पंजाब के अमरगढ़ से आम आदमी पार्टी (आप) के विधायक जसवंत सिंह गज्जन माजरा के खिलाफ ईडी द्वारा दर्ज मामले को चुनौती देने वाली याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। अपनी याचिका में उन्होंने ईडी द्वारा की गई गिरफ्तारी और रिमांड को चुनौती दी है। उन पर करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी का आरोप है। हालांकि इससे पहले उन्होंने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इसमें उन्होंने प्रचार करने की इजाजत मांगी थी। लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया था। सीबीआई ने भी शुरू की थी जांच सीबीआई ने पिछले साल मई में इस मामले में अपनी जांच शुरू की थी। 40 करोड़ की धोखाधड़ी से जुड़े मामले में छापेमारी की गई थी। इसके बाद सितंबर में ईडी ने उनके खिलाफ लोन धोखाधड़ी से जुड़ा मामला दर्ज किया था। साथ ही इस मामले में उन्हें गिरफ्तार भी किया गया था। छापेमारी के दौरान उनके ठिकानों से 32 लाख रुपये नकद, कुछ मोबाइल और हार्ड ड्राइव जब्त किए गए थे। हालांकि, उन्होंने पहले एक रुपये सैलरी लेने का ऐलान किया था। नाभा जेल में बंद हैं विधायक माजरा आप विधायक गज्जन माजरा गिरफ्तारी के बाद से ही नाभा जेल में बंद हैं। हालांकि, इस बीच वे जेल में फिसलकर गिर गए। इसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। इसके बाद वे फिर बीमार पड़ गए, तब उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। जबकि विपक्षी दलों ने सवाल उठाए थे कि सरकार उन्हें बीमारी के बहाने अस्पताल में भर्ती कराकर वीआईपी ट्रीटमेंट दे रही है। हालांकि, मामला गरमाने के बाद उन्हें जेल भेज दिया गया। पंजाब के अमरगढ़ से आम आदमी पार्टी (आप) के विधायक जसवंत सिंह गज्जन माजरा के खिलाफ ईडी द्वारा दर्ज मामले को चुनौती देने वाली याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। अपनी याचिका में उन्होंने ईडी द्वारा की गई गिरफ्तारी और रिमांड को चुनौती दी है। उन पर करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी का आरोप है। हालांकि इससे पहले उन्होंने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इसमें उन्होंने प्रचार करने की इजाजत मांगी थी। लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया था। सीबीआई ने भी शुरू की थी जांच सीबीआई ने पिछले साल मई में इस मामले में अपनी जांच शुरू की थी। 40 करोड़ की धोखाधड़ी से जुड़े मामले में छापेमारी की गई थी। इसके बाद सितंबर में ईडी ने उनके खिलाफ लोन धोखाधड़ी से जुड़ा मामला दर्ज किया था। साथ ही इस मामले में उन्हें गिरफ्तार भी किया गया था। छापेमारी के दौरान उनके ठिकानों से 32 लाख रुपये नकद, कुछ मोबाइल और हार्ड ड्राइव जब्त किए गए थे। हालांकि, उन्होंने पहले एक रुपये सैलरी लेने का ऐलान किया था। नाभा जेल में बंद हैं विधायक माजरा आप विधायक गज्जन माजरा गिरफ्तारी के बाद से ही नाभा जेल में बंद हैं। हालांकि, इस बीच वे जेल में फिसलकर गिर गए। इसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। इसके बाद वे फिर बीमार पड़ गए, तब उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। जबकि विपक्षी दलों ने सवाल उठाए थे कि सरकार उन्हें बीमारी के बहाने अस्पताल में भर्ती कराकर वीआईपी ट्रीटमेंट दे रही है। हालांकि, मामला गरमाने के बाद उन्हें जेल भेज दिया गया। पंजाब | दैनिक भास्कर
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दिलजीत की फिल्म ‘पंजाब-95’ फरवरी में रिलीज होगी:जसवंत खालड़ा के संघर्ष पर अधारित, मानवाधिकार कार्यकर्ता की पुलिस हिरासत में हुई थी मौत पंजाबी सुपरस्टार दिलजीत दोसांझ ने अपनी नई चर्चित फिल्म “पंजाब-95” की रिलीज का ऐलान कर दिया है। यह फिल्म फरवरी 2025 में रिलीज होगी। इस बात की जानकारी खुद दिलजीत दोसांझ ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर दी है। हालांकि यह फिल्म फरवरी में किस तारीख को रिलीज होगी, इसकी जानकारी अभी उनकी तरफ से नहीं दी गई है। फिल्म मशहूर मानवाधिकार कार्यकर्ता जसवंत सिंह खालड़ा के जीवन पर आधारित है और आतंकवाद के दौर को दर्शाती है। फैंस में फिल्म को लेकर काफी उत्साह दिलजीत दोसांझ इस फिल्म में जसवंत सिंह खालड़ा का किरदार निभा रहे हैं, जो उनके करियर की सबसे अहम भूमिकाओं में से एक मानी जा रही है। दिलजीत ने हाल ही में फिल्म से जुड़ी तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर की हैं, जिसके साथ उन्होंने लिखा- मैं अंधेरे को चुनौती देता हूं। यह कैप्शन सरदार खालरा के जीवन और सच्चाई के लिए की गई उनकी लड़ाई को बखूबी दर्शाता है। फिल्म की रिलीज को प्राथमिकता देते हुए दिलजीत ने अपने अपकमिंग म्यूजिक एल्बम की रिलीज को फिलहाल टाल दिया है। इस घोषणा के बाद फैंस में फिल्म को लेकर काफी उत्साह है। आतंकवाद के दौर में सिखों पर हुए अत्याचार को उजागर किया जसवंत सिंह खालड़ा एक साहसी और समर्पित मानवाधिकार कार्यकर्ता थे। जिन्होंने 1980 और 1990 के दशक के दौरान पंजाब में सिखों के खिलाफ हो रहे अत्याचारों और मानवाधिकारों के उल्लंघन के खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने खुलासा किया कि उस दौर में हजारों सिख युवाओं को अवैध हिरासत में लिया गया, फर्जी मुठभेड़ों में मार दिया गया और उनके शवों का गुप्त अंतिम संस्कार कर दिया गया। श्मशान घाटों का दौरा कर जुटाई जानकारियां खालड़ा ने पंजाब पुलिस और प्रशासन द्वारा की जा रही इन गुमशुदगी और हत्याओं को उजागर किया था। उन्होंने उस समय में अमृतसर के श्मशान घाटों का दौरा कर यह जानकारी जुटाई कि वहां 6,000 से अधिक शवों का गुप्त रूप से अंतिम संस्कार किया गया था। यह जानकारी उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी साझा की, जिससे भारत के मानवाधिकार रिकॉर्ड पर सवाल खड़े हुए। 1995 में हुई थी हत्या खालड़ा को सिखों के हकों के लिए लड़ने का खामियाजा अपनी जान देकर चुकाना पड़ा था। परिवार का आरोप है कि 6 सितंबर 1995 को पुलिस ने खालड़ा का उनके घर से अपहरण कर लिया। इसके बाद उन्हें पुलिस हिरासत में प्रताड़ित किया गया और उनकी हत्या कर दी गई। पुलिस ने इस मामले में एफआईआर भी दर्ज नहीं की। जिसके बाद, जसवंत की पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन दी और कोर्ट ने सीबीआई को जांच का आदेश दिया था।
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