैल्यू करीब 55 लाख रुपए बताई जा रही है। दैनिक भास्कर की टीम इस बड़े रैकेट का पीछा करती हुई मेरठ मुख्यालय से 30KM दूर पहुंची। एक सामान्य से दिखने वाले घर के बाहर किराना स्टोर का बोर्ड लगा था। बाहर से देखने में किसी संदिग्ध मूवमेंट का शक भी नहीं हो रहा था। पड़ोसियों से बातचीत करने से समझ में आया कि इस मकान में 50-50 गज के 3 हिस्से हैं, जो मोबीन, मेहताब और कामिल के हैं। मेहताब और मोबीन किराना की दुकान चलाते हैं। कंप्यूटर, प्रिंटर लगाकर ‘बेअसर’ को ‘असरदार’ बनाने का खेल चल रहा
हम घर में दाखिल हुए। बाएं हाथ पर कामिल का हिस्सा बताया गया। कामिल के बेटे नाजिम ने इस हिस्से में नीचे एक काउंटर लगाकर ऑफिस बना रखा है। इसमें 1 कंप्यूटर और 2 इलेक्ट्रॉनिक प्रिंटिंग मशीन लगी मिली। हम इस हिस्से से होते हुए घर के और अंदर गए, तो वहां कमरे में दवाओं का बड़ा स्टॉक रखा दिखा। यह एक्सपायरी दवाओं का था। छानबीन में पता चला कि नाजिम ही यहां पर दवाओं की स्टोरेज करवा रहा था। लोगों ने बताया कि नाजिम करीब 8 साल से यहां रह रहा है। वह इससे पहले शिमला में पेंटिंग का काम करता था। लोगों ने अक्सर उसको बाइक पर बैग लेकर आते-जाते देखा था। कई बार देर रात कार से कुछ लोग आते-जाते भी देखे गए। ये लोग कुछ सामान लोड-अनलोड करते रहते थे। इसमें क्या होता था? यह किसी ने जानने की कभी कोशिश नहीं की। ऐसे बदलते थे दवाइयों की एक्सपायरी डेट
हर दवा की एक मैन्युफैक्चरिंग और एक्सपायरी डेट होती है। मतलब, दवा कब बनी और कब तक उसे इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके अलावा दवाओं के रैपर पर बैच नंबर और उसकी कीमत भी लिखी होती है। नाजिम एक्सपायरी दवाइयों को लाकर पहले उनकी मैन्युफैक्चरिंग और एक्सपायरी डेट मिटवाता था। इसमें नेल पॉलिश रिमूवर, थिनर और दूसरे केमिकल का इस्तेमाल होता था। इसके बाद इलेक्ट्रॉनिक प्रिंटर के जरिए कंप्यूटर से 2024 की मैन्युफैक्चरिंग डेट डालकर एक्सपायरी डेट 2027 या दवाओं की समय सीमा के हिसाब से लिखी जाती थी। अब बड़ा सवाल उठता है कि इतने बड़े पैमाने पर एक्सपायरी दवाएं यहां कैसे पहुंचीं? इसको लेकर हमने मेरठ केमिस्ट एंड ड्रग संगठन के महामंत्री रजनीश कौशल से सवाल किए। पढ़िए बातचीत… रिपोर्टर : मार्केट में किस-किस तरह की दवाएं आती हैं?
इंस्पेक्टर : देखिए, मार्केट में 3 तरह की दवाएं सप्लाई होती हैं। 1- कंपनी की ब्रांडेड। 2- कंपनी की जेनेरिक 3- जेनेरिक दवाएं। सिर्फ मेरठ में 120 से ज्यादा कंपनियों की दवाएं बिक रही हैं। 14-15 कंपनियों के CNF हैं। रिपोर्टर : एक्सपायरी होने वाली दवाओं का क्या होता है?
इंस्पेक्टर : देखिए, नियम ऐसे हैं कि ब्रांडेड दवाओं को कंपनी वापस लेती है। लेकिन, कंपनी की जेनेरिक और जेनेरिक दवाओं को कंपनियां वापस नहीं लेतीं। रिपोर्टर : एक्सपायरी दवाओं का क्या होता है?
इंस्पेक्टर : वह डिस्ट्रीब्यूटर के जरिए वेयरहाउस पर आती हैं। डिस्ट्रीब्यूटर ड्रग डिपार्टमेंट और GST को लेटर भेजकर दवाओं के बारे में बता देता है। इसके बाद वेस्ट मैनेजमेंट कंपनी को दवाएं नष्ट करने के लिए दी जाती हैं। रिपोर्टर : वेस्ट मैनेजमेंट कंपनियों को कैसे चुना जाता है?
इंस्पेक्टर : ये कंपनियां अपने स्तर पर करती हैं, ऑनलाइन कंपनियों को चुना जाता है। इन दवाओं को दोबारा मार्केट में पहुंचाने के लिए मेडिसिन माफिया के स्ट्रैटजी समझिए… कंपनियों के वापस नहीं लेने की पॉलिसी का फायदा उठाया
ड्रग माफिया कंपनियों की एक्सपायरी पॉलिसी का फायदा उठा रहे हैं। कंपनी की जेनेरिक और जेनेरिक दवाएं बनाने वाली कंपनियां वापस नहीं लेती हैं। ऐसे में ड्रग माफिया ने वेस्ट मैनेजमेंट कंपनियों के लोगों को सेट किया। जिन दवाओं को नष्ट कर होना चाहिए था, उन्हें ड्रग माफिया तक पहुंचा दिया गया। इसके बाद वेस्ट यूपी के अलग-अलग ठिकानों पर इन दवाओं को इकट्ठा किया जाता है। इनके रैपर, पैकिंग खराब नहीं होती। मेडिसिन माफिया इन रैपर पर लिखी मैन्युफैक्चरिंग डेट को इलेक्ट्रानिक प्रिंटर से बदल देते हैं। कई रैपर ऐसे मिले हैं, जिनके CNF कोड भी बदले गए हैं। इसके बाद इन दवाओं को दोबारा मार्केट में सप्लाई कर दिया जाता था। ड्रग डिपार्टमेंट के अफसरों के मुताबिक, गांव-देहात में कई अनरजिस्टर्ड डॉक्टर होते हैं। माना जा रहा है कि ये दवाएं उन्हें सप्लाई में दी जाती थीं। जितने बड़े पैमाने पर स्टोरेज मिली है, उससे लग रहा है कि शहर के केमिस्ट स्टोर तक भी ये दवाएं कम कीमत पर सप्लाई की जा रही थीं। हालांकि, अभी कोई नाम सामने नहीं आया है। 2 FIR, जिसमें 4 आरोपी, गिरफ्तारी 1 भी नहीं
पुलिस को इस स्टोरेज से एक डायरी मिली है। इसमें नामों की एक लिस्ट है। ये लोग कौन हैं? इनका नाजिम से क्या कनेक्शन है? इस बारे में पुलिस छानबीन कर रही है। मेरठ के SP देहात राकेश कुमार मिश्रा ने कहा- इस मामले में दो अलग-अलग मुकदमे दर्ज हुए हैं। इनमें नाजिम, उसके पिता कामिल, ताऊ मोबिन और चाचा महताब को आरोपी बनाया गया है। उनकी तलाश में दबिश दी जा रही है। नाजिम की अरेस्टिंग के बाद दवाओं की सप्लाई को लेकर कई सवालों के जवाब मिल सकेंगे। 30 कंपनियों को लेटर भेजा, दवाएं कब-कहां बेची गईं, डिटेल मांगी
ड्रग इंस्पेक्टर पीयूष शर्मा ने कहा- मौके पर 30 कंपनियों की दवाएं मिली हैं। उन कंपनियों को लेटर भेजा गया है। जो दवाएं जारी हुई हैं, उन्हें किस राज्य के किन स्टोर पर बेचा गया, यह पूछा गया है। कंपनी से जवाब का इंतजार किया जा रहा है। हमने ड्रग इंस्पेक्टर से पूछा कि एक्सपायरी डेट का मतलब क्या होता है? इस पर उन्होंने कहा- अगर आप कोई दवा खरीदते हैं, तो उसकी पैकिंग पर आपको दो तारीखें दिखाई देंगी। पहली तारीख मैन्यूफैक्चरिंग की होगी, दूसरी एक्सपायरी की होगी। मैन्यूफैक्चरिंग डेट वह तारीख होती है, जिस दिन उस दवा को बनाया जाता है। एक्सपायरी डेट उस तारीख को कहा जाता है, जिसके बाद दवा निर्माता की दवा की सुरक्षा और असर की गारंटी खत्म हो जाती है। इसके बाद कई दवाओं में रासायनिक बदलाव भी हो जाते हैं। ऐसे में विशेषज्ञ दवाओं को खुले या सीवर में फेंकने को घातक बताते हैं। यह जीव-जंतुओं के साथ-साथ पर्यावरण के लिए भी नुकसानदेह है। अगर कोई बीमार व्यक्ति इन दवाओं को खा रहा है, तो उसकी बॉडी पर क्या असर होगा। इसको लेकर हमने वरिष्ठ फिजीशियन डॉ. तनुराज सिरोही से बात की। उन्होंने कहा- इसका असर बीमार व्यक्ति की ऐज और बीमारी पर डिपेंड करता है। इसको 3 तरह से समझ सकते हैं… ——————————— यह भी पढ़ें : मोदी बोले-हिमाचल, तेलंगाना, कर्नाटक कांग्रेस के शाही परिवार के ATM, चुनाव महाराष्ट्र में है और वसूली इन तीन राज्यों में डबल हो गई है महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने लगातार दूसरे दिन रैली की। उन्होंने शनिवार अकोला में एक बार फिर ‘एक हैं तो सेफ हैं’ का नारा दिया। इससे पहले 8 नवंबर को नासिक और धुले की रैली में भी उन्होंने यह नारा लगाया था। आज अकोला की रैली में PM के निशाने पर एक बार फिर कांग्रेस ही रही। उद्धव ठाकरे और शरद पवार के बारे में एक शब्द नहीं बोला। उन्होंने कहा- जम्मू-कश्मीर विधानसभा में आर्टिकल 370 की वापसी की मांग हो रही है। कांग्रेस और उसके सहयोगी इसका समर्थन करते हैं। पाकिस्तान भी यही चाहता है। पढ़िए पूरी खबर… एक्सपायर हो चुकी दवाओं को बाजार से उठाया और मैन्युफैक्चरिंग डेट बदलकर दोबारा मार्केट में बेच दिया। दवा माफिया यह काम पुराने रैपर पर लिखी एक्सपायरी डेट और डिटेलिंग बदलकर कर रहे हैं। इलेक्ट्रॉनिक प्रिंटिंग मशीन से यह काम किया जा रहा है। एक्सपायर दवाओं को शहर और गांवों के छोटे डॉक्टरों और केमिस्ट स्टोर तक पहुंचा दिया जाता है। इस बड़े रैकेट का खुलासा तब हुआ, जब 5 नवंबर को ड्रग डिपार्टमेंट ने मेरठ के सरधना में छापा मारा। यह ठिकाना सरधना थाने से सिर्फ 2KM दूर था। इस्लामाबाद मोहल्ले में 150 गज के मकान में एक्सपायरी दवाओं की बड़ी स्टोरेज मिली। इन दवाओं की वैल्यू करीब 55 लाख रुपए बताई जा रही है। दैनिक भास्कर की टीम इस बड़े रैकेट का पीछा करती हुई मेरठ मुख्यालय से 30KM दूर पहुंची। एक सामान्य से दिखने वाले घर के बाहर किराना स्टोर का बोर्ड लगा था। बाहर से देखने में किसी संदिग्ध मूवमेंट का शक भी नहीं हो रहा था। पड़ोसियों से बातचीत करने से समझ में आया कि इस मकान में 50-50 गज के 3 हिस्से हैं, जो मोबीन, मेहताब और कामिल के हैं। मेहताब और मोबीन किराना की दुकान चलाते हैं। कंप्यूटर, प्रिंटर लगाकर ‘बेअसर’ को ‘असरदार’ बनाने का खेल चल रहा
हम घर में दाखिल हुए। बाएं हाथ पर कामिल का हिस्सा बताया गया। कामिल के बेटे नाजिम ने इस हिस्से में नीचे एक काउंटर लगाकर ऑफिस बना रखा है। इसमें 1 कंप्यूटर और 2 इलेक्ट्रॉनिक प्रिंटिंग मशीन लगी मिली। हम इस हिस्से से होते हुए घर के और अंदर गए, तो वहां कमरे में दवाओं का बड़ा स्टॉक रखा दिखा। यह एक्सपायरी दवाओं का था। छानबीन में पता चला कि नाजिम ही यहां पर दवाओं की स्टोरेज करवा रहा था। लोगों ने बताया कि नाजिम करीब 8 साल से यहां रह रहा है। वह इससे पहले शिमला में पेंटिंग का काम करता था। लोगों ने अक्सर उसको बाइक पर बैग लेकर आते-जाते देखा था। कई बार देर रात कार से कुछ लोग आते-जाते भी देखे गए। ये लोग कुछ सामान लोड-अनलोड करते रहते थे। इसमें क्या होता था? यह किसी ने जानने की कभी कोशिश नहीं की। ऐसे बदलते थे दवाइयों की एक्सपायरी डेट
हर दवा की एक मैन्युफैक्चरिंग और एक्सपायरी डेट होती है। मतलब, दवा कब बनी और कब तक उसे इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके अलावा दवाओं के रैपर पर बैच नंबर और उसकी कीमत भी लिखी होती है। नाजिम एक्सपायरी दवाइयों को लाकर पहले उनकी मैन्युफैक्चरिंग और एक्सपायरी डेट मिटवाता था। इसमें नेल पॉलिश रिमूवर, थिनर और दूसरे केमिकल का इस्तेमाल होता था। इसके बाद इलेक्ट्रॉनिक प्रिंटर के जरिए कंप्यूटर से 2024 की मैन्युफैक्चरिंग डेट डालकर एक्सपायरी डेट 2027 या दवाओं की समय सीमा के हिसाब से लिखी जाती थी। अब बड़ा सवाल उठता है कि इतने बड़े पैमाने पर एक्सपायरी दवाएं यहां कैसे पहुंचीं? इसको लेकर हमने मेरठ केमिस्ट एंड ड्रग संगठन के महामंत्री रजनीश कौशल से सवाल किए। पढ़िए बातचीत… रिपोर्टर : मार्केट में किस-किस तरह की दवाएं आती हैं?
इंस्पेक्टर : देखिए, मार्केट में 3 तरह की दवाएं सप्लाई होती हैं। 1- कंपनी की ब्रांडेड। 2- कंपनी की जेनेरिक 3- जेनेरिक दवाएं। सिर्फ मेरठ में 120 से ज्यादा कंपनियों की दवाएं बिक रही हैं। 14-15 कंपनियों के CNF हैं। रिपोर्टर : एक्सपायरी होने वाली दवाओं का क्या होता है?
इंस्पेक्टर : देखिए, नियम ऐसे हैं कि ब्रांडेड दवाओं को कंपनी वापस लेती है। लेकिन, कंपनी की जेनेरिक और जेनेरिक दवाओं को कंपनियां वापस नहीं लेतीं। रिपोर्टर : एक्सपायरी दवाओं का क्या होता है?
इंस्पेक्टर : वह डिस्ट्रीब्यूटर के जरिए वेयरहाउस पर आती हैं। डिस्ट्रीब्यूटर ड्रग डिपार्टमेंट और GST को लेटर भेजकर दवाओं के बारे में बता देता है। इसके बाद वेस्ट मैनेजमेंट कंपनी को दवाएं नष्ट करने के लिए दी जाती हैं। रिपोर्टर : वेस्ट मैनेजमेंट कंपनियों को कैसे चुना जाता है?
इंस्पेक्टर : ये कंपनियां अपने स्तर पर करती हैं, ऑनलाइन कंपनियों को चुना जाता है। इन दवाओं को दोबारा मार्केट में पहुंचाने के लिए मेडिसिन माफिया के स्ट्रैटजी समझिए… कंपनियों के वापस नहीं लेने की पॉलिसी का फायदा उठाया
ड्रग माफिया कंपनियों की एक्सपायरी पॉलिसी का फायदा उठा रहे हैं। कंपनी की जेनेरिक और जेनेरिक दवाएं बनाने वाली कंपनियां वापस नहीं लेती हैं। ऐसे में ड्रग माफिया ने वेस्ट मैनेजमेंट कंपनियों के लोगों को सेट किया। जिन दवाओं को नष्ट कर होना चाहिए था, उन्हें ड्रग माफिया तक पहुंचा दिया गया। इसके बाद वेस्ट यूपी के अलग-अलग ठिकानों पर इन दवाओं को इकट्ठा किया जाता है। इनके रैपर, पैकिंग खराब नहीं होती। मेडिसिन माफिया इन रैपर पर लिखी मैन्युफैक्चरिंग डेट को इलेक्ट्रानिक प्रिंटर से बदल देते हैं। कई रैपर ऐसे मिले हैं, जिनके CNF कोड भी बदले गए हैं। इसके बाद इन दवाओं को दोबारा मार्केट में सप्लाई कर दिया जाता था। ड्रग डिपार्टमेंट के अफसरों के मुताबिक, गांव-देहात में कई अनरजिस्टर्ड डॉक्टर होते हैं। माना जा रहा है कि ये दवाएं उन्हें सप्लाई में दी जाती थीं। जितने बड़े पैमाने पर स्टोरेज मिली है, उससे लग रहा है कि शहर के केमिस्ट स्टोर तक भी ये दवाएं कम कीमत पर सप्लाई की जा रही थीं। हालांकि, अभी कोई नाम सामने नहीं आया है। 2 FIR, जिसमें 4 आरोपी, गिरफ्तारी 1 भी नहीं
पुलिस को इस स्टोरेज से एक डायरी मिली है। इसमें नामों की एक लिस्ट है। ये लोग कौन हैं? इनका नाजिम से क्या कनेक्शन है? इस बारे में पुलिस छानबीन कर रही है। मेरठ के SP देहात राकेश कुमार मिश्रा ने कहा- इस मामले में दो अलग-अलग मुकदमे दर्ज हुए हैं। इनमें नाजिम, उसके पिता कामिल, ताऊ मोबिन और चाचा महताब को आरोपी बनाया गया है। उनकी तलाश में दबिश दी जा रही है। नाजिम की अरेस्टिंग के बाद दवाओं की सप्लाई को लेकर कई सवालों के जवाब मिल सकेंगे। 30 कंपनियों को लेटर भेजा, दवाएं कब-कहां बेची गईं, डिटेल मांगी
ड्रग इंस्पेक्टर पीयूष शर्मा ने कहा- मौके पर 30 कंपनियों की दवाएं मिली हैं। उन कंपनियों को लेटर भेजा गया है। जो दवाएं जारी हुई हैं, उन्हें किस राज्य के किन स्टोर पर बेचा गया, यह पूछा गया है। कंपनी से जवाब का इंतजार किया जा रहा है। हमने ड्रग इंस्पेक्टर से पूछा कि एक्सपायरी डेट का मतलब क्या होता है? इस पर उन्होंने कहा- अगर आप कोई दवा खरीदते हैं, तो उसकी पैकिंग पर आपको दो तारीखें दिखाई देंगी। पहली तारीख मैन्यूफैक्चरिंग की होगी, दूसरी एक्सपायरी की होगी। मैन्यूफैक्चरिंग डेट वह तारीख होती है, जिस दिन उस दवा को बनाया जाता है। एक्सपायरी डेट उस तारीख को कहा जाता है, जिसके बाद दवा निर्माता की दवा की सुरक्षा और असर की गारंटी खत्म हो जाती है। इसके बाद कई दवाओं में रासायनिक बदलाव भी हो जाते हैं। ऐसे में विशेषज्ञ दवाओं को खुले या सीवर में फेंकने को घातक बताते हैं। यह जीव-जंतुओं के साथ-साथ पर्यावरण के लिए भी नुकसानदेह है। अगर कोई बीमार व्यक्ति इन दवाओं को खा रहा है, तो उसकी बॉडी पर क्या असर होगा। इसको लेकर हमने वरिष्ठ फिजीशियन डॉ. तनुराज सिरोही से बात की। उन्होंने कहा- इसका असर बीमार व्यक्ति की ऐज और बीमारी पर डिपेंड करता है। इसको 3 तरह से समझ सकते हैं… ——————————— यह भी पढ़ें : मोदी बोले-हिमाचल, तेलंगाना, कर्नाटक कांग्रेस के शाही परिवार के ATM, चुनाव महाराष्ट्र में है और वसूली इन तीन राज्यों में डबल हो गई है महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने लगातार दूसरे दिन रैली की। उन्होंने शनिवार अकोला में एक बार फिर ‘एक हैं तो सेफ हैं’ का नारा दिया। इससे पहले 8 नवंबर को नासिक और धुले की रैली में भी उन्होंने यह नारा लगाया था। आज अकोला की रैली में PM के निशाने पर एक बार फिर कांग्रेस ही रही। उद्धव ठाकरे और शरद पवार के बारे में एक शब्द नहीं बोला। उन्होंने कहा- जम्मू-कश्मीर विधानसभा में आर्टिकल 370 की वापसी की मांग हो रही है। कांग्रेस और उसके सहयोगी इसका समर्थन करते हैं। पाकिस्तान भी यही चाहता है। पढ़िए पूरी खबर…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर