फिल्म अभिनेत्री दिशा पाटनी के पिता जगदीश सिंह पाटनी बरेली शहर से मेयर बनना चाहते थे। यूपी पुलिस से रिटायर होने के बाद राजनीति में आना उनका सपना था। इस बीच कुछ ऐसे लोग कॉन्टैक्ट में आ गए, जो टिकट दिलाने के नाम पर लाइजनिंग करते थे। उनके चंगुल में फंसकर जगदीश पाटनी ने 25 लाख रुपए गंवा दिए। एहसास तब हुआ, जब फ्रॉड गैंग की डिमांड बढ़ती गई। उन्हें न मेयर का टिकट मिला, न आयोग में कोई पद मिला। बरेली पुलिस ने इस केस में FIR दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। इस कहानी में कुल 5 किरदार हैं, जिन्होंने अभिनेत्री के पिता को ठगा। इनमें प्रमुख नाम जूना अखाड़ा के आचार्य का है। दूसरा बरेली का लाइनजर है, जिसकी अफसरों से लेकर राजनीतिक हलकों तक दखलअंदाजी रहती है। तीसरा कथित OSD है, जो अक्सर देहरादून में सचिवालय के इर्द-गिर्द घूमता दिखता है। दो और किरदारों के बारे में पुलिस पता कर रही है। इस पूरे केस की शुरुआत कैसे हुई? पुलिस की अब तक की जांच में क्या निकला? यह सब जानने के लिए ‘दैनिक भास्कर’ ग्राउंड जीरो पर पहुंचा। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… सबसे पहले पूरा मामला समझिए राजनीति या सरकारी महकमे में पद दिलाने का दिया झांसा
बरेली में सिविल लाइन में रहने वाले जगदीश पाटनी ने 15 नवंबर को शहर कोतवाली में 5 लोगों शिवेंद्र प्रताप सिंह, दिवाकर गर्ग, आचार्य जयप्रकाश गुरुजी, OSD हिमांशु के खिलाफ FIR दर्ज कराई। इसमें उन्होंने लिखवाया- करीब 6 महीने पहले शिवेंद्र प्रताप सिंह ने मेरा दिवाकर गर्ग और जयप्रकाश गुरुजी से संपर्क कराया। मुझे भरोसा दिलाया गया कि हम लोग अपने राजनीतिक संपर्क और पहुंच के बल पर आपको राजनीति में कोई सम्मानित पद या फिर किसी सरकारी महकमे में अध्यक्ष/उपाध्यक्ष का पद दिला देंगे। हर इंसान की समाज में कोई प्रतिष्ठित पद का सम्मान पाने की महत्वाकांक्षा होती है। शिवेंद्र प्रताप सिंह पहले से मेरे परिचित और बरेली में पड़ोसी थे। उनके कहने पर मैंने हाथों-हाथ उन्हें 5 लाख रुपए दे दिए। कुछ समय बाद उन्होंने मेरी मुलाकात लखनऊ में हिमांशु से कराई, जिसे OSD बताया गया। इसके बाद मैंने कई तारीखों में 20 लाख रुपए और दे दिए। 3 महीने में काम पूरा न होने पर 10 फीसदी ब्याज के साथ रकम लौटाने की बात कही गई। 6 महीने बाद न तो काम हुआ और न मेरा पैसा लौटाया गया। बाद में मुझे पता चला कि इन लोगों का एक रैकेट है, जो इसी तरह लोगों को भ्रमित करके ठगता है। जगदीश पाटनी बोले- मेरे साथ विश्वासघात हुआ
हम फिल्म अभिनेत्री दिशा पाटनी के पिता जगदीश सिंह पाटनी के घर पहुंचे। सिविल लाइन इलाके में 300 गज में उनकी तीन मंजिला कोठी है। बड़ी मुश्किल से दूसरी बार प्रयास करने पर वो हमसे बात करने को तैयार हुए। वो हमें घर के एक कमरे में ले गए, जहां दीवार पर उनकी कई तस्वीरें लगी थीं। जगदीश सिंह पाटनी ने बताया- मुझे जो कुछ कहना था, वो मैं FIR में लिखवा चुका हूं। इसे फ्रॉड कहना गलत होगा। वास्तव में तो मेरे साथ विश्वासघात हुआ है। इस मुकदमे के मुख्य आरोपी शिवेंद्र प्रताप सिंह को मैं पहले से जानता हूं, क्योंकि उसका घर बरेली में है। उसी पर मैंने भरोसा किया और कई बार में 25 लाख रुपए दिए। मैं यूपी पुलिस में अफसर रहा हूं। सीओ पद से रिटायर हुआ हूं। लोग कहेंगे कि पुलिस अफसर होने के बावजूद मैं झांसे में कैसे आ गया? इसलिए कह रहा हूं कि मेरे साथ विश्वासघात हुआ। मुझे उम्मीद नहीं थी कि वो लोग ऐसा भी कर सकते हैं। मुझे तो इस बात का अहसास तब हुआ, जब उन लोगों ने मेरे फोन उठाने बंद कर दिए। बाद में वो सारे मोबाइल नंबर बंद हो गए, जिन पर मेरी अक्सर बातचीत होती रहती थी। इसके बाद ही मैंने FIR कराई है। मैंने पूरा भरोसा शिवेंद्र प्रताप पर किया। बाकी के 4 लोगों को मैं जानता ही नहीं हूं। अब जानते हैं जगदीश पाटनी की सरकारी नौकरी से पॉलिटिक्स में एंट्री की हसरत की पूरी कहानी… कई संगठनों से जुड़े हैं जगदीश पाटनी
जगदीश सिंह पाटनी करीब 2 साल पहले तक पावर कॉर्पोरेशन की विजिलेंस शाखा के DSP रहे। वो बरेली जोन से रिटायर हो गए। इससे पहले वो पुलिस लाइन के प्रतिसार निरीक्षक (RI) रहे। उनकी ज्यादातर तैनाती बरेली जोन के जनपदों में ही रही। रिटायर होने के बाद पूरी तरह से समाजसेवा में उतर गए। उन्होंने गूंज एकता सेवा समिति बनाई। इसके वो प्रदेश अध्यक्ष हैं। इसके अलावा भाजपा से जुड़े संगठन भारतीय श्रमिक कामगार कर्मचारी महासंघ के प्रदेश उपाध्यक्ष भी रहे हैं। बेटी दिशा पाटनी की वजह से अक्सर लोग तमाम सामाजिक कार्यक्रमों में जगदीश पाटनी को बुलाते रहे हैं। उन्हें कई दलों से ऑफर मिले, लेकिन टिकट भाजपा या सपा से चाहते थे। इस बीच जगदीश पाटनी के मन में बरेली से मेयर का चुनाव लड़ने का विचार आया। उन्होंने अपने कई करीबियों से इसकी चर्चा की। साल, 2022 में दिवाली से पहले ही जगदीश पाटनी ने बरेली में तमाम जगहों पर त्योहारों के शुभकामना संदेश वाले होर्डिंग लगवा दिए। इससे पूरे शहर में ये बात फैल गई कि वो चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। क्योंकि, साल 2023 में मेयर का चुनाव होने वाला था। इसी बीच, जगदीश पाटनी को कई छोटे-छोटे दलों से मेयर प्रत्याशी बनाने के लिए ऑफर आने लगे। एक बातचीत में जगदीश पाटनी ने ये बात स्वीकारी भी। लेकिन, उनका मन था कि वो भाजपा या सपा से मेयर का चुनाव लड़ें। इसी दौरान उनका संपर्क शिवेंद्र प्रताप सिंह से हुआ, जो बरेली का रहने वाला था। शिवेंद्र ने ही उनको बताया कि उसके उत्तराखंड के जूना अखाड़ा में कॉन्टेक्ट हैं। जूना अखाड़ा की सरकार में अच्छी-खासी चलती है, इसलिए टिकट आराम से मिल जाएगा। ऐसे बंद होते गए मेयर टिकट के दरवाजे
भाजपा ने 2023 के मेयर चुनाव में मौजूदा मेयर डा. उमेश गौतम को ही लगातार दूसरी बार प्रत्याशी बना दिया। ऐसे में जगदीश पाटनी के लिए भाजपा का टिकट पाने के दरवाजे बंद हो गए। इधर, सपा में दो प्रमुख दावेदारों डॉक्टर आईएस तोमर और संजीव सक्सेना के बीच आखिरी दौर तक युद्ध चलता रहा। यहां विवाद की स्थिति देख सपा ने बैकडोर से आईएस तोमर को समर्थन तो दिया, लेकिन चुनाव चिह्न नहीं। ऐसी स्थिति में जगदीश पाटनी के भाजपा और सपा से चुनाव लड़ने के ख्वाब अधूरे रह गए। फिर उन्होंने कांग्रेस से टिकट पाने के लिए जुगाड़ लगाई, लेकिन यहां भी उनकी दाल नहीं गली। टिकट नहीं मिला, तो आयोग में दर्जा प्राप्त मंत्री पद का लगाया जुगाड़
कुल मिलाकर उन्हें किसी भी बड़ी राजनीतिक पार्टी से टिकट नहीं मिल सका। बाद में जगदीश पाटनी मेयर के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी डॉक्टर उमेश गौतम का ही प्रचार करते नजर आए। जिन लोगों ने टिकट दिलाने के 25 लाख रुपए ले रखे थे, उन्होंने फिर जगदीश पाटनी को ये भरोसा दिया कि उत्तराखंड सरकार के किसी भी आयोग में दर्जा प्राप्त मंत्री जैसा कोई पद दिला देंगे। चूंकि रुपए फंस चुके थे, इसलिए जगदीश पाटनी इस बात पर सहमत हो गए। लेकिन, यहां भी कुछ नहीं हुआ। सिर्फ आश्वासन और तारीख पर तारीख मिलती रहीं। जब तक उन्हें अपने साथ फ्रॉड का पता चला, इस कहानी के सारे किरदार लापता हो चुके थे। उनके मोबाइल नंबर भी बंद हो चुके थे। जांच करने वाले दरोगा को डेंगू, पांच दिन की छुट्टी पर
इस केस का स्टेटस जानने के लिए हम शहर कोतवाली पहुंचे। यहां इंस्पेक्टर दिनेश चंद्र शर्मा मिले। उन्होंने बताया- शिकायतकर्ता ने ये एप्लिकेशन उच्चाधिकारियों को दी थी। उन्हीं के आदेश पर मुकदमा दर्ज किया गया है। मुकदमे की जांच एक सब-इंस्पेक्टर को दे दी गई है, लेकिन डेंगू होने की वजह से वो पांच दिन की छुट्टी पर चले गए हैं। जब लौटेंगे, तब पूरा मामला समझकर जांच शुरू करेंगे। इस तरह के मामलों की जांच-पड़ताल में दो-तीन महीने भी लग जाते हैं। इसलिए फिलहाल इस केस में कुछ भी कह पाना मुश्किल है। हमने बरेली के SP सिटी मानुष पारीक से बात की। उन्होंने बताया- सेवानिवृत्त सीओ जगदीश सिंह पाटनी ने एक शिकायत दी है। इसमें 5 लोगों पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया है। मुकदमा दर्ज किया गया है। आगे की कार्रवाई साक्ष्यों के आधार पर की जाएगी। एक अन्य पुलिस अधिकारी ने बताया- अभी सबसे पहले FIR में नामजद हुए आरोपियों के सही नाम-पतों की जानकारी करनी होगी। अभी तो ये भी साफ नहीं है कि जिस शख्स ने जूना अखाड़ा में आचार्य बताया है, वो वास्तव में अखाड़ा में हैं भी या नहीं। इसी तरह बाकी आरोपियों की भी जानकारी करनी होगी। इसके बाद बैंक अकाउंट्स का मिलान करना होगा। रिटायर DSP से भी ये पता किया जाएगा कि उन्होंने 25 लाख रुपए का इंतजाम किस तरह और कहां-कहां से किया? बरेली में जन्मी हैं अभिनेत्री दिशा पाटनी जगदीश सिंह पाटनी की बेटी दिशा पाटनी अभिनेत्री हैं, जो मुख्य रूप से हिंदी फिल्मों में काम करती हैं। उन्होंने अपने अभिनय करियर की शुरुआत तेलुगू फिल्म लोफर (साल, 2015) से की, जो वरुण तेज के साथ थी। स्पोर्ट्स बायोपिक ‘एमएस धोनी: द अनटोल्ड स्टोरी’ (2016) से अपना बॉलीवुड डेब्यू करने के बाद उन्होंने चीनी एक्शन कॉमेडी कुंग फू योगा (2017) में अभिनय किया। ये अब तक की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली चीनी फिल्मों में से एक है। उन्होंने बागी-2 (2018), भारत (2019) और कल्कि 2898 एडी में भी काम किया। दिशा पाटनी के माता-पिता मूलत: उत्तराखंड के रहने वाले हैं, लेकिन दिशा का जन्म यूपी के बरेली में हुआ। ——————– ये भी पढ़ें… अभिनेत्री दिशा पाटनी के पिता से 25 लाख की ठगी, बरेली में जूना अखाड़े के आचार्य ने सरकारी आयोग में अध्यक्ष बनवाने का लालच दिया बॉलीवुड अभिनेत्री दिशा पाटनी के पिता और रिटायर्ड पुलिस अधिकारी जगदीश पाटनी से 25 लाख की ठगी हो गई। सरकार में उच्च पद और आयोग में अध्यक्ष-उपाध्यक्ष बनवाने के नाम पर उनसे रुपए लिए गए। मामले में जूना अखाडे़ के आचार्य समेत 5 लोगों पर मुकदमा दर्ज किया गया है। जगदीश पाटनी को 3 महीने में काम पूरा न होने पर रुपए ब्याज समेत लौटाने का वादा किया गया था। लेकिन, 6 महीने बाद भी कुछ ना हो सका। जगदीश पाटनी को ना तो कोई पद मिला और न ही रकम वापस की गई। पढ़ें पूरी खबर… फिल्म अभिनेत्री दिशा पाटनी के पिता जगदीश सिंह पाटनी बरेली शहर से मेयर बनना चाहते थे। यूपी पुलिस से रिटायर होने के बाद राजनीति में आना उनका सपना था। इस बीच कुछ ऐसे लोग कॉन्टैक्ट में आ गए, जो टिकट दिलाने के नाम पर लाइजनिंग करते थे। उनके चंगुल में फंसकर जगदीश पाटनी ने 25 लाख रुपए गंवा दिए। एहसास तब हुआ, जब फ्रॉड गैंग की डिमांड बढ़ती गई। उन्हें न मेयर का टिकट मिला, न आयोग में कोई पद मिला। बरेली पुलिस ने इस केस में FIR दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। इस कहानी में कुल 5 किरदार हैं, जिन्होंने अभिनेत्री के पिता को ठगा। इनमें प्रमुख नाम जूना अखाड़ा के आचार्य का है। दूसरा बरेली का लाइनजर है, जिसकी अफसरों से लेकर राजनीतिक हलकों तक दखलअंदाजी रहती है। तीसरा कथित OSD है, जो अक्सर देहरादून में सचिवालय के इर्द-गिर्द घूमता दिखता है। दो और किरदारों के बारे में पुलिस पता कर रही है। इस पूरे केस की शुरुआत कैसे हुई? पुलिस की अब तक की जांच में क्या निकला? यह सब जानने के लिए ‘दैनिक भास्कर’ ग्राउंड जीरो पर पहुंचा। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… सबसे पहले पूरा मामला समझिए राजनीति या सरकारी महकमे में पद दिलाने का दिया झांसा
बरेली में सिविल लाइन में रहने वाले जगदीश पाटनी ने 15 नवंबर को शहर कोतवाली में 5 लोगों शिवेंद्र प्रताप सिंह, दिवाकर गर्ग, आचार्य जयप्रकाश गुरुजी, OSD हिमांशु के खिलाफ FIR दर्ज कराई। इसमें उन्होंने लिखवाया- करीब 6 महीने पहले शिवेंद्र प्रताप सिंह ने मेरा दिवाकर गर्ग और जयप्रकाश गुरुजी से संपर्क कराया। मुझे भरोसा दिलाया गया कि हम लोग अपने राजनीतिक संपर्क और पहुंच के बल पर आपको राजनीति में कोई सम्मानित पद या फिर किसी सरकारी महकमे में अध्यक्ष/उपाध्यक्ष का पद दिला देंगे। हर इंसान की समाज में कोई प्रतिष्ठित पद का सम्मान पाने की महत्वाकांक्षा होती है। शिवेंद्र प्रताप सिंह पहले से मेरे परिचित और बरेली में पड़ोसी थे। उनके कहने पर मैंने हाथों-हाथ उन्हें 5 लाख रुपए दे दिए। कुछ समय बाद उन्होंने मेरी मुलाकात लखनऊ में हिमांशु से कराई, जिसे OSD बताया गया। इसके बाद मैंने कई तारीखों में 20 लाख रुपए और दे दिए। 3 महीने में काम पूरा न होने पर 10 फीसदी ब्याज के साथ रकम लौटाने की बात कही गई। 6 महीने बाद न तो काम हुआ और न मेरा पैसा लौटाया गया। बाद में मुझे पता चला कि इन लोगों का एक रैकेट है, जो इसी तरह लोगों को भ्रमित करके ठगता है। जगदीश पाटनी बोले- मेरे साथ विश्वासघात हुआ
हम फिल्म अभिनेत्री दिशा पाटनी के पिता जगदीश सिंह पाटनी के घर पहुंचे। सिविल लाइन इलाके में 300 गज में उनकी तीन मंजिला कोठी है। बड़ी मुश्किल से दूसरी बार प्रयास करने पर वो हमसे बात करने को तैयार हुए। वो हमें घर के एक कमरे में ले गए, जहां दीवार पर उनकी कई तस्वीरें लगी थीं। जगदीश सिंह पाटनी ने बताया- मुझे जो कुछ कहना था, वो मैं FIR में लिखवा चुका हूं। इसे फ्रॉड कहना गलत होगा। वास्तव में तो मेरे साथ विश्वासघात हुआ है। इस मुकदमे के मुख्य आरोपी शिवेंद्र प्रताप सिंह को मैं पहले से जानता हूं, क्योंकि उसका घर बरेली में है। उसी पर मैंने भरोसा किया और कई बार में 25 लाख रुपए दिए। मैं यूपी पुलिस में अफसर रहा हूं। सीओ पद से रिटायर हुआ हूं। लोग कहेंगे कि पुलिस अफसर होने के बावजूद मैं झांसे में कैसे आ गया? इसलिए कह रहा हूं कि मेरे साथ विश्वासघात हुआ। मुझे उम्मीद नहीं थी कि वो लोग ऐसा भी कर सकते हैं। मुझे तो इस बात का अहसास तब हुआ, जब उन लोगों ने मेरे फोन उठाने बंद कर दिए। बाद में वो सारे मोबाइल नंबर बंद हो गए, जिन पर मेरी अक्सर बातचीत होती रहती थी। इसके बाद ही मैंने FIR कराई है। मैंने पूरा भरोसा शिवेंद्र प्रताप पर किया। बाकी के 4 लोगों को मैं जानता ही नहीं हूं। अब जानते हैं जगदीश पाटनी की सरकारी नौकरी से पॉलिटिक्स में एंट्री की हसरत की पूरी कहानी… कई संगठनों से जुड़े हैं जगदीश पाटनी
जगदीश सिंह पाटनी करीब 2 साल पहले तक पावर कॉर्पोरेशन की विजिलेंस शाखा के DSP रहे। वो बरेली जोन से रिटायर हो गए। इससे पहले वो पुलिस लाइन के प्रतिसार निरीक्षक (RI) रहे। उनकी ज्यादातर तैनाती बरेली जोन के जनपदों में ही रही। रिटायर होने के बाद पूरी तरह से समाजसेवा में उतर गए। उन्होंने गूंज एकता सेवा समिति बनाई। इसके वो प्रदेश अध्यक्ष हैं। इसके अलावा भाजपा से जुड़े संगठन भारतीय श्रमिक कामगार कर्मचारी महासंघ के प्रदेश उपाध्यक्ष भी रहे हैं। बेटी दिशा पाटनी की वजह से अक्सर लोग तमाम सामाजिक कार्यक्रमों में जगदीश पाटनी को बुलाते रहे हैं। उन्हें कई दलों से ऑफर मिले, लेकिन टिकट भाजपा या सपा से चाहते थे। इस बीच जगदीश पाटनी के मन में बरेली से मेयर का चुनाव लड़ने का विचार आया। उन्होंने अपने कई करीबियों से इसकी चर्चा की। साल, 2022 में दिवाली से पहले ही जगदीश पाटनी ने बरेली में तमाम जगहों पर त्योहारों के शुभकामना संदेश वाले होर्डिंग लगवा दिए। इससे पूरे शहर में ये बात फैल गई कि वो चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। क्योंकि, साल 2023 में मेयर का चुनाव होने वाला था। इसी बीच, जगदीश पाटनी को कई छोटे-छोटे दलों से मेयर प्रत्याशी बनाने के लिए ऑफर आने लगे। एक बातचीत में जगदीश पाटनी ने ये बात स्वीकारी भी। लेकिन, उनका मन था कि वो भाजपा या सपा से मेयर का चुनाव लड़ें। इसी दौरान उनका संपर्क शिवेंद्र प्रताप सिंह से हुआ, जो बरेली का रहने वाला था। शिवेंद्र ने ही उनको बताया कि उसके उत्तराखंड के जूना अखाड़ा में कॉन्टेक्ट हैं। जूना अखाड़ा की सरकार में अच्छी-खासी चलती है, इसलिए टिकट आराम से मिल जाएगा। ऐसे बंद होते गए मेयर टिकट के दरवाजे
भाजपा ने 2023 के मेयर चुनाव में मौजूदा मेयर डा. उमेश गौतम को ही लगातार दूसरी बार प्रत्याशी बना दिया। ऐसे में जगदीश पाटनी के लिए भाजपा का टिकट पाने के दरवाजे बंद हो गए। इधर, सपा में दो प्रमुख दावेदारों डॉक्टर आईएस तोमर और संजीव सक्सेना के बीच आखिरी दौर तक युद्ध चलता रहा। यहां विवाद की स्थिति देख सपा ने बैकडोर से आईएस तोमर को समर्थन तो दिया, लेकिन चुनाव चिह्न नहीं। ऐसी स्थिति में जगदीश पाटनी के भाजपा और सपा से चुनाव लड़ने के ख्वाब अधूरे रह गए। फिर उन्होंने कांग्रेस से टिकट पाने के लिए जुगाड़ लगाई, लेकिन यहां भी उनकी दाल नहीं गली। टिकट नहीं मिला, तो आयोग में दर्जा प्राप्त मंत्री पद का लगाया जुगाड़
कुल मिलाकर उन्हें किसी भी बड़ी राजनीतिक पार्टी से टिकट नहीं मिल सका। बाद में जगदीश पाटनी मेयर के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी डॉक्टर उमेश गौतम का ही प्रचार करते नजर आए। जिन लोगों ने टिकट दिलाने के 25 लाख रुपए ले रखे थे, उन्होंने फिर जगदीश पाटनी को ये भरोसा दिया कि उत्तराखंड सरकार के किसी भी आयोग में दर्जा प्राप्त मंत्री जैसा कोई पद दिला देंगे। चूंकि रुपए फंस चुके थे, इसलिए जगदीश पाटनी इस बात पर सहमत हो गए। लेकिन, यहां भी कुछ नहीं हुआ। सिर्फ आश्वासन और तारीख पर तारीख मिलती रहीं। जब तक उन्हें अपने साथ फ्रॉड का पता चला, इस कहानी के सारे किरदार लापता हो चुके थे। उनके मोबाइल नंबर भी बंद हो चुके थे। जांच करने वाले दरोगा को डेंगू, पांच दिन की छुट्टी पर
इस केस का स्टेटस जानने के लिए हम शहर कोतवाली पहुंचे। यहां इंस्पेक्टर दिनेश चंद्र शर्मा मिले। उन्होंने बताया- शिकायतकर्ता ने ये एप्लिकेशन उच्चाधिकारियों को दी थी। उन्हीं के आदेश पर मुकदमा दर्ज किया गया है। मुकदमे की जांच एक सब-इंस्पेक्टर को दे दी गई है, लेकिन डेंगू होने की वजह से वो पांच दिन की छुट्टी पर चले गए हैं। जब लौटेंगे, तब पूरा मामला समझकर जांच शुरू करेंगे। इस तरह के मामलों की जांच-पड़ताल में दो-तीन महीने भी लग जाते हैं। इसलिए फिलहाल इस केस में कुछ भी कह पाना मुश्किल है। हमने बरेली के SP सिटी मानुष पारीक से बात की। उन्होंने बताया- सेवानिवृत्त सीओ जगदीश सिंह पाटनी ने एक शिकायत दी है। इसमें 5 लोगों पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया है। मुकदमा दर्ज किया गया है। आगे की कार्रवाई साक्ष्यों के आधार पर की जाएगी। एक अन्य पुलिस अधिकारी ने बताया- अभी सबसे पहले FIR में नामजद हुए आरोपियों के सही नाम-पतों की जानकारी करनी होगी। अभी तो ये भी साफ नहीं है कि जिस शख्स ने जूना अखाड़ा में आचार्य बताया है, वो वास्तव में अखाड़ा में हैं भी या नहीं। इसी तरह बाकी आरोपियों की भी जानकारी करनी होगी। इसके बाद बैंक अकाउंट्स का मिलान करना होगा। रिटायर DSP से भी ये पता किया जाएगा कि उन्होंने 25 लाख रुपए का इंतजाम किस तरह और कहां-कहां से किया? बरेली में जन्मी हैं अभिनेत्री दिशा पाटनी जगदीश सिंह पाटनी की बेटी दिशा पाटनी अभिनेत्री हैं, जो मुख्य रूप से हिंदी फिल्मों में काम करती हैं। उन्होंने अपने अभिनय करियर की शुरुआत तेलुगू फिल्म लोफर (साल, 2015) से की, जो वरुण तेज के साथ थी। स्पोर्ट्स बायोपिक ‘एमएस धोनी: द अनटोल्ड स्टोरी’ (2016) से अपना बॉलीवुड डेब्यू करने के बाद उन्होंने चीनी एक्शन कॉमेडी कुंग फू योगा (2017) में अभिनय किया। ये अब तक की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली चीनी फिल्मों में से एक है। उन्होंने बागी-2 (2018), भारत (2019) और कल्कि 2898 एडी में भी काम किया। दिशा पाटनी के माता-पिता मूलत: उत्तराखंड के रहने वाले हैं, लेकिन दिशा का जन्म यूपी के बरेली में हुआ। ——————– ये भी पढ़ें… अभिनेत्री दिशा पाटनी के पिता से 25 लाख की ठगी, बरेली में जूना अखाड़े के आचार्य ने सरकारी आयोग में अध्यक्ष बनवाने का लालच दिया बॉलीवुड अभिनेत्री दिशा पाटनी के पिता और रिटायर्ड पुलिस अधिकारी जगदीश पाटनी से 25 लाख की ठगी हो गई। सरकार में उच्च पद और आयोग में अध्यक्ष-उपाध्यक्ष बनवाने के नाम पर उनसे रुपए लिए गए। मामले में जूना अखाडे़ के आचार्य समेत 5 लोगों पर मुकदमा दर्ज किया गया है। जगदीश पाटनी को 3 महीने में काम पूरा न होने पर रुपए ब्याज समेत लौटाने का वादा किया गया था। लेकिन, 6 महीने बाद भी कुछ ना हो सका। जगदीश पाटनी को ना तो कोई पद मिला और न ही रकम वापस की गई। पढ़ें पूरी खबर… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर