हरियाणा में कृष्णलाल पंवार के इसराना से विधायक बनने के बाद खाली हुई राज्यसभा की एक सीट के लिए कई दावेदार खड़े हो गए हैं। SC कोटे से खाली हुई इस राज्यसभा सीट के लिए बिश्नोई, जाट, ब्राह्मण और दलित चेहरों ने लॉबिंग शुरू कर दी है। राज्यसभा के लिए पूर्व CM चौधरी भजनलाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई, पूर्व सांसद सुनीता दुग्गल, प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली, पूर्व सांसद संजय भाटिया, भाजपा के दलित नेता सुदेश कटारिया के नाम शामिल हैं। पार्टी के कुछ नेताओं का कहना है कि कृष्ण लाल पंवार SC कोटे से राज्यसभा गए थे। इसलिए उम्मीद जताई जा रही है कि SC कोटे से ही नेता राज्यसभा में भेजा जाएगा। हालांकि, भाजपा अभी चुनाव आयोग की तरफ से चुनाव घोषणा की तारीख का इंतजार कर रही है। कौन नेता क्या दावेदार…. 1. कुलदीप बिश्नोई : पूर्व सीएम चौधरी भजनलाल के बेटे हैं। 2022 में भाजपा में शामिल हुए थे। 3 साल से भाजपा के साथ जुड़े हुए हैं। पूर्व में विधायक और सांसद रह चुके हैं। पत्नी और बेटा भी विधायक रह चुके हैं। प्रदेश में और राजस्थान में बिश्नोई वोटरों पर पकड़ है। भाजपा ने चुनाव में चुनाव कैंपेन समिति का प्रदेश संयोजक बनाया था। बेटे के पास भाजयुमो में पद है। ऐसे में इनके चेहरे पर पार्टी में विचार चल रहा है। 2. सुनीता दुग्गल : पार्टी का बड़ा दलित चेहरा है। सिरसा से 2019 में भाजपा के टिकट से लोकसभा सांसद रह चुकी हैं। दलितों में अच्छी पकड़ मानी जाती है। 2024 में रतिया से विधानसभा चुनाव लड़ीं, लेकिन हार गईं। चूंकि खाली हुई राज्यसभा सीट एससी सीट है, इसलिए सुनीता दुग्गल इस सीट के लिए प्रबल दावेदार मानी जा रही हैं। 3. मोहन लाल बड़ौली : हरियाणा में भाजपा के बड़े ब्राह्मण चेहरे के रूप में पहचान है। इसके अलावा लोकसभा सांसद रह चुके हैं। साथ ही लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव में संगठन और सरकार को साथ लेकर अच्छा काम किया। यही वजह रही कि विधानसभा चुनाव में भाजपा को पूर्ण बहुमत प्राप्त हुआ। हालांकि, लोकसभा चुनाव हारने के बाद भी बड़ौली को विधानसभा टिकट भाजपा की तरफ से ऑफर किया गया था, लेकिन उन्होंने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया। बड़ौली कह चुके हैं कि पार्टी उन्हें जो जिम्मेदारी देगी वह उसे बखूबी निभाएंगे। 4. संजय भाटिया : पंजाबी समुदाय से आते हैं। करनाल लोकसभा सीट से सांसद रह चुके हैं। 2024 में पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के कारण उन्होंने अपनी सीट छोड़ दी थी। इसके तुरंत बाद हुए विधानसभा चुनाव में भी उन्हें टिकट नहीं मिला। हालांकि, वह दोनों चुनावों में संगठन के लिए काम करते रहे। हाल ही में नायब सैनी के शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए आने वाले कार्यक्रम के मुख्य संयोजक की भूमिका भी निभा चुके हैं। लगातार उपेक्षा के बाद भी भाटिया धरातल पर संगठन के लिए काम कर रहे हैं। इसलिए पूरी संभावना है कि उन्हें राज्यसभा की सीट के लिए भाजपा उम्मीदवार बना सकती है। 5. सुदेश कटारिया: हरियाणा विधानसभा चुनाव में दलितों को एकजुट करने में कटारिया ने अहम भूमिका निभाई। लोकसभा चुनाव में दलित वोट के छिटकने के कारण पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर ने अपनी टीम के दलित फेस कटारिया को फील्ड में उतारा था। जिसके बाद उन्होंने सूबे की सभी 22 जिलों में दलित महासम्मेलन भी किए। चुनाव में परिणाम में अच्छे परिणाम भी रहे। इसके बाद यह पूरी संभावना है दलित चेहरे के रूप में कटारिया को राज्यसभा सीट का बीजेपी चेहरा बना दे। ये 2 जाट चेहरे भी ठोक रहे दावा इन 5 नाम के अलावा, 2 बड़े जाट चेहरे भी अपना दावा ठोक राज्यसभा के लिए ठोक रहे हैं। इनमें सबसे पहला नाम भाजपा के राष्ट्रीय सचिव ओपी धनखड़ और पूर्व मंत्री कैप्टन अभिमन्यु का नाम शामिल हैं। हालांकि ये दोनों बड़े जाट चेहरे विधानसभा चुनाव लड़े थे, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इन दोनों की दावेदारी में सबसे बड़ा पेंच यह है कि इसी साल खाली हुई एक राज्यसभा सीट से सुभाष बराला को पार्टी सांसद बना चुकी है। बराला भी जाट कम्युनिटी से आते हैं। इसलिए इन दोनों नेताओं की दावेदारी कमजोर मानी जा रही है। हरियाणा में कृष्णलाल पंवार के इसराना से विधायक बनने के बाद खाली हुई राज्यसभा की एक सीट के लिए कई दावेदार खड़े हो गए हैं। SC कोटे से खाली हुई इस राज्यसभा सीट के लिए बिश्नोई, जाट, ब्राह्मण और दलित चेहरों ने लॉबिंग शुरू कर दी है। राज्यसभा के लिए पूर्व CM चौधरी भजनलाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई, पूर्व सांसद सुनीता दुग्गल, प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली, पूर्व सांसद संजय भाटिया, भाजपा के दलित नेता सुदेश कटारिया के नाम शामिल हैं। पार्टी के कुछ नेताओं का कहना है कि कृष्ण लाल पंवार SC कोटे से राज्यसभा गए थे। इसलिए उम्मीद जताई जा रही है कि SC कोटे से ही नेता राज्यसभा में भेजा जाएगा। हालांकि, भाजपा अभी चुनाव आयोग की तरफ से चुनाव घोषणा की तारीख का इंतजार कर रही है। कौन नेता क्या दावेदार…. 1. कुलदीप बिश्नोई : पूर्व सीएम चौधरी भजनलाल के बेटे हैं। 2022 में भाजपा में शामिल हुए थे। 3 साल से भाजपा के साथ जुड़े हुए हैं। पूर्व में विधायक और सांसद रह चुके हैं। पत्नी और बेटा भी विधायक रह चुके हैं। प्रदेश में और राजस्थान में बिश्नोई वोटरों पर पकड़ है। भाजपा ने चुनाव में चुनाव कैंपेन समिति का प्रदेश संयोजक बनाया था। बेटे के पास भाजयुमो में पद है। ऐसे में इनके चेहरे पर पार्टी में विचार चल रहा है। 2. सुनीता दुग्गल : पार्टी का बड़ा दलित चेहरा है। सिरसा से 2019 में भाजपा के टिकट से लोकसभा सांसद रह चुकी हैं। दलितों में अच्छी पकड़ मानी जाती है। 2024 में रतिया से विधानसभा चुनाव लड़ीं, लेकिन हार गईं। चूंकि खाली हुई राज्यसभा सीट एससी सीट है, इसलिए सुनीता दुग्गल इस सीट के लिए प्रबल दावेदार मानी जा रही हैं। 3. मोहन लाल बड़ौली : हरियाणा में भाजपा के बड़े ब्राह्मण चेहरे के रूप में पहचान है। इसके अलावा लोकसभा सांसद रह चुके हैं। साथ ही लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव में संगठन और सरकार को साथ लेकर अच्छा काम किया। यही वजह रही कि विधानसभा चुनाव में भाजपा को पूर्ण बहुमत प्राप्त हुआ। हालांकि, लोकसभा चुनाव हारने के बाद भी बड़ौली को विधानसभा टिकट भाजपा की तरफ से ऑफर किया गया था, लेकिन उन्होंने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया। बड़ौली कह चुके हैं कि पार्टी उन्हें जो जिम्मेदारी देगी वह उसे बखूबी निभाएंगे। 4. संजय भाटिया : पंजाबी समुदाय से आते हैं। करनाल लोकसभा सीट से सांसद रह चुके हैं। 2024 में पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के कारण उन्होंने अपनी सीट छोड़ दी थी। इसके तुरंत बाद हुए विधानसभा चुनाव में भी उन्हें टिकट नहीं मिला। हालांकि, वह दोनों चुनावों में संगठन के लिए काम करते रहे। हाल ही में नायब सैनी के शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए आने वाले कार्यक्रम के मुख्य संयोजक की भूमिका भी निभा चुके हैं। लगातार उपेक्षा के बाद भी भाटिया धरातल पर संगठन के लिए काम कर रहे हैं। इसलिए पूरी संभावना है कि उन्हें राज्यसभा की सीट के लिए भाजपा उम्मीदवार बना सकती है। 5. सुदेश कटारिया: हरियाणा विधानसभा चुनाव में दलितों को एकजुट करने में कटारिया ने अहम भूमिका निभाई। लोकसभा चुनाव में दलित वोट के छिटकने के कारण पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर ने अपनी टीम के दलित फेस कटारिया को फील्ड में उतारा था। जिसके बाद उन्होंने सूबे की सभी 22 जिलों में दलित महासम्मेलन भी किए। चुनाव में परिणाम में अच्छे परिणाम भी रहे। इसके बाद यह पूरी संभावना है दलित चेहरे के रूप में कटारिया को राज्यसभा सीट का बीजेपी चेहरा बना दे। ये 2 जाट चेहरे भी ठोक रहे दावा इन 5 नाम के अलावा, 2 बड़े जाट चेहरे भी अपना दावा ठोक राज्यसभा के लिए ठोक रहे हैं। इनमें सबसे पहला नाम भाजपा के राष्ट्रीय सचिव ओपी धनखड़ और पूर्व मंत्री कैप्टन अभिमन्यु का नाम शामिल हैं। हालांकि ये दोनों बड़े जाट चेहरे विधानसभा चुनाव लड़े थे, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इन दोनों की दावेदारी में सबसे बड़ा पेंच यह है कि इसी साल खाली हुई एक राज्यसभा सीट से सुभाष बराला को पार्टी सांसद बना चुकी है। बराला भी जाट कम्युनिटी से आते हैं। इसलिए इन दोनों नेताओं की दावेदारी कमजोर मानी जा रही है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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हरियाणा में SC आरक्षण को लेकर BJP ने बनाई कमेटी:ब्लॉक लेवल पर करेंगी काम; कटारिया बोले- गोहाना-मिर्चपुर कांड भूले नहीं अभी लोग हरियाणा के विभिन्न संगठनों के नेताओं ने गुरुवार को दावा किया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा एससी आरक्षण वर्गीकरण को लेकर दिए गए फैसले के तहत आरक्षित बची हुई सीटें सामान्य वर्ग में नहीं जाएंगी। केंद्र व हरियाणा सरकार ने दलितों के इस संशय को दूर कर दिया है कि आरक्षित सीटों पर एससी वर्ग की ही भर्तियां होंगी, बीच हुई सीटें बैकलॉग में जाएंगी, एससी सीटों पर सामान्य वर्ग के हिस्से में नहीं दिया जाएगा। आरक्षण को लेकर पिछले काफी दिनों से फैलाए जा रहे भ्रम पर दलित वर्ग का संशय दूर होते ही, भ्रम फैलाने वाले विपक्ष को जवाब देने के लिए एससी समाज ने चंडीगढ़ में एकता की हुंकार भरी। चंडीगढ़ में आयोजित प्रेसवार्ता में प्रदेशभर से दलित संगठनों, सभाओं व समाज के प्रबुद्ध लोगों ने आरोप लगाया कि विपक्ष की ओर से भ्रम फैलाया जा रहा था कि एससी वर्ग की आरक्षित सीटों पर सामान्य वर्ग की भर्तियां होगी, जिससे दलित वर्ग को नुकसान पहुंचेगा। क्रीमीलेयर लागू करने का छोड़ा शिगुफा भाजपा नेता सुदेश कटारिया ने कहा कि क्रीमिलेयर लागू करने का शगूफा भी विपक्ष ओर से छोड़ा गया है, जिससे दलित समाज भ्रमित हो गया। मगर केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल के साथ हरियाणा सरकार ने स्पष्ट किया कि एससी आरक्षण वर्गीकरण के साथ किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं होगी। आरक्षित सीटों पर एससी वर्ग के ही भर्ती होगी, यदि सीटें बच जाती हैं तो उन पर सामान्य वर्ग नहीं, बल्कि बैकलॉग में भेजा जाएगा, ताकि बैकलॉग के हिसाब से उन्हें भरा जाए। ब्लाक लेवल पर गठित की कमेटियां भाजपा नेता सुदेश कटारिया ने कहा कि विपक्ष की ओर से फैलाये जा रहे भ्रम का जवाब देने के लिए जिला व ब्लाक स्तर पर टीमें गठित की गई हैं, जोकि फील्ड में उतरकर न केवल विपक्ष के भ्रम का जवाब देगा, बल्कि भाजपा की हैट्रिक लगाने में भी सहयोग करेगा। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार द्वारा स्पष्ट किया गया है कि एससी आरक्षण् वर्गीकरण के तहत कोई योग्य उम्मीदवार वंचित अनुसूचित जाति से नहीं मिलता है तो उस स्थिति में अन्य अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों में से उस पद के लिए चयन किया जाएगा। एससी वर्ग को 20 प्रतिशत आरक्षण पहले की तरह मिलता रहेगा। आरक्षित बची हुई सीटें किसी भी सूरत में सामान्य वर्ग में नहीं जाएंगी। मनोहर ने पदोन्नति में दिया आरक्षण भाजपा नेता सुदेश कटारिया ने कहा कि हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री एवं वर्तमान में केंद्रीय ऊर्जा, आवास एवं शहरी विकास मंत्री मनोहर लाल ने दलितों का उत्थान किया। 1966 से लेकर 2014 तक कितनी सरकारें बनी, सभी ने दलितों को वोटबैंक के तौर पर इस्तेमाल किया और पूर्व की कांग्रेस सरकार में दलितों ने सबसे ज्यादा अत्याचार सहे। गोहाना-मिर्चपुर कांड का भी आया जिक्र गोहाना व मिर्चपुर कांड को दलित अभी तक भूले नहीं हैं, मगर जब 2014 में मनोहर लाल ने प्रदेश की कमान संभाली तो उन्होंने दलित वर्ग की सबसे बड़ी मांग पदोन्नति में आरक्षण को लागू किया। इसके साथ ही उन्होंने एससी कमीशमन व सफाई आयोग का गठन किया। सबसे बड़ा काम उन्होंने मेरिट के आधार पर नौकरियां देने का किया, जिसमें दलित वर्ग का पढ़ा लिखा होनहार युवा क्लर्क से लेकर एचसीएस भर्ती हुआ। ये लोग रहे मौजूद प्रेस कॉन्फ्रेंस में रविदास सभा प्रधान पलवल जोगेंद्र सिंह, जिला प्रमुख महेंद्रगढ़ डॉ. राकेश कुमार, अंबेडकर सभा पानीपत प्रधान राकेश कुमार, अंबेडकर सभा तावड़ू से कुलदीप सरपंच, एससी एसोसिएशन बिलासपुर प्रधान कर्मचंद सरपंच, रविदास सभा हिसार सरवर भानखुड़, अंबेडकर सभा अंबाला जसविंद्र, रविदास सभा करनाल पवन कुमार, अंबेडकर सभा रेवाड़ी प्रधान दारा सिंह दौलतपुरिया, गरमित, राजेश सरपंच, रेणू बाला, अनिल कुमार, कुलदीप सिंह, बलदेव सिंगवाल, राजकुमार रंगा, जगबीर, संजय कटारिया, बलजोर सिंह, कुलदीप कुरुक्षेत्र, अनुज, सुरजीत मैडल फतेहाबाद व पंकज कुमार प्रमुख से मौजूद रहे।
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