हिमाचल हाईकोर्ट द्वारा छह मुख्य संसदीय सचिव (CPS) की नियुक्ति रद्द करने के बाद अब सबकी नजरें कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के अगले मूव पर है। कांग्रेस सरकार स्पष्ट कर चुकी है कि हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी। मगर बीजेपी ने अभी पत्ते नहीं खोले। मगर कानूनी पहलुओं पर विचार करने में जरूर जुट गई है। सूत्र बताते हैं कि बीजेपी जल्द राज्यपाल से मिलकर CPS बनाए गए छह विधायकों की सदस्यता खत्म करने की मांग कर सकती हैं। राज्यपाल के माध्यम से सदस्यता रद्द करने के लिए इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया को लिखा जा सकता है। अब तक CPS बनाए गए इन विधायकों को हिमाचल संसदीय सचिव (नियुक्ति, वेतन, भत्ते, शक्तियां, विशेषाधिकार और सुविधाएं) एक्ट, 2006 की प्रोटेक्शन मिली हुई थी। मगर बीते कल हाईकोर्ट ने इस एक्ट को ही गैर कानूनी व असंवैधानिक करार दिया है। ऐसे में भाजपा, CPS को ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का पद बताते हुए सदस्यता रद्द करने की मांग कर सकती है। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि सीपीएस के पद पर नियुक्त किए गए सभी विधानसभा सदस्यों की सदस्यता भी रद्द की जानी चाहिए। बीजेपी के एडवोकेट ने दिए संकेत हाईकोर्ट में बीजेपी विधायकों की ओर से इस केस की पैरवी करने वाले एडवोकेट वीर बहादुर ने इसके संकेत दे दिए हैं। उन्होंने कहा कि बीजेपी की लीगल टीम सभी पहलुओं पर विचार कर रही है। इस स्टेज पर इससे ज्यादा कुछ नहीं कहा ज सकता। कांग्रेस सरकार सुप्रीम कोर्ट जाएंगी वहीं कांग्रेस सरकार हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने के दावे कर रही है। हिमाचल के एडवोकेट जनरल अनूप रतन ने कहा कि सरकार से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने के आदेश मिल गए है। जल्द हाईकोर्ट के आदेशों को शीर्ष अदालत में चुनौती दी जाएगी। उन्होंने कहा कि हिमाचल हाईकोर्ट ने बिमलोंशू राय बनाम आसाम के केस को आधार बनाते हुए फैसला सुनाया है, जबकि हिमाचल और आसाम का CPS एक्ट अलग था। राज्य सरकार ने इसे लेकर अदालत में दलीलें दी। मगर जजमेंट के वक्त उन दलीलों का ज्यादा ध्यान में नहीं रखा गया। किसी भी लाभ के पद पर नहीं बैठ सकता कोई भी विधायक दरअसल, कोई भी विधायक लाभ के पद पर नहीं बैठ सकता है। मगर हाईकोर्ट के आदेशानुसार, सीपीएस बनाए गए छह विधायक मंत्री के समान सुख-सुविधाएं ले रहे थे। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कांग्रेस के 6 विधायकों को CPS बनाया था। जिसके बाद कल्पना नाम की एक महिला के अलावा BJP के 11 विधायकों और पीपल फॉर रिस्पॉन्सिबल गवर्नेंस संस्था ने CPS की नियुक्ति को असंवैधानिक बताते हुए हिमाचल हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। लगभग डेढ़ साल तक यह मामला कोर्ट में चला। अब जाकर हाईकोर्ट का फैसला आया है। यह सुक्खू सरकार के झटका माना जा रहा है। सरकार ने इन्हें लगा रखा था CPS जिन 6 विधायकों को सरकार ने CPS बनाया था, उनमें रोहड़ू के MLA एमएल ब्राक्टा, कुल्लू के सुंदर सिंह ठाकुर, अर्की के संजय अवस्थी, पालमपुर के आशीष बुटेल, दून के राम कुमार चौधरी और बैजनाथ के विधायक किशोरी लाल शामिल हैं। मंत्रियों की लिमिट तय, इसलिए विधायकों का एडजस्टमेंट भारतीय संविधान के अनुच्छेद-164 में किए गए संशोधन के मुताबिक किसी राज्य में उसके विधायकों की कुल संख्या के 15% से अधिक मंत्री नहीं हो सकते हैं। हिमाचल मे 68 MLA हैं, इसलिए यहां अधिकतम 12 मंत्री ही बन सकते हैं। भाजपा का आरोप है कि जो विधायक मंत्री नहीं बन पाए, उन्हें एडजस्ट करने के लिए CPS नियुक्त कर सरकारी खजाने पर अतिरिक्त बोझ डाला गया। 2. हर महीने 2.20 लाख रुपए वेतन-भत्ते याचिका में आरोप लगाया कि CPS बनाए गए सभी 6 कांग्रेसी विधायक लाभ के पदों पर तैनात हैं। इन्हें हर महीने 2 लाख 20 हजार रुपए वेतन और भत्ते के रूप में मिलते हैं। ये विधायक राज्य के मंत्रियों के बराबर वेतन और अन्य सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं। हिमाचल हाईकोर्ट द्वारा छह मुख्य संसदीय सचिव (CPS) की नियुक्ति रद्द करने के बाद अब सबकी नजरें कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के अगले मूव पर है। कांग्रेस सरकार स्पष्ट कर चुकी है कि हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी। मगर बीजेपी ने अभी पत्ते नहीं खोले। मगर कानूनी पहलुओं पर विचार करने में जरूर जुट गई है। सूत्र बताते हैं कि बीजेपी जल्द राज्यपाल से मिलकर CPS बनाए गए छह विधायकों की सदस्यता खत्म करने की मांग कर सकती हैं। राज्यपाल के माध्यम से सदस्यता रद्द करने के लिए इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया को लिखा जा सकता है। अब तक CPS बनाए गए इन विधायकों को हिमाचल संसदीय सचिव (नियुक्ति, वेतन, भत्ते, शक्तियां, विशेषाधिकार और सुविधाएं) एक्ट, 2006 की प्रोटेक्शन मिली हुई थी। मगर बीते कल हाईकोर्ट ने इस एक्ट को ही गैर कानूनी व असंवैधानिक करार दिया है। ऐसे में भाजपा, CPS को ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का पद बताते हुए सदस्यता रद्द करने की मांग कर सकती है। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि सीपीएस के पद पर नियुक्त किए गए सभी विधानसभा सदस्यों की सदस्यता भी रद्द की जानी चाहिए। बीजेपी के एडवोकेट ने दिए संकेत हाईकोर्ट में बीजेपी विधायकों की ओर से इस केस की पैरवी करने वाले एडवोकेट वीर बहादुर ने इसके संकेत दे दिए हैं। उन्होंने कहा कि बीजेपी की लीगल टीम सभी पहलुओं पर विचार कर रही है। इस स्टेज पर इससे ज्यादा कुछ नहीं कहा ज सकता। कांग्रेस सरकार सुप्रीम कोर्ट जाएंगी वहीं कांग्रेस सरकार हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने के दावे कर रही है। हिमाचल के एडवोकेट जनरल अनूप रतन ने कहा कि सरकार से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने के आदेश मिल गए है। जल्द हाईकोर्ट के आदेशों को शीर्ष अदालत में चुनौती दी जाएगी। उन्होंने कहा कि हिमाचल हाईकोर्ट ने बिमलोंशू राय बनाम आसाम के केस को आधार बनाते हुए फैसला सुनाया है, जबकि हिमाचल और आसाम का CPS एक्ट अलग था। राज्य सरकार ने इसे लेकर अदालत में दलीलें दी। मगर जजमेंट के वक्त उन दलीलों का ज्यादा ध्यान में नहीं रखा गया। किसी भी लाभ के पद पर नहीं बैठ सकता कोई भी विधायक दरअसल, कोई भी विधायक लाभ के पद पर नहीं बैठ सकता है। मगर हाईकोर्ट के आदेशानुसार, सीपीएस बनाए गए छह विधायक मंत्री के समान सुख-सुविधाएं ले रहे थे। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कांग्रेस के 6 विधायकों को CPS बनाया था। जिसके बाद कल्पना नाम की एक महिला के अलावा BJP के 11 विधायकों और पीपल फॉर रिस्पॉन्सिबल गवर्नेंस संस्था ने CPS की नियुक्ति को असंवैधानिक बताते हुए हिमाचल हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। लगभग डेढ़ साल तक यह मामला कोर्ट में चला। अब जाकर हाईकोर्ट का फैसला आया है। यह सुक्खू सरकार के झटका माना जा रहा है। सरकार ने इन्हें लगा रखा था CPS जिन 6 विधायकों को सरकार ने CPS बनाया था, उनमें रोहड़ू के MLA एमएल ब्राक्टा, कुल्लू के सुंदर सिंह ठाकुर, अर्की के संजय अवस्थी, पालमपुर के आशीष बुटेल, दून के राम कुमार चौधरी और बैजनाथ के विधायक किशोरी लाल शामिल हैं। मंत्रियों की लिमिट तय, इसलिए विधायकों का एडजस्टमेंट भारतीय संविधान के अनुच्छेद-164 में किए गए संशोधन के मुताबिक किसी राज्य में उसके विधायकों की कुल संख्या के 15% से अधिक मंत्री नहीं हो सकते हैं। हिमाचल मे 68 MLA हैं, इसलिए यहां अधिकतम 12 मंत्री ही बन सकते हैं। भाजपा का आरोप है कि जो विधायक मंत्री नहीं बन पाए, उन्हें एडजस्ट करने के लिए CPS नियुक्त कर सरकारी खजाने पर अतिरिक्त बोझ डाला गया। 2. हर महीने 2.20 लाख रुपए वेतन-भत्ते याचिका में आरोप लगाया कि CPS बनाए गए सभी 6 कांग्रेसी विधायक लाभ के पदों पर तैनात हैं। इन्हें हर महीने 2 लाख 20 हजार रुपए वेतन और भत्ते के रूप में मिलते हैं। ये विधायक राज्य के मंत्रियों के बराबर वेतन और अन्य सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं। हिमाचल | दैनिक भास्कर
Related Posts
पंजाब में 10 लोग बाढ़ में बहे, 9 की मौत:हिमाचल से इनोवा में आ रहे थे; एक को रेस्क्यू किया, 1 अब भी लापता
पंजाब में 10 लोग बाढ़ में बहे, 9 की मौत:हिमाचल से इनोवा में आ रहे थे; एक को रेस्क्यू किया, 1 अब भी लापता पंजाब के होशियारपुर जिले में रविवार को भारी बरसात के चलते नाले में आए उफान में एक इनोवा गाड़ी बह गई। गाड़ी में ड्राइवर समेत कुल 11 लोग सवार थे। इनमें से 10 लोग बह गए, जिनमें से 9 की मौत हो गई, जबकि एक लापता है। एक व्यक्ति को रेस्क्यू कर लिया गया। मरने वालों में ज्यादातर एक ही परिवार के मेंबर थे। हादसे का शिकार हुए लोग हिमाचल प्रदेश में ऊना जिले के देहलां गांव और भटोली के बताए जा रहे हैं। यह सभी शादी में भाग लेने के लिए पंजाब के नवांशहर जा रहे थे। हादसे के बाद मौके पर पहुंचे पुलिसवालों ने स्थानीय लोगों की मदद से 9 डेडबॉडी बरामद कर ऊना सिविल अस्पताल भिजवा दी। सुरक्षित बचाए गए व्यक्ति को भी ऊना अस्पताल में भर्ती कराया गया है। पुलिस ने बताया कि जो दो लोग लापता हैं, उनकी तलाश जारी है। नाले में आई बाढ़ के PHOTOS… शादी में शामिल होने जा रहा था परिवार
हिमाचल में देहलां गांव के सुरजीत भाटिया और उनके छोटे भाई सरूप चंद भाटिया का परिवार कुछ रिश्तेदारों के साथ रविवार सुबह एक शादी-समारोह में शामिल होने के लिए इनोवा गाड़ी में पंजाब के नवांशहर के लिए रवाना हुआ। गाड़ी में ड्राइवर के अलावा 10 सदस्य सवार थे। जब वह पंजाब और हिमाचल के बॉर्डर एरिया पर बसे महरोवाल गांव पहुंचे तो इलाके में लगातार हो रही बरसात के चलते वहां बहने वाला जैजो नाला उफान पर था। बरसात के बीच नाले को पार करते समय गाड़ी पानी के तेज बहाव में बह गई। गाड़ी के गेट खुल जाने से बह गए लोग
होशियारपुर के SSP सुरेंद्र लांबा ने बताया है कि सुबह से हो रही भारी बरसात की वजह से जैजो नाले में बाढ़ आ गई थी। इसी बाढ़ में गाड़ी फंस गई और बह गई। हादसे की जानकारी मिलते ही लोगों ने JCB मंगवाकर रेस्क्यू शुरू किया और पुलिस को सूचना दी। इस दौरान कार में फंसे एक व्यक्ति को बचा लिया गया। बाकी लोग गाड़ी के दरवाजे खुल जाने से बह गए। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि गाड़ी के गेट अपने आप खुल गए थे या उसमें फंसे लोगों ने बचने के लिए दरवाजे खोले थे। मारे गए लोग दो भाइयों के परिवार से
इस हादसे में 55 वर्षीय सुरजीत भाटिया, उनकी पत्नी परमजीत कौर (50), छोटे भाई सरूप चंद भाटिया (49) और उनकी पत्नी बिंदर कौर (47) की मौत हो गई। जान गंवाने वालों में भटोली गांव के अमरीक सिंह की पत्नी सुरजीत उर्फ शन्नो, 20 वर्षीय बेटी अंजू, 18 वर्षीय बेटी भावना और 12 वर्षीय बेटे हर्षित का नाम भी बताया जा रहा है। मरने वाले नौवें शख्स की पहचान बिन्दा पुत्र हुकमचंद के रूप में हुई जो इनोवा गाड़ी का ड्राइवर था। वहीं, सुरजीत कुमार के बेटे दीपक कुमार को रेस्क्यू कर लिया गया है। NDRF ने तलाशी शुरू की
होशियारपुर के SSP सुरेंद्र लांबा के मुताबिक, स्थानीय लोगों से सूचना मिलते ही पुलिस टीम मौके पर पहुंच गई। इसके बाद NDRF टीम बुलाकर नाले में बहे लोगों की तलाश शुरू की गई। पानी के तेज बहाव के चलते रेस्क्यू में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। कई घंटे की मशक्कत के बाद स्थानीय लोगों की मदद से 9 लोगों की डेडबॉडी रिकवर कर ली गई। एक शख्स की तलाश जारी है। पंजाब सरकार देगी 4 लाख रुपए
हादसे पर पंजाब के CM भगवंत मान ने दुख व्यक्त किया। साथ ही उन्होंने पीड़ित परिवारों को 4 लाख रुपए की आर्थिक सहायता देने का ऐलान किया। उन्होंने लिखा, ‘लगातार हो रही बारिश के कारण पहाड़ों से बरसाती नालों और नदियों में काफी पानी आ रहा है। मेरी अपील है कि थोड़ी सावधानी बरतें और प्रशासन के निर्देशों का पालन करें। AAP सांसद पहुंचे मौके पर
हादसे की जानकारी मिलते ही होशियारपुर से आम आदमी पार्टी (AAP) के लोकसभा सांसद डॉ. राजकुमार चब्बेवाल भी मौके पर पहुंच गए। उन्होंने मारे गए परिवार के प्रति संवेदना जताई और पुलिस-प्रशासन को जल्द से जल्द लापता लोगों की तलाश के निर्देश दिए। डॉ. चब्बेवाल ने कहा कि जैजो नाले में जिस जगह ये हादसा हुआ, पंजाब सरकार प्रयास करेगी कि वहां फिर ऐसी कोई घटना न हो। इसके लिए जो भी व्यवस्था करने की जरूरत होगी, पंजाब सरकार प्राथमिकता के आधार पर उसे करवाएगी। गांव में छाया मातम
उधर इस हादसे की जानकारी जैसे ही देहलां गांव पहुंची, वहां मातम छा गया। गांववालों को यकीन ही नहीं हो रहा था कि कुछ समय पहले जो परिवार हंसी-खुशी के साथ बारात में शामिल होने के लिए रवाना हुआ था, वह अब इस दुनिया में नहीं रहा। हादसे में जान गंवाने वाले लोगों की डेडबॉडी ऊना सिविल अस्पताल में पोस्टमार्टम वगैरह के बाद देहलां गांव लाई जाएगी। इन सभी का संस्कार गांव में ही किया जाएगा। अग्निहोत्री बोले- हिमाचल सरकार ने मौके पर भेजे अफसर
हिमाचल प्रदेश के डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ने हादसे पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि इस घटना की जानकारी मिलते ही हिमाचल सरकार ने अपने अफसरों को मौके पर भेज दिया है। सर्च और बचाव अभियान लगातार जारी है। सरकार की कोशिश है कि लापता शख्स को जल्द से जल्द ढूंढ लिया जाए।
हमीरपुर में 14 लाख रुपए की ठगी:शेयर मार्किट में मोटा मुनाफा कमाने का दिया झांसा, नहीं लौटाए जा रहे पैसे
हमीरपुर में 14 लाख रुपए की ठगी:शेयर मार्किट में मोटा मुनाफा कमाने का दिया झांसा, नहीं लौटाए जा रहे पैसे फेक आईडी बनाकर लोगों को ऑनलाइन इंवेस्टमेंट के नाम पर ठगी करने का सिलसिला थम नहीं रहा। हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर के एक व्यक्ति से शेयर मार्किट में पैसा लगाने और मोटा मुनाफा कमाने के नाम पर 14 लाख से ज्यादा रुपयों की ठगी कर ली गई। पीड़ित ने आरोपियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराकर पैसा वापस दिलाए जाने की मांग की है। जानकारी के अनुसार हमीरपुर के वार्ड नंबर एक कृष्णा नगर निवासी शम्मी ठाकुर पुत्र सुरेश ठाकुर एक अज्ञात व्यक्ति द्वारा ऑनलाइन माध्यम से शेयर मार्किट में मोटा मुनाफा कमाए जाने का झांसा दिया गया। जिस पर शम्मी ने 14,33000 रुपए लगा दिए। उसे इस बात का एहसास नहीं हुआ कि उसके साथ ऑनलाइन ठगी हुई है। इस बारे में उसे बाद में पता चला कि जो पैसा लगाया है वह फेक आईडी से लोगों को लालच में फंसा कर उनसे पैसा ऐंठ रही है। फिलहाल पुलिस ने शम्मी ठाकुर की शिकायत पर अज्ञात लोगों के खिलाफ धारा 420 के तहत मामला दर्ज कर छानबीन शुरू कर दी है। बिना सोचे समझे पैसे ना लगाएं ASP राजेश कुमार ने बताया कि किसी भी आईडी पर बिना सोचे समझे पैसा न लगाएं। उन्होंने कहा कि फेक आईडी बनाकर सैकड़ों वेबसाइट लोगों को लूट रही हैं, इसलिए अपने पैसे को सही जगह इंवेस्ट करें। कोई इंवेस्टमेंट करने से पहले पूरी तरह से जांच पड़ताल भी कर लेनी चाहिए।
मंडी के पराशर में ऋषि पंचमी मेला शुरू:रात्रि को होगा जागहोम; अंगारों के बीच गुर करेंगे दैवीय शक्ति का प्रदर्शन
मंडी के पराशर में ऋषि पंचमी मेला शुरू:रात्रि को होगा जागहोम; अंगारों के बीच गुर करेंगे दैवीय शक्ति का प्रदर्शन मंडी के विख्यात पर्यटन एवं धार्मिक स्थल पराशर ऋषि मंदिर में ऋषि पंचमी के अवसर पर दो दिवसीय मेला रविवार को धूमधाम से शुरू हो गया। मेले में शामिल होने के लिए स्नोर घाटी के आराध्य देव वरनाग ऋषि और देव गणपति भटवाड़ी भी लाव लश्कर सहित निकल पड़े हैं। जबकि देवता पराशर ऋषि का खारा मुख्य मंदिर बांधी से पराशर के लिए निकल चुका है। सभी देवता दोपहर बाद पराशर घाटी पहुंचेंगे। जहां भव्य देव मिलन होगा। इसके बाद विधिवत रूप से मेले की शुरुआत होगी। ऋषि पंचमी के शुभ अवसर पर तीनों देवता पवित्र पराशर झील की परिक्रमा करते हुए डुबकी लगाएंगे। रात्रि में होगा जागहोम का आयोजन रात्रि को मंदिर में जागहोम का आयोजन होगा। जहां देव वरनाग ऋषि और गणपति के गुर आग के दहकते अंगारों के बीच देवखेल करते हुए दैवीय शक्ति का प्रदर्शन करेंगे। साथ ही क्षेत्र की सुख, समृद्धि और खुशहाली को लेकर रक्षा कवच भी बांधेंगे। श्रद्धालुओं के लिए प्रशासन ने चलाई दो बसें रात्रि जागरण को लेकर स्नोर, बदार और उत्तरशाल के साथ-साथ कुल्लू जिले से हजारों श्रद्धालु भी यहां पहुंचेंगे। जिला प्रशासन द्वारा श्रद्धालुओं को यातायात सुविधा को लेकर निगम की दो बसें यहां आज चलाई गई हैं। सोमवार को देवी-देवताओं की रवानगी के साथ ही मेला संपन्न होगा। आराध्य देव पराशर ऋषि के भंडारी अमर चंद, देव वरनाग के गुर नितिन ठाकुर और देव गणपति के गुर ईश्वर दास जागहोम में मुख्य भूमिका निभाएंगे। यह है ऋषि पराशर मंदिर का इतिहास.. देवभूमि हिमाचल सदियों से ऋषि-मुनियों की तपोस्थली रही है। ऋषि-मुनियों की तपस्या के कारण ही यहां कई धार्मिक स्थल हैं। इनमें से एक तपोस्थल मंडी में ऋषि पराशर का भी है। जिसे अब पराशर के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि ऋषि पराशर अपने अध्यात्म के लिए उचित स्थान तलाश रहे थे। पहले उन्होंने ब्यास नदी के तट पर भ्यूली नामक स्थान पर तपस्या करनी चाही, लेकिन स्थान उपयुक्त नहीं होने से वे स्थान छोड़ गांव नसलोह पहुंचे। वहां के शांत वातावरण में तपस्या करनी चाही, लेकिन वहां भी उनकी तपस्या में विघ्न पड़ने से ऋषि वहां से उठकर आगे चल पड़े। कहा जाता है कि जहां ऋषि तपस्या करने बैठते, पहले वहां पानी निकालते थे। नसलोह गांव से निकलकर ऋषि उस स्थान पर पहुंचे, जिसे अब पराशर कहते हैं। जहां ऋषि ने एक स्थान पर बैठ कर अपना चिमटा मारा, वहां जमीन से पानी निकला, धीरे-धीरे वह पानी बढ़ता गया और झील का रूप धारण कर लिया। इसी तपस्या स्थल पर बाद में मंदिर निर्माण किया गया। मंदिर बनाने में लगे 12 वर्ष जनश्रुति अनुसार पराशर ऋषि मंदिर को बनाने में 12 वर्ष लगे हैं। यह मंदिर देवदार के एक विशाल वृक्ष से ही तैयार हुआ है। यह मंदिर तीन मंजिला है और पैगोड़ा शैली में बना है। पराशर मंदिर और झील समुद्र तल से 9,000 फीट की ऊंचाई पर हैं। यह स्थान मंडी से 48 किलोमीटर दूर है। पराशर ऋषि का दूसरा मुख्य मंदिर बांधी में स्थित है।