झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई सरकारी मेडिकल कॉलेज में स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट (SNCU) में शुक्रवार रात भीषण आग लग गई। हादसे में 10 बच्चों की मौत हो गई। पोस्टमॉर्टम के बाद 7 नवजात बच्चों का शव परिजनों को सौंप दिया गया। 3 बच्चों की शिनाख्त अभी नहीं हो पाई है। एक बच्चे की हालत गंभीर है। 20 घंटे से लापता 8 बच्चों में से 7 मिल गए हैं। अब केवल एक बच्चा ऐसा है, जिसकी सूचना नहीं मिल पाई है। बच्चों को बचाने वाले युवक ने कहा- आग लगी तो डॉक्टर भागने लगे। मैंने 4-5 बच्चों को बचाया। अब मीडिया में बयान देने पर अस्पताल प्रशासन से धमकी मिल रही है। कहा जा रहा है कि तुम ऐसे कैसे बयान दे रहे हो। झांसी जिला प्रशासन ने 10 बच्चों के शवों की फोटो जारी की। कहा- ज्यादा मौतों की बात गलत है। हादसा रात करीब साढ़े 10 बजे हुआ। ऑक्सीजन कंसंट्रेटर में स्पार्किंग के चलते आग लगी, फिर धमाका हो गया। पूरे वार्ड में आग फैल गई। वार्ड बॉय ने आग बुझाने के लिए अग्निशमन यंत्र (फायर एक्सटिंग्विशर) चलाया, मगर वह 4 साल पहले ही एक्सपायर हो चुका था, इसलिए काम नहीं किया। सूचना पर फायर ब्रिगेड की 6 गाड़ियां पहुंचीं। खिड़की तोड़कर पानी की बाैछारें मारीं। भीषण आग को देखते हुए सेना को बुलाया गया। करीब 2 घंटे में आग पर काबू पाया गया। वार्ड की खिड़की तोड़कर 39 बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाला गया। हादसे से जुड़े वीडियो सामने आए हैं। इसमें दिख रहा है कि एक तरफ हॉस्पिटल में चीख-पुकार मची हुई थी। दूसरी तरफ, डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक के पहुंचने से पहले सड़क की सफाई कर चूना डाला जा रहा है। हालांकि, मामला सुर्खियों में आने के बाद डिप्टी सीएम ने वीडियो जारी कर बयान दिया। कहा- उन्होंने डीएम से उन लोगों पर एक्शन लेने के लिए कहा है, जिन्होंने चूना छिड़कवाया था। इधर, हादसे के बाद CM योगी ने हाईलेवल मीटिंग की। उन्होंने कमिश्नर और DIG को 12 घंटे के अंदर रिपोर्ट देने के आदेश दिए। सुबह 5 बजे झांसी पहुंचे डिप्टी CM ब्रजेश पाठक ने कहा- हादसे की 3 जांच होगी। पहली- स्वास्थ्य विभाग करेगा। दूसरी- पुलिस करेगी। तीसरी- मजिस्ट्रेट से जांच कराई जाएगी। अगर कोई चूक पाई जाती है, तो जिम्मेदारों पर कड़ी कार्रवाई करेंगे। झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई सरकारी मेडिकल कॉलेज में स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट (SNCU) में शुक्रवार रात भीषण आग लग गई। हादसे में 10 बच्चों की मौत हो गई। पोस्टमॉर्टम के बाद 7 नवजात बच्चों का शव परिजनों को सौंप दिया गया। 3 बच्चों की शिनाख्त अभी नहीं हो पाई है। एक बच्चे की हालत गंभीर है। 20 घंटे से लापता 8 बच्चों में से 7 मिल गए हैं। अब केवल एक बच्चा ऐसा है, जिसकी सूचना नहीं मिल पाई है। बच्चों को बचाने वाले युवक ने कहा- आग लगी तो डॉक्टर भागने लगे। मैंने 4-5 बच्चों को बचाया। अब मीडिया में बयान देने पर अस्पताल प्रशासन से धमकी मिल रही है। कहा जा रहा है कि तुम ऐसे कैसे बयान दे रहे हो। झांसी जिला प्रशासन ने 10 बच्चों के शवों की फोटो जारी की। कहा- ज्यादा मौतों की बात गलत है। हादसा रात करीब साढ़े 10 बजे हुआ। ऑक्सीजन कंसंट्रेटर में स्पार्किंग के चलते आग लगी, फिर धमाका हो गया। पूरे वार्ड में आग फैल गई। वार्ड बॉय ने आग बुझाने के लिए अग्निशमन यंत्र (फायर एक्सटिंग्विशर) चलाया, मगर वह 4 साल पहले ही एक्सपायर हो चुका था, इसलिए काम नहीं किया। सूचना पर फायर ब्रिगेड की 6 गाड़ियां पहुंचीं। खिड़की तोड़कर पानी की बाैछारें मारीं। भीषण आग को देखते हुए सेना को बुलाया गया। करीब 2 घंटे में आग पर काबू पाया गया। वार्ड की खिड़की तोड़कर 39 बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाला गया। हादसे से जुड़े वीडियो सामने आए हैं। इसमें दिख रहा है कि एक तरफ हॉस्पिटल में चीख-पुकार मची हुई थी। दूसरी तरफ, डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक के पहुंचने से पहले सड़क की सफाई कर चूना डाला जा रहा है। हालांकि, मामला सुर्खियों में आने के बाद डिप्टी सीएम ने वीडियो जारी कर बयान दिया। कहा- उन्होंने डीएम से उन लोगों पर एक्शन लेने के लिए कहा है, जिन्होंने चूना छिड़कवाया था। इधर, हादसे के बाद CM योगी ने हाईलेवल मीटिंग की। उन्होंने कमिश्नर और DIG को 12 घंटे के अंदर रिपोर्ट देने के आदेश दिए। सुबह 5 बजे झांसी पहुंचे डिप्टी CM ब्रजेश पाठक ने कहा- हादसे की 3 जांच होगी। पहली- स्वास्थ्य विभाग करेगा। दूसरी- पुलिस करेगी। तीसरी- मजिस्ट्रेट से जांच कराई जाएगी। अगर कोई चूक पाई जाती है, तो जिम्मेदारों पर कड़ी कार्रवाई करेंगे। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
Related Posts
सोनीपत में तहसील में चोरी की बिजली से हादसा:सरकारी कर्मियों ने जलघर में लगाया कनेक्शन; भैंस की मौत, 2 ग्रामीणों को लगा करंट
सोनीपत में तहसील में चोरी की बिजली से हादसा:सरकारी कर्मियों ने जलघर में लगाया कनेक्शन; भैंस की मौत, 2 ग्रामीणों को लगा करंट हरियाणा के सोनीपत में प्रशासनिक अधिकारियों व कर्मियों की लापरवाही से बड़ा हादसा हो गया। खानपुर कलां तहसील कार्यालय में अवैध तौर पर लगाई गई बिजली की तार की चपेट में आने से एक भैंस (झोटी) की मौत हो गई। भैंस को बचाते समय दो व्यक्तियों को भी करंट लगा। घटना के बाद प्रशासन में हड़कंप मच गया। ग्रामीणों ने तहसीलदार व स्टाफ को कार्यालय से बाहर नहीं निकलने दिया। सूचना के गोहाना के SDM, बिजली निगम के अधिकारी मौके पर पहुंचे। ग्रामीणों ने रोष जताया। मामला सरकारी दफ्तर में बिजली चोरी का है और इसकी लीपापोती के प्रयास हाे रहे हैं। बिजली निगम ने जांच की बात कही है, वहीं एसडीएम विवेक आर्य ने कुछ भी बोलने से मना कर दिया। जानकारी के अनुसार खानपुर कलां में कई दिन पहले आंधी के बाद से बिजली सप्लाई बंद है। खानपुर कलां में कई गांवों में पेयजल सप्लाई के लिए जलघर बना है। यहां 24 घंटे बिजली सप्लाई मिल रही है। इसी को देखते हुए खानपुर तहसील कार्यालय के कर्मियों ने अवैध तौर से जलघर में बिजली के खंभे पर अपना तार लगा दिया। कई दिनों से चोरी की बिजली से ही सरकारी दफ्तर रोशन हो रहा था। जानकारी के मुताबिक के जल घर के सामने ही पशुओं के पानी का जोहड़ बनाया गया है। शाम के समय जैसे ही भैंस पानी पीकर जोहड़ से बाहर निकली तो जल घर के सामने जोड़ी गई तहसील के अवैध बिजली कनेक्शन की नंगी तार की चपेट में आ गई। भैंस को करंट से मरता देख वहां मौजूद दो व्यक्ति उसे बचाने के लिए आए तो उनको भी करंट लग गया। एक को ग्रामीणों ने तुरंत खानपुर मेडिकल कॉलेज पहुंचाया। भैंस की मौके पर ही मौत हो गई। खानपुर कलां निवासी भैंस मालिक राजेंद्र ने बताया कि बिजली की तार में कट होने के कारण यह हादसा हुआ है। बिजली का तार जमीन पर खुला ही छोड़ दिया गया था। भैंस इसकी चपेट में आ गई। पशु डॉक्टर राममेहर ने कहा कि बिजली के करंट से भैंस की मौत हुई है। दूसरी तरफ ग्रामीणों में वारदात को लेकर रोष है। ग्रामीणों ने कहा कि आम आदमी अगर बिजली चोरी करते हुए पकड़ा जाता है, तो उसे पर जुर्माना लगाया जाता है। लेकिन यहां सरकारी कार्यालय के लोग ही बिजली चोरी कर रहे हैं। उन पर किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं होती। एक लापरवाही के चलते ही उनकी भैंस की मौत हुई है। सरकार भैंस का मुआवजा दे। वारदात के बाद ग्रामीणों ने तहसील के स्टाफ काे दफ्तर में ही बंधक बना लिया। तहसीलदार व अन्य को बाहर ही नहीं निकलने दिया। सूचना के बाद पुलिस मौके पर पहुंची। ग्रामीणों को समझाने का प्रयास किया, लेकिन वे नहीं माने। रोष को देखते हुए गोहाना के एसडीएम विवेक आर्य, बिजली एसडीओ कपिल यादव मौके पर पहुंचे। बिजली निगम के एसडीओ कपिल यादव ने कहा मामले में जांच की जाएगी। जांच के बाद जो भी तथ्य सामने आएंगे, उसी के आधार पर कार्रवाई की जाएगीद। वहीं बिजली कनेक्शन, बिजली चोरी को लेकर भी जांच की जाएगी।
हिमाचल में चौथी-पांचवीं की 4 छात्राओं से छेड़छाड़:51 वर्षीय हेड टीचर गिरफ्तार, 2023 से कर रहा था वारदात, कल कोर्ट में पेशी
हिमाचल में चौथी-पांचवीं की 4 छात्राओं से छेड़छाड़:51 वर्षीय हेड टीचर गिरफ्तार, 2023 से कर रहा था वारदात, कल कोर्ट में पेशी हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के जोगेंद्रनगर क्षेत्र के एक सरकारी प्राइमरी स्कूल की 4 छात्राओं ने टीचर पर छेड़छाड़ के आरोप लगाए हैं। मामला सामने आने के बाद पुलिस ने स्कूल के मुख्य शिक्षक को हिरासत में ले लिया है। इसकी पुष्टि SHO जोगेंद्रनगर अश्वनी ने की है। पुलिस ने नाबालिग छात्राओं की शिकायत पर मामला दर्ज कर आगामी कार्रवाई शुरू कर दी है। छात्राओं से छेड़छाड़ के आरोप 51 वर्षीय के हेड टीचर हरीश पर लगे हैं, जो कि लड़भड़ोल क्षेत्र का रहने वाला बताया जा रहा है। हरीश शिक्षक दिसंबर 2021 से स्कूल में तैनात है। साल 2023 से नाबालिग छात्राओं के साथ छेड़छाड़ को अंजाम दे रहा था। चौथी-पांचवीं की छात्राओं से छेड़छाड़ जिन छात्राओं से छेड़छाड़ की गई, वह चौथी व पांचवीं कक्षा में पढ़ाई करती है। इसकी शिकायत चाइल्ड हेल्पलाइन 1098 नंबर पर की गई। इसके बाद जिला बाल संरक्षण विभाग ने स्कूल पहुंचकर छात्राओं के बयान लिए। इसके बाद मामला पुलिस को दिया गया। पुलिस ने मामला दर्ज कर शुक्रवार शाम के वक्त आरोपी टीचर को गिरफ्तार कर दिया है। कल कोर्ट में पेश कर रिमांड की करेंगे मांग SHO जोगेंद्रनगर अश्वनी ने बताया कि छात्राओं के बयान कलमबद्ध करने के बाद आरोपी को गिरफ्तार कर दिया गया है। इस मामले में आगामी कार्रवाई की जा रही है। आरोपी को कल कोर्ट में पेश कर रिमांड की मांग की जाएगी।
यादों के झरोखे से विधानसभा चुनाव:उम्मीदवार लोगों को बताता- वोट कैसे डाला जाता है, चुनावी प्रचार में लोग गाड़ी को देखने जाते थे
यादों के झरोखे से विधानसभा चुनाव:उम्मीदवार लोगों को बताता- वोट कैसे डाला जाता है, चुनावी प्रचार में लोग गाड़ी को देखने जाते थे एक समय था, जब लोग नेताओं के चुनावी प्रचार में उनके भाषण सुनने नहीं, उनकी गाड़ी को देखने जाते थे। कच्ची सड़कों पर धूल उड़ती थी, फिर भी बच्चे गाड़ियों के पीछे पर्चे उठाने के लिए भागते थे और लोग सड़कों के किनारे कतार लगाकर खड़े होते थे। हरियाणा में जब पहली बार चुनाव हुआ तो माहौल में इतना चकाचौंध नहीं था, सोशल मीडिया और इंटरनेट का जमाना भी नहीं था, उस वक्त चुनावी प्रचार करने में नेताओं के पसीने छूट जाया करते थे। एक गांव से दूसरे गांव पैदल चलकर जाना, घर-घर वोट मांगना, अपनी पहचान और पार्टी का नाम बताना और लोगों को वोट के महत्त्व के बारे में समझाना आज के समय से कहीं ज्यादा मुश्किल हुआ करता था। 1967 में हुआ था पहला विधानसभा चुनाव हरियाणा में कुछ ही दिनों बाद 15वां विधानसभा का चुनाव होने वाला है, सभी पार्टियां जोर आजमाइश कर रही हैं, किसकी हार होगी और किसकी जीत? यह तो तय नहीं है, मगर ये जरूर तय है कि सत्ता की कुर्सी किसी एक को ही मिलेगी। चुनाव जीतने के लिए सभी पार्टियां करोड़ों रुपए खर्च कर रही हैं, मगर एक वक्त था जब नेताओं के पास अपनी गाड़ी भी नहीं होती थी। उस वक्त चुनावी प्रचार के लिए नेता पैदल या साइकिल से जाते थे। उस दौर में लाउड स्पीकर/साउंड का जमाना नहीं था, इतने शोर-शराबे भी नहीं होते थे। ये बात उस समय की है जब देश अंग्रेजों के चंगुल से नया-नया आजाद हुआ था और पहली बार चुनाव हुआ। वो साल था 1951-52 का, लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ ही हुए थे। तब हरियाणा और पंजाब एक ही राज्य हुआ करते थे। जब हरियाणा कटकर अलग हुआ तो 1967 में विधानसभा का पहला चुनाव हुआ। नेताओं के काफिले में बैलगाड़ी होती थी पलवल जिले के न्यू कॉलोनी में रहने वाले 92 वर्षीय तीर्थ दास रहेजा बताते हैं कि “पहले के समय में लोकसभा चुनाव को बड़ी वोट और विधानसभा की चुनाव को छोटी वोट बोला जाता था। आज के समय में उम्मीदवार पैसे को पानी की तरह बहाते हैं, लेकिन एक वक्त था जब उम्मीदवार पैदल-पैदल चलकर ही शहरों व गांवों में वोट मांगने जाया करते थे। उस समय सादगी पूर्ण तरीके से चुनाव प्रचार होता था। वो ऐसा वक्त था जब उम्मीदवार के पास न तो गाड़ी थी, न प्रचार के लिए माइक थे। गांवों में जाने के लिए पक्की सड़कें भी नहीं थी। प्रचार के लिए साधन के रूप में केवल साइकिल का इस्तेमाल होता था या फिर प्रत्याशी को पैदल ही जाना पड़ता था। आज के समय में नेताओं की रैली में हजारों लग्जरी गाड़ियों का काफिला निकलता है, पर उस समय रैली के नाम पर नेताओं के काफिले में बैलगाड़ी और तांगे चला करते थे। उसमें भी अधिकांश प्रत्याशी ऐसे होते, जो ये सुविधाएं भी नहीं जुटा पाते थे।” सोशल मीडिया और इंटरनेट का नहीं था जमाना तीर्थ दास बताते हैं, उस समय की भी अपनी कहानी है। आज के दौर में सोशल मीडिया और इंटरनेट का जमाना है, लोग घर बैठे नेताओं के भाषण सुन लेते हैं, क्षण-क्षण बदलते उनके बयान सुन लेते हैं, टीवी और इंटरनेट पर छपे विज्ञापनों में नेताओं का प्रचार देख लेते हैं। मगर उस दौर में प्रत्याशी को अपनी पहचान बताने के लिए घर-घर जाना पड़ता था, एक-एक व्यक्ति से मिलना पड़ता था। हां मगर उस समय आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला नहीं था, नेता उल्टी-सीधी बयानबाजी भी नहीं करते थे। आज के समय में सोशल मीडिया पर केवल एक पोस्ट वायरल हो जाने से रातों-रात नेताओं की छवि बदल जाती है, जिसका सीधा असर चुनावी नतीजे पर पड़ता है पर उस दौर में ऐसा कुछ भी नहीं होता था। वैलेट पेपर पर डाले जाते थे वोट तीर्थ दास पुरानी यादों के बारे में बताते हुए उस दौर का जिक्र करते हैं, जब देश में पहली बार लोकसभा और विधानसभा का चुनाव हुआ था। एक समस्या ये भी थी, कितने लोगों को पता ही नहीं था कि वोट कैसे डाला जाता है, उस टाइम ईवीएम मशीन प्रचलन में नहीं था, वैलेट पेपर पर वोट डाले जाते थे। कितने वोट तो गलत तरीके से डालने के कारण रद्द हो जाते थे। प्रत्याशी चुनावी प्रचार के दौरान वैलेट पेपर का एक नमुना अपने साथ ले जाते और उसे दिखाकर लोगों को वोट डालने के तरीके के बारे में भी समझाते थे। उस समय प्रत्याशी जब चुनाव प्रचार के लिए किसी गांव में पहुंचता तो लोग उसे देखने के लिए इकट्ठे हो जाते थे। तब शहर और गांवों को जोड़ने के लिए कच्चे रास्ते होते थे, पक्की सड़कें या गाड़ी तो थी ही नहीं। उस समय के चुनावों में प्रचार का जिम्मा प्रत्याशी के गांव के लोग, रिश्तेदार व सगे- संबंधी खुद संभालते थे और पैदल-पैदल गांवों में जाकर सादगी के साथ वोट मांगा करते थे। 1967 से 2024 तक चुनावी सफर उस समय चुनावी प्रचार में न तो बैंडबाजे होते थे, न ही लाउड स्पीकर, न जातिवाद न संप्रदायवाद केवल विकास ही मुद्दा होता था। उन्होंने बताया कि 1966 में जब हरियाणा बना तो चुनाव प्रचार में कुछ बदलाव आया। माइक व प्रचार में एक-दो अंबेसडर गाड़ी आ चुकी थी। चुनाव प्रचार के लिए जब गाड़ी गांव में पहुंचती थी तो लोग चुनाव प्रचार को कम, गाड़ी को देखने के लिए ज्यादा एकत्रित होते थे। लेकिन उस समय भी कच्चे रास्ते होते थे, गाड़ी जब निकलती थी तो धूल उड़ती थी, लेकिन उसके बाद भी बच्चे पर्चे लेने के लिए गाड़ी के पीछे काफी दूर तक दौड़ा करते थे। आज के समय में बहुत कुछ बदल गया है, चुनावी प्रचार के तरीके बदल गए, वोट मांगने तरीकों में भी बदलाव आ गया और मुद्दे भी बदल गए। मगर आज भी हरियाणा के कई पिछड़े गांव विकास की राह निहार रहे हैं। जो पक्की सड़क, बेहतर शिक्षा और चिकित्सा व्यवस्था से आज भी अछूते हैं। कौन हैं तीर्थ दास रहेजा? न्यू कॉलोनी पलवल निवासी तीर्थ दास रहेजा की उम्र 92 साल है। उनका जन्म 25 अक्टूबर 1932 को जिला डेरा गाजिखान तहसील जामपुर के नौसरा बैस्ट गांव में हुआ था। जो अब पाकिस्तान में पड़ता है। आठवीं तक की पढ़ाई भी उन्होंने पाकिस्तान के नौसरा बैस्ट गांव में ही की थी। उसके बाद अक्टूबर 1947 को जब हिन्दुस्तान-पाकिस्तान का बंटवारा हुआ तो वे जालंधर आ गए। पंजाब में जालंधर से प्रशासनिक अधिकारियों ने उन्हें अप्रैल 1948 को पलवल भेज दिया। पलवल में आकर उन्होंने 1952 में दसवीं पास किया और 1953 में करनाल से जेबीटी की। उस समय हरियाणा, पंजाब व हिमाचल एक थे और करनाल में ही जेबीटी केंद्र था। सितंबर 1953 में मेवात के नंदरायपुर बास स्कूल में वे जेबीटी अध्यापक नियुक्त हुए और 31 अक्टूबर 1990 में सेवानिवृत हो गए।